यहोवा का वचन जीवित है
यशायाह किताब की झलकियाँ—II
यशायाह एक नबी के तौर पर वफादारी से अपनी ज़िम्मेदारी निभा रहा है। उसने दस गोत्रवाले इस्राएल राज्य के खिलाफ यहोवा के जो न्यायदंड सुनाए थे, वे पूरे हो चुके हैं। अब वह आगे बताता है कि यरूशलेम के साथ क्या होनेवाला है।
यरूशलेम नगर की ईंट-से-ईंट बजायी जाएगी और उसके निवासियों को बंदी बनाकर ले जाया जाएगा। लेकिन यह नगर हमेशा के लिए उजाड़ नहीं पड़ा रहेगा। कुछ समय बाद, यहाँ सच्ची उपासना एक बार फिर बहाल की जाएगी। यही है यशायाह 36:1–66:24 का मूल संदेश।a इन अध्यायों की जाँच करने से हमें फायदा हो सकता है, क्योंकि इनमें दी कई भविष्यवाणियाँ बड़े पैमाने पर आज हमारे समय में पूरी हो रही हैं और भविष्य में भी पूरी होंगी। यशायाह किताब के इस भाग में मसीहा के बारे में रोमांचक भविष्यवाणियाँ भी दर्ज़ हैं।
“ऐसे दिन आनेवाले हैं”
राजा हिजकिय्याह की हुकूमत के 14वें साल (सा.यु.पू. 732) में अश्शूर यहूदा पर चढ़ाई करता है। इस पर यहोवा वादा करता है कि वह यहूदा की राजधानी, यरूशलेम की हिफाज़त करेगा। यरूशलेम पर से अश्शूरियों का खतरा उस वक्त टल जाता है, जब यहोवा का एक स्वर्गदूत अकेले ही 1,85,000 अश्शूरी सैनिकों को मार गिराता है।
जब हिजकिय्याह बीमार पड़ जाता है तो वह यहोवा से प्रार्थना करता है। यहोवा उसकी प्रार्थना सुनता है और उसकी बीमारी दूर करके उसकी आयु 15 साल और बढ़ा देता है। उसके ठीक होने की खबर सुनकर जब बाबुल का राजा उसे बधाई देने के लिए अपने दूत भेजता है, तो हिजकिय्याह उन दूतों को अपना सारा खज़ाना दिखाकर बड़ी मूर्खता का काम करता है। इसलिए यशायाह उसे यहोवा का संदेश सुनाते हुए कहता है: “ऐसे दिन आनेवाले हैं, जिन में जो कुछ तेरे भवन में है और जो कुछ आज के दिन तक तेरे पुरखाओं का रखा हुआ तेरे भण्डारों में है, वह सब बाबुल को उठ जाएगा।” (यशायाह 39:5, 6) यह भविष्यवाणी करीब 100 साल बाद पूरी होती है।
बाइबल सवालों के जवाब पाना:
38:8—धूप की छाया किस चीज़ पर ढल गयी थी? सा.यु.पू. आठवीं सदी के आते-आते, बाबुल और मिस्र में समय का पता लगाने के लिए धूपघड़ियों का इस्तेमाल किया जाता था। तो हो सकता है यह चीज़ धूपघड़ी रही हो, जिसे शायद हिजकिय्याह के पिता, आहाज ने मँगवायी थी। एक और गुंजाइश पर गौर कीजिए। जिस इब्रानी शब्द का अनुवाद “धूपघड़ी” किया गया है, उसका शाब्दिक अर्थ है “सीढ़ियाँ।” तो हो सकता है कि जिस चीज़ पर धूप की छाया ढल गयी थी, वह राजा के महल में एक सीढ़ी हो जिसके पास ही एक खंभा था। इस खंभे की छाया सीढ़ियों पर पड़ने से समय का पता लगाया जा सकता था।
हमारे लिए सबक:
36:2, 3, 22. हालाँकि शेबना को भंडारी के पद से हटा दिया गया था, फिर भी उसे नए भंडारी का मंत्री बनकर राजा की सेवा करते रहने दिया गया। (यशायाह 22:15, 19) इसी तरह, अगर किसी वजह से हमें यहोवा के संगठन में ज़िम्मेदारी के पद से हटाया जाता है, तो हमें भी यहोवा की सेवा करते रहना चाहिए, फिर चाहे वह हमें किसी भी स्थान पर क्यों न सेवा करते रहने दे।
37:1, 14, 15; 38:1, 2. मुसीबत की घड़ी में बुद्धिमानी इसी में होगी कि हम यहोवा से प्रार्थना करें और उस पर पूरा भरोसा रखें।
37:15-20; 38:2, 3. जब यरूशलेम पर अश्शूरियों का खतरा मँडरा रहा था, तब हिजकिय्याह की सबसे बड़ी चिंता यह थी कि यरूशलेम के पतन से यहोवा के नाम की कितनी बदनामी होगी। और जब उसे पता चला कि उसकी बीमारी उसकी जान लेकर ही रहेगी, तब उसे खुद से ज़्यादा दूसरी कई बातों की चिंता सताने लगी। जैसे, अगर वह बेऔलाद मर गया तो दाऊद के राजवंश का क्या होगा और अश्शूरियों के खिलाफ लड़ाई में कौन अगुवाई करेगा। हिजकिय्याह की तरह हमारी भी सबसे बड़ी चिंता हमारा उद्धार नहीं बल्कि यह होनी चाहिए कि यहोवा का नाम पवित्र किया जाए और उसका मकसद पूरा हो।
38:9-20. हिजकिय्याह का यह गीत हमें सिखाता है कि यहोवा की स्तुति करते रहने से बढ़कर ज़िंदगी में और कोई बात अहमियत नहीं रखती।
“वह बसाई जाएगी”
यरूशलेम के विनाश और यहूदियों के बाबुल ले जाए जाने की भविष्यवाणी करने के फौरन बाद, यशायाह बहाली के बारे में भविष्यवाणी करता है। (यशायाह 40:1, 2) यशायाह 44:28 कहता है: “वह [यरूशलेम नगरी] बसाई जाएगी।” बाबुल के देवताओं की मूर्तियों को इस तरह ढोकर ले जाया जाएगा मानो वे आम ‘वस्तुएँ’ हों। (यशायाह 46:1) और बाबुल का भी विनाश होगा। ये सारी बातें 200 साल बाद पूरी होती हैं।
यहोवा अपने सेवक को “अन्यजातियों के लिये ज्योति” ठहराएगा। (यशायाह 49:6) बाबुल के “आकाश” या शासक ‘धूंएं की नाईं लोप हो जाएँगे’ और उनकी प्रजा ‘कीड़े-मकोड़ों के समान नष्ट हो जाएगी’ (नयी हिन्दी बाइबिल); मगर “सिय्योन की बन्दी बेटी अपने गले के बन्धन को खोल” देगी। (यशायाह 51:6; 52:2) जो लोग यहोवा के पास आकर उसकी सुनते हैं, उनसे वह कहता है: “मैं तुम्हारे साथ सदा की वाचा बान्धूंगा अर्थात् दाऊद पर की अटल करुणा की वाचा।” (यशायाह 55:3) जब वे परमेश्वर के धर्मी नियमों के मुताबिक जीते हैं, तब वे “यहोवा में प्रसन्नता प्राप्त” करते हैं। (यशायाह 58:14, ईज़ी-टू-रीड वर्शन) मगर दूसरी तरफ, उनके अधर्म के काम ‘उन्हें उनके परमेश्वर से अलग कर देते हैं।’—यशायाह 59:2.
बाइबल सवालों के जवाब पाना:
40:27, 28—इस्राएल ने ऐसा क्यों कहा: ‘मेरा मार्ग यहोवा से छिपा हुआ है, मेरा परमेश्वर मेरे न्याय की कुछ चिन्ता नहीं करता’? बाबुल में कैद कुछ यहूदियों को शायद लगा हो कि उनके साथ जो अन्याय हो रहा है, वह यहोवा से छिपा हुआ है या फिर वह उसे देखता नहीं है। मगर उन्हें यह याद दिलाया गया कि बाबुल, पृथ्वी के उस सिरजनहार की पहुँच से बाहर नहीं, जो न तो थकता है और न ही श्रमित होता है।
43:18-21—बंधुआई से लौट रहे यहूदियों को ऐसा क्यों कहा गया था कि ‘बीती हुई घटनाओं का स्मरण मत करो’? इसका यह मतलब नहीं था कि उन्हें बीते वक्त में किए यहोवा के छुटकारे के कामों को भूल जाना था। बल्कि यहोवा चाहता था कि वे “एक नई बात” को लेकर उसकी महिमा करें, जिसका वे खुद अनुभव करनेवाले थे। जैसे कि रेगिस्तान से होकर जानेवाले सीधे रास्ते से उनका यरूशलेम तक सही-सलामत पहुँचना। उसी तरह, जब “बड़ी भीड़” के लोग “बड़े क्लेश” से बचकर निकलेंगे, तो उनमें से हरेक के पास भी यहोवा की महिमा करने की नयी वजह होंगी।—प्रकाशितवाक्य 7:9,14.
49:6—हालाँकि मसीहा ने धरती पर रहते वक्त सिर्फ इस्राएलियों को प्रचार किया था, फिर भी किस बिना पर उसे “अन्यजातियों के लिए ज्योति” कहा जाता है? यीशु की मौत के बाद जो घटनाएँ घटीं, उस बिना पर यह बात कही जाती है। बाइबल के मुताबिक, यशायाह 49:6 की भविष्यवाणी उसके चेलों पर पूरी होती है। (प्रेरितों 13:46, 47) आज अभिषिक्त मसीही और उनकी मदद करनेवाले बड़ी भीड़ के लोग “अन्यजातियों के लिए ज्योति” बनकर “पृथ्वी की एक ओर से दूसरी ओर तक” लोगों में ज्ञान की रोशनी फैला रहे हैं।—मत्ती 24:14; 28:19, 20.
53:10—किस मायने में यहोवा को यह भाया कि अपने बेटे को कुचले? प्यार और हमदर्दी दिखानेवाले परमेश्वर यहोवा ने जब अपने अज़ीज़ बेटे को यातनाएँ सहते देखा, तो ज़रूर उसका कलेजा तड़प उठा होगा। मगर फिर भी, यहोवा को यह देखना भाया कि यीशु के वफादार रहने, उसके खुशी-खुशी दुःख सहने और अपनी जान देने से लोगों को कितना फायदा होगा। इस मायने में उसे अपने बेटे को कुचलना भाया।—नीतिवचन 27:11; यशायाह 63:9.
53:11—वह ज्ञान क्या है जिसके ज़रिए मसीहा “बहुतेरों को धर्मी ठहराएगा”? यह वही ज्ञान है जो यीशु ने एक इंसान बनकर धरती पर आने और अपनी आखिरी साँस तक दुःख झेलने के ज़रिए पाया था। (इब्रानियों 4:15) इस तरह, उसने एक ऐसा छुड़ौती बलिदान अर्पित किया जिसकी बिना पर अभिषिक्त मसीही और बड़ी भीड़ के लोग परमेश्वर के सामने धर्मी ठहराए जाते हैं।—रोमियों 5:19; याकूब 2:23, 25.
56:6—“परदेशी” कौन हैं और वे किन तरीकों से यहोवा की “वाचा को पालते हैं”? “परदेशी,” यीशु की “अन्य भेड़ें” हैं। (यूहन्ना 10:16, NW) अन्य भेड़ के ये लोग यहोवा की नयी वाचा को इन तरीकों से पालते हैं: वे इस वाचा से जुड़े नियमों का पालन करते हैं, इसके ज़रिए किए जानेवाले इंतज़ामों में पूरा सहयोग देते हैं, वही आध्यात्मिक भोजन खाते हैं जो अभिषिक्त मसीही लेते हैं और राज्य का प्रचार करने और चेला बनाने के काम में उनका साथ देते हैं।
हमारे लिए सबक:
40:10-14, 26, 28. यहोवा सामर्थी, कोमल, सर्वशक्तिमान और सबसे बुद्धिमान परमेश्वर है। उसकी समझ इतनी गहरी है कि हम अदने-से इंसान उसकी गहराई का अंदाज़ा भी नहीं लगा सकते।
40:17, 23; 41:29; 44:9; 59:4. मूर्तियाँ और देश-देश के बीच की जानेवाली राजनीतिक संधियाँ सब “व्यर्थ” हैं। उन पर भरोसा करना बेकार है।
42:18, 19; 43:8. परमेश्वर के लिखित वचन को अनदेखा करना और “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास” के ज़रिए मिलनेवाली परमेश्वर की हिदायतों को अनसुना करना, आध्यात्मिक रूप से अंधे और बहरे होने जैसा है।—मत्ती 24:45.
43:25. यहोवा अपने नाम की खातिर अपराधों को मिटा डालता है। पाप और मौत की गुलामी से हमारे आज़ाद होने और हमेशा की ज़िंदगी पाने से ज़्यादा ज़रूरी है यहोवा का नाम पवित्र किया जाना।
44:8. यहोवा, चट्टान की तरह स्थिर और अटल है और वह हमारे साथ है। इसलिए हमें इस बात की साक्षी देने से कभी नहीं डरना चाहिए कि वही सच्चा परमेश्वर है!—2 शमूएल 22:31, 32.
44:18-20. एक इंसान का मूर्तिपूजा करना इस बात की निशानी है कि उसका हृदय भ्रष्ट हो चुका है। हमें यह बात ध्यान में रखनी चाहिए कि हमारे दिल में यहोवा को जो जगह मिलनी चाहिए वह कोई इंसान या चीज़ न ले ले।
46:10, 11. ‘अपनी युक्ति स्थिर रखने,’ यानी अपने मकसद को अंजाम देने की यहोवा की काबिलीयत इस बात का पक्का सबूत है कि वही सच्चा परमेश्वर है।
48:17, 18; 57:19-21. अगर हम उद्धार पाने के लिए यहोवा पर आस लगाएँ, उसके करीब आएँ और उसकी आज्ञाओं को मानें, तो हमारी शांति नदी के बहते पानी की तरह कभी खत्म नहीं होगी। और हमारे धार्मिकता के काम समुद्र की लहरों की तरह अनगिनत होंगे। मगर जो लोग परमेश्वर के वचन पर कोई ध्यान नहीं देते, वे उस “समुद्र के समान [हैं] जो स्थिर नहीं रह सकता,” यानी उनको कोई शांति नहीं मिलती।
52:5, 6. यहोवा ने इस्राएलियों को इसलिए बंधुआई में जाने दिया क्योंकि वह उनसे खफा था। लेकिन बाबुल के लोग यह बात समझ नहीं पाए और वे इस गलत नतीजे पर पहुँचे कि सच्चा परमेश्वर कमज़ोर है। आज जब दूसरों पर मुसीबतें आती हैं, तो उनके साथ ऐसा क्यों हुआ इस बारे में हमें झट-से कोई नतीजा नहीं निकाल लेना चाहिए।
52:7-9; 55:12, 13. हमारे पास राज्य का प्रचार करने और चेला बनाने के काम में खुशी-खुशी हिस्सा लेने की कम-से-कम तीन वजह हैं। पहली, हमारे पाँव उन लोगों के लिए सुहावने हैं जो नम्र और आध्यात्मिक तौर पर भूखे हैं। दूसरी, हम यहोवा को “साक्षात्” देख पाते हैं, यानी उसके साथ एक गहरा और नज़दीकी रिश्ता कायम कर पाते हैं। और तीसरी, हम आध्यात्मिक खुशहाली का भी लुत्फ उठा पाते हैं।
52:11, 12. “यहोवा के पात्रों” को ढोने के लिए हमें आध्यात्मिक और नैतिक रूप से शुद्ध बने रहना चाहिए। ये पात्र यहोवा के ठहराए ऐसे इंतज़ाम हैं जो पवित्र सेवा करने में हमारी मदद करते हैं।
58:1-14. धार्मिकता और भक्ति का ढोंग करना व्यर्थ है। परमेश्वर के सच्चे उपासकों को उसकी दिल से भक्ति करनी चाहिए और यह भक्ति अपने कामों से ज़ाहिर करनी चाहिए। साथ ही, उन्हें मसीही भाई-बहनों के लिए सच्चा प्रेम दिखाना चाहिए।—यूहन्ना 13:35; 2 पतरस 3:11.
59:15ख-19. यहोवा इंसानी मामलों पर पैनी नज़र रखता है और अपने ठहराए समय पर कार्यवाही करता है।
वह “एक शोभायमान मुकुट . . . ठहरेगी”
यशायाह 60:1 प्राचीन समय में और हमारे जमाने में हुई सच्ची उपासना की बहाली की ओर इशारा करते हुए कहता है: “उठ, प्रकाशमान हो; क्योंकि तेरा प्रकाश आ गया है, और यहोवा का तेज तेरे ऊपर उदय हुआ है।” सिय्योन “यहोवा के हाथ में एक शोभायमान मुकुट . . . ठहरेगी।”—यशायाह 62:3.
यशायाह, अपने उन जातिभाइयों की तरफ से यहोवा से प्रार्थना करता है, जो बाबुल की बंधुआई में रहते वक्त पश्चाताप करते। (यशायाह 63:15–64:12) सच्चे और झूठे सेवकों के बीच फर्क बताने के बाद, यशायाह यह ऐलान करता है कि यहोवा किस तरह उसकी सेवा करनेवालों को आशीषें देगा।—यशायाह 65:1–66:24.
बाइबल सवालों के जवाब पाना:
61:8,9—“सदा की वाचा” क्या है और “वंश” किन्हें दर्शाता है? “सदा की वाचा” नयी वाचा है जो यहोवा ने अभिषिक्त मसीहियों के साथ बाँधी है। और “वंश,” ‘अन्य भेड़’ को दर्शाता है। (यूहन्ना 10:16, NW) ये लाखों की तादाद में वे लोग हैं जो अभिषिक्त मसीहियों का संदेश सुनकर उसे कबूल करते हैं।
63:5—परमेश्वर की जलजलाहट उसे कैसे सम्हालती है? वह ऐसे कि परमेश्वर की जलजलाहट बेकाबू नहीं होती, बल्कि उसका यह क्रोध हमेशा धार्मिकता के उसूलों के मुताबिक होता है। उसकी जलजलाहट उसे सम्हालती और प्रेरित करती है कि वह धार्मिकता से न्याय करे।
हमारे लिए सबक:
64:6. असिद्ध इंसान खुद का बचाव नहीं कर सकते। यानी वे अपने धार्मिकता के कामों के बलबूते पापों का प्रायश्चित्त नहीं कर सकते। ऐसे में, धार्मिकता के ये काम मैले-कुचैले चिथड़ों के बराबर ही होते हैं।—रोमियों 3:23, 24.
65:13, 14. यहोवा अपने वफादार सेवकों पर आशीषें बरसाता है और उनकी आध्यात्मिक ज़रूरतों को इस कदर पूरा करता है कि उन्हें कोई कमी महसूस नहीं होती।
66:3-5. यहोवा कपट से घृणा करता है।
“तुम हर्षित हो”
बाबुल में गुलामी की ज़िंदगी काट रहे वफादार यहूदियों को बहाली की भविष्यवाणियों से कितना दिलासा मिला होगा! यहोवा ने कहा: “जो मैं उत्पन्न करने पर हूं, उसके कारण तुम हर्षित हो और सदा सर्वदा मगन रहो; क्योंकि देखो, मैं यरूशलेम को मगन और उसकी प्रजा को आनन्दित बनाऊंगा।”—यशायाह 65:18.
यशायाह के दिनों में जीनेवाले यहूदियों की तरह आज हम भी ऐसे समय में जी रहे हैं जब पृथ्वी पर अँधियारा और राज्य राज्य के लोगों पर घोर अंधकार छाया हुआ है। (यशायाह 60:2) जी हाँ, यह “कठिन समय” चल रहा है। (2 तीमुथियुस 3:1) इसलिए, बाइबल की किताब यशायाह में यहोवा जो उद्धार का संदेश देता है, उससे हमारा कितना हौसला बढ़ता है।—इब्रानियों 4:12. (w07 1/15)
[फुटनोट]
a यशायाह 1:1–35:10 के बारे में जानने के लिए दिसंबर 1, 2006 की प्रहरीदुर्ग में, “यहोवा का वचन जीवित है—यशायाह किताब की झलकियाँ—I” देखिए।
[पेज 8 पर तसवीर]
क्या आप जानते हैं कि हिजकिय्याह ने किस खास वजह से अश्शूरियों से बचाए जाने की प्रार्थना की थी?
[पेज 11 पर तसवीर]
“पहाड़ों पर उसके पांव क्या ही सुहावने हैं जो शुभ समाचार लाता है”!