नई वाचा के ज़रिए बड़ी आशीषें
“[यीशु] और भी उत्तम वाचा का मध्यस्थ [भी] ठहरा।”—इब्रानियों ८:६.
१. ‘स्त्री का वंश’ कौन साबित हुआ जिसका वादा अदन में किया गया था, और किस तरह उसकी ‘एड़ी को डसा’ गया?
आदम और हव्वा के पाप करने के बाद, यहोवा ने शैतान पर न्यायदंड सुनाया, जिसने हव्वा को बहकाया था। यहोवा ने कहा: “मैं तेरे और इस स्त्री के बीच में, और तेरे वंश और इसके वंश के बीच में बैर उत्पन्न करूंगा, वह तेरे सिर को कुचल डालेगा, और तू उसकी एड़ी को डसेगा।” (उत्पत्ति ३:१५) जब यीशु ने सा.यु. २९ में यरदन नदी में बपतिस्मा लिया, तब वह वंश आख़िरकार प्रकट हुआ जिसका वादा अदन में किया गया था। सा.यु. ३३ में यातना स्तंभ पर उसकी मौत के साथ उस प्राचीन भविष्यवाणी का एक भाग पूरा हुआ। शैतान ने वंश की ‘एड़ी को डस’ लिया था।
२. यीशु के अपने शब्दों के अनुसार, उसकी मौत से मनुष्यजाति को क्या फ़ायदा होता है?
२ हालाँकि वह ज़ख़्म बहुत ही दर्दनाक था, मगर ख़ुशी की बात है कि वह जल्द ही भर गया। यीशु को मृत्यु से एक अमर आत्मा के रूप में जिलाया गया और वह स्वर्ग में अपने पिता के पास गया। वहाँ उसने “बहुतों की छुड़ौती के लिये” बहाए गए अपने खून की क़ीमत पेश की। इस तरह उसके अपने शब्द सच साबित हुए: “अवश्य है कि मनुष्य का पुत्र . . . ऊंचे पर चढ़ाया जाए। ताकि जो कोई विश्वास करे उस में अनन्त जीवन पाए। क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उस ने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे, वह नाश न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए।” (मत्ती २०:२८; यूहन्ना ३:१४-१६; इब्रानियों ९:१२-१४) नई वाचा यीशु की भविष्यवाणी की पूर्ति में एक अहम भूमिका निभाती है।
नई वाचा
३. नई वाचा को सबसे पहले कब काम करते हुए देखा गया?
३ अपनी मौत से कुछ ही समय पहले, यीशु ने अपने अनुयायियों से कहा कि उसका बहाया गया लहू ‘नई वाचा का लोहू’ था। (मत्ती २६:२८; लूका २२:२०) स्वर्ग जाने के दस दिन बाद उस नई वाचा को काम करते हुए देखा गया जब यरूशलेम में एक उपरौठी कोठरी में जमा हुए लगभग १२० शिष्यों पर पवित्र आत्मा उँडेली गयी। (प्रेरितों १:१५; २:१-४) इन १२० शिष्यों को नई वाचा में लाने से यह पता चला कि “पुरानी” वाचा, यानी व्यवस्था वाचा अब मिट गयी थी।—इब्रानियों ८:१३.
४. क्या पुरानी वाचा नाकाम थी? समझाइए।
४ क्या पुरानी वाचा नाकाम थी? हरगिज़ नहीं। यह सच है कि चूँकि उसे बदल दिया गया था, इसलिए शारीरिक इस्राएल अब परमेश्वर के ख़ास लोग नहीं रहे। (मत्ती २३:३८) मगर ऐसा इस्राएल की अवज्ञा और यहोवा के अभिषिक्त जन को ठुकराने की वज़ह से था। (निर्गमन १९:५; प्रेरितों २:२२, २३) फिर भी, व्यवस्था के बदलने से पहले इसने बहुत कुछ निष्पन्न किया। सदियों तक, इसने परमेश्वर के पास आने का एक तरीक़ा प्रदान किया और झूठे धर्म से सुरक्षा प्रदान की। इसमें नई वाचा की पूर्वझलक थी, और बारंबार चढ़ाई गई बलियों ने दिखाया कि मनुष्य को पाप और मृत्यु से छुटकारे की निहायत ज़रूरत है। वाक़ई, व्यवस्था “मसीह तक पहुंचाने को हमारा शिक्षक” थी। (गलतियों ३:१९, २४; रोमियों ३:२०; ४:१५; ५:१२; इब्रानियों १०:१, २) फिर भी, यह नई वाचा के द्वारा ही था कि इब्राहीम से की गयी आशीष की प्रतिज्ञा संपूर्ण रूप से पूरी होती।
इब्राहीम के वंश से जातियाँ आशीष पाती हैं
५, ६. इब्राहीमी वाचा की मूल, आत्मिक पूर्ति में इब्राहीम का वंश कौन है, और उसके द्वारा आशीष प्राप्त करनेवाली पहली जाति कौन-सी थी?
५ यहोवा ने इब्राहीम से वादा किया: “पृथ्वी की सारी जातियां अपने को तेरे वंश के कारण धन्य मानेंगी।” (उत्पत्ति २२:१८) पुरानी वाचा के तहत, कई दीन विदेशियों को इस्राएल, यानी इब्राहीम के राष्ट्रीय वंश के साथ मेलजोल रखने के द्वारा आशीष मिली। लेकिन, अपनी मूल आत्मिक पूर्ति में, इब्राहीम का वंश एक परिपूर्ण मनुष्य था। पौलुस ने इसे समझाया जब उसने कहा: “प्रतिज्ञाएं इब्राहीम को, और उसके वंश को दी गईं: वह यह नहीं कहता, कि वंशों को; जैसे बहुतों के विषय में कहा, पर जैसे एक के विषय में कि तेरे वंश को: और वह मसीह है।”—गलतियों ३:१६.
६ जी हाँ, यीशु इब्राहीम का वंश है, और उसके ज़रिए जातियों को ऐसी आशीष मिलती है जो शारीरिक इस्राएल के लिए किसी भी मुमकिन आशीष से बहुत ही श्रेष्ठ है। वाक़ई, यह आशीष प्राप्त करनेवाली पहली जाति खुद इस्राएल थी। सा.यु. ३३ के पिन्तेकुस्त के कुछ ही समय बाद, प्रेरित पतरस ने यहूदियों के एक समूह से कहा: “तुम भविष्यद्वक्ताओं की सन्तान और उस वाचा के भागी हो, जो परमेश्वर ने तुम्हारे बापदादों से बान्धी, जब उस ने इब्राहीम से कहा, कि तेरे वंश के द्वारा पृथ्वी के सारे घराने आशीष पाएंगे। परमेश्वर ने अपने सेवक को उठाकर पहिले तुम्हारे पास भेजा, कि तुम में से हर एक को उस की बुराइयों से फेरकर आशीष दे।”—प्रेरितों ३:२५, २६.
७. किन जातियों को इब्राहीम के वंश, यीशु द्वारा आशीष मिली?
७ जल्द ही सामरियों को और फिर अन्यजातियों को आशीष दी गयी। (प्रेरितों ८:१४-१७; १०:३४-४८) सा.यु. ५० और ५२ के बीच, पौलुस ने एशिया माइनर की गलतिया के मसीहियों को लिखा: “पवित्र शास्त्र ने पहिले ही से यह जानकर, कि परमेश्वर अन्यजातियों को विश्वास से धर्मी ठहराएगा, पहिले ही से इब्राहीम को यह सुसमाचार सुना दिया, कि तुझ में सब जातियां आशीष पाएंगी। तो जो विश्वास करनेवाले हैं, वे विश्वासी इब्राहीम के साथ आशीष पाते हैं।” (गलतियों ३:८, ९; उत्पत्ति १२:३) हालाँकि गलतिया के कई मसीही ‘अन्यजाति के’ थे, उन्होंने अपने विश्वास की वज़ह से यीशु द्वारा आशीष पायी। किस तरह?
८. पौलुस के दिन के मसीहियों के लिए, इब्राहीम के वंश द्वारा आशीष पाने में क्या शामिल था, और आख़िरकार कितने लोग ऐसी आशीष पाते हैं?
८ पौलुस ने गलतिया के मसीहियों से कहा, चाहे वे किसी भी पृष्ठभूमि के क्यों न हों: “यदि तुम मसीह के हो, तो इब्राहीम के वंश और प्रतिज्ञा के अनुसार वारिस भी हो।” (गलतियों ३:२९) गलतिया के उन लोगों के लिए, इब्राहीम के वंश द्वारा आशीष पाने में नई वाचा में उनका सहभागी होना और यीशु के साथ सहवारिस होना, यानी इब्राहीम के वंश में यीशु के साथी होना भी शामिल था। हम प्राचीन इस्राएल की आबादी के बारे में नहीं जानते। हम सिर्फ़ इतना जानते हैं कि वे “समुद्र के तीर पर की बालू के किनकों के समान बहुत थे।” (१ राजा ४:२०) मगर, हम आत्मिक वंश में यीशु के साथियों की कुल संख्या के बारे में जानते हैं—१,४४,०००. (प्रकाशितवाक्य ७:४; १४:१) ये १,४४,००० मनुष्यजाति के “हर एक कुल, और भाषा, और लोग, और जाति” में से आते हैं और दूसरों को इब्राहीमी वाचा की आशीषें देने में भाग लेते हैं। —प्रकाशितवाक्य ५:९.
एक भविष्यवाणी पूरी हुई
९. किस तरह नई वाचा के लोगों के मन में यहोवा की व्यवस्था है?
९ नई वाचा के बारे में पहले से बताते हुए यिर्मयाह ने लिखा: “जो वाचा मैं उन दिनों के बाद इस्राएल के घराने से बान्धूंगा, वह यह है: मैं अपनी व्यवस्था उनके मन में समवाऊंगा, और उसे उनके हृदय पर लिखूंगा . . . यहोवा की यह वाणी है।” (यिर्मयाह ३१:३३) नई वाचा के लोगों की यह ख़ासियत है कि वे यहोवा की सेवा प्रेम की वज़ह से करते हैं। (यूहन्ना १३:३५; इब्रानियों १:९) यहोवा की व्यवस्था उनके दिल में लिखी हुई है, और वे उत्सुकता से उसकी इच्छा पूरी करना चाहते हैं। यह सच है कि प्राचीन इस्राएल में कुछ वफ़ादार लोग यहोवा की व्यवस्था से बेहद प्यार करते थे। (भजन ११९:९७) मगर कई लोगों ने ऐसा नहीं किया। फिर भी वे उस जाति के भाग बने रहे। कोई भी व्यक्ति नई वाचा में बना नहीं रह सकता अगर परमेश्वर की व्यवस्था उसके दिल में न लिखी गयी हो।
१०, ११. नई वाचा के लोगों के लिए, किस तरह यहोवा ‘उनका परमेश्वर ठहरता’ है और वे सब-के-सब उसे कैसे जानेंगे?
१० नई वाचा के लोगों के बारे में यहोवा ने आगे कहा: “मैं उनका परमेश्वर ठहरूंगा, और वे मेरी प्रजा ठहरेंगे।” (यिर्मयाह ३१:३३) प्राचीन इस्राएल में कई लोगों ने अन्यजाति के देवताओं की उपासना की, मगर फिर भी वे इस्राएली ही रहे। नई वाचा के आधार पर, यहोवा ने एक आत्मिक जाति बनायी, यानी ‘परमेश्वर का इस्राएल,’ ताकि वह शारीरिक इस्राएल की जगह ले सके। (गलतियों ६:१६; मत्ती २१:४३; रोमियों ९:६-८) लेकिन, कोई भी व्यक्ति नई आत्मिक जाति का भाग बना नहीं रहता अगर वह यहोवा की और सिर्फ़ उसकी उपासना करना छोड़ दे।
११ यहोवा ने यह भी कहा: “छोटे से लेकर बड़े तक, सब के सब मेरा ज्ञान रखेंगे।” (यिर्मयाह ३१:३४) इस्राएल में, कई लोगों ने यहोवा को बस नज़रअंदाज़ कर दिया, और इस प्रकार कहा: “यहोवा न तो भला करेगा और न बुरा।” (सपन्याह १:१२) कोई भी व्यक्ति परमेश्वर के इस्राएल का भाग नहीं बना रहता अगर वह यहोवा को नज़रअंदाज़ करता है या शुद्ध उपासना को दूषित करता है। (मत्ती ६:२४; कुलुस्सियों ३:५) आत्मिक इस्राएली ऐसे लोग हैं ‘जो अपने परमेश्वर का ज्ञान रखते हैं।’ (दानिय्येल ११:३२) वे ‘अद्वैत सच्चे परमेश्वर और यीशु मसीह को जानने’ से ख़ुश होते हैं। (यूहन्ना १७:३) यीशु को जानने से परमेश्वर के बारे में उनका ज्ञान गहरा होता है, क्योंकि एक अनोखे रूप से, यीशु “ने [परमेश्वर को] प्रगट किया” है।—यूहन्ना १:१८; १४:९-११.
१२, १३. (क) किस आधार पर यहोवा नई वाचा के लोगों के पाप माफ़ करता है? (ख) जहाँ तक पापों की माफ़ी का सवाल है, नई वाचा पुरानी वाचा से बढ़कर कैसे है?
१२ आख़िर में, यहोवा ने वादा किया: “मैं उनका अधर्म क्षमा करूंगा, और उनका पाप फिर स्मरण न करूंगा।” (यिर्मयाह ३१:३४ख) मूसा की व्यवस्था में ऐसे सैकड़ों लिखित नियम थे और इस्राएलियों से माँग की गयी थी कि वे उनका पालन करें। (व्यवस्थाविवरण २८:१, २, १५) व्यवस्था का उल्लंघन करनेवाले सभी लोग अपने पाप को ढाँपने के लिए बलिदान चढ़ाते थे। (लैव्यव्यवस्था ४:१-७; १६:१-३१) कई यहूदी सोचने लगे कि वे व्यवस्था के अनुसार अपने कामों से ही धर्मी बन सकते थे। मगर, मसीही जानते हैं कि वे कभी भी अपने ही कामों से धार्मिकता कमा नहीं सकते। वे पाप करने से बचे नहीं रह सकते। (रोमियों ५:१२) नई वाचा के अधीन, परमेश्वर के सामने एक धर्मी स्थिति यीशु के बलिदान के आधार पर ही मुमकिन है। लेकिन, ऐसी स्थिति एक देन है, परमेश्वर का अपात्र अनुग्रह है। (रोमियों ३:२०, २३, २४) यहोवा अब भी अपने सेवकों से आज्ञाकारिता की माँग करता है। पौलुस कहता है कि नई वाचा के लोग “मसीह की व्यवस्था के आधीन” हैं।—१ कुरिन्थियों ९:२१.
१३ सो, मसीहियों के लिए भी पाप के लिए बलिदान है, मगर ऐसा बलिदान जो व्यवस्था वाचा के तहत बलिदानों से कहीं ज़्यादा मूल्यवान है। पौलुस ने लिखा कि व्यवस्था वाचा के अधीन “हर एक याजक तो खड़े होकर प्रति दिन सेवा करता है, और एक ही प्रकार के बलिदान को जो पापों को कभी भी दूर नहीं कर सकते; बार बार चढ़ाता है। पर [यीशु] तो पापों के बदले एक ही बलिदान सर्वदा के लिये चढ़ाकर परमेश्वर के दहिने जा बैठा।” (इब्रानियों १०:११, १२) क्योंकि नई वाचा के मसीही यीशु के बलिदान पर विश्वास करते हैं, यहोवा उन्हें धर्मी, निष्पाप घोषित करता है, जो इस प्रकार उसके आत्मिक पुत्र के तौर पर अभिषिक्त होने की स्थिति में हैं। (रोमियों ५:१; ८:३३, ३४; इब्रानियों १०:१४-१८) जब वे मानवी अपरिपूर्णता की वज़ह से पाप कर बैठते हैं, तब वे यहोवा से माफ़ी की भीख माँग सकते हैं और यीशु के बलिदान के आधार पर, यहोवा उन्हें माफ़ करता है। (१ यूहन्ना २:१, २) लेकिन, अगर वे जानबूझकर पाप करते रहते हैं, तो वे अपनी धर्मी स्थिति से और नई वाचा के सहभागी होने के विशेषाधिकार से हाथ धो बैठते हैं।—इब्रानियों २:२, ३; ६:४-८; १०:२६-३१.
पुरानी और नई वाचा
१४. व्यवस्था वाचा के तहत किस खतना की माँग की गयी थी? नई वाचा के तहत किस खतना की माँग की गयी है?
१४ पुरानी वाचा में पुरुषों का खतना किया जाता था जो इस बात का चिन्ह था कि वे व्यवस्था के अधीन थे। (लैव्यव्यवस्था १२:२, ३; गलतियों ५:३) मसीही कलीसिया की शुरूआत के बाद, कुछ लोगों को लगा कि ग़ैर-यहूदी मसीहियों को भी खतना करना चाहिए। लेकिन परमेश्वर के वचन और पवित्र आत्मा से मार्गदर्शित होकर, यरूशलेम के प्रेरितों और प्राचीनों ने जाना कि इसकी ज़रूरत नहीं थी। (प्रेरितों १५:१, ५, २८, २९) कुछ साल बाद, पौलुस ने कहा: “वह यहूदी नहीं, जो प्रगट में यहूदी है; और न वह खतना है, जो प्रगट में है, और देह में है। पर यहूदी वही है, जो मन में है; और खतना वही है, जो हृदय का और आत्मा में है; [और] न कि लेख का।” (रोमियों २:२८, २९) शारीरिक यहूदियों के लिए भी, सचमुच का खतना यहोवा की नज़रों में अब कोई आध्यात्मिक मायने नहीं रखता था। नई वाचा के लोगों के लिए देह का नहीं, बल्कि हृदय का खतना होना था। उनके ऐसे हर सोच-विचार, इच्छा और प्रेरणा को काट दिया जाना चाहिए जो यहोवा की नज़रों में नाख़ुश करनेवाला या अशुद्ध है।a आज कई लोग इस बात की जीती-जागती मिसाल हैं कि पवित्र आत्मा की ताक़त व्यक्ति के सोच-विचार को इस तरीक़े से बदल सकती है।—१ कुरिन्थियों ६:९-११; गलतियों ५:२२-२४; इफिसियों ४:२२-२४.
१५. राजकीय शासकत्व के संबंध में शारीरिक इस्राएल और परमेश्वर के इस्राएल में क्या तुलना है?
१५ व्यवस्था वाचा के प्रबंध में, यहोवा इस्राएल का राजा था, और कुछ समय बाद उसने अपनी सर्वसत्ता यरूशलेम के राजाओं द्वारा चलायी। (यशायाह ३३:२२) परमेश्वर के इस्राएल, अर्थात् आत्मिक इस्राएल का राजा भी यहोवा ही है, और सा.यु. ३३ से उसने यीशु मसीह के ज़रिए राज किया है, जिसे “स्वर्ग और पृथ्वी का सारा अधिकार” मिला है। (मत्ती २८:१८; इफिसियों १:१९-२३; कुलुस्सियों १:१३, १४) आज परमेश्वर का इस्राएल, १९१४ में स्थापित हुए परमेश्वर के स्वर्गीय राज्य के राजा के तौर पर यीशु को क़बूल करता है। यीशु प्राचीन इस्राएल के हिजकिय्याह, योशिय्याह और अन्य वफ़ादार राजाओं से काफ़ी बेहतर राजा है।—इब्रानियों १:८, ९; प्रकाशितवाक्य ११:१५.
१६. परमेश्वर का इस्राएल किस तरह का याजकवर्ग है?
१६ इस्राएल ना सिर्फ़ एक राज्य था, बल्कि उनमें एक अभिषिक्त याजकवर्ग भी था। सा.यु. ३३ में, परमेश्वर के इस्राएल ने शारीरिक इस्राएल की जगह ली और यहोवा के “दास,” उसके “साक्षी” बन गए। (यशायाह ४३:१०) यशायाह ४३:२१ और निर्गमन १९:५, ६ में लिखे गए यहोवा के शब्द अब से परमेश्वर के आत्मिक इस्राएल पर लागू हुए। परमेश्वर की नई आत्मिक जाति अब “एक चुना हुआ वंश, और राज-पदधारी, याजकों का समाज, और पवित्र लोग, और . . . निज प्रजा” थी, जो “उसके गुण प्रगट” करने के लिए ज़िम्मेदार थी। (१ पतरस २:९) परमेश्वर के इस्राएल के सभी लोग, पुरुष और स्त्री एक सामूहिक याजकवर्ग बनते हैं। (गलतियों ३:२८, २९) इब्राहीम के वंश के गौण भाग के रूप में अब वे कहते हैं: “हे अन्यजातियो, उसकी प्रजा के साथ आनन्द मनाओ।” (व्यवस्थाविवरण ३२:४३) धरती पर अब भी बाक़ी आत्मिक इस्राएल के लोग “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास” बनते हैं। (मत्ती २४:४५-४७) सिर्फ़ उन लोगों की संगति में ही परमेश्वर की स्वीकार्य पवित्र सेवा की जा सकती है।
परमेश्वर का राज्य—इसकी आख़िरी पूर्ति
१७. नई वाचा के लोग कौन-सा जन्म लेते हैं?
१७ वे इस्राएली जो सा.यु.पू. १५१३ के बाद पैदा हुए, जन्म से ही व्यवस्था वाचा में आ गए। जिन लोगों को यहोवा नई वाचा में लेता है उनका भी एक जन्म होता है—उनके मामले में एक आत्मिक जन्म। यीशु ने फरीसी नीकुदेमुस से इसका ज़िक्र किया जब उसने कहा: “मैं तुझ से सच सच कहता हूं, यदि कोई नये सिरे से न जन्मे तो परमेश्वर का राज्य देख नहीं सकता।” (यूहन्ना ३:३) सा.यु. ३३ के पिन्तेकुस्त में १२० शिष्य ऐसे पहले अपरिपूर्ण मनुष्य थे जिनका नए सिरे से जन्म हुआ। नई वाचा के तहत धर्मी घोषित किए जाने पर उन्हें अपनी राजसी मीरास के ‘बयाने’ के रूप में पवित्र आत्मा मिली। (इफिसियों १:१४) वे परमेश्वर के दत्तक पुत्र बनने के लिए ‘आत्मा से जन्मे’ थे। (यूहन्ना ३:६) इससे वे यीशु के भाई बने और इस प्रकार “मसीह के संगी वारिस” बने। (रोमियों ८:१६, १७) उनके ‘नये सिरे से जन्म’ लेने से अद्भुत प्रत्याशाओं का रास्ता खुल गया।
१८. नए सिरे से जन्म लेने से नई वाचा के लोगों को किन अद्भुत प्रत्याशाओं का अवसर मिलता है?
१८ नई वाचा की मध्यस्थता करते वक़्त, यीशु ने अपने अनुयायियों से एक और वाचा बाँधी और कहा: “मैं तुम्हारे साथ एक वाचा बांधता हूँ, ठीक जैसे मेरे पिता ने मेरे साथ एक वाचा बाँधी है, राज्य के लिए।” (लूका २२:२९, NW) राज्य की यह वाचा दानिय्येल ७:१३, १४, २२, २७ में लिखे गए उल्लेखनीय दर्शन की पूर्ति के लिए माहौल तैयार करती है। दानिय्येल ने “मनुष्य के सन्तान सा कोई” देखा जिसे “अति प्राचीन,” यानी यहोवा परमेश्वर द्वारा राजकीय अधिकार दिया जा रहा है। फिर दानिय्येल ने देखा कि ‘पवित्र लोग राज्याधिकारी’ हो गए। यीशु ही “मनुष्य के सन्तान सा” व्यक्ति है, जिसे १९१४ में यहोवा परमेश्वर से स्वर्गीय राज्य मिला। उसके आत्मा-अभिषिक्त शिष्य वे “पवित्र लोग” हैं जो उस राज्य में उसके साथ सहभागी हैं। (१ थिस्सलुनीकियों २:१२) कैसे?
१९, २०. (क) नई वाचा के लोगों के लिए, इब्राहीम से किए गए यहोवा के वादे की कौन-सी आख़िरी और शानदार पूर्ति होगी? (ख) किन सवालों पर ग़ौर करने की ज़रूरत है?
१९ उनकी मौत के बाद, इन अभिषिक्त जनों को यीशु की तरह मरे हुओं में से अमर आत्मिक प्राणियों के रूप में जिलाया जाता है ताकि यीशु के साथ स्वर्ग में राजा और याजकों के रूप में सेवा करें। (१ कुरिन्थियों १५:५०-५३; प्रकाशितवाक्य २०:४, ६) क्या ही बढ़िया आशा! “वे पृथ्वी पर राज्य करते हैं,” सिर्फ़ कनान देश पर नहीं। (प्रकाशितवाक्य ५:१०) क्या वे ‘अपने शत्रुओं के नगरों के अधिकारी’ होंगे? (उत्पत्ति २२:१७) जी हाँ, होंगे और एक निर्णायक तरीक़े से, जब वे बैरी धार्मिक वेश्या, महा बाबुल के विनाश को अपनी आँखों से देखते हैं और जब ये पुनरुत्थित अभिषिक्त जन “लोहे का राजदण्ड लिए” जातियों पर राज्य करने में अगुवाई लेने में और शैतान का सिर कुचलने में यीशु के साथ हो लेते हैं। इस तरह उत्पत्ति ३:१५ की भविष्यवाणी की आख़िरी बारीक़ी को पूरा करने में उनका एक भाग होगा।—प्रकाशितवाक्य २:२६, २७; १७:१४; १८:२०, २१; रोमियों १६:२०.
२० फिर भी, हम शायद पूछें, क्या इब्राहीमी वाचा में और नई वाचा में सिर्फ़ ये १,४४,००० वफ़ादार लोग ही शामिल हैं? जी नहीं, दूसरे लोग जो सीधे-सीधे इन वाचाओं में शामिल नहीं हैं, उनके द्वारा आशीष प्राप्त करेंगे, जैसे कि अगले लेख में देखा जाएगा।
[फुटनोट]
a वॉचटावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी द्वारा प्रकाशित शास्त्रवचनों पर अंतर्दृष्टि, खंड १, पृष्ठ ४७० (अंग्रेज़ी) देखिए।
क्या आपको याद है?
◻ नई वाचा को सबसे पहले कब काम करते हुए देखा गया?
◻ पुरानी वाचा के ज़रिए क्या निष्पन्न किया गया?
◻ मूलतः इब्राहीम का वंश कौन है और उस वंश के ज़रिए किस क्रम में जातियों को आशीष मिली?
◻ १,४४,००० के लिए, इब्राहीमी वाचा और नई वाचा की आख़िरी पूर्ति क्या है?
[पेज 15 पर तसवीर]
नई वाचा के तहत लोगों के लिए पापों की माफ़ी का अर्थ पुरानी वाचा के तहत लोगों के लिए उसके अर्थ से कहीं ज़्यादा है