क्या हमेशा तक कायम रहनेवाला प्यार मुमकिन है?
“[प्यार की] लपटें तो आग की लपटे हैं, हां, यहोवा ही की लपटें हैं।”—श्रेष्ठ. 8:6, अ न्यू हिंदी ट्रांस्लेशन।
1, 2. श्रेष्ठगीत की किताब का अध्ययन करने से किन्हें फायदा हो सकता है? और क्यों? (लेख की शुरूआत में दी तसवीर देखिए।)
दूल्हा और दुल्हन एक-दूसरे की तरफ देखते हैं और प्यार से मुसकराते हैं। यह साफ ज़ाहिर है कि वे एक-दूसरे से बहुत प्यार करते हैं। थोड़ी देर बाद जब वे बाँहों में बाँहें डाले बड़े ही अदब से संगीत की धुन पर नाचना शुरू करते हैं, तो जिस प्राचीन ने अभी-अभी उनकी शादी का भाषण दिया था, वह मन-ही-मन सोचने लगता है: ‘वाह! इनकी जोड़ी क्या ही जँच रही है। कितना प्यार करते हैं ये दोनों एक-दूसरे से। मगर क्या सालों बाद भी इनका प्यार ऐसे ही बना रहेगा? जैसे-जैसे वक्त बीतेगा, क्या इनका प्यार और भी गहरा होगा, या धीरे-धीरे फीका पड़ता जाएगा?’ अगर पति-पत्नी के बीच सच्चा प्यार हो, तो वे मुश्किल-से-मुश्किल समस्याओं का भी मिलकर सामना कर सकते हैं। लेकिन क्योंकि तलाक की दर दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है, इसलिए यह सवाल मन में आना स्वाभाविक है कि ‘क्या प्यार वाकई हमेशा तक कायम रह सकता है?’
2 राजा सुलैमान के ज़माने में भी हालात ऐसे थे, जब सच्चा प्यार ढूँढ़ने पर भी नहीं मिलता था। उस वक्त की नैतिक हालत के बारे में समझाते हुए सुलैमान ने लिखा: “हज़ारों में कोई एक अच्छा पुरुष तो मुझे मिला भी किन्तु अच्छी स्त्री तो कोई एक भी नहीं मिली। एक बात . . . मुझे पता चली है। परमेश्वर ने तो लोगों को नेक ही बनाया था किन्तु लोगों ने बुराई के अनेकों रास्ते ढूँढ़ लिये।” (सभो. 7:26-29, हिंदी ईज़ी-टू-रीड वर्शन) उस वक्त बाल की उपासना करनेवाली परदेसी स्त्रियाँ इसराएलियों के बीच रह रही थीं। ये अनैतिक काम करनेवाली स्त्रियाँ थीं। उनकी संगति का इसराएलियों पर इतना बुरा असर पड़ा कि वे भी अनैतिक काम करने लगे। हालात इतने बुरे हो गए थे कि सुलैमान को नैतिक स्तरों पर चलनेवाला न तो पुरुष मिला, न स्त्री।a लेकिन इससे करीब 20 साल पहले, राजा सुलैमान ने एक कविता लिखी थी, जिसमें उसने बताया था कि एक स्त्री और पुरुष के बीच हमेशा तक कायम रहनेवाला प्यार सचमुच मुमकिन है। इस कविता को आज हम श्रेष्ठगीत के नाम से जानते हैं। यह कविता बहुत ही खूबसूरत तरीके से बताती है कि सच्चा प्यार किसे कहते हैं और इसे कैसे ज़ाहिर किया जा सकता है। चाहे हम शादीशुदा हों या अविवाहित, हम सभी बाइबल की इस किताब से सच्चे प्यार के बारे में बहुत कुछ सीख सकते हैं।
सच्चा प्यार मुमकिन है!
3. स्त्री और पुरुष के बीच हमेशा तक कायम रहनेवाला प्यार क्यों मुमकिन है?
3 श्रेष्ठगीत 8:6 पढ़िए। इस आयत में प्यार को ‘परमेश्वर की ज्वाला,’ या अ न्यू हिंदी ट्रांस्लेशन बाइबल के मुताबिक ‘यहोवा की लपटें’ बताया गया है। क्यों? क्योंकि यहोवा परमेश्वर ही इस सच्चे प्यार का स्रोत है। उसका सबसे खास गुण प्यार है और उसने हमें इस काबिल बनाया है कि हम उसकी तरह दूसरों को प्यार दिखा सकते हैं। (उत्प. 1:26, 27) पहले इंसान, आदम को बनाने के बाद जब यहोवा ने उसकी खूबसूरत पत्नी, हव्वा को उसके सामने पेश किया, तो आदम खुशी से फूला न समाया और उसकी तारीफ में कविता करने से खुद को रोक न सका। हव्वा भी खुद को अपने पति के बहुत ही करीब महसूस करने लगी। और क्यों न हो, आखिर उसे उसकी पसली से जो रचा गया था। (उत्प. 2:21-23) अगर यहोवा ने इंसानों को प्यार करने के काबिल बनाया है, तो बेशक स्त्री और पुरुष के बीच हमेशा तक कायम रहनेवाला प्यार मुमकिन है।
4, 5. श्रेष्ठगीत की कहानी का सारांश बताइए।
4 सच्चे प्यार में हमेशा तक कायम रहने के अलावा कुछ और खासियतें भी हैं। उनमें से कुछ खासियतें श्रेष्ठगीत की किताब में बहुत ही खूबसूरत ढंग से बयान की गयी हैं। यह गीत शूनेम, या शूलेम, गाँव की एक लड़की और एक चरवाहे के प्यार की दास्तान है। कहानी कुछ इस तरह है: एक दिन एक शूलेम्मिन लड़की अपने भाइयों की दाख की बारियों में काम कर रही थी। वहीं पास में राजा सुलैमान और उसके सिपाही डेरा डाले हुए थे। जैसे ही सुलैमान की नज़र लड़की पर पड़ी, वह उसकी खूबसूरती का कायल हो गया। उसने फौरन अपने सिपाहियों को हुक्म दिया कि उस लड़की को उसके सामने पेश किया जाए। जब उस लड़की को उसके सामने लाया गया, तो उसका दिल जीतने के लिए सुलैमान ने क्या नहीं किया। उसकी खूबसूरती पर तारीफ के फूल बरसाए, यहाँ तक कि उसे तोहफे देने का भी वादा किया। मगर लड़की टस से मस नहीं हुई, क्योंकि वह एक चरवाहे से प्यार करती थी। उसने साफ कह दिया कि वह अपने चरवाहे के पास जाना चाहती है। (श्रेष्ठ. 1:4-14) कुछ देर बाद चरवाहा उसे ढूँढ़ता हुआ राजा के डेरे में पहुँच गया। जब वे एक-दूसरे से मिले, तो उन्होंने बहुत ही खूबसूरत शब्दों में एक-दूसरे के लिए अपने प्यार का इज़हार किया।—श्रेष्ठ. 1:15-17.
5 जब सुलैमान यरूशलेम लौटा, तो वह लड़की को भी अपने साथ ले गया। चरवाहा भी इस लड़की के पीछे-पीछे यरूशलेम तक चला गया। (श्रेष्ठ. 4:1-5, 8, 9) लाख कोशिशों के बावजूद, सुलैमान लड़की का दिल नहीं जीत सका। (श्रेष्ठ. 6:4-7; 7:1-10) आखिरकार उसने लड़की को घर भेज दिया। कहानी के अंत में लड़की ने अपने मीत को आवाज़ लगायी और उससे कहा कि वह “जवान मृग” की तरह तेज़ी से दौड़कर उसके पास आए।—श्रेष्ठ. 8:14, अ न्यू हिंदी ट्रांस्लेशन।
6. श्रेष्ठगीत की किताब में यह पता लगाना क्यों मुश्किल है कि फलाँ बात कौन-सा किरदार बोल रहा है?
6 जैसे कि इस किताब के नाम से ही पता चलता है, यह गीत वाकई सब गीतों में श्रेष्ठ है। (श्रेष्ठ. 1:1) लेकिन इस गीत में सुलैमान ने यह नहीं बताया कि कौन-सी बात कौन-सा किरदार कह रहा है। क्यों? हो सकता है गीत की सुंदरता को बरकरार रखने के लिए उसने इसमें ये चीज़ें शामिल न की हों। हालाँकि इस गीत में किरदारों के नाम नहीं दिए गए हैं, लेकिन कही गयी बातों से पता लगाया जा सकता है कि वह बात कौन-सा किरदार बोल रहा है।b
“तेरा प्रेम दाखमधु से उत्तम है”
7, 8. चरवाहे और लड़की ने एक-दूसरे के लिए अपने “प्यार का इज़हार” कैसे किया? कुछ मिसालें दीजिए।
7 इस कविता में लड़की और चरवाहे ने बहुत ही खूबसूरत शब्दों में एक-दूसरे के लिए अपने “प्यार का इज़हार” किया है। (श्रेष्ठ. 1:2, एन.डब्ल्यू.) शायद इन्हें पढ़कर हमें थोड़ा अजीब लगे, क्योंकि यह आज से करीब 3,000 साल पहले लिखे गए थे। भले ही उनकी संस्कृति में प्यार ज़ाहिर करने का तरीका आज के ज़माने से बिलकुल अलग था, लेकिन उनके शब्दों से एक-दूसरे के लिए उनकी भावनाएँ पता चलती हैं। मिसाल के लिए, चरवाहे ने लड़की की आँखों की तुलना “कबूतरी” की आँखों से की। उसके कहने का मतलब था कि उसे उसकी प्यारी-सी आँखें बहुत पसंद थीं। (श्रेष्ठ. 1:15) और लड़की ने चरवाहे की आँखों की तुलना कबूतर की आँखों से नहीं, मगर कबूतरों से की। (श्रेष्ठगीत 5:12 पढ़िए।) उसे चरवाहे की आँखों में सफेदी से घिरी गाढ़ी पुतली ऐसी लग रही थी, मानो कोई कबूतर दूध में नहा रहा हो।
8 पूरी किताब में चरवाहा और लड़की बस एक-दूसरे की सुंदरता की तारीफ के पुल ही नहीं बाँधते रहे। गौर कीजिए कि चरवाहे ने लड़की के बात करने के तरीके के बारे में क्या कहा। (श्रेष्ठगीत 4:7, 11 पढ़िए।) उसने कहा: “हे मेरी दुल्हिन, तेरे होंठों से मधु टपकता है; तेरी जीभ के नीचे मधु और दूध रहता है।” लड़की की बातें इतनी मन को भानेवाली थीं कि चरवाहे ने उनकी तुलना दूध और मधु से की। जब चरवाहे ने अपनी प्रेमिका से कहा कि “तू सर्वांग सुन्दरी है” (हिंदी—आर.ओ.वी.) और “तुझ में कोई दोष नहीं,” तो वह सिर्फ उसकी खूबसूरती की नहीं, बल्कि उसके सभी खूबसूरत गुणों की तारीफ कर रहा था।
9. (क) पति-पत्नी के रिश्ते में प्यार के कौन-कौन-से पहलू शामिल होने चाहिए? (ख) यह क्यों ज़रूरी है कि पति-पत्नी एक-दूसरे को अपने प्यार का इज़हार करें?
9 आज यहोवा की सेवा करनेवाले पति-पत्नियों के लिए शादी महज़ दो लोगों के बीच किया गया कॉन्ट्रैक्ट नहीं, बल्कि उससे कहीं बढ़कर है। वे सच्चे दिल से एक-दूसरे से प्यार करते हैं और उसे जताते भी हैं। दरअसल, प्यार मसीही पति-पत्नियों के रिश्ते की पहचान है। लेकिन किस तरह का प्यार? बाइबल के सिद्धांतों पर आधारित प्यार? (1 यूह. 4:8) या वह प्यार जो रिश्तेदारों के बीच देखा जाता है? दो करीबी दोस्तों के बीच पाया जानेवाला प्यार? (यूह. 11:3) या रोमानी प्यार? (नीति. 5:15-20) असल में अगर देखा जाए, तो पति-पत्नी के रिश्ते में प्यार के ये सभी पहलू शामिल होने चाहिए। तभी उनका रिश्ता गहरा और अटूट हो सकता है। लेकिन सिर्फ दिल में प्यार होना काफी नहीं। उन्हें अपने कामों और अपनी बातों से इसे जताने की भी ज़रूरत है। तभी उनका घर प्यार का आशियाना कहलाएगा। कितना ज़रूरी है कि पति-पत्नी अपने रोज़मर्रा के कामों में इतने व्यस्त न हो जाएँ कि एक-दूसरे को प्यार का इज़हार करने से ही चूक जाएँ। कुछ संस्कृतियों में, जहाँ घर के बड़े-बुज़ुर्ग रिश्ता तय करते हैं, वहाँ शायद पति-पत्नी एक-दूसरे को शादी के दिन से पहले जानते भी न हों। ऐसे में क्या बात उन्हें अपने रिश्ते को मज़बूत और खुशहाल बनाने में मदद देगी? एक-दूसरे को अपनी बातों से अपने प्यार का एहसास दिलाना। जब वे ऐसा करेंगे, तो वे एक-दूसरे के और भी करीब आएँगे।
10. प्यार की मीठी यादें पति-पत्नी के रिश्ते पर कैसे असर कर सकती हैं?
10 जब पति-पत्नी एक-दूसरे को अपने प्यार का इज़हार करते हैं, तो इसका एक और फायदा होता है। वह क्या? इसका जवाब जानने के लिए एक बार फिर कहानी पर ध्यान दीजिए। राजा सुलैमान ने लड़की को “चान्दी के फूलदार सोने के आभूषण” देने का वादा किया। उसने उसकी खूबसूरती की तारीफ करते हुए कहा कि वह “सुन्दरता में चन्द्रमा, और निर्मलता में सूर्य” जैसी है। (श्रेष्ठ. 1:9-11; 6:10) लेकिन राजा की किसी भी बात से उसका दिल नहीं पिघला, क्योंकि वह चरवाहे से सच्चा प्यार करती थी। आखिर किस बात ने उसे अपने चरवाहे का वफादार बने रहने और अपनी जुदाई का गम सहने में मदद दी? वह खुद बताती है। (श्रेष्ठगीत 1:2, 3 पढ़िए।) चरवाहे के साथ बितायी मीठी यादों ने उसे तनहाई में सहारा दिया। चरवाहे का “प्रेम,” या उसके “प्यार का इज़हार” (एन.डब्ल्यू.) इस जुदाई के वक्त उसके लिए “दाखमधु से उत्तम” और सिर पर लगाए जानेवाले खुशबूदार तेल या “इत्र” के समान था। (भज. 23:5; 104:15) वाकई, जब पति-पत्नी एक-दूसरे को अपने प्यार का इज़हार करते हैं, तो उस प्यार की मीठी यादें उन्हें एक-दूसरे के वफादार बने रहने में मदद देती हैं और उनके रिश्ते को अटूट बनाती हैं। इसलिए कितना ज़रूरी है कि वे अकसर एक-दूसरे से अपने प्यार का इज़हार करते रहें।
जब तक प्यार अपने आप न जागे, उसे “न उसकाओ”
11. शूलेम्मिन ने राजमहल की स्त्रियों से जो कहा, उससे शादी का इरादा रखनेवाले मसीही जवान क्या सीख सकते हैं?
11 अगर आप शादी करने की सोच रहे हैं, तो आप शूलेम्मिन लड़की से क्या सीख सकते हैं? वह राजा सुलैमान को नहीं चाहती थी। इसलिए उसने राजमहल की स्त्रियों से साफ कह दिया: “जब तक प्रेम आप से न उठे, तब तक उसको न उसकाओ न जगाओ।” (श्रेष्ठ. 2:7; 3:5) क्यों? क्योंकि जो मिले उसे दिल दे बैठना सही नहीं। शादी करने का इरादा रखनेवाले मसीही जवान को सब्र रखना चाहिए और उसी व्यक्ति से शादी करनी चाहिए, जिससे वह सच्चे दिल से प्यार कर सके।
12. शूलेम्मिन लड़की चरवाहे से क्यों प्यार करती थी?
12 शूलेम्मिन लड़की चरवाहे से क्यों प्यार करती थी? हाँ, यह सच है कि चरवाहा “जवान मृग” की तरह बहुत सुंदर था; उसके हाथ “सोने के किवाड़” की तरह मज़बूत और उसकी टाँगें “संगमर्मर के खम्भे” जैसी सुंदर और मज़बूत थीं। लेकिन लड़की बस उसकी सुंदरता पर फिदा नहीं थी। हम यह कैसे कह सकते हैं? वह खुद यहोवा से प्यार करती थी और उसकी वफादार रहना चाहती थी। अगर ऐसी बात है, तो ज़ाहिर है वह किसी ऐसे लड़के को ही पसंद करती, जो यहोवा से प्यार करता हो। यही वजह है कि “जैसे सेब का वृक्ष जंगल के वृक्षों के बीच में” हो, वैसे ही उसके लिए उसका “प्रेमी जवानों के बीच में” था।—श्रेष्ठ. 2:3, 9; 5:14, 15.
13. चरवाहा शूलेम्मिन लड़की से क्यों प्यार करता था?
13 और चरवाहे के बारे में क्या? वह क्यों शूलेम्मिन लड़की से प्यार करता था? उसकी खूबसूरती की वजह से? हाँ, बेशक वह लड़की भी खूबसूरत थी, इतनी खूबसूरत कि राजा सुलैमान अपनी ‘साठ रानियों, अस्सी रखेलियों और असंख्य कुमारियों’ को छोड़ इस लड़की को अपना दिल दे बैठा था। लेकिन चरवाहे को उसमें जो बात ज़्यादा अच्छी लगी थी, वह थी उसकी नम्रता। मिसाल के लिए, उस लड़की ने खुद की तुलना “शारोन के केसर” (हिंदी ईज़ी-टू-रीड वर्शन) से की, जो कि एक बहुत ही मामूली-सा फूल था। उसे अपने हुस्न पर ज़रा-भी गुमान नहीं था। लेकिन चरवाहे की नज़र में वह ‘कटीले पेड़ों के बीच सोसन फूल’ की तरह खास थी, क्योंकि वह यहोवा की वफादार थी।—श्रेष्ठ. 2:1, 2; 6:8.
14. शादी का इरादा रखनेवाले मसीही, शूलेम्मिन लड़की और चरवाहे की मिसाल से क्या सीख सकते हैं?
14 यहोवा ने मसीहियों को आज्ञा दी है कि वे “सिर्फ प्रभु में” शादी करें। (1 कुरिं. 7:39) इसका मतलब है कि शादी का इरादा रखनेवालों को सिर्फ एक ऐसे व्यक्ति के साथ डेटिंग या शादी करनी चाहिए, जिसका बपतिस्मा हो चुका हो और जिसका यहोवा के साथ मज़बूत रिश्ता हो। क्यों? हम जानते हैं कि शादीशुदा ज़िंदगी में कई उतार-चढ़ाव आते हैं। ऐसे में अगर दोनों का यहोवा के साथ मज़बूत रिश्ता हो, तो वे मिलकर उनका सामना कर सकते हैं, जिससे उनके बीच शांति, खुशी और एकता बनी रह सकती है। इसलिए कितना ज़रूरी है कि अविवाहित मसीही ऐसे व्यक्ति की तलाश करें, जिसका पहले से ही यहोवा के साथ मज़बूत रिश्ता है। चरवाहे और शूलेम्मिन लड़की ने ठीक यही किया था।
मेरी दुल्हन “किवाड़ लगाई हुई बारी के समान” है
15. शूलेम्मिन लड़की की वफादारी शादी करने का इरादा रखनेवाले मसीहियों के लिए कैसे एक अच्छी मिसाल है?
15 श्रेष्ठगीत 4:12 पढ़िए। चरवाहे ने ऐसा क्यों कहा कि उसकी प्रेमिका “किवाड़ लगाई हुई बारी” या बगीचे जैसी थी? अगर एक बगीचे के दरवाज़े पर ताला लगा हो, तो वह सब के लिए खुला नहीं होता। वह लड़की उस बगीचे की तरह थी, क्योंकि वह सिर्फ अपने होनेवाले पति, यानी चरवाहे से प्यार करती थी। वह सिर्फ उसी से शादी करना चाहती थी, इसलिए वह ज़रा भी राजा की बातों में नहीं आयी और अपने फैसले पर डटी रही। वह “फाटक” की तरह नहीं थी, जिसे आसानी से खोला जा सके, बल्कि एक मज़बूत “शहरपनाह” की तरह थी। (श्रेष्ठ. 8:8-10) ठीक उसी तरह, अगर दो मसीही एक-दूसरे से शादी करने की सोच रहे हों, तो उन्हें अपने होनेवाले साथी को छोड़ किसी और के साथ रोमानी रिश्ता नहीं जोड़ना चाहिए।
16. श्रेष्ठगीत की किताब शादी से पहले की मुलाकातों के बारे में क्या सिखाती है?
16 जब चरवाहे ने लड़की से उसके साथ सैर पर चलने के लिए कहा, तो लड़की के भाइयों ने उसे जाने नहीं दिया। इसके बजाय, उन्होंने उसे अपनी दाख की बारियों की रखवाली करने भेज दिया। क्यों? क्या उन्हें अपनी बहन पर भरोसा नहीं था? क्या उन्होंने ऐसा सोचा कि उसके इरादे ठीक नहीं हैं? बिलकुल नहीं। दरअसल वे एहतियात बरत रहे थे, ताकि उनकी बहन के कदम बहक न जाएँ और वह कोई गलत काम न कर बैठे। (श्रेष्ठ. 1:6; 2:10-15) इससे अविवाहित मसीही एक ज़रूरी सबक सीख सकते हैं: शादी से पहले की मुलाकातों में अपने रिश्ते की पवित्रता को बनाए रखने के लिए ज़रूरी एहतियात बरतिए। कभी अपने होनेवाले साथी के साथ अकेले में वक्त मत बिताइए। ऐसे हालात से दूर रहिए, जहाँ आप पर गलत काम करने का दबाव आ सकता है। साथ ही, अपने प्यार का इज़हार कीजिए, मगर सही तरीके से।
17, 18. श्रेष्ठगीत की किताब का अध्ययन करने से आपको कैसे फायदा हुआ है?
17 आम तौर पर जब एक मसीही जोड़ा शादी करता है, तो उन्हें एक-दूसरे से बहुत प्यार होता है। और शादी का इंतज़ाम करनेवाला परमेश्वर यहोवा चाहता है कि उनका रिश्ता हमेशा तक कायम रहे। इसलिए ज़रूरी है कि वे अपने दिल में एक-दूसरे के लिए प्यार की लपटें कभी बुझने न दें और ऐसा माहौल बनाए रखें, जहाँ उनका प्यार बढ़ता ही जाए।—मर. 10:6-9.
18 अगर आप शादी करने की सोच रहे हैं, तो किसी ऐसे व्यक्ति को ढूँढ़िए जिसे आप सच्चे दिल से प्यार कर सकें। एक बार जब आपको ऐसा साथी मिल जाए, तो उसके बाद एक-दूसरे के लिए अपने दिल में प्यार की लपटें जलाए रखने और अपना प्यार मज़बूत करते रहने के लिए कड़ी मेहनत कीजिए। जैसा कि हमने श्रेष्ठगीत की किताब से सीखा, सच्चा और हमेशा तक कायम रहनेवाला प्यार मुमकिन है, क्योंकि यह “यहोवा ही की लपटें हैं।”—श्रेष्ठ. 8:6, अ न्यू हिंदी ट्रांस्लेशन।
a 15 जनवरी, 2007 की प्रहरीदुर्ग (अँग्रेज़ी) का पेज 31 और 1 दिसंबर, 1987 की प्रहरीदुर्ग का पेज 29 देखिए।
b न्यू वर्ल्ड ट्रांस्लेशन बाइबल के पेज 926-927 पर दिया श्रेष्ठगीत का “आउटलाइन ऑफ कन्टेंट्स” देखिए।