यशायाह
2 उस पर यहोवा की पवित्र शक्ति छायी रहेगी,+
इसलिए वह बुद्धिमान होगा,+ उसमें बड़ी समझ होगी,
वह बढ़िया सलाह देगा, शक्तिशाली और बहुत ज्ञानी होगा+
और वह यहोवा का डर मानेगा।
3 यहोवा का डर मानने में उसे खुशी मिलेगी,+
वह मुँह देखा न्याय नहीं करेगा
और न सुनी-सुनायी बातों के आधार पर डाँट लगाएगा।+
6 भेड़िया, मेम्ने के साथ बैठेगा,+
चीता, बकरी के बच्चे के साथ लेटेगा,
बछड़ा, शेर और मोटा-ताज़ा बैल* मिल-जुलकर रहेंगे*+
और एक छोटा लड़का उनकी अगुवाई करेगा।
7 गाय और रीछनी एक-साथ चरेंगी
और उनके बच्चे साथ-साथ बैठेंगे,
शेर, बैल के समान घास-फूस खाएगा।+
8 दूध पीता बच्चा नाग के बिल के पास खेलेगा
और दूध छुड़ाया हुआ बच्चा ज़हरीले साँप के बिल में हाथ डालेगा।
9 मेरे सारे पवित्र पर्वत पर
वे न किसी को चोट पहुँचाएँगे,+ न तबाही मचाएँगे,+
क्योंकि पृथ्वी यहोवा के ज्ञान से ऐसी भर जाएगी,
जैसे समुंदर पानी से भरा रहता है।+
10 उस दिन यिशै की जड़,+ झंडे की तरह खड़ी होगी
और देश-देश के लोगों को बुलाएगी,+
सब राष्ट्र सलाह लेने उसके पास आएँगे*+
और उसका निवास महिमा से भर जाएगा।
11 उस दिन यहोवा एक बार फिर अपना हाथ बढ़ाएगा और अपने बचे हुए लोगों को वापस ले आएगा। वह अश्शूर,+ मिस्र,+ पत्रोस,+ कूश,*+ एलाम,+ शिनार,* हमात और समुंदर के द्वीपों से अपने लोगों को इकट्ठा करेगा।+ 12 वह राष्ट्रों के लिए एक झंडा खड़ा करेगा और इसराएल के बिखरे हुए लोगों को इकट्ठा करेगा।+ और धरती के चारों कोनों में तितर-बितर हुए यहूदा के लोगों को वापस ले आएगा।+
एप्रैम फिर यहूदा से जलन नहीं रखेगा,
न यहूदा एप्रैम से दुश्मनी निकालेगा।+