बीसवाँ अध्याय
यहोवा राजा है
1, 2. (क) यहोवा का कोप किन पर भड़कनेवाला है? (ख) क्या यहूदा सज़ा से बच जाएगा, और यह हम कैसे जानते हैं?
बाबुल, पलिश्तीन, मोआब, अराम, कूश, मिस्र, एदोम, सोर, अश्शूर, इन सभी पर यहोवा का कोप भड़कनेवाला है। इन दुश्मन देशों और नगरों पर आनेवाली विपत्तियों के बारे में तो यशायाह ने पहले ही बता दिया है। मगर, यहूदा के बारे में क्या? क्या यहूदा के निवासी अपने पापों की सज़ा से बच जाएँगे? इतिहास के पन्ने बताते हैं कि ऐसा हरगिज़ नहीं था!
2 गौर कीजिए कि सामरिया का क्या हुआ था, जो दस गोत्रवाले राज्य, इस्राएल की राजधानी था। वह देश परमेश्वर के साथ बाँधी गयी वाचा के मुताबिक नहीं चला। उसे अपने पड़ोसी देशों के घिनौने कामों से दूर रहना था, मगर उसने ऐसा नहीं किया। इसके बजाय, सामरिया के निवासियों ने “यहोवा को क्रोध दिलाने के योग्य बुरे काम किए। . . . इस कारण यहोवा इस्राएल से अति क्रोधित हुआ, और उन्हें अपने साम्हने से दूर कर दिया।” अपने देश से खदेड़े जाने पर, “इस्राएल अपने देश से निकालकर अश्शूर को पहुंचाया गया।” (2 राजा 17:9-12,16-18,23; होशे 4:12-14) इस्राएल का जो अंजाम हुआ वह उसके रिश्ते में आनेवाले यहूदा राज्य के लिए एक चेतावनी है।
यशायाह, यहूदा के उजड़ने की भविष्यवाणी करता है
3. (क) यहोवा, यहूदा के दो गोत्रों के राज्य को क्यों छोड़ देता है? (ख) यहोवा ने अब क्या करने की ठान ली है?
3 यहूदा के कुछ राजा यहोवा के वफादार रहे थे, मगर ज़्यादातर राजा ऐसे नहीं थे। वफादार राजा योताम के राज में भी, प्रजा के लोगों ने झूठी उपासना करना पूरी तरह से नहीं छोड़ा। (2 राजा 15:32-35) और जब यहूदा पर, खून के प्यासे राजा मनश्शे का राज चला तब तो दुष्टता सारी हदें पार कर गयी। यहूदी परंपरा के मुताबिक राजा मनश्शे ने ही वफादार भविष्यवक्ता यशायाह को आरे से चीरकर मार डालने का हुक्म दिया था। (इब्रानियों 11:37 से तुलना कीजिए।) यह दुष्ट राजा ‘यहूदा और यरूशलेम के निवासियों को इस कदर भटकाता रहा कि उन्हों ने उन जातियों से भी बढ़कर बुराई की, जिन्हें यहोवा ने इस्राएलियों के साम्हने से विनाश किया था।’ (2 इतिहास 33:9) मनश्शे के राज में इस देश में इतनी भ्रष्टता फैल जाती है जितनी उस वक्त भी नहीं थी जब यहाँ कनानी रहते थे। इसीलिए यहोवा ऐलान करता है: “सुनो, मैं यरूशलेम और यहूदा पर ऐसी विपत्ति डालना चाहता हूं कि जो कोई उसका समाचार सुनेगा वह बड़े सन्नाटे में आ जाएगा। . . . और मैं यरूशलेम को ऐसा पोछूंगा जैसे कोई थाली को पोंछता है और उसे पोंछकर उलट देता है। और मैं अपने निज भाग के बचे हुओं को त्यागकर शत्रुओं के हाथ कर दूंगा और वे अपने सब शत्रुओं के लिए लूट और धन बन जाएंगे। इसका कारण यह है, कि जब से उनके पुरखा मिस्र से निकले तब से आज के दिन तक वे वह काम करके जो मेरी दृष्टि में बुरा है, मुझे रिस दिलाते आ रहे हैं।”—2 राजा 21:11-15.
4. यहोवा, यहूदा के साथ क्या करेगा और यह भविष्यवाणी कैसे पूरी होती है?
4 जिस तरह एक थाली को उलट देने पर उसमें जो कुछ है वह गिर जाता है, उसी तरह यहूदा देश को खाली किया जाएगा और उसके सभी निवासियों को वहाँ से निकाल दिया जाएगा। यहूदा देश और यरूशलेम नगर के इस तरह उजाड़े जाने के बारे में यशायाह एक बार फिर भविष्यवाणी करता है। वह कहता है: “सुनो, यहोवा पृथ्वी को निर्जन और सुनसान करने के पर है, वह उसको उलटकर उसके रहनेवालों को तितर बितर करेगा।” (यशायाह 24:1) यह भविष्यवाणी तब पूरी होती है जब राजा नबूकदनेस्सर की अगुवाई में बाबुल की सेना यरूशलेम और उसके मंदिर को तबाह कर देती है और यहूदा के ज़्यादातर निवासी तलवार, अकाल और महामारी से मारे जाते हैं। और बचे हुए यहूदियों में से ज़्यादातर को बंदी बनाकर बाबुल ले जाया जाता है और जो थोड़े रह जाते हैं वे मिस्र भाग जाते हैं। इस तरह यहूदा देश को तबाह करके पूरी तरह खाली कर दिया जाता है। यहाँ तक कि पालतू जानवर भी कहीं नज़र नहीं आते। यह उजड़ा हुआ देश एक वीराना बन जाता है जहाँ चारों तरफ खंडहर ही खंडहर हैं और जंगली जानवर और पक्षी ही वास करते हैं।
5. क्या यहोवा के न्यायदंड से किसी को छूट मिलेगी? समझाइए।
5 यहूदा पर आनेवाले न्यायदंड के दौरान क्या किसी के साथ नरमी से व्यवहार किया जाएगा? यशायाह जवाब देता है: “जैसी यजमान की वैसी याजक की; जैसी दास की वैसा स्वामी की; जैसी दासी की वैसी स्वामिनी की; जैसी लेनेवाले की वैसी बेचनेवाले की; जैसी उधार देनेवाले की वैसी उधार लेनेवाले की; जैसी ब्याज लेनेवाले की वैसी ब्याज देनेवाले की; सभों की एक ही दशा होगी। पृथ्वी शून्य और सत्यानाश हो जाएगी; क्योंकि यहोवा ही ने यह कहा है।” (यशायाह 24:2,3) हर किसी के साथ एक ही तरह का व्यवहार किया जाएगा, फिर चाहे वह दौलतमंद इंसान हो या मंदिर में कोई खास सेवा करनेवाला। किसी को भी नहीं बख्शा जाएगा। यह देश इतना भ्रष्ट हो चुका है कि नाश से बचनेवाले हर किसी को, याजक, दास, स्वामी, खरीदनेवाले, बेचनेवाले, सभी को गुलामी में जाना ही होगा।
6. यहोवा, यहूदा देश से अपनी आशीष क्यों हटा लेता है?
6 इसमें शक की कोई गुंजाइश न रहे, इसलिए यशायाह वर्णन करता है कि आनेवाले संकट में किस कदर पूरी तरह विनाश होगा, साथ ही वह इसकी वजह भी बताता है: “पृथ्वी विलाप करेगी और मुर्झाएगी, जगत कुम्हलाएगा और मुर्झा जाएगा; पृथ्वी के महान लोग भी कुम्हला जाएंगे। पृथ्वी अपने रहनेवालों के कारण अशुद्ध हो गई है, क्योंकि उन्हों ने व्यवस्था का उल्लंघन किया और विधि को पलट डाला, और सनातन वाचा को तोड़ दिया है। इस कारण पृथ्वी को शाप ग्रसेगा [“निगल जाएगा,” NHT] और उस में रहनेवाले दोषी ठहरेंगे; और इसी कारण पृथ्वी के निवासी भस्म होंगे और थोड़े ही मनुष्य रह जाएंगे।” (यशायाह 24:4-6) जब इस्राएलियों को कनान देश दिया गया था तब इस देश में “दूध और मधु की धाराएं बहती” थीं। (व्यवस्थाविवरण 27:3) फिर भी, उनकी खुशहाली यहोवा की आशीष पर निर्भर थी। अगर वे हमेशा उसकी विधियों और आज्ञाओं के मुताबिक चलते तो ‘भूमि अपनी उपज उपजाती,’ लेकिन अगर वे जानबूझकर उसके नियमों और आज्ञाओं का उल्लंघन करते तो भूमि को जोतने में लगा उनका सारा परिश्रम “व्यर्थ” (NHT) जाता और भूमि ‘अपनी उपज न उपजाती।’ (लैव्यव्यवस्था 26:3-5,14,15,20) यहोवा का शाप ‘पृथ्वी को निगल जाता।’ (व्यवस्थाविवरण 28:15-20,38-42,62,63) अब वह समय आ गया है कि यहूदा उस शाप को झेलने के लिए तैयार हो जाए।
7. व्यवस्था वाचा किस तरह इस्राएलियों के लिए एक आशीष साबित होती?
7 यशायाह के दिनों से लगभग 800 साल पहले, इस्राएली अपनी मरज़ी से यहोवा के साथ एक वाचा में बँध गए और उसका पालन करने का वादा किया। (निर्गमन 24:3-8) उस व्यवस्था वाचा की शर्तों में यह साफ बताया गया था कि अगर वे यहोवा की आज्ञाएँ मानेंगे तो उन्हें भरपूर आशीषें मिलेंगी। लेकिन अगर वे इस वाचा को तोड़ देंगे तो वे उसकी आशीष खो बैठेंगे और उनके दुश्मन उन्हें बंदी बनाकर ले जाएँगे। (निर्गमन 19:5,6; व्यवस्थाविवरण 28:1-68) मूसा के ज़रिए दी गयी यह व्यवस्था वाचा आनेवाले भविष्य में अनिश्चित समय तक उन पर लागू होती। और यह तब तक इस्राएलियों की रखवाली करती जब तक कि मसीहा न आता।—गलतियों 3:19,24.
8. (क) लोगों ने किस तरह “व्यवस्था का उल्लंघन किया” और “विधि को पलट डाला” है? (ख) किस तरह सबसे पहले “महान लोग” “कुम्हला” जाएँगे?
8 मगर इन लोगों ने “सनातन वाचा को तोड़ दिया है।” उन्होंने परमेश्वर से मिले नियमों का उल्लंघन किया, उन्हें नज़रअंदाज़ कर दिया है। उन्होंने “विधि को पलट डाला” है और यहोवा के कानूनों को छोड़ और ही कानून मानने लगे हैं। (निर्गमन 22:25; यहेजकेल 22:12) इसलिए इन लोगों को देश से निकाल दिया जाएगा। आनेवाले न्याय के दिन में किसी पर भी दया नहीं दिखायी जाएगी। यहोवा की रक्षा और उसकी आशीष के हट जाने से लोग “कुम्हला” जाएँगे। और इनमें सबसे पहले “महान लोग” होंगे यानी राजघराने के लोग। इस भविष्यवाणी के मुताबिक जब यरूशलेम का विनाश करीब आया, तब पहले मिस्रियों ने और फिर बाबुलियों ने यहूदा के राजाओं को अपने अधीन किया। बाद में, राजा यहोयाकीन और राजघराने के दूसरे लोगों को सबसे पहले बंदी बनाकर बाबुल ले जाया गया।—2 इतिहास 36:4,9,10.
देश की खुशियाँ मिट जाती हैं
9, 10. (क) इस्राएल में खेती-बाड़ी की क्या अहमियत है? (ख) ‘अपनी अपनी दाखलता और अंजीर के वृक्ष तले बैठने’ का क्या मतलब है?
9 इस्राएल देश में ज़्यादातर लोग खेती-बाड़ी करते हैं। जब से इस्राएली वादा किए हुए देश में आए हैं, तब से फसलें उगाना और भेड़-बकरियाँ चराना उनका व्यवसाय रहा है। इस वजह से इस्राएल को खेती-बाड़ी के बारे में बहुत-से कानून दिए गए हैं। उनसे यह माँग की गयी है कि वे हर सातवें साल भूमि को सब्त के ज़रिए विश्राम ज़रूर दें जिससे मिट्टी फिर से उपजाऊ हो जाए। (निर्गमन 23:10,11; लैव्यव्यवस्था 25:3-7) इस्राएलियों को साल में जो तीन पर्व मनाने की आज्ञा दी गयी थी, उनका समय ऐसे तय किया गया था कि वे अलग-अलग फसल की कटनी के समय पर आएँ।—निर्गमन 23:14-16.
10 पूरे देश में जगह-जगह दाख की बारियाँ नज़र आती हैं। बाइबल में दाखलता से मिलनेवाले दाखमधु को परमेश्वर की देन बताया गया है जिससे “मनुष्य का मन आनन्दित होता है।” (भजन 104:15) ‘अपनी अपनी दाखलता और अंजीर के वृक्ष तले बैठने’ का मतलब है परमेश्वर के धर्मी शासन के अधीन खुशहाली, शांति और सुरक्षा से जीना। (1 राजा 4:25; मीका 4:4) अंगूर की अच्छी फसल होना एक आशीष मानी जाती है और इस मौके पर लोग गीत गाते और खुशियाँ मनाते हैं। (न्यायियों 9:27; यिर्मयाह 25:30, NW) लेकिन जब दाखलताएँ कुम्हला जाती हैं या उनमें अंगूर नहीं लगते और वे कंटीली जंगली झाड़ियों जैसी बन जाती हैं तो यह इस बात का संकेत है कि यहोवा ने अपनी आशीष उन पर से हटा दी है। इसलिए यह मातम मनाने का समय है।
11, 12. (क) यहोवा के न्यायदंड से होनेवाले अंजाम को समझाने के लिए यशायाह क्या उदाहरण देता है? (ख) यशायाह, भविष्य में आनेवाले किन बुरे दिनों का वर्णन करता है?
11 तो यह कितना सही है कि देश पर से यहोवा की आशीष हट जाने पर जो हालात होंगे, उसे समझाने के लिए यशायाह दाख की बारियों और उनके फल का उदाहरण देता है: “नया दाखमधु जाता रहेगा, दाखलता मुर्झा जाएगी, और जितने मन में आनन्द करते हैं सब लम्बी लम्बी सांस लेंगे। डफ का सुखदाई शब्द बन्द हो जाएगा, प्रसन्न होनेवालों का कोलाहल जाता रहेगा, वीणा का सुखदाई शब्द शान्त हो जाएगा। वे गाकर फिर दाखमधु न पीएंगे; पीनेवाले को मदिरा कड़ुवी लगेगी। गड़बड़ी मचानेवाली नगरी नाश होगी, उसका हर एक घर ऐसा बन्द किया जाएगा कि कोई पैठ न सकेगा। सड़कों में लोग दाखमधु के लिये चिल्लाएंगे; आनन्द मिट जाएगा: देश का सारा हर्ष जाता रहेगा। नगर उजाड़ ही उजाड़ रहेगा, और उसके फाटक तोड़कर नाश किए जाएंगे।”—यशायाह 24:7-12.
12 डफ और वीणा ऐसे सुरीले साज़ हैं जिन्हें यहोवा की स्तुति करने और खुशी ज़ाहिर करने के लिए बजाया जाता है। (2 इतिहास 29:25; भजन 81:2) लेकिन जब परमेश्वर उन्हें दंड देगा, तब इन साज़ों का संगीत नहीं सुनायी देगा। अंगूर की फसल की कटनी नहीं होगी, न ही खुशियाँ मनायी जाएँगी। उजड़े हुए यरूशलेम के खंडहरों में खुशी की आवाज़ सुनायी नहीं देगी, उसके फाटक “तोड़कर नाश किए जाएंगे” और उसके घर ‘ऐसे बन्द किए जाएँगे’ कि उनमें कोई घुस न सकेगा। जो देश उपजाऊ होने के लिए जाना जाता है, उसके निवासियों को भविष्य में कैसे बुरे दिन देखने पड़ेंगे!
बचे हुए लोग “आनन्द से जय जयकार करेंगे”
13, 14. (क) कटनी के बारे में यहोवा के नियम क्या हैं? (ख) कटनी के कुछ नियमों का हवाला देते हुए यशायाह कैसे समझाता है कि कुछ लोग यहोवा के न्यायदंड से बच जाएँगे? (ग) हालाँकि वफादार यहूदियों पर परीक्षाएँ आ रही हैं, मगर फिर भी वे किस बात का यकीन रख सकते हैं?
13 जैतून की कटनी करने के लिए इस्राएली इसके पेड़ों को लकड़ियों से झाड़ते हैं ताकि फल ज़मीन पर गिर सके। मगर पेड़ पर चढ़कर बचे हुए जैतून तोड़ना परमेश्वर की कानून-व्यवस्था में मना है। उसी तरह जब वे अपनी दाख की बारियों में से अंगूर की फसल काटते हैं तब उन्हें बचे-खुचे अंगूरों को इकट्ठा नहीं करना है। बची हुई फसल को गरीबों के लिए यानी ‘परदेशियों, अनाथों, और विधवाओं के लिये’ छोड़ देना है। (व्यवस्थाविवरण 24:19-21) इन जाने-माने कानूनों का हवाला देकर, यशायाह एक दिलासा देनेवाली बात बताता है कि यहोवा के आनेवाले न्यायदंड से कुछ बचनेवाले भी होंगे: “जैसे जैतून का वृक्ष झाड़ने के समय व अंगूर की फसल तोड़ लेने के पश्चात् कुछ ही शेष रह जाता है वैसा ही पृथ्वी पर जाति जाति के मध्य होगा। वे अपनी आवाज़ उठाएंगे और आनन्द से जय जयकार करेंगे। वे यहोवा के वैभव के विषय पश्चिम से ललकारेंगे। इसलिए तुम पूर्व में यहोवा की, और समुद्र के तटीय देश में इस्राएल के परमेश्वर यहोवा के नाम की महिमा करो। पृथ्वी के छोर छोर से हमें ये गीत सुनाई पड़ते हैं, ‘उस धर्मी की महिमा हो!’”—यशायाह 24:13-16क, NHT.
14 जैसे “अंगूर की फसल तोड़ लेने के पश्चात् कुछ ही शेष रह जाता है” यानी कटनी के बाद दाखलता पर या पेड़ पर थोड़े फल रह जाते हैं, उसी तरह यहोवा की ओर से आनेवाले न्यायदंड से कुछ लोग बचेंगे। उनके बारे में आयत 6 में भविष्यवक्ता ने पहले ही बताया था कि “थोड़े ही मनुष्य रह जाएंगे।” भले ही इन लोगों की गिनती कम है, मगर वे यरूशलेम और यहूदा के विनाश से ज़रूर बच निकलेंगे और बाद में कुछ लोग बंधुआई से छूटकर आएँगे और अपने देश को फिर से बसाएँगे। (यशायाह 4:2,3; 14:1-5) हालाँकि उन धर्मी लोगों को पहले कई परीक्षाओं से गुज़रना होगा, मगर वे इस बात का यकीन रख सकते हैं कि बाद में उन्हें छुटकारा ज़रूर मिलेगा और खुशियाँ वापस लौट आएँगी। बचनेवाले ये लोग यहोवा की भविष्यवाणी के वचन को सच होते देखेंगे और इस बात की कदर कर पाएँगे कि यशायाह, वाकई परमेश्वर का सच्चा भविष्यवक्ता था। जब वे खुद अपनी आँखों से देखेंगे कि उनके देश के फिर से बसाए जाने की भविष्यवाणियाँ पूरी हो रही हैं, तो उनका दिल खुशी से झूम उठेगा। वे चाहे तितर-बितर होकर कहीं भी क्यों न चले गए हों, पश्चिम में भूमध्य सागर के द्वीपों में, या “पूर्व” (यानी सूर्योदय) के देश बाबुल में या किसी और दूर-दराज़ के इलाके में, वे परमेश्वर की महिमा करेंगे क्योंकि उन्हें बचाया गया है। और वे यह गीत गाएँगे: “उस धर्मी की महिमा हो!”
यहोवा के न्याय से बचना मुमकिन नहीं
15, 16. (क) अपने लोगों पर जो बीतनेवाली है, उसके बारे में सोच-सोचकर यशायाह कैसा महसूस करता है? (ख) देश के विश्वासघाती लोगों का क्या अंजाम होगा?
15 लेकिन फिलहाल यह वक्त खुशियाँ मनाने का नहीं है। यशायाह अपने ज़माने के लोगों का ध्यान वापस मौजूदा हालात की ओर दिलाता है: “परन्तु मैं ने कहा, हाय, हाय! मैं नाश हो गया, नाश! क्योंकि विश्वासघाती विश्वासघात करते, वे बड़ा ही विश्वासघात करते हैं। हे पृथ्वी के रहनेवालो तुम्हारे लिये भय और गड़हा और फन्दा हैं! जो कोई भय के शब्द से भागे वह गड़हे में गिरेगा, और जो कोई गड़हे में से निकले वह फन्दे में फंसेगा। क्योंकि आकाश के झरोखे खुल जाएंगे, और पृथ्वी की नेव डोल उठेगी। पृथ्वी फटकर टुकड़े टुकड़े हो जाएगी, पृथ्वी अत्यन्त कम्पायमान होगी। वह मतवाले की नाईं बहुत डगमगाएगी। और मचान की नाईं डोलेगी; वह अपने पाप के बोझ से दबकर गिरेगी और फिर न उठेगी।”—यशायाह 24:16ख-20.
16 यशायाह को इस बात का दुःख खाए जा रहा है कि उसकी जाति के लोगों पर क्या-क्या बीतनेवाली है। आस-पास के हालात देखकर वह मन-ही-मन बहुत पीड़ित है और विलाप कर रहा है। देश में जहाँ देखो, वहाँ विश्वासघाती लोग हैं और उन्होंने लोगों में आतंक फैला रखा है। लेकिन जब यहूदा देश पर से यहोवा का साया उठ जाएगा, तब ये विश्वासघाती रात-दिन खौफ में जीएँगे। उन्हें इतना भरोसा भी नहीं रहेगा कि वे अगले पल ज़िंदा रहेंगे या नहीं। यहोवा की आज्ञाओं और उसकी बुद्धि को ठुकराने की वजह से उन पर जो संकट आ रहा है उससे बचना मुमकिन नहीं। (नीतिवचन 1:24-27) विश्वासघाती लोग झूठ और कपट का सहारा लेकर भले ही लोगों को यकीन दिलाने की कोशिश करें कि सब ठीक हो जाएगा, मगर इससे विपत्ति टलनेवाली नहीं है। ये लोग दरअसल उन्हें विनाश के मार्ग पर ले जा रहे हैं। (यिर्मयाह 27:9-15) बाहर से दुश्मन ज़रूर आएँगे, उन्हें लूट लेंगे और बंदी बनाकर ले जाएँगे। ये सारी बातें सोच-सोचकर यशायाह का दिल गम में डूबा जा रहा है।
17. (क) यहोवा के न्यायदंड से बचना क्यों मुमकिन नहीं? (ख) जब यहोवा न्यायदंड देने के लिए आकाश के झरोखे खोल देगा तब देश का क्या हाल होगा?
17 फिर भी, भविष्यवक्ता को यह ऐलान करना ही है कि इस न्याय से बचना मुमकिन नहीं। लोग चाहे कहीं भी भागने की कोशिश करें, वे पकड़े जाएँगे। कुछ लोग एक मुसीबत से बचेंगे तो दूसरी उन पर आ पड़ेगी, उन्हें कहीं भी शरण नहीं मिलेगी। यह मानो ऐसा है जैसे कि कोई जानवर शिकारी से भागते समय गड्ढे में गिरने से तो बच जाता है, मगर फिर वह जाल में फँस जाता है। (आमोस 5:18,19 से तुलना कीजिए।) यहोवा न्यायदंड देने के लिए आकाश के झरोखे खोल देगा जिससे पूरे देश की बुनियाद ही हिल जाएगी। अपने पाप के बोझ तले दबा यह देश, एक शराबी की तरह लड़खड़ाकर ज़मीन पर ऐसा गिरेगा कि फिर उठ न पाएगा। (आमोस 5:2) यहोवा ने सर्वनाश करने का फैसला कर लिया है। देश पूरी तरह तबाह और बरबाद हो जाएगा।
यहोवा प्रताप के साथ राज करेगा
18, 19. (क) “आकाश की सेना” का क्या मतलब हो सकता है और ये “गड़हे में इकट्ठे” कैसे किए जाएँगे? (ख) “बहुत दिनों के बाद,” “आकाश की सेना” पर कैसे ध्यान दिया जाएगा? (ग) यहोवा “पृथ्वी के राजाओं” पर कैसे ध्यान देगा?
18 यशायाह की भविष्यवाणी अब और भी बड़ी-बड़ी घटनाओं के बारे में बताती है और दिखाती है कि यहोवा आखिर में अपना मकसद कैसे पूरा करेगा: “उस समय ऐसा होगा कि यहोवा आकाश की सेना को आकाश में और पृथ्वी के राजाओं को पृथ्वी ही पर दण्ड देगा। वे बंधुओं की नाईं गड़हे में इकट्ठे किए जाएंगे और बन्दीगृह में बन्द किए जाएंगे; और बहुत दिनों के बाद उनकी सुधि ली जाएगी। तब चन्द्रमा संकुचित हो जाएगा और सूर्य लज्जित होगा; क्योंकि सेनाओं का यहोवा सिय्योन पर्वत पर और यरूशलेम में अपनी प्रजा के पुरनियों के साम्हने प्रताप के साथ राज्य करेगा।”—यशायाह 24:21-23.
19 “आकाश की सेना” का मतलब ‘संसार के अन्धकार के हाकिम, और आकाश में दुष्टता की आत्मिक सेनाएं’ हो सकता है। (इफिसियों 6:12) इन्होंने दुनिया पर हुकूमत चलानेवाली विश्वशक्तियों पर ज़बरदस्त असर डाला है। (दानिय्येल 10:13,20; 1 यूहन्ना 5:19) उनका मकसद यही है कि वे लोगों को यहोवा से और उसकी शुद्ध उपासना से दूर ले जाएँ। इस्राएल को भी भ्रष्ट करने में ये कितने कामयाब रहे हैं! इसी वजह से इस्राएल अपने आस-पास के देशों की तरह घिनौने काम करने लगा है और अब उस पर परमेश्वर से दंड पाने की नौबत आ गयी है! मगर वह घड़ी भी आएगी जब परमेश्वर शैतान और उसके पिशाचों से जवाब तलब करेगा। उस वक्त परमेश्वर इनके साथ-साथ “पृथ्वी के राजाओं” पर भी ध्यान देगा जिन्हें शैतान ने परमेश्वर के खिलाफ जाने और उसके नियमों को तोड़ने के लिए बहकाया है। (प्रकाशितवाक्य 16:13,14) इस बारे में लाक्षणिक भाषा में यशायाह कहता है कि वे इकट्ठे किए जाएँगे और “बन्दीगृह में बन्द किए जाएंगे।” फिर “बहुत दिनों के बाद,” शायद जब शैतान और उसके पिशाचों को (लेकिन “पृथ्वी के राजाओं को” नहीं) यीशु मसीह के हज़ार साल के राज के अंत में कुछ देर के लिए छोड़ा जाएगा, तो परमेश्वर उन्हें उनकी आखिरी सज़ा देगा जिसके वे लायक हैं।—प्रकाशितवाक्य 20:3,7-10.
20. प्राचीनकाल में और आज के ज़माने में भी, यहोवा कैसे और कब “राजा हुआ”?
20 इस तरह यशायाह की भविष्यवाणी के इस भाग ने यहूदियों के मन में उम्मीद की किरण जगायी। यहोवा अपने ठहराए हुए समय पर, प्राचीन बाबुल को गिरा देगा और यहूदियों को उनके वतन वापस ले जाएगा। जब सा.यु.पू. 537 में, यहोवा ऐसा करके अपने लोगों की खातिर अपनी ताकत और हुकूमत करने के अधिकार को ज़ाहिर करता है, तो सही मायनों में यहूदियों से यह कहा जा सकता है: “तेरा परमेश्वर राजा है।” (यशायाह 52:7, NHT, फुटनोट) आज के ज़माने में, यहोवा 1914 में “राजा हुआ” जब उसने स्वर्ग के राज्य में अपने बेटे यीशु मसीह को राजा ठहराया। (भजन 96:10) वह सन् 1919 में भी “राजा हुआ” जब उसने आत्मिक इस्राएल को बड़े बाबुल की बंधुआई से छुड़ाकर अपनी हुकूमत की ताकत ज़ाहिर की।
21. (क) ‘चन्द्रमा संकुचित’ कैसे होगा और ‘सूर्य लज्जित’ कैसे होगा? (ख) कौन-सी ज़बरदस्त पुकार सबसे बड़े पैमाने पर गूँज उठेगी?
21 भविष्य में यहोवा एक बार फिर “राजा होगा” जब वह बड़े बाबुल का और इस तमाम दुष्ट संसार का खात्मा कर देगा। (जकर्याह 14:9; प्रकाशितवाक्य 19:1,2,19-21) उसके बाद, यहोवा का राज इतना शानदार और वैभवशाली होगा कि रात में न तो पूर्णिमा की चाँदनी और न ही भरी दोपहर में सूर्य का प्रकाश उसकी महिमा की बराबरी कर पाएँगे। (प्रकाशितवाक्य 22:5 से तुलना कीजिए।) सेनाओं के यहोवा के प्रताप की दमक के सामने सूरज और चाँद मानो अपने फीकेपन पर लज्जित हो जाएँगे। यहोवा ही सब पर हुकूमत करनेवाला परमप्रधान होगा। उसकी ताकत और महिमा की बराबरी कोई नहीं कर सकता, यह सच्चाई सब पर ज़ाहिर हो जाएगी। (प्रकाशितवाक्य 4:8-11; 5:13,14) आनेवाला भविष्य कितना शानदार होगा! उस वक्त, भजन 97:1 बड़े पैमाने पर सच होगा क्योंकि उसमें दी गयी यह पुकार सारी धरती पर गूँज उठेगी: “यहोवा राजा हुआ है, पृथ्वी मगन हो; और द्वीप जो बहुतेरे हैं, वह भी आनन्द करें!”
[पेज 262 पर तसवीर]
देश में संगीत और खुशियाँ मनाने की आवाज़ अब और सुनायी नहीं देगी
[पेज 265 पर तसवीर]
कुछ लोग यहोवा के न्यायदंड से बचेंगे, वैसे ही जैसे कटनी के बाद थोड़े फल पेड़ पर रह जाते हैं
[पेज 267 पर तसवीर]
यशायाह को यह गम खाए जा रहा है कि उसकी जाति के लोगों पर क्या-क्या बीतनेवाला है
[पेज 269 पर तसवीर]
न तो सूर्य न ही चंद्रमा यहोवा के प्रताप की दमक की बराबरी कर सकेंगे