शास्त्रों से शिक्षा: ओबद्याह १-२१
ईश्वरीय चेतावनियाँ जो आप पर प्रभाव डालती हैं
“जो तुम को छूता है, वह मेरी आँख की पुतली ही को छूता है।” (जकर्याह २:८) ये अनिष्ट-सूचक शब्द सभों के लिए सावधानी का एक संदेश के रूप में है: यहोवा यह देखता है कि जातियाँ उसके लोगों के साथ कैसे व्यवहार करता है। लेकिन, उस जाति को क्या होता है, जो ऐसी एक ईश्वरीय चेतावनी का विरोध करती है और हानिकारक रूप से परमेश्वर के लोगों को छूती है? इब्रानी शास्त्रों के सब से लघु पुस्तक, ओबद्याह, इसका उत्तर देती है।
एदोम के लिए संकट
कोई भी यहोवा के न्याय से नहीं बच निकलता। सामान्य युग पूर्व ६०७ में कही गयी ओबद्याह की भविष्यवाणी ने एदोमियों का “तारागण के बीच” में के उन्नत, प्रतीयमानतः सुरक्षित स्थान के बावजूद उनके देश से उनके बहिष्करण के बारे में बताया। और हालाँकि इस बाइबल लेखक का निजी जीवन प्रकट नहीं किया गया, वह अपने नाम के अर्थ के अनुसार आचरण करता है, “यहोवा का सेवक।” कैसे? एक विनाशकारी न्यायदंड की घोषणा करके। जब एदोम गिरती है, वह पूरी तरह उन मित्रों द्वारा लुट जाएगी जो उसके साथ वचन में बँधे हैं। उसके बुद्धिमान और शक्तिशाली लोग तक न बच पाएंगे।—१-९.
परमेश्वर उन पर संकट लाता है जो उसके लोगों पर हिंसा लाने के दोषी हैं। एदोमियों के संकट का कारण क्या है? याकूब के बेटों, उनके भाइयों, के विरुद्ध की गई पुनरावृत हिंसा के कार्य। एसाव के वंशज होने के कारण एदोमी इस्राएलियों के सम्बन्धी थे। फिर भी, उन पर उनके रिश्तेदारों को लूटने, येरूशलेम के नाश में विद्वेषपूर्वक आनन्द मनाने और शत्रुओं के हाथ में बचे हुओं को सौंपने के द्वारा इसे पराकाष्ठा पर पहुँचाने के आरोप हैं। इस तरह, एदोम ने अपना विनाश सुनिश्चित किया है।—१०-१६.
याकूब का घराना पुनःस्थापित
यहोवा की प्रतिज्ञाएं हमेशा विश्वसनीय है। ओबद्याह के दिन में, यहोवा ने यह गारंटी दी कि उसके लोग उनका देश और उससे अधिक पुनःप्राप्त करेंगे। अब कभी इस्राएल विभाजित न होता। जैसे आग खूंटी नष्ट करता है वैसे एदोम को नष्ट करने में और एदोम के क्षेत्र पर कब्ज़ा करने में, याकूब का घराना, यहूदा का दो-गोत्रों का राज्य, युसुफ के घराने, उत्तरी दस-गोत्रों के राज्य से दोबारा मिल जाता। एक प्रोत्साहक सूचना के साथ समाप्त करते हुए ओबद्याह घोषणा करता है कि देशप्रत्यावर्तित इस्राएली मिलकर उनके परमेश्वर की उपासना करेंगे और उसकी प्रजा बनेंगे। सचमुच, राजत्व यहोवा का हो जाएगा।—१७-२१.
आज के लिए शिक्षा: अपेक्षित चेतावनियाँ हानिकर फल उत्पन्न करती है। इसीलिए, एदोम को दी ओबद्याह की कठोर चेतावनी परमेश्वर के आधुनिक समय विरोधियों के कानों में गूँजनी चाहिए: जो यहोवा और उसके लोगों के विरुद्ध लड़ते हैं, उन्हें हमेशा के लिए नाश किया जाएगा।
शास्त्रों से शिक्षा: योना १:१-४:११
संकट से दूर रहो! दया स्वीकार करो! कैसे? एक सच्ची कहानी की शिक्षा की ओर जो २,८०० वर्ष से भी पुरानी है—योना की पुस्तक। क़रीब-क़रीब सामान्य युग पूर्व ८४४ में गलील के भविष्यवक्ता योना द्वारा लिखित, यह आध्यात्मिक अन्तर्दृष्टि से भरी हुई है।
योना भाग जाता है
उसकी सेवकाई में हमारी सहायता करने के लिए हमें यहोवा पर भरोसा रखना चाहिए। किन्तु उसे सम्भालने के लिए यहोवा पर भरोसा रखने के बजाय योना एक परमेश्वर-प्रदत्त काम से भाग जाता है। यह सच है कि उसका कार्य कोई आसान कार्य न था। उसे निर्लज्ज रूप से दुष्ट निनवे को ईश्वरीय संकट के बारे में चिताना था। लेकिन योना तर्शीश, अब के स्पेन, की ओर, पाल चढ़ाए हुए जलपोत में बैठकर विपरीत दिशा में जाता है। मार्ग में, एक तूफ़ान इतना प्रचण्ड हो जाता है कि जहाज़ और कर्मीदल का बचाव असम्भव प्रतीत होता है। योना ग़लती स्वीकार करता है, नाविक उसे जहाज़ पर से फेंक देते हैं, और समुद्र शान्त हो जाता है। एक बड़ी मछली भविष्यवक्ता को निगल देती है।—१:१-१७.
परमेश्वर के सेवक आश्वस्त हो सकते हैं कि वह उनकी प्रार्थनाओं का उत्तर देगा। मछली के अन्दर, योना यहोवा की ओर मदद के लिए पुकारता है, प्रार्थनापूर्वक एक जल की क़ब्र से मुक्ति के लिए परमेश्वर का धन्यवाद करता है, और यह वादा करता है कि उसने जो वादा किया है, उसे पूरा करेगा। समय पर, उसे सूखी भूमि पर उगल दिया जाता है।—२:१-१०.
योना निनवे जाता है
कभी यहोवा की ओर से निर्दिष्ट कार्य न टालना। स्पष्टतया यह सबक सीखने के बाद, किसी समय का अनिच्छुक भविष्यवक्ता अब उस “बड़े नगर” में प्रचार करता है। योना एक सरल लेकिन सुस्पष्ट चेतावनी देता है। “अब से चालीस दिन के बीतने पर निनवे उलट दिया जाएगा।” घटनाओं के एक बहुत असाधारण परिवर्तन में निनवे के लोग पछताते हैं और संकट से बच निकलते हैं।—३:१-१०.
मनुष्य यहोवा की दया को सीमित नहीं कर सकता। निनवे को माफ़ कर दिए जाने के कारण योना का क्रोध बढ़ता है। लेकिन एक झाड़ का उपयोग करके, यहोवा योना को यह सिखाता है कि वह अपनी खुद की इच्छा की सुमति के अनुसार दया दिखाएगा।—४:१-११.
आज के लिए शिक्षा: ईश्वरीय भविष्यवाणी की ओर ध्यान देने के द्वारा संकट को टाला जा सकता है! निनवे के लोगों का अनुकरण करें। योना से महत्तर भविष्यवक्ता, यीशु मसीह, की विनम्र रूप से सुनें।—लूका ११:३२.
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बाईबल के मूल शास्त्रों का परीक्षण
● ७—बाइबल समय में किसी के साथ “रोटी खाना” लगभग मित्रता का एक वाचा ही होता था। कैसी विडंबना! एदोमियों के साथ “वाचा बान्धे” हुए बाबेली ही उनके ध्वसंक ठहरते। यह सच है कि यरूशलेम को उजाड़ देने के बाद नबूकदनेस्सर के दिनों के बाबेलियों ने यहूदा की लूट में एदोम को एक हिस्सा पाने की अनुमति दी। लेकिन बादवाले बाबेली राजा नबोनिदस ने हमेशा के लिए एदोम के सभी व्यापारिक और वाणिज्यिक अभिलाषाओं पर रोक लगा दी।
● १०—एदोम, अपने भाई राष्ट्र, “यहूदियों” के लिए अपने कटु द्वेष और स्वाभाविक स्नेह के बेदर्द अभाव के कारण, “सदा के लिए नाश” होने के लिए नियत था। (आयात १२) ऐसे राष्ट्रीय उन्मूलन का अर्थ था कि एक एदोमी राष्ट्र जिसकी सरकार और जनसमुदाय एक स्पष्ट भौगोलिक स्थान पर था, पृथ्वी के फलक से पूर्ण रूप ग़ायब हो जाता। आज, एदोमी राष्ट्रिकता के कोई भी अभिज्ञेय लोग नहीं हैं; वे ‘ऐसे हुए हैं मानों वे कभी थे ही नहीं।’—आयात १६.
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बाईबल के मूल शास्त्रों का परीक्षण
● १:१७—उसके बड़े सिर और हलक़ के कारण स्पर्म व्हेल (तिमिंगल) को एक मनुष्य निगलने की क्षमता है। हालाँकि भूमध्य (मैडिटिरेनियन) सागर में व्हेल विरल हैं, जोप्पा के बन्दरगाह में कभी व्हेल-शिकारी आया करते थे। एक ऐसी मछली भूमध्य सागर में जहाज़ों के पीछे-पीछे तैरने और जो भी जहाज़ पर से नीचे फेंका जाए, उसे खाने के लिए सुप्रसिद्ध है, वह बड़ा सफ़ेद शार्क है। उसे भी एक पूरा मनुष्य निगलने की क्षमता है। किन्तु, योना के विषय में परमेश्वर ने एक “बड़ी मछली” का उपयोग किया, शायद जो आधुनिक विज्ञान को एक अज्ञात प्राणी है।
● २:१, २—जब योना ‘मछली के पेट में’ था तब निश्चय ही वह एक कविता की रचना करने के लिए आदर्श परिस्थिति नहीं थी। लेकिन उसने बाद में उसका अनुभव को लिपिबद्ध किया। उसके हृदय की गहराई से ऐसे शब्द आए जो भजन सहिंता में उसकी भावनाओं को व्यक्त करने वाले शब्दों के समान थे।—तुलना २:२ का भजन १२०:१ और १३०:१ से; और २:५ का भजन ६९:१ से करें।
● ३:३—निनवे का विस्तार अतिरंजित नहीं है। हालाँकि उसकी चारों ओर के दीवारों की परिधि केवल क़रीब ८ मील थी, इस शहर के नाम में स्पष्टतः उसके उपनगर भी शामिल थे, जो शायद २६ मील की दूरी तक फैले हुए थे।
● ३:१०—“अफ़सोस किया,” (न्यू.व.) इसके लिए उपयोग किया गया इब्रानी शब्द का अर्थ है “भूतपूर्व (या भावी) कार्य के सम्बन्ध में इच्छा बदलना।” इस तरह, जब पथभ्रष्ट मनुष्य सचमुच पश्चाताप करते हैं यहोवा उन पर दण्ड लाने के बारे में अफ़सोस कर सकता है या अपनी इच्छा बदल सकता है।