“मैं जानती हूँ . . . वह ज़िंदा हो जाएगा”
“हमारा दोस्त लाज़र सो गया है, लेकिन मैं उसे जगाने वहाँ जा रहा हूँ।”—यूह. 11:11.
1. मारथा को किस बात पर पूरा यकीन था? (लेख की शुरूआत में दी तसवीर देखिए।)
मारथा यीशु के चेलों में से एक है, वह यीशु की करीबी दोस्त भी है। इस वक्त वह बहुत ही दुखी है क्योंकि उसका भाई लाज़र मर चुका है। दुख की इस घड़ी में यीशु उससे मिलने आया है। क्या कोई बात मारथा को अपना गम सहने में मदद दे सकती है? जी हाँ। यीशु उससे वादा करता है, “तेरा भाई ज़िंदा हो जाएगा।” बेशक इन शब्दों से उसका गम पूरी तरह दूर नहीं हुआ होगा। फिर भी उसे यीशु के वादे पर पूरा भरोसा है। इसलिए वह कहती है, “मैं जानती हूँ कि आखिरी दिन जब मरे हुओं को ज़िंदा किया जाएगा, तब वह ज़िंदा हो जाएगा।” (यूह. 11:20-24) मारथा को पूरा यकीन था कि भविष्य में मरे हुओं को ज़िंदा किया जाएगा। मगर फिर यीशु एक चमत्कार करता है। वह उसी दिन लाज़र को ज़िंदा कर देता है।
2. मारथा की तरह आपको भी किस बात पर पूरा यकीन है?
2 हम यह उम्मीद नहीं करते कि यीशु और उसका पिता आज कोई ऐसा चमत्कार करेंगे। लेकिन क्या मारथा की तरह आपको पूरा यकीन है कि भविष्य में आपके अपनों को दोबारा ज़िंदा किया जाएगा? हो सकता है, मौत ने आपकी पत्नी या आपके पति को आपसे छीन लिया हो। या फिर आपने अपने प्यारे माता-पिता, दादा-दादी या नाना-नानी को मरते देखा हो। या फिर आपके प्यारे बच्चे ने आपकी बाँहों में दम तोड़ा हो। आप ज़रूर अपने उन अज़ीज़ों से मिलने के लिए बेताब होंगे। उस वक्त आपकी खुशी का ठिकाना नहीं होगा जब आप उन्हें गले लगाएँगे, उनसे बातें करेंगे और उनके साथ हँसेंगे-खेलेंगे। बेशक मारथा की तरह आपके पास भी यह कहने की कई वजह हैं कि ‘मैं जानता हूँ कि जब मरे हुओं को ज़िंदा किया जाएगा, तब मेरे अज़ीज़ ज़िंदा होंगे।’ लेकिन अच्छा होगा कि हममें से हर मसीही उन वजहों पर गौर करे और सोचे कि हमें क्यों इस बात पर पक्का यकीन है।
3, 4. यीशु ने हाल ही में क्या किया था और इससे मारथा का यकीन कैसे बढ़ा?
3 मारथा यरूशलेम के पास रहती थी। इसलिए जब यीशु ने गलील के नाईन शहर में एक विधवा के बेटे को ज़िंदा किया, तो शायद उसने यह चमत्कार नहीं देखा होगा। लेकिन उसने इस बारे में सुना होगा। यही नहीं, उसने शायद यह भी सुना होगा कि यीशु ने याइर की बेटी को ज़िंदा किया था। याइर के घर में सब जानते थे कि “वह मर चुकी है।” फिर भी यीशु ने लड़की का हाथ पकड़कर कहा, “बच्ची, उठ!” और वह फौरन उठ बैठी। (लूका 7:11-17; 8:41, 42, 49-55) मारथा और उसकी बहन मरियम जानती थीं कि यीशु बीमारों को ठीक कर सकता है। इसलिए उन्हें लगा कि अगर यीशु यहाँ होता तो लाज़र नहीं मरता। लेकिन अब जबकि लाज़र मर चुका है, मारथा यीशु से क्या उम्मीद करती है? गौर कीजिए वह कहती है कि लाज़र “आखिरी दिन” यानी भविष्य में दोबारा ज़िंदा होगा। वह यह बात इतने यकीन के साथ क्यों कह सकी? आप क्यों यकीन कर सकते हैं कि भविष्य में मरे हुओं को ज़िंदा किया जाएगा और आपके अज़ीज़ भी ज़िंदा होंगे?
4 इस बात पर विश्वास करने की कई वजह हैं। अब हम इनमें से कुछ वजहों पर गौर करेंगे। आपको शायद बाइबल से ऐसी बातें मालूम पड़ेंगी जिनके बारे में आप आम तौर पर नहीं सोचते। लेकिन इनसे आपका विश्वास मज़बूत होगा कि आप अपने अज़ीज़ों से दोबारा मिल पाएँगे।
वे घटनाएँ जो हमें आशा देती हैं!
5. मारथा को क्यों भरोसा था कि लाज़र को ज़िंदा किया जाएगा?
5 ध्यान दीजिए कि मारथा ने यह नहीं कहा, ‘मैं आशा करती हूँ कि मेरा भाई ज़िंदा हो जाएगा।’ इसके बजाय, उसने कहा, “मैं जानती हूँ . . . वह ज़िंदा हो जाएगा।” मारथा को इतना भरोसा क्यों था? क्योंकि उसे पता था कि बीते ज़माने में मरे हुओं को ज़िंदा किया गया था। उसने यह बात बचपन से अपने घर में और सभा-घर में सीखी होगी। अब हम बाइबल से तीन घटनाओं पर गौर करेंगे जिनमें मरे हुओं को ज़िंदा किया गया था।
6. मारथा किस चमत्कार के बारे में जानती थी?
6 मरे हुओं को ज़िंदा करने की सबसे पहली घटना भविष्यवक्ता एलियाह के समय में घटी थी। उसे परमेश्वर ने चमत्कार करने की शक्ति दी थी। एक बार वह इसराएल के उत्तर में फीनीके के सारपत शहर गया जहाँ एक गरीब विधवा ने उसे खाने के लिए कुछ दिया। यहोवा ने इस विधवा के लिए एक चमत्कार किया। पूरे देश में अकाल पड़ा था, मगर उस विधवा का न तो आटा खत्म हुआ, न ही तेल। इस तरह उसकी और उसके बेटे की जान बची। (1 राजा 17:8-16) कुछ समय बाद, उसका बेटा बीमार हुआ और मर गया। इस बार भी एलियाह ने उसकी मदद की। उसने लड़के को छूकर यहोवा से प्रार्थना की, “परमेश्वर, इस बच्चे को दोबारा ज़िंदा कर दे” और ऐसा ही हुआ! यहोवा ने एलियाह की प्रार्थना सुनी और बच्चा ज़िंदा हो गया। बाइबल में दर्ज़ यह पहली घटना है जब किसी मरे हुए को ज़िंदा किया गया। (1 राजा 17:17-24 पढ़िए।) इसमें कोई शक नहीं कि मारथा इस अनोखी घटना के बारे में जानती होगी।
7, 8. (क) एलीशा ने उस औरत का दुख कैसे दूर किया? (ख) एलीशा के चमत्कार से यहोवा के बारे में क्या साबित हुआ?
7 दूसरी घटना भविष्यवक्ता एलीशा के समय में घटी थी। शूनेम नाम के शहर में एक इसराएली औरत रहती थी, जिसका कोई बच्चा नहीं था। वह औरत अकसर एलीशा की मेहमान-नवाज़ी करती थी। यह देखकर यहोवा खुश हुआ और उसने उस औरत और उसके बुज़ुर्ग पति को एक बेटा दिया। मगर कुछ साल बाद, वह बेटा मर गया। ज़रा सोचिए, उस माँ पर क्या बीती होगी! वह इतनी दुखी थी कि एलीशा को ढूँढ़ने के लिए 30 किलोमीटर दूर करमेल पहाड़ तक गयी। फिर एलीशा ने उसके बेटे को ज़िंदा करने के लिए अपने सेवक गेहजी को अपने आगे भेजा। लेकिन गेहजी उसे ज़िंदा नहीं कर पाया। फिर एलीशा और वह औरत घर पहुँचें।—2 राजा 4:8-31.
8 एलीशा अंदर गया जहाँ बेटे की लाश रखी थी और उसने प्रार्थना की। यहोवा ने उसकी प्रार्थना सुनी और लड़के को ज़िंदा कर दिया। अपने बच्चे को ज़िंदा देखकर माँ की खुशी का ठिकाना नहीं रहा! (2 राजा 4:32-37 पढ़िए।) शायद उसे हन्ना की प्रार्थना याद आयी होगी। हन्ना की कोई संतान नहीं थी। फिर यहोवा ने उसे एक बेटा दिया जिसका नाम शमूएल रखा गया। तब हन्ना ने यहोवा की तारीफ में कहा, “वही इंसान को नीचे कब्र में पहुँचाता है और जो कब्र में हैं उन्हें जी उठाता है।” (1 शमू. 2:6) यहोवा ने शूनेम की रहनेवाली उस औरत के बेटे को सचमुच जी उठाया और इस तरह उसने साबित किया कि उसके पास मरे हुओं को ज़िंदा करने की ताकत है।
9. बाइबल में मरे हुओं को ज़िंदा करने की कौन-सी तीसरी घटना दर्ज़ है?
9 तीसरी अनोखी घटना एलीशा की मौत के बाद घटी। उसने 50 से भी ज़्यादा साल भविष्यवक्ता का काम किया। फिर वह ‘बीमार हो गया जिस वजह से बाद में उसकी मौत हो गयी।’ एलीशा को मरे काफी समय हो चुका था और उसकी कब्र में सिर्फ उसकी हड्डियाँ रह गयी थीं। एक दिन कुछ इसराएली एक आदमी को दफनाने आए कि तभी उन्होंने दुश्मनों को आते देखा। जल्दी-जल्दी में उन्होंने लाश को एलीशा की कब्र में फेंक दिया और वहाँ से भाग गए। बाइबल बताती है, “वह लाश एलीशा की हड्डियों से जा लगी और वह आदमी ज़िंदा हो गया और अपने पैरों पर खड़ा हो गया।” (2 राजा 13:14, 20, 21) इन तीनों घटनाओं से मारथा को यकीन हुआ होगा कि परमेश्वर के पास मरे हुओं को ज़िंदा करने की ताकत है। क्या इन घटनाओं से आपका भी यकीन नहीं बढ़ता कि परमेश्वर मरे हुओं को ज़िंदा करने की अपार शक्ति रखता है?
प्रेषितों के समय में हुईं घटनाएँ
10. पतरस ने एक मसीही बहन के लिए क्या किया, जो मर चुकी थी?
10 मसीही यूनानी शास्त्र में भी कुछ घटनाएँ दर्ज़ हैं जिनमें परमेश्वर के सेवकों ने मरे हुओं को ज़िंदा किया था। इनमें से दो घटनाओं का ज़िक्र लेख की शुरूआत में किया गया है। यीशु ने नाईन शहर के पास एक जवान आदमी को और याइर के घर पर उसकी बेटी को ज़िंदा किया था। कुछ समय बाद, प्रेषित पतरस ने दोरकास नाम की एक बहन को ज़िंदा किया, जिसे तबीता भी बुलाया जाता था। पतरस उस कमरे में गया जहाँ तबीता की लाश रखी थी। उसने प्रार्थना की और कहा, “तबीता, उठ!” वह फौरन ज़िंदा हो गयी। पतरस ने उसे “जीती-जागती” दूसरे मसीहियों को सौंप दिया। इस घटना का क्या असर हुआ? बाइबल बताती है कि “बहुत-से लोग प्रभु में विश्वासी बन गए।” ये नए चेले यीशु के बारे में खुशखबरी सुनाने लगे और हर किसी को बताने लगे कि यहोवा मरे हुओं को ज़िंदा करने की ताकत रखता है।—प्रेषि. 9:36-42.
11. युतुखुस को देखकर वैद्य लूका को क्या पता चला और इस घटना का दूसरों पर क्या असर हुआ?
11 एक और घटना में कई लोग इस बात के चश्मदीद गवाह थे कि कैसे एक नौजवान को ज़िंदा किया गया। यह घटना त्रोआस में घटी थी जो आज तुर्की के उत्तर-पश्चिम में है। वहाँ ऊपर के एक कमरे में प्रेषित पौलुस भाइयों के साथ इकट्ठा हुआ और आधी रात तक भाषण देता रहा। युतुखुस नाम का एक नौजवान, खिड़की पर बैठा भाषण सुन रहा था। लेकिन वह गहरी नींद सो गया और तीसरी मंज़िल से नीचे गिर पड़ा। शायद लूका ही सबसे पहले युतुखुस के पास पहुँचा होगा। वैद्य होने की वजह से उसने उसे देखा और उसे पता चला कि युतुखुस बेहोश या घायल नहीं हुआ है बल्कि मर चुका है। इतने में पौलुस सीढ़ियों से नीचे आया। वह युतुखुस से लिपट गया और उसने भाइयों से कहा, “यह अब ज़िंदा हो गया है।” वहाँ मौजूद सभी लोगों पर इसका गहरा असर हुआ। उस नौजवान को ज़िंदा देखकर “उन्हें इतना दिलासा मिला कि उसका बयान नहीं किया जा सकता।”—प्रेषि. 20:7-12.
एक पक्की आशा
12, 13. जिन घटनाओं पर हमने गौर किया है, उनसे क्या सवाल उठते हैं?
12 अब तक हमने जिन घटनाओं पर गौर किया, उससे मारथा की तरह हमारा भी यकीन पक्का हुआ है। हमें पूरा भरोसा है कि यहोवा जिसने हमें जीवन दिया है, मरे हुओं को ज़िंदा करने की ताकत रखता है। दिलचस्पी की बात है कि हरेक घटना में एलियाह, यीशु या पतरस जैसे वफादार सेवक मौजूद थे और ये घटनाएँ उस दौर में घटी थीं जब चमत्कार होते थे। मगर जिस दौर में ऐसे चमत्कार नहीं होते थे, उस दौरान मरनेवालों के लिए क्या आशा थी? क्या वफादार सेवक यह उम्मीद करते थे कि परमेश्वर मरे हुओं को भविष्य में ज़िंदा करेगा? क्या उन्हें मारथा की तरह पूरा यकीन था जिसने कहा था, “मैं जानती हूँ कि आखिरी दिन जब मरे हुओं को ज़िंदा किया जाएगा, तब [मेरा भाई] ज़िंदा हो जाएगा”? मारथा को क्यों यकीन था कि भविष्य में ऐसा होगा? आप क्यों यकीन कर सकते हैं कि मरे हुए ज़िंदा किए जाएँगे?
13 परमेश्वर के वचन में ऐसे कई ब्यौरे हैं जो दिखाते हैं कि उसके वफादार सेवकों को यकीन था कि भविष्य में मरे हुओं को ज़िंदा किया जाएगा। आइए कुछ ब्यौरों पर ध्यान दें।
14. अब्राहम के ब्यौरे से हम मरे हुओं को ज़िंदा किए जाने के बारे में क्या सीखते हैं?
14 अब्राहम के ब्यौरे पर गौर कीजिए। यहोवा ने उससे कहा था, “अपने इकलौते बेटे इसहाक को ले जिससे तू बेहद प्यार करता है और सफर करके मोरिया देश जा। वहाँ एक पहाड़ पर, जो मैं तुझे बताऊँगा, इसहाक की होम-बलि चढ़ा।” (उत्प. 22:2) यह वही बेटा था जिसके लिए अब्राहम ने बरसों इंतज़ार किया था। ज़रा सोचिए, यहोवा की यह आज्ञा सुनकर अब्राहम को कैसा लगा होगा? यहोवा ने वादा किया था कि अब्राहम के वंश के ज़रिए ही सभी जातियाँ आशीष पाएँगी। (उत्प. 13:14-16; 18:18; रोमि. 4:17, 18) यहोवा ने यह भी कहा था कि वह वंश “इसहाक से आएगा।” (उत्प. 21:12) लेकिन अगर अब्राहम अपने बेटे की बलि चढ़ा देता, तो यह वादा कैसे पूरा होता? परमेश्वर की प्रेरणा से पौलुस समझाता है कि अब्राहम को यकीन था कि परमेश्वर उसके बेटे को मरे हुओं में से ज़िंदा करने के काबिल है। (इब्रानियों 11:17-19 पढ़िए।) मगर बाइबल नहीं बताती कि अब्राहम यह सोच रहा था कि परमेश्वर इसहाक को उसी घड़ी, उसी दिन या उसी हफ्ते ज़िंदा कर देगा। वह नहीं जानता था कि उसके बेटे को ठीक कब ज़िंदा किया जाएगा। मगर उसे पूरा भरोसा था कि यहोवा इसहाक को ज़रूर ज़िंदा करेगा।
15. वफादार सेवक अय्यूब क्या आस लगाए था?
15 वफादार सेवक अय्यूब भी यह आस लगाए था कि भविष्य में मरे हुओं को ज़िंदा किया जाएगा। वह जानता था कि अगर एक पेड़ को काट दिया जाए, तो उस पर फिर से कोपलें फूटेंगी और वह एक नए पौधे की तरह बन जाएगा। लेकिन एक इंसान के साथ ऐसा नहीं हो सकता। (अय्यू. 14:7-12; 19:25-27) अगर कोई इंसान मरता है, तो वह खुद-ब-खुद जीवित नहीं हो सकता। (2 शमू. 12:23; भज. 89:48) इसका यह मतलब नहीं कि परमेश्वर ऐसा नहीं कर सकता। दरअसल अय्यूब को यकीन था कि यहोवा उसे याद करेगा और ज़िंदा करेगा। (अय्यूब 14:13-15 पढ़िए।) मगर वह यह नहीं जानता था कि भविष्य में यहोवा कब ऐसा करेगा। फिर भी उसे भरोसा था कि जीवन देनेवाला न सिर्फ उसे याद रखने और ज़िंदा करने के काबिल है बल्कि वह ऐसा करेगा भी।
16. एक स्वर्गदूत ने कैसे दानियेल की हिम्मत बढ़ायी?
16 अब दानियेल के बारे में सोचिए। वह ज़िंदगी-भर यहोवा का वफादार बना रहा और यहोवा ने हमेशा उसका साथ दिया। इस वजह से एक मौके पर स्वर्गदूत ने उससे कहा कि तू “परमेश्वर के लिए बहुत अनमोल है।” उसने यह भी कहा, “तेरा भला हो” और “हिम्मत रख।”—दानि. 9:22, 23; 10:11, 18, 19.
17, 18. यहोवा ने दानियेल से क्या वादा किया?
17 जब दानियेल करीब 100 साल का हुआ और मरने पर था, तो उसके मन में शायद यह बात आयी होगी कि उसका क्या होगा। क्या दानियेल को उम्मीद थी कि उसे फिर से ज़िंदा किया जाएगा? बिलकुल! दानियेल की किताब के आखिर में परमेश्वर उससे वादा करता है, “जहाँ तक तेरी बात है, तू आखिर तक मज़बूत बना रह। तू आराम करेगा।” (दानि. 12:13) दानियेल जानता था कि ‘कब्र में न कोई सोच-विचार है, न ज्ञान, न ही बुद्धि है।’ वहाँ मरे हुए आराम कर रहे हैं और बहुत जल्द वह वहीं जानेवाला है। (सभो. 9:10) मगर दानियेल हमेशा के लिए वहाँ नहीं रहेगा। यहोवा ने उससे एक शानदार भविष्य का वादा किया था।
18 यहोवा के स्वर्गदूत ने उससे कहा, तू “वक्त आने पर अपना हिस्सा पाने के लिए उठ खड़ा होगा।” दानियेल ठीक-ठीक नहीं जानता था कि यह कब होगा। वह सिर्फ इतना जानता था कि मरने के बाद वह आराम करेगा। जब दानियेल ने यह वादा सुना कि तू “अपना हिस्सा पाने के लिए उठ खड़ा होगा,” तो वह समझ गया कि भविष्य में उसे फिर से ज़िंदा किया जाएगा और ऐसा “वक्त आने पर” होगा यानी उसके मरने के लंबे अरसे बाद। या जैसा हिंदी ईज़ी-टू-रीड वर्शन बाइबल बताती है, “अंत में तू अपना भाग प्राप्त करने के लिए मृत्यु से फिर उठ खड़ा होगा।”
19, 20. (क) हमने जिन घटनाओं पर गौर किया उनका मारथा की कही बात से क्या ताल्लुक है? (ख) अगले लेख में हम क्या चर्चा करेंगे?
19 ज़ाहिर है कि मारथा के पास यकीन करने की कई वजह थीं कि “आखिरी दिन जब मरे हुओं को ज़िंदा किया जाएगा, तब [लाज़र] ज़िंदा हो जाएगा।” जी हाँ, दानियेल से किया यहोवा का वादा और मारथा का मज़बूत विश्वास आज हमें भरोसा दिलाते हैं कि भविष्य में मरे हुए ज़िंदा होंगे।
20 इस लेख में हमने सीखा कि बीते ज़माने में जो मर गए थे, उनमें से कुछ लोगों को सच में ज़िंदा किया गया था। इससे साबित होता है कि मरे हुओं का ज़िंदा किया जाना मुमकिन है। हमने यह भी जाना कि परमेश्वर के वफादार सेवक इस बात की आस लगाए हुए थे कि भविष्य में मरे हुओं को ज़िंदा किया जाएगा। लेकिन क्या इस बात का कोई सबूत है कि किसी के ज़िंदा होने के बारे में बहुत पहले वादा किया गया था और वह वादा सचमुच पूरा हुआ? अगर हाँ, तो इससे हमारा यकीन और बढ़ जाएगा कि भविष्य में मरे हुए ज़रूर ज़िंदा किए जाएँगे। मगर यह कब होगा? अगले लेख में हम इस बारे में चर्चा करेंगे।