अध्याय 1
“तू सिर्फ अपने परमेश्वर यहोवा की उपासना कर”
अध्याय किस बारे में है: शुद्ध उपासना क्यों बहाल की जानी चाहिए
1, 2. ईसवी सन् 29 के अक्टूबर-नवंबर में यीशु यहूदिया के वीराने में कैसे पहुँचता है? वहाँ क्या होता है? (शुरूआती तसवीर देखें।)
ईसवी सन् 29 के अक्टूबर-नवंबर की बात है। अभी-अभी यीशु का बपतिस्मा हुआ है और उसका अभिषेक किया गया है। पवित्र शक्ति उसे यहूदिया के वीराने में ले आयी है जो मृत सागर के उत्तर में है। तंग घाटियों से भरा यह चट्टानी इलाका बिलकुल सुनसान है। यहाँ यीशु 40 दिन बिताता है। इस शांत माहौल में वह उपवास करता है, प्रार्थना करता है और मनन करता है। शायद इस दौरान यहोवा अपने बेटे यीशु से बात करता है और आनेवाली परीक्षा का सामना करने के लिए उसे मज़बूत करता है।
2 यीशु को खाना खाए काफी दिन हो चुके हैं। उसे बहुत भूख लगी है और वह कमज़ोर महसूस कर रहा है। तभी शैतान उसके पास आता है। इसके बाद कुछ ऐसा होता है जिससे एक अहम मसले का खुलासा होता है। इस मसले में वे सभी शामिल हैं जो शुद्ध उपासना करते हैं। आप भी इसमें शामिल हैं।
“अगर तू परमेश्वर का एक बेटा है . . . ”
3, 4. (क) शैतान ने यीशु को पहला और दूसरा प्रलोभन देते समय अपनी बात कैसे शुरू की? (ख) वह यीशु के मन में किस बात पर शक पैदा करना चाहता था? (ग) आज भी शैतान कैसे यही पैंतरा अपनाता है?
3 मत्ती 4:1-7 पढ़िए। गौर कीजिए कि शैतान ने यीशु को कैसे फुसलाने की कोशिश की। उसने यीशु को पहला और दूसरा प्रलोभन देते समय बड़ी चालाकी से उससे कहा, “अगर तू परमेश्वर का एक बेटा है।” क्या शैतान को शक था कि यीशु परमेश्वर का बेटा है भी कि नहीं? जी नहीं। एक स्वर्गदूत होने के नाते वह अच्छी तरह जानता था कि यीशु परमेश्वर का पहलौठा बेटा है। (कुलु. 1:15) उसे यह भी पता था कि यहोवा ने स्वर्ग से यीशु के बारे में कहा था, “यह मेरा प्यारा बेटा है। मैंने इसे मंज़ूर किया है।” (मत्ती 3:17) लेकिन शैतान यीशु के मन में शक पैदा करना चाहता था कि क्या यहोवा पर भरोसा किया जा सकता है, क्या वह सच में उसकी परवाह करता है। जब वह यीशु को फुसलाने के लिए उससे कहता है कि वह पत्थरों को रोटियाँ बना ले, तो वह मानो यीशु से कह रहा था, ‘क्या तू वाकई परमेश्वर का बेटा है? अगर है तो तेरा पिता तुझे इस वीराने में भूखा क्यों मार रहा है?’ इसके बाद जब वह यीशु से कहता है कि वह मंदिर से कूद जाए, तो एक तरह से वह उससे कहता है, ‘तू परमेश्वर का बेटा है न, क्या तू अपने पिता पर भरोसा कर सकता है कि अगर तू यहाँ से कूदे तो वह तुझे बचा लेगा?’
4 आज भी शैतान इसी तरह के पैंतरे अपनाता है। (2 कुरिं. 2:11) वह इस ताक में रहता है कि हम कब कमज़ोर या निराश हो जाएँ और वह हमें चालाकी से फुसला ले। (2 कुरिं. 11:14) वह हमें यकीन दिलाना चाहता है कि यहोवा हमसे प्यार नहीं करता, न ही हमसे कभी खुश होता है और उस पर भरोसा नहीं किया जा सकता। उसका कहना है कि यहोवा अपने वादे कभी पूरे नहीं करेगा। लेकिन यह सरासर झूठ है। (यूह. 8:44) हम उसके पैंतरों से कैसे बच सकते हैं?
5. यीशु ने शैतान के पहले और दूसरे प्रलोभन को कैसे ठुकराया?
5 गौर कीजिए कि यीशु ने दोनों प्रलोभनों को कैसे ठुकराया। उसे ज़रा भी शक नहीं था कि उसका पिता यहोवा उससे प्यार करता है या नहीं और उसे अपने पिता पर पूरा भरोसा भी था। इसलिए शैतान ने जब उसे फुसलाने की कोशिश की, तो उसने साफ इनकार कर दिया। उसने शैतान को जवाब देने के लिए उन आयतों का हवाला दिया जिनमें यहोवा का नाम आता है। (व्यव. 6:16; 8:3) यीशु ने कितना सही किया। यहोवा का नाम इस्तेमाल करके उसने दिखाया कि उसे अपने पिता पर पूरा भरोसा है। यहोवा का बेजोड़ नाम अपने आप में एक गारंटी है कि वह अपने सारे वादे पूरे करेगा।a
6, 7. हम शैतान के झाँसे में आने से कैसे बच सकते हैं?
6 अगर हम भी यीशु की तरह यहोवा के वचन का सहारा लें और उसके नाम के बारे में मनन करें, तो हम शैतान के झाँसे में नहीं आएँगे। बाइबल से हम जान पाते हैं कि यहोवा अपने सभी सेवकों से प्यार करता है और जब वे मायूस होते हैं, तो उनका बहुत खयाल रखता है। इससे हमें एहसास होता है कि यहोवा हमसे भी बेहद प्यार करता है। इसलिए हम शैतान के इस झूठ पर यकीन नहीं करते कि यहोवा हमसे प्यार नहीं करता, न ही हमसे खुश होता है। (भज. 34:18; 1 पत. 5:8) और अगर हम याद रखें कि यहोवा अपने नाम पर खरा उतरता है यानी वह अपने सभी वादे पूरे करता है, तो हमें यकीन होगा कि वह भरोसे के लायक है। हम यहोवा पर कभी शक नहीं करेंगे।—नीति. 3:5, 6.
7 शैतान का असल इरादा क्या है? वह हमसे क्या चाहता है? उसने यीशु को जो तीसरा प्रलोभन दिया, उस पर ध्यान देने से हमें इन सवालों के जवाब मिलेंगे।
‘तू बस एक बार मेरे सामने गिरकर मेरी उपासना कर’
8. शैतान के तीसरे प्रलोभन से कैसे उसकी नीयत सामने आ गयी?
8 मत्ती 4:8-11 पढ़िए। शैतान ने यीशु को तीसरा प्रलोभन देते समय घुमा-फिराकर नहीं बल्कि साफ-साफ अपनी बात कह दी। तब उसकी नीयत सामने आ गयी। उसने यीशु को (शायद दर्शन में) “दुनिया के सारे राज्य और उनकी शानो-शौकत दिखायी,” लेकिन उनमें जो भ्रष्टाचार होता है, वह नहीं दिखाया। फिर उसने यीशु से कहा, “अगर तू बस एक बार मेरे सामने गिरकर मेरी उपासना करे, तो मैं यह सबकुछ तुझे दे दूँगा।”b जी हाँ, शैतान का असल इरादा था, यीशु से अपनी उपासना करवाना। वह चाहता था कि यीशु यहोवा के बजाय उसे अपना परमेश्वर माने। वह यीशु को लालच दे रहा था कि उसे एक पल में दुनिया की शानो-शौकत मिल जाएगी, उसे न काँटों का ताज पहनना पड़ेगा, न कोड़े खाने पड़ेंगे, न ही काठ पर यातनाएँ सहनी पड़ेंगी। शैतान ने सच में यीशु के सामने यह पेशकश रखी थी। यह हम इसलिए कह सकते हैं, क्योंकि यीशु ने उसकी यह बात नहीं काटी कि दुनिया की सारी सरकारें उसकी मुट्ठी में हैं। (यूह. 12:31; 1 यूह. 5:19) शैतान चाहता था कि यीशु यहोवा को छोड़कर उसकी उपासना करे। इसके लिए वह कुछ भी देने को तैयार था।
9. (क) शैतान सच्चे उपासकों से क्या चाहता है? (ख) वह हमें किस तरह लुभाने की कोशिश करता है? (ग) हमारी उपासना में क्या-क्या शामिल है? (यह बक्स देखें: “उपासना का मतलब क्या है?”)
9 आज भी शैतान चाहता है कि हम उसकी उपासना करें या किसी और तरह से यहोवा के खिलाफ हो जाएँ। शैतान ‘इस दुनिया का ईश्वर’ है, इसलिए दुनिया के झूठे धर्मों के ज़रिए वह लोगों से अपनी उपासना करवा रहा है। (2 कुरिं. 4:4) फिर भी शैतान इससे खुश नहीं है कि करोड़ों लोग उसकी उपासना कर रहे हैं। उसकी नज़र सच्चे उपासकों पर है। वह चाहता है कि वे भी यहोवा को छोड़कर उसकी उपासना करें। वह हमें दुनिया की तरफ लुभाना चाहता है ताकि हम दौलत और ताकत हासिल करने में लग जाएँ, न कि “नेकी की खातिर” दुख उठाते हुए ज़िंदगी बिताएँ। (1 पत. 3:14) अगर हम शैतान के झाँसे में आकर सच्ची उपासना करना छोड़ दें और दुनिया का हिस्सा बन जाएँ, तो हम शैतान के आगे झुककर उसकी उपासना कर रहे होंगे, उसे अपना ईश्वर मान रहे होंगे। हम कैसे उसके प्रलोभनों को ठुकरा सकते हैं?
10. (क) यीशु ने शैतान के तीसरे प्रलोभन को ठुकराते हुए क्या कहा? (ख) यीशु ने क्यों ऐसा कहा?
10 गौर कीजिए कि यीशु ने शैतान के तीसरे प्रलोभन को कैसे ठुकराया। उसने फौरन इनकार करते हुए कहा, “दूर हो जा शैतान!” इस तरह उसने जता दिया कि वह सिर्फ यहोवा की उपासना करेगा। फिर उसने पहले की तरह व्यवस्थाविवरण से एक आयत का हवाला दिया जिसमें यहोवा का नाम आता है। उसने कहा, “लिखा है, ‘तू सिर्फ अपने परमेश्वर यहोवा की उपासना कर और उसी की पवित्र सेवा कर।’” (मत्ती 4:10; व्यव. 6:13) यीशु ने दुनिया की शानो-शौकत और आराम की ज़िंदगी ठुकरा दी, जिसमें कोई मुश्किलें नहीं झेलनी पड़तीं। ऐसी ज़िंदगी बस थोड़े समय के लिए होती। वह जानता था कि सिर्फ उसका पिता यहोवा उपासना का हकदार है। उसे पता था कि अगर वह “बस एक बार” भी शैतान की उपासना करे, तो वह उस दुष्ट को अपना ईश्वर मान रहा होगा। इसलिए उसने साफ इनकार कर दिया। जब यीशु पर शैतान का ज़ोर नहीं चला, तो वह “उसे छोड़कर चला गया।”c
11. हम शैतान और उसके प्रलोभनों को कैसे ठुकरा सकते हैं?
11 शैतान और यह दुनिया हमें लुभाने की चाहे जो भी कोशिश करे, हम उन्हें ठुकरा सकते हैं। यह हमारे हाथ में है कि हम क्या करेंगे। यीशु की तरह हमारे पास भी अपना फैसला खुद करने की आज़ादी है। कोई भी ज़बरदस्ती हमें सच्ची उपासना करने से रोक नहीं सकता, यहाँ तक कि ताकतवर शैतान भी नहीं। जब हम ‘विश्वास में मज़बूत रहकर शैतान का मुकाबला’ करते हैं, तो हम उससे कह रहे होते हैं, “दूर हो जा शैतान!” (1 पत. 5:9) याद रखिए कि जब यीशु ने शैतान की बात मानने से इनकार कर दिया, तो वह उसे छोड़कर चला गया। बाइबल हमें यकीन दिलाती है, “शैतान का विरोध करो और वह तुम्हारे पास से भाग जाएगा।”—याकू. 4:7.
शुद्ध उपासना का दुश्मन
12. अदन के बाग में शैतान ने कैसे ज़ाहिर किया कि वह शुद्ध उपासना का दुश्मन है?
12 शैतान के तीसरे प्रलोभन से साफ पता चलता है कि उसी ने सबसे पहले शुद्ध उपासना का विरोध किया था। वह हरगिज़ नहीं चाहता कि यहोवा की उपासना की जाए। यह बात उसने हज़ारों साल पहले अदन के बाग में ही ज़ाहिर कर दी थी। उसने यहोवा की आज्ञा तोड़ने के लिए हव्वा को बहकाया। फिर हव्वा की बातों में आकर आदम ने भी यहोवा की आज्ञा तोड़ दी। इस तरह शैतान ने उन्हें अपने कब्ज़े में कर लिया। (उत्पत्ति 3:1-5 पढ़िए; 2 कुरिं. 11:3; प्रका. 12:9) आदम और हव्वा नहीं जानते थे कि कौन उन्हें बहका रहा है। शैतान उन्हें गुमराह करके उनका ईश्वर बन बैठा और वे उसके उपासक बन गए। उसने अदन के बाग में बगावत शुरू करके न सिर्फ यहोवा के राज करने के अधिकार पर सवाल उठाया बल्कि शुद्ध उपासना को मिटाने की मुहिम भी छेड़ दी। यह हम कैसे कह सकते हैं?
13. राज करने के अधिकार के मसले के साथ शुद्ध उपासना का मसला कैसे जुड़ा है?
13 राज करने का अधिकार किसे है, इस मसले के साथ उपासना का मसला भी जुड़ा है यानी यह कि किसकी उपासना की जानी चाहिए। पूरे जहान का असली मालिक ही उपासना का हकदार है, क्योंकि उसने “सारी चीज़ें रची हैं।” (प्रका. 4:11) जब यहोवा ने परिपूर्ण इंसान आदम और हव्वा को बनाया और उन्हें रहने के लिए अदन का बाग दिया, तो वह चाहता था कि एक दिन पूरी धरती परिपूर्ण इंसानों से भर जाए और वे खुशी से उसकी उपासना करें। (उत्प. 1:28) यहोवा चाहता था कि सभी इंसान शुद्ध मन से उसकी उपासना करें। लेकिन शैतान चाहता था कि उसकी उपासना की जाए जबकि पूरे जहान का मालिक यहोवा ही उपासना पाने का हकदार है। यही वजह है कि उसने यहोवा के राज करने के अधिकार पर सवाल खड़ा किया।—याकू. 1:14, 15.
14. क्या शैतान शुद्ध उपासना को मिटाने में कामयाब हुआ है? समझाइए।
14 क्या शैतान शुद्ध उपासना को मिटाने में कामयाब हुआ है? यह सच है कि वह आदम और हव्वा को परमेश्वर से दूर ले जाने में कामयाब हो गया। तब से वह सच्ची उपासना को मिटाने और ज़्यादा-से-ज़्यादा लोगों को यहोवा से दूर करने की कोशिश करता रहा है। उसने मसीहियों के ज़माने से पहले सच्चे उपासकों को फुसलाकर अपनी तरफ करने की कोशिश की। फिर जब मसीहियों का दौर आया, तो उसने मसीही मंडली में सच्ची उपासना के खिलाफ बगावत शुरू करवा दी। सच्चा मसीही धर्म इतना दूषित हो गया कि शुद्ध उपासना करीब-करीब बंद हो गयी। (मत्ती 13:24-30, 36-43; प्रेषि. 20:29, 30) फिर दूसरी सदी से सच्चे उपासक महानगरी बैबिलोन की बँधुआई में जाने लगे जो कि झूठे धर्मों का साम्राज्य है। वे सदियों तक उसके कब्ज़े में रहे। लेकिन इतना कुछ करने पर भी शैतान शुद्ध उपासना को मिटाने में कामयाब नहीं हुआ। वह यहोवा के इस मकसद को पूरा होने से नहीं रोक सकता कि पूरी धरती पर उसकी उपासना की जाए। कोई भी बात यहोवा को अपना मकसद पूरा करने से नहीं रोक सकती। (यशा. 46:10; 55:8-11) आखिर यह उसके नाम का सवाल है। वह अपने नाम पर हमेशा खरा उतरता है यानी अपना मकसद हर हाल में पूरा करता है।
शुद्ध उपासना का हिमायती
15. (क) यहोवा ने बागियों के साथ क्या किया? (ख) यहोवा ने कैसे बताया कि उसका मकसद ज़रूर पूरा होगा?
15 अदन के बाग में उठे मसले को सुलझाने के लिए यहोवा ने तुरंत कदम उठाया ताकि उसका मकसद पूरा हो। (उत्पत्ति 3:14-19 पढ़िए।) जब आदम और हव्वा अदन में ही थे, तो यहोवा ने तीनों बागियों को सज़ा सुनायी। जिसने पहले पाप किया, उसे पहले सज़ा सुनायी। सबसे पहले उसने बगावत भड़कानेवाले शैतान को सज़ा सुनायी, फिर हव्वा को और आखिर में आदम को। यहोवा ने शैतान को सज़ा सुनाते वक्त बताया कि एक “वंश” पैदा होगा जो उस बगावत के बुरे अंजामों को मिटा देगा। वह “वंश” शुद्ध उपासना के बारे में यहोवा का मकसद पूरा करने में एक अहम भूमिका अदा करेगा।
16. यहोवा ने अपना मकसद पूरा करने के लिए क्या-क्या किया?
16 अदन में हुई बगावत के बाद यहोवा अपने मकसद को पूरा करने के लिए एक-एक करके कदम उठाता रहा। उसने अपरिपूर्ण इंसानों के लिए कुछ इंतज़ाम किए ताकि वे उसके बताए तरीके से उसकी उपासना कर सकें। इस बारे में हम अगले अध्याय में देखेंगे। (इब्रा. 11:4–12:1) इतना ही नहीं, यहोवा ने यशायाह, यिर्मयाह और यहेजकेल जैसे लोगों के ज़रिए शुद्ध उपासना की बहाली के बारे में कई रोमांचक भविष्यवाणियाँ भी लिखवायीं। इन भविष्यवाणियों में बताया गया कि शुद्ध उपासना ठीक उसी तरह होगी जैसे यहोवा चाहता था। शुद्ध उपासना की बहाली बाइबल का एक अहम विषय है। इन सारी भविष्यवाणियों को वह “वंश” पूरा करता जिसका खास भाग यीशु मसीह है। (गला. 3:16) यीशु शुद्ध उपासना का हिमायती है, जैसा कि उसने शैतान के तीसरे प्रलोभन को ठुकराते समय साबित किया था। जी हाँ, शुद्ध उपासना की बहाली की भविष्यवाणियाँ पूरी करने के लिए यहोवा ने यीशु को चुना। (प्रका. 19:10) यीशु परमेश्वर के लोगों को झूठे धर्मों की बँधुआई से छुड़ाता और शुद्ध उपासना बहाल करने में एक अहम भूमिका निभाता।
आप क्या करेंगे?
17. हमें बहाली की भविष्यवाणियों में क्यों खास रुचि है?
17 बहाली की भविष्यवाणियों को जाँचने से हमें बड़ी रोमांचक जानकारी मिलेगी और हमारा विश्वास मज़बूत होगा। इन भविष्यवाणियों में हमें खास रुचि है, क्योंकि हम उस समय का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं जब स्वर्ग और धरती की सारी सृष्टि मिलकर सारे जहान के मालिक यहोवा की उपासना करेगी। इन भविष्यवाणियों से हमें एक बेहतरीन आशा भी मिलती है, क्योंकि इनमें हमें यकीन दिलाया गया है कि आगे चलकर हालात अच्छे हो जाएँगे। यहोवा के सभी वादे पूरे होंगे। जैसे, हमारे जो अपने मर चुके हैं वे ज़िंदा होंगे, धरती फिरदौस बन जाएगी और हम बढ़िया सेहत का लुत्फ उठाते हुए हमेशा के लिए जीएँगे। वाकई, कौन ऐसे दिन देखने के लिए नहीं तरसता!—यशा. 33:24; 35:5, 6; प्रका. 20:12, 13; 21:3, 4.
18. हम इस किताब में क्या अध्ययन करेंगे?
18 इस किताब में हम यहेजकेल की रोमांचक भविष्यवाणियों को जाँचेंगे। उसकी कई भविष्यवाणियाँ शुद्ध उपासना की बहाली के बारे में हैं। हम यह भी देखेंगे कि उसकी भविष्यवाणियों का बाइबल की दूसरी भविष्यवाणियों से क्या नाता है, यीशु उन्हें कैसे पूरा करेगा और इसमें हमारी क्या भूमिका है।—यह बक्स देखें: “यहेजकेल किताब की एक झलक।”
19. आपने क्या करने की ठानी है? और क्यों?
19 सदियों पहले शैतान यीशु को शुद्ध उपासना से दूर करने में नाकाम हो गया। आज वह हमें शुद्ध उपासना से दूर करने के लिए एड़ी-चोटी का ज़ोर लगा रहा है। (प्रका. 12:12, 17) क्या हम यीशु की तरह शैतान का विरोध कर पाएँगे? हम उम्मीद करते हैं कि इस किताब से हम सबको बहुत हिम्मत मिलेगी। आज हमें अपनी बातों और कामों से साबित करना है कि हम “सिर्फ अपने परमेश्वर यहोवा की उपासना” करते हैं। तब हम वह दिन देख पाएँगे जब यहोवा का मकसद पूरा होगा, यानी स्वर्ग और धरती पर हर कोई शुद्ध मन से शुद्ध उपासना करेगा। सिर्फ यहोवा की उपासना की जाएगी जिसका वह सचमुच हकदार है!
a कुछ लोगों का मानना है कि यहोवा नाम का मतलब है, “वह बनने का कारण होता है।” यह परिभाषा यहोवा पर बिलकुल सही बैठती है क्योंकि वह सृष्टिकर्ता भी है और अपने मकसद को पूरा करनेवाला भी है।
b बाइबल पर टिप्पणी देनेवाली एक किताब कहती है, ‘शैतान ने जब आदम और हव्वा को लुभाया, तो उन्हें यह फैसला करना था कि वे शैतान की मरज़ी पूरी करेंगे या परमेश्वर की। तो असल मुद्दा यह था कि वे परमेश्वर की उपासना करेंगे या शैतान की। यीशु के वाकए में भी असल मुद्दा उपासना को लेकर था। वाकई शैतान एकमात्र सच्चे परमेश्वर की जगह खुद परमेश्वर बनना चाहता है।’
c लूका की किताब में इन प्रलोभनों का ज़िक्र जिस क्रम में लिखा है, वह मत्ती की किताब में दिए क्रम से अलग है। मगर ऐसा मालूम होता है कि मत्ती ने जिस क्रम में लिखा, शायद उसी क्रम में शैतान ने यीशु को फुसलाया। इसकी तीन वजहों पर गौर कीजिए: (1) मत्ती ने दूसरे प्रलोभन का ज़िक्र करते वक्त यह कहकर अपनी बात शुरू की, “इसके बाद।” इससे पता चलता है कि यह प्रलोभन पहले प्रलोभन के बाद दिया गया था। (2) शैतान ने जिन दो प्रलोभनों की शुरूआत में कहा, “अगर तू परमेश्वर का एक बेटा है,” वे उसने पहले दिए होंगे। यह हम इसलिए कह सकते हैं क्योंकि शैतान ने पहले इन दो तरीकों से चालाकी से यीशु को फुसलाने की कोशिश की होगी और नाकाम होने पर उसने सीधे-सीधे उसे दस आज्ञाओं में से पहली आज्ञा तोड़ने के लिए कहा होगा। (निर्ग. 20:2, 3) (3) यीशु ने जिस प्रलोभन के वक्त शैतान से कहा, “दूर हो जा शैतान!” वह ज़रूर तीसरा और आखिरी प्रलोभन रहा होगा।—मत्ती 4:5, 10, 11.