मसीही ज़िंदगी और सेवा सभा पुस्तिका के लिए हवाले
4-10 सितंबर
पाएँ बाइबल का खज़ाना | यहेजकेल 42-45
“शुद्ध उपासना फिर से शुरू की गयी!”
परमेश्वर के मंदिर ‘पर ध्यान दे!’
3 यह दर्शन यहेजकेल की किताब के नौ अध्यायों में पाया जाता है। इस ब्योरेदार दर्शन के ज़रिए बंधुआई में जी रहे यहूदियों से वादा किया गया था कि शुद्ध उपासना फिर से शुरू की जाएगी! इस वादे से उनका विश्वास मज़बूत हुआ। तब से लेकर आज तक, इस दर्शन ने यहोवा से प्यार करनेवालों का हौसला बढ़ाया है। वह कैसे? आइए देखें कि बंधुआई में जी रहे यहूदियों के लिए यहेजकेल के इस दर्शन की क्या अहमियत थी जिसमें भविष्य के बारे में बताया गया था। इस दर्शन के चार मुख्य हिस्से हैं: मंदिर, याजकवर्ग, प्रधान और फिर से बसाया गया देश।
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मंदिर
यहेजकेल को दर्शन में दिखाया गया मंदिर। ईसा पूर्व 593 में यानी यरूशलेम शहर और सुलैमान के मंदिर के नाश के 14वें साल में भविष्यवक्ता यहेजकेल को दर्शन में एक ऊँचे पहाड़ की चोटी पर ले जाया गया। यहाँ इस भविष्यवक्ता को, जो याजक भी था, यहोवा का महान मंदिर दिखाया गया। (यहे 40:1, 2) यहेजकेल से कहा गया कि वह जो भी देखे, वह “इसराएल के घराने” को बताए, ताकि बँधुआई में पड़े यहूदी अपने किए पर शर्मिंदा हों और पश्चाताप करें, साथ ही जो वफादार हैं, उन्हें दिलासा मिले। (यहे 40:4; 43:10, 11) इस दर्शन में हर चीज़ की सही-सही नाप दी गयी थी। जिन चीज़ों से नापा गया, वे थीं, “छड़” (लंबा माप-छड़, 3.11 मी., 10.2 फुट) और “हाथ” (लंबा हाथ 51.8 सें.मी., 20.4 इंच)। (यहे 40:5, फु.) दर्शन में जितनी बारीकी से नाप दी गयी थी, उससे कुछ लोगों को लगता है कि शायद इसी नमूने के आधार पर बँधुआई से लौटने के बाद जरुबाबेल ने मंदिर बनवाया होगा। लेकिन इस बात का कोई पक्का सबूत नहीं है।
परमेश्वर के मंदिर ‘पर ध्यान दे!’
10 दर्शन की इन बातों से बंधुआई में जी रहे उन यहूदियों को कितनी तसल्ली मिली होगी! उन्हें यकीन दिलाया गया था कि उस इस्राएल देश में हर परिवार अपने हिस्से की ज़मीन पर जीएगा। (मीका 4:4 से तुलना कीजिए।) उस देश में सच्चे परमेश्वर की उपासना बुलंद की जाएगी और हर कोई सिर्फ यहोवा की उपासना करेगा। और ध्यान दीजिए कि यहेजकेल के दर्शन में, याजकों की तरह प्रधान भी लोगों की अर्पण की गयी ज़मीन पर रहेगा। (यहेजकेल 45:16) इसका मतलब यह था कि दोबारा बसाए गए उस देश के निवासियों को उन लोगों की मदद करनी थी जिनको यहोवा ने अगुवाई करने के लिए ठहराया था। उन्हें अपने अगुवों की हिदायतों पर चलकर उनकी मदद करनी थी। यह देश अच्छी व्यवस्था, आपसी सहयोग, और सुख-शांति का एक दर्शन था।
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नाम
जब इसराएली परमेश्वर के नेक स्तरों के मुताबिक नहीं चले, तो उन्होंने एक तरह से उसके नाम का अनादर किया, क्योंकि इसराएलियों से परमेश्वर का नाम जुड़ा हुआ था। (यहे 43:8; आम 2:7) इसराएलियों ने परमेश्वर से विश्वासघात किया, इसलिए उसे उनको सज़ा देनी पड़ी और इस वजह से दूसरे राष्ट्र के लोग यहोवा के नाम की खिल्ली उड़ाने लगे। (भज 74:10, 18 और यश 52:5 से तुलना कीजिए।) इन राष्ट्रों को लगा कि यहोवा अपने लोगों को बचा नहीं सकता, इसलिए उन पर विपत्तियाँ आ रही हैं। वे यह समझने से चूक गए कि असल में यहोवा इसराएलियों को सज़ा दे रहा है। अपने नाम पर लगा कलंक मिटाने के लिए यहोवा ने कदम उठाया और बचे हुए इसराएलियों को उनके देश वापस ले आया।—यहे 36:22-24.
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न्याय
जो लोग यहोवा की मंज़ूरी पाना चाहते हैं, उनसे वह उम्मीद करता है कि वे उसके न्याय के स्तरों के बारे में जानें और उन पर चलें। यहोवा का यह उम्मीद करना सही भी है। (यश 1:17, 18; 10:1, 2; यिर्म 7:5-7; 21:12; 22:3, 4; यहे 45:9, 10; आम 5:15; मी 3:9-12; 6:8; जक 7:9-12)
11-17 सितंबर
पाएँ बाइबल का खज़ाना | यहेजकेल 46-48
“इसराएलियों को लौटने पर क्या आशीषें मिलेंगी?”
परमेश्वर के मंदिर ‘पर ध्यान दे!’
11 क्या यहोवा उनके इस देश पर आशीष देगा? इस सवाल का जवाब दर्शन के ज़रिए दी गई भविष्यवाणी से मिलता है। इसमें दिखाई देनेवाला नज़ारा दिल में उमंग पैदा करता है। मंदिर से एक जलधारा बह रही है जो आगे चलकर चौड़ी होती जाती है और मृत सागर तक पहुँचते-पहुँचते तेज़ी से बहनेवाली नदी बन जाती है। इस नदी की वज़ह से मृत सागर में फिर से जान आ जाती है और सागर किनारे मछुवाई का कारोबार फलने-फूलने लगता है। नदी के तीर पर हर मौसम में फलनेवाले बहुत से सदाबहार पेड़ हैं जिनके फल लोगों के खाने के काम आते हैं और उनके पत्तों से बीमारियों से चंगाई मिलती है।—यहेजकेल 47:1-12.
12 उस वादे ने बंधुआई में जी रहे यहूदियों को उन पहली भविष्यवाणियों के सच होने का यकीन दिलाया जिन्हें वे अपने दिल में संजोकर रखे हुए थे और जिनमें यह बताया गया था कि इस्राएल देश फिर से बसाया जाएगा। कई बार यहोवा द्वारा प्रेरित भविष्यवक्ताओं ने फिर से बसाए गए, आबाद इस्राएल की खुशहाली और सुख-चैन का वर्णन किया था। उनकी भविष्यवाणियों में बार-बार बताया जाता था कि उजाड़ पड़ी हुई जगहों को फिर से बसाया जाएगा। (यशायाह 35:1, 6, 7; 51:3; यहेजकेल 36:35; 37:1-14) इसलिए लोग उम्मीद कर सकते थे कि जैसे दोबारा बनाए गए मंदिर से जलधारा निकलती है वैसे ही उन पर यहोवा की तरफ से जीवन देनेवाली आशीषों की धारा बहेगी। इन जीवन देनेवाली आशीषों से आध्यात्मिक रूप से मरी हुई जाति में फिर से जान आ जाएगी। उस जाति को आध्यात्मिक बातों में अच्छी मिसाल रखनेवाले पुरुषों की आशीष मिलेगी जो उनके उजड़े हुए देश को फिर से बसाने के काम में अगुवाई करेंगे। वे धर्मी होंगे और उन बड़े-बड़े पेड़ों की तरह अटूट होंगे जो दर्शन में नदी के तीर पर दिखाई दिए थे। यशायाह ने भी इनको “धर्म के बांजवृक्ष” कहा और लिखा कि ये “[प्राचीन] काल से उजड़े हुए स्थानों को फिर बसाएंगे।”—यशायाह 61:3, 4.
परमेश्वर के मंदिर ‘पर ध्यान दे!’
10 दर्शन की इन बातों से बंधुआई में जी रहे उन यहूदियों को कितनी तसल्ली मिली होगी! उन्हें यकीन दिलाया गया था कि उस इस्राएल देश में हर परिवार अपने हिस्से की ज़मीन पर जीएगा। (मीका 4:4 से तुलना कीजिए।) उस देश में सच्चे परमेश्वर की उपासना बुलंद की जाएगी और हर कोई सिर्फ यहोवा की उपासना करेगा। और ध्यान दीजिए कि यहेजकेल के दर्शन में, याजकों की तरह प्रधान भी लोगों की अर्पण की गयी ज़मीन पर रहेगा। (यहेजकेल 45:16) इसका मतलब यह था कि दोबारा बसाए गए उस देश के निवासियों को उन लोगों की मदद करनी थी जिनको यहोवा ने अगुवाई करने के लिए ठहराया था। उन्हें अपने अगुवों की हिदायतों पर चलकर उनकी मदद करनी थी। यह देश अच्छी व्यवस्था, आपसी सहयोग, और सुख-शांति का एक दर्शन था।
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परमेश्वर के मंदिर ‘पर ध्यान दे!’
14 क्या यह सब घटने के बाद यहेजकेल का दर्शन पूरा हो गया? जी नहीं, इस दर्शन में दी गई भविष्यवाणी और भी बड़े पैमाने पर पूरी होनेवाली थी। वह कैसे, आइए देखें: यहेजकेल ने जिस आकार का मंदिर दर्शन में देखा था, हकीकत में उसे बनाना नामुमकिन था। यह सच है कि यहूदियों ने इस दर्शन को हकीकत समझा और कुछ हद तक मंदिर को उसी के मुताबिक बनवाया। लेकिन दर्शन में दिखाए गए मंदिर के लिए मोरिय्याह पहाड़ की जगह भी कम पड़ जाती, जहाँ पहले का मंदिर हुआ करता था। इतना ही नहीं, यहेजकेल के दर्शन का मंदिर नगर के अंदर नहीं था मगर कुछ दूर एक अलग ज़मीन पर था। जबकि यरूशलेम नगर में बनाया गया दूसरा मंदिर उसी जगह बनाया गया था जहाँ पहला मंदिर था। (एज्रा 1:1, 2) और यरूशलेम के मंदिर से कभी कोई सचमुच की नदी नहीं निकली। सो प्राचीन इस्राएल में यहेजकेल की भविष्यवाणी छोटे पैमाने पर पूरी हुई। इससे ज़ाहिर होता है कि इस दर्शन को बड़े पैमाने पर, आध्यात्मिक तरीके से पूरा होना था।
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इंसान का बेटा
ये शब्द इब्रानी शास्त्र में सबसे ज़्यादा बार यहेजकेल की किताब में पाए जाते हैं। उसमें परमेश्वर 90 से भी ज़्यादा बार भविष्यवक्ता यहेजकेल को ‘इंसान का बेटा’ कहकर पुकारता है। (यहे 2:1, 3, 6, 8) इस उपाधि से यह समझाया गया है कि भविष्यवक्ता धरती पर रहनेवाला एक आम आदमी है। इस तरह यह पता चलता है कि इस भविष्यवक्ता और परम प्रधान परमेश्वर में कितना फर्क है। वह सिर्फ परमेश्वर की तरफ से संदेश देनेवाला एक नुमाइंदा है। यही उपाधि दानियेल 8:17 में भविष्यवक्ता दानियेल को दी गयी है।
18-24 सितंबर
पाएँ बाइबल का खज़ाना | दानियेल 1-3
“यहोवा के वफादार रहिए और इनाम पाइए”
परमेश्वर के राज के वफादार बने रहिए
15 हम यहोवा की सेवा साफ ज़मीर से करना चाहते हैं। इस वजह से कभी-कभार हम शायद साथ काम करनेवालों, साथ पढ़नेवालों, पड़ोसियों या रिश्तेदारों से बिलकुल अलग नज़र आएँ। (1 पत. 2:19) और हमें अलग नज़र आना भी चाहिए। यहाँ तक कि जब लोग हमसे नफरत करते हैं, तो हमें हैरान नहीं होना चाहिए, क्योंकि इस बारे में यीशु ने हमें पहले से आगाह कर दिया था। साथ ही, याद रखिए कि जो लोग हमारा विरोध करते हैं, उनमें से ज़्यादातर लोग, परमेश्वर के राज के बारे में नहीं जानते। इसलिए वे यह नहीं समझ पाते कि हमारे लिए इंसानी सरकारों के बजाय परमेश्वर के राज के वफादार रहना क्यों बहुत मायने रखता है।
16 यहोवा के वफादार बने रहने के लिए ज़रूरी है कि हम उसकी आज्ञा मानें फिर चाहे लोग हमसे कुछ भी कहें या करें। (दानि. 3:16-18) दूसरों से अलग नज़र आना बच्चों या नौजवानों के लिए और ज़्यादा मुश्किल हो सकता है। इसलिए माता-पिताओ, अपने बच्चों को स्कूल में हिम्मत से काम लेने में मदद दीजिए। आपका बच्चा शायद झंडे को सलामी देने या दूसरे राष्ट्रीय समारोह में हिस्सा लेने से इनकार करने से डरे। तो क्यों न पारिवारिक उपासना के दौरान यह अध्ययन करें कि इस बारे में यहोवा कैसा महसूस करता है? अपने बच्चों को सिखाइए कि वे जो विश्वास करते हैं उस बारे में वे साफ-साफ और आदर के साथ दूसरों को कैसे बता सकते हैं। (रोमि. 1:16) अगर ज़रूरी हो तो खुद जाकर अपने बच्चे के शिक्षकों से बात कीजिए और उन्हें समझाइए कि हम क्या विश्वास करते हैं।
हिम्मत से काम लीजिए—यहोवा आपके साथ है!
13 ईसा पूर्व सातवीं सदी में यहोवा के तीन इब्री सेवकों ने इस बात का पक्का सबूत देखा कि परमेश्वर विश्वास और हिम्मत से काम लेनेवालों को आशीष देता है। राजा नबूकदनेस्सर ने बैबिलोन की बड़ी-बड़ी हस्तियों को एक जगह इकट्ठा होने के लिए कहा और उन्हें सोने की एक विशाल मूरत को पूजने का कड़ा आदेश दिया। राजा ने कहा कि जो कोई उस मूरत की पूजा नहीं करेगा उसे आग से जलते भट्ठे में फेंक दिया जाएगा। यहोवा की उपासना करनेवाले उन तीन इब्रियों ने पूरे आदर के साथ नबूकदनेस्सर से कहा: “हमारा परमेश्वर, जिसकी हम उपासना करते हैं वह हम को उस धधकते हुए भट्ठे की आग से बचाने की शक्ति रखता है; वरन हे राजा, वह हमें तेरे हाथ से भी छुड़ा सकता है। परन्तु, यदि नहीं, तो हे राजा तुझे मालूम हो, कि हम लोग तेरे देवता की उपासना नहीं करेंगे, और न तेरी खड़ी कराई हुई सोने की मूरत को दण्डवत् करेंगे।” (दानि. 3:16-18) उन तीन इब्रियों को आग में डाल दिया जाता है मगर जैसे दानिय्येल 3:19-30) में बताया गया है परमेश्वर उन्हें एक हैरतअंगेज़ तरीके से बचाता है। हो सकता है आज हमें आग की भट्ठी में डालने की धमकी न दी जाए, मगर किसी-न-किसी तरह से हमारी परीक्षा ज़रूर होती है। अगर हम विश्वास और हिम्मत के साथ अपनी खराई बनाए रखेंगे तो हम यकीन रख सकते हैं कि परमेश्वर हमें ज़रूर आशीष देगा।
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इंसाइट-2 पेज 382
मेशक
शायद तीन वजह से उन्होंने राजा के यहाँ से मिलनेवाले लज़ीज़ खाने को “दूषित” (दान 1:8) समझा: (1) बैबिलोन के लोग ऐसे जानवरों का मांस खाते थे, जिन्हें मूसा के ज़रिए दिए गए कानून में अशुद्ध कहा गया था; (2) वे इस बात का ध्यान नहीं रखते थे कि जानवरों का खून अच्छी तरह बहाया जाए, कुछ मांस तो शायद गला घोंटे गए जानवरों का होता था; (3) जो लोग यहोवा के उपासक नहीं थे, वे जानवरों की बलि अपने देवी-देवताओं के लिए चढ़ाते थे और फिर वही मांस खाते थे, इसलिए ऐसा मांस खाना उन देवताओं की उपासना में शरीक होना माना जाता।—1कुर 10:18-20, 28 से तुलना कीजिए।
“उन सब राज्यों” में कौन शामिल हैं?
दानिय्येल 2:44 में दी भविष्यवाणी कहती है कि परमेश्वर का राज “उन सब राज्यों को चूर चूर करेगा, और उनका अन्त कर डालेगा।” यह भविष्यवाणी सिर्फ उन्हीं राज्यों के बारे में बताती है, जो मूर्ति के अलग-अलग हिस्सों से दर्शाए गए हैं।
तो फिर बाकी राज्यों या इंसानी सरकारों के बारे में क्या? इस बारे में प्रकाशितवाक्य की किताब और ज़्यादा जानकारी देती है। यह बताती है कि ‘सारे जगत के राजा’ “सर्वशक्तिमान परमेश्वर के महान दिन” पर उसके खिलाफ इकट्ठा होंगे। (प्रका. 16:14; 19:19-21) इसलिए हर-मगिदोन की लड़ाई में न सिर्फ मूर्ति के अलग-अलग हिस्सों से दर्शाए राज्य, बल्कि सभी इंसानी सरकारें नाश की जाएँगी।
खुशहाल संसार लाने का असली ज़रिया
इसका जवाब दानिय्येल 2:44 में मिलता है: “[मौजूदा संसार के अंत में शासन करनेवाले] उन राजाओं के दिनों में स्वर्ग का परमेश्वर, एक ऐसा राज्य उदय करेगा जो अनन्तकाल तक न टूटेगा, और न वह किसी दूसरी जाति के हाथ में किया जाएगा। वरन वह उन सब [इंसान के बनाए] राज्यों को चूर चूर करेगा, और उनका अन्त कर डालेगा; और वह सदा स्थिर रहेगा।” (तिरछे टाइप हमारे।) परमेश्वर का राज्य पृथ्वी की सरकारों को क्यों “चूर चूर” कर देगा? क्योंकि ये सरकारें परमेश्वर के खिलाफ जाकर खुद शासन करने पर अड़ी रहती हैं। ऐसे रवैए को दरअसल शैतान ने अदन की वाटिका में बढ़ावा दिया था। शैतान के इस रवैए को बरकरार रखने की कोशिश करनेवाले न सिर्फ इंसानों को नुकसान पहुँचाते हैं बल्कि वे सिरजनहार से टक्कर लेते हैं। (भजन 2:6-12; प्रकाशितवाक्य 16:14, 16) इसलिए हमें खुद से पूछना चाहिए कि ‘मैं परमेश्वर की हुकूमत के पक्ष में हूँ या उसके खिलाफ?’
25 सितंबर–1 अक्टूबर
पाएँ बाइबल का खज़ाना | दानियेल 4-6
“क्या आप बिना नागा यहोवा की सेवा कर रहे हैं?”
जवानो—परमेश्वर के वचन के मार्गदर्शन में चलो
16 आपको अकेले में भी क्यों यहोवा की आज्ञा माननी चाहिए? याद रखिए: अकेले में आप जो करते हैं, उससे या तो आप यहोवा का दिल दुखा सकते हैं या उसे खुश कर सकते हैं। (उत्प. 6:5, 6; नीति. 27:11) यहोवा को “तुम्हारी परवाह है” इसीलिए आपके हरेक काम का असर उस पर होता है। (1 पत. 5:7) वह चाहता है कि आप उसकी सुनें, क्योंकि वह जानता है कि उससे आपको फायदा होगा। (यशा. 48:17, 18) जब प्राचीन इसराएल में यहोवा के कुछ सेवकों ने उसकी सलाह पर कान नहीं दिए, तो यहोवा को बड़ा दुख पहुँचा। (भज. 78:40, 41) दूसरी तरफ यहोवा को भविष्यवक्ता दानिय्येल से खास लगाव था और एक स्वर्गदूत ने उसे “अति प्रिय पुरुष” कहा। (दानि. 10:11) क्यों? क्योंकि दानिय्येल ने अपनी वफादारी न सिर्फ लोगों के सामने बल्कि अकेले में भी दिखायी।—दानिय्येल 6:10 पढ़िए।
क्या आप पवित्र चीज़ों के बारे में यहोवा का नज़रिया रखते हैं?
12 यह कोई ताज्जुब की बात नहीं कि मसीही कलीसिया के अभिषिक्त जनों और उनके साथियों की ज़िंदगी से जुड़ी बहुत-सी चीज़ों को पवित्र माना जाता है। उनमें से एक है, यहोवा के साथ हमारा रिश्ता। (1 इतिहास 28:9; भजन 36:7) यह रिश्ता हमें इतना अज़ीज़ है कि हम किसी भी चीज़ या इंसान को यहोवा और हमारे रिश्ते के बीच आने नहीं देते। (2 इतिहास 15:2; याकूब 4:7,8) इस अटूट रिश्ते को बनाए रखने के लिए प्रार्थना एक अहम भूमिका निभाती है। भविष्यवक्ता दानिय्येल, रोज़ बिना नागा प्रार्थना किया करता था और यह उसके लिए इतनी पवित्र थी कि उसने तब भी प्रार्थना करना नहीं छोड़ा जब उसकी जान पर बन आयी थी। (दानिय्येल 6:7-11) ‘पवित्र लोगों [या अभिषिक्त मसीहियों] की प्रार्थनाओं’ को मंदिर में उपासना के लिए इस्तेमाल होनेवाले धूप के समान बताया गया है। (प्रकाशितवाक्य 5:8; 8:3,4; लैव्यव्यवस्था 16:12,13) यह तुलना दिखाती है कि प्रार्थना कितनी पवित्र है। वाकई, पूरे जहान के मालिक और महाराजाधिराज से बात करना क्या ही सम्मान की बात है! इसलिए हम प्रार्थना को पवित्र मानते हैं!
“निरन्तर प्रार्थना” क्यों करें?
2 यहोवा की नज़रों में दानिय्येल कैसा इंसान था? जब एक बार स्वर्गदूत जिब्राइल, दानिय्येल की एक प्रार्थना का जवाब देने आया तब उसने दानिय्येल को “अति प्रिय” या “बेहद प्यारा” इंसान कहा। (दानिय्येल 9:20-23; द न्यू इंग्लिश बाइबल) यहेजकेल की भविष्यवाणी में, यहोवा ने दानिय्येल को धर्मी कहा। (यहेजकेल 14:14, 20) बेशक, बरसों-बरस दानिय्येल की प्रार्थनाओं की वजह से उसका परमेश्वर के साथ ऐसा मज़बूत रिश्ता बंध चुका था जिसका लोहा राजा दारा को भी मानना पड़ा।—दानिय्येल 6:16.
“पवित्र शक्ति और वह दुल्हन कहती रहती हैं: ‘आ!’”
15 दानिय्येल रात-भर शेरों की माँद में था, सुबह होते ही राजा ने खुद जाकर उसे पुकारा: “हे दानिय्येल, हे जीवते परमेश्वर के दास, क्या तेरा परमेश्वर जिसकी तू नित्य उपासना करता है, तुझे सिंहों से बचा सका है?” दानिय्येल ने तुरंत जवाब दिया: “हे राजा, तू युगयुग जीवित रहे! मेरे परमेश्वर ने अपना दूत भेजकर सिंहों के मुंह को ऐसा बन्द कर रखा कि उन्हों ने मेरी कुछ भी हानि नहीं की; इसका कारण यह है, कि मैं उसके साम्हने निर्दोष पाया गया; और हे राजा, तेरे सम्मुख भी मैं ने कोई भूल नहीं की।” दानिय्येल “नित्य” यानी लगातार यहोवा की उपासना करता था और इसकी वजह से यहोवा ने उसे आशीष दी।—दानि. 6:19-22.
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दानिय्येल किताब की झलकियाँ
4:10, 11, 20-22—नबूकदनेस्सर ने सपने में जो ऊँचा और विशाल पेड़ देखा, वह क्या दर्शाता था? इसकी पहली पूर्ति में, यह ऊँचा और विशाल पेड़ नबूकदनेस्सर को दर्शाता था, जब वह एक विश्वशक्ति का सम्राट बना। लेकिन वह पेड़ ‘सारी पृथ्वी की छोर तक’ दिखायी पड़ता था, जिससे ज़ाहिर है कि वह पेड़ बाबुल के सम्राट की हुकूमत से कहीं महान और बड़ी हुकूमत को भी दर्शाता था। दानिय्येल 4:17 दिखाता है कि इस सपने का इंसानों पर “परमप्रधान” की हुकूमत के साथ गहरा ताल्लुक है। इसलिए इस पेड़ का मतलब खासकर पृथ्वी पर परमप्रधान परमेश्वर की हुकूमत है। इसलिए सपने में देखा गया ऊँचा और विशाल पेड़ दो हस्तियों की हुकूमत को दर्शाता है—एक, नबूकदनेस्सर की और दूसरा, यहोवा की।
प्र88 10/1 पेज 30 पै 3-5, अँग्रेज़ी
आपने पूछा
जब दानियेल नाम के इब्री जवान को राजा के सामने लाया गया, तो राजा ने अपनी पेशकश दोहरायी। वह यह कि दानियेल को बैंजनी कपड़ा पहनाया जाएगा, गले में सोने का हार डाला जाएगा और राज्य का तीसरा सबसे बड़ा शासक बनाया जाएगा। भविष्यवक्ता ने अदब से राजा से कहा, “मुझे तेरे तोहफे नहीं चाहिए, तू चाहे तो ये सब किसी और को दे दे। फिर भी, मैं राजा को यह लिखावट पढ़कर सुनाऊँगा और इसका मतलब बताऊँगा।”—दानियेल 5:17.
सपने का मतलब बताने के लिए दानियेल को कोई कीमत या रिश्वत नहीं चाहिए थी। राजा अपने तोहफे अपने पास रख सकता था या फिर किसी और को दे सकता था। दानियेल मतलब ज़रूर बताएगा, लेकिन कोई इनाम पाने के लिए नहीं, बल्कि इसलिए कि सच्चे परमेश्वर यहोवा ने उसे ऐसा करने की समझ दी। यहोवा जल्द ही अपना न्यायदंड बैबिलोन पर लानेवाला था।
दानियेल 5:29 बताता है कि जब दानियेल ने वे शब्द पढ़े और उनका मतलब समझाया, जैसा उसने कहा था, तो राजा दानियेल को तोहफे देने का हुक्म देता है। दानियेल खुद वह कपड़ा नहीं पहनता, न ही हार अपने गले में डालता है। ये सारी चीज़ें उसे राजा बेलशस्सर के हुक्म पर पहनायी जाती हैं। यह बात दानियेल 5:17 में दी बात के विरोध में नहीं है, क्योंकि वहाँ भविष्यवक्ता ने साफ कह दिया था कि सपने का मतलब बताने के पीछे उसका कोई स्वार्थ नहीं है।
दानिय्येल की भविष्यवाणी पेज 109 पै 22
चार शब्द जिन्होंने ज़माना बदल दिया
22 इस तरह दीवार पर लिखे चार रहस्य भरे शब्दों का भेद खोल दिया गया। महाशक्तिशाली बाबुल, मादी-फारस की फौजों के सामने घुटने टेकनेवाला था। बेशक, इस अनिष्ट संदेश को सुनकर बेलशस्सर घबरा उठा होगा, लेकिन उसने अपना वादा निभाया। उसने अपने सेवकों को हुक्म दिया कि दानिय्येल को बैंजनी रंग के कपड़े पहिनाए जाएँ और उसके गले में सोने का हार डाला जाए, और ढिंढोरा पीटा जाए कि अब से राज्य का तीसरा राजा दानिय्येल होगा। (दानिय्येल 5:29) दानिय्येल ने ये सब पाने से इनकार नहीं किया क्योंकि वह जानता था कि जो सम्मान उसे मिल रहा है, उससे दरअसल यहोवा के नाम की ही महिमा होगी। हो सकता है कि बेलशस्सर ने यह उम्मीद की हो कि अगर वह यहोवा के भविष्यवक्ता का इस तरह आदर-सम्मान करे तो यहोवा का गुस्सा ठंडा हो जाएगा और वह बेलशस्सर से खुश होकर उसे माफ कर देगा। अगर उसके मन में ऐसा ख्याल आया भी हो, तो अब बहुत देर हो चुकी थी।