ईश्वरीय भक्ति रखनेवालों का छुटकारा नज़दीक़!
“यहोवा ईश्वरीय भक्ति रखनेवालों को परीक्षा में से निकाल लेना और अधर्मियों को नाश होने के लिए न्याय के दिन तक दण्ड की दशा में रखना भी जानते हैं।”—२ पतरस २:९, न्यू.व.
१. हमारे समय में मनुष्यजाति के सामने कौनसी दुःखद समस्याएँ खड़ी हैं? (ब) इसका विचार करते हुए, हम किन प्रश्नों पर ग़ौर करने वाले हैं?
संपूर्ण मनुष्यजाति के लिए जीवन की समस्याएँ बढ़ती जा रही हैं। यह बात सच है, चाहे हम ऐसी जगह में रहते हों, जहाँ भौतिक वस्तुएँ प्रचुर मात्रा में मिलती हैं, या ऐसी जगह जहाँ उनकी कमी है। जैसे कि चिन्ता करने के लिए आर्थिक समस्याएँ क्या कम थीं, कि अब पर्यावरण संबंधी गंभीर समस्याएँ भी इस पृथ्वी ग्रह पर हमला कर रही हैं और इस पर के सारे जीवन को ख़तरे में डाल रही हैं। बीमारी ज़ोरों पर है। संक्रामक रोग, दिल की बीमारियाँ, और कैंसर की महाविपत्ति भारी हानि पहुँचाती हैं। अनैतिकता ने मानव भावनाओं और पारीवारिक जीवन में तबाही मचा दी है। इन सारी बातों के अतिरिक्त, इस दुनिया में हिंसा अत्याधिक मात्रा में भरी हुई है। मानव समाज जिन बातों का सामना कर रहा है, इसका विचार करके, हम यथार्थवादी रूप से पूछते हैं: क्या जल्दी छुटकारा पाने की आशा करने के लिए कोई पक्का आधार है? अगर है, तो यह किस तरह आएगा, और किस के लिए?—हबक्कुक १:२; २:१-३.
२, ३. (अ) हम आज ऐसा क्यों पाते हैं कि २ पतरस २:९ में कही गयी बात आश्वासन दिलाती है? (ब) प्रोत्साहन के एक आधार के रूप में बाइबल छुटकारे के कौनसे विशेष उदाहरणों की ओर संकेत करती है?
२ हमारे समय में जो कुछ हो रहा है, यह हमें मानव इतिहास के कुछ अन्य अति महत्त्वपूर्ण समयों के बारे में याद दिला देता है। प्रेरित पतरस छुटकारे के उन कार्यों की ओर ध्यान आकर्षित करते हैं, जो परमेश्वर ने उन अवसरों पर किए, और फिर इस आश्वासन देनेवाले निष्कर्ष पर पहुँचते हैं: “यहोवा ईश्वरीय भक्ति रखनेवालों को परीक्षा में से निकाल लेना . . . जानते हैं।” (२ पतरस २:९, न्यू.व.) २ पतरस २:४-१० में, उस कथन के संदर्भ पर ग़ौर कीजिए:
३ “क्योंकि जब परमेश्वर ने उन स्वर्गदूतों को जिन्होंने पाप किया, नहीं छोड़ा, पर टारटरस में भेजकर अन्धेरे कुण्डों में डाल दिया, ताकि न्याय के दिन तक बन्दी रहें। और प्रथम युग के संसार को भी न छोड़ा, बरन भक्तिहीन संसार पर महा जलप्रलय भेजकर धर्म के प्रचारक नूह समेत आठ व्यक्तियों को बचा लिया। और सदोम और अमोराह के नगरों को विनाश का ऐसा दण्ड दिया, कि उन्हें भस्म करके राख में मिला दिया ताकि वे आनेवाले भक्तिहीन लोगों की शिक्षा के लिए एक दृष्टान्त बनें। और धर्मी लूत को जो अधर्मियों के अशुद्ध चाल-चलन से बहुत दुःखी था, छुटकारा दिया—क्योंकि वह धर्मी उन के बीच में रहते हुए और उन के अधर्म के कामों को देख-देखकर और सुन-सुनकर, हर दिन अपने सच्चे मन को पीड़ित करता था—तो यहोवा ईश्वरीय भक्ति रखनेवालों को परीक्षा में से निकाल लेना और अधर्मियों को नाश होने के लिए न्याय के दिन तक दण्ड की दशा में रखना जानते हैं। निज करके उन्हें जो अशुद्ध अभिलाषाओं के पीछे शरीर के अनुसार चलते, और प्रभुता को तुच्छ जानते हैं।” (न्यू.व.) जैसा कि ये शास्त्रपद दिखाते हैं, नूह और लूत के समय में जो कुछ हुआ, वह बातें हमारे लिए बहुत अर्थ रखती हैं।
नूह के समय में प्रचलित मनोवृत्ति
४. नहू के समय में, परमेश्वर की नज़रों में यह पृथ्वी तबाह क्यों थी? (भजन संहिता ११:५)
४ उत्पत्ति के अध्याय ६ में दिए ऐतिहासिक वृत्तान्त में हमें बताया जाता है कि नूह के दिनों में सच्चे परमेश्वर की नज़रों में यह पृथ्वी तबाह हो गयी थी। क्यों? हिंसा के कारण। यह सिर्फ़ अपराधिक हिंसा के कुछ इक्के-दुक्के मामलों की बात नहीं थी। उत्पत्ति ६:११ में बताया गया है कि “पृथ्वी . . . उपद्रव से भर गयी।”
५. (अ) नूह के समय में मनुष्यों की कौनसी मनोवृत्ति से हिंसा को सहयोग मिला? (ब) भक्तिहीनता के बारे में हनोक ने कौनसी चेतावनी दी थी?
५ इसके पीछे क्या था? २ पतरस से उद्धृत शास्त्रपद भक्तिहीन लोगों का ज़िक्र करता है। जी हाँ, मानवी मामलों में भक्तिहीनता की एक मनोवृत्ति फैल गयी थी। इस में न सिर्फ़ ईश्वरीय विधि के लिए आम अवहेलना शामिल थी, परन्तु स्वयं परमेश्वर के ख़िलाफ़ एक उद्धत मनोभाव भी शामिल था।a और जब मनुष्य परमेश्वर के प्रति उद्धत होते हैं, तो उन से यह अपेक्षा कैसे की जा सकती है कि वे अपने संगी मनुष्यों के प्रति दया से बरताव करेंगे? नूह के जन्म से पहले ही, यह भक्तिहीनता इतनी प्रचुर थी कि यहोवा ने हनोक को इसके परिणाम के बारे में भविष्यद्वाणी करने के लिए प्रेरित किया था। (यहूदा १४, १५) परमेश्वर के प्रति उनकी अवज्ञा से उन पर दैवी न्यायदण्ड का निष्पादन ज़रूर होता।
६, ७. स्वर्गदूतों को शामिल करनेवाली कौनसी स्थिति जलप्रलय से पहले की बुरी परिस्थितियों के विकसित होने में एक मुख्य कारण थी?
६ उन दिनों की हिंसा को एक और प्रभाव से सहयोग मिला। उत्पत्ति ६:१, २ उसकी ओर हमारा ध्यान आकर्षित करता है जब यह कहता है: “फिर जब मनुष्य भूमि के ऊपर बहुत बढ़ने लगे, और उनके बेटियाँ उत्पन्न हुईं, तब सच्चे परमेश्वर के पुत्रों ने मनुष्य की पुत्रियों को देखा, कि वे सुन्दर हैं, सो उन्होंने जिस जिसको चाहा उन से ब्याह कर लिया।” (न्यू.व.) सच्चे परमेश्वर के वे पुत्र कौन थे? वे मनुष्य मात्र नहीं थे। पुरुष सदियों से सुन्दर स्त्रियों को देखते आ रहे और उनसे विवाह कर रहे थे। परमेश्वर के ये पुत्र स्वर्गदूत थे जिन्होंने देह-धारण किया था। यहूदा ६ में, उनका वर्णन इस तरह किया गया है कि वे ऐसे ‘स्वर्गदूत’ थे जिन्होंने “अपने पद को स्थिर न रखा बरन अपने निज निवास को छोड़ दिया।”—१ पतरस ३:१९, २० से तुलना करें।
७ जब इन मनुष्य के रूप धारण किए हुए अलौकिक व्यक्तियों ने मनुष्य की पुत्रियों से यौन-सम्बन्ध किया, तो नतीजा क्या हुआ? “उन दिनों पृथ्वी पर दानव (नेफिलिम, न्यू.व.) रहते थे; और इसके पश्चात जब परमेश्वर के पुत्र मनुष्य की पुत्रियों के पास गए तब उनके द्वारा जो सन्तान उत्पन्न हुए, वे पुत्र शूरवीर होते थे, जिनकी कीर्ति प्राचीन काल से प्रचलित है।” जी हाँ, उस अनैसर्गिक जोड़ से उत्पन्न बच्चे नेफिलिम थे, वे ताक़तवर लोग जो अपनी उच्च शक्ति को दूसरों को भयभीत करने के लिए इस्तेमाल करते थे।—उत्पत्ति ६:४.
८. पृथ्वी पर बुरी परिस्थितियों की ओर यहोवा ने कैसी प्रतिक्रिया दिखायी?
८ आख़िर स्थिति कितनी बुरी बन गयी? एक समय यह आया कि “यहोवा ने देखा, कि मनुष्यों की बुराई पृथ्वी पर बढ़ गयी है और उनके मन के विचार में जो कुछ उत्पन्न होता है सो निरन्तर बुरा ही होता है।” इसकी ओर परमेश्वर की क्या प्रतिक्रिया थी? “यहोवा पृथ्वी पर मनुष्य को बनाने से पछताए, और वह मन में अति खेदित हुए।” इसका यह मतलब नहीं कि परमेश्वर को लगा कि उन्होंने मनुष्यजाति को बनाने में ग़लती की थी। उलटा, उन्हें खेद हुआ कि मनुष्यों को बनाने के बाद, उनका आचरण इतना बुरा बन चुका था कि वह उन्हें नाश कर देने के लिए मजबूर हो गए थे।—उत्पत्ति ६:५-७.
वह मार्ग जो छुटकारे तक ले गया
९. (अ) परमेश्वर ने नूह के साथ कृपा से क्यों व्यवहार किया? (ब) परमेश्वर ने नूह को पहले से कौनसी सूचना दी?
९ जहाँ तक नूह का सवाल था, “यहोवा की अनुग्रह की दृष्टि नूह पर बनी रही। . . . नूह धर्मी पुरुष और अपने समय के लोगों में खरा था, और नूह परमेश्वर ही के साथ साथ चलता रहा।” (उत्पत्ति ६:८, ९) इसलिए यहोवा ने नूह को पहले से सूचना दी कि वह एक विश्वव्यापी जलप्रलय ले आनेवाले थे, और उसे आदेश दिया कि वह एक जहाज़ बनाए। नूह और उसके परिवार को छोड़, बाक़ी सारी मानवजाति को इस पृथ्वी पर से नष्ट कर दिया जाता। प्रत्येक मूलभूत प्रकार के उन कुछ ही प्रतिनिधियों को छोड़, जिन्हें नूह को जहाज़ में ले आना था, जानवर सृष्टि का भी नाश होता।—उत्पत्ति ६:१३, १४, १७.
१०. (अ) बचाव को ध्यान में रखते हुए, कौनसी तैयारी करनी थी, और यह कितना बड़ा कार्य था? (ब) नूह ने अपने नियतकार्य की देख-रेख जिस तरह से की, उसके बारे में कौनसी बात उल्लेखनीय है?
१० इस अग्रिम जानकारी ने नूह पर एक भारी दायित्व डाल दिया। जहाज़ बन जानी ही चाहिए। उसका आकार एक बड़े संदूक के जैसे होना था, जिसका कुल आयतन १४,००,००० घन फुट होना था। नूह को उस में खाद्य सामग्री जमा करनी थी और फिर बचाव के लिए “सब जीवित प्राणियों में से” जानवर और परिन्दों को इकट्ठा करना था। यह एक ऐसी परियोजना थी जिसमें कई सालों की मेहनत शामिल होती। नूह ने कैसी प्रतिक्रिया दिखायी? उसने “परमेश्वर की इस आज्ञा के अनुसार . . . किया। उसने वैसा ही किया।”—उत्पत्ति ६:१४-१६, १९-२२, न्यू.व.; इब्रानियों ११:७.
११. अपनी गृहस्थी के संबंध में, नूह पर कौनसी अत्यावश्यक ज़िम्मेदारी थी?
११ उस कार्य को करते समय, नूह को अपनी गृहस्थी की आध्यात्मिकता को बढ़ाने के लिए समय देना पड़ता था। उनके इर्द-गिर्द के लोगों के हिंसक तौर-तरीक़े और उद्धत रवैये को ग्रहण करने से उन्हें बचाए रखने की आवश्यकता थी। यह महत्त्वपूर्ण था कि वे रोज़मर्रा की ज़िन्दगी के मामलों में अत्याधिक रूप से तल्लीन न होने पाएँ। परमेश्वर ने उनको एक काम दिया था, और यह अत्यावश्यक था कि वे इसे मुख्य स्थान पर रखकर अपनी ज़िन्दगी जीएँ। हम जानते हैं कि नूह के परिवार ने उसका उपदेश स्वीकार किया और उसके विश्वास में साझीदार बने, इसलिए कि धर्मशास्त्रों में नूह, उसकी पत्नी, उसके तीन बेटे और बहुओं—कुल मिलाकर आठ लोग—का ज़िक्र अनुमोदन से किया गया है।—उत्पत्ति ६—१८; १ पतरस ३:२०.
१२. जैसे २ पतरस २:५ में दिखाया गया है, नूह ने कौनसी ज़िम्मेदारी विश्वसनीयता से निभायी?
१२ नूह को एक और ज़िम्मेदारी थी—आनेवाले जलप्रलय के बारे में चेतावनी देने और यह बताने कि यह क्यों आ रहा था। यह ज़ाहिर है कि उसने उस ज़िम्मेदारी को विश्वसनीयता से निभायी, क्योंकि परमेश्वर के वचन में उसका ज़िक्र “प्रचारक नूह,” इस तरह किया गया है।—२ पतरस २:५.
१३. नूह ने कौनसी परिस्थितियों का सामना किया, जैसे उसने अपने ईश्वर-प्रदत्त कार्य को पूरा किया?
१३ अब उन परिस्थितियों के बारे में बस विचार कीजिए, जिनके तले नूह ने उस नियतकार्य को पूरा किया। अपने आप को उसकी स्थिति में रखिए। अगर आप नूह या उसके परिवार के एक सदस्य होते, तो आप उस हिंसा से घिरे होते जो नेफिलिम और भक्तिहीन लोगों द्वारा की जाती थी। आप विद्रोही स्वर्गदूतों के प्रभाव का सामना सीधे रूप से कर चुके होते। जैसे जैसे आप जहाज़ पर काम कर रहे होते, आपकी खिल्ली उड़ायी जाती। और साल पर साल जैसे आप आनेवाले जलप्रलय के बारे में चेतावनी देते रहते, आप पाए होते कि लोग अपनी रोज़मर्रा ज़िन्दगी के मामलों में इतने व्यस्त थे कि “उन्होंने कोई ध्यान न दिया”—यानी, ‘जब तक जलप्रलय आकर उन सब को बहा ले गया।’—मत्ती २४:३९; लूका १७:२६, २७.
नूह का अनुभव आपके लिए क्या अर्थ रखता है?
१४. नूह और उसके परिवार के सम्मुख जो स्थिति थी, उस को समझना हमारे लिए आज मुश्किल क्यों नहीं है?
१४ ऐसी स्थिति की कल्पना करना हमारे अधिकांश पाठकों के लिए क़तई मुश्किल नहीं है। क्यों नहीं? इसलिए कि हमारे समय की परिस्थितियाँ उन दिनों की परिस्थितियों से बहुत मिलती-जुलती हैं, जो नूह के दिनों में प्रचलित थीं। यीशु मसीह ने कहा कि इसकी अपेक्षा की जानी चाहिए। इस रीति-व्यवस्था की समाप्ति के दौरान उसकी उपस्थिति के विषय में यीशु की बड़ी भविष्यद्वाणी में, उन्होंने पूर्वबतलाया: “जैसे नूह के दिन थे, वैसा ही मनुष्य के पुत्र का आना भी होगा।”—मत्ती २४:३७.
१५, १६. (अ) यह किस तरह सच है कि, जैसे नूह के समय में था, वैसे आज पृथ्वी हिंसा से भर गयी है? (ब) यहोवा के सेवक ख़ास तौर से किस प्रकार की हिंसा का शिकार बन गए हैं?
१५ क्या यह इसी रीति से हुआ है? क्या आज दुनिया हिंसा से भर गयी है? हाँ! इस शताब्दी में दस करोड़ से ज़्यादा लोग युद्धों में मारे गए हैं। हमारे कुछेक पाठकों ने सीधे रूप से इसके प्रभाव का अनुभव किया है। और भी अधिक लोग उनके पैसे या अन्य क़ीमती वस्तुओं को छीन लेने पर तुले हुए अपराधियों द्वारा धमकाए गए हैं। और पाठशाला में बच्चे हिंसा के प्रभाव में डाले गए हैं।
१६ परन्तु, यहोवा के सेवक युद्ध के विध्वंस और आम अपराधिक हिंसा से कुछ ज़्यादा अनुभव करते हैं। उन्हें इस कारण से भी हिंसा झेलनी पड़ती है, कि वे इस संसार का कोई भाग नहीं बल्कि ईश्वरीय भक्ति रखनेवाले होने की कोशिश करते हैं। (२ तीमुथियुस ३:१०-१२) कभी कभी हिंसा का रूप सिर्फ़ धक्के या चाँटें होता है; अन्य समय इस में सम्पत्ति का नाश, क्रूर पिटाई और हत्या भी शामिल हैं।—मत्ती २४:९.
१७. क्या अधर्म आज निरंकुश है? व्याख्या दें।
१७ ऐसी हिंसा में भाग लेते समय, कभी-कभी अधर्मी मनुष्यों ने निर्लज्ज रूप से परमेश्वर के लिए अपना तिरस्कार व्यक्त किया है। आफ्रिका के एक इलाके में, पुलीस ने घोषित किया: “सरकार हमारी है। अगर कोई परमेश्वर है, तो तुम उसके पास जाओ और उसे कहना कि वह आकर तुम्हारी मदद करें।” जेलखानों और नज़रबन्दी शिबिरों में, यहोवा के गवाह ऐसे मनुष्यों का सामना कर चुके हैं, जैसे सॅक्सेनहाउसेन, जर्मनी में बॅरानाउस्की था, जिसने यह ताना मारा: “मेरा मुक़ाबला यहोवा के साथ है। हम देखेंगे कौन ज़्यादा ताक़तवर है, मैं या यहोवा।” कुछ ही समय बाद, बॅरानाउस्की बीमार होकर मर गया; परन्तु अन्य लोग समान मनोवृत्ति प्रकट करते रहते हैं। उत्पीड़न के मानो एक धर्म-युद्ध में मग्न अधिकारी एकमात्र व्यक्ति नहीं जो परमेश्वर के प्रति अवज्ञा दिखाते हैं। दुनिया भर में, परमेश्वर के सेवक ऐसी बातें देखते और सुनते हैं जो सबूत प्रदान करती हैं कि जो लोग उन में आनन्द लेते हैं, उन्हें अपने दिल में परमेश्वर के प्रति कोई भय नहीं।
१८. दुष्टात्माएँ किन रीतियों में मनुष्यजाति की विक्षुब्ध अवस्था में सहायक हैं?
१८ इन दिनों में, जो कि नूह के समय से बहुत मिलते-जुलते हैं, हम दुष्टात्माओं द्वारा किया हस्तक्षेप भी देखते हैं। (प्रकाशितवाक्य १२:७-९) ये दुष्टात्माएँ वही स्वर्गदूत हैं जिन्होंने नूह के दिनों में आदमियों का रूप धारण करके औरतों से शादी की। जब प्रलय आया, तब उनके बीवी-बच्चे नष्ट हुए, परन्तु उन अवज्ञाकारी स्वर्गदूतों को आत्मा के क्षेत्र में मजबूरन लौटना पड़ा। उनके लिए यहोवा के पवित्र संघटन में अब और कोई जगह न थी, परन्तु उन्हें टारटरस भेज दिया गया, जो कि गहरे अन्धेरे की, दैवी प्रकाश से अलग अवस्था है। (२ पतरस २:४, ५, न्यू.व.) शैतान के निर्देशन के नीचे कार्य करते हुए, उन्होंने इन्सानों के साथ गहरा सम्पर्क क़ायम रखा है और, हालाँकि वे अब और देह-धारण नहीं कर सकते, उन्होंने आदमी, औरतें और बच्चों को भी नियंत्रित करने की कोशिश की है। इस में से कुछ नियंत्रण तन्त्र-मन्त्र के ज़रिए से किया जाता है। वे मनुष्यजाति को एक दूसरे को ऐसी रीतियों से नष्ट कर देने के लिए भी उकसाते हैं जो मानवीय विवेक को चुनौती देती हैं। पर यही नहीं।
१९. (अ) दुष्टात्माएँ विशेष रूप से किन के विरुद्ध अपना द्वेष संचालित करते हैं? (ब) दुष्टात्माएँ हमें क्या करने के लिए मजबूर कर रहे हैं?
१९ बाइबल बताती है कि दुष्टात्माएँ उन लोगों से लड़ रही हैं, “जो परमेश्वर की आज्ञाओं को मानते, और जिन्हें यीशु की गवाही देने का कार्य सौंपा गया है।” (प्रकाशितवाक्य १२:१२, १७, न्यू.व.) वे दुष्टात्माएँ यहोवा के सेवकों के उत्पीड़न के प्रमुख उकसानेवाले हैं। (इफिसियों ६:१०-१३) वे विश्वसनीय मनुष्यों को मजबूर करने या फुसलाने के लिए हर कल्पनीय रीति का उपयोग करते हैं, कि वे यहोवा के प्रति ख़राई तोड़ें और यहोवा के राज्य की घोषणा करना बन्द करें, जिस में यीशु मसीही राजा हैं।
२०. दुष्टात्माएँ उनके नियंत्रण से मुक्त होनेवाले लोगों के रास्ते में बाधा डालने की कोशिश कैसे करते हैं? (याकूब ४:७)
२० दुष्टात्माएँ उन लोगों के रास्ते में बाधा डालने का प्रयास करते हैं जो उनके अत्याचारी प्रभाव से राहत पाने के लिए तरसते हैं। ब्राज़िल की एक भूतपूर्व टोनही बताती है कि जब गवाह उसके घर आए, दुष्टात्मिक आवाज़ों ने उसे दरवाज़ा नहीं खोलने की आज्ञा दी; लेकिन उसने दरवाज़ा खोल दिया, और उसने सच्चाई सीखी। कई इलाकों में दुष्टात्माएँ यहोवा के गवाहों के कार्य को रोकने की काशिश करने के लिए सीधे रूप से जादू-टोना करनेवालों का उपयोग करते हैं। उदाहरण के लिए, सुरिनाम के एक गाँव में, यहोवा के गवाहों के विरोधियों ने एक टोनहे से मुलाक़ात की, जो लोगों की ओर अपनी छड़ी से बस संकेत करके उनकी अचानक मौत ला सकने के लिए मशहूर था। अपने नर्तकों और ढोलकी बजानेवालों की टोली के साथ, दुष्टात्मा से आविष्ट टोनहा यहोवा के गवाहों के सामने आकर खड़ा हुआ। उसने अपने जादुई मंत्र-तंत्र कहे और उनकी ओर अपनी छड़ी से संकेत किया। गाँववालों को लगा कि अब गवाह मृत गिर पड़ेंगे, परन्तु टोनहा ही मूर्छित हुआ और उसे उसके लज्जित समर्थक फुरती से उठा ले गए।
२१. जैसे नूह के समय में था, अधिकसंख्यक लोग हमारे प्रचार कार्य की ओर कैसी प्रतिक्रिया दिखाते हैं, और क्यों?
२१ ऐसे इलाकों में भी, जहाँ जादू-टोना का अभ्यास इतने खुले रूप से नहीं होता, यहोवा के हर गवाह ने अनुभव किया है कि ऐसे लोगों को गवाही देने का प्रयत्न करना कैसे लगता है, जो अपनी ज़िन्दगी के रोज़मर्रा मामलों में इतने उलझे हुए हैं कि वे इसके बारे में फ़िक्र करना नहीं चाहते। जैसा कि नूह के समय में था, अधिकसंख्यक लोग ‘ध्यान नहीं देते।’ (मत्ती २४:३७-३९) कुछ लोग शायद मन में हमारी एकता और कार्यों की प्रशंसा करते हैं। लेकिन हमारा आध्यात्मिक निर्माण-कार्य—जिस में व्यक्तिगत अभ्यास के कई घंटे, नियमित सभा उपस्थिति, और क्षेत्र सेवकाई शामिल हैं—उनको मूर्खता लगती है। वे परमेश्वर के वचन में हमारे विश्वास की हँसी उड़ाते हैं क्योंकि उनका जीवन उन भौतिक वस्तुओं और कामुक भोग-विलास पर केंद्रित है जो वे अब पा सकते हैं।
२२, २३. नूह के समय की घटनाएँ किस तरह पक्का यक़ीन दिलाती हैं कि यहोवा ईश्वरीय भक्ति रखनेवालों को परीक्षा में से निकाल लेंगे?
२२ क्या यहोवा के वफ़ादार सेवक हमेशा उन लोगों की ओर से दुर्व्यवहार के पात्र होंगे, जिन्हें परमेश्वर के लिए कोई प्रेम नहीं है? बिल्कुल नहीं! नूह के दिनों में क्या हुआ? परमेश्वर के आदेश पर, नूह और उसके परिवार ने पूर्ण किए हुए जहाज़ में प्रवेश किया। फिर, ईश्वरीय रूप से निश्चित समय पर, “बड़े गहरे समुद्र के सब सोते फूट निकले और आकाश के झरोखे खुल गए।” जलप्रलय उस समय तक जारी रहा जब पहाड़ भी डूब गए। (उत्पत्ति ७:११, १७-२०) जिन स्वर्गदूतों ने अपने निज निवास को छोड़ दिया था, वे अपने धारण किए हुए मानवीय शरीरों को छोड़ देने और आत्मिक क्षेत्र में लौटने पर मजबूर हुए। नेफिलिम और अधर्मी लोगों की उस दुनिया के बाक़ी सदस्य, जिन में वे लोग भी शामिल थे जो नूह की चेतावनी पर अमल करने के विषय में बहुत ही उदासीन थे, नष्ट किए गए। दूसरी ओर, नूह और उसकी पत्नी और उनके तीन बेटे और बहुएँ बचा दिए गए। इस प्रकार, यहोवा ने नूह और उसके परिवार को उस परीक्षा में से निकाल लिया जिसे उन्होंने वफ़ादारी से इतने सारे सालों तक बरदाश्त किया था।
२३ क्या यहोवा आज के ईश्वरीय भक्ति रखनेवालों के लिए उसी तरह करेंगे? इसके बारे में तो बिल्कुल ही कोई संदेह नहीं है। उन्होंने वचन दिया है, और वह झूठ नहीं बोल सकते।—तीतुस १:२; २ पतरस ३:५-७.
[फुटनोट]
a “एनोमिया परमेश्वर के नियमों के प्रति उपेक्षा, या उसकी अवज्ञा है; ॲसेबीया [उस शब्द का संज्ञा रूप जिसका अनुवाद ‘भक्तिहीन लोग’ किया गया है,] परमेश्वर की हस्ती के प्रति वही मनोवृत्ति है।”—वाईन्स एक्सपॉज़िटरी डिक्शनरी ऑफ ओल्ड ॲन्ड न्यू टेस्टामेन्ट वर्डस्, खण्ड ४, पृष्ठ १७०.
क्या आप याद करते हैं?
◻ पतरस ने कैसे दिखाया कि यहोवा ईश्वरीय भक्ति रखनेवालों को परीक्षा में से निकाल लेना जानते हैं?
◻ नूह के समय में कौनसे कारण हिंसा में सहायक हुए?
◻ आनेवाले जलप्रलय का विचार करते हुए, नूह पर कौनसी ज़िम्मेदारी थी?
◻ नूह के समय और हमारे समय के बीच हम कौनसी अनुरूपताएँ पाते हैं?
[पेज 14 पर तसवीरें]
जहाज़ बाँधने में कई सालों की मेहनत शामिल थी
[पेज 15 पर तसवीरें]
नूह ने अपने परिवार की आध्यात्मिकता को विकसित करने के लिए समय दिया