बड़े क्लेश से जीवित बचाए गए
“ये वे हैं, जो उस बड़े क्लेश में से निकलकर आए हैं; इन्हों ने अपने अपने वस्त्र मेम्ने के लोहू में धोकर श्वेत किए हैं।” —प्रकाशितवाक्य ७:१४.
१. पार्थिव पुनरुत्थान में कौन पुनरुत्थित लोगों का स्वागत करेंगे?
जब ‘धर्मी और अधर्मी दोनों के जी उठने’ में अनगिनत लोगों का पुनरुत्थान होगा, तब वे एक सुनसान पृथ्वी पर पुनःजीवित नहीं किए जाएँगे। (प्रेरितों २४:१५) वे सुन्दर बनाए गए परिवेश में जागेंगे और पाएँगे कि उनके लिए घर, कपड़े, और बहुतायत में भोजन तैयार किया गया है। ये सभी तैयारियाँ कौन करेगा? स्पष्टतया, पार्थिव पुनरुत्थान के शुरू होने से पहले नए संसार में लोग जी रहे होंगे। कौन? बाइबल सूचित करती है कि वे आनेवाले बड़े क्लेश के उत्तरजीवी होंगे। बाइबल की सभी शिक्षाओं में से निश्चय ही यह एक सबसे मोहक शिक्षा है—कि कुछ वफ़ादार लोग बड़े क्लेश से जीवित बचाए जाएँगे और उन्हें कभी नहीं मरना पड़ेगा। यह आशा पवित्र शास्त्र में पूर्णतया प्रमाणित है।
जैसे नूह के दिन थे
२, ३. (क) नूह के दिनों और हमारे समय के बीच क्या समानता दिखायी गयी है? (ख) नूह और उसके परिवार की जल-प्रलय से उत्तरजीविता के द्वारा क्या सूचित किया गया है?
२ मत्ती २४:३७-३९ में यीशु मसीह ने नूह के दिनों की तुलना अन्तिम दिनों से की, जहाँ अब हम अपने आपको पाते हैं। उसने कहा: “जैसे नूह के दिन थे, वैसा ही मनुष्य के पुत्र का आना भी होगा। क्योंकि जैसे जल-प्रलय से पहिले के दिनों में, जिस दिन तक कि नूह जहाज पर न चढ़ा, उस दिन तक लोग खाते-पीते थे, और उन में ब्याह शादी होती थी। और जब तक जल-प्रलय आकर उन सब को बहा न ले गया, तब तक उन को कुछ भी मालूम न पड़ा; वैसे ही मनुष्य के पुत्र का आना भी होगा।”
३ परमेश्वर के चेतावनी संदेश की ओर ध्यान न देनेवाले सभी लोगों को विश्वव्यापी जल-प्रलय बहा ले गया। लेकिन, वह नूह और उसके परिवार को बहा नहीं ले गया। वे ‘जहाज़ पर चढ़े,’ जैसा यीशु ने कहा। उनकी ईश्वरीय भक्ति के कारण, यहोवा ने उनके बचने का मार्ग निकाला। दूसरा पतरस २:५, ९ नूह और उसके परिवार की उत्तरजीविता का उल्लेख करता है जब वह कहता है: “[परमेश्वर ने] भक्तिहीन संसार पर महा जल-प्रलय भेजकर धर्म के प्रचारक नूह समेत आठ व्यक्तियों को बचा लिया। प्रभु भक्तों को परीक्षा में से निकाल लेना . . . जानता है।” यीशु ने नूह के दिन के साथ अन्तिम दिनों की तुलना यह दिखाने के लिए की कि सामान्य रूप से लोग परमेश्वर का चेतावनी संदेश नहीं मानेंगे। फिर भी, ऐसा करने में उसने इस बात की भी पुष्टि की कि नूह और उसके परिवार ने यहोवा परमेश्वर की आज्ञा मानी, जहाज़ में चढ़े, और महा जल-प्रलय से बचकर निकले। नूह और उसके परिवार की उत्तरजीविता इस संसार के अन्त के समय परमेश्वर के वफ़ादार सेवकों की उत्तरजीविता की ओर संकेत करती है।
प्रथम-शताब्दी नमूना
४. यीशु के शब्दों की पूर्ति में, कौन-सी घटनाएँ सा.यु. ७० में यरूशलेम के विनाश की ओर ले गयीं?
४ यीशु ने इस संसार के अन्त के समय में होनेवाली घटनाओं के बारे में भी बोला। मत्ती २४:२१, २२ में हम पढ़ते हैं: “उस समय ऐसा भारी क्लेश होगा, जैसा जगत के आरम्भ से न अब तक हुआ, और न कभी होगा। और यदि वे दिन घटाए न जाते, तो कोई प्राणी न बचता; परन्तु चुने हुओं के कारण वे दिन घटाए जाएंगे।” इन शब्दों की प्रारंभिक पूर्ति हमारे सामान्य युग की प्रथम शताब्दी में हुई। सामान्य युग ६६ में, सेस्टीउस गालुस के अधीन रोमी सेना ने यरूशलेम शहर पर घेरा डाला। रोमी सैनिक मन्दिर की दीवार को नष्ट करने पर थे, और अनेक यहूदी आत्मसमर्पण करने को तैयार थे। लेकिन, अचानक और बिना किसी प्रत्यक्ष कारण के, सेस्टीउस गालुस ने अपने सैनिक हटा लिए। रोमियों को हटते हुए देखकर, मसीहियों ने बहुत साल पहले कहे यीशु के शब्दों पर कार्य किया: “जब तुम यरूशलेम को सेनाओं से घिरा हुआ देखो, तो जान लेना कि उसका उजड़ जाना निकट है। तब जो यहूदिया में हों वह पहाड़ों पर भाग जाएं, और जो यरूशलेम के भीतर हों वे बाहर निकल जाएं; और जो गांवों में हों वे उस में न जाएं।” (लूका २१:२०, २१) मसीही बने यहूदी, अर्थात् चुने हुए लोगों ने दंडित शहर यरूशलेम को तुरंत त्याग दिया और इस प्रकार उस पर जल्द आनेवाले भयंकर विनाश से बच गए। सामान्य युग ७० में, रोमी सेना जनरल तीतुस के अधीन लौटी। उन्होंने यरूशलेम के चारों ओर डेरा डाला, शहर को घेरा, और उसका सर्वनाश कर दिया।
५. यरूशलेम पर आए क्लेश को सा.यु. ७० में किस अर्थ में घटाया गया था?
५ यहूदी इतिहासकार जोसीफ़स कहता है कि ११,००,००० यहूदी मारे गए, जबकि मात्र ९७,००० जीवित बचे और उन्हें बन्धुवाई में ले जाया गया। वे ग़ैर-मसीही यहूदी उत्तरजीवी निश्चित ही यीशु की भविष्यवाणी के ‘चुने हुए’ नहीं थे। विद्रोही यहूदी जाति से बात करते हुए यीशु ने कहा था: “देखो, तुम्हारा घर तुम्हारे लिये उजाड़ छोड़ा जाता है। क्योंकि मैं तुम से कहता हूं, कि अब से जब तक तुम न कहोगे, कि धन्य है वह, जो प्रभु के नाम से आता है, तब तक तुम मुझे फिर कभी न देखोगे।” (मत्ती २३:३८, ३९) इसका कोई अभिलेख नहीं है कि यरूशलेम के अन्दर फँसे हुए यहूदियों ने आख़िरी मिनट यीशु को मसीहा के रूप में स्वीकार किया, मसीही बन गए, और यहोवा का अनुग्रह प्राप्त किया। फिर भी, सा.यु. ७० में यरूशलेम पर आए क्लेश को घटाया गया। रोमी सेना द्वारा डाले गए आख़िरी घेरे की अवधि लम्बी नहीं थी। इस कारण कुछ यहूदी बच गए, लेकिन उन्हें दासों के रूप में रोमी साम्राज्य के विभिन्न भागों में भेज दिया गया।
उत्तरजीवियों की एक बड़ी भीड़
६, ७. (क) कौन-से महान धार्मिक शहर का नाश होना अभी बाक़ी है, और यह किस अपूर्व क्लेश का भाग है? (ख) इस संसार पर आनेवाले बड़े क्लेश के बारे में यूहन्ना ने क्या भविष्यवाणी की?
६ जबकि सा.यु. ७० में हुआ यरूशलेम का विनाश उस धार्मिक शहर पर वस्तुतः ‘बड़ा क्लेश’ लाया, यीशु के शब्दों की प्रमुख पूर्ति अभी बाक़ी है। एक महत्तर धार्मिक शहर, बड़ा बाबुल, अर्थात् झूठे धर्म का विश्व साम्राज्य प्राण-घातक बड़े क्लेश का अनुभव करनेवाला है और उसके तुरंत बाद शैतान की बाक़ी की रीति-व्यवस्था पर अपूर्व क्लेश आएगा। (मत्ती २४:२९, ३०; प्रकाशितवाक्य १८:२१) यरूशलेम के विनाश के लगभग २६ साल बाद, प्रेरित यूहन्ना ने प्रकाशितवाक्य ७:९-१४ में इस विश्व-व्यापी बड़े क्लेश के बारे में लिखा। उसने दिखाया कि एक बड़ी भीड़ इससे बचकर निकलेगी।
७ “बड़ी भीड़” कहलानेवाले इन उत्तरजीवियों को उनके द्वारा किए गए कुछ निर्णायक कार्यों से पहचाना जाता है। प्रकाशितवाक्य ७:१४ के अनुसार, स्वर्ग में २४ प्राचीनों में से एक ने यूहन्ना को कहा: “ये वे हैं, जो उस बड़े क्लेश में से निकलकर आए हैं; इन्हों ने अपने अपने वस्त्र मेम्ने के लोहू में धोकर श्वेत किए हैं।” जी हाँ, अपने उद्धार के स्रोत के रूप में बड़ी भीड़ यहोवा का जयजयकार करती है। वे यीशु के बहाए गए लहू में विश्वास रखते हैं और अपने सृष्टिकर्ता और उसके नियुक्त राजा, यीशु मसीह के सामने उनकी एक धर्मी स्थिति है।
८. “बड़ी भीड़” और यीशु के अभिषिक्त भाइयों के शेषजनों के बीच कैसा उत्तम सम्बन्ध है?
८ आज, बड़ी भीड़ के लगभग ५० लाख सदस्य स्वर्गीय राजा यीशु मसीह के सक्रिय नेतृत्व के अधीन जी रहे हैं। वे मसीह के अधीन हैं और उसके उन अभिषिक्त भाइयों की निकट संगति में हैं जो अब भी पृथ्वी पर हैं। इन अभिषिक्त जनों के साथ बड़ी भीड़ जो व्यवहार करती है, उसके बारे में यीशु कहता है: “मैं तुम से सच कहता हूं, कि तुम ने जो मेरे इन छोटे से छोटे भाइयों में से किसी एक के साथ किया, वह मेरे ही साथ किया।” (मत्ती २५:४०) क्योंकि बड़ी भीड़ के लोग मसीह के अभिषिक्त भाइयों को निःस्वार्थ रूप से सहायता देते हैं, उनको यह फ़ैसला दिया जाता है कि उन्होंने स्वयं यीशु के साथ भला किया है। यह उन्हें यीशु मसीह और यहोवा परमेश्वर के साथ एक सुरक्षित सम्बन्ध रखने में मदद करता है। उन्हें परमेश्वर के गवाह और उसके नाम के धारक बनने के लिए अभिषिक्त शेषजनों के साथ जुड़ने का विशेषाधिकार प्राप्त हुआ है।—यशायाह ४३:१०, ११; योएल २:३१, ३२.
जागते रहना
९, १०. (क) मनुष्य के पुत्र के सामने अपनी धर्मी स्थिति बनाए रखने के लिए हमें क्या करना है? (ख) ‘जागते रहने’ के लिए हमें कैसे कार्य करना है?
९ बड़ी भीड़ को मनुष्य के पुत्र के सामने अपनी धर्मी स्थिति को निरन्तर बनाए रखना है, जो अन्त तक चौकन्ना रहने की माँग करता है। यीशु ने इसे स्पष्ट रूप से बताया जब उसने कहा: “सावधान रहो, ऐसा न हो कि तुम्हारे मन खुमार और मतवालेपन, और इस जीवन की चिन्ताओं से सुस्त हो जाएं, और वह दिन तुम पर फन्दे की नाईं अचानक आ पड़े। क्योंकि वह सारी पृथ्वी के सब रहनेवालों पर इसी प्रकार आ पड़ेगा। इसलिये जागते रहो और हर समय प्रार्थना करते रहो कि तुम इन सब आनेवाली घटनाओं से बचने, और मनुष्य के पुत्र के साम्हने खड़े होने के योग्य बनो।”—लूका २१:३४-३६.
१० मनुष्य के पुत्र के सामने खड़े होने के योग्य होने के लिए हमें उसका अनुमोदन प्राप्त होना चाहिए। और हमें यह नहीं प्राप्त होगा यदि हम अपने आपको इस संसार के सोच-विचार से प्रभावित होने देते हैं। सांसारिक सोच-विचार विलोभक है और एक व्यक्ति को शारीरिक सुख-विलास में अति आसक्त होने के लिए या जीवन की समस्याओं से इतना दब जाने के लिए प्रवृत्त कर सकता है कि वह अब राज्य हितों को प्रथम स्थान नहीं देता है। (मत्ती ६:३३) ऐसा मार्ग एक व्यक्ति को आध्यात्मिक रूप से कमज़ोर कर देता है और उसे परमेश्वर तथा दूसरों के प्रति अपनी ज़िम्मेदारियों के बारे में उदासीन बना सकता है। वह निष्क्रिय हो सकता है या गम्भीर पाप करने और शायद एक पश्चात्तापहीन मनोवृत्ति भी दिखाने के कारण कलीसिया में अपने स्थान को ख़तरे में डाल सकता है। बड़ी भीड़ के हर व्यक्ति को सावधान रहना चाहिए। उसे इस अधर्मी संसार और उसके अभ्यासों से अलग रहना चाहिए।—यूहन्ना १७:१६.
११. कौन-से शास्त्रीय सिद्धान्तों पर अमल करना हमें अरमगिदोन से बचकर निकलने में मदद करेगा?
११ ऐसा करने के लिए, हमें जिन चीज़ों की ज़रूरत है यहोवा ने उन्हें अपने वचन, अपनी पवित्र आत्मा, और अपने दृश्य संगठन के माध्यम से प्रदान किया है। हमें इनका पूरा लाभ उठाना चाहिए। इसके अलावा, यदि हम परमेश्वर का अनुग्रह पाने की अपेक्षा करते हैं तो हमें उसके प्रति प्रार्थनामय और आज्ञाकारी होना है। एक बात यह है कि हमें बुराई के प्रति तीव्र घृणा विकसित करनी है। भजनहार ने कहा: “मैं निकम्मी चाल चलनेवालों के संग नहीं बैठा, और न मैं कपटियों के साथ कहीं जाऊंगा; मैं कुकर्मियों की संगति से घृणा रखता हूं, और दुष्टों के संग न बैठूंगा। मेरे प्राण को पापियों के साथ, और मेरे जीवन को हत्यारों के साथ न मिला।” (भजन २६:४, ५, ९) मसीही कलीसिया में, युवा और वृद्ध दोनों को ही उन लोगों के साथ संगति को सीमित रखने की ज़रूरत है जो यहोवा को समर्पित नहीं हैं। परमेश्वर का अनुग्रह पाने के लिए, हम निर्दोष और संसार से निष्कलंक रहने का प्रयास करते हैं। (भजन २६:१-५; याकूब १:२७; ४:४) इस प्रकार, हम आश्वस्त किए जाएँगे कि अरमगिदोन में यहोवा हमें अधर्मियों के साथ मृत्यु में बहा नहीं ले जाएगा।
कुछ लोग ‘अनन्तकाल तक न मरेंगे’
१२, १३. (क) लाजर का पुनरुत्थान करने से पहले, यीशु ने क्या शब्द कहे जिन्हें मरथा पूरी तरह नहीं समझी? (ख) यीशु के इन शब्दों का क्या अर्थ नहीं था कि कुछ लोग ‘अनन्तकाल तक न मरेंगे’?
१२ इस रीति-व्यवस्था के अन्त से उत्तरजीविता और कभी न मरने की संभावना पर विचार करना उत्तेजक है। यीशु हमें यह प्रत्याशा देता है। अपने मृत मित्र लाजर का पुनरुत्थान करने से कुछ ही समय पहले, यीशु ने लाजर की बहन मरथा को बताया: “पुनरुत्थान और जीवन मैं ही हूं जो कोई मुझ पर विश्वास करता है वह यदि मर भी जाए, तौभी जीएगा। और जो कोई जीवता है, और मुझ पर विश्वास करता है, वह अनन्तकाल तक न मरेगा, क्या तू इस बात पर विश्वास करती है?” मरथा पुनरुत्थान पर विश्वास करती थी, लेकिन यीशु जो कह रहा था उसे वह पूरी तरह नहीं समझी।—यूहन्ना ११:२५, २६.
१३ यीशु का यह अर्थ नहीं था कि उसके वफ़ादार प्रेरित शरीर में जीते रहते और कभी नहीं मरते। इसके विपरीत, उसने बाद में सूचित किया कि उसके शिष्य मरते। (यूहन्ना २१:१६-२३) वस्तुतः, सा.यु. ३३ में पिन्तेकुस्त के दिन पवित्र आत्मा से उनका अभिषिक्त होने का अर्थ था कि उन्हें राजाओं और याजकों के रूप में अपनी स्वर्गीय विरासत प्राप्त करने के लिए मरना पड़ता। (प्रकाशितवाक्य २०:४, ६) अतः, जैसे-जैसे समय बीता, सभी प्रथम-शताब्दी मसीही मर गए। लेकिन, यीशु ने जो कहा उसके पीछे एक कारण था। बिना कभी मरे जीवित रहने के बारे में उसके शब्दों की पूर्ति होगी।
१४, १५. (क) यीशु के इन शब्दों की पूर्ति कैसे होगी कि कुछ लोग ‘अनन्तकाल तक न मरेंगे’? (ख) इस संसार की स्थिति क्या है, लेकिन धर्मी लोगों के पास क्या आशा है?
१४ एक कारण है कि वफ़ादार अभिषिक्त मसीही कभी-भी अनन्तकालीन मृत्यु का अनुभव नहीं करेंगे। (प्रकाशितवाक्य २०:६) साथ ही, यीशु के शब्द एक ख़ास समय की ओर संकेत करते हैं जब यहोवा मानवी मामलों में हस्तक्षेप करेगा और पृथ्वी पर से दुष्टता को मिटाएगा, जैसे उसने नूह के दिनों में किया था। उस समय परमेश्वर की इच्छा पूरी करते हुए पाए जानेवाले वफ़ादार लोगों को परमेश्वर के न्यायिक कार्यों के द्वारा नहीं मरना पड़ेगा। इसके बजाय, नूह और उसके परिवार की तरह, उनके पास एक संसार के विनाश से बच निकलने का अवसर होगा। ऐसी आशा ठोस है, क्योंकि यह बाइबल शिक्षाओं पर आधारित है और उदाहरणों द्वारा स्पष्ट की गयी है। (इब्रानियों ६:१९ से तुलना कीजिए. २ पतरस २:४-९) बाइबल भविष्यवाणी की पूर्ति दिखाती है कि बहुत जल्द अधर्मी मानव समाज से बने हुए वर्तमान संसार का अन्त विनाश में होगा। वर्तमान स्थिति पलटी नहीं जा सकती, क्योंकि संसार इतना दुष्ट है कि सुधारा नहीं जा सकता। नूह के दिनों के संसार के बारे में परमेश्वर ने जो कहा वह इस संसार के लिए भी सच है। दुष्टता अधिकांश लोगों के हृदयों में भरी है, और उनके विचार निरन्तर बुरे ही हैं।—उत्पत्ति ६:५.
१५ यहोवा ने मनुष्यों को सदियों से ईश्वरीय हस्तक्षेप के बिना पृथ्वी पर शासन करने की अनुमति दी है, लेकिन उनका समय लगभग समाप्त हो चुका है। जैसे बाइबल कहती है, जल्द ही यहोवा पृथ्वी से सभी दुष्टों का नाश करेगा। (भजन १४५:२०; नीतिवचन २:२१, २२) लेकिन, वह दुष्टों के साथ धर्मियों का नाश नहीं करेगा। परमेश्वर ने ऐसा काम कभी नहीं किया है! (उत्पत्ति १८:२२, २३, २६ से तुलना कीजिए।) ईश्वरीय भय के साथ वफ़ादारी से उसकी सेवा करने की कोशिश करनेवालों को वह क्यों नाश करेगा? यह बिल्कुल तर्कसंगत है कि बड़े क्लेश के शुरू होने के समय जी रहे यहोवा के वफ़ादार उपासक उसकी दृष्टि में अनुग्रह पाएँगे और उनका नाश नहीं होगा, जैसे नूह और उसके परिवार का नाश नहीं हुआ था जब उसके दिनों के दुष्ट संसार का प्रलयंकर अन्त हुआ। (उत्पत्ति ७:२३) उन्हें ईश्वरीय सुरक्षा मिलेगी और वे इस संसार के अन्त से बचकर निकलेंगे।
१६. नए संसार में क्या अद्भुत बातें होंगी, और उनका उत्तरजीवियों के लिए क्या अर्थ होगा?
१६ उसके बाद क्या होगा? नए संसार में, जब यीशु के छुड़ौती बलिदान के लाभ पूरी तरह लागू किए जाएँगे तो मानवजाति को कल्याणकारी आशिषें मिलेंगी। बाइबल एक लाक्षणिक ‘बिल्लौर की सी झलकती हुई, जीवन के जल की नदी’ के बारे में बोलती है “जो परमेश्वर और मेम्ने के सिंहासन से निकलकर उस नगर की सड़क के बीचों बीच बहती थी। और नदी के इस पार; और उस पार, जीवन का पेड़ था: उस में बारह प्रकार के फल लगते थे, और वह हर महीने फलता था; और उस पेड़ के पत्तों से जाति जाति के लोग चङ्गे होते थे।” (प्रकाशितवाक्य २२:१, २) यह कितना अद्भुत है कि उस ‘चंगाई’ में आदम के द्वारा आयी मृत्यु पर विजय भी सम्मिलित है! “वह मृत्यु को सदा के लिये नाश करेगा, और प्रभु यहोवा सभों के मुख पर से आंसू पोंछ डालेगा।” (यशायाह २५:८) अतः, जो बड़े क्लेश से बचकर नए संसार में प्रवेश करते हैं उन्हें कभी मृत्यु का सामना करने की ज़रूरत नहीं है!
एक निश्चित आशा
१७. यह आशा कितनी निश्चित है कि कुछ लोग अरमगिदोन से बचकर निकलेंगे और ‘अनन्तकाल तक न मरेंगे’?
१७ क्या हम इस आश्चर्यजनक आशा में पूरा भरोसा कर सकते हैं? जी हाँ! यीशु ने मरथा को बताया कि एक ऐसा समय होगा जब लोग बिना कभी मरे जीएँगे। (यूहन्ना ११:२६) इसके अतिरिक्त, यीशु द्वारा यूहन्ना को दिए प्रकाशितवाक्य के अध्याय ७ में, यह प्रकट किया गया कि एक बड़ी भीड़ बड़े क्लेश से बचकर बाहर आती है। क्या हम यीशु मसीह और नूह के दिन के जल-प्रलय के विषय में ऐतिहासिक वृत्तांत पर विश्वास कर सकते हैं? निःसंदेह! इसके अलावा, बाइबल में ऐसे अवसरों के अन्य वृत्तांत हैं जब परमेश्वर ने न्याय की अवधियों और जातियों के पतन से अपने सेवकों को जीवित बचाया। इस अन्त के समय में क्या परमेश्वर से कुछ कम की अपेक्षा की जानी चाहिए? क्या सृष्टिकर्ता के लिए कुछ असंभव है?—मत्ती १९:२६ से तुलना कीजिए।
१८. हम यहोवा के धर्मी नए संसार में जीवन के बारे में कैसे आश्वस्त हो सकते हैं?
१८ अभी वफ़ादारी से यहोवा की सेवा करने के द्वारा हमें उसके नए संसार में अनन्त जीवन का आश्वासन है। अनगिनत लोगों के लिए, उस नए संसार में जीवन पुनरुत्थान के माध्यम से आएगा। फिर भी, हमारे दिनों में, यहोवा के लाखों लोग—जी हाँ, एक बड़ी भीड़ जिसे कोई मनुष्य गिन नहीं सकता अथवा सीमित नहीं कर सकता—बड़े क्लेश से जीवित बच निकलने का अनोखा विशेषाधिकार पाएँगे। और उन्हें कभी नहीं मरना पड़ेगा।
कृपया समझाइए
◻ अरमगिदोन से बचकर निकलने का पूर्वसंकेत नूह के दिनों में कैसे किया गया था?
◻ जब यीशु यहोवा के न्याय कार्यान्वित करने आता है उस समय खड़े रहने के लिए हमें क्या करना है?
◻ हम क्यों कह सकते हैं कि अरमगिदोन के उत्तरजीवियों के पास ‘अनन्तकाल तक न मरने’ का अवसर है?
[पेज 15 पर तसवीरें]
मसीही यरूशलेम के क्लेश से बच गए