यहोवा दुष्टों के खिलाफ न्यायदंड ज़रूर लाएगा
“अपने परमेश्वर के साम्हने आने के लिये तैयार हो जा।”—आमोस 4:12.
1, 2. हमें पूरा यकीन क्यों है कि परमेश्वर बहुत जल्द बुराई का अंत करनेवाला है?
क्या यहोवा इस धरती पर हो रही बुराई और दुःख-तकलीफों का कभी अंत करेगा? आज इक्कीसवीं सदी की शुरूआत में यह सवाल पहले से कहीं ज़्यादा मायने रखता है क्योंकि जहाँ देखो वहाँ इंसान-इंसान पर ज़ुल्म ढा रहा है। काश ऐसी दुनिया आए जहाँ हिंसा, आतंकवाद और भ्रष्टाचार का नामो-निशान न हो!
2 मगर हमारे लिए खुशी की बात यह है कि यहोवा बहुत जल्द बुराई का अंत करनेवाला है, जिसका हमें पूरा यकीन है। उसके गुण हमें भरोसा दिलाते हैं कि वह दुष्टों के खिलाफ कार्यवाही ज़रूर करेगा। यहोवा धर्मी और न्यायी परमेश्वर है। भजन 33:5 में उसका वचन कहता है: “वह धर्म और न्याय से प्रीति रखता है।” एक और भजन कहता है: ‘जो उपद्रव से प्रीति रखते हैं, यहोवा उनसे अपनी आत्मा में घृणा करता है।’ (भजन 11:5) बेशक, धार्मिकता और न्याय से प्रीति रखनेवाला सर्वशक्तिमान परमेश्वर उस चीज़ को हमेशा तक बरदाश्त नहीं करेगा जिससे उसे घृणा है।
3. आमोस की भविष्यवाणी की गहराई से जाँच करने पर कौन-सी बातें सामने आएँगी?
3 यहोवा बुराई को मिटाएगा, इस यकीन की एक और वजह पर गौर कीजिए। वह है, गुज़रे ज़माने का उसका रिकॉर्ड कि वह किस तरह उस समय के लोगों के साथ पेश आया। बाइबल की किताब, आमोस में इस बात की बढ़िया मिसाल दी गयी है कि यहोवा सभी दुष्टों के साथ एक जैसा सलूक करता है। आमोस की भविष्यवाणी की और भी गहरी जाँच करने पर यहोवा के न्याय से जुड़ी तीन बातें सामने आएँगी। पहली, परमेश्वर कभी-भी बेवजह न्यायदंड नहीं लाता। दूसरी, उसकी सज़ा से कोई बच नहीं सकता। और तीसरी, यहोवा सिर्फ गुनहगारों को सज़ा देता है, मगर पश्चाताप दिखानेवालों और सही मन रखनेवालों पर दया करता है।—रोमियों 9:17-26.
परमेश्वर कभी-भी बेवजह न्यायदंड नहीं लाता
4. यहोवा ने आमोस को कहाँ और किस मकसद से भेजा?
4 आमोस के दिनों तक इस्राएली दो राज्यों में बँट चुके थे। एक था, दो गोत्रवाला दक्षिण का यहूदा राज्य। और दूसरा, दस गोत्रवाला उत्तर का इस्राएल राज्य। यहोवा ने यहूदा के रहनेवाले आमोस को एक नबी ठहराया और उसे इस्राएल भेजा ताकि वह यहोवा का न्यायदंड सुनाए।
5. आमोस ने पहले किन देशों के खिलाफ भविष्यवाणी की और उन्हें न्यायदंड देने की एक वजह क्या थी?
5 आमोस ने यहोवा का न्यायदंड सबसे पहले भटके हुए उत्तर के इस्राएल राज्य को नहीं बल्कि उसके छः पड़ोसी देशों को सुनाया और वे थे अराम, पलिश्तीन, सोर, एदोम, अम्मोन और मोआब। लेकिन क्या ये सभी सचमुच परमेश्वर के न्यायदंड के लायक थे? बिलकुल! इसकी एक वजह यह थी कि वे यहोवा के लोगों के कट्टर दुश्मन थे।
6. परमेश्वर ने क्यों अराम, पलिश्तीन और सोर को खाक में मिलाने की ठान ली थी?
6 मिसाल के लिए, यहोवा ने अरामियों को सज़ा सुनायी क्योंकि उन्होंने ‘गिलाद को रौंद डाला था।’ (आमोस 1:3) गिलाद, इस्राएल देश का एक प्रदेश था जो यरदन नदी के पूर्व में था। अरामियों ने गिलाद के कुछ इलाकों को अपने कब्ज़े में कर लिया और परमेश्वर के लोगों को भारी नुकसान पहुँचाया। पलिश्तीन और सोर के बारे में क्या कहा जा सकता है? पलिश्तियों ने इस्राएलियों को बंदी बनाकर उन्हें एदोमियों के हाथों बेच दिया था और कुछ इस्राएली सोर के व्यापारियों के कब्ज़े में आ गए थे, जो गुलामों की खरीद-फरोख्त करते थे। (आमोस 1:6, 9) ज़रा सोचिए, उनकी यह जुर्रत कि वे यहोवा के लोगों को गुलामी में बेचें! तो इसमें ताज्जुब नहीं कि यहोवा ने अराम, पलिश्तीन और सोर को खाक में मिलाने की ठान ली थी।
7. एदोमी, अम्मोनी और मोआबियों का इस्राएलियों से क्या नाता था मगर वे उनके साथ कैसे पेश आए?
7 एदोमी, अम्मोनी और मोआबी, इन तीनों जातियों में एक समानता यह थी कि ये एक-दूसरे के और इस्राएलियों के रिश्ते में आती थीं। एदोमी, इब्राहीम के वंशज थे क्योंकि उनकी शुरूआत याकूब के जुड़वाँ भाई, एसाव से हुई थी। देखा जाए तो वे इस्राएल के भाई हुए। अम्मोनी और मोआबी इब्राहीम के भतीजे, लूत के वंशज थे। लेकिन क्या एदोमी, अम्मोनी और मोआबी, अपने इस्राएली भाइयों के साथ प्यार से पेश आए? बिलकुल नहीं! इन पत्थरदिल एदोमियों ने “अपने भाई” के खिलाफ तलवार उठायी और अम्मोनी, इस्राएली बंधुओं के साथ बड़ी बेरहमी से पेश आए। (आमोस 1:11, 13) जहाँ तक मोआबियों की बात है तो आमोस ने भले ही अपनी किताब में यह ज़िक्र नहीं किया कि उन्होंने परमेश्वर के लोगों को सताया, लेकिन यह बात जानी-मानी थी कि वे लंबे अरसे से इस्राएलियों का विरोध कर रहे थे। इस्राएल के रिश्ते में आनेवाले इन तीनों देशों को कड़ी-से-कड़ी सज़ा दी जानी थी। यहोवा उन्हें आग से भस्म करनेवाला था।
परमेश्वर के न्यायदंड से कोई नहीं बच सकता
8. क्यों इस्राएल के छः पड़ोसी देशों का परमेश्वर के न्यायदंड से बचना नामुमकिन था?
8 इसमें कोई दो राय नहीं कि ये छः देश, जिनका ज़िक्र पहले आमोस की भविष्यवाणी में किया गया, परमेश्वर का न्यायदंड पाने के लायक थे। और-तो-और, वे किसी भी सूरत में इस न्यायदंड से नहीं बच सकते थे। आमोस के अध्याय 1 की आयत 3 से लेकर अध्याय 2 की आयत 1 तक यहोवा छः बार कहता है: “मैं उसका दण्ड न छोड़ूंगा।” यहोवा अपने वचन का पक्का साबित हुआ, वह उन्हें सज़ा देने से पीछे नहीं हटा। इतिहास गवाह है कि आगे चलकर ये सभी देश, तहस-नहस हो गए। उनमें से कम-से-कम चार देशों यानी पलिश्तीन, मोआब, अम्मोन और एदोम का तो धरती पर से नामो-निशान तक मिट गया!
9. यहूदा के रहनेवाले किस लायक थे और क्यों?
9 अब आमोस सातवें देश के बारे में भविष्यवाणी करता है और वह है, उसका अपना देश, यहूदा। उत्तर के इस्राएल में रहनेवालों को शायद यह सुनकर ताज्जुब हो कि आमोस, यहूदा राज्य के खिलाफ न्यायदंड का ऐलान कर रहा है। यहूदा ने आखिर ऐसा क्या किया था कि वह न्यायदंड पाने के लायक ठहरा? आमोस 2:4 कहता है: “उन्हों ने यहोवा की व्यवस्था को तुच्छ जाना।” यहूदा के लोगों ने ढीठ होकर यहोवा की व्यवस्था को ठुकरा दिया था, इसलिए यहोवा ने उनके इस पाप को अनदेखा नहीं किया। आमोस 2:5 में वह भविष्यवाणी करता है: “मैं यहूदा में आग लगाऊंगा, और उस से यरूशलेम के भवन भस्म हो जाएंगे।”
10. यहूदा क्यों आनेवाली विपत्ति से बच नहीं सकता था?
10 विश्वासघाती यहूदा अपने ऊपर आनेवाली विपत्ति को टाल नहीं सकता था। यहोवा सातवीं बार कहता है: “मैं उसका दण्ड न छोड़ूंगा।” (आमोस 2:4) भविष्यवाणी के मुताबिक सा.यु.पू. 607 में यहूदा को अपने किए की सज़ा मिल गयी, जब बाबुलियों ने आकर उसकी ईंट-से-ईंट बजा दी। एक बार फिर हम देखते हैं कि दुष्टों का परमेश्वर के न्यायदंड से बचना नामुमकिन है।
11-13. आमोस ने खासकर किस देश के खिलाफ भविष्यवाणी की और वहाँ क्या-क्या ज़्यादतियाँ हो रही थीं?
11 भविष्यवक्ता आमोस ने अभी-अभी सात देशों को यहोवा का न्यायदंड सुनाया था। अगर किसी ने यह सोचा हो कि आमोस को जितनी भविष्यवाणी करनी थी उसने कर ली, तो यह उसकी बड़ी भूल थी! आमोस ने अभी तक अपनी बात पूरी नहीं की थी। उसे खासकर उत्तर के इस्राएल को न्यायदंड का तीखा संदेश सुनाने के लिए भेजा गया था। और इस्राएल, परमेश्वर से न्यायदंड पाने के लायक भी था क्योंकि उसकी नैतिक और आध्यात्मिक हालत बद-से-बदतर हो चुकी थी।
12 इस्राएल राज्य में जो ज़्यादतियाँ हो रही थीं, आमोस ने अपनी भविष्यवाणियों से उनका परदाफाश किया। इस बारे में आमोस 2:6, 7 कहता है: “यहोवा यों कहता है, इस्राएल के तीन क्या, वरन चार अपराधों के कारण, मैं उसका दण्ड न छोड़ूंगा; क्योंकि उन्हों ने निर्दोष को रुपये [“चाँदी के चन्द टुकड़ों,” ईज़ी-टू-रीड वर्शन] के लिये और दरिद्र को एक जोड़ी जूतियों के लिये बेच डाला है। वे कंगालों के सिर पर की धूलि का भी लालच करते, और नम्र लोगों को मार्ग से हटा देते हैं।”
13 निर्दोष लोगों को “चाँदी के चन्द टुकड़ों के लिये” बेचा जा रहा था। इसका मतलब यह हो सकता है कि न्यायी, रिश्वत में चाँदी के सिक्के लेकर निर्दोषों को सज़ा सुना रहे थे। कर्ज़ देनेवाले, “एक जोड़ी जूतियों के लिये” या दूसरे शब्दों में कहें तो अपना छोटा-मोटा उधार गरीबों से वसूल करने के लिए उन्हें गुलामी में बेच रहे थे। इन बेरहमों ने “लालच” किया यानी “कंगालों” को सताने की ताक में लगे रहे और इतना सताया कि उन्होंने अपने सिर पर धूल फेंकी जो दुःख, शोक और अपमान की निशानी थी। भ्रष्टाचार का इस कदर बोलबाला था कि “नम्र लोगों” के लिए इंसाफ पाने की कोई गुंजाइश नहीं थी।
14. दस गोत्रवाले इस्राएल राज्य में किन्हें सताया जा रहा था?
14 गौर कीजिए कि किन लोगों को सताया जा रहा था। वे थे देश के निर्दोष, दरिद्र, कंगाल और नम्र लोग। इस्राएल को दी गयी व्यवस्था वाचा में यहोवा ने उनसे कमज़ोर और ज़रूरतमंदों पर दया करने की माँग की थी। मगर दस गोत्रवाले इस्राएल राज्य में इन लोगों का जीना दूभर हो गया था।
“अपने परमेश्वर के साम्हने आने के लिये तैयार हो जा”
15, 16. (क) इस्राएलियों को यह चेतावनी क्यों दी गयी: “अपने परमेश्वर के साम्हने आने के लिये तैयार हो जा”? (ख) आमोस 9:1, 2 कैसे दिखाता है कि दुष्टों का परमेश्वर के न्यायदंड से बचना नामुमकिन है? (ग) सा.यु.पू. 740 में दस गोत्रवाले इस्राएल राज्य का क्या हुआ?
15 इस्राएल में अनैतिकता और दूसरे पाप हद-से-ज़्यादा बढ़ गए थे, और इसी वजह से भविष्यवक्ता आमोस ने उस बगावती देश को यह चेतावनी दी: “अपने परमेश्वर के साम्हने आने के लिये तैयार हो जा।” (आमोस 4:12) विश्वासघाती इस्राएल राज्य, परमेश्वर के आनेवाले न्यायदंड से बच नहीं सकता था क्योंकि यहोवा ने आठवीं दफा ऐलान किया: “मैं उसका दण्ड न छोड़ूंगा।” (आमोस 2:6) दुष्ट जन शायद यहोवा से छिपने की कोशिश करें, मगर उनके बारे में परमेश्वर ने कहा: “उन में से एक भी न भाग निकलेगा, और जो अपने को बचाए, वह बचने न पाएगा। क्योंकि चाहे वे खोदकर अधोलोक में उतर जाएं, तो वहां से मैं हाथ बढ़ाकर उन्हें लाऊंगा; चाहे वे आकाश पर चढ़ जाएं, तो वहां से मैं उन्हें उतार लाऊंगा।”—आमोस 9:1, 2.
16 बुरे लोग किसी भी हाल में यहोवा के न्यायदंड से बच नहीं सकते थे, फिर चाहे वे ज़मीन खोदकर ‘अधोलोक में ही क्यों न उतर जाएँ।’ इसका मतलब है कि वे धरती के गहरे स्थानों में छिपने की कोशिश करते। वे ‘आकाश पर चढ़कर’ यानी ऊँचे-ऊँचे पहाड़ों में पनाह लेने पर भी परमेश्वर के न्यायदंड से नहीं बच सकते थे। यहोवा की चेतावनी बिलकुल साफ थी: वे चाहे कहीं भी छिप जाएँ, यहोवा उन तक ज़रूर पहुँच जाएगा। परमेश्वर के न्याय की यह माँग है कि इस्राएल राज्य को अपने कुकर्मों की सज़ा मिलनी ही चाहिए। और वह वक्त ज़रूर आया। आमोस के भविष्यवाणी दर्ज़ करने के करीब 60 साल बाद, सा.यु.पू. 740 में एक-के-बाद-एक जीत हासिल करनेवाले अश्शूरियों के हाथों, इस्राएल राज्य का नाश हो गया।
परमेश्वर का न्यायदंड सिर्फ गुनहगारों पर
17, 18. आमोस अध्याय 9 परमेश्वर की दया के बारे में क्या बताता है?
17 आमोस की भविष्यवाणी से हमने जाना कि परमेश्वर कभी-भी बेवजह न्यायदंड नहीं लाता और उसके न्यायदंड से कोई बच नहीं सकता। मगर आमोस की किताब यह भी साफ दिखाती है कि यहोवा, सिर्फ गुनहगारों को सज़ा देता है। दुष्ट चाहे कहीं भी छिपे हों, परमेश्वर उन्हें ढूँढ़ निकालता है और उन्हें दंड देता है। वह पश्चाताप दिखानेवालों और खरे लोगों को भी ढूँढ़ सकता है। ये ऐसे लोग हैं जिन पर यहोवा दया दिखाता है। आमोस की किताब के आखिरी अध्याय में यह बात बहुत ही खूबसूरत ढंग से समझायी गयी है।
18 आमोस अध्याय 9 की 8वीं आयत के मुताबिक यहोवा कहता है: “मैं पूरी रीति से याकूब के घराने को नाश न करूंगा।” जैसा कि आयत 13 से 15 में पता चलता है, यहोवा वादा करता है कि वह अपनी प्रजा को ‘बंधुआई से फेर ले आएगा।’ वह उन्हें दया दिखाकर सुरक्षा और खुशहाली देगा। यहोवा वादा करता है कि ‘हल जोतनेवाला लवनेवाले को जा लेगा।’ कल्पना कीजिए—फसल इतनी अच्छी होगी कि उसे पूरी तरह काटने से पहले ही हल जोतने और बीज बोने का अगला मौसम शुरू हो जाएगा!
19. इस्राएल और यहूदा के शेष जनों का क्या हुआ?
19 तो यह कहा जा सकता है कि यहोवा का न्यायदंड यहूदा और इस्राएल के सिर्फ दुष्टों के खिलाफ था क्योंकि पश्चाताप दिखानेवालों और सही मन रखनेवालों पर दया की गयी। आमोस अध्याय 9 में दर्ज़ बहाली की भविष्यवाणी सा.यु.पू. 537 में पूरी हुई जब पछतावा दिखानेवाले इस्राएली और यहूदा के शेष जन, बाबुल की बंधुआई से निकलकर अपने वतन लौट आए। अपने प्यारे देश में लौटने के बाद उन्होंने सच्ची उपासना को दोबारा शुरू किया। उन्होंने एक बार फिर अपने-अपने घर बनाए, दाख की बारियाँ और बाग-बगीचे लगाए और इस तरह सुरक्षित माहौल में रहने लगे।
यहोवा का न्यायदंड ज़रूर आएगा!
20. आमोस ने न्यायदंड का जो संदेश सुनाया, उसकी जाँच करने से हमें किस बात का यकीन होना चाहिए?
20 आमोस ने परमेश्वर के न्यायदंड का जो संदेश सुनाया, उसकी जाँच करने से हमें पूरा यकीन हो जाना चाहिए कि यहोवा हमारे दिनों में भी बुराई का नामो-निशान ज़रूर मिटा देगा। हम क्यों इतना यकीन रख सकते हैं? पहली वजह तो यह है कि बीते समयों में परमेश्वर ने दुष्टों के साथ जो किया उससे पता चलता है कि वह हमारे दिनों में क्या करेगा। दूसरी वजह है कि सच्ची उपासना से भटक चुके इस्राएल राज्य को परमेश्वर ने जिस तरह सज़ा दी, उसी तरह वह ईसाईजगत का भी विनाश करेगा जो ‘बड़े बाबुल’ यानी झूठे धर्म के साम्राज्य का हिस्सा और सबसे बड़ा दोषी है।—प्रकाशितवाक्य 18:2.
21. ईसाईजगत क्यों परमेश्वर से कड़ी-से-कड़ी सज़ा पाने के लायक है?
21 इसमें कोई शक नहीं कि ईसाईजगत, परमेश्वर से कड़ी-से-कड़ी सज़ा पाने के लायक है। ईसाईजगत में मौजूद धर्म और नैतिकता की बदतर हालत चीख-चीखकर यही कह रही है कि उसे सज़ा मिलनी चाहिए। ईसाईजगत और शैतान के संसार का बाकी हिस्सा वाकई यहोवा के न्यायदंड के लायक है। इतना ही नहीं, उनका इस सज़ा से बचना नामुमकिन है क्योंकि जब यहोवा सज़ा देने आएगा, तो आमोस के अध्याय 9 की आयत 1 के ये शब्द सच साबित होंगे: “उन में से एक भी न भाग निकलेगा, और जो अपने को बचाए, वह बचने न पाएगा।” जी हाँ, दुष्ट छिपने की चाहे लाख कोशिश करें, मगर यहोवा उन्हें ढूँढ़ ही लेगा।
22. दूसरे थिस्सलुनीकियों 1:6-8 में परमेश्वर के न्यायदंड के कौन-से मुद्दे साफ समझाए गए हैं?
22 परमेश्वर कभी-भी न्यायदंड बेवजह नहीं लाता, उसकी सज़ा से कोई नहीं बच सकता और वह सिर्फ गुनहगारों को सज़ा देता है। यह बात प्रेरित पौलुस के इन शब्दों से देखी जा सकती है: “परमेश्वर के निकट यह न्याय है, कि जो तुम्हें क्लेश देते हैं, उन्हें बदले में क्लेश दे। और तुम्हें जो क्लेश पाते हो, हमारे साथ चैन दे; उस समय जब कि प्रभु यीशु अपने सामर्थी दूतों के साथ, धधकती हुई आग में स्वर्ग से प्रगट होगा। और जो परमेश्वर को नहीं पहचानते, और हमारे प्रभु यीशु के सुसमाचार को नहीं मानते उन से पलटा लेगा।” (2 थिस्सलुनीकियों 1:6-8) “परमेश्वर के निकट यह न्याय है” कि जो उसके अभिषिक्त जनों पर क्लेश लाते हैं उन्हें वह कड़ी सज़ा दे। और वे उस सज़ा से बच नहीं सकते क्योंकि दुष्टों को उस घड़ी का सामना करना ही होगा जब “यीशु अपने सामर्थी दूतों के साथ, धधकती हुई आग में . . . प्रगट होगा।” परमेश्वर का न्यायदंड सिर्फ गुनहगारों के लिए होगा क्योंकि यीशु उनसे बदला लेगा, “जो परमेश्वर को नहीं पहचानते, और . . . सुसमाचार को नहीं मानते” हैं। और परमेश्वर के इस न्यायदंड से उन लोगों को क्या ही राहत मिलेगी जो उसका भय मानते हुए क्लेश सहते हैं!
खरे लोगों के लिए आशा
23. आमोस की किताब से हमें कैसी सांत्वना और आशा मिलती है?
23 आमोस की भविष्यवाणी से सही मन रखनेवालों को सांत्वना और आशा का शानदार संदेश भी मिलता है। जैसा कि आमोस की किताब में बताया गया है, यहोवा ने प्राचीन समय के अपने लोगों को पूरी तरह नाश नहीं किया। इसके बजाय उसने इस्राएल और यहूदा के बंधुओं को इकट्ठा किया, उन्हें अपने देश में वापस लाया और सुरक्षा और खुशहाली देकर उन पर भरपूर आशीषें बरसायीं। यह सब आज हमारे लिए क्या मायने रखता है? इससे हमें यकीन होता है कि यहोवा सज़ा देने के लिए छिपे हुए बुरे लोगों को ढूँढ़ निकालेगा। साथ ही उन लोगों को भी ढूँढ़ निकालेगा जो उसकी दया के लायक हैं, फिर चाहे वे दुनिया के किसी भी कोने में रहते हों।
24. आज यहोवा के सेवकों ने किस तरह की आशीषें पायी हैं?
24 आज हम यहोवा के वफादार सेवक दुष्टों के खिलाफ उसके न्यायदंड का इंतज़ार करने के साथ-साथ किस चीज़ का अनुभव कर रहे हैं? इसमें शक नहीं कि यहोवा हमें इतनी आशीषें दे रहा है कि हम आध्यात्मिक रूप से फल-फूल रहे हैं। हम खुशी-खुशी ऐसी उपासना कर रहे हैं जो झूठ और मिलावट से कोसों दूर है लेकिन यही बात ईसाईजगत की झूठी शिक्षाओं में साफ देखी जा सकती है। इसके अलावा, यहोवा ने हमें आध्यात्मिक भोजन का भंडार भी दिया है। मगर एक बात हम सबको याद रखना ज़रूरी है: यहोवा से मिली इन भरपूर आशीषों के साथ-साथ हम पर एक बड़ी ज़िम्मेदारी भी आती है। परमेश्वर हमसे उम्मीद करता है कि हम दूसरों को उसके आनेवाले न्यायदंड के बारे में खबरदार करें। “अनन्त जीवन के लिये सही मन” रखनेवालों को ढूँढ़ने के लिए हम अपना भरसक करना चाहते हैं। (प्रेरितों 13:48, NW) जी हाँ, हम ज़्यादा-से-ज़्यादा लोगों की मदद करना चाहते हैं ताकि वे भी हमारे साथ आध्यात्मिक खुशहाली का आनंद उठा सकें और दुष्टों पर आनेवाले परमेश्वर के न्यायदंड से बच सकें। बेशक इन आशीषों का फायदा उठाने के लिए हमें अपना हृदय शुद्ध रखना होगा। आमोस की भविष्यवाणी में यह बात भी समझायी गयी है, जिसे हम अगले लेख में देखेंगे।
आप क्या जवाब देंगे?
• आमोस की भविष्यवाणी कैसे ज़ाहिर करती है कि यहोवा कभी-भी बेवजह न्यायदंड नहीं लाता?
• परमेश्वर के न्यायदंड से बचना नामुमकिन है, यह दिखाने के लिए आमोस कौन-सा सबूत देता है?
• आमोस की किताब कैसे दिखाती है कि परमेश्वर सिर्फ गुनहगारों को सज़ा देता है?
[पेज 16, 17 पर तसवीर]
इस्राएल राज्य परमेश्वर के न्यायदंड से नहीं बच सका
[पेज 18 पर तसवीर]
सा.यु.पू. 537 में इस्राएल और यहूदा के बचे हुए लोग बाबुल की बंधुआई से वापस लौटे