करुणा करने में यहोवा की मिसाल पर चलिए
“यहोवा, यहोवा परमेश्वर दयालु और करुणा से भरा है।”—निर्ग. 34:6.
1. यहोवा ने खुद को मूसा पर प्रकट करते समय क्या बताया? यह बात क्यों गौर करने लायक है?
एक मौके पर मूसा जानना चाहता था कि यहोवा उसके साथ है या नहीं। (निर्ग. 33:13) तब यहोवा ने खुद को उस पर प्रकट किया और उसे अपना नाम और अपने गुण बताए। उसने सबसे पहले अपनी दया और करुणा का ज़िक्र किया। यह बात गौर करने लायक है क्योंकि अगर यहोवा चाहता तो मूसा को आश्वासन देने के लिए अपनी शक्ति और बुद्धि के बारे में बता सकता था। लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। (निर्गमन 34:5-7 पढ़िए।) क्या यह बात आपके दिल को नहीं छू जाती कि बाकी गुणों से पहले यहोवा ने अपनी दया और करुणा का ज़िक्र किया? इस लेख में हम करुणा के गुण पर चर्चा करेंगे। करुणा का मतलब है, दूसरों को तकलीफ या मुसीबत में देखकर उनके साथ हमदर्दी रखना और उनकी मदद करने की ज़बरदस्त इच्छा होना।
2, 3. (क) क्या बात दिखाती है कि इंसानों में करुणा होना स्वाभाविक है? (ख) बाइबल करुणा के बारे में जो बताती है, उसमें हमें क्यों दिलचस्पी लेनी चाहिए?
2 यहोवा करुणा से भरा है और इंसान उसकी छवि में बनाए गए हैं। तो यह स्वाभाविक है कि इंसान दूसरों की परवाह करें। जो लोग यहोवा को नहीं जानते उनमें भी अकसर करुणा का गुण होता है। (उत्प. 1:27) बाइबल में हमें इसकी कई मिसालें मिलती हैं। जैसे, एक मौके पर सुलैमान के सामने दो औरतें आयीं और दोनों ही एक बच्चे के बारे में दावा करने लगीं कि मैं उसकी असली माँ हूँ। इस पर सुलैमान ने क्या किया? उसने हुक्म दिया कि तलवार से बच्चे के दो टुकड़े कर दिए जाए। इस पर असली माँ के दिल में अपने बच्चे के लिए करुणा जाग उठी और उसने कहा, बच्चे को मत मारो, उसे इस औरत को दे दो। (1 राजा 3:23-27) एक और मिसाल लीजिए। जब फिरौन की बेटी को टोकरी में नन्हा मूसा मिला तो वह जानती थी कि यह एक इब्री का बच्चा है और उसे मार डाला जाना चाहिए। लेकिन “उसे लड़के पर तरस आया” और उसने सोच लिया कि वह उसे अपने बेटे की तरह पालेगी।—निर्ग. 2:5, 6.
3 बाइबल करुणा के बारे में जो बताती है, उसमें हमें क्यों दिलचस्पी लेनी चाहिए? क्योंकि यहोवा चाहता है कि हम उसकी मिसाल पर चलें। (इफि. 5:1) यह सच है कि करुणा का गुण हममें स्वाभाविक है लेकिन अपरिपूर्ण होने की वजह से हम कभी-कभी स्वार्थी बन जाते हैं। हमारे लिए यह फैसला करना आसान नहीं होता कि हम दूसरों की मदद करेंगे या अपने बारे में सोचेंगे। तो फिर, क्या बात हमें दूसरों की मदद करने के लिए उभारेगी? आइए जानें कि यहोवा ने और दूसरों ने कैसे करुणा की। फिर हम गौर करेंगे कि हम परमेश्वर की मिसाल पर कैसे चल सकते हैं और इससे हमें क्या फायदा होता है।
यहोवा—करुणा की सबसे बेहतरीन मिसाल
4. (क) यहोवा ने सदोम में अपने स्वर्गदूत क्यों भेजे? (ख) लूत की घटना से हम क्या सीखते हैं?
4 बाइबल में यहोवा की करुणा की ढेरों मिसालें दी गयी हैं। ज़रा सोचिए, उसने लूत के लिए क्या किया। लूत एक नेक इंसान था और सदोम और अमोरा के लोगों के निर्लज्ज कामों को देखकर “आहें भरता था।” वहाँ के लोग यहोवा का बिलकुल भी आदर नहीं करते थे इसलिए उसने फैसला किया कि वह उन्हें खत्म कर देगा। (2 पत. 2:7, 8) यहोवा ने लूत के पास अपने स्वर्गदूत भेजे और उससे कहा कि वह सदोम और अमोरा से निकल जाए क्योंकि वह उन शहरों का नाश करनेवाला है। लेकिन “जब लूत देर करने लगा तो यहोवा ने उस पर दया की और [स्वर्गदूत] उसका और उसकी पत्नी और दोनों बेटियों का हाथ पकड़कर शहर के बाहर ले गए।” (उत्प. 19:16) इस घटना से हम क्या सीखते हैं? यहोवा लूत के हालात को अच्छी तरह समझता था। हम यकीन रख सकते हैं कि वह हमारे हालात भी समझता है और जानता है कि हम किस मुश्किल से गुज़र रहे हैं।—यशा. 63:7-9; याकू. 5:11, फु.; 2 पत. 2:9.
5. यहोवा का वचन हमें करुणा के बारे में क्या सिखाता है?
5 यहोवा अपने लोगों को भी करुणा करना सिखाता है। इसराएलियों को दिए एक कानून पर गौर कीजिए। जब कोई किसी को उधार देता था तो वह गिरवी के रूप में उसके कपड़े अपने पास रख सकता था। (निर्गमन 22:26, 27 पढ़िए।) लेकिन सूरज ढलने से पहले उसे वह कपड़ा लौटाना होता था ताकि उधार लेनेवाले को रात में ठिठुरना न पड़े। एक कठोर इंसान शायद उधार लेनेवाले का कपड़ा वापस न करना चाहे। लेकिन यहोवा ने अपने लोगों को सिखाया था कि उन्हें बेरहम नहीं होना है पर दूसरों पर करुणा करनी है। यह नियम जिस सिद्धांत पर आधारित था, उस सिद्धांत से हम क्या सीखते हैं? यही कि मसीही भाई-बहनों को ज़रूरत में देखकर हमें अपनी आँखें नहीं मूँद लेनी चाहिए। उनकी तकलीफ दूर करने के लिए अगर हम कुछ कर सकते हैं तो हम ज़रूर करेंगे।—कुलु. 3:12; याकू. 2:15, 16; 1 यूहन्ना 3:17 पढ़िए।
6. यहोवा ने पाप करनेवाले इसराएलियों पर जो करुणा की, उससे हम क्या सीखते हैं?
6 जब इसराएलियों ने यहोवा के खिलाफ पाप किए, तब भी उसने उन पर करुणा की। बाइबल बताती है, “उनके पुरखों का परमेश्वर यहोवा अपने दूत भेजकर उन्हें खबरदार करता रहा, बार-बार आगाह करता रहा क्योंकि उसके दिल में अपने लोगों और निवास के लिए करुणा थी।” (2 इति. 36:15) हमारे दिल में भी उन लोगों के लिए करुणा होनी चाहिए जो यहोवा के बारे में सीखकर शायद पश्चाताप करें और उसके दोस्त बनें। यहोवा नहीं चाहता कि आनेवाले न्याय के दिन में किसी का भी नाश हो। (2 पत. 3:9) इसलिए जब तक वक्त है, हमें सभी को उस दिन के बारे में खबरदार करना चाहिए और ज़्यादा-से-ज़्यादा लोगों की मदद करनी चाहिए ताकि वे यहोवा की करुणा से फायदा पा सकें।
7, 8. एक परिवार को क्यों यकीन था कि यहोवा ने उन पर करुणा की?
7 आज यहोवा के कई सेवकों ने उसकी करुणा का अनुभव किया है। मिसाल के लिए, 1990 के दशक में बोस्निया में अलग-अलग जातियों के बीच लड़ाई और मारकाट मची थी। वहाँ मिलानa नाम का एक 12 साल का लड़का अपने परिवार के साथ रहता था। एक दिन वह अपने माँ-बाप, भाई और दूसरे साक्षियों के साथ बस में बोस्निया से सर्बिया जा रहा था। सर्बिया में एक अधिवेशन रखा गया था जिसमें मिलान के माँ-बाप का बपतिस्मा होनेवाला था। सरहद पर कुछ सैनिकों ने देखा कि मिलान का परिवार दूसरी जाति का है और उन्हें बस से उतार दिया। उन्होंने बाकी भाइयों को जाने दिया। दो दिन तक मिलान के परिवार को रिहा नहीं किया गया। आखिर में वहाँ के सेना अधिकारी ने अपने बड़े अफसर से संपर्क किया और उससे पूछा कि इस परिवार का क्या करें। मिलान का परिवार वहीं खड़ा था और उन्होंने बड़े अफसर को यह कहते सुना, “उन्हें ले जाकर गोली मार दो।”
8 सैनिक आपस में बात कर रहे थे कि तभी दो अजनबी उस परिवार के पास आए। उन्होंने धीमी आवाज़ में कहा, “घबराओ मत, हम भी साक्षी हैं। हमें बस पर सफर करनेवाले भाइयों ने आपके बारे में बताया है।” सरहद पर बच्चों के कागज़ों की जाँच नहीं की जाती थी, इसलिए उन साक्षियों ने मिलान और उसके भाई से कहा कि वे जाकर उनकी गाड़ी में बैठ जाएँ और वे उन्हें सरहद पार ले जाएँगे। फिर भाइयों ने मिलान के माँ-बाप से कहा कि वे सरहद की चौकी के पीछे से निकल जाएँ और सरहद के उस पार उनसे मिलें। मिलान इतना घबराया हुआ था कि वह समझ नहीं पा रहा था कि उसे खुश होना चाहिए या रोना चाहिए। उसके माँ-बाप ने भाइयों से पूछा, “आपको लगता है, वे हमें यूँ ही जाने देंगे?” लेकिन जब वे वहाँ से जाने लगे तो सैनिकों ने मानो उन्हें देखा ही नहीं। मिलान और उसका भाई सरहद के उस पार अपने माँ-बाप से मिले और वे अधिवेशन में गए। उन्हें पूरा यकीन था कि यहोवा ने उनकी प्रार्थनाओं का जवाब दिया! हम बाइबल से जानते हैं कि यहोवा हमेशा सीधे-सीधे अपने सेवकों की हिफाज़त नहीं करता। (प्रेषि. 7:58-60) लेकिन इस मामले में मिलान ने कहा, “मुझे लगा जैसे स्वर्गदूतों ने सैनिकों को अंधा कर दिया और यहोवा ने हमारी जान बचायी।”—भज. 97:10.
9. यीशु ने भीड़ को देखकर कैसा महसूस किया? (लेख की शुरूआत में दी तसवीर देखिए।)
9 करुणा का गुण दिखाने में यीशु ने एक बढ़िया मिसाल रखी। एक मौके पर वह लोगों को देखकर तड़प उठा क्योंकि वे “ऐसी भेड़ों की तरह थे जिनकी खाल खींच ली गयी हो और जिन्हें बिन चरवाहे के यहाँ-वहाँ भटकने के लिए छोड़ दिया गया हो।” फिर उसने क्या किया? “वह उन्हें बहुत-सी बातें सिखाने लगा।” (मत्ती 9:36; मरकुस 6:34 पढ़िए।) फरीसी यीशु से बिलकुल अलग थे। उनके दिल में लोगों के लिए ज़रा भी करुणा नहीं थी और वे उनकी कोई मदद नहीं करना चाहते थे। (मत्ती 12:9-14; 23:4; यूह. 7:49) यीशु की तरह क्या आपमें लोगों की मदद करने और उन्हें यहोवा के बारे में सिखाने की गहरी इच्छा है?
10, 11. क्या सभी हालात में करुणा करना सही होगा? समझाइए।
10 इसका यह मतलब नहीं कि सभी हालात में करुणा करना सही होगा। एक मौके पर राजा शाऊल ने अमालेकियों के राजा अगाग को ज़िंदा छोड़ दिया, जो इसराएलियों का दुश्मन था। शाऊल ने अमालेकियों की सबसे अच्छी और मोटी-ताज़ी भेड़-बकरियों को भी नहीं मारा। उसे लगा होगा कि ऐसा करके वह उन पर करुणा कर रहा है। मगर असल में वह यहोवा के खिलाफ गया क्योंकि परमेश्वर ने उससे कहा था कि वह सभी अमालेकियों और उनके जानवरों को मार डाले। आज्ञा न मानने की वजह से यहोवा ने शाऊल को राजा होने से ठुकरा दिया। (1 शमू. 15:3, 9, 15, फु.) यहोवा सच्चा न्यायी है। वह लोगों का दिल पढ़ सकता है और जानता है कि एक इंसान पर कब करुणा नहीं की जानी चाहिए। (विला. 2:17; यहे. 5:11) जल्द ही, वह उन लोगों को सज़ा देगा जो उसकी आज्ञा नहीं मानते। (2 थिस्स. 1:6-10) उस वक्त वह दुष्टों पर करुणा नहीं करेगा। उनका नाश करके वह दरअसल नेक लोगों पर करुणा करेगा और उन्हें बचाएगा।
11 बेशक हमें न्याय करने का काम नहीं सौंपा गया है इसलिए हम यह तय नहीं करेंगे कि कौन जीएगा और कौन मरेगा। इसके बजाय, आज हमसे जितना हो सके हम लोगों की मदद करेंगे ताकि वे यहोवा की करुणा से फायदा पा सकें। अब आइए देखें कि हम किन तरीकों से दूसरों पर करुणा कर सकते हैं।
हम किस तरह दूसरों पर करुणा कर सकते हैं?
12. हम दूसरों पर कैसे करुणा कर सकते हैं?
12 रोज़मर्रा की ज़िंदगी में दूसरों की मदद कीजिए। यहोवा चाहता है कि आप अपने पड़ोसियों और मसीही भाई-बहनों के साथ करुणा से पेश आएँ। (यूह. 13:34, 35; 1 पत. 3:8) करुणा का एक मतलब है, “दूसरों के साथ उनका दर्द सहना।” अगर एक इंसान में करुणा होगी तो वह दूसरों का दर्द दूर करने की कोशिश करेगा। इसलिए हर दिन दूसरों की मदद करने के मौके ढूँढ़िए, फिर चाहे आप उनके लिए छोटा-मोटा काम क्यों न करें।—मत्ती 7:12.
13. कुदरती आफतों के आने पर परमेश्वर के लोग क्या करते हैं?
13 राहत काम में हिस्सा लीजिए। जब लोग कुदरती आफतों के शिकार होते हैं, तो उन्हें तकलीफ में देखकर हमारा दिल करुणा से भर जाता है और हम उनकी मदद करना चाहते हैं। दुनिया-भर में यहोवा के साक्षी इसी तरह की मदद करने के लिए जाने जाते हैं। (1 पत. 2:17) मिसाल के लिए, जापान की एक बहन ऐसे इलाके में रहती थी जहाँ 2011 में भूकंप और सुनामी ने तबाही मचायी। जापान के अलग-अलग इलाकों और दूसरे देशों से स्वयंसेवक आए और उन्होंने घरों और राज-घरों की मरम्मत की। यह देखकर उसे “बहुत हौसला और दिलासा मिला।” उसने कहा, “इस घटना से मैंने जाना कि यहोवा को हमारी बहुत परवाह है। मैंने यह भी देखा कि भाई-बहनों को एक-दूसरे की कितनी फिक्र है। पूरी दुनिया में कई भाई-बहन हमारे लिए प्रार्थना भी कर रहे हैं।”
14. आप बीमारों और बुज़ुर्गों की मदद कैसे कर सकते हैं?
14 बीमारों और बुज़ुर्गों की मदद कीजिए। जब हम लोगों को बीमारी और बुढ़ापे से जूझते देखते हैं, तो हमें उन पर तरस आता है। हम दिल से चाहते हैं कि इन तकलीफों का अंत हो इसलिए हम प्रार्थना करते हैं कि परमेश्वर का राज जल्दी आए। लेकिन इस बीच हमसे जितना हो सकता है हम बीमारों और बुज़ुर्गों की मदद करते हैं। इसके एक उदाहरण पर गौर कीजिए। एक लेखक ने लिखा कि उसकी बुज़ुर्ग माँ के साथ एक दिन क्या हुआ जिसे एल्ज़ाइमर्स की बीमारी थी। उसे टॉयलेट जाना था पर वह खुद को रोक नहीं पायी और उसके कपड़े गंदे हो गए। वह खुद को साफ करने की कोशिश कर रही थी कि तभी दरवाज़े की घंटी बजी। दो साक्षी बहनें दरवाज़े पर थीं। वे अकसर लेखक की माँ से मिलने आती थीं। बहनों ने पूछा कि क्या वे उसकी कुछ मदद कर सकती हैं। उसने शर्मिंदा होते हुए कहा, “आपसे कैसे कहूँ। लेकिन हाँ, मेरी मदद कर दीजिए।” बहनों ने उसकी मदद की। फिर बहनों ने उसके लिए चाय बनायी और उसके साथ बैठकर बातचीत की। उसका बेटा इन बहनों का बहुत एहसानमंद था। उसने कहा कि साक्षी “जो सिखाते हैं उसके मुताबिक जीते भी हैं।” क्या बीमारों और बुज़ुर्गों को देखकर आपको तरस आता है और क्या आप उनकी मदद करने की पूरी-पूरी कोशिश करते हैं?—फिलि. 2:3, 4.
15. हमारे प्रचार काम से कैसे दूसरों को फायदा होता है?
15 यहोवा को जानने में लोगों की मदद कीजिए। ऐसा करने का सबसे बेहतरीन तरीका है, उन्हें परमेश्वर और उसके राज के बारे में सिखाना। हम यह समझने में भी उनकी मदद कर सकते हैं कि यहोवा के स्तरों के मुताबिक चलना क्यों फायदेमंद है। (यशा. 48:17, 18) हमारी प्रचार सेवा से हमें बढ़िया मौका मिलता है कि हम यहोवा का आदर करें और दूसरों पर करुणा करें। क्या आप प्रचार में और भी बढ़-चढ़कर हिस्सा ले सकते हैं?—1 तीमु. 2:3, 4.
करुणा करने से आपको भी फायदा होता है
16. करुणा करने से हमें क्या फायदे होते हैं?
16 मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि करुणा करने से हमारी सेहत अच्छी रहती है और दूसरों के साथ हमारा रिश्ता भी अच्छा होता है। जब हम दुखी लोगों की मदद करते हैं तो हम ज़्यादा खुश रह पाते हैं और उम्मीद के साथ जी पाते हैं। यही नहीं, हमें अकेलापन नहीं सताता और हमारा ध्यान निराश करनेवाली बातों पर नहीं जाता। सच, करुणा करने से हमें कितना फायदा होता है! (इफि. 4:31, 32) जब हम प्यार से दूसरों की मदद करते हैं, तो हमारा ज़मीर साफ रहता है क्योंकि हम जानते हैं कि हम वही कर रहे हैं जो यहोवा हमसे चाहता है। करुणा करने से हम अच्छे माँ-बाप, जीवन-साथी और अच्छे दोस्त बन पाते हैं। इसके अलावा, जो दूसरों पर करुणा करते हैं, ज़रूरत की घड़ी में दूसरे भी उनकी मदद करते हैं।—मत्ती 5:7; लूका 6:38 पढ़िए।
17. आप क्यों करुणा का गुण दिखाना चाहते हैं?
17 यह सच है कि करुणा करने से हमें फायदे होते हैं। लेकिन करुणा करने की सबसे अहम वजह है कि हम यहोवा की मिसाल पर चलना चाहते हैं और उसकी महिमा करना चाहते हैं। वह प्यार और करुणा का परमेश्वर है। (नीति. 14:31) उसने हमारे लिए सबसे बेहतरीन मिसाल रखी है। तो आइए हम यहोवा की मिसाल पर चलकर दूसरों पर करुणा करने की भरसक कोशिश करें। ऐसा करने से हम अपने भाई-बहनों के करीब आ पाएँगे और दूसरों के साथ अच्छा रिश्ता बना पाएँगे।—गला. 6:10; 1 यूह. 4:16.
a नाम बदल दिया गया है।