यहोवा का वचन जीवित है
यहेजकेल किताब की झलकियाँ—I
सामान्य युग पूर्व 613 का समय है। भविष्यवक्ता यिर्मयाह, यहूदा में है। वह बेखौफ यरूशलेम पर आनेवाले नाश और यहूदा के उजाड़े जाने का ऐलान कर रहा है। बाबुल का राजा नबूकदनेस्सर, बहुत-से यहूदियों को बंदी बनाकर ले जा चुका है। इन बंधुओं में, नौजवान दानिय्येल और उसके तीन साथी भी हैं, जो कसदियों के शाही दरबार में काम कर रहे हैं। ज़्यादातर यहूदी बंधुए, “कसदियों के देश में,” कबार नदी के किनारे बसे हैं। (यहेजकेल 1:1-3) यहोवा इन बंधुओं को यूँ ही नहीं छोड़ देता है, बल्कि अपना संदेश उन तक पहुँचाने के लिए यहेजकेल को उन पर भविष्यवक्ता ठहराता है, जिसकी उम्र 30 साल की है।
यहेजकेल की किताब की लिखाई, सा.यु.पू. 591 में पूरी हुई और इसमें 22 सालों का इतिहास दर्ज़ है। यहेजकेल ने इसमें एहतियात बरतते हुए, बड़ी बारीकी से जानकारी दर्ज़ की है। उसने अपनी भविष्यवाणियों की तारीखें भी दर्ज़ की; यहाँ तक कि साल के साथ-साथ उसने यह भी बताया कि ठीक किस महीने और किस दिन उसने क्या भविष्यवाणी की। यहेजकेल के संदेश का पहला भाग, यरूशलेम के गिरने और उसके नाश के बारे में ध्यान दिलाता है। इसके दूसरे भाग में, आस-पास की जातियों के खिलाफ यहोवा के न्यायदंड के बारे में बताया गया है। और आखिरी भाग में, यहोवा की उपासना के बहाल किए जाने का ब्यौरा दिया गया है। इस लेख में यहेजकेल 1:1–24:27 की झलकियाँ पेश की गयी हैं। इन अध्यायों में दर्शनों, भविष्यवाणियों और अभिनयों के ज़रिए यह बताया गया है कि यरूशलेम पर क्या विपत्तियाँ आनेवाली हैं।
‘मैंने तुझे पहरुआ नियुक्त किया है’
यहोवा के सिंहासन का एक बहुत ही हैरतअँगेज़ दर्शन देखने के बाद, यहेजकेल को एक ज़िम्मेदारी सौंपी जाती है। यहोवा उससे कहता है: “मैं ने तुझे इस्राएल के घराने के लिये पहरुआ नियुक्त किया है; तू मेरे मुंह की बात सुनकर, उन्हें मेरी ओर से चिताना।” (यहेजकेल 3:17) यहेजकेल को दो अभिनयों के ज़रिए, यह भविष्यवाणी करने का हुक्म दिया जाता है कि यरूशलेम की घेराबंदी होगी और इसका क्या असर होगा। यहोवा, यहेजकेल के ज़रिए यहूदा के बारे में कहता है: “देखो, मैं तुम पर तलवार चलवाऊंगा, और तुम्हारे पूजा के ऊंचे स्थानों को नाश करूंगा।” (यहेजकेल 6:3) यहूदा के निवासियों से वह कहता है: “तेरा सर्वनाश आ चुका।”—यहेजकेल 7:7, NHT.
सामान्य युग पूर्व 612 में, एक दर्शन में यहेजकेल को यरूशलेम पहुँचाया जाता है। वह देखता है कि यहोवा के भवन में बड़े ही घृणित काम किए जा रहे हैं! इसलिए यहोवा उन धर्मत्यागियों पर अपना कहर बरसाता है। वह न्यायदंड लानेवाली अपनी स्वर्गीय सेना (जिसे “छ: पुरुष” के ज़रिए दर्शाया गया है) को भेजता है। और सिर्फ उन्हीं लोगों को ज़िंदा छोड़ दिया जाता है, जिनके ‘माथे पर चिन्ह’ होता है। (यहेजकेल 9:2-6) सबसे पहले, “अंगारों” यानी नाश के धधकते संदेश को नगर पर छितरा दिया जाता है। (यहेजकेल 10:2) यहोवा वादा करता है कि वह तितर-बितर किए गए इस्राएलियों को फिर से इकट्ठा करेगा। लेकिन वह दुष्टों के साथ ऐसा करेगा कि “उनकी चाल उन्हीं के सिर पर पड़ेगी।”—यहेजकेल 11:17-21.
परमेश्वर की आत्मा, यहेजकेल को वापस कसदियों के देश में ले आती है। एक अभिनय के ज़रिए यह दिखाया जाता है कि राजा सिदकिय्याह और उसके लोग यरूशलेम से भाग निकलेंगे। झूठे भविष्यवक्ता और भविष्यवक्तिनियों की निंदा की जाती है। मूर्तिपूजा करनेवालों को ठुकरा दिया जाता है। यहूदा की तुलना एक बेकार अंगूर की लता से की जाती है। उकाब और अंगूर की लता की पहेली दिखाती है कि यरूशलेम को मिस्र की मदद लेने से क्या बुरे अंजाम भुगतने पड़ेंगे। यह पहेली, एक वादे के साथ खत्म होती है कि ‘यहोवा एक कोमल कनखा तोड़कर एक अति ऊंचे पर्वत पर लगाएगा।’ (यहेजकेल 17:22) मगर यहूदा में कोई ‘प्रभुता करने के योग्य न रहेगा।’—यहेजकेल 19:14.
बाइबल सवालों के जवाब पाना:
1:4-28—यहोवा का स्वर्गीय रथ किसे दर्शाता है? यह रथ, वफादार आत्मिक प्राणियों से बने यहोवा के स्वर्गीय संगठन को दर्शाता है। इसकी शक्ति का स्रोत, यहोवा की पवित्र आत्मा है। और इस रथ का सवार यहोवा है। वह इस कदर महिमा से भरपूर है कि उसका बखान नहीं किया जा सकता। और उसकी शांति को एक खूबसूरत मेघधनुष से दर्शाया गया है।
1:5-11—चार जीवधारी कौन हैं? यहेजकेल, रथ के दूसरे दर्शन में यह बताता है कि वह चार जीवधारी, करूब हैं। (यहेजकेल 10:1-11; 11:22) आगे के ब्यौरे में, वह बैल के मुख को ‘करूब के मुख का सा’ बताता है। (यहेजकेल 10:14) यह तुलना करना बिलकुल सही है, क्योंकि बैल, ताकत और शक्ति की निशानी है, और करूब शक्तिशाली आत्मिक प्राणी हैं।
2:6—यहेजकेल को बार-बार “मनुष्य के संतान” क्यों कहा गया है? यहोवा, यहेजकेल से बार-बार यह कहकर उसे याद दिलाता है कि वह हाड़-माँस से बना एक इंसान है। इस तरह उसने ज़ाहिर किया कि संदेश देनेवाले एक इंसान में और संदेश के स्रोत यानी परमेश्वर में कितना बड़ा फर्क है। यह उपाधि सुसमाचार की किताबों में करीब 80 बार यीशु के लिए भी इस्तेमाल की गयी है। यह दिखाता है कि परमेश्वर का बेटा, धरती पर सचमुच का एक इंसान था, न कि इंसानी रूप धारण किया हुआ एक स्वर्गदूत।
2:9–3:3—यहेजकेल को विलाप और शोक की पुस्तक खाने पर मीठी क्यों लगी? दरअसल अपनी ज़िम्मेदारी के बारे में यहेजकेल का जो नज़रिया था, उस वजह से यह पुस्तक उसे खाने पर मीठी लगी। यहेजकेल इस बात के लिए बहुत एहसानमंद था कि उसे एक भविष्यवक्ता के तौर पर यहोवा की सेवा करने का मौका मिला है।
4:1-17—क्या यहेजकेल ने सचमुच अभिनय करके यह दिखाया था कि आगे चलकर यरूशलेम की घेराबंदी की जाएगी? यहेजकेल का यहोवा से ईंधन बदलने की गुज़ारिश करना और यहोवा का उसकी गुज़ारिश को पूरा करना, यह दिखाता है कि भविष्यवक्ता ने सचमुच अभिनय किया था। दस गोत्रवाले राज्य ने 390 सालों तक जो पाप किए थे, उनके लिए यहेजकेल (390 दिन) बाँयी करवट पर लेटा रहा। यह दौर, सा.यु.पू. 997 में शुरू होता है और सा.यु.पू. 607 में यरूशलेम के नाश के साथ खत्म होता है। यहूदा के 40 सालों के पापों के लिए, वह (40 दिन) दाँयी करवट पर लेटा रहा। यह दौर, सा.यु.पू. 647 में शुरू होता है, जब यिर्मयाह को भविष्यवक्ता बनाया जाता है और सा.यु.पू. 607 में जाकर खत्म होता है। उन 430 दिनों के दौरान, यहेजकेल बहुत ही थोड़े भोजन और पानी पर ज़िंदा रहा। इस तरह उसने भविष्यवाणी के तौर पर यह ज़ाहिर किया कि यरूशलेम की घेराबंदी के दौरान वहाँ अकाल पड़ेगा।
5:1-3—इसका क्या मतलब है कि यहेजकेल को जो एक तिहाई बाल पवन में उड़ाने थे, उनमें से थोड़े बाल लेकर उसे अपने कपड़े की छोर में बाँधना था? इसका मतलब यह है कि यहूदा के 70 साल तक उजाड़ पड़े रहने के बाद, बचे हुए लोग वहाँ लौटेंगे और सच्ची उपासना दोबारा शुरू की जाएगी।—यहेजकेल 11:17-20
17:1-24—दो बड़े उकाब पक्षी कौन हैं, देवदार की पतली टहनी को कैसे तोड़ा जाता है, और “कोमल कनखा” कौन है, जिसे यहोवा तोड़कर दूसरी जगह लगाता है? वे दो उकाब, बाबुल और मिस्र के शासकों को दर्शाते हैं। पहला उकाब देवदार की सबसे ऊपर की फुनगी पर आता है। ये फुनगी, हुकूमत करनेवाला वह राजा है, जो दाऊद के शाही वंश से है। फिर यह उकाब फुनगी की पतली टहनी को तोड़ देता है, जिसका मतलब है कि बाबुल का राजा, यहोयाकीन को हटाकर सिदकिय्याह को राजा ठहराता है। मगर सिदकिय्याह बाबुल के वफादार बने रहने की अपनी शपथ तोड़ देता है और दूसरे उकाब यानी मिस्र के राजा की मदद लेता है, पर वह कामयाब नहीं होता। उसे बंदी बनाकर बाबुल ले जाया जाता है, जहाँ उसकी मौत हो जाती है। यहोवा भी एक “कोमल कनखा” यानी मसीहाई राजा को तोड़ता है और उसे “एक अति ऊँचे पर्वत,” स्वर्गीय सिय्योन पहाड़ पर लगाता है। वहाँ वह “एक बलवन्त . . . देवदार,” बन जाएगा और धरती पर ढेरों आशीषें लाएगा।—प्रकाशितवाक्य 14:1.
हमारे लिए सबक:
2:6-8; 3:8, 9, 18-21. हमें दुष्टों से नहीं डरना चाहिए। और न ही उन्हें परमेश्वर का संदेश सुनाने से पीछे हटना चाहिए, जिसमें उनके लिए चेतावनी भी शामिल है। जब लोग बेरुखी से पेश आते हैं या हमारा विरोध करते हैं, तो हमें हीरे के समान कड़ा यानी अपने इरादे में मज़बूत बने रहना चाहिए। लेकिन हमें सावधानी भी बरतने की ज़रूरत है कि कहीं हम कठोर, संगदिल या बेहरम न बन जाएँ। यीशु के दिल में उन लोगों के लिए करुणा थी, जिन्हें वह प्रचार करता था। हममें भी उन लोगों के लिए करुणा होनी चाहिए, जिन्हें हम प्रचार करते हैं।—मत्ती 9:36.
3:15. परमेश्वर से ज़िम्मेदारी मिलने के बाद, यहेजकेल तेलाबीब में ‘सात दिनों तक व्याकुल’ रहता है और उस संदेश पर मनन करता है, जिसका उसे ऐलान करना है। क्या हमें भी गहरी आध्यात्मिक सच्चाइयों को समझने के लिए, मन लगाकर अध्ययन करने और मनन के लिए समय नहीं निकालना चाहिए?
4:1–5:4. यहेजकेल को भविष्यवाणी के तौर पर, दो अभिनय करने के लिए नम्रता और साहस दिखाना पड़ा था। हमें भी परमेश्वर से मिले, किसी भी काम को करने के लिए नम्र और साहसी होना चाहिए।
7:4, 9; 8:18; 9:5, 10. परमेश्वर जिन पर न्यायदंड लानेवाला है, हमें उन पर तरस खाने की कोई ज़रूरत नहीं और ना ही उनके लिए हमारे दिलों में कोई करुणा होनी चाहिए।
7:19. जब यहोवा इस संसार पर अपना न्यायदंड लाएगा, तब रुपए-पैसों का कोई मोल नहीं रहेगा।
8:5-18. धर्मत्याग से एक इंसान का परमेश्वर के साथ रिश्ता टूट सकता है। “विधर्मी अपनी बातों से अपने पड़ोसी का विनाश करता है।” (नीतिवचन 11:9, बुल्के बाइबिल) हमारे लिए बुद्धिमानी इसी में है कि हम धर्मत्यागिओं से दूर रहें, यहाँ तक कि उनकी बातें सुनने के खयाल तक को अपने मन में न आने दें।
9:3-6. चिन्ह पाना इस बात का सबूत है कि हम समर्पित और बपतिस्मा पाए परमेश्वर के सेवक हैं और हममें मसीही शख्सियत है। यह चिन्ह, “भारी क्लेश” से बचाए जाने के लिए ज़रूरी है। (मत्ती 24:21) कमर में दवात बाँधा पुरुष, अभिषिक्त मसीहियों को दर्शाता है। ये मसीही चिन्ह लगाने का काम कर रहे हैं, यानी राज्य का प्रचार करने और चेला बनाने के काम में अगुवाई कर रहे हैं। अगर हम चाहते हैं कि हमारा यह चिन्ह बरकरार रहे, तो हमें पूरे जोश के साथ प्रचार करने और चेले बनाने के काम में उनकी मदद करनी चाहिए।
12:26-28. जो लोग यहेजकेल के संदेश की खिल्ली उड़ाते थे, उनके पास जाकर भी उसे यह ऐलान करना था कि ‘यहोवा के किसी भी वचन के पूरा होने में फिर विलम्ब न होगा।’ इससे पहले की यहोवा इस संसार का अंत कर दे, हमें भी लोगों की मदद करने की पूरी कोशिश करनी चाहिए, ताकि वे यहोवा पर भरोसा रखें।
14:12-23. उद्धार पाने के लिए कोशिश करना, हमारी खुद की ज़िम्मेदारी है। यह काम कोई दूसरा हमारे लिए नहीं कर सकता।—रोमियों 14:12.
18:1-29. हम अपने कामों के नतीजों के लिए खुद ज़िम्मेदार हैं।
“मैं इसको उलट दूंगा और उलट पुलट कर दूंगा; हां उलट दूंगा”
बंधुआई में जाने के सातवें साल, यानी सा.यु.पू. 611 में, इस्राएली पुरनिए “यहोवा से प्रश्न करने” के लिए यहेजकेल के पास आते हैं। यहेजकेल, उन्हें परमेश्वर के खिलाफ इस्राएल की बगावत का लंबा इतिहास सुनाता है और यह चेतावनी देता है कि ‘यहोवा उनके विरुद्ध तलवार चलाएगा।’ (यहेजकेल 20:1; 21:3) आगे इस्राएल के प्रधान (सिदकिय्याह) से यहोवा कहता है: “पगड़ी उतार, और मुकुट भी उतार दे; वह ज्यों का त्यों नहीं रहने का; जो नीचा है उसे ऊंचा कर और जो ऊंचा है उसे नीचा कर। मैं इसको उलट दूंगा और उलट पुलट कर दूंगा; हां उलट दूंगा और जब तक उसका अधिकारी [यीशु मसीह] न आए तब तक वह उलटा हुआ रहेगा; तब मैं उसे दे दूंगा।”—यहेजकेल 21:26, 27.
यरूशलेम को बुरे काम करने के लिए दोषी ठहराया जाता है। ओहोला (इस्राएल) और ओहोलीबा (यहूदा) के पापों का खुलासा होता है। ओहोला को पहले से “अश्शूरी मित्रों के हाथ कर” दिया गया है, “जिन पर वह मोहित हुई थी।” (यहेजकेल 23:9) और ओहोलीबा का भी जल्द ही नाश होगा। यरूशलेम की घेराबंदी सा.यु.पू. 609 में शुरू होगी और 18 महीने तक चलेगी। आखिरकार, जब उसे गिराया जाएगा, तो यहूदी दंग रह जाएँगे और मातम मनाएँगे। यहेजकेल को परमेश्वर का संदेश बंधुओं को तब तक नहीं सुनाना था, जब तक कि यरूशलेम के नाश से “बच निकलने वाले” (NHT) आकर उसे नाश की खबर नहीं देते।—यहेजकेल 24:26, 27.
बाइबल सवालों के जवाब पाना:
21:3—वह “तलवार” क्या है, जिसे यहोवा मियान में से खींचता है? वह “तलवार” बाबुल का राजा नबूकदनेस्सर और उसकी फौज है, जिसके ज़रिए यहोवा, यरूशलेम और यहूदा पर अपना न्यायदंड लाता है। इसका मतलब, शक्तिशाली आत्मिक प्राणियों से बना यहोवा का स्वर्गीय संगठन भी हो सकता है।
24:6-14—हण्डे में लगा मोर्चा या ज़ंग क्या दर्शाता है? घिरी हुई यरूशलेम नगरी की तुलना, एक चौड़े मुँह के हण्डे से की गयी है। इस पर लगा ज़ंग, नैतिक गंदगी को दर्शाता है। यानी यह नगरी अशुद्धता, बदचलनी और खून-खराबे के लिए ज़िम्मेदार है। उसकी अशुद्धता इतनी ज़्यादा है कि हण्डे को खाली करके अंगारों पर तपाने के बावजूद भी उसका ज़ंग नहीं निकलता।
हमारे लिए सबक:
20:1, 49. इस्राएल के पुरनियों का रवैया दिखाता है कि उन्हें यहेजकेल की बातों पर शक था। ऐसा कभी न हो कि हममें भी परमेश्वर की दी चेतावनियों पर शक करने का रवैया पैदा हो जाए।
21:8-22. हालाँकि नबूकदनेस्सर ने शकुन विचारा था, मगर यहोवा ने इस बात का पूरा ध्यान रखा कि विधर्मी राजा नबूकदनेस्सर ही यरूशलेम पर चढ़ाई करे। यह दिखाता है कि दुष्टात्माएँ, यहोवा का न्यायदंड लानेवाली सेना को उसका मकसद पूरा करने से नहीं रोक सकतीं।
22:6-16. यहोवा, निंदा करनेवालों, बदचलन, ताकत का गलत इस्तेमाल करनेवालों और घूस लेनेवालों से सख्त नफरत करता है। हमें ठान लेना चाहिए कि हम इस तरह के गलत कामों से दूर रहें।
23:5-49. यरूशलेम और यहूदा ने जिन देशों के साथ राजनैतिक संधियाँ कायम की थीं, वे उन देशों की झूठी उपासना को अपनाने लगे थे। आइए हम दुनिया के लोगों से करीबी दोस्ती गाँठने से दूर रहें, जिससे हमारा विश्वास कमज़ोर पड़ सकता है।—याकूब 4:4.
एक संदेश जो जीवित और प्रबल है
यहेजकेल की किताब के पहले 24 अध्यायों से, हमने क्या ही बेहतरीन सबक सीखे हैं! इन अध्यायों में बताए सिद्धांत दिखाते हैं कि किन बातों से हम परमेश्वर की मंजूरी खो सकते हैं, हम उसकी दया कैसे पा सकते हैं और हमें दुष्ट लोगों को चेतावनी क्यों देनी चाहिए। यरूशलेम के नाश की भविष्यवाणी साफ बताती है कि यहोवा एक ऐसा परमेश्वर है, जो ‘नई बातों के होने से पहिले ही उन्हें अपने लोगों को बताता है।’—यशायाह 42:9.
यहेजकेल 17:22-24 और 21:26, 27 में दर्ज़ भविष्यवाणियाँ स्वर्ग में मसीहाई राज्य के स्थापित होने के बारे में बताती हैं। बहुत जल्द, यह राज्य परमेश्वर की मरज़ी को इस पृथ्वी पर पूरा करेगा। (मत्ती 6:9, 10) हम पूरे यकीन और विश्वास के साथ राज्य की आशीषों को पाने की आस लगाए रख सकते हैं। जी हाँ, ‘परमेश्वर का वचन जीवित और प्रबल है।’—इब्रानियों 4:12. (w07 7/1)
[पेज 12 पर तसवीर]
स्वर्गीय रथ किसे दर्शाता है?
[पेज 14 पर तसवीर]
प्रचार काम में जोश के साथ हिस्सा लेने से हम अपने “चिन्ह” को बरकरार रख सकते हैं