खराई-रखनेवाली जाति
“फाटकों को खोलो कि सच्चाई का पालन करनेवाली एक धर्मी जाति प्रवेश करे।”—यशायाह २६:२.
१. “धर्मी जाति” के बारे में यशायाह का कथन अचम्भित करनेवाला क्यों हो सकता है?
आज, सभी क़िस्म की जातियाँ हैं। कुछ लोकतंत्र हैं, कुछ अधिनायकतंत्र। कुछ अमीर हैं, कुछ ग़रीब। लेकिन उनमें एक समानता है: सभी उस संसार का भाग हैं जिसका ईश्वर शैतान है। (२ कुरिन्थियों ४:४) इसे ध्यान में रखते हुए, कुछ लोगों को शायद यशायाह के शब्दों से अचम्भा हो जब वह कहता है: “फाटकों को खोलो कि सच्चाई का पालन करनेवाली एक धर्मी जाति प्रवेश करे।” (यशायाह २६:२) एक धर्मी जाति? जी हाँ, एक धर्मी जाति है, चूँकि भविष्यवाणी हमारे समय में इसके अस्तित्व की ओर संकेत करती है। इस अनोखी जाति को कैसे पहचाना जा सकता है?
२. “धर्मी जाति” क्या है? हम कैसे जानते हैं?
२ नया संसार अनुवाद (अंग्रेज़ी) में यशायाह २६:२ के अनुवाद में इसे “विश्वासी आचरण रखनेवाली” जाति कहा गया है। ओल्ड वर्शन हिन्दी बाइबल इस आयत का अनुवाद करती है, “सच्चाई का पालन करनेवाली एक धर्मी जाति।” दोनों ही सही वर्णन हैं। वास्तव में, उस धर्मी जाति को पहचानना आसान है क्योंकि पृथ्वी पर वह एकमात्र जाति है जो राजा मसीह के अधीन है, अतः शैतान के संसार का भाग नहीं है। (यूहन्ना १७:१६) उसी हैसियत से, उसके सदस्य ‘अन्यजातियों में अपना चालचलन भला’ रखने के लिए जाने जाते हैं। वह ऐसी जीवन-शैली अपनाते हैं जो परमेश्वर को महिमा लाती है। (१ पतरस २:१२) इसके अलावा, संसार में वे चाहे जहाँ भी हों, वे उस कलीसिया का भाग हैं “जो जीवते परमेश्वर की कलीसिया है, और जो सत्य का खंभा, और नेव है।” (१ तीमुथियुस ३:१५) सत्य का समर्थन करते हुए, वे मसीहीजगत द्वारा सिखाए गए झूठे तत्त्वज्ञानों को अस्वीकार करते हैं, और वे ‘वचन के शुद्ध दूध,’ अर्थात् परमेश्वर के वचन, बाइबल का समर्थन करते हैं। (१ पतरस २:२, NW) इसके अतिरिक्त, वे “आकाश के नीचे की सारी सृष्टि में” जोश के साथ राज्य सुसमाचार का प्रचार करते हैं। (कुलुस्सियों १:२३) क्या इसमें कोई संदेह हो सकता है कि यह जाति “परमेश्वर के इस्राएल” के शेष जनों, अर्थात् अभिषिक्त मसीहियों की कलीसिया से बनी है? बिल्कुल नहीं!—गलतियों ६:१६.
वह जाति उत्पन्न हुई है
३. वर्णन कीजिए कि “धर्मी जाति” कैसे उत्पन्न हुई।
३ वह “धर्मी जाति” कब उत्पन्न हुई थी? उसके आरम्भ की भविष्यवाणी यशायाह की पुस्तक में की गयी थी। यशायाह ६६:७, ८ में हम पढ़ते हैं: “उसकी [सिय्योन की] पीड़ाएं उठने से पहले ही उस ने जन्मा दिया; उसको पीड़ाएं होने से पहिले ही उस से बेटा जन्मा। . . . सिय्योन की पीड़ाएं उठी ही थीं कि उस से सन्तान उत्पन्न हो गए।” अति असाधारण रूप से, प्रसव पीड़ाएँ उठने से पहले ही सिय्योन, अर्थात् परमेश्वर के स्वर्गीय संगठन को एक “बेटा” जनना था। वर्ष १९१४ में मसीहाई राज्य का स्वर्ग में जन्म हुआ। (प्रकाशितवाक्य १२:५) उसके जन्म के बाद, प्रथम विश्व युद्ध में अधिकाधिक राष्ट्र अंतर्ग्रस्त हो गए, और अभिषिक्त मसीहियों ने अत्यधिक कष्ट और सताहट को सहा। अन्त में, वर्ष १९१९ में पृथ्वी पर आध्यात्मिक जाति, अर्थात् ‘बेटे’ का जन्म हुआ। अतः सिय्योन से “सन्तान उत्पन्न हो गए”—नयी “धर्मी जाति” के अभिषिक्त सदस्य—और इन्हें एक निरन्तर विस्तृत होते गवाही कार्य के लिए संगठित किया गया।—मत्ती २४:३, ७, ८, १४; १ पतरस २:९.
४. खराई बनाए रखने के लिए परमेश्वर की धर्मी जाति को संघर्ष क्यों करना पड़ा है?
४ अपनी शुरूआत से ही इस जाति को अपनी खराई की कठिन परीक्षाओं का सामना करना पड़ा है। क्यों? जब स्वर्गीय राज्य का जन्म हुआ, तब शैतान और उसके पिशाचों को स्वर्ग से पृथ्वी पर गिरा दिया गया। एक ऊँची आवाज़ ने घोषित किया: “अब हमारे परमेश्वर का उद्धार, और सामर्थ, और राज्य, और उसके मसीह का अधिकार प्रगट हुआ है; क्योंकि हमारे भाइयों पर दोष लगानेवाला, जो रात दिन हमारे परमेश्वर के साम्हने उन पर दोष लगाया करता था, गिरा दिया गया। और वे मेम्ने के लोहू के कारण, और अपनी गवाही के वचन के कारण, उस पर जयवन्त हुए, और उन्हों ने अपने प्राणों को प्रिय न जाना, यहां तक कि मृत्यु भी सह ली [क्योंकि मृत्यु सहने तक भी उन्होंने अपने प्राणों को प्रिय न जाना, NHT]।” परिस्थितियों के इस परिवर्तन पर शैतान ने बड़े क्रोध के साथ प्रतिक्रिया दिखायी “और [स्त्री की] शेष सन्तान से जो परमेश्वर की आज्ञाओं को मानते, और यीशु की गवाही देने पर स्थिर हैं, लड़ने को गया।” शैतान के आक्रमणों का सामना करते हुए, अभिषिक्त मसीही स्थिर रहे। आज तक, परमेश्वर की धर्मी जाति के जोशीले सदस्य यीशु के छुड़ौती देनेवाले लहू में विश्वास रखते हैं और “मृत्यु सहने तक भी” खराई रखने के द्वारा महा निंदक के लिए यहोवा को उत्तर देना जारी रखते हैं।—प्रकाशितवाक्य १२:१, ५, ९-१२, १७; नीतिवचन २७:११.
५. आधुनिक-दिन गवाहों की कौन-सी उत्तम मनोवृत्ति ने उन्हें खराई रखने में मदद दी है?
५ वर्ष १९१९ में, जब परमेश्वर के राज्य की आधुनिक-दिन गवाही शुरू हुई, तब यहोवा के गवाह जो उस समय बाइबल विद्यार्थी कहलाते थे, संख्या में थोड़े परन्तु विश्वास में मज़बूत थे। वे “एक दृढ़ नगर” के आधार सदस्य बने ‘जिसकी दीवारों और परकोटे का उद्धार नियुक्त है।’ (NW) उनका भरोसा ‘प्रभु यहोवा में था जो सनातन चट्टान है।’ (यशायाह २६:१, ३, ४) प्राचीन समय के मूसा की तरह, उन्होंने घोषित किया: “मैं तो यहोवा नाम का प्रचार करूंगा। तुम अपने परमेश्वर की महिमा को मानो! वह चट्टान है, उसका काम खरा है; और उसकी सारी गति न्याय की है। वह सच्चा ईश्वर है, उस में कुटिलता नहीं, वह धर्मी और सीधा है।”—व्यवस्थाविवरण ३२:३, ४.
६. इन अन्तिम दिनों में यहोवा ने अपने लोगों को किस तरह आशिष दी है?
६ तब से परमेश्वर के राज्य प्रबन्ध के फाटक पूरी तरह खुले हुए हैं। पहले १,४४,००० अभिषिक्त मसीहियों के शेष जनों को एकत्रित किया गया और अब ‘अन्य भेड़ों’ की एक बड़ी भीड़ यहोवा के राज्य उद्देश्यों को घोषित करने में शामिल हो रही है। (यूहन्ना १०:१६) अतः, आनन्दपूर्वक यह घोषित किया जा सकता है: “तू ने जाति को बढ़ाया; हे यहोवा, तू ने जाति को बढ़ाया है; तू ने अपनी महिमा दिखाई है और उस देश के सब सिवानों को तू ने बढ़ाया है।” (यशायाह २६:१५) आज जब हम संसार का क्षेत्र देखते हैं, तो हम उन शब्दों को कितना सही पाते हैं! पवित्र आत्मा की सामर्थ से, मसीह के आनेवाले राज्य की गवाही “पृथ्वी की छोर तक” दे दी गयी है। (प्रेरितों १:८) संसार-भर में यहोवा के गवाहों की १९९४ सेवा वर्ष रिपोर्ट से देखा जा सकता है कि वह विस्तार किस हद तक हुआ है। यह रिपोर्ट पृष्ठ १२ से १५ पर दी गयी है।
प्रकाशकों का नया शिखर
७, ८. (क) क्या प्रमाण है कि परमेश्वर के लोगों ने ‘अपनी रस्सियों को लम्बा किया है’? (ख) सेवा वर्ष १९९४ की रिपोर्ट देखने पर आप किन क्षेत्रों को उल्लेखनीय रूप से ‘अपनी सीमाएँ बढ़ाते’ हुए पाते हैं?
७ इस रिपोर्ट की कुछ झलकियों पर ध्यान दीजिए। क्षेत्र में राज्य प्रकाशकों का शिखर ४९,१४,०९४ हो गया! ‘श्वेत वस्त्र पहिने, सिंहासन के साम्हने और मेम्ने के साम्हने खड़ी, हर एक जाति, और कुल, और लोग और भाषा में से एक बड़ी भीड़’ को निरन्तर एकत्रित होते देखना कितना रोमांचक है! जी हाँ, ये भी खराई रखनेवाले साबित हुए हैं। “इन्हों ने अपने अपने वस्त्र मेम्ने के लोहू में धोकर श्वेत किए हैं,” इन्हें यीशु के छुड़ौती बलिदान में विश्वास रखने के कारण धर्मी समझा जाता है।—प्रकाशितवाक्य ७:९, १४.
८ ख़ासकर १९१९ से यहोवा के संगठन को यह आदेश दिया गया है: “अपने तम्बू का स्थान चौड़ा कर, और तेरे डेरे के पट लम्बे किए जाएं; हाथ मत रोक, रस्सियों को लम्बी और खूंटों को दृढ़ कर।” (यशायाह ५४:२) प्रतिक्रिया में, प्रचार कार्य तेज़ी से चल रहा है, यहाँ तक कि अलास्का के सीमांत प्रदेश, बर्फ़ीले यूकॉन में भी, जहाँ एक सशक्त पायनियरों का समूह ऐसा तापमान सहता है जो हफ़्तों तक शून्य डिग्री सेल्सियस से ४५ से ५० डिग्री नीचे गिरा रह सकता है। हाल के वर्षों में अधिकाधिक लोग यहोवा की खराई-रखनेवाली जाति में आ रहे हैं। मसीहीजगत के बाहर के एशियाई देशों से, भूतपूर्व साम्यवादी केंद्रों से, अनेक अफ्रीकी देशों से, और इटली, स्पेन, पुर्तगाल, तथा दक्षिण अमरीका जैसे कैथोलिक प्रभाव-क्षेत्रों से इन लोगों का स्वागत करने के लिए फाटकों को और भी पूरी तरह खोला गया है। विस्थापित लोगों ने एक और क्षेत्र खोल दिया है। उदाहरण के लिए, इंग्लैंड में गवाह १३ विदेशी-भाषी नृजातीय समूहों की ज़रूरतों को पूरा कर रहे हैं।
“यही किया करो”
९. (क) वर्ष १९९४ की स्मारक उपस्थिति क्या सूचित करती है? (ख) कौन-से कुछ देश हैं जिनकी स्मारक उपस्थिति असाधारण रूप से ऊँची है?
९ वार्षिक रिपोर्ट की एक और झलकी है स्मारक के समय की उपस्थिति। यीशु की मृत्यु के कुछ ही समय पहले, उसने अपनी मृत्यु के स्मरण में स्मारक संस्थापित किया और अपने अनुयायियों से कहा: “मेरे स्मरण के लिये यही किया करो।” (१ कुरिन्थियों ११:२४) वर्ष १९९४ में सक्रिय प्रकाशकों के दुगने से भी ज़्यादा—१,२२,८८,९१७—लोगों को भागीदारों के या प्रेक्षकों के रूप में, उस आज्ञा का पालन करने के लिए एकसाथ आते देखना रोमांचक था। कुछ देशों में स्मारक में उपस्थित होनेवालों और प्रकाशकों के बीच अनुपात और भी ऊँचा था। एस्टोनिया, लैटविया, और लिथुएनिया के ४,०४९ प्रकाशक आनन्दित थे कि स्मारक में १२,८७६ लोग उपस्थित हुए, जो प्रकाशकों की संख्या से तीन गुना से भी ज़्यादा है। और बेनिन में, स्मारक में उपस्थित होनेवाले १६,७८६ लोग प्रकाशकों की संख्या के लगभग पाँच गुना थे। लगभग ४५ प्रकाशकों की एक कलीसिया में उपस्थिति ८३१ थी!
१०. (क) ऊँची स्मारक उपस्थिति हम पर क्या ज़िम्मेदारी डालती है? (ख) वर्णन कीजिए कि जब स्मारक में उपस्थित हुए व्यक्ति को अतिरिक्त मदद मिलती है तो क्या हो सकता है।
१० यहोवा के गवाह ख़ुश हैं कि इतने सारे दिलचस्पी रखनेवाले उस शुभ अवसर पर उनके साथ शामिल हुए। अब वे इन लोगों को सत्य की उनकी समझ और प्रेम में अधिक प्रगति करने में मदद देना चाहते हैं। शायद कुछ लोग वैसी प्रतिक्रिया दिखाएँ, जैसी रूस में आला ने दिखायी। आला एक ख़ास-पायनियर बहन के साथ अध्ययन कर रही थी लेकिन उसने कोई प्रगति नहीं की, इसलिए अध्ययन रोक दिया गया। फिर भी, आला ने स्मारक में उपस्थित होने का आमंत्रण स्वीकार कर लिया। उस इतनी महत्त्वपूर्ण सभा का उस पर गहरा प्रभाव पड़ा। वापस घर पहुँचने पर, उसने अपनी सारी मूर्तियों को फेंक दिया और मदद के लिए यहोवा से प्रार्थना की। दो दिन बाद वह पायनियर बहन आला के पास यह पूछने आयी कि उसने स्मारक की किन बातों का आनन्द लिया। एक सफल चर्चा शुरू हुई। आला का अध्ययन फिर से शुरू किया गया। जल्द ही वह गवाही कार्य में भाग लेने लगी। यह अनुभव स्मारक में उपस्थित होनेवालों पर पुनःभेंटों का महत्त्व दिखाता है। संभवतः अनेक लोग आला के जैसी प्रतिक्रिया दिखाएँगे।
“एक दूसरे के साथ इकट्ठा होना न छोड़ें”
११-१३. (क) कौन-सी बात धर्मी जाति के विश्वासी आचरण का हिस्सा है? (ख) सच्चे मसीहियों को सभाओं में उपस्थित होने की ज़रूरत क्यों है?
११ पूरे वर्ष में स्मारक यहोवा के गवाहों के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण सभा है, लेकिन यह किसी भी हालत एकमात्र सभा नहीं है। प्रेरित पौलुस के शब्दों की आज्ञाकारिता में हर सप्ताह यहोवा के गवाह इकट्ठे होते हैं: “प्रेम, और भले कामों में उस्काने के लिये एक दूसरे की चिन्ता किया करें। और एक दूसरे के साथ इकट्ठा होना न छोड़ें, जैसे कि कितनों की रीति है, पर एक दूसरे को समझाते रहें; और ज्यों ज्यों उस दिन को निकट आते देखो, त्यों त्यों और भी अधिक यह किया करो।” (इब्रानियों १०:२४, २५) वे यहोवा की धर्मी जाति से जुड़े हुए हैं जो अपने विश्वासी आचरण से पहचानी जाती है। विश्वासी आचरण में निष्ठा से सभाओं में उपस्थित होना शामिल है।
१२ प्रत्यक्षत: फिलीपींस में इसे अच्छी तरह समझा गया है, जहाँ रविवार की सभाओं में देश-भर में औसत उपस्थिति प्रकाशकों की संख्या का १२५ प्रतिशत है। आर्जेंटीना में भी गवाहों और दिलचस्पी रखनेवालों के एक समूह ने इसे अच्छी तरह समझा है। वे राज्यगृह से लगभग २० किलोमीटर की दूरी पर रहते हैं। फिर भी, सर्किट ओवरसियर रिपोर्ट करता है कि बीमारी की स्थिति को छोड़, उनमें से एक भी कभी सभाओं से नहीं चूकता। वे बग्गी से या घोड़े पर चार घंटे सफ़र करते हैं, और सर्दियों में रात के अंधेरे में सफ़र करके घर लौटते हैं।
१३ जैसे-जैसे इस व्यवस्था का अन्त निकट आता जाता है, जीवन कठिन होता जाता है, समस्याएँ बढ़ती जाती हैं, और नियमित रूप से सभाओं में उपस्थित होना शायद एक चुनौती हो। लेकिन ऐसी परिस्थितियों में, हमें पहले से कहीं अधिक आज आध्यात्मिक भोजन और स्नेही संगति की ज़रूरत है जो केवल ऐसे समूहनों में ही मिल सकता है।
“इसे अत्यावश्यकता से करने में लगा रह”
१४. यहोवा के गवाहों को अपनी सेवकाई के बारे में अत्यावश्यकता की भावना क्यों है, और क्या परिणाम इसे प्रदर्शित करते हैं?
१४ पिछले वर्ष, इटली में कैथोलिक चर्च ने यहोवा के गवाहों के कार्य को “उग्र धर्मांतरण” कहा। लेकिन, वास्तव में गवाहों की सेवकाई में कुछ भी उग्र नहीं है। इसके बजाय, उनकी सेवकाई अपने पड़ोसियों के प्रति उनके गहरे प्रेम की अभिव्यक्ति है। यह पौलुस के शब्दों के प्रति आज्ञाकारिता का प्रमाण भी है: “वचन का प्रचार कर, अनुकूल समय में, प्रतिकूल समय में इसे अत्यावश्यकता से करने में लगा रह।” (२ तीमुथियुस ४:२, NW) अत्यावश्यकता की भावना यहोवा के गवाहों को अपनी सेवकाई में जोशीले होने के लिए प्रेरित करती है, जो १९९४ में अपने पड़ोसियों को प्रचार करने, पुनःभेंट करने, और ४७,०१,३५७ बाइबल अध्ययन संचालित करने में उनके द्वारा बिताए कुल १,०९,६०,६५,३५४ घंटों से देखा जा सकता है। अनेक लोग पायनियर सेवा में हिस्सा लेने में समर्थ हुए, जो दिखाता है कि पायनियर आत्मा जीवित और सक्रिय है। संसार-भर में ६,३६,२०२ पायनियरों का औसत इसे साबित करता है।
१५, १६. (क) कैसे युवाओं और बूढ़ों दोनों ने पायनियर आत्मा प्रदर्शित की है? (ख) सेवा वर्ष १९९४ की रिपोर्ट में एक-एक देश को देखने पर आप उल्लेखनीय संख्या में पायनियर कहाँ पाते हैं?
१५ उन पायनियरों में अनेक युवा भी हैं। अमरीका में कुछ युवा हाई स्कूल के दौरान अभी नियमित पायनियरों के रूप में सेवा कर रहे हैं, इसमें उनका मुख्य क्षेत्र उनके सहपाठी हैं। इन युवाओं ने पाया है कि पायनियर कार्य उस देश के अनेक स्कूलों में फैले नशीले पदार्थों, अनैतिकता, और हिंसा से अपने आपको बचाने का सर्वोत्तम तरीक़ा है। अनेक अन्य युवाओं का लक्ष्य है स्कूल छोड़ने पर पायनियर कार्य करना। यूक्रेन में, इरीना ने अपने हाई स्कूल के वर्षों के दौरान सहयोगी पायनियर कार्य किया ताकि स्कूल ख़त्म करने तक वह अपने आपको पायनियर कार्य के लिए तैयार कर ले। जब उसने स्कूल ख़त्म किया, तो उसके परिवार ने उसे आर्थिक सहायता देने का प्रस्ताव रखा ताकि वह नियमित पायनियर कार्य में उनका प्रतिनिधित्व कर सके। आर्थिक रूप से, यूक्रेन में स्थिति सरल नहीं है। लेकिन इरीना कहती है: “मैं जानती हूँ कि मैं ऐसा कार्य कर रही हूँ जिसका अर्थ है जीवन, न सिर्फ़ मेरे लिए बल्कि उन लोगों के लिए भी जिनको मैं प्रचार करती हूँ।” आज इतने सारे युवाओं को इरीना की तरह सोचते हुए देखना सचमुच आनन्द की बात है। ‘अपनी जवानी के दिनों में अपने सृजनहार को स्मरण रखने’ का उनके लिए और बेहतर तरीक़ा क्या है?—सभोपदेशक १२:१.
१६ बहुत सारे पायनियर वृद्ध हैं। एक पायनियर रिपोर्ट करती है कि दूसरे विश्व युद्ध के दौरान, युद्ध में लड़ते समय उसके पिता और भाई मारे गए, और उसकी माँ और बहन को एक यहूदी बस्ती में गोली मार दी गई। बाद में उसका पुत्र मर गया। अब, उसके ढलते वर्षों में और जब उसका स्वास्थ्य ख़राब है, यहोवा ने मसीही कलीसिया में उसे उसके ख़त्म हुए परिवार से कहीं बड़ा परिवार दिया है। और एक नियमित पायनियर के रूप में वह दूसरों की मदद करने में अपना आनन्द पाती है।
१७, १८. चाहे पायनियर हो या नहीं, हम में से हरेक व्यक्ति पायनियर आत्मा कैसे दिखा सकता है?
१७ निःसंदेह, सभी लोग पायनियर नहीं बन सकते। यहोवा हमारा पूरा दशमांश, अर्थात् हम अपने भरसक जितना भेंट कर सकते हैं उसे स्वीकार करने में प्रसन्न है, हमारे व्यक्तिगत बारे में यह चाहे जो भी हो। (मलाकी ३:१०) सचमुच, हम सभी इन जोशीले पायनियरों की पायनियर आत्मा विकसित कर सकते हैं और अपनी परिस्थितियों के अनुसार सुसमाचार के प्रचार को बढ़ाने के लिए जितना हो सके उतना कर सकते हैं।
१८ उदाहरण के लिए, ऑस्ट्रेलिया में अप्रैल १६ को सड़क गवाही के लिए एक ख़ास दिन के रूप में रखा गया। प्रकाशकों और पायनियरों दोनों ने समान रीति से इसका समर्थन किया, जो उस महीने प्रकाशकों के नए शिखर ५८,७८० से स्पष्ट था। इसके अतिरिक्त, उसी महीने पिछले वर्ष वितरित की गयी पत्रिकाओं से ९०,००० अधिक पत्रिकाएँ वितरित की गयीं। ख़ास दिन के दौरान, एक बहन ने एक पुरुष को पत्रिकाएँ दीं, और उसकी दिलचस्पी के कारण पुनःभेंट करने के लिए उसका नाम और पता नोट करते समय उसे पता चला कि वे रिश्तेदार थे! वह बहन का मौसेरा भाई था, और इन्होंने एक दूसरे को ३० वर्ष से नहीं देखा था। इस कारण कुछ बड़ी आनन्दमय पुनःभेंटों के अवसर मिले!
अन्त तक खराई रखिए
१९. यह क्यों अत्यावश्यक है कि यहोवा की धर्मी जाति अन्त तक खराई रखे?
१९ जैसे-जैसे शैतान का संसार अपने अन्तिम चरण से गुज़रता है यह अत्यावश्यक है कि परमेश्वर की धर्मी जाति के सभी जन खराई रखें। जल्द ही, यहोवा की पवित्र जाति यह निमंत्रण सुनेगी: “हे मेरे लोगो, आओ, अपनी अपनी कोठरी में प्रवेश करके किवाड़ों को बन्द करो; थोड़ी देर तक जब तक क्रोध शान्त न हो तब तक अपने को छिपा रखो।” यह खून का दोषी संसार निश्चित ही ईश्वरीय न्याय का सामना करेगा। “क्योंकि देखो, यहोवा पृथ्वी के निवासियों को अधर्म का दण्ड देने के लिये अपने स्थान से चला आता है, और पृथ्वी अपना खून प्रगट करेगी और घात किए हुओं को और अधिक न छिपा रखेगी।” (यशायाह २६:२०, २१) ऐसा हो कि हम में से हरेक यहोवा की धर्मी जाति से जुड़े हुए खराई-रखनेवाले मसीही के रूप में दृढ़ रहे। तब हम मसीह के राज्य के पार्थिव या स्वर्गीय क्षेत्र में अनन्त जीवन प्राप्त करने में आनन्दित होंगे।
क्या आपको याद है?
◻ “धर्मी जाति” कब उत्पन्न हुई?
◻ इन अन्तिम दिनों में परमेश्वर के लोगों को धीरज की ज़रूरत क्यों हुई है?
◻ सेवा वर्ष १९९४ की रिपोर्ट में देखे गए बड़ी संख्या में प्रकाशकों और सेवकाई में बिताए घंटों से क्या प्रदर्शित होता है?
◻ जैसे-जैसे यह संसार अपने अन्त के निकट आता जाता है सभाओं में उपस्थिति इतनी महत्त्वपूर्ण क्यों है?
◻ परमेश्वर की धर्मी जाति से जुड़े हुए सभी लोगों को खराई क्यों रखनी है?
[पेज 12-15 पर चार्ट]
संसार-भर में यहोवा के साक्षियों की १९९४ सेवा वर्ष रिपोर्ट
(भाग को असल रूप में देखने के लिए प्रकाशन देखिए)
[पेज 18 पर तसवीर]
यहोवा की धर्मी जाति में खराई रखनेवाले परिपूर्णता में अनन्त जीवन प्राप्त करेंगे