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सच्ची उपासना सारी दुनिया में फैल जाती हैयशायाह की भविष्यवाणी—सारे जगत के लिए उजियाला भाग II
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29, 30. किस तरह “छोटे से छोटा एक हजार” हो गया है?
29 यशायाह के 60 अध्याय के आखिर में एक बहुत ही ज़बरदस्त और अहम वादा किया गया है, जिसके पूरा होने की गारंटी खुद यहोवा अपने नाम से देता है। वह कहता है: “छोटे से छोटा एक हजार हो जाएगा और सब से दुर्बल एक सामर्थी जाति बन जाएगा। मैं यहोवा हूं; ठीक समय पर यह सब कुछ शीघ्रता से पूरा करूंगा।” (यशायाह 60:22) जब यहाँ-वहाँ बिखरे अभिषिक्त जनों को सन् 1919 में फिर से उनके काम पर बहाल किया गया था तब वे ‘छोटे से छोटे’ थे।e मगर जब बचे हुए आत्मिक इस्राएलियों को भी इकट्ठा किया जाने लगा तो उनकी गिनती दिनों-दिन बढ़ती चली गयी। और जब बड़ी भीड़ को इकट्ठा करना शुरू हुआ तो उनकी गिनती में दिन-दूनी रात-चौगुनी बढ़ोतरी होने लगी।
30 कुछ ही समय के अंदर, परमेश्वर के लोगों के बीच की शांति और धार्मिकता ने इतने नेकदिल लोगों को अपनी तरफ आकर्षित किया है कि सचमुच “छोटे से छोटा . . . एक सामर्थी जाति” बन गया है। फिलहाल इस जाति के लोगों की संख्या कई मुल्कों की जनसंख्या से कहीं ज़्यादा है। इससे साफ दिखायी देता है कि यहोवा ने यीशु मसीह के ज़रिए राज्य के काम का निर्देशन किया है और वह उसमें तेज़ी लाया है। सच्ची उपासना को सारी दुनिया में फैलते देखना और उसमें हिस्सा लेना अनोखा अनुभव है! जी हाँ, यह जानकर बड़ी खुशी होती है कि इस बढ़ोतरी से यहोवा को महिमा मिलती है जिसने बहुत पहले ही इन बातों की भविष्यवाणी की थी।
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सच्ची उपासना सारी दुनिया में फैल जाती हैयशायाह की भविष्यवाणी—सारे जगत के लिए उजियाला भाग II
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e सन् 1918 में हर महीने प्रचार में हिस्सा लेनेवालों की औसत गिनती 4,000 से भी कम थी।
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