बाइबल की किताब नंबर 33—मीका
लेखक: मीका
लिखने की जगह: यहूदा
लिखना पूरा हुआ: सा.यु.पू. 717 से पहले
कब से कब तक का ब्यौरा: लगभग सा.यु.पू. 777-717
ज़रा एक ऐसे इंसान के बारे में सोचिए जिसने बरसों तक यहोवा की सेवा वफादारी से की है। एक ऐसे इंसान के बारे में सोचिए जो बड़े साहस के साथ अपने देश के शासकों को उनके मुँह पर कह सका: “तुम तो भलाई से बैर, और बुराई से प्रीति रखते हो, . . . तुम मेरे लोगों का मांस खा भी लेते, और उनकी खाल उधेड़ते हो।” ज़रा एक ऐसे इंसान के बारे में सोचिए जो इतना नम्र था कि उसने अपने ज़बरदस्त पैगामों का सारा श्रेय यहोवा को दिया, जिसकी पवित्र आत्मा से वह उन पैगामों को सुना पाया था। क्या आप ऐसे इंसान से जान-पहचान नहीं बढ़ाना चाहेंगे? बिलकुल चाहेंगे। सोचिए, उस इंसान से आप कितना कुछ सीख सकते हैं और उससे आपको क्या ही बेहतरीन सलाह मिल सकती है! भविष्यवक्ता मीका ऐसा ही एक इंसान था। उसके नाम की किताब में आज भी हम उसकी एक-से-एक बढ़िया सलाह पा सकते हैं।—मीका 3:2, 3, 8.
2 बहुत-से भविष्यवक्ताओं की तरह, मीका की किताब में भी उसके बारे में ज़्यादा कुछ नहीं लिखा है; वह इसलिए क्योंकि उसका संदेश ज़्यादा अहमियत रखता है। मीका, मीकाएल (जिसका मतलब है, “परमेश्वर जैसा कौन है?”) या मीकाया (जिसका मतलब है, “यहोवा जैसा कौन है?”) नाम का छोटा रूप है। मीका ने राजा योताम, आहाज और हिजकिय्याह की हुकूमत के दौरान (सा.यु.पू. 777-717) भविष्यवाणी की थी, इसका मतलब यह हुआ कि वह यशायाह और होशे के ज़माने का एक और भविष्यवक्ता था। (यशा. 1:1; होशे 1:1) यह पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता कि मीका ने ठीक कब से कब तक भविष्यवाणी की थी, मगर इतना ज़रूर कहा जा सकता है कि उसने ज़्यादा-से-ज़्यादा 60 साल तक सेवा की होगी। सामरिया का विनाश सा.यु.पू. 740 में हुआ था। तो इस बारे में मीका की भविष्यवाणियाँ ज़रूर इस विनाश से पहले दर्ज़ की गयी होंगी। और उसकी पूरी किताब का लिखना, हिजकिय्याह की हुकूमत के आखिर में, यानी सा.यु.पू. 717 में पूरा हुआ होगा। (मीका 1:1) मीका मोरेशेत गाँव का रहनेवाला था, जो यरूशलेम से दक्षिण-पश्चिम की तरफ उपजाऊ शेफेला में बसा था। वह गाँव की ज़िंदगी से अच्छी तरह वाकिफ था, यह हमें उसके उन तमाम उदाहरणों से पता चलता है जो उसने अपने संदेश सुननेवालों के दिलो-दिमाग में बिठाने के लिए इस्तेमाल किए थे।—2:12; 4:12, 13; 6:15; 7:1, 4, 14.
3 मीका बहुत ही नाज़ुक और संकट-भरे दौर में जीया था। उस वक्त, ऐसी घटनाएँ घट रही थीं जो इस्राएल और यहूदा राज्य के सर्वनाश की चेतावनी दे रही थीं। नैतिक भ्रष्टता और मूर्तिपूजा पूरे इस्राएल राज्य में फैल चुकी थी और इसी वजह से वह अश्शूर के हाथों तबाह हो गया। ऐसा मालूम होता है कि यह घटना मीका के जीते-जी घटी थी। यहूदा के लोगों ने भी कभी अच्छे काम किए तो कभी बुरे। जैसे, उन्होंने योताम की हुकूमत में तो अच्छे काम किए, मगर दुष्ट राजा आहाज की हुकूमत में वे इस्राएल की देखा-देखी बुरे काम करने लगे, और हिजकिय्याह की हुकूमत के दौरान, वे बुराई का रास्ता छोड़कर एक बार फिर अच्छाई के रास्ते पर चलने लगे। यहोवा ने मीका को अपने लोगों के पास भेजा ताकि वह उन्हें कड़े शब्दों में चिता सके कि यहोवा उन पर न्यायदंड लानेवाला है। मीका की भविष्यवाणियों ने यशायाह और होशे की भविष्यवाणियों को पुख्ता किया।—2 राजा 15:32–20:21; 2 इति. अध्या. 27-32; यशा. 7:17; होशे 8:8; 2 कुरि. 13:1.
4 मीका किताब के सच्चे होने के ढेरों सबूत हैं। यहूदी हमेशा से इसे इब्रानी संग्रह का हिस्सा मानते आए हैं। यिर्मयाह 26:18, 19 में मीका के इन शब्दों का सीधा-सीधा हवाला दिया गया है: “सिय्योन जोतकर खेत बनाया जाएगा, और यरूशलेम डीह ही डीह हो जाएगा।” (मीका 3:12) यह भविष्यवाणी अचूक तरीके से सा.यु.पू. 607 में पूरी हुई थी, जब बाबुल के राजा ने यरूशलेम को ‘नष्ट करने’ के लिए उसे भस्म कर दिया था। (2 इति. 36:19) सामरिया के बारे में कुछ इसी तरह की भविष्यवाणी की गयी थी कि वह “मैदान के खेत का ढेर” बन जाएगा और यह भविष्यवाणी भी पूरी हुई। (मीका 1:6, 7) सामान्य युग पूर्व 740 में अश्शूरियों ने सामरिया पर कब्ज़ा करके उसे तबाह कर दिया और उत्तर के इस्राएल राज्य के लोगों को बंदी बनाकर ले गए। (2 राजा 17:5, 6) बाद में, सा.यु.पू. चौथी सदी में सिकंदर महान ने सामरिया को जीत लिया और सा.यु.पू. दूसरी सदी में, जॉन हिरकेनस प्रथम के अधीन यहूदियों ने इस शहर का विनाश कर दिया। इस आखिरी विनाश के बारे में द न्यू वेस्टमिन्स्टर डिक्शनरी ऑफ द बाइबल, 1970, पेज 822 कहती है: “फतह पानेवाले ने शहर को खंडहर बना दिया और इस बात के सारे सबूत मिटा दिए कि एक ज़माने में पहाड़ पर यह किलाबंद शहर हुआ करता था।”
5 पुरातत्व के सबूत भी गवाही देते हैं कि मीका की ये भविष्यवाणियाँ पूरी हुई थीं। अश्शूरियों के ऐतिहासिक लेखों में उनके हाथों सामरिया के विनाश का ज़िक्र किया गया है। मिसाल के लिए, अश्शूरी राजा सर्गोन ने शेखी मारी: “मैंने सामरिया (समेरीना) पर घेरा डालकर उसे जीत लिया।”a लेकिन ऐसा मालूम होता है कि सामरिया पर दरअसल उसके पूर्वज, शल्मनेसेर पंचम ने जीत हासिल की होगी। शल्मनेसेर के बारे में एक बाबुली शिलालेख बताता है: “उसने सामरिया को पूरी तरह उजाड़ दिया।”b मीका ने यहूदा पर चढ़ाई की जाने के बारे में जो भविष्यवाणी की थी, वह हिजकिय्याह की हुकूमत के दौरान पूरी हुई और इस घटना को खुद अश्शूरी राजा सन्हेरिब ने दर्ज़ किया। (मीका 1:6, 9; 2 राजा 18:13) उसने नीनवे में अपने महल की दीवार पर एक बहुत बड़ी नक्काशी करवायी, जो दिखाती है कि कैसे उसने लाकीश नगर पर कब्ज़ा किया था। अपने प्रिज़्म (मिट्टी का एक बेलन) में वह कहता है: “मैंने उसके 46 शक्तिशाली नगरों में घेरा डाला . . . मैंने (उन नगरों से) 2,00,150 लोगों को खदेड़ दिया . . . जिस तरह एक पंछी को पिंजरे में कैद किया जाता है, उसी तरह मैंने उसको यरूशलेम में, उसके अपने ही राजमहल में कैदी बना दिया।” सन्हेरिब यह भी बताता है कि हिजकिय्याह से उसे नज़राने के तौर पर क्या-क्या मिला था, हालाँकि वह दी रकम को बढ़ा-चढ़ाकर बोलता है। लेकिन उसके सैनिकों पर जो कहर टूटा, उसका वह कोई ज़िक्र नहीं करता।c—2 राजा 18:14-16; 19:35.
6 इस किताब के ईश्वर-प्रेरित होने का सबसे ज़बरदस्त सबूत है, मीका 5:2 की बेजोड़ भविष्यवाणी, जिसमें बताया गया था कि मसीहा कहाँ पैदा होगा। (मत्ती 2:4-6) इसके अलावा, मसीही यूनानी शास्त्र में मीका की आयतों से मिलते-जुलते विचार भी पाए जाते हैं।—मीका 7:6, 20; मत्ती 10:35, 36; लूका 1:72, 73.
7 भले ही मीका यहूदा के देहाती इलाके से था, मगर अपने विचारों को शब्दों में पिरोने की उसमें बेहतरीन काबिलीयत थी। दरअसल परमेश्वर के वचन में दिए कुछ बहुत ही खूबसूरत और बढ़िया शब्द इसी किताब में पाए जाते हैं। अध्याय 6 दो लोगों की बातचीत का दिलचस्प ब्यौरा देता है। मीका अपनी किताब में विचारों को अचानक बदलता है, जैसे वह शापों के बारे में बात करते-करते अचानक आशीषों की बात करने लगता है और फिर से शापों के बारे में बात करता है। इस तरह की शैली पढ़नेवालों का ध्यान बाँधे रखती है। (मीका 2:10, 12; 3:1, 12; 4:1) किताब में सजीव अलंकारों का भंडार पाया जाता है, जैसे यहोवा के निकलने पर “पहाड़ उसके नीचे गल जाएंगे, और तराई ऐसे फटेंगी, जैसे मोम आग की आंच से, और पानी जो घाट से नीचे बहता है।”—1:4. 7:17 भी देखिए।
8 किताब को तीन भागों में बाँटा जा सकता है और हर भाग, शब्द “सुनो” से शुरू होता है। इनमें सज़ा के बारे में चेतावनियाँ और फटकार देने के साथ-साथ आशीषों के बारे में वादे भी किए गए हैं।
क्यों फायदेमंद है
16 मीका की भविष्यवाणियाँ ‘ताड़ना के लिए उपयोगी’ (NHT) साबित हुईं क्योंकि यहूदा के राजा हिजकिय्याह ने उसकी भविष्यवाणी के संदेश के मुताबिक कदम उठाया। उसने अपने लोगों को बुरे कामों से पश्चाताप करने और धर्म के मामले में सुधार करने में उनकी अगुवाई की। (मीका 3:9-12; यिर्म. 26:18, 19; 2 राजा 18:1-4 से तुलना कीजिए।) ये भविष्यवाणियाँ जो करीब 2,700 साल पहले ईश्वर-प्रेरणा से दर्ज़ की गयी थीं, आज हमारे दिनों के लिए कहीं ज़्यादा फायदेमंद हैं। परमेश्वर की उपासना का दम भरनेवाले सभी लोगों, ज़रा सुनो कि मीका अपनी किताब में झूठे धर्म, मूर्तिपूजा, झूठ और हिंसा के खिलाफ साफ शब्दों में क्या-क्या चेतावनियाँ देता है! (मीका 1:2; 3:1; 6:1) पौलुस इन चेतावनियों को 1 कुरिन्थियों 6:9-11 में सही ठहराते हुए कहता है कि सच्चे मसीही इन कामों से धोए या शुद्ध किए गए हैं, मगर जो इन कामों में लगे रहते हैं, वे परमेश्वर के राज्य के वारिस नहीं होंगे। मीका 6:8 साफ और सरल शब्दों में बताता है कि यहोवा, इंसानों से यही चाहता है कि वे न्याय, कृपा और नम्रता का गुण दिखाते हुए उसके साथ-साथ चलें।
17 मीका ने जिन लोगों को अपना संदेश सुनाया था, उनमें इतनी फूट पड़ी थी कि एक “मनुष्य के शत्रु उसके घर ही के लोग होते” थे। सच्चे मसीहियों को भी अकसर प्रचार में ऐसे ही लोग मिलते हैं। यहाँ तक कि कुछ मसीहियों के अपने ही घरवाले उनके साथ विश्वासघात करते हैं या उनका कड़ा विरोध करते हैं। ऐसे में, मसीहियों को हमेशा धीरज धरते हुए “अपने उद्धारकर्त्ता परमेश्वर” यहोवा पर आस लगानी चाहिए। (मीका 7:6, 7; मत्ती 10:21, 35-39) ज़ुल्मों या परमेश्वर की सेवा में आनेवाली मुश्किलों का सामना करते वक्त, अगर यहोवा के सेवक उस पर भरोसा दिखाएँ और हिम्मत से काम लें, तो वे मीका की तरह ‘यहोवा की आत्मा से शक्ति पाकर परिपूर्ण’ हो जाएँगे और उसका संदेश सुना पाएँगे। मीका ने भविष्यवाणी की थी कि ऐसी हिम्मत खासकर ‘याकूब के बचे हुए लोगों’ में देखी जाएगी। ये लोग ‘जातियों में और देश देश के लोगों के बीच सिंहों’ की तरह होने के अलावा, यहोवा की ओर से ताज़गी देनेवाली ओस और वर्षा के समान भी होंगे। ऐसे गुण बेशक पहली सदी में मसीही कलीसिया के सदस्य बननेवाले ‘इस्राएल (याकूब) के बचे हुओं’ में देखे गए थे।—मीका 3:8; 5:7, 8; रोमि. 9:27; 11:5, 26.
18 मीका 5:2 की पूर्ति में, यीशु का बेतलेहेम में पैदा होना न सिर्फ उसकी किताब को ईश्वर-प्रेरित साबित करता है, बल्कि इससे हम यह भी समझ पाते हैं कि आस-पास की आयतें परमेश्वर के आनेवाले राज्य के बारे में एक भविष्यवाणी है जिसका राजा मसीह यीशु होगा। यीशु ही वह शख्स है जो बेतलेहेम (रोटी का घर) से निकलता है और जिसके बलिदान पर विश्वास करनेवाले सभी लोगों को ज़िंदगी-भर के फायदे मिलते हैं। यीशु ही ‘यहोवा की दी हुई शक्ति से चरवाही’ करता है और महान ठहरता है, साथ ही पृथ्वी की छोर तक, परमेश्वर के बहाल और एक किए गए झुंड में शांति फैलाता है।—मीका 5:2, 4; 2:12; यूह. 6:33-40.
19 मीका की इस भविष्यवाणी से हमें बहुत हौसला मिलता है कि “अन्त के दिनों” में “बहुत जातियों के लोग” यहोवा से सीखने आएँगे। और “वे अपनी तलवारें पीटकर हल के फाल, और अपने भालों से हंसिया बनाएंगे; तब एक जाति दूसरी जाति के विरुद्ध तलवार फिर न चलाएगी; और लोग आगे को युद्ध-विद्या न सीखेंगे। परन्तु वे अपनी अपनी दाखलता और अंजीर के वृक्ष तले बैठा करेंगे, और कोई उनको न डराएगा; सेनाओं के यहोवा ने यही वचन दिया है।” ये लोग पूरी तरह से झूठी उपासना को छोड़कर मीका की इस बात के साथ हामी भरेंगे: “हम लोग अपने परमेश्वर यहोवा का नाम लेकर सदा सर्वदा चलते रहेंगे।” वाकई, मीका की भविष्यवाणी में दर्ज़ इन अहम घटनाओं से हमारा विश्वास कितना मज़बूत होता है! इतना ही नहीं, यह भविष्यवाणी, लाजवाब तरीके से यहोवा को सनातन राजा और सारे जहान के मालिक के तौर पर उसकी महिमा करती है। इन शब्दों को पढ़कर हमारे अंदर कैसी सिहरन दौड़ जाती है: “यहोवा उन पर सिय्योन पर्वत के ऊपर से सदा राज्य करता रहेगा।”—मीका 4:1-7; 1 तीमु. 1:17.
[फुटनोट]
a एन्शियंट नियर ईस्टर्न टॆक्स्ट्स, जेम्स् बी. प्रिट्चर्ड द्वारा संपादित, सन् 1974, पेज 284.
b अश्शूरी और बाबुली शिलालेख (अँग्रेज़ी), लेखक ए. के. ग्रेसन, सन् 1975, पेज 73.
c एन्शियंट नियर ईस्टर्न टॆक्स्ट्स, सन् 1974, पेज 288; इंसाइट ऑन द स्क्रिप्चर्स्, भाग 2, पेज 894-5.