परमेश्वर की भलाई का आश्चर्यजनक विस्तार
परमेश्वर भला है! कितनी बार आपने इस अभिव्यक्ति को सुना है, या स्वंय इस्तेमाल भी किया है? लेकिन क्या आपने कभी अपने लिए परमेश्वर की भलाई के सम्पूर्ण क्षेत्र पर विचार किया है? इस प्रकार के मनन से, हम किस प्रकार के परमेश्वर की उपासना करते है उसके लिए हमारा मूल्यांकन और अधिक बढ़ता है।
परन्तु, पहले, हमें यह समझने की आवश्यकता है कि भलाई क्या है। यह सही है कि, भलाई, भला होने का गुण है, जो दुष्ट होने के विपरीत है। लेकिन भलाई इससे भी अधिक कुछ है। यह एक सक्रिय गुण है। एक भला व्यक्ति भलाई करता है। और परमेश्वर अपनी भलाई से हमारे लिए इतना कुछ करता है, कि हमारे दिल उसके लिए भर उठता हैं।
परमेश्वर की भलाई का विस्तृत क्षेत्र सीनै के जंगल में मूसा को कहे गए वचनों में देखा जा सकता है। वहाँ पर उन्होंने अपने वफ़ादार सेवक से प्रतिज्ञा की थी: “मैं तेरे सम्मुख होकर चलते हुए तुझे अपनी सारी भलाई दिखाऊँगा।” उस प्रतिज्ञा को पूरी करते हुए और अपने निज नाम का प्रयोग करते हुए, परमेश्वर आगे कहता है: “यहोवा, यहोवा ईश्वर दयालु और अनुग्रहकारी, कोप करने में धीरजवन्त और अति करूणामय और सत्य, हज़ारों पीढ़ियों तक निरन्तर करुणा करनेवाला, अधर्म और अपराध और पाप का क्षमा करनेवाला है, परन्तु दोशी को वह किसी प्रकार निर्दोष न ठहराएगा।”—निर्गमन ३३:१९; ३४:६, ७.
इसलिए, परमेश्वर की भलाई में, उसकी दया, उसका अनुग्रह, उसकी करुणा और उसका सत्य शामिल है। इसके अतिरिक्त, उसकी भलाई इस बात में देखी जाती है, कि वह “कोप करने में धीरजवन्त”, सहनशील है। इसका यह अर्थ नहीं है, कि वह एक अतिकृपालु पिता की तरह है, जो पाप को, बिना रोक लगाए सदा के लिए चलने देगा। पश्चातापहीन पापियों को “वह किसी प्रकार निर्दोष न ठहराएगा!” एक भला परमेश्वर दुष्टता को चलते ही रहने की अनुमति नहीं दे सकता।
परमेश्वर की भलाई की प्रचुरता
कुछ तरीके जिससे परमेश्वर ने अपनी भलाई को प्रदर्शित किया है उन्हें अब हम देखेंगे। सबसे पहले जब उसने पहले पृथ्वी की सृष्टि की थी, तो उसने मनुष्यों के साथ भलाई की। उसने मानव जीवन के लिए केवल प्रमुख आवश्यकताओं का प्रबन्ध ही नहीं किया। बल्कि, उसने हमारे ग्रह को बहुत अधिक संपन्न किया जिससे यहाँ जीना वास्तव में आनन्दायक हो सके। उसने खाने और पीने की बहुत सी विभिन्न वस्तुए दे हैं। उसने सम्मोहक विविधताओं वाले, पशुओं और पक्षियों की रचना की और उसने फूलों की सृष्टि की जिससे हमारे आसपास के स्थानों का रंग-रूप और निरवर सके। इसके अतिरिक्त, उसने बहुत से विभिन्न प्रकार के दृश्यों को बनाया जिसे देखने से कितना आनन्द मिलता है। क्यों, जब भी हम एक भव्य सूर्यास्त को देखते हैं या बादलों की भव्य रचना को देखते हैं तो हमें परमेश्वर की भलाई का प्रमाण देखने को मिलता है!
जब परमेश्वर ने पुरुष और स्त्री को सृष्टि की, तो उसकी भलाई फिर से देखी गयी। उसने आदम और हव्वा को सिद्ध, स्वस्थ शरीर दिए और उन्हें अदन के बाग में रखा। उसके बाद उन्होंने उन्हें एक उत्तेजक और चुनौती पूर्ण आज्ञा दी: “फलो फूलो और पृथ्वी को भर दो।” इस प्रकार से उन्होंने उनके सामने अपनी बहुत सी सन्तानों के साथ परादीस पृथ्वी पर अनन्त जीवन का आनन्द उठाने की प्रत्याशा रखी। (उत्पत्ति १:२६-२८; २:७-९) पहले मानव दम्पति के लिए कितना उत्कृष्ट विवाह उपहार!
आदम और हव्वा के विद्रोह करने पर भी परमेश्वर ने उन्हें पूरी तरह से छोड़ नहीं दिया। उस समय यदि वह उन्हें तत्काल मृत्यु की सज़ा देता तो वह वही करता जो न्यायपूर्ण था। फिर भी, वह अब पापी मानव जोड़े के प्रति भला रहा। उन्होंने उनको कुछ समय और रहने और संतान उत्पन्न करने की अनुमति दी।—उत्पत्ति ५:१-५.
इसके अतिरिक्त, परमेश्वर की भलाई, पतित मानव जाति के साथ तब से अब तक बनी रही है। जैसे राजा दाऊद ने कहा: “यहोवा सभों के लिए भला है, और उसकी दया उसकी सारा सृष्टि पर है।” (भजन संहिता १४५:९) वह प्रचुरता से प्रदान करता है ताकि मानव जीवन, उसकी सम्पति, पृथ्वी पर बना रहे। यीशु ने अपने समय के यहूदियों से कहा: “तुम्हारा स्वगीर्य पिता भलों और बुरों दोनों पर अपना सूर्य उदय करता है, और धर्मियों और अधर्मियों दोनों पर मेंह बरसाता है।” (मत्ती ५:४५) यदि कोई भूख या अभाव का कष्ट पाया जाता है, तो उसकी वजह यह नहीं है कि परमेश्वर मनुष्य के लिए प्रबन्ध करने में असफल रहा है। यह मनुष्यों के भ्रष्टाचार, क्रूरता और अयोग्यता का कारण है।
परमेश्वर, मनुष्यजाति को पृथ्वी के खनिज धन का शोषण करने की अनुमति भी देता है और उन्होंने तारागण युक्त आकाश तथा अन्य वस्तुओं की भौतिक बनावट की कुछ मात्रा में समझ को छिपा कर नहीं रखा। सच है, कि यहोवा मानवजाति के प्रति भला है, जबकि बहुत से मनुष्य घमण्ड से कहते हैं कि कोई परमेश्वर नहीं है, और दूसरे अपने स्वार्थ को पूरा करने के लिए उनकी भलाई का दुरुपयाग अपने संगी मनुष्यों पर अत्याचार करने की हद तक करते हैं।—भजन संहिता १४:१.
विश्वासियों के लिए परमेश्वर की भलाई
यदि, परमेश्वर, साधारणतः सारी मानवजाति के प्रति भला रहा है, तो विश्वासियों के साथ उसका व्यवहार, हृदय को सचमचु प्रसन्न कर देता है। आरम्भ में, जब आदम और हव्वा ने पहले विद्रोह किया तो परमेश्वर ने भविष्यवाणी की कि एक “वंश” प्रकट होगा जो अन्त में उनके पाप के सारे दुश्प्रभावों को दूर करेगा। (उत्पत्ति ३:१५) जैसे-जैसे समय बीतता गया, आदम के कई वंशजो ने असिद्ध होने पर भी वफ़ादारी से परमेश्वर की उपासना की, और इस आरम्भिक भविष्यद्वाणी ने उन्हें एक बेहतर भविष्य के लिए आशा दी। इन वफ़ादार उपासकों में से एक, इब्राहीम को, “परमेश्वर का मित्र” भी कहलाया गया।—याकूब २:२३.
परमेश्वर ने इब्राहीम से प्रतिज्ञा की, कि उसके वंशज कई राष्ट्रों में बढ़ जायेंगे और उसके संतानों की मुख्य वंशावली कनान देश की उत्तराधिकारी होगी। इसकी पूर्ति में, इस्राएली, इब्राहीम के वंशज आगे चलकर एक राष्ट्र के रूप में संगठित हो गए। (उत्पत्ति १७:३-८; निर्गमन १९:६) दुबारा, परमेश्वर इस नए राष्ट्र के प्रति भला था, उन्हे मिस्र की बंधुवाई से छुड़वाया, जंगल में उनकी सुरक्षा की, उनके लिए नियम संहिता और एक याजक की जाति का प्रबन्ध किया, और अन्त में उन्हें उत्तराधिकार के रूप में कनान की उपजाऊ भूमि दी।
अंत में, इस्राएल एक राज्य बन गया, और यहोवा ने उसके तीसरे मानवीय राजा, सुलैमान को यह आज्ञा दी कि वह यरूशलेम में उनकी उपासना के विश्व केन्द्र के रूप में एक मन्दिर बनाए। जब मंदिर बन गया, तो एक शानदार समर्पण समारोह और हर्षपूर्ण त्योहार मनाया गया। लेख बताता है, कि उसके बाद, इस्राएली, “राजा को धन्य, धन्य कहकर उस सब भलाई के कारण जो यहोवा ने की थी, आनन्दित और मगन होकर, अपने-अपने डेरे को चले गए।” (१ राजा ८:६६) अन्य कई अवसरों पर भी, परमेश्वर की भलाई के कारण इस्रएलियों का दिल भर आया।
लेकिन खेद की बात है, कि उन लोगों ने सदा एक ही सच्चे परमेश्वर के उपासक होने के अपने विशेषाधिकार का मूल्यांकन नहीं किया। आखिर में, इस्राएली, जातिय रूप से विश्वासघाती हो गए, और ६०७ सा.यु.पूर्व में यहोवा ने उन्हें बाबुल की बँधुवाई में ले जाने की अनुमति दे दी। जैसा परमेश्वर ने मूसा से कहा, वह अपने भले होने के कारण “दोशी को वह किसी प्रकार निर्दोष न ठहराएगा।”—निर्गमन ३४:७.
तथापि, ७० वर्षों के पश्चात परमेश्वर दया करके इस्राएलियों के शेष वफादार लोगों को वापस उनके देश में ले आया। ऐसा करने के लिए किस चीज़ ने उन्हें प्रेरणा दी? उनकी भलाई ने। यिर्मयाह ने भविष्यसूचक रूप से, इस्राएलियों की बाबुल से वापसी के विषय में लिखा: “वे निश्चय ही सिय्योन की चोटी पर आकर खुशी से जयजयकार करेंगे और यहोवा की भलाई के विषय में प्रफुल्लित होंगे।” भविष्यद्वक्ता ने आगे कहा: “‘मेरी भलाई से मेरी प्रजा सन्तुष्ट होगी’, यहोवा की यही वाणी है।”—यिर्मयाह ३१:१२, १४, न्यू.व.
अन्ततः, यीशु पृथ्वी पर आया और अदन में कही गयी उस भविष्यद्वाणी का “वंश” साबित हुआ। (उत्पत्ति ३:१५) बाइबल बताती है: “परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उसने अपना इकलौता पुत्र दे दिया ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे वह नाश न हो परन्तु अनन्त जीवन पाए।” (यूहन्ना ३:१६) यीशु की मृत्यु ने उस छुटकारे का प्रबन्ध किया जिससे मनुष्यों को पाप से, मोल लेकर निकाला जा सके और उन्हें पुनः सिद्धता प्राप्त हो सके। इस तरह से, आदम के पाप के बुरे प्रभाव पर अन्त में काबू कर लिया जाएगा। जैसा कि पौलुस ने रोमियों को लिखा: “क्योंकि जैसा एक मनुष्य के आज्ञा न मानने से बहुत लोग पापी ठहरे, वैसे ही एक मनुष्य की आज्ञा मानने से बहुत लोग धर्मी ठहरेंगे।” (रोमियों ५:१९) परमेश्वर की भलाई के शुक्रगुज़ार होकर, सही हृदय वाले मनुष्यों के पास अब अनन्त जीवन की आशा आ गयी थी। वे अब परमेश्वर के मित्र भी बन सकते हैं, जैसे इब्राहीम था।
आज भी, अपने उपासकों के साथ परमेश्वर भलाई करता है। वह उनकी समस्याओं को सुलझाने के लिए बाइबल द्वारा सलाह देता है। (भजन संहिता ११९:१०५) अपने धार्मिक स्तरों तक पहुँचने के लिए वह उन्हें अपनी आत्मा का मुफ़्त उपहार देता है। और वह अपने उद्देश्यों को प्रकट करता है ताकि सच्चे मसीही, इस पुराने संसार के नाश हो जाने के बाद, आनेवाले नए धार्मिक संसार की ओर उत्सुकता से देखें। (नीतिवचन ४:१८; २ पतरस ३:१३) मसीही इस बात से आश्वस्त है क्योंकि परमेश्वर ने अपनी भलाई से, अपने अचूक वचन में इसका प्रकटीकरण किया है।—२ तीमुथियुस ३:१६.
जी हाँ, परमेश्वर की भलाई पर विचार करने से निश्चय ही उसके लिए हम उत्साह से भर जाते हैं। लेकिन इससे एक प्रश्न भी उत्पन्न होता है:
परमेश्वर की भलाई से आप कितना लाभ प्राप्त करेंगे?
वास्तव में, आप जो भी है, आप परमेश्वर की भलाई से लाभ प्राप्त कर ही रहे है। आप साँस लेते हैं, आप खाते हैं, आप पीते हैं, आप जीवन का आनन्द लेते हैं—यह सब परमेश्वर के दिए उपहार हैं। लेकिन क्या आप, जितना अधिक सम्भव हो सके उतना लाभ प्राप्त कर रहे है? याद करें, आदम और हव्वा के पाप के बाद परमेश्वर की भलाई सीमित थी। इसी प्रकार, वह हमारे लिए भी अपनी दानशीलता को सीमित रखेगा, जब तक कि हम उसकी दया के प्रति सही प्रतिक्रिया नहीं दिखाएंगे। हम ऐसा कैसे कर सकते हैं?
भजनहारे ने प्रार्थना की: “मुझे भली विवेक-शक्ति और ज्ञान दे, क्योंकि मैनें तेरी आज्ञाओं का विश्वास किया है।” (भजन संहिंता ११९:६६) यही प्रार्थना हमारी भी होनी चाहिए। जैसा, परमेश्वर भला है, हमे भी उनकी तरह भला बनना सीखना चाहिए। पौलुस ने आग्रह किया: “बालकों की नाई परमेश्वर के सदृश्य बनो।”—इफिसियों ५:१.
ऐसा करने के लिए हमें सबसे पहले बाइबल का अध्ययन करना है जिससे यह जानें कि भलाई क्या है। फिर, इस गुण को विकसित करने के लिए परमेश्वर से सहायता माँगनी है। भलाई आत्मा का एक फल है, जो “प्रेम, आनन्द, मेल, धीरज, कृपा. . . विश्वास, नम्रता और संयम” के साथ जुड़ा है। (गलतियों ५:२२, २३) परमेश्वर की आत्मा पर भरोसा करके, परमेश्वर द्वारा प्रेरित बाइबल का अध्ययन करके, उससे सहायता के लिए प्रार्थना करके, और ऐसे मन वाले मसीहियों की संगति से हम इन सब गुणों को उत्पन्न कर सकते हैं।—भजन संहिता १:१-३; १ थिस्सलुनीकियों ५:१७; इब्रानियों १०:२४, २५.
बाइबल यह भी बताती है: “लोग तेरी भलाई का स्मरण करके उसकी चर्चा करेंगे, और तेरे धर्म का जयजयकार करेंगे।” (भजन संहिता १४५:७) जी हाँ, परमेश्वर हमसे यह उम्मीद करता है कि हम दूसरों को उसकी भलाई के बारे में बताएं। अपने स्वर्गीय पिता के बारे में हमें स्वतंत्रता से बातचीत करनी चाहिए।
अन्त में, हमें परमेश्वर की भलाई का अनुचित लाभ नहीं उठाना चाहिए। यह सच है, कि यहोवा पापियों को क्षमा करता है। राजा दाऊद एक अनुकूल उत्तर के लिए आश्वस्त था जब उसने प्रार्थना की: “हे यहोवा अपनी भलाई के कारण मेरी जवानी के पापों और मेरे अपराधों को स्मरण न कर; अपनी करूणाही के अनुसार तू मुझे स्मरण कर।” (भजन संहित २५:७) क्या इसका यह अर्थ है कि परमेश्वर की क्षमा करने की योग्यता की विश्वसनीय आशा रखकर, हम अपने आप को पाप करने की अनुमति देते रहेंगे? किसी भी हालत में नहीं। याद रखें, परमेश्वर की भलाई का अर्थ है कि अपश्चातापी पापियों को “वह किसी भी प्रकार निर्दोष न ठहराएगा।”
परमेश्वर की भलाई का आनन्द उठाना
यदि हम परमेश्वर की भलाई का पूरा अनुभव कर चुकते हैं, तो हम, उनके लिए कितनी सहृदयता से भर जाते हैं! हमें पौलुस की अच्छी सलाह, पर चलने के लिए उत्साहित किया जाता है: “ज्योति की सन्तान की नाई चलो, क्योंकि ज्योति का फल सब प्रकार की भलाई और धार्मिकता और सत्य है।”—इफ़िसियों ५:८, ९.
परमेश्वर की प्रेममय चिन्ता के प्रति हम प्रतिदिन जागरूक हैं। हम जानते हैं कि बहुत कठिन परिस्थितियों में भी वह अपने से प्रेम रखने वालों को छोड़ नही देता है। जी हाँ, हम भजनहारे के मन की चरम-शान्ति का अनुभव करते हैं: “निश्चय भलाई और करूणा जीवन भर मेरे साथ साथ बनी रहेगी; और मैं यहोवा के धाम में सर्वदा बास करुँगा।”—भजन संहिता २३:६.