अध्ययन लेख 10
गीत 13 मसीह, हमारा आदर्श
बपतिस्मे के बाद भी यीशु के ‘पीछे चलते रहिए’
“अगर कोई मेरे पीछे आना चाहता है, तो वह खुद से इनकार करे और हर दिन अपना यातना का काठ उठाए और मेरे पीछे चलता रहे।”—लूका 9:23.
क्या सीखेंगे?
इस लेख में बताया गया है कि हम सब कैसे अपने समर्पण के मुताबिक जी सकते हैं। इस लेख से खासकर उन लोगों को मदद मिलेगी जिन्होंने हाल ही में बपतिस्मा लिया है, ताकि वे यहोवा के वफादार बने रहें।
1-2. बपतिस्मे के बाद हमें कौन-सी आशीषें मिलती हैं?
जब हम बपतिस्मा लेते हैं और यहोवा के परिवार का हिस्सा बनते हैं, तो हमें बहुत खुशी होती है। हम वैसा ही महसूस करते हैं जैसे दाविद ने किया था। उसने एक भजन में लिखा, “सुखी है वह जिसे [यहोवा] चुनता और अपने पास लाता है कि वह तेरे आँगनों में निवास करे।”—भज. 65:4.
2 यहोवा किन लोगों को अपने आँगनों में बुलाता है या अपने परिवार का हिस्सा बनाता है? जैसा हमने पिछले लेख में देखा, वह उन्हें अपनी तरफ खींचता है जो सच में उसके करीब आना चाहते हैं। (याकू. 4:8) जब आप अपना जीवन यहोवा को समर्पित करते हैं और बपतिस्मा लेते हैं, तो आप उसके साथ एक खास रिश्ते में बँध जाते हैं। आप यकीन रख सकते हैं कि इसके बाद वह ‘आप पर आशीषों की बौछार करेगा, इतनी कि आपको कोई कमी नहीं होगी।’—मला. 3:10; यिर्म. 17:7, 8.
3. बपतिस्मे के बाद एक मसीही को क्या करना होगा? (सभोपदेशक 5:4, 5)
3 बपतिस्मा तो बस एक शुरूआत है। इसके बाद आपको क्या करना होगा? आपको अपने समर्पण के मुताबिक जीने की पूरी कोशिश करनी होगी, तब भी जब आपको लुभाया जाएगा या आप पर मुश्किलें आएँगी। (सभोपदेशक 5:4, 5 पढ़िए।) अब आप यीशु के चेले हैं, इसलिए आपकी कोशिश होनी चाहिए कि आप उसके जैसे बनें और उसकी आज्ञाएँ मानें। (मत्ती 28:19, 20; 1 पत. 2:21) इस लेख में आप जानेंगे कि आप यह कैसे कर सकते हैं।
मुश्किलें और परीक्षाएँ आने पर भी यीशु के ‘पीछे चलते रहिए’
4. जब यीशु ने कहा कि उसके चेलों को “यातना का काठ” उठाकर चलना होगा, तो उसका क्या मतलब था? (लूका 9:23)
4 बपतिस्मा लेने का यह मतलब नहीं कि आपकी ज़िंदगी में मुश्किलें नहीं आएँगी। यीशु ने बताया था कि उसके चेलों को “यातना का काठ” उठाकर चलना होगा। उसने तो यह भी कहा था कि उन्हें “हर दिन” ऐसा करना होगा। (लूका 9:23 पढ़िए।) क्या यीशु यह कह रहा था कि उसके चेलों को हमेशा तकलीफें सहनी पड़ेंगी? जी नहीं, वह बस यह समझाने की कोशिश कर रहा था कि उन्हें आशीषें तो मिलेंगी, पर साथ ही उन्हें मुश्किलों का भी सामना करना पड़ेगा। और उनमें से कुछ मुश्किलों का सामना करना आसान नहीं होगा।—2 तीमु. 3:12.
5. यीशु के पीछे चलने के लिए जो लोग त्याग करते हैं, उन्हें कौन-सी आशीषें मिलेंगी?
5 हो सकता है, आपके परिवारवालों ने आपका विरोध किया हो या फिर परमेश्वर की सेवा को पहली जगह देने के लिए आपने ज़्यादा पैसा कमाने का मौका छोड़ा हो। (मत्ती 6:33) अगर ऐसा है, तो आप यकीन रख सकते हैं कि आपने जो भी त्याग किए हैं, यहोवा उन्हें कभी नहीं भूलेगा। (इब्रा. 6:10) इसके अलावा ये त्याग करके आपने यीशु की इस बात को सच होते देखा होगा: “ऐसा कोई नहीं जिसने मेरी और खुशखबरी की खातिर घर या भाइयों या बहनों या पिता या माँ या बच्चों या खेतों को छोड़ा हो और इस ज़माने में घरों, भाइयों, बहनों, माँओं, बच्चों और खेतों का 100 गुना न पाए पर ज़ुल्मों के साथ और आनेवाले ज़माने में हमेशा की ज़िंदगी न पाए।” (मर. 10:29, 30) सच में, आपने महसूस किया होगा कि आपने जितने भी त्याग किए हैं, उनसे कहीं बढ़कर आपको आशीषें मिली हैं।—भज. 37:4.
6. बपतिस्मे के बाद भी हमें क्यों अपने ‘शरीर की ख्वाहिशों’ से लड़ना होगा?
6 बपतिस्मा लेने से हम परिपूर्ण नहीं हो जाते। इसके बाद भी हमें ‘शरीर की ख्वाहिशों’ से लड़ना पड़ सकता है। (1 यूह. 2:16) ऐसे में शायद हम कभी-कभी पौलुस की तरह महसूस करें। उसने कहा था, “मेरे अंदर का इंसान वाकई परमेश्वर के कानून से खुशी पाता है मगर मैं अपने शरीर में दूसरे कानून को काम करता हुआ पाता हूँ, जो मेरे सोच-विचार पर राज करनेवाले कानून से लड़ता है और मुझे पाप के उस कानून का गुलाम बना लेता है जो मेरे शरीर में है।” (रोमि. 7:22, 23) पौलुस की तरह हमारे लिए भी अपनी इच्छाओं से लड़ना मुश्किल हो सकता है और कभी-कभी हम निराश हो सकते हैं। लेकिन अगर हम अपने समर्पण के वादे को याद रखें, तो चाहे जो भी परीक्षा आए, हम उसका सामना कर पाएँगे। असल में इस वादे को याद रखने से लुभाए जाने पर सही फैसला करना हमारे लिए आसान हो जाएगा। वह कैसे?
7. अपने समर्पण को याद रखने से आप कैसे यहोवा के वफादार रह पाएँगे?
7 जब आप यहोवा को अपना जीवन समर्पित करते हैं तो आप खुद से इनकार करते हैं, यानी आप अपनी उन इच्छाओं और अरमानों को त्याग देते हैं जो यहोवा की मरज़ी के खिलाफ हैं। (मत्ती 16:24) इसलिए जब कभी आपको लुभाया जाता है या आपके सामने कोई मुश्किल आती है, तो आपको यह नहीं सोचना पड़ता कि आप क्या करेंगे और क्या नहीं। क्योंकि आपने पहले से सोच रखा है कि चाहे जो हो जाए, आप यहोवा के वफादार रहेंगे। आप वही करेंगे जिससे वह खुश हो। ऐसा करके आप अय्यूब जैसा जज़्बा दिखा रहे होंगे। उसने बहुत बड़ी-बड़ी मुश्किलों का सामना किया था, फिर भी उसने कहा, “मैं मरते दम तक निर्दोष बना रहूँगा।”—अय्यू. 27:5.
8. समर्पण की अपनी प्रार्थना को याद करने से आप कैसे लुभाए जाने पर भी वफादार बने रहेंगे?
8 अगर आप उस प्रार्थना को याद करें जो आपने यहोवा को समर्पण करते वक्त की थी, तो आप लुभाए जाने पर भी वफादार रह पाएँगे। जैसे, आप किसी शादीशुदा व्यक्ति से इश्कबाज़ी करने की सोचेंगे भी नहीं, क्योंकि आपने पहले ही यहोवा से वादा किया है कि आप हर हाल में यहोवा के वफादार रहेंगे। ऐसा करने से ना तो गलत इच्छाएँ आपके दिल में जड़ पकड़ेंगी और ना ही बाद में आपका दिल आपको कचोटेगा। इस तरह आप “दुष्टों की राह” पर जाने से “मुँह फेर” लेंगे।—नीति. 4:14, 15.
9. समर्पण की अपनी प्रार्थना को याद करने से आप कैसे यहोवा को ज़िंदगी में पहली जगह दे पाएँगे?
9 अब मान लीजिए, आपको एक ऐसी नौकरी मिल रही है जो अच्छी तो है, पर आप लगातार सभाओं में नहीं जा पाएँगे। ऐसे में आपको ज़्यादा सोचना नहीं पड़ेगा, आप तुरंत उस नौकरी को लेने से इनकार कर देंगे। वह इसलिए कि आपने पहले से सोच रखा है कि आप किसी भी बात को यहोवा की उपासना के आड़े नहीं आने देंगे। आप यह नहीं सोचेंगे, ‘मैं यह नौकरी ले लेता हूँ और सभाओं में तो कैसे भी आ ही जाऊँगा।’ इसके बजाय आप यीशु की मिसाल याद रखेंगे, जो हर हाल में अपने पिता को खुश करना चाहता था। आप ऐसा कुछ भी करने से फौरन इनकार कर देंगे जिससे यहोवा की मरज़ी पूरी करना आपके लिए मुश्किल हो जाए।—मत्ती 4:10; यूह. 8:29.
10. बपतिस्मे के बाद भी यीशु के ‘पीछे चलते रहने’ में यहोवा कैसे आपकी मदद करेगा?
10 जब आपको लुभाया जाता है या आप पर कोई मुश्किल आती है, तो आपको यह दिखाने का मौका मिलता है कि आप हर हाल में यीशु के ‘पीछे चलना’ चाहते हैं। और आप यकीन रख सकते हैं कि ऐसा करने में यहोवा आपकी मदद करेगा। बाइबल में लिखा है, “परमेश्वर विश्वासयोग्य है और वह तुम्हें ऐसी किसी भी परीक्षा में नहीं पड़ने देगा जो तुम्हारी बरदाश्त के बाहर हो, मगर परीक्षा के साथ-साथ वह उससे निकलने का रास्ता भी निकालेगा ताकि तुम इसे सह सको।”—1 कुरिं. 10:13.
यीशु के पीछे चलते रहिए—कैसे?
11. यीशु के पीछे चलते रहने का एक तरीका क्या है? (तसवीर भी देखें।)
11 यीशु पूरे जोश के साथ यहोवा की सेवा करता था और उससे लगातार प्रार्थना करता था। (लूका 6:12) इस वजह से वह उसके करीब रह पाया। बपतिस्मे के बाद भी आप कैसे यीशु के पीछे चलते रह सकते हैं? इसका एक तरीका है, उन कामों में लगे रहिए जिनसे आप यहोवा के करीब बने रहें। बाइबल में हमसे कहा गया है, “हमने जिस हद तक तरक्की की है, आओ हम इसी राह पर कायदे से चलते रहें।” (फिलि. 3:16) आज बहुत-से भाई-बहन अपनी सेवा बढ़ाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। जैसे, कुछ राज प्रचारकों के लिए स्कूल में जाते हैं, तो कुछ उन जगहों में जाकर सेवा करते हैं जहाँ प्रचारकों की ज़्यादा ज़रूरत है। अगर आप भी ऐसे लक्ष्य रख सकते हैं, तो ज़रूर रखिए। यहोवा के लोगों की यही कोशिश रहती है कि वे बढ़-चढ़कर उसकी सेवा करें। (प्रेषि. 16:9) लेकिन अगर आप फिलहाल ऐसा नहीं कर सकते, तो निराश मत होइए। यह मत सोचिए कि आप तो उन भाई-बहनों के मुकाबले कुछ भी नहीं कर रहे। ज़रूरी बात यह है कि आप मसीही दौड़ में धीरज से दौड़ते रहें। (मत्ती 10:22) आप अपनी काबिलीयतों और हालात के हिसाब से जो भी कर रहे हैं, उसे कम मत आँकिए। यहोवा आपकी सेवा को बहुत अनमोल समझता है। इस तरह तन-मन से सेवा करके आप बपतिस्मे के बाद भी यीशु के पीछे चलते रह पाएँगे।—भज. 26:1.
12-13. अगर आपका जोश कम होने लगा है, तो आप क्या कर सकते हैं? (1 कुरिंथियों 9:16, 17) (“दौड़ते रहिए” नाम का बक्स भी देखें।)
12 क्या कुछ समय से आपको ऐसा लगने लगा है कि आप हमेशा एक-जैसी ही प्रार्थनाएँ करते हैं, प्रचार में आपको उतना मज़ा नहीं आ रहा है और बाइबल पढ़ना आपको बोरिंग लगने लगा है? अगर ऐसी बात है, तो यह मत सोचिए कि यहोवा आपसे खुश नहीं है। हम अपरिपूर्ण इंसानों की भावनाएँ बदलती रहती हैं और हमारा जोश हमेशा एक-जैसा नहीं रहता। अगर आपके साथ ऐसा हो रहा है, तो आप ऐसे अकेले व्यक्ति नहीं हैं। प्रेषित पौलुस के साथ भी ऐसा हुआ था। वह यीशु के पीछे चलने की पूरी कोशिश करता था, लेकिन कभी-कभी सेवा करने का उसका भी मन नहीं करता था। (1 कुरिंथियों 9:16, 17 पढ़िए।) उसने कहा, “अगर मैं यह काम न चाहते हुए करता हूँ, तो भी मैं प्रबंधक का काम ही कर रहा हूँ जो मुझे प्रभु ने सौंपा है।” उसकी बातों से पता चलता है कि उसने ठान लिया था कि भले ही उसका मन ना करे, तो भी वह यहोवा की सेवा में लगा रहेगा।
13 पौलुस से हम क्या सीखते हैं? भावनाओं में बहकर फैसले मत कीजिए। जब आपका मन ना करे, तब भी सही काम करते रहिए। ऐसा करने से धीरे-धीरे सही काम करना आपको अच्छा लगने लगेगा। तो लगातार बाइबल का अध्ययन कीजिए, प्रार्थना कीजिए, सभाओं में जाइए और प्रचार करते रहिए। इन कामों में लगे रहने से आप बपतिस्मे के बाद भी यीशु के पीछे चलते रहेंगे। जब मंडली के भाई-बहन देखेंगे कि आप किस तरह सेवा में लगे हुए हैं, तो उनका भी हौसला बढ़ेगा।—1 थिस्स. 5:11.
“खुद को जाँचते रहो . . . सबूत देते रहो”
14. समय-समय पर आपको किस बारे में सोचना चाहिए और क्यों? (2 कुरिंथियों 13:5)
14 बपतिस्मे के बाद खुद की जाँच करते रहना भी ज़रूरी है। इसलिए समय-समय पर सोचिए कि आप कैसी ज़िंदगी जी रहे हैं और आपकी आदतें कैसी हैं। (2 कुरिंथियों 13:5 पढ़िए।) सोचिए, ‘क्या मैं रोज़ प्रार्थना कर रहा हूँ, बाइबल पढ़ रहा हूँ और उसका अध्ययन कर रहा हूँ? क्या मैं लगातार प्रचार और सभाओं में जा रहा हूँ?’ फिर सोचिए कि आप कैसे इन कामों को और भी अच्छी तरह से कर सकते हैं। जैसे, आप खुद से ये सवाल कर सकते हैं, ‘क्या मैं बाइबल की शिक्षाएँ दूसरों को अच्छी तरह समझा सकता हूँ? मैं प्रचार काम को और मज़ेदार कैसे बना सकता हूँ? क्या मैं प्रार्थना में यहोवा को साफ-साफ बताता हूँ कि मेरे मन में क्या चल रहा है? क्या मेरी प्रार्थनाओं से पता चलता है कि मुझे यहोवा पर पूरा भरोसा है? क्या मैं हर सभा में जाता हूँ? मैं सभाओं में कैसे और ध्यान दे सकता हूँ और उनमें अच्छी तरह हिस्सा ले सकता हूँ?’
15-16. आपने भाई रॉबर्ट के अनुभव से क्या सीखा?
15 अपनी कमज़ोरियों को पहचानना भी बहुत ज़रूरी है। क्यों? भाई रॉबर्ट के उदाहरण पर ध्यान दीजिए। वे बताते हैं, “जब मैं करीब 20 साल का था, तो मैं पार्ट टाइम नौकरी करता था। एक दिन काम के बाद ऑफिस की एक लड़की ने मुझे अपने घर बुलाया। उसने कहा कि वह घर पर अकेली होगी और ‘हम खूब मज़े करेंगे।’ पहले तो मैं यूँ ही कुछ बहाने बनाने लगा। लेकिन फिर मैंने उसे साफ मना कर दिया और बताया कि मैं क्यों नहीं आ सकता।” यह अच्छी बात है कि भाई रॉबर्ट उस लड़की की बातों में नहीं आए। लेकिन बाद में जब वे इस बारे में सोच रहे थे, तो उन्हें लगा कि वे हालात का और अच्छी तरह सामना कर सकते थे। वे कहते हैं, “यूसुफ ने तो पोतीफर की पत्नी को तुरंत मना कर दिया था, पर मैं ऐसा नहीं कर पाया। (उत्प. 39:7-9) मुझे यह सोचकर हैरानी हुई कि मुझे ना कहना इतना मुश्किल क्यों लग रहा था। इससे मैंने एक बात सीखी कि मुझे यहोवा के साथ अपना रिश्ता मज़बूत करना है।”
16 क्यों ना भाई रॉबर्ट की तरह आप भी खुद की जाँच करें? इससे आपको बहुत फायदा हो सकता है। अगर लुभाए जाने पर आपने हालात का अच्छी तरह सामना किया था, तब भी खुद से पूछिए, ‘आपको ना कहने में कितनी देर लगी?’ अगर आपको लगता है कि आपको इसमें सुधार करने की ज़रूरत है, तो खुद को कोसिए मत, बल्कि खुश होइए कि अब आपको अपनी कमज़ोरी पता है। इस बारे में यहोवा से प्रार्थना कीजिए। फिर ऐसे कदम उठाइए जिससे यहोवा के स्तरों के मुताबिक जीने का आपका इरादा मज़बूत हो।—भज. 139:23, 24.
17. भाई रॉबर्ट ने कैसे यहोवा के नाम की महिमा की?
17 भाई रॉबर्ट का अनुभव यही खत्म नहीं हुआ। वे बताते हैं, “जब मैंने उस लड़की को मना कर दिया, तो उसने कहा, ‘तुम टेस्ट में पास हो गए!’ मैंने उससे पूछा, ‘तुम्हारा क्या मतलब है?’ उसने बताया कि उसका एक दोस्त है जो पहले यहोवा का साक्षी था। उस दोस्त ने उससे कहा था कि सारे नौजवान साक्षी एक-जैसे ही होते हैं, वे दिखाते कुछ और हैं, करते कुछ और। और अगर उन्हें मौका मिले, तो वे गलत काम करने से पीछे नहीं हटते। तब उस लड़की ने अपने दोस्त से कहा, ‘चलो देखती हूँ कि रॉबर्ट भी ऐसा है या नहीं।’” भाई बताते हैं, “जैसे ही मैंने यह सुना, तो मुझे बहुत खुशी हुई कि मैंने यहोवा के नाम पर कलंक नहीं लगने दिया।”
18. बपतिस्मे के बाद भी आप क्या करते रहेंगे? (“ये दो लेख पढ़ें, मसीही दौड़ में आगे बढ़ें!” नाम का बक्स भी देखें।)
18 जब आप अपना जीवन यहोवा को समर्पित करते हैं और बपतिस्मा लेते हैं, तो आप दिखाते हैं कि आप हर हाल में यहोवा के नाम को पवित्र करना चाहते हैं। मुश्किलें आने पर और लुभाए जाने पर जब आप वफादार रहने की पूरी कोशिश करते हैं, तो यहोवा यह सब देखता है और वह आपकी कोशिशों पर आशीष देता है। यही नहीं, वह आपको अपनी पवित्र शक्ति भी देता है ताकि आप उसके वफादार रह सकें। (लूका 11:11-13) जी हाँ, यहोवा की मदद से आप बपतिस्मे के बाद भी यीशु के पीछे चलते रह सकते हैं!
आपका जवाब क्या होगा?
हम मसीही किस तरह ‘हर दिन अपना यातना का काठ उठाते हैं’?
बपतिस्मे के बाद भी यीशु के ‘पीछे चलते रहने’ के लिए हम क्या कर सकते हैं?
समर्पण के अपने वादे के बारे में सोचने से आप कैसे वफादार रह सकते हैं?
गीत 89 सुन के अमल करें