हमारे महान् सृष्टिकर्ता में आनन्द मनाना
“इस्राएल अपने कर्त्ता के कारण आनन्दित हो, सिय्योन के निवासी अपने राजा के कारण मगन हों।”—भजन १४९:२.
१. “आख़िरकार स्वतंत्रता” की पुकारों के बावजूद, मानवजाति की वास्तविक स्थिति क्या है?
आज की दुनिया “पीड़ाओं” से पीड़ित है। यीशु ने यही अभिव्यक्ति “रीति-व्यवस्था की समाप्ति” के विषय में अपनी भविष्यवाणी में प्रयोग की थी, वह विपत्तिपूर्ण काल जो १९१४ में प्रथम विश्व युद्ध से शुरू हुआ। (मत्ती २४:३-८, NW) बहुत से राजनीतिज्ञों को भविष्य के लिये अंधकार के सिवाय और कुछ नज़र नहीं आता है। पूर्वी यूरोप में “आख़िरकार स्वतंत्रता” की पुकारों के बावजूद, उस क्षेत्र के एक भूतपूर्व राष्ट्रपति ने स्थिति का सारांश प्रस्तुत किया, जब उसने कहा: “जनसंख्या में वृद्धि और ग्रीन-हाऊस प्रभाव, ओज़ोन में छेद और ऐड्स, परमाणवीय आतंकवाद का ख़तरा और धनी उत्तर एवं निर्धन दक्षिण के बीच में तेज़ी से बढ़ती हुई दरार, अकाल का ख़तरा, पृथ्वी-गृह के जीव-मण्डल और खनिज साधनों का रिक्तीकरण, दूरदर्शन विज्ञापन संस्कृति में विस्तार और क्षेत्रीय युद्धों का बढ़ता हुआ ख़तरा—यह सब, हज़ारों दूसरे कारणों के साथ मिलकर, मानवजाति को सार्विक ख़तरों का चित्रण करती हैं।” कोई भी मानव शक्ति इस घातक सर्वनाश के ख़तरे को नहीं हटा सकती है।—यिर्मयाह १०:२३.
२. मानवजाति की समस्याओं का स्थायी समाधान किस के पास है, और उसने पहले से ही कौनसा क़दम उठाया है?
२ तथापि, हम आनन्द मना सकते हैं कि हमारे महान् सृष्टिकर्ता के पास स्थायी समाधान है। यीशु की भविष्यवाणी में “रीति-व्यवस्था की समाप्ति” को उसकी अदृश्य “उपस्थिति” के साथ जोड़ा गया है। (मत्ती २४:३, ३७-३९, NW) “नए आकाश” की सृष्टि करने के लिये, यहोवा ने यीशु को उसके सिंहासन पर मसीही राजा के तौर पर बैठाया, और भविष्यसूचक सबूत दिखाता है कि यह ऐतिहासिक घटना वर्ष १९१४ में स्वर्ग में घटित हुई।a (२ पतरस ३:१३) सर्वसत्ताधारी प्रभु यहोवा के साथ सहयोगी शासक के तौर पर, यीशु को अब राष्ट्रों का न्याय करने और पृथ्वी के नम्र, भेड़-समान लोगों को हठी, बकरी-समान लोगों से अलग करने के लिये नियुक्त किया गया है। अधर्मी “बकरियों” को “अनन्त दण्ड” के लिये और “भेड़ों” को राज्य के पार्थिव क्षेत्र में अनन्तकालीन जीवन के लिये चिह्नित किया गया है।—मत्ती २५:३१-३४, ४६.
३. सच्चे मसीहियों के पास आनन्दित होने का कौनसा कारण है?
३ पृथ्वी पर आध्यात्मिक इस्राएल के शेष जन, जिनके साथ अब इन आज्ञाकारी भेड़ों की एक बड़ी भीड़ मिल गई है, के पास अनन्तकाल के राजा, यहोवा, में आनन्दित होने का हर कारण है, जैसे जैसे वह अपने पुत्र के राज्य द्वारा अपने महान् उद्देश्यों को चरम सीमा तक पहुँचाता है। वे कह सकते हैं: “मैं यहोवा के कारण अति आनन्दित होऊंगा, मेरा प्राण परमेश्वर के कारण मगन रहेगा; क्योंकि उस ने मुझे उद्धार के वस्त्र पहिनाए, . . . जैसे भूमि अपनी उपज को उगाती, और बारी में जो कुछ बोया जाता है उसको वह उपजाती है, वैसे ही प्रभु यहोवा सब जातियों के साम्हने धार्मिकता और धन्यवाद को बढ़ाएगा।” (यशायाह ६१:१०, ११) इस ‘बढ़ती’ का सबूत वे लाखों लोग हैं जिन्हें यहोवा की प्रशंसा गाने के लिये इस समय राष्ट्रों में से एकत्रित किया जा रहा है।
‘गति को बढ़ाना’
४, ५. (क) परमेश्वर के लोगों के जमाव को कैसे पूर्वकथित किया गया था? (ख) उन्नीस सौ बानवे सेवा वर्ष के दौरान कौनसी विशिष्ट वृद्धि देखी गई?
४ जैसे-जैसे शैतान की व्यवस्था का अन्त निकट आता जा रहा है, जमाव की गति बढ़ती जाती है। हमारा महान् सृष्टिकर्ता घोषित करता है: “तेरे लोग सब के सब धर्मी होंगे . . . , वे मेरे लगाए हुए पौधे और मेरे हाथों का काम ठहरेंगे, जिस से मेरी महिमा प्रगट हो। छोटे से छोटा एक हजार हो जाएगा और सब से दुर्बल एक सामर्थी जाति बन जाएगा। मैं स्वयं, यहोवा, ठीक समय पर इसकी गति को बढ़ाऊंगा।” (यशायाह ६०:२१, २२, NW) गति में यह बढ़ती, यहोवा के विश्वव्यापी गवाहों की १९९२ सेवा वर्ष रिपोर्ट में प्रतिबिम्बित की गयी है, जो इस पत्रिका के पृष्ठ ६ से ९ पर प्रकाशित की गयी है।
५ इस रिपोर्ट में ४४,७२,७८७ राज्य प्रचारकों का नया शिखर विशिष्ट है, पिछले वर्ष से १,९३,९६७—४.५ प्रतिशत की वृद्धि। उन्नीस सौ बानवे में ३,०१,००२ बपतिस्मा प्राप्त करनेवालों का शिखर भी इस तथ्य को प्रतिबिम्बित करता है कि बहुसंख्य लोग बाइबल सच्चाई को अपना रहे हैं। हम कितने आनन्दित हैं कि इस ‘अन्धकार और तिमिर के दिन में . . . एक बड़ी और सामर्थी जाति’ है, जो टिड्डियों के झुंड की नाई है, राज्य गवाही को “पृथ्वी की छोर तक” फैला रही है! (योएल २:२, २५; प्रेरितों १:८) बर्फ़ीले अलास्का—जहाँ हिमबाधित क्षेत्रों में वॉच टावर सोसायटी के विमान ने ५० से अधिक भेंट की हैं—से लेकर माली और बरकिना फासो के दग्ध रेगिस्तानों तक और माइक्रोनेशिया के बिखरे हुए द्वीपों तक, यहोवा के सेवक “अन्यजातियों के लिये ज्योति” की नाई चमक रहे हैं “कि [उसका] उद्धार पृथ्वी की एक ओर से दूसरी ओर तक फैल जाए।”—यशायाह ४९:६.
६, ७. हाल के वर्षों में स्थिति में कौनसा अप्रत्याशित बदलाव देखा गया है, और यहोवा के सेवकों ने कैसी प्रतिक्रिया दिखाई है?
६ यहोवा अपने लोगों की रक्षा करने और उन्हें बनाए रखने में एक गढ़ और दृढ़ दुर्ग की तरह रहा है। पृथ्वी के अनेक हिस्सों में, यहोवा के गवाहों को दशकों से क्रूर दमन और अत्याचार सहना पड़ा है। (भजन ३७:३९, ४०; ६१:३, ४) लेकिन हाल में, मानो चमत्कार से, कुछ २१ देशों में पाबंदियाँ और बाधाएँ हटाई गई हैं, जिससे यहोवा के लोग अब स्वतंत्रतापूर्वक घोषित कर सकते हैं कि हमारे महान् सृष्टिकर्ता ने मसीह को पृथ्वी के ऊपर राजा स्थापित किया है।—भजन २:६-१२.
७ क्या यहोवा के लोग अपनी नवीन स्वतंत्रता का पूरा लाभ उठा रहे हैं? चार्ट में पूर्वी यूरोप में बल्गारिया, रोमानिया, और भूतपूर्व सोवियत संघ की वृद्धि और अफ्रीका में अंगोला, बेनिन, और मोज़म्बिक की वृद्धि पर ध्यान दीजिए। सायर में भी, वृद्धि असाधारण है। हमारे स्वतंत्रता प्राप्त किए भाई, अपने हृदय में आनन्द के साथ, इस पुकार का जवाब देते हैं: “यहोवा का धन्यवाद करो, क्योंकि वह भला है . . . उसको छोड़कर कोई बड़े बड़े आश्चर्यकर्म नहीं करता, उसकी करुणा सदा की है।” (भजन १३६:१, ४) दूसरे भेड़-समान लोगों को राज्य के पक्ष में एकत्रित करने की उत्साहपूर्ण सेवकाई द्वारा ये धन्यवाद अभिव्यक्त किए गए हैं।
८. यहोवा के नये प्रशंसक कैसे “बादल की नाईं . . . चले आते हैं,” पूर्वी यूरोप में? अफ्रीका में?
८ बीते यूरोपीय ग्रीष्मकाल के दौरान, भूतपूर्व साम्यवादी देशों में यहोवा के लोगों के सम्मेलनों में आश्चर्यजनक उपस्थिति हुई है। इससे भी ज़्यादा आश्चर्यजनक बपतिस्मा प्राप्त करनेवालों की संख्या है, जैसे साथ दिया गया चार्ट दिखाता है। इसी प्रकार, दिसम्बर १०, १९९१ को टोगो, अफ्रीका, में पाबंदी को हटाया गया। आगामी महीने वहाँ राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया। क्षेत्र में ६,४४३ प्रचारकों के मासिक औसत की तुलना में, इस सम्मेलन में उपस्थिति २५,४६७ तक बढ़ गई, और ५५६ लोगों ने बपतिस्मा लिया—जो कि प्रचारकों की संख्या का ८.६ प्रतिशत था। जैसे यशायाह ६०:८ चित्रित करता है, यहोवा के नये प्रशंसक, यहोवा के लोगों की कलीसियाओं में “बादल की नाईं और दर्बाओं की ओर उड़ते हुए कबूतरों की नाईं चले आते हैं।”
९. हाल में स्वतंत्र किये गये देशों में कौनसे प्रबंध किये गये हैं ताकि मसीही, ‘खाकर तृप्त हो’ सकें?
९ पूर्वी यूरोप और अफ्रीका में भी आध्यात्मिक भोजन की भूख को मिटाया जा रहा है। जर्मनी, इटली, और दक्षिण अफ्रीका में वॉच टावर सोसायटी के कारख़ानों ने आध्यात्मिक तौर से भूखे देशों को कई भाषाओं में, ट्रकें भर-भर के साहित्य भेजे हैं। पहले, बहुत से गवाहों को फटी-पुरानी पत्रिकाएँ एक दूसरे को देनी पड़ती थीं, लेकिन अब उन्हें प्रचुर आध्यात्मिक भोजन मिल रहा है। वे इस भविष्यवाणी की पूर्ति में हिस्सा लेने में आनन्दित हैं: “तुम पेट भरकर खाओगे, और तृप्त होगे, और अपने परमेश्वर यहोवा के नाम की स्तुति करोगे, जिस ने तुम्हारे लिये आश्चर्य के काम किए हैं।”—योएल २:२६.
अतिरिक्त वृद्धि की देख-रेख करना
१०. स्मारक के उच्च उपस्थिति को देखते हुए, सब दिलचस्पी रखनेवालों को कौनसा निमंत्रण दिया गया है?
१० यीशु की मृत्यु के स्मारक के लिए विश्वव्यापी उपस्थिति की संख्या सचमुच आश्चर्यजनक है, १,१४,३१,१७१, जो कि पिछले वर्ष से ७,८१,०१३, या ७.३ प्रतिशत ज़्यादा वृद्धि है। आप सब नवागंतुकों को स्वागत! कितना अच्छा होता अगर ऐसे दिलचस्पी रखनेवाले सभी नये व्यक्ति यहोवा के एक गवाह के साथ गृह बाइबल अध्ययन का लाभ उठाते! (यशायाह ४८:१७ देखिये.) सेवा वर्ष रिपोर्ट दिखाती है कि ऐसे ४२,७८,१२७ अध्ययन हर महीने संचालित किये जाते हैं, ८.४-प्रतिशत की अच्छी वृद्धि। फिर भी, और अधिक लोग इस सेवा से लाभ उठा सकते हैं। दिलचस्पी रखनेवालों के साथ घर में मुफ़्त बाइबल अध्ययन करने के लिये यहोवा के गवाहों को नियमित रूप से भेंट करने में खुशी होती है, और इस प्रकार अनन्त जीवन के मार्ग पर स्थिरता से पैरों को रखने में इनकी मदद की जाती है। (यूहन्ना ३:१६, ३६) क्यों न ऐसे एक अध्ययन की माँग करें? और याद रखिये, राज्यगृह में हमेशा आपका हार्दिक स्वागत किया जाएगा!—भजन १२२:१; रोमियों १५:७.
११, १२. (क) कई देशों में कौनसी समस्याओं का सामना किया जा रहा है? (ख) धनी और निर्धन देशों में “बराबरी” किस तरीक़े से की जा रही है?
११ जिन कलीसियाओं के पास बढ़िया राज्यगृह हैं, उन्हें प्रचुर मात्रा में आशीष मिली है। उन देशों में स्थिति भिन्न है जहाँ पाबंदी के नीचे निष्ठावान् गवाहों ने चोरी-छिपे छोटे समूहों में मिलते हुए, कई वर्षों तक सहन किया। ऐसे कई देशों में, अब वे स्वतंत्र हैं पर उनके पास कुछ ही राज्यगृह हैं। उदाहरण के लिये, एक अफ्रीकी देश में केवल तीन राज्यगृह ९३ कलीसियाओं की आवश्यकताओं को पूरा करते हैं। इसलिये सामान्यतः सभाएं बड़े ख़ाली भूखंडों में आयोजित की जाती हैं। डेढ़ सौ की कलीसिया में इन सभाओं के लिये शायद ४५० लोग नियमित रूप से उपस्थित हों।
१२ पूर्वी यूरोप में जगह ख़रीदने या निर्माण करने में अकसर कठिनाई होती है, लेकिन कुछ प्रगति की जा रही है। पोलैंड में एक बढ़िया नई शाखा इमारत के समर्पण के लिये नवम्बर २८, १९९२, नियत किया गया था। सभागृह और दूसरी इमारतों को बनाने में मदद करने के लिये यहोवा के गवाहों के विश्वव्यापी कार्य के प्रति उदार अंशदान इस्तेमाल किया जा रहा है। इस प्रकार, “बराबरी” हो जाती है जब अपने भौतिक “बढ़ती” में से अंशदान देनेवाले भाइयों की उदारता, असुविधा-युक्त देशों की कलीसियाओं की आध्यात्मिक ज़रूरतों को प्रदान करने में मदद करती है।—२ कुरिन्थियों ८:१३, १४.
एक सौ करोड़ घंटे!
१३. उन्नीस सौ बानवे में प्रचार और सिखाने के कार्य में कितने घंटे बिताए गए, और इस संख्या में किन का प्रयत्न प्रतिबिम्बित होता है?
१३ आप एक सौ करोड़ घंटों के साथ क्या करेंगे? वे सब जो अनन्त जीवन तक पहुँचेंगे उतने सारे और उससे भी ज़्यादा घंटों को, यहोवा की उत्पादक, संतोषजनक सेवा में व्यतीत कर सकेंगे। लेकिन उतने सारे घंटों को एक वर्ष में डालने की कल्पना कीजिए! यहोवा के लोग १९९२ के दौरान यही करने में सफल हुए हैं। सभी राज्य प्रचारकों की व्यक्तिगत रिपोर्टों को इकट्ठे जोड़ने से, हम ने १,०२,४९,१०,४३४ घंटों का एक नया शिखर पाया है। इन घंटों को हमारे महान् सृष्टिकर्ता की प्रशंसा में, “लोगों के साम्हने और घर घर सिखाने” में सबसे बेहतर तरीक़े से बिताया गया है। (प्रेरितों २०:२०) औसतन, हर महीने ४२,८९,७३७ गवाह रिपोर्ट कर रहे थे। वे भिन्न-भिन्न वर्ग से आते हैं। कुछ व्यक्ति राज्य कार्य के प्रति सीमित समय ही दे सकते हैं। पारिवारिक सिर, जिन्हें गृहस्थी के लिए प्रबंध करना है; बूढ़े लोग; और अनेक जिनकी स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हैं; तथा स्कूल जानेवाले बच्चे भी इन में शामिल हैं। फिर भी, हरेक की रिपोर्ट यहोवा के प्रति प्रेम का एक मूल्यवान प्रतिबिंब है।—लूका २१:२-४ से तुलना कीजिए.
१४. युवजन कैसे “अपने सृजनहार को स्मरण” कर रहे हैं?
१४ एक युवा पीड़ी यहोवा की सेवा में बड़ी हो रही है, और ख़ुशी की बात है कि इन में से अधिकांश जन सुलैमान के शब्दों को लागू कर रहे हैं जो सभोपदेशक १२:१ में है: “अपनी जवानी के दिनों में अपने सृजनहार को स्मरण रख।” वे अपनी स्कूल की पढ़ाई में प्रयास कर रहे हैं, और साथ ही समर्पित माता-पिताओं द्वारा आध्यात्मिक मामलों में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। हाल के सम्मेलनों में किशोरों की अच्छी ख़ासी संख्या को खड़े होकर अपने आपको बपतिस्मा के लिये प्रस्तुत करते हुए देखकर बहुत ख़ुशी हुई है। साथ में यह जानकर भी ख़ुशी हुई है कि अनेक, किसी व्यवसाय या कौशल को सीखने से, स्कूल समाप्त करने के बाद पायनियर कार्य करने के लिये व्यावहारिक तैयारी कर रहे हैं। इस प्रकार, वे अपना भरण-पोषण कर पाएंगे, जैसे प्रेरित पौलुस समय-समय पर तम्बू बनाकर किया करता था।—प्रेरितों १८:१-४.
१५, १६. पायनियर और दूसरे पूर्ण-समय के सेवकों ने राज्य कार्य की प्रगति की ओर कैसे सहयोग दिया है, और उन में से कुछेक ने कौनसी आशीष का आनन्द प्राप्त किया है?
१५ पायनियर और दूसरे पूर्ण-समय के सेवक राज्य कार्य की प्रगति की ओर कितना ही विशाल सहयोग दे रहे हैं! इस बीते वर्ष में पायनियरों का वर्ग बढ़कर ९,३१,५२१ के शिखर तक पहुँच गया है। जैसे-जैसे ये प्रतिदिन घर-घर प्रचार करते और लोगों के घरों में बाइबल अध्ययन करते हैं, ये शास्त्रवचन पर अपने आपको अभिव्यक्त करने में काफ़ी प्रभावकारी हो जाते हैं। इसके अतिरिक्त, अनेक व्यक्ति दो-सप्ताह के पायनियर सेवा स्कूल में उपस्थित होने के लिये योग्य बने हैं, जो उन्हें परमेश्वर के कार्य में महत्तर योग्यता और आनन्द विकसित करने में मदद करता है।
१६ इन वफ़ादार पायनियरों में से प्रत्येक, यशायाह ५०:४ के शब्दों का समर्थन कर सकता है: “प्रभु यहोवा ने मुझे सीखनेवालों की जीभ दी है कि मैं थके हुए को अपने वचन के द्वारा संभालना जानूं।” आज अनेक व्यक्ति हैं जो अपने चारों ओर के भ्रष्ट संसार से तंग आ गए हैं परन्तु जो हमारे वफ़ादार पायनियरों द्वारा बोले गये वचन से ताज़गी प्राप्त कर रहे हैं।—नीतिवचन १५:२३; यहेजकेल ९:४ से तुलना कीजिए.
एक शक्तिशाली निर्माण कार्यक्रम
१७. हाल के वर्षों में आध्यात्मिक निर्माण के साथ-साथ कौनसा भौतिक निर्माण देखा गया है?
१७ यहोवा के गवाहों की विश्वव्यापी आध्यात्मिक ख़ुशहाली के साथ-साथ भौतिक वृद्धि की भी आवश्यक्ता है। मुद्रण-सहूलियतों, दफ़्तरों, और बेथेल घरों का विस्तार और राज्यगृहों और सम्मेलन गृहों का निर्माण ज़रूरी हो जाता है। इसलिये यहोवा के गवाहों को शारीरिक ढंग से निर्माता बनने की ज़रूरत है। मिलता-जुलता निर्माण राजा सुलैमान के दिनों में हुआ था। सुलैमान ने यहोवा की उपासना के लिये मन्दिर ‘नमूने’ के अनुसार बनाया जो ‘आत्मा की प्रेरणा से उसको मिला था,’ जिसे यहोवा ने उसके पिता, राजा दाऊद को दिया था। (१ इतिहास २८:११, १२) इस प्रकार, सुलैमान ने केवल अपने श्रोता को प्रज्ञा के अमूल्य शब्दों से ही दृढ़ नहीं किया परन्तु ऐसे श्रेष्ठ भौतिक निर्माण का भी निर्देशन किया जिसे लौकिक संसार कभी भी प्राप्त नहीं कर पाया है।—१ राजा ६:१; ९:१५, १७-१९.
१८, १९. (क) यहोवा के संगठन द्वारा कौनसी तेज़ी से बढ़ती हुई निर्माण परियोजनाएं चलाई जा रही हैं? (ख) यहोवा की आत्मा भौतिक और आध्यात्मिक निर्माण में कैसे प्रकट हुई है?
१८ आज, यहोवा के गवाह ईश्वरीय तौर से प्रेरित वास्तु-नक़्शों के अनुसार निर्माण नहीं करते हैं, लेकिन उनके पास परमेश्वर की आत्मा ज़रूर है। इस्राएल के दिनों के समान, यह उन्हें एक ऐसे तरीक़े से निर्माण करने के लिये अभिप्रेरित करती है जो संसार के लोगों को चकित कर देता है। (जकर्याह ४:६) समय कम है। बिना विलंब राज्यगृहों और दूसरी इमारतों की ज़रूरत है। कुछ देशों में शीघ्रतापूर्वक बने राज्यगृह बहुत ही आम हैं। उदाहरण के लिये, कनाडा पिछले १० वर्षों में ३०६ सभागृहों के निर्माण की रिपोर्ट करती है, और हरेक को दो दिन से कम समय में बनाया गया। पूरे विश्व में यहोवा के कार्य की तेज़ वृद्धि के कारण, इस समय कुल मिलाकर ४३ नई शाखा इमारतें या शाखा विस्तार निर्माण की जा रही हैं या उनकी योजनाएं बनाई जा रही हैं। इसके अतिरिक्त, ब्रुकलिन में एक ३०-मंज़िल रिहाइशी इमारत जल्दी ही बनकर तैयार हो जाएगी, जिस में लगभग एक हज़ार बेथेल स्वयंसेवकों के लिये आवास है। इसके साथ ही न्यू यार्क राज्य के पॅटर्सन में, वॉच टावर सोसायटी की सबसे बड़ी परियोजना, बाइबल शैक्षिक केंद्र का निर्माण, अनुसूचित समय से काफ़ी जल्दी हो रहा है।
१९ ये परियोजनाएं संसार के जानकार निर्माण-कार्य कम्पनियों को चकित कर देनेवाली कार्य-क्षमता और उत्कृष्ट कार्य के साथ आगे बढ़ रही हैं। क्यों? इसका कारण है यहोवा के समर्पित गवाहों द्वारा दिया गया विशाल अंशदान। यहोवा की आत्मा उन्हें केवल भौतिक समर्थन उपलब्ध करने के लिये ही नहीं बल्कि अपने समय और शक्ति को भी पूरे मन से देने के लिये प्रेरित करती है। निर्माण-कार्य स्थल सुप्रशिक्षित, समर्पित कार्यकर्त्ताओं से भरे हुए हैं। कोई श्रमिक हड़ताल नहीं, और न ही काम पर आवारागर्दी होती है। यहोवा की आत्मा अभिप्रेरण देती है, वैसे ही जैसे मूसा के समय में निवासस्थान के बनानेवालों को और उन लोगों को जिन्होंने सुलैमान के दिन में मन्दिर निर्माण किया था को अभिप्रेरित किया। इन कार्यकर्त्ताओं में जिस विशिष्ट गुण की ज़रूरत है, वह है आध्यात्मिकता।—निर्गमन ३५:३०-३५; ३६:१-३; ३९:४२, ४३; १ राजा ६:११-१४ से तुलना कीजिए.
२०. (क) किस हद तक सुसमाचार का प्रचार अभी किया जाएगा? (ख) कौनसी आनन्दित प्रत्याशा यहोवा के लोगों की प्रतीक्षा कर रही है?
२० सुलैमान ने मन्दिर पूरा करने के बाद अपना निर्माण कार्यक्रम जारी रखा। (२ इतिहास ८:१-६) किस हद तक आधुनिक-दिन की गवाही—साथ में सभागृहों और दूसरी इमारतों को निर्माण करने की अनुरूप ज़रूरत—अभी और विस्तृत होगी, हम नहीं जानते हैं। तो भी, हम यह जानते हैं कि जब राज्य के इस सुसमाचार का प्रचार उस हद तक हो जाएगा जिस हद तक यहोवा आदेश देता है, तब अन्त, वह “भारी क्लेश” आ जाएगा। (मत्ती २४:१४, २१) ऐसी पृथ्वी पर, जहाँ फिर कभी भी लोभी मनुष्य तबाही न करेंगे, यहोवा का “नया आकाश और नई पृथ्वी” का प्रबंध तब मानवजाति के लिये असीम आशिषें लाएगा। इसलिये हमारे महान् सृष्टिकर्ता को प्रशंसा देते हुए, ऐसा हो कि ‘जो परमेश्वर उत्पन्न कर रहा है उस में’ हम ‘हर्षित हों और सदा सर्वदा मगन रहें!’—यशायाह ६५:१७-१९, २१, २५.
[फुटनोट]
a वॉचटावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसायटी ऑफ इंडिया द्वारा प्रकाशित “तेरा राज्य आए,” के पृष्ठ १०६-१७, १८७-१९२ देखिए.
क्या आप समझा सकते हैं?
▫ हमारे पास अपने महान् सृष्टिकर्ता में आनन्दित होने के कौनसे कारण हैं?
▫ उन्नीस सौ बानवे सेवा वर्ष के दौरान कौनसी वृद्धियाँ रिपोर्ट की गईं?
▫ जिन देशों में गवाही के काम पर पहले प्रतिबंध था, वहाँ कौनसी प्रचुर आशिषें रिपोर्ट की गई हैं?
▫ युवाओं और पायनियरों ने यहोवा के संगठन में वृद्धि की ओर कैसे सहयोग दिया है?
▫ यहोवा के लोग भौतिक और आध्यात्मिक निर्माण कार्यों में कैसे व्यस्त रहे हैं?
[पेज 6-9 पर चार्ट]
यहोवा के विश्वव्यापी गवाहों की १९९२ सेवा वर्ष रिपोर्ट
(भाग को असल रूप में देखने के लिए प्रकाशन देखिए)
[पेज 4 पर तसवीरें]
पिछले वर्ष के लाखों बपतिस्मा उम्मीदवार प्रदर्शित करते हैं कि प्रचार और सिखाने के कार्य पर यहोवा की आशीष है
[पेज 10 पर तसवीरें]
बड़ी संख्या में युवजन ‘अपने महान् सृजनहार को स्मरण’ कर रहे हैं
[पेज 11 पर बक्स]
पिछले वर्ष सौ करोड़ से भी ज़्यादा घंटे प्रचार और सिखाने के कार्य में बिताए गए