अध्याय 6
“तुम पर अंत आनेवाला है”
अध्याय किस बारे में है: यरूशलेम को सज़ा देने के बारे में यहोवा की भविष्यवाणी कैसे पूरी हुई
1, 2. (क) यहेजकेल कैसा बरताव करता है? (शुरूआती तसवीर देखें।) (ख) ऐसा करके वह क्या बताना चाह रहा है?
भविष्यवक्ता यहेजकेल कुछ अजीबो-गरीब बरताव करता है और यह खबर बड़ी तेज़ी से बैबिलोन की बँधुआई में रहनेवाले यहूदियों में फैल जाती है। पूरे सात दिन तक वह एक जगह बैठा हुआ सदमे में रहता है और किसी से कुछ नहीं कहता। मगर फिर वह अचानक उठ जाता है और अपने घर में जाकर दरवाज़ा बंद कर लेता है। इस बरताव से पड़ोसी हैरान रह जाते हैं और सोचते हैं कि आखिर यह कर क्या रहा है। वे वहाँ खड़े देख ही रहे हैं कि तभी यहेजकेल घर से बाहर आता है, एक ईंट उठाता है, अपने सामने रखता है और उस पर कुछ नक्काशी करता है। वह मुँह से एक भी शब्द नहीं कहता और ईंट के चारों तरफ घेराबंदी की छोटी-सी दीवार बनाने लगता है।—यहे. 3:10, 11, 15, 24-26; 4:1, 2.
2 उसके आस-पास लोगों की भीड़ जमा हो गयी होगी और वे सोचते होंगे, ‘इन सब बातों का क्या मतलब है?’ बाद में जाकर ही यहूदी जान पाए होंगे कि यहेजकेल का अजीबो-गरीब बरताव दरअसल एक भविष्यवाणी थी। वह यह बताने की कोशिश कर रहा था कि जल्द ही यहोवा का क्रोध भड़क उठेगा, जिस वजह से उनके साथ एक भयानक घटना घटेगी। वह घटना क्या थी? इसका प्राचीन इसराएल पर क्या असर हुआ? उस घटना से आज शुद्ध उपासना करनेवालों को क्या सीख मिलती है?
“एक ईंट लेना . . . गेहूँ लेना . . . एक तेज़ धारवाली तलवार लेना”
3, 4. (क) यरूशलेम को यहोवा किन तीन तरीकों से दंड देनेवाला था? (ख) यहेजकेल ने यरूशलेम की घेराबंदी का अभिनय कैसे किया?
3 ईसा पूर्व 613 के आस-पास यहोवा ने यहेजकेल को बताया कि वह चिन्हों के ज़रिए दिखाए कि यहोवा तीन तरीकों से यरूशलेम को दंड देनेवाला है। ये तीन तरीके थे: यरूशलेम की घेराबंदी, वहाँ के लोगों पर तकलीफों का कहर और यरूशलेम और उसके लोगों का नाश। a आइए इस बारे में और जानें।
4 यरूशलेम की घेराबंदी। यहोवा ने यहेजकेल से कहा, ‘तू एक ईंट लेना और उसे अपने सामने रखना। उस पर एक शहर की नक्काशी करना। तू उसके सामने ऐसे हाव-भाव करना मानो उसकी घेराबंदी कर रहा हो।’ (यहेजकेल 4:1-3 पढ़िए।) ईंट यरूशलेम शहर को दर्शाती और यहेजकेल बैबिलोन की फौज को दर्शाता जिसके ज़रिए यहोवा यरूशलेम का नाश करनेवाला था। यहेजकेल से यह भी कहा गया कि वह घेराबंदी की एक छोटी-सी दीवार, एक ढलान और बख्तरबंद गाड़ियाँb बनाए और उन्हें उस ईंट के चारों तरफ रखे। ये सारी चीज़ें युद्ध के यंत्रों को दर्शाती थीं जिनका इस्तेमाल करके दुश्मन सेना यरूशलेम को घेर लेती और उस पर हमला करती। दुश्मन सेना की फौलाद जैसी ताकत को दर्शाने के लिए यहेजकेल को एक “लोहे का तवा” लेना था और उसे अपने और ईंट (यानी शहर) के बीच रखना था। फिर उसे शहर को “गुस्से-भरी नज़रों से देखना” था। यह सब “इसराएल के घराने के लिए एक चिन्ह” ठहरता कि बहुत जल्द कुछ ऐसा होनेवाला है जिसके बारे में वे सोच भी नहीं सकते। यहोवा दुश्मनों की सेना को भेजकर यरूशलेम की घेराबंदी करवाएगा, एक ऐसे शहर की जो परमेश्वर के लोगों का सबसे खास शहर था और जहाँ परमेश्वर का मंदिर भी था!
5. यहेजकेल ने कैसे दिखाया कि यरूशलेम के लोगों को तकलीफें झेलनी पड़ेंगी?
5 यरूशलेम के लोगों पर तकलीफों का कहर। यहोवा ने यहेजकेल को आज्ञा दी: ‘तू गेहूँ, जौ, बाकला, मसूर, चेना और कठिया गेहूँ लेना और इन्हें मिलाकर अपने लिए रोटी बनाना। तू हर दिन सिर्फ 20 शेकेल [करीब 230 ग्राम] खाना तौलकर खाना।’ फिर यहोवा ने कहा, ‘मैं खाने की तंगी फैलाने जा रहा हूँ।’ (यहे. 4:9-16) इस दृश्य में यहेजकेल बैबिलोन की सेना को नहीं बल्कि यरूशलेम के लोगों को दर्शा रहा है। यहेजकेल जो करता है वह एक भविष्यवाणी है कि शहर की घेराबंदी के समय वहाँ खाने की चीज़ों की कमी पड़ जाएगी। लोग मजबूरी में आकर अलग-अलग किस्म के अनाज के अजीब मिश्रण से रोटी बनाएँगे। इससे पता चलता है कि उन्हें जो भी मिले, खाना पड़ेगा। अब यहेजकेल बताता है कि अकाल कितना भयंकर होगा। वह मानो सीधे यरूशलेम के लोगों से कहता है, “तेरे बीच पिता अपने बेटों का माँस खा जाएँगे और बेटे अपने पिताओं का माँस खा जाएँगे।” आखिर में ‘अकाल के घातक तीरों’ से बहुत लोग “नाश हो जाएँगे।”—यहे. 4:17; 5:10, 16.
6. (क) यहेजकेल ने एक ही वक्त पर कौन-सी दो भूमिकाएँ निभायीं? (ख) ‘बालों को तौलना और बाँटना’ किस बात को दर्शाता है?
6 यरूशलेम और उसके लोगों का नाश। यहेजकेल अभिनय के रूप में जो भविष्यवाणी करता है, उसमें अब वह एक ही समय पर दो भूमिकाएँ अदा करता है। पहले वह अभिनय करके दिखाता है कि यहोवा क्या करेगा। वह “एक तेज़ धारवाली तलवार” लेता है, ठीक जैसे यहोवा ने उससे कहा था। (यहेजकेल 5:1, 2 पढ़िए।) यहेजकेल का हाथ, जिससे वह तलवार पकड़े हुए है, यहोवा के हाथ को दर्शाता है यानी इस बात को कि यहोवा कैसे बैबिलोन की सेना के ज़रिए यरूशलेम के लोगों को दंड देगा। इसके बाद यहेजकेल दिखाता है कि यहूदी लोगों के साथ क्या होगा। वह यहोवा के कहे मुताबिक ‘अपने सिर के बाल और दाढ़ी मूँड़ लेता है।’ उसके बाल यरूशलेम के लोगों को दर्शाते हैं। सिर के बाल मूँड़ना दिखाता है कि यहूदियों पर कैसे हमला किया जाएगा और उन्हें मार डाला जाएगा। इसके बाद यहोवा यहेजकेल से कहता है, “एक तराज़ू लेकर कटे बालों को तौलना और उन्हें तीन हिस्सों में बाँटना।” इससे पता चलता है कि यरूशलेम का नाश अंधाधुंध नहीं होगा बल्कि यहोवा की तरफ से तय किया गया नाश होगा और एक संपूर्ण विनाश होगा।
7. यहोवा ने यहेजकेल से क्यों कहा कि वह बालों को तीन हिस्सों में बाँटे और हर हिस्से के साथ कुछ अलग करे?
7 यहोवा ने यहेजकेल से यह क्यों कहा कि वह अपने बाल मूँड़ने के बाद उन्हें तीन हिस्सों में बाँटे और हर हिस्से के साथ कुछ अलग करे? (यहेजकेल 5:7-12 पढ़िए।) हर हिस्से के साथ कुछ अलग करना दिखाता है कि यरूशलेम के लोगों के साथ अलग-अलग तरह का व्यवहार किया जाएगा। उसने बालों का एक हिस्सा यरूशलेम “नगरी के अंदर” जला दिया, ताकि उसे देखनेवालों के लिए यह एक चिन्ह ठहरे कि यरूशलेम के कुछ लोग शहर के अंदर ही मर जाएँगे। उसने बालों के दूसरे हिस्से को “नगरी के चारों तरफ” तलवार से काटा। यह इस बात को दर्शाता कि यरूशलेम के कुछ लोग शहर के बाहर मारे जाएँगे। उसने बालों का तीसरा हिस्सा हवा में उड़ा दिया। यह इस बात की निशानी थी कि शहर के कुछ लोग दूसरे देशों में तितर-बितर हो जाएँगे, मगर फिर यहोवा ‘एक तलवार खींचकर उनका पीछा करेगा।’ इसका मतलब यह था कि नाश से बचनेवाले चाहे जहाँ भी जाएँ, वे चैन से नहीं जी पाएँगे।
8. (क) यहेजकेल के अभिनय से लोगों को क्या आशा मिली? (ख) ‘कुछ बालों को अलग’ रखने की बात कैसे सच हुई?
8 लेकिन यहेजकेल ने अभिनय के रूप में जो भविष्यवाणी की, उसमें एक आशा का संदेश भी था। यहोवा ने उससे कहा, ‘तू कुछ बाल अलग लेना और अपने चोगे की तह में लपेटकर रखना।’ (यहे. 5:3) जैसे यहेजकेल कुछ बालों को लपेटकर रखता है, उसी तरह दूसरे देशों में तितर-बितर होनेवाले कुछ यहूदियों को सलामत रखा जाएगा। उनमें से कुछ लोग बैबिलोन की 70 साल की बँधुआई के बाद यरूशलेम लौटेंगे। (यहे. 6:8, 9; 11:17) क्या यह भविष्यवाणी पूरी हुई? बिलकुल। बैबिलोन की बँधुआई खत्म होने के कई साल बाद भविष्यवक्ता हाग्गै ने बताया कि कुछ यहूदी, जो तितर-बितर हो गए थे, यरूशलेम लौट आए हैं। वे ‘बुज़ुर्ग थे जिन्होंने पहलेवाला मंदिर’ यानी सुलैमान का मंदिर देखा था। (एज्रा 3:12; हाग्गै 2:1-3) यहोवा ने अपने वादे के मुताबिक इस बात का ध्यान रखा कि शुद्ध उपासना पूरी तरह मिट न जाए। यरूशलेम में शुद्ध उपासना कैसे बहाल हुई, इस बारे में हम इस किताब के अध्याय 9 में और जानेंगे।—यहे. 11:17-20.
इस भविष्यवाणी से आगे की घटनाओं के बारे में क्या पता चलता है?
9, 10. यहेजकेल की भविष्यवाणियाँ हमारे दिनों में होनेवाली किन अहम घटनाओं को भी दर्शाती हैं?
9 यहेजकेल ने अभिनय के रूप में जो भविष्यवाणियाँ कीं, वे हमारे दिनों में होनेवाली कुछ अहम घटनाओं को भी दर्शाती हैं। जैसे पुराने ज़माने में यरूशलेम के साथ हुआ था, वैसे ही बहुत जल्द ऐसी घटनाएँ होंगी जिनके बारे में लोग सोच भी नहीं सकते। यहोवा राजनैतिक शक्तियों से सभी झूठे धार्मिक संगठनों पर हमला कराएगा। (प्रका. 17:16-18) प्राचीन यरूशलेम पर ‘ऐसी आफत आयी थी जो कभी किसी पर नहीं आयी थी।’ उसी तरह आनेवाला “महा-संकट” भी ऐसा संकट होगा जैसा ‘अब तक नहीं हुआ’ और उसके आखिर में हर-मगिदोन का युद्ध होगा।—यहे. 5:9; 7:5; मत्ती 24:21.
10 बाइबल से हमें सुराग मिलता है कि जब झूठे धार्मिक संगठनों का नाश होगा, तो उन धर्मों के कई लोग बच जाएँगे। वे डर के मारे समाज के हर तबके के लोगों के साथ मिलकर छिपने की जगह ढूँढ़ेंगे। (जक. 13:4-6; प्रका. 6:15-17) उनकी भी वही हालत होगी जो यरूशलेम के नाश से बचनेवालों की हुई थी। वे नाश से बच गए थे और “हवा में उड़ा” दिए गए थे, यानी दूसरे देशों में तितर-बितर हो गए थे। वे भले ही कुछ समय के लिए नाश से बच गए थे, मगर जैसे हमने पैराग्राफ 7 में देखा था, यहोवा ने ‘एक तलवार खींचकर उनका पीछा’ किया। (यहे. 5:2) उसी तरह भविष्य में जो लोग झूठे धर्मों के नाश से बच जाएँगे वे चाहे कहीं भी छिपें, यहोवा की तलवार से नहीं बच पाएँगे। वे हर-मगिदोन में बकरी समान दूसरे लोगों के साथ मार डाले जाएँगे।—यहे. 7:4; मत्ती 25:33, 41, 46; प्रका. 19:15, 18.
महा-संकट के वक्त हम खुशखबरी नहीं सुनाएँगे, हम मानो ‘गूँगे’ हो जाएँगे
11, 12. (क) यहेजकेल की भविष्यवाणी को ध्यान में रखते हुए हमें प्रचार काम को किस नज़र से देखना चाहिए? (ख) भविष्य में हमारे संदेश में क्या बदलाव हो सकता है?
11 यहेजकेल की इस भविष्यवाणी को ध्यान में रखते हुए हमें प्रचार काम को किस नज़र से देखना चाहिए? हमें इस काम में तेज़ी लानी चाहिए। यह भविष्यवाणी हमें एहसास दिलाती है कि आज हम जी-जान से प्रचार करें और मसीह के ‘चेले बनने में’ लोगों की मदद करें, क्योंकि बहुत कम समय बचा है। (मत्ती 28:19, 20; यहे. 33:14-16) जब झूठे धर्मों पर राजनैतिक शक्तियों की “छड़ी” चलनी शुरू होगी, तो उसके बाद हम आज की तरह उद्धार का संदेश नहीं देंगे। (यहे. 7:10) हम खुशखबरी नहीं सुनाएँगे। मानो हम ‘गूँगे’ हो जाएँगे, ठीक जैसे यहेजकेल भी एक वक्त पर गूँगा हो गया था यानी उसने संदेश देना बंद कर दिया था। (यहे. 3:26, 27; 33:21, 22) झूठे धर्मों के नाश के बाद लोग बेहाल होकर “भविष्यवक्ता से दर्शन पाने की आस लगाएँगे” यानी अपनी जान बचाने के लिए निर्देश पाने की कोशिश करेंगे मगर नाकाम हो जाएँगे। (यहे. 7:26) ऐसे निर्देश पाने और मसीह का चेला बनने का मौका उनके हाथ से निकल चुका होगा।
12 लेकिन उस वक्त प्रचार काम बंद नहीं होगा। क्यों नहीं? महा-संकट के दौरान हम शायद दंड का संदेश सुनाने लगेंगे जो ओलों के कहर जैसा होगा। उस संदेश से साफ ज़ाहिर होगा कि दुष्ट संसार का अंत आ चुका है।—प्रका. 16:21.
“देखो, वह दिन आ रहा है!”
13. यहोवा ने यहेजकेल को बायीं करवट और दायीं करवट लेटने को क्यों कहा?
13 यहेजकेल अभिनय के रूप में न सिर्फ यह बताता है कि यरूशलेम का नाश कैसे होगा बल्कि यह भी बताता है कि उसका नाश कब होगा। यहोवा के कहे मुताबिक वह 390 दिन बायीं करवट लेटता है और 40 दिन दायीं करवट। वह शायद दिन के कुछ घंटे इस तरह लेटता है। हर दिन एक साल को दर्शाता है। (यहेजकेल 4:4-6 पढ़िए; गिन. 14:34) इसराएल राष्ट्र यहोवा के खिलाफ 390 साल पाप करता। ये साल शायद ईसा पूर्व 997 में शुरू हुए थे, क्योंकि उस साल 12 गोत्रोंवाला राज्य दो भागों में बँट गया। (1 राजा 12:12-20) यहूदा राष्ट्र यहोवा के खिलाफ 40 साल पाप करता और ये साल शायद ईसा पूर्व 647 में शुरू हुए, क्योंकि उस साल यिर्मयाह को भविष्यवक्ता ठहराया गया था और वह तब से यहूदा राष्ट्र को चेतावनी देने लगा कि उसका नाश होनेवाला है। (यिर्म. 1:1, 2, 17-19; 19:3, 4) यहेजकेल के अभिनय का यह मतलब था कि जब ये साल खत्म होंगे, तो उसी साल यरूशलेम का नाश होगा। इसराएल के 390 साल और यहूदा के 40 साल, दोनों ईसा पूर्व 607 में जाकर खत्म हुए। और उसी साल यरूशलेम का नाश हो गया, ठीक जैसे यहोवा ने भविष्यवाणी की थी।c
14. (क) यहोवा की बात पर भरोसा होने की वजह से यहेजकेल ने क्या किया? (ख) यरूशलेम के नाश से पहले क्या-क्या घटनाएँ घटतीं?
14 जब यहेजकेल को 390 दिन और 40 दिन की भविष्यवाणी बतायी गयी थी, तब शायद वह नहीं जानता था कि यरूशलेम का नाश ठीक किस साल होगा। लेकिन वह यरूशलेम के नाश से कुछ साल पहले यहूदियों को बार-बार चेतावनी देने लगा कि यहोवा बहुत जल्द उन्हें सज़ा देनेवाला है। उसने ऐलान किया, “तुम पर अंत आनेवाला है।” (यहेजकेल 7:3, 5-10 पढ़िए।) यहेजकेल को ज़रा भी शक नहीं था कि यहोवा ने जो कहा है, वह सही समय पर करेगा कि नहीं। (यशा. 46:10) यहेजकेल ने यह भी बताया कि नाश से पहले क्या-क्या घटनाएँ घटेंगी। उसने कहा, “मुसीबत-पर-मुसीबत टूट पड़ेगी।” इन घटनाओं की वजह से समाज की हालत और बिगड़ जाएगी, उपासना में अगुवाई करनेवाले अपनी ज़िम्मेदारी नहीं निभाएँगे और शासक लोगों पर राज नहीं कर पाएँगे।—यहे. 7:11-13, 25-27.
15. ईसा पूर्व 609 से यहेजकेल की भविष्यवाणी की कौन-सी बातें पूरी होने लगीं?
15 जब यहेजकेल ने यरूशलेम के नाश की भविष्यवाणी की, तो उसके कुछ ही साल बाद यह भविष्यवाणी पूरी होने लगी। ईसा पूर्व 609 में यहेजकेल को खबर मिली कि यरूशलेम पर हमला शुरू हो गया है। उस समय तुरही फूँकी गयी ताकि लोग लड़ाई के लिए इकट्ठा हों और शहर को बचाएँ, लेकिन “लड़ाई में कोई नहीं” गया, ठीक जैसे यहेजकेल ने पहले ही बताया था। (यहे. 7:14) यरूशलेम के लोग अपने शहर की रक्षा करने के लिए बैबिलोन की सेना से लड़ने नहीं गए। कुछ यहूदियों ने सोचा होगा कि यहोवा उन्हें बचा लेगा। बहुत पहले जब अश्शूरियों ने यरूशलेम पर हमला करने की धमकी दी थी, तो यहोवा के एक स्वर्गदूत ने अश्शूरियों के ज़्यादातर सैनिकों को मार डाला था। (2 राजा 19:32) लेकिन इस बार उन्हें बचाने के लिए कोई स्वर्गदूत नहीं आया। जब शहर की घेराबंदी कर दी गयी, तो कुछ ही समय के अंदर उसकी हालत बहुत खराब हो गयी। शहर एक ऐसे “हंडे” की तरह हो गया जिसे ‘आग पर रखा’ गया हो और शहर के लोग अंदर ऐसे फँस गए जैसे हंडे के अंदर “गोश्त के टुकड़े।” (यहे. 24:1-10) अठारह महीनों की घेराबंदी के दौरान यरूशलेम के लोगों को बहुत-सी यातनाएँ सहनी पड़ीं। फिर शहर का नाश कर दिया गया।
“अपने लिए स्वर्ग में धन जमा करो”
16. यहोवा की बात पर भरोसा होने से हम क्या करेंगे?
16 यहेजकेल की भविष्यवाणी के इस भाग से हम सीखते हैं कि प्रचार काम के बारे में हमारा क्या नज़रिया होना चाहिए और जिन्हें हम संदेश सुनाते हैं, उनसे हम क्या उम्मीद कर सकते हैं। यहोवा ने तय कर लिया है कि वह कब झूठे धर्मों का नाश करेगा। इस बार भी वह बिलकुल सही वक्त पर कार्रवाई करेगा। (2 पत. 3:9, 10; प्रका. 7:1-3) हम नहीं जानते कि झूठे धर्मों का नाश ठीक किस दिन होगा। फिर भी यहेजकेल की तरह हम यहोवा की हिदायत के मुताबिक लोगों को बार-बार यह चेतावनी देते हैं: “तुम पर अंत आनेवाला है।” हमें क्यों बार-बार लोगों को यह संदेश देना चाहिए? याद कीजिए कि यहेजकेल ने क्यों बार-बार संदेश दिया था।d जब उसने यरूशलेम के नाश की भविष्यवाणी की, तो ज़्यादातर लोगों ने उस पर यकीन नहीं किया। (यहे. 12:27, 28) लेकिन बाद में बैबिलोन की बँधुआई में रहते वक्त कुछ यहूदियों ने अपना मन बदला और सही रवैया दिखाया। वे अपने देश लौट आए। (यशा. 49:8) उसी तरह आज कई लोग यकीन नहीं करते कि दुनिया का अंत होगा। (2 पत. 3:3, 4) फिर भी, जब तक यहोवा लोगों को खुशखबरी स्वीकार करने का मौका दे रहा है, तब तक हमें जीवन की राह के बारे में नेकदिल लोगों को बताते रहना चाहिए।—मत्ती 7:13, 14; 2 कुरिं. 6:2.
17. महा-संकट के दौरान हम क्या-क्या देखेंगे?
17 यहेजकेल की भविष्यवाणी से हमें यह भी पता चलता है कि जब धर्मों पर हमला होगा, तो लोग अपने-अपने धर्म को बचाने के लिए “लड़ाई” नहीं करेंगे। वे मदद के लिए “हे प्रभु, हे प्रभु” पुकारेंगे, लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं मिलेगा। “उन सबके हाथ ढीले पड़ जाएँगे” और वे ‘थर-थर काँपेंगे।’ (यहे. 7:3, 14, 17, 18; मत्ती 7:21-23) वे और क्या करेंगे? (यहेजकेल 7:19-21 पढ़िए।) यहोवा कहता है, “वे अपनी चाँदी सड़कों पर फेंक देंगे।” यहोवा ने यह बात यरूशलेम के बारे में कही थी। आनेवाले महा-संकट के दौरान भी लोग ऐसा ही करेंगे। उन्हें एहसास हो जाएगा कि पैसा उन्हें आनेवाले विनाश से नहीं बचा सकता।
18. यहेजकेल की भविष्यवाणी से हम कैसे सही बातों को अहमियत देना सीखते हैं?
18 यहेजकेल की इस भविष्यवाणी से हमें क्या सबक मिलता है? यही कि हमें अपनी ज़िंदगी में सही बातों को अहमियत देनी चाहिए। ध्यान दीजिए, जब यरूशलेम के लोगों को यकीन हो गया कि अब उनका शहर नाश से नहीं बच सकता और उनकी जान खतरे में है, तो उनके होश ठिकाने आए और उन्हें यकीन हुआ कि दौलत उन्हें बचा नहीं सकती। तब जाकर उन्होंने ज़िंदगी में सही बातों को अहमियत देना शुरू किया। उन्होंने अपना सोना-चाँदी फेंक दिया और वे “भविष्यवक्ता से दर्शन पाने की आस” लगाने लगे। (यहे. 7:26) मगर तब तक बहुत देर हो चुकी थी। जहाँ तक हमारी बात है, हमें पूरा यकीन है कि दुनिया का अंत होनेवाला है। परमेश्वर के वादों पर भरोसा होने की वजह से हम अभी से ज़िंदगी में सही बातों को पहली जगह दे रहे हैं। हम स्वर्ग में धन इकट्ठा करने में लगे हुए हैं जिसका मोल कभी नहीं घटेगा और जो कभी “सड़कों पर” नहीं फेंका जाएगा।—मत्ती 6:19-21, 24 पढ़िए।
19. यहेजकेल की भविष्यवाणी से हमें क्या-क्या सीख मिलती है?
19 यरूशलेम के नाश के बारे में यहेजकेल की भविष्यवाणी से हमने क्या-क्या सीखा? चेला बनाने का काम करने के लिए हमारे पास बहुत कम समय बचा है। इसलिए हमें इसमें तेज़ी लानी चाहिए। जब नेकदिल लोग हमारे पिता यहोवा के उपासक बनते हैं, तो हमें बहुत खुशी होती है। और जो लोग ऐसा नहीं करते, उन्हें हम यहेजकेल की तरह यह चेतावनी देते रहते हैं, “तुम पर अंत आनेवाला है।” (यहे. 3:19, 21; 7:3) साथ ही, हमने ठान लिया है कि हम यहोवा पर भरोसा करते रहेंगे और उसकी शुद्ध उपासना को अपनी ज़िंदगी में सबसे पहली जगह देते रहेंगे।—भज. 52:7, 8; नीति. 11:28; मत्ती 6:33.
a यहेजकेल ने यह अभिनय लोगों के सामने किया होगा। यह हम इसलिए कह सकते हैं क्योंकि यहोवा ने यहेजकेल से साफ-साफ कहा कि वह कुछ घटनाओं का अभिनय “लोगों के देखते” करे। जैसे, उनके सामने रोटी सेंके और अपना सामान उठाकर चले।—यहे. 4:12; 12:7.
b बख्तरबंद गाड़ियाँ युद्ध के यंत्र थे जिनसे शहर की दीवारों और फाटकों को तोड़ा जाता था।
c यरूशलेम का नाश इस बात को दर्शाता है कि यहोवा ने दो गोत्रवाले यहूदा राष्ट्र के साथ-साथ दस गोत्रवाले इसराएल राष्ट्र को भी सज़ा दी थी। (यिर्म. 11:17; यहे. 9:9, 10) इंसाइट ऑन द स्क्रिप्चर्स भाग 1, पेज 462 पर “ई.पू. 997 से यरूशलेम के नाश तक घटनाओं का क्रम” पढ़ें।
d यहेजकेल 7:5-7 में यहोवा ने “आनेवाली,” “आ गया,” “आयी” और “आएगा” जैसे शब्द बार-बार कहकर दिखाया कि उसका संदेश बहुत ज़रूरी है।