“असल में वह विश्वासयोग्य और सूझ-बूझ से काम लेनेवाला दास कौन है?”
“असल में वह विश्वासयोग्य और सूझ-बूझ से काम लेनेवाला दास कौन है, जिसे उसके मालिक ने अपने घर के कर्मचारियों के ऊपर ठहराया?”—मत्ती 24:45.
1, 2. यीशु आज हमें किसके ज़रिए आध्यात्मिक खाना खिला रहा है? यह जानना क्यों बेहद ज़रूरी है कि यह दास कौन है?
“भाइयो, आपने न जाने कितनी बार ऐसे लेख प्रकाशित किए हैं जो मुझे ठीक उस वक्त मिले जब मुझे उनकी सबसे ज़्यादा ज़रूरत थी।” एक बहन ने अपने खत में लिखे इन शब्दों में विश्व मुख्यालय में काम करनेवाले भाइयों के लिए अपनी कदरदानी ज़ाहिर की। क्या आपने भी कभी ऐसा महसूस किया है? हममें से बहुत-से लोगों ने किया है। क्या इसमें कोई हैरानी की बात है? जी नहीं।
2 सही वक्त पर मिलनेवाला आध्यात्मिक खाना इस बात का सबूत है कि मंडली का मुखिया, यीशु हमें खिलाने का अपना वादा पूरा कर रहा है। वह किसके ज़रिए हमें आध्यात्मिक खाना खिला रहा है? अपनी मौजूदगी की निशानी देते वक्त, यीशु ने कहा कि वह ‘विश्वासयोग्य और सूझ-बूझ से काम लेनेवाले दास’ के ज़रिए अपने घर के कर्मचारियों को ‘सही वक्त पर खाना’ देगा। (पेज 25 पर दिया फुटनोट 1 पढ़िए।a) (मत्ती 24:45-47 पढ़िए।) इस विश्वासयोग्य दास के ज़रिए ही यीशु इस अंत के समय में अपने सच्चे चेलों को आध्यात्मिक खाना खिला रहा है। यह जानना हमारे लिए बेहद ज़रूरी है कि वह विश्वासयोग्य दास कौन है। क्यों? क्योंकि हमारी आध्यात्मिक सेहत और परमेश्वर के साथ हमारा रिश्ता इस दास पर निर्भर है।—मत्ती 4:4; यूह. 17:3.
3. हमारे साहित्य में विश्वासयोग्य दास की मिसाल के बारे में अब तक क्या समझाया गया है?
3 विश्वासयोग्य दास के बारे में दी यीशु की मिसाल का क्या मतलब है? पहले हमारे साहित्य में इस मिसाल के बारे में इस तरह समझाया गया था: ईसवी सन् 33 के पिन्तेकुस्त के दिन, यीशु ने विश्वासयोग्य दास को अपने घर के कर्मचारियों के ऊपर ठहराया। यह दास तब से लेकर अब तक, किसी भी समय के दौरान धरती पर जीनेवाले अभिषिक्त मसीहियों के पूरे समूह को दर्शाता है। घर के कर्मचारी इन्हीं अभिषिक्त जनों के हरेक सदस्य को दर्शाते हैं। सन् 1919 में यीशु ने विश्वासयोग्य दास को “अपनी सारी संपत्ति पर,” यानी धरती पर राज से जुड़ी सारी चीज़ों पर, अधिकारी ठहराया। लेकिन इस विषय पर और भी गहराई से अध्ययन करने, प्रार्थना करने और मनन करने से हमें एहसास हुआ कि यीशु की दी विश्वासयोग्य और सूझ-बूझ से काम लेनेवाले दास की मिसाल के बारे में हमारी समझ में फेरबदल की ज़रूरत है। (नीति. 4:18) आइए हम इस मिसाल पर चर्चा करें और देखें कि इसका हम पर क्या असर होता है, फिर चाहे हमारी आशा स्वर्ग जाने की हो या धरती पर जीने की।
विश्वासयोग्य दास की मिसाल कब पूरी होती है?
4-6. हम इस नतीजे पर कैसे पहुँच सकते हैं कि विश्वासयोग्य दास की मिसाल सन् 1914 के बाद ही पूरी होनी शुरू हुई?
4 विश्वासयोग्य और सूझ-बूझ से काम लेनेवाले दास की मिसाल के आस-पास की आयतें दिखाती हैं कि यह मिसाल ईसवी सन् 33 के पिन्तेकुस्त के दिन नहीं, बल्कि इस अंत के समय में पूरी होनी शुरू हुई। आइए देखें कि शास्त्र की मदद से हम इस नतीजे पर कैसे पहुँच सकते हैं।
5 विश्वासयोग्य दास की मिसाल यीशु की उस भविष्यवाणी का हिस्सा है, जो उसने अपनी ‘मौजूदगी की और दुनिया की व्यवस्था के आखिरी वक्त की निशानी’ के बारे में की थी। (मत्ती 24:3) इस भविष्यवाणी का पहला हिस्सा, जो मत्ती 24:4-22 में दर्ज़ है, दो बार पूरा होता है। पहली बार यह ईसवी सन् 33 से 70 के सालों के दौरान पूरा हुआ। और दूसरी बार, यह हमारे दिनों में बड़े पैमाने पर पूरा हो रहा है। क्या इसका मतलब यह है कि विश्वासयोग्य दास के बारे में कहे यीशु के शब्द भी दो बार पूरे होंगे? जी नहीं।
6 मत्ती 24:29 और उसके बाद की आयतों में यीशु ने खासकर उन घटनाओं के बारे में बताया जो हमारे दिनों में घटतीं। (मत्ती 24:30, 42, 44 पढ़िए।) महा-संकट के दौरान क्या होगा, उस बारे में बताते वक्त उसने कहा कि लोग ‘इंसान के बेटे को आकाश के बादलों पर आता देखेंगे।’ फिर उसने आखिरी दिनों के दौरान जीनेवाले लोगों को जागते रहने के लिए इस तरह बढ़ावा दिया: “तुम नहीं जानते कि तुम्हारा प्रभु किस दिन आ रहा है” और “जिस घड़ी तुमने सोचा भी न होगा, उस घड़ी इंसान का बेटा आ रहा है।” (पेज 25 पर दिया फुटनोट 2 पढ़िए।b) आखिरी दिनों में होनेवाली घटनाओं के बारे में बताने के ठीक बाद यीशु ने विश्वासयोग्य दास की मिसाल दी। इसलिए हम इस नतीजे पर पहुँच सकते हैं कि विश्वासयोग्य दास के बारे में यीशु के कहे शब्द आखिरी दिनों के शुरू होने के बाद ही पूरे होने शुरू हुए, यानी 1914 के बाद। इस नतीजे पर पहुँचने में तुक बनता है। क्यों?
7. कटाई के दिनों की शुरूआत होने पर क्या ज़रूरी सवाल उठा? और क्यों?
7 एक पल के लिए ज़रा इस सवाल के बारे में सोचिए: “असल में वह विश्वासयोग्य और सूझ-बूझ से काम लेनेवाला दास कौन है?” पहली सदी में यह सवाल करने का कोई मतलब ही नहीं था। जैसा कि हमने पिछले लेख में देखा, प्रेषित चमत्कार कर सकते थे, यहाँ तक कि दूसरों को भी पवित्र शक्ति के वरदान दे सकते थे, जो इस बात के सबूत थे कि परमेश्वर उन्हीं को इस्तेमाल कर रहा है। (प्रेषि. 5:12) तो फिर उस वक्त किसी को यह पूछने की ज़रूरत ही नहीं थी कि अगुवाई लेने के लिए यीशु ने असल में किसे ठहराया है। लेकिन सन् 1914 में हालात काफी अलग थे। उस साल कटाई के दिनों की शुरूआत हुई। आखिरकार जंगली पौधों को गेहूँ से अलग करने का वक्त आ गया था। (मत्ती 13:36-43) जब कटाई के दिनों की शुरूआत हुई, तब बहुत-से नकली मसीही यीशु के सच्चे चेले होने का दावा कर रहे थे। इसलिए एक ज़रूरी सवाल उठा: गेहूँ यानी अभिषिक्त मसीहियों की पहचान कैसे की जाए? इसका जवाब विश्वासयोग्य दास की मिसाल से ही मिला। मसीह के अभिषिक्त चेले वे लोग होते, जिन्हें भरपूर आध्यात्मिक खाना मिल रहा था।
विश्वासयोग्य और सूझ-बूझ से काम लेनेवाला दास कौन है?
8. यह कहना क्यों सही होगा कि विश्वासयोग्य दास को अभिषिक्त मसीहियों से ही बना होना चाहिए?
8 बेशक, विश्वासयोग्य दास को धरती पर अभिषिक्त मसीहियों से बना होना चाहिए। अभिषिक्त मसीहियों को “शाही याजकों का दल” कहा गया है, और उन्हें यह आज्ञा दी गयी है कि वे ‘सारी दुनिया में उसके महान गुणों का ऐलान करें जिसने उन्हें अंधकार से निकालकर अपनी शानदार रौशनी में बुलाया है।’ (1 पत. 2:9) तो ज़ाहिर है इस ‘शाही याजकों के दल’ के सदस्य ही अपने भाइयों को सच्चाई सिखाने के काम में सीधे-सीधे योगदान देते।—मला. 2:7; प्रका. 12:17.
9. क्या विश्वासयोग्य दास सभी अभिषिक्त जनों से मिलकर बना है? समझाइए।
9 क्या विश्वासयोग्य दास धरती पर मौजूद सभी अभिषिक्त जनों से मिलकर बना है? नहीं। सच तो यह है कि सारे अभिषिक्त जन दुनिया-भर में अपने भाई-बहनों को आध्यात्मिक खाना मुहैया नहीं कराते। बेशक, कुछ अभिषिक्त भाई अपनी मंडली में सहायक सेवक या प्राचीन के तौर पर सेवा करते हैं। वे घर-घर जाकर और अपनी मंडली में सिखाने का काम करते हैं, और मुख्यालय से मिलनेवाले निर्देशों को वफादारी से मानते हैं। मगर वे पूरी दुनिया में अपने भाइयों को आध्यात्मिक खाना मुहैया कराने में भाग नहीं लेते। इसके अलावा, अभिषिक्त जनों में कुछ नम्र बहनें भी हैं, जो कभी-भी मंडली में सिखाने की ज़िम्मेदारी पाने की कोशिश नहीं करतीं।—1 कुरिं. 11:3; 14:34.
10. विश्वासयोग्य और सूझ-बूझ से काम लेनेवाला दास कौन है?
10 तो फिर विश्वासयोग्य और सूझ-बूझ से काम लेनेवाला दास कौन है? ठीक जैसे पहली सदी में यीशु ने थोड़े-से लोगों के हाथों बहुतों को खिलाने का नमूना रखा था, वैसे ही यह दास भी कुछ अभिषिक्त मसीहियों से मिलकर बना एक छोटा-सा समूह है, जो मसीह की मौजूदगी के दौरान आध्यात्मिक खाना तैयार करने और दूसरों को मुहैया कराने में सीधे-सीधे योगदान दे रहा है। आखिरी दिनों की शुरूआत से लेकर अब तक, जो अभिषिक्त भाई विश्वासयोग्य दास का हिस्सा रहे हैं, वे साथ मिलकर मुख्यालय में सेवा करते आए हैं। यहोवा के साक्षियों का शासी निकाय वह दास है। लेकिन ध्यान दीजिए, हालाँकि “दास” एक-से-ज़्यादा लोगों से मिलकर बना है, लेकिन यीशु की मिसाल में इसे सिर्फ एक दास बताया गया है। इसका मतलब है कि शासी निकाय के सदस्य एक समूह के तौर पर फैसले लेते हैं।
घर के कर्मचारी कौन हैं?
11, 12. (क) विश्वासयोग्य और सूझ-बूझ से काम लेनेवाले दास को किन दो चीज़ों पर अधिकारी ठहराया जाता है? (ख) यीशु ने विश्वासयोग्य दास को अपने घर के कर्मचारियों के ऊपर कब ठहराया? और उसने किन्हें चुना?
11 यह गौर करने लायक है कि यीशु की मिसाल में विश्वासयोग्य और सूझ-बूझ से काम लेनेवाले दास को दो अलग-अलग चीज़ों पर अधिकारी ठहराया जाता है। एक, घर के कर्मचारियों पर, और दूसरा, मालिक की सारी संपत्ति पर। यह मिसाल इस अंत के समय में ही पूरी होती है, तो ज़ाहिर है कि दास को दोनों अधिकार सन् 1914 के बाद ही दिए गए होंगे, जब राजा के तौर पर यीशु की मौजूदगी शुरू हुई।
12 यीशु ने विश्वासयोग्य दास को अपने घर के कर्मचारियों के ऊपर कब ठहराया? इस सवाल का जवाब जानने के लिए, आइए देखें कि सन् 1914 में, यानी कटाई के दिनों की शुरूआत में क्या हुआ। जैसा कि हमने पहले सीखा था, उस वक्त बहुत-से समूह मसीही होने का दावा कर रहे थे। यीशु किस समूह में से विश्वासयोग्य दास को चुनता और उसे अधिकारी ठहराता? इस सवाल का जवाब तब मिला जब यीशु और उसके पिता ने सन् 1914 से 1919 की शुरूआत के दौरान आकर मंदिर, या उपासना के लिए परमेश्वर के ठहराए इंतज़ाम, का मुआयना किया। (पेज 25 पर दिया फुटनोट 3 देखिए।c) (मला. 3:1) यहोवा और यीशु ‘बाइबल विद्यार्थियों’ के छोटे-से वफादार समूह को देखकर खुश हुए, जिन्होंने दिखाया कि वे पूरे दिल से परमेश्वर और उसके वचन से प्यार करते हैं। बेशक, उन्हें शुद्ध किए जाने की ज़रूरत थी, मगर जब इन चंद सालों के दौरान वे परखे गए और जब यहोवा और यीशु ने उन्हें शुद्ध किया, तब उन्होंने नम्रता से खुद में सुधार किया। (मला. 3:2-4) वे वफादार ‘बाइबल विद्यार्थी’ गेहूँ-समान सच्चे मसीही थे। सन् 1919 में यीशु ने उनमें से कुछ काबिल अभिषिक्त भाइयों को चुना ताकि वे विश्वासयोग्य और सूझ-बूझ से काम लेनेवाले दास के तौर पर सेवा करें, और उसने उन भाइयों को अपने घर के कर्मचारियों के ऊपर ठहराया।
13. घर के कर्मचारियों में कौन शामिल हैं, और क्यों?
13 तो फिर घर के कर्मचारी कौन हैं? सीधे शब्दों में कहें, तो ये वे लोग हैं जो आध्यात्मिक खाना लेते हैं। आखिरी दिनों की शुरूआत में, घर के कर्मचारी अभिषिक्त जनों से बने थे। लेकिन बाद में, घर के कर्मचारियों में दूसरी भेड़ों की बड़ी भीड़ भी शामिल हो गयी। आज मसीह की अगुवाई में “एक झुंड” का ज़्यादातर हिस्सा दूसरी भेड़ों से बना है। (यूह. 10:16) दोनों ही समूह उसी आध्यात्मिक खाने का लुत्फ उठा रहे हैं, जो विश्वासयोग्य दास सही वक्त पर मुहैया कराता है। क्या शासी निकाय के सदस्य भी, जो आज मिलकर विश्वासयोग्य और सूझ-बूझ से काम लेनेवाला दास बनते हैं, घर के कर्मचारी हैं? उन भाइयों को भी निजी तौर पर आध्यात्मिक खाने की ज़रूरत है। इसलिए वे नम्रता से इस बात को मानते हैं कि यीशु के बाकी सच्चे चेलों की तरह, उनमें से हरेक सदस्य घर का कर्मचारी है।
14. (क) विश्वासयोग्य दास को क्या ज़िम्मेदारी दी गयी है, और इसमें क्या शामिल है? (ख) यीशु ने विश्वासयोग्य और सूझ-बूझ से काम लेनेवाले दास को क्या चेतावनी दी? (बक्स “अगर कभी वह दुष्ट दास . . . ” देखिए।)
14 यीशु ने विश्वासयोग्य और सूझ-बूझ से काम लेनेवाले दास को एक भारी ज़िम्मेदारी सौंपी। बाइबल के ज़माने में, एक भरोसेमंद दास, या प्रबंधक, को मालिक के पूरे घर की देखरेख का ज़िम्मा सौंपा जाता था। (लूका 12:42) उसी तरह, विश्वासयोग्य और सूझ-बूझ से काम लेनेवाले दास को घर के कर्मचारियों की देखभाल करने का ज़िम्मा सौंपा गया है। उस ज़िम्मेदारी में सम्मेलन और अधिवेशन कार्यक्रम, ज़मीन-जायदाद और प्रचार काम की निगरानी करना शामिल है। इसके अलावा, इसमें बाइबल पर आधारित साहित्य की छपाई की देखरेख करना भी शामिल है, जिसका इस्तेमाल हम प्रचार सेवा, निजी अध्ययन और मंडली की सभाओं में करते हैं। घर के कर्मचारी विश्वासयोग्य दास के ज़रिए किए जानेवाले सभी आध्यात्मिक इंतज़ामों पर निर्भर रहते हैं।
दास को मालिक की सारी संपत्ति पर कब अधिकारी ठहराया जाता है?
15, 16. यीशु विश्वासयोग्य दास को अपनी सारी संपत्ति पर अधिकारी कब ठहराता है?
15 यीशु विश्वासयोग्य दास को दूसरी चीज़ पर, यानी “अपनी सारी संपत्ति पर” अधिकारी कब ठहराता है? इस बारे में यीशु ने कहा: “सुखी होगा वह दास अगर उसका मालिक आने पर उसे ऐसा ही करता पाए! मैं तुमसे सच कहता हूँ, वह उसे अपनी सारी संपत्ति पर अधिकारी ठहराएगा।” (मत्ती 24:46, 47) ध्यान दीजिए कि यीशु दूसरी चीज़ पर उन्हें अधिकारी तब ठहराता है, जब वह आने पर पाता है कि दास ‘ऐसा ही कर’ रहा है, यानी वफादारी से आध्यात्मिक खाना मुहैया करा रहा है। इसका मतलब है कि विश्वासयोग्य दास को दो चीज़ों पर अधिकारी ठहराने के बीच कुछ वक्त गुज़रता। यह समझने के लिए कि यीशु कैसे और कब इस दास को अपनी सारी संपत्ति पर अधिकारी ठहराता है, हमें दो बातें जानने की ज़रूरत है: वह कब आता है, और उसकी संपत्ति में क्या-क्या शामिल है।
16 यीशु कब आता है? इसका जवाब मत्ती अध्याय 24 में दर्ज़ इस मिसाल के आस-पास की आयतों में मिलता है। याद कीजिए कि मिसाल के पहले की आयतों में जहाँ कहीं यीशु के ‘आने’ का ज़िक्र किया गया है, वहाँ उस समय की बात की गयी है जब यीशु इस व्यवस्था के आखिर में फैसला सुनाने और न्याय करने आएगा। (पेज 25 पर दिया फुटनोट 4 देखिए।d) (मत्ती 24:30, 42, 44) इसलिए विश्वासयोग्य दास की मिसाल में बताया गया यीशु का ‘आना’ महा-संकट के दौरान होगा।
17. यीशु की संपत्ति में क्या-क्या शामिल है?
17 यीशु की “सारी संपत्ति” में क्या-क्या शामिल है? जब यीशु ने “सारी” संपत्ति का ज़िक्र किया, तब उसने ऐसा कुछ नहीं कहा जिससे लगे कि वह सिर्फ धरती की संपत्ति की बात कर रहा था। दरअसल, यीशु को स्वर्ग में भी बहुत-सी चीज़ों पर अधिकार दिया गया है। उसने कहा था, “स्वर्ग में और धरती पर सारा अधिकार मुझे दिया गया है।” (मत्ती 28:18; इफि. 1:20-23) उसकी संपत्ति में अब मसीहाई राज भी शामिल है, जो सन् 1914 से उसका हो गया था। और यह राज यीशु मसीह अपने अभिषिक्त चेलों के साथ बाँटेगा।—प्रका. 11:15.
18. विश्वासयोग्य दास को अपनी सारी संपत्ति पर अधिकारी ठहराने में यीशु को खुशी क्यों होगी?
18 तो अभी हमने जो चर्चा की, उससे हम किस नतीजे पर पहुँचते हैं? जब यीशु महा-संकट के दौरान न्याय करने आएगा, तो वह पाएगा कि विश्वासयोग्य दास वफादारी से घर के कर्मचारियों को सही वक्त पर आध्यात्मिक खाना मुहैया कराता आया है। उस वक्त, यीशु खुशी-खुशी उस दास को दूसरी चीज़ पर, यानी अपनी सारी संपत्ति पर, अधिकारी ठहराएगा। जिन अभिषिक्त भाइयों से मिलकर विश्वासयोग्य दास बनता है, उन भाइयों को यह अधिकार स्वर्ग में अपना इनाम पाने के बाद मिलेगा, जब वे मसीह के साथ राज करेंगे।
19. क्या विश्वासयोग्य दास को स्वर्ग में बाकी अभिषिक्त जनों से बड़ा इनाम मिलता है? समझाइए।
19 क्या विश्वासयोग्य दास को स्वर्ग में बाकी अभिषिक्त जनों से बड़ा इनाम मिलता है? नहीं। एक छोटे-से समूह से फलाँ वक्त पर वादा किया गया इनाम, आगे चलकर दूसरों के साथ भी बाँटा जा सकता है। मिसाल के लिए, गौर कीजिए कि यीशु ने अपनी मौत से पहले की रात अपने 11 वफादार प्रेषितों से क्या कहा था। (लूका 22:28-30 पढ़िए।) यीशु ने उस छोटे-से समूह से वादा किया था कि उनकी वफादारी के लिए उन्हें बढ़िया इनाम मिलेगा। वे उसके साथ स्वर्ग से राज करेंगे। मगर सालों बाद, उसने इस बात की ओर इशारा किया कि सिर्फ यह छोटा-सा समूह ही नहीं, बल्कि सभी 1,44,000 जन राजगद्दी पर बैठेंगे और उसके साथ राज करेंगे। (प्रका. 1:1; 3:21) उसी तरह, जैसा कि मत्ती 24:47 में बताया गया है, यीशु ने वादा किया था कि वह एक छोटे-से समूह को, यानी कुछ अभिषिक्त भाइयों से मिलकर बने विश्वासयोग्य दास को, अपनी सारी संपत्ति पर अधिकारी ठहराएगा। लेकिन असल में सिर्फ यह दास नहीं, बल्कि सभी 1,44,000 जन स्वर्ग में उसकी संपत्ति पर अधिकारी होंगे।—प्रका. 20:4, 6.
20. यीशु ने विश्वासयोग्य दास को क्यों ठहराया, और आपने क्या करने की ठान ली है?
20 जिस तरह यीशु ने पहली सदी में थोड़े-से लोगों के हाथों, बहुतों को खिलाया था, उसी तरह आज भी वह विश्वासयोग्य और सूझ-बूझ से काम लेनेवाले दास के हाथों बहुतों को खिला रहा है। यीशु ने उस विश्वासयोग्य दास को ठहराया, ताकि उसके सच्चे चेलों को इन आखिरी दिनों में लगातार सही वक्त पर आध्यात्मिक खाना मिलता रहे, फिर चाहे वे चेले अभिषिक्त हों या फिर दूसरी भेड़ें। आइए हम ठान लें कि हम उन अभिषिक्त भाइयों का वफादारी से साथ देंगे, जो मिलकर विश्वासयोग्य और सूझ-बूझ से काम लेनेवाले दास के तौर पर काम कर रहे हैं, और इस तरह यीशु के ठहराए इस इंतज़ाम के लिए अपनी कदरदानी दिखाएँ।—इब्रा. 13:7, 17.
a पैराग्राफ 2: [1] इससे पहले एक मौके पर यीशु ने इससे मिलती-जुलती एक मिसाल दी जिसमें उसने “दास” को “प्रबंधक” कहा और “घर के कर्मचारियों” को ‘अपने घर के सेवकों का दल’ कहा।—लूका 12:42-44.
b पैराग्राफ 6: [2] मसीह का ‘आना’ (यूनानी में एरखोमाई) और उसकी “मौजूदगी” (पारूसीआ) दो अलग बातें हैं। यीशु के न्याय करने के लिए आने से पहले ही उसकी मौजूदगी शुरू हो जाती है, हालाँकि उसकी यह मौजूदगी इंसानों को दिखायी नहीं देती।
c पैराग्राफ 12: [3] इस अंक में लेख “देखो! मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ” के पैराग्राफ 5-8 देखिए, जो पेज 10-12 पर दिए गए हैं।
d पैराग्राफ 16: [4] इस अंक में लेख “हमें बता, ये सब बातें कब होंगी?” के पैराग्राफ 14-18 देखिए, जो पेज 7-8 पर दिए गए हैं।