यहोवा का वचन जीवित है
यशायाह किताब की झलकियाँ—I
“मैं किस को भेजूं, और हमारी ओर से कौन जाएगा?” यहोवा परमेश्वर के इस न्यौते का जवाब आमोस के पुत्र, यशायाह ने यूँ दिया: “मैं यहां हूं! मुझे भेज।” (यशायाह 1:1; 6:8) उसी वक्त यशायाह को भविष्यवक्ता ठहराया जाता है। उसके सभी कामों का ब्यौरा, बाइबल में उसके नाम की किताब में दर्ज़ है।
यशायाह की किताब को खुद यशायाह ने लिखा था। इसमें कुल मिलाकर 46 साल का, यानी सा.यु.पू. 778 से लेकर 732 के कुछ समय बाद तक का इतिहास दर्ज़ है। यशायाह की किताब में यहूदा, इस्राएल और उसके आस-पास की जातियों के न्यायदंड के बारे में लिखा है। मगर इस किताब का मुख्य विषय न्यायदंड नहीं बल्कि ‘यहोवा परमेश्वर से उद्धार’ है। (यशायाह 25:9) दरअसल, यशायाह नाम का मतलब है “यहोवा की ओर से उद्धार।” इस लेख में यशायाह 1:1–35:10 की झलकियों पर चर्चा की जाएगी।
‘बचे हुए लोग फिरेंगे’
यशायाह किताब के पहले पाँच अध्यायों में जो संदेश दिया गया है, उसे यशायाह ने भविष्यवक्ता ठहराए जाने से पहले सुनाया था या बाद में, इस बारे में बाइबल कुछ नहीं बताती। (यशायाह 6:6-9) मगर हाँ, इन अध्यायों से एक बात साफ समझ में आती है, वह है कि यहूदा और यरूशलेम, “नख से सिर तक” आध्यात्मिक मायने में बीमार है। (यशायाह 1:6) हर कहीं मूर्तिपूजा हो रही है। अगुवे भ्रष्ट हो चुके हैं। स्त्रियाँ घमंडी बन गयी हैं। लोग सच्चे परमेश्वर की उपासना उस तरीके से नहीं कर रहे हैं, जिसे वह मंजूर करता है। ऐसे माहौल में, यशायाह को यह ज़िम्मेदारी सौंपी गयी है कि वह जाकर उन लोगों को संदेश ‘सुनाता रहे’ जो न तो समझते हैं और ना ही बूझना चाहते हैं।
यहूदा देश पर खतरे की तलवार लटक रही है। इस्राएल और अराम की सेनाएँ एकजुट होकर उस पर हमला करने के लिए तैयार हैं। यहोवा, यशायाह और उसके बच्चों को “चिन्ह और चमत्कार” के तौर पर इस्तेमाल करके यहूदा को यकीन दिलाता है कि इस्राएल और अराम के बीच की संधि कामयाब नहीं होगी। (यशायाह 8:18) पर हमेशा की शांति, सिर्फ ‘शान्ति के शासक’ (नयी हिन्दी बाइबिल) की हुकूमत के ज़रिए ही आएगी। (यशायाह 9:6, 7) यहोवा, अश्शूर का भी न्याय करेगा, जिस जाति को वह अपने ‘क्रोध के लठ’ की तरह इस्तेमाल करता है। यहूदा के लोग आखिरकार बंधुआई में जाएँगे, मगर उनमें से ‘बचे हुए लोग फिरेंगे।’ (यशायाह 10:5, 21, 22) लाक्षणिक “अंकुर” जो ‘यिशै के ठूंठ में से फूट निकलेगा,’ उसकी हुकूमत में चारों तरफ सच्चा न्याय होगा।—यशायाह 11:1, NHT.
बाइबल सवालों के जवाब पाना:
1:8, 9—सिय्योन की बेटी कैसे ‘दाख की बारी में की झोपड़ी की नाईं छोड़ दी गई है, वा ककड़ी के खेत में की छपरिया के समान अकेली खड़ी है’? इसका मतलब यह है कि जब अश्शूर की सेना चढ़ाई करेगी, उस वक्त यरूशलेम इतना कमज़ोर दिखायी देगा जैसे दाख की बारी में बनी झोपड़ी या ककड़ी के खेत में बना छप्पर दिखायी देता है, जो कभी-भी गिर सकता है। लेकिन यहोवा उसकी मदद करने आएगा और सदोम और अमोरा के नगरों की तरह उसे भस्म होने नहीं देगा।
1:18 (NW)—“अब आओ, लोगो, हम आपस में मामलों को सुलझा लें।” इन शब्दों का क्या मतलब है? यहाँ बराबर दर्जे के दो लोगों के बीच होनेवाले लेन-देन या समझौते की बातचीत नहीं की गयी है। इसके बजाय, इस आयत में एक अदालती कार्रवाई के बारे में बताया गया है जिसमें धर्मी न्यायी यहोवा, इस्राएल को बदलने और उन्हें अपने आपको शुद्ध करने का मौका दे रहा है।
6:8क—इस आयत में “मैं” और “हमारी” किसके लिए इस्तेमाल किए गए हैं? “मैं” का इस्तेमाल यहोवा के लिए किया गया है। और बहुवचन “हमारी” का इस्तेमाल बताता है कि यहोवा के साथ एक और शख्स मौजूद है। यह शख्स कोई और नहीं बल्कि उसका ‘एकलौता पुत्र’ है।—यूहन्ना 1:14; 3:16.
6:11—जब यशायाह ने पूछा कि “हे प्रभु कब तक?” तो उसका क्या मतलब था? यशायाह ने यह सवाल इसलिए नहीं पूछा कि उसे कब तक अक्खड़ लोगों को प्रचार करते रहना होगा। इसके बजाय वह जानना चाहता था कि लोगों की बुरी आध्यात्मिक दशा की वजह से कब तक परमेश्वर के नाम की निंदा होती रहेगी।
7:3, 4—यहोवा ने दुष्ट राजा आहाज से उद्धार का वादा क्यों किया? अराम और इस्राएल के राजा, यहूदा के राजा आहाज को राजगद्दी से हटाकर “ताबेल के पुत्र” को राजा बनाना चाहते थे, जो उनके हाथों की कठपुतली होता। लेकिन ताबेल, दाऊद के वंश से नहीं था। दरअसल, यह शैतान की एक साज़िश थी। क्योंकि यहोवा ने दाऊद के साथ राज्य की वाचा बाँधी थी और शैतान इस वाचा को लागू होने से रोकना चाहता था। इसलिए यहोवा ने आहाज को उद्धार देने का वादा किया ताकि “शान्ति का शासक” जिस वंश से आनेवाला था, वह बरकरार रहे।—यशायाह 9:6, नयी हिन्दी बाइबिल।
7:8 (NHT)—एप्रैम का “बल” कैसे 65 साल के अंदर ही ‘टूट गया’? यशायाह के इस भविष्यवाणी करने के कुछ ही वक्त बाद, “इस्राएल के राजा पेकह के दिनों” से अश्शूरी लोग दस गोत्रवाले इस्राएल राज्य के लोगों को बंधुआ बनाकर अपने देश ले जाने लगे। साथ ही, उनके देश में परदेशियों को बसाने लगे। (2 राजा 15:29) ऐसा करना अराम के राजा सन्हेरीब की मौत के बाद, उसके बेटे और वारिस एसर्हद्दोन की हुकूमत तक जारी रहा। (2 राजा 17:6; एज्रा 4:1, 2; यशायाह 37:37, 38) इस तरह सामरिया से लोगों को ले जाने और वहाँ दूसरों को बसाने का सिलसिला 65 साल तक चलता रहा, ठीक जैसे यशायाह 7:9 में बताया गया है।
11:1,10 (NHT)—ऐसा कैसे हो सकता है कि यीशु मसीह ‘यिशै के ठूंठ में से निकला अंकुर’ होने के साथ-साथ ‘उसकी जड़’ भी था? (रोमियों 15:12) यीशु “यिशै के ठूंठ में से” निकला था यानी वह यिशै के पुत्र दाऊद के वंश से था। (मत्ती 1:1-6; लूका 3:23-32) लेकिन राजा ठहराए जाने के बाद, अपने पूर्वजों के साथ उसका रिश्ता बदल गया। यीशु को आज्ञाकारी इंसानों को हमेशा की ज़िंदगी देने की ताकत और अधिकार दिया गया है। इसी बिना पर वह उनका “अनन्तकाल का पिता” बन गया है। (यशायाह 9:6) इसलिए यीशु, यिशै और बाकी पूर्वजों की “जड़” भी साबित हुआ।
हमारे लिए सबक:
1:3. हमारा सिरजनहार हमसे जो चाहता है, उसके मुताबिक जीने से इनकार करना ऐसा है मानो हम बैल या गधे जैसे नासमझ जानवर से भी गए-गुज़रे हैं। दूसरी तरफ, अगर हम यहोवा के तमाम एहसानों के लिए कदरदानी बढ़ाएँगे, तो हम नासमझी के काम करने से दूर रहेंगे और यहोवा को कभी नहीं छोडेंगे।
1:11-13. जब लोग बस दिखावे के लिए धार्मिक रीति-रस्मों को मानते हैं और सिर्फ खानापूर्ति के लिए प्रार्थना करते हैं, तो यहोवा उकता जाता है। इसलिए हमें दिल से प्रार्थना करनी चाहिए और सही इरादे के साथ काम करना चाहिए।
1:25-27; 2:2; 4:2, 3. जब पछतावा दिखानेवाले शेष जन वापस यरूशलेम लौटते हैं और सच्ची उपासना बहाल की जाती है, तो यहूदा के उजाड़े जाने और गुलामी के दिन खत्म होते हैं। इससे पता चलता है कि यहोवा पश्चाताप करनेवालों पर दया करता है।
2:2-4. जब हम सभी पूरे जोश के साथ राज्य का प्रचार और चेले बनाने के काम में हिस्सा लेते हैं, तो हम अलग-अलग देशों के लोगों को शांति की राह पर चलने और उन्हें दूसरों के साथ शांति से जीना सिखा रहे होते हैं।
4:4. यहोवा नैतिक गंदगी और खून के दोष को धो डालेगा, यानी वह उन्हें मिटा देगा।
5:11-13. मनोरंजन का चुनाव करते वक्त संयम से काम न लेना और अपनी भावनाओं पर काबू न रखना, ज्ञान के मुताबिक काम करने से इनकार करना है।—रोमियों 13:13.
5:21-23. मसीही प्राचीनों या अध्यक्षों को “अपनी दृष्टि में ज्ञानी” बनने से दूर रहना चाहिए। उन्हें “दाखमधु पीने में” संयम बरतना चाहिए, साथ ही पक्षपात करने से भी परे रहना चाहिए।
11:3क. यीशु की मिसाल और उसकी शिक्षाएँ दिखाती हैं कि परमेश्वर का भय मानने से खुशी मिलती है।
“यहोवा याकूब पर दया करेगा”
अध्याय 13 से 23 में अलग-अलग जातियों के खिलाफ सुनाए गए न्यायदंड दर्ज़ हैं। मगर इस्राएल के सभी गोत्रों को अपने वतन लौटने की इजाज़त देकर “यहोवा याकूब पर दया करेगा।” (यशायाह 14:1) अध्याय 24 से 27 यहूदा के उजाड़े जाने के संदेश के बारे में बताते हैं, साथ ही इनमें उसकी बहाली का भी वादा किया गया है। यहोवा का क्रोध “एप्रैम [इस्राएल] के मतवालों” पर भड़क उठता है क्योंकि उन्होंने अराम देश के साथ संधि की है। और यहूदा के ‘याजकों और नबियों’ पर भी उसका क्रोध भड़कता है, क्योंकि उन्होंने अश्शूरियों की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया है। (यशायाह 28:1, 7) “अरीएल [यरूशलेम]” पर हाय कहा जाता है क्योंकि उसने सुरक्षा के लिए “मिस्र की छाया में शरण” ली है। (यशायाह 29:1; 30:1, 2) मगर साथ ही, यह भविष्यवाणी की जाती है कि जो यहोवा पर अपना विश्वास रखते हैं, उनका उद्धार होगा।
जिस तरह ‘जवान सिंह अपने शिकार पर गुर्राता है’ यानी उसकी रखवाली करता है, वैसे ही यहोवा “सिय्योन पर्वत” की हिफाज़त करेगा। (यशायाह 31:4, NHT) इसके साथ ही, वह एक वादा भी करता है: “देखो, एक राजा धार्मिकता से राज्य करेगा।” (यशायाह 32:1, NHT) हालाँकि यहूदा की तरफ बढ़ती अश्शूरियों की सेना को देखकर “संधि के दूत” डर के मारे बिलख-बिलखकर रोते हैं, मगर यहोवा अपने लोगों से वादा करता है कि “उनका अधर्म क्षमा किया जाएगा” और वे चंगे किए जाएँगे। (यशायाह 33:7, 22-24) “यहोवा सब जातियों पर क्रोध कर रहा है, और उनकी सारी सेना पर उसकी जलजलाहट भड़की हुई है।” (यशायाह 34:2) यहूदा हमेशा तक उजाड़ पड़ा नहीं रहेगा। “जंगल और निर्जल देश प्रफुल्लित होंगे, मरुभूमि मगन होकर केसर की नाईं फूलेगी।”—यशायाह 35:1.
बाइबल सवालों के जवाब पाना:
13:17—किस मायने में मादियों को न तो चान्दी की परवाह और न ही सोने का लालच था? मादी-फारसी की नज़र में जीत से मिलनेवाली शोहरत, चाँदी-सोने से ज़्यादा अहमियत रखती थी। कुस्रू के मामले में यह बात सच साबित हुई। उसने जब इस्राएलियों को बाबुल की बंधुआई से आज़ाद किया तो उन्हें सोने और चाँदी के ऐसे पात्र लौटा दिए जिन्हें नबूकदनेस्सर यरूशलेम के मंदिर से लूटकर ले आया था।
14:1, 2—यहोवा के लोग कैसे “बंधुआई में ले जानेवालों को बंधुआ करेंगे” और “जो उन पर अत्याचार करते थे उन पर शासन करेंगे”? यह बात परमेश्वर के कुछ लोगों के बारे में सच निकली। जैसे, दानिय्येल जिसे मादियों और फारसियों के राज में बाबुल में एक ऊँचे ओहदे पर नियुक्त किया गया था; एस्तेर जो फारस के राजा की रानी बनी; और मोर्दकै जिसे फारसी साम्राज्य का प्रधान मंत्री बनाया गया।
20:2-5—क्या यशायाह वाकई तीन साल तक नंगा घूम रहा था? जी नहीं। ऐसा लगता है कि यशायाह सिर्फ अपना बाहरी वस्त्र या चोगा उतारकर कम कपड़ों में घूम रहा था।
21:1 (NHT)—बाबुल को ‘समुद्री तट का निर्जन प्रदेश’ क्यों कहा गया? हालाँकि बाबुल, समुद्र से काफी दूर था मगर फिर भी इसे ‘समुद्री तट का निर्जन प्रदेश’ कहा गया। क्योंकि हर साल फरात और टिग्रिस नदी में बाढ़ आने की वजह से चारों तरफ की ज़मीन दलदल जैसी बन जाती थी मानो कीचड़ का ‘समुद्र’ हो।
24:13-16 (NHT)—“जैतून का वृक्ष झाड़ने के समय व अंगूर की फसल तोड़ लेने के पश्चात् कुछ ही शेष रह जाता है,” यह बात यहूदियों पर कैसे लागू हुई? जैसे कटनी के बाद दाखलता पर या पेड़ पर थोड़े फल रह जाते हैं, उसी तरह यरूशलेम और यहूदा पर आनेवाले विनाश से कुछ ही लोग बचेंगे। वे चाहे तित्तर-बित्तर होकर कहीं भी क्यों न चले जाएँ, “पूर्व” (यानी सूर्योदय) के देश बाबुल में या “समुद्र के तटीय देश” यानी भूमध्य सागर के द्वीपों में, वे परमेश्वर की महिमा करेंगे।
24:21—“आकाश की सेना” और ‘पृथ्वी के राजा’ कौन हैं? “आकाश की सेना” का मतलब है दुष्टता की आत्मिक सेनाएँ। तो फिर, ‘पृथ्वी के राजा’ दुनिया के शासक हैं जिन पर दुष्टात्माओं का ज़बरदस्त असर है।—1 यूहन्ना 5:19.
25:7—“जो पर्दा सब देशों के लोगों पर पड़ा है, जो घूंघट सब अन्यजातियों पर लटका हुआ है,” वह क्या है? यहाँ इंसान के दो बड़े दुश्मनों, पाप और मौत के बारे में बताया गया है।
हमारे लिए सबक:
13:20-22; 14:22, 23; 21:1-9. यहोवा की भविष्यवाणी का वचन हमेशा पूरा होता है, ठीक जैसे बाबुल के बारे में पूरा हुआ था।
17:7, 8. हालाँकि इस्राएल में ज़्यादातर लोगों ने यहोवा की बात नहीं सुनी मगर कुछ ने उसकी ओर दृष्टि की यानी उसकी चेतावनी पर ध्यान दिया। उसी तरह, आज ईसाईजगत के कुछ लोग राज्य के संदेश को कबूल करते हैं।
28:1-6. इस्राएल, अश्शूर के हाथ में आ गिरेगा। लेकिन यहोवा अपने वफादार लोगों को ज़रूर बचाएगा। यहोवा जब भी न्यायदंड लाता है, तो धर्मियों को छुटकारे की आशा ज़रूर देता है।
28:23-29. यहोवा सच्चे मन के लोगों को उनकी ज़रूरत और हालात के हिसाब से सुधारता है।
30:15, NHT. यहोवा से उद्धार पाने के लिए ज़रूरी है कि हम उस पर ‘भरोसा रखें’ और इंसानों की योजनाओं पर यकीन न करें। साथ ही हमें ‘शान्त रहने’ की ज़रूरत है, यानी हमें डरने के बजाय भरोसा रखना चाहिए कि परमेश्वर हमारी हिफाज़त करने की ताकत रखता है।
30:20, 21, NHT. यहोवा अपने प्रेरित वचन, बाइबल और “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास” के ज़रिए जो बताता है, उस पर ध्यान देने से हम यहोवा को ‘देख’ सकते हैं और उसकी आवाज़ को ‘सुन’ सकते हैं।—मत्ती 24:45.
यशायाह की भविष्यवाणी से परमेश्वर के वचन पर हमारा भरोसा बढ़ता है
यशायाह की किताब में दिए यहोवा के संदेश के लिए हम बहुत शुक्रगुज़ार हैं! जो भविष्यवाणियाँ पूरी हो चुकी हैं, वे इस बात पर हमारा भरोसा बढ़ाती हैं कि जो ‘यहोवा के मुख से निकलता है; वह व्यर्थ ठहरकर उसके पास न लौटेगा।’—यशायाह 55:11.
यशायाह 9:7 और 11:1-5, 10 में दी गयी मसीहा की भविष्यवाणियों के बारे में क्या? क्या इन भविष्यवाणियों से यहोवा के उस इंतज़ाम पर हमारा विश्वास नहीं बढ़ता जो उसने हमारे उद्धार के लिए किया है? इस किताब में ऐसी भविष्यवाणियाँ भी दी गयी हैं जो हमारे समय में बड़े पैमाने पर पूरी हो रही हैं और आगे भी होंगी। (यशायाह 2:2-4; 11:6-9; 25:6-8; 32:1, 2) वाकई, यशायाह की किताब इस बात को और भी पुख्ता करती है कि “परमेश्वर का वचन जीवित” है!—इब्रानियों 4:12. (w06 12/01)
[पेज 12 पर तसवीर]
यशायाह और उसके बच्चे “इस्राएलियों के लिये चिन्ह और चमत्कार” थे
[पेज 12, 13 पर तसवीर]
भविष्यवाणी की गयी थी कि यरूशलेम “दाख की बारी में की झोपड़ी की नाईं” दिखायी देगा
[पेज 14 पर तसवीर]
आज कई देशों में लोगों को “तलवारें पीटकर हल के फाल” बनाने में कैसे मदद दी जा रही है