पारिवारिक जीवन में ईश्वरीय शांति का पीछा कीजिए
“हे देश देश के कुलो, यहोवा का गुणानुवाद करो, यहोवा की महिमा और सामर्थ्य को मानो।”—भजन ९६:७.
१. यहोवा ने पारिवारिक जीवन को किस प्रकार की शुरूआत दी?
यहोवा ने पारिवारिक जीवन को एक शांतिपूर्ण और सुखद शुरूआत दी जब उसने पहले पुरुष और पहली स्त्री को विवाह बंधन में बाँधा। वास्तव में, आदम इतना ख़ुश हुआ था कि उसने सबसे पहली लिखित कविता में अपने आनंद का इज़हार किया: “अब यह मेरी हड्डियों में की हड्डी और मेरे मांस में का मांस है: सो इसका नाम नारी होगा, क्योंकि यह नर में से निकाली गई है।”—उत्पत्ति २:२३.
२. अपने मानवी बच्चों को सुख देने के अलावा परमेश्वर के मन में विवाह के बारे में और क्या था?
२ जब परमेश्वर ने विवाह और पारिवारिक प्रबंध की स्थापना की, तो उसके मन में अपने मानवी बच्चों को सुख देने से ज़्यादा और भी कुछ था। वह चाहता था कि वे उसकी इच्छा पूरी करें। परमेश्वर ने पहले जोड़े को बताया: “फूलो-फलो, और पृथ्वी में भर जाओ, और उसको अपने वश में कर लो; और समुद्र की मछलियों, तथा आकाश के पक्षियों, और पृथ्वी पर रेंगनेवाले सब जन्तुओं पर अधिकार रखो।” (उत्पत्ति १:२८) वाक़ई एक प्रतिफलदायक नियुक्ति। आदम, हव्वा, और उनके भावी बच्चे कितने ही सुखी रहे होते यदि उस पहले विवाहित जोड़े ने आज्ञाकारिता के साथ यहोवा की इच्छा पूरी की होती!
३. परिवारों को ईश्वरीय भक्ति के साथ जीने के लिए किस बात की ज़रूरत है?
३ लेकिन, आज भी परिवार तब सबसे ज़्यादा सुखी रहते हैं जब वे परमेश्वर की इच्छा पूरी करने के लिए एक-साथ मिलकर कार्य करते हैं। और ऐसे आज्ञाकारी परिवारों के पास क्या ही शानदार प्रत्याशाएँ हैं! प्रेरित पौलुस ने लिखा: “भक्ति सब बातों के लिये लाभदायक है, क्योंकि इस समय के और आनेवाले जीवन की भी प्रतिज्ञा इसी के लिये है।” (१ तीमुथियुस ४:८) सच्ची ईश्वरीय भक्ति के साथ जीनेवाले परिवार यहोवा के वचन के सिद्धांतों पर चलते और उसकी इच्छा पूरी करते हैं। वे ईश्वरीय शांति का पीछा करते हैं और इस तरह “इस समय के . . . जीवन” में सुख पाते हैं।
पारिवारिक जीवन ख़तरे में
४, ५. यह क्यों कहा जा सकता है कि संसार-भर में पारिवारिक जीवन अब ख़तरे में है?
४ सच है, हम हर परिवार में शांति और सुख नहीं पाते। जनांकिकी संस्थान नामक जनसंख्या परिषद् द्वारा किए गए एक अध्ययन को उद्धृत करते हुए, द न्यू यॉर्क टाइम्स् कहता है: “अमीर और ग़रीब देशों में समान रूप से, पारिवारिक जीवन का ढाँचा गहरे परिवर्तनों से गुज़र रहा है।” इस अध्ययन की एक लेखिका को यह कहते हुए उद्धृत किया गया: “यह विचार कि परिवार एक ऐसी स्थायी और अटूट इकाई है जिसमें पिता आर्थिक प्रबंधक और माँ भावनात्मक देखरेख करनेवाली के रूप में काम करते हैं, झूठी बात है। सच्चाई यह है कि संसार-भर में अविवाहित मातृत्व, बढ़ती तलाक़ दरें, [और] छोटे परिवार जैसे चलन . . . हो रहे हैं।” ऐसे चलनों की वज़ह से लाखों परिवारों में स्थायित्व, शांति, और सुख की कमी है, और अनेक टूट रहे हैं। स्पेन में २०वीं शताब्दी के अंतिम दशक की शुरूआत में, तलाक़ दर ८ में से १ विवाह तक पहुँच गई—मात्र २५ वर्ष पहले १०० में से १ से एक लंबी छलाँग। इंग्लैंड ने यूरोप में सर्वोच्च तलाक़ दर की रिपोर्ट की है—१० में से ४ विवाह असफल होते हैं। इस देश में एक-जनक परिवारों की संख्या में वृद्धि हुई है।
५ ऐसा लगता है कि कुछ लोग तलाक़ लेने के लिए बहुत उतावले हैं। अनेक लोग जापान में टोक्यो के नज़दीक “रिश्ता तोड़ मंदिर” में इकट्ठा होते हैं। यह शिंटो मंदिर तलाक़ और अन्य अनचाहे रिश्तों को तोड़ने की याचिकाओं को स्वीकार करता है। हरेक उपासक लकड़ी की पतली तख़्ती पर अपनी याचिका लिखता है, उसे मंदिर के आहाते में लटकाता है, और जवाब के लिए प्रार्थना करता है। एक टोक्यो का अख़बार कहता है कि लगभग एक शताब्दी पहले जब यह मंदिर स्थापित किया गया था तो, “स्थानीय अमीर व्यापारियों की पत्नियों ने वहाँ प्रार्थनाएँ लिखी थीं कि उनके पति अपनी-अपनी प्रेमिकाओं को छोड़कर उनके पास वापस आ जाएँ।” लेकिन, आज, अधिकांश याचिकाएँ तलाक़ के लिए होती हैं, सुलह के लिए नहीं। निःसंदेह, संसार-भर में पारिवारिक जीवन ख़तरे में है। क्या इससे मसीहियों को ताज्जुब होना चाहिए? जी नहीं, क्योंकि बाइबल हमें वर्तमान पारिवारिक संकट के बारे में अंतर्दृष्टि देती है।
पारिवारिक संकट क्यों?
६. आजकल के पारिवारिक संकट में १ यूहन्ना ५:१९ का क्या प्रभाव है?
६ आज के पारिवारिक संकट का एक कारण है कि: “सारा संसार उस दुष्ट के वश में पड़ा है।” (१ यूहन्ना ५:१९) हम उस दुष्ट, शैतान अर्थात् इब्लीस से क्या उम्मीद रख सकते हैं? वह एक दुष्ट, अनैतिक झूठा है। (यूहन्ना ८:४४) कोई आश्चर्य नहीं कि शैतान का संसार कपट और अनैतिकता की दलदल में लोट लगा रहा है, जो पारिवारिक जीवन के लिए इतने विनाशकारी हैं! परमेश्वर के संगठन के बाहर, शैतानी प्रभाव यहोवा के वैवाहिक संस्थान को नष्ट करने और शांतिमय पारिवारिक जीवन को समाप्त करने का ख़तरा उत्पन्न करता है।
७. उन लक्षणों से परिवार कैसे प्रभावित हो सकते हैं जिन्हें अनेक लोग इन अंतिम दिनों में प्रदर्शित करते हैं?
७ पारिवारिक जीवन में समस्या का एक और कारण जिसने मानवजाति को आज पीड़ित किया है २ तीमुथियुस ३:१-५ में बताया गया है। यहाँ अभिलिखित पौलुस के भविष्यसूचक शब्द दिखाते हैं कि हम “अन्तिम दिनों” में जी रहे हैं। परिवार कभी शांतिमय और सुखी नहीं रह सकते यदि उसके सदस्य “अपस्वार्थी, लोभी, डींगमार, अभिमानी, निन्दक, माता-पिता की आज्ञा टालनेवाले, कृतघ्न, अपवित्र। मयारहित, क्षमारहित, दोष लगानेवाले, असंयमी, कठोर, भले के बैरी। विश्वासघाती, ढीठ, घमण्डी, और परमेश्वर के नहीं बरन सुखविलास ही के चाहनेवाले [हों]। वे भक्ति का भेष तो [धरनेवाले], पर उस की शक्ति को न [माननेवाले]” हों। एक परिवार पूरी तरह सुखी नहीं रह सकता यदि उसका एक भी सदस्य स्नेहरहित या अपवित्र है। पारिवारिक जीवन कितना शांतिमय हो सकता है यदि घर का कोई सदस्य कठोर या क्षमारहित है? इससे भी बदतर, शांति और सुख कैसे रह सकते हैं जब परिवार के सदस्य परमेश्वर के नहीं, बल्कि सुखविलास के चाहनेवाले हैं? ये शैतान द्वारा शासित संसार के लोगों के लक्षण हैं। इसमें कोई ताज्जुब नहीं कि इन अंतिम दिनों में पारिवारिक सुख दुर्लभ है!
८, ९. बच्चों के बर्ताव का पारिवारिक सुख पर क्या प्रभाव पड़ सकता है?
८ एक और कारण कि क्यों अनेक परिवारों में शांति और सुख की कमी है, वह है बच्चों का बुरा आचरण। जब पौलुस ने अंतिम दिनों की परिस्थितियों को पूर्वबताया था, तो उसने भविष्यवाणी की कि अनेक बच्चे माता-पिता की आज्ञा टालनेवाले होंगे। यदि आप एक युवा व्यक्ति हैं, तो क्या आपका बर्ताव आपके परिवार को शांतिमय और सुखी बनाने में मदद देता है?
९ कुछ बच्चों ने बर्ताव में अच्छा नमूना नहीं रखा है। उदाहरण के लिए, एक छोटे लड़के ने अपने पिता को यह अपमानजनक चिट्ठी लिखी: “यदि आप मुझे सिकंदरिया नहीं ले गए तो मैं आपको एक-भी चिट्ठी नहीं लिखूँगा, ना ही आपसे बात करूँगा, न अलविदा कहूँगा, और यदि आप अकेले सिकंदरिया जाओगे तो मैं कभी-भी आपका हाथ नहीं पकड़ूँगा, न ही कभी आपको नमस्ते करूँगा। यदि आप मुझे नहीं ले जाएँगे तो यही होगा . . . लेकिन मुझे एक [बीन] भेजना, मैं आपके हाथ जोड़ता हूँ। यदि आप नहीं भेजोगे, तो मैं न तो खाऊँगा और न पीऊँगा। देख लेना!” क्या यह आजकल की हालत नहीं लगती? ख़ैर, यह चिट्ठी एक लड़के ने अपने पिता को प्राचीन मिस्र में २,००० वर्षों से भी पहले लिखी थी।
१०. युवजन ईश्वरीय शांति का पीछा करने में अपने-अपने परिवार की मदद कैसे कर सकते हैं?
१० इस मिस्री बच्चे के रवैये ने पारिवारिक शांति को बढ़ावा नहीं दिया। दरअसल, इन अंतिम दिनों में परिवार के अंदर इससे भी ख़तरनाक बातें होती हैं। फिर भी, युवजन आप ईश्वरीय शांति का पीछा करने में अपने परिवार की मदद कर सकते हैं। कैसे? बाइबल की इस सलाह का पालन करने के द्वारा: “हे बालको, सब बातों में अपने अपने माता-पिता की आज्ञा का पालन करो, क्योंकि प्रभु इस से प्रसन्न होता है।”—कुलुस्सियों ३:२०.
११. यहोवा के वफ़ादार सेवक बनने में माता-पिता अपने बच्चों की कैसे मदद कर सकते हैं?
११ माता-पिता, आपके बारे में क्या? यहोवा के वफ़ादार सेवक बनने के लिए अपने बच्चों की प्रेमपूर्वक मदद कीजिए। “लड़के को शिक्षा उसी मार्ग की दे जिस में उसको चलना चाहिये,” नीतिवचन २२:६ कहता है। “और वह बुढ़ापे में भी उस से न हटेगा।” उत्तम शास्त्रीय शिक्षा और अच्छे जनकीय उदाहरणों के साथ, अनेक लड़के और लड़कियाँ उस उचित मार्ग से नहीं भटकते जब वे बड़े होते हैं। लेकिन काफ़ी कुछ बाइबल प्रशिक्षण की गुणवत्ता और मात्रा पर और बच्चे के हृदय पर निर्भर करता है।
१२. एक मसीही घर को शांतिमय क्यों होना चाहिए?
१२ यदि हमारे परिवार के सभी सदस्य यहोवा की इच्छा पूरी करने की कोशिश कर रहे हैं, तो हम ईश्वरीय शांति का आनंद अवश्य उठा रहे होंगे। एक मसीही घर को ‘शांति के योग्य जनों’ से भरा होना चाहिए। लूका १०:१-६ (NHT) दिखाता है कि यीशु के मन में ऐसे ही लोग थे जब उसने ७० चेलों को सेवकों के तौर पर भेजा था और उनसे कहा था: “जिस घर में भी प्रवेश करो, पहिले कहो, ‘इस घर में शान्ति बनी रहे।’ यदि वहाँ कोई शान्ति के योग्य हो, तो तुम्हारी शान्ति उस पर बनी रहेगी।” जब यहोवा के सेवक शांतिपूर्वक “शान्ति का सुसमाचार” लेकर घर-घर जाते हैं, तो वे शांति के योग्य जनों को खोजते हैं। (प्रेरितों १०:३४-३६; इफिसियों २:१३-१८) निश्चित रूप से, एक मसीही घराना जो शांति के योग्य जनों से बना हो, शांतिमय होना चाहिए।
१३, १४. (क) रूत और ओर्पा के लिए नाओमी की इच्छा क्या थी? (ख) एक मसीही घर को किस प्रकार का विश्राम-स्थान होना चाहिए?
१३ एक घर को शांति और विश्राम का एक स्थान होना चाहिए। बूढ़ी विधवा नाओमी ने आशा की थी कि परमेश्वर उसकी जवान, विधवा बहुँओं, रूत और ओर्पा को वह विश्राम और सांत्वना देगा जो एक अच्छे पति और घर के मिलने से प्राप्त होती है। नाओमी ने कहा: “यहोवा ऐसा करे कि तुम फिर पति करके उनके घरों में विश्राम पाओ।” (रूत १:९) नाओमी की इच्छा के बारे में, एक विद्वान ने लिखा कि ऐसे घरों में रूत और ओर्पा “बेचैनी और चिंता से मुक्ति पातीं। वे विश्राम पातीं। यह ऐसी जगह होती जहाँ वे रह सकती थीं, और जहाँ उनकी कोमलतम भावनाएँ और सबसे आदरणीय इच्छाएँ संतुष्टि और शांति पाती। इब्रानी की ख़ास सशक्त शैली . . . उत्तम रीति से [यशायाह ३२:१७, १८] में इससे मेल खाती अभिव्यक्तियों के भाव द्वारा दर्शाई गयी है।”
१४ कृपया यशायाह ३२:१७, १८ में दिए गए संदर्भ पर ग़ौर कीजिए। वहाँ हम पढ़ते हैं: “धर्म का फल शान्ति और उसका परिणाम सदा का चैन और निश्चिन्त रहना होगा। मेरे लोग शांति के स्थानों में निश्चिन्त रहेंगे, और विश्राम के स्थानों में सुख से रहेंगे।” एक मसीही घर को धार्मिकता, चैन, निश्चिंतता, और ईश्वरीय शांति का विश्राम-स्थान होना चाहिए। लेकिन तब क्या, जब परीक्षा, मतभेद, या अन्य समस्याएँ पैदा होती हैं? तब ख़ास तौर पर हमें पारिवारिक सुख का रहस्य जानने की ज़रूरत है।
चार अनिवार्य सिद्धांत
१५. आप पारिवारिक सुख के रहस्य को कैसे परिभाषित करेंगे?
१५ पृथ्वी पर हर घराने के नाम का श्रेय यहोवा परमेश्वर, अर्थात् परिवारों के सृष्टिकर्ता को जाता है। (इफिसियों ३:१४, १५) सो जो लोग पारिवारिक सुख की इच्छा रखते हैं उन्हें उसके मार्गदर्शन की खोज और उसकी स्तुति करनी चाहिए, जैसे भजनहार ने की: “हे देश देश के कुलो, यहोवा का गुणानुवाद करो, यहोवा की महिमा और सामर्थ्य को मानो।” (भजन ९६:७) पारिवारिक सुख का रहस्य परमेश्वर के वचन, बाइबल के पन्नों में और उसके सिद्धांतों के अनुप्रयोग में पाया जाता है। जो परिवार इन सिद्धांतों को लागू करता है सुखी रहेगा और ईश्वरीय शांति का आनंद लेगा। इसलिए आइए हम इन चार महत्त्वपूर्ण सिद्धांतों को देखें।
१६. पारिवारिक जीवन में संयम को क्या भूमिका निभानी चाहिए?
१६ इन सिद्धांतों में से एक इस बात पर केंद्रित होता है: पारिवारिक जीवन में ईश्वरीय शांति के लिए संयम अनिवार्य है। राजा सुलैमान ने कहा: “जिसकी आत्मा वश में नहीं वह ऐसे नगर के समान है जिसकी शहरपनाह नाका करके तोड़ दी गई हो।” (नीतिवचन २५:२८) अपनी आत्मा को क़ाबू में रखना—संयम दिखाना—अनिवार्य है यदि हम एक शांतिमय और सुखी परिवार चाहते हैं। हालाँकि हम अपरिपूर्ण हैं, हमें संयम दिखाने की ज़रूरत है, जो परमेश्वर की पवित्र आत्मा का एक फल है। (रोमियों ७:२१, २२; गलतियों ५:२२, २३) यह आत्मा हम में संयम पैदा करेगी यदि हम इस गुण के लिए प्रार्थना करते हैं, इसके बारे में बाइबल सलाह को लागू करते हैं, और उनके साथ संगति करें जो इसे प्रदर्शित करते हैं। यह मार्ग हमें ‘व्यभिचार से बचे रहने’ में मदद करेगा। (१ कुरिन्थियों ६:१८) संयम हमें हिंसा को ठुकराने, पियक्कड़पन से दूर रहने या उस पर विजय पाने, और कठिन परिस्थितियों का ठंडे दिमाग़ से सामना करने में मदद करेगा।
१७, १८. (क) मसीही पारिवारिक जीवन में १ कुरिन्थियों ११:३ कैसे लागू होता है? (ख) मुखियापन को पहचानना एक परिवार में ईश्वरीय शांति को कैसे बढ़ावा देता है?
१७ एक और अनिवार्य सिद्धांत को इस तरह कहा जा सकता है: मुखियापन को पहचानना अपने परिवार में हमें ईश्वरीय शांति का पीछा करने में मदद देगा। पौलुस ने लिखा: “मैं चाहता हूं, कि तुम यह जान लो, कि हर एक पुरुष का सिर मसीह है: और स्त्री का सिर पुरुष है: और मसीह का सिर परमेश्वर है।” (१ कुरिन्थियों ११:३) इसका अर्थ है कि पुरुष परिवार में अगुवाई करता है, उसकी पत्नी वफ़ादारी से उसका समर्थन करती है, और बच्चे आज्ञाकारी होते हैं। (इफिसियों ५:२२-२५, २८-३३; ६:१-४) ऐसा आचरण पारिवारिक जीवन में ईश्वरीय शांति को बढ़ावा देगा।
१८ एक मसीही पति को याद रखने की ज़रूरत है कि शास्त्रीय मुखियापन तानाशाही नहीं है। उसे अपने सिर, यीशु का अनुकरण करना ज़रूरी है। हालाँकि उसे “सब वस्तुओं पर शिरोमणि” होना था यीशु “इसलिये नहीं आया कि उस की सेवा टहल किई जाए, परन्तु इसलिये आया कि आप सेवा टहल करे।” (इफिसियों १:२२; मत्ती २०:२८) उसी तरह, एक मसीही पुरुष ऐसे प्रेममय तरीक़े से मुखियापन का इस्तेमाल करता है जो उसे अपने परिवार के हितों की अच्छी देखभाल करने में समर्थ करता है। और निश्चित रूप से एक मसीही पत्नी अपने पति को सहारा देना चाहती है। उसकी “सहायक” और “संपूरक” के तौर पर वह ऐसे गुण प्रदान करती है जो उसके पति के पास नहीं हैं और इस प्रकार वह ज़रूरी सहायता देती है। (उत्पत्ति २:२०, NW; नीतिवचन ३१:१०-३१) मुखियापन का सही इस्तेमाल पतियों और पत्नियों को एक दूसरे के साथ आदर से पेश आने और बच्चों को आज्ञाकारी होने में मदद करने के लिए प्रेरित करता है। जी हाँ, मुखियापन को पहचानना पारिवारिक जीवन में ईश्वरीय शांति को बढ़ावा देता है।
१९. पारिवारिक शांति और सुख के लिए अच्छा संचार क्यों अनिवार्य है?
१९ एक तीसरा महत्त्वपूर्ण सिद्धांत इन शब्दों में व्यक्त किया जा सकता है: अच्छा संचार पारिवारिक शांति और सुख के लिए अनिवार्य है। याकूब १:१९ हमें बताता है: “हर एक मनुष्य सुनने के लिये तत्पर और बोलने में धीरा और क्रोध में धीमा हो।” परिवार के सदस्यों को सुनने और एक दूसरे से बात करने की ज़रूरत है, क्योंकि पारिवारिक संचार दो-तरफ़ा सड़क है। इसलिए, यद्यपि हम जो कहते हैं वह सच है, उससे भला होने की जगह ज़्यादा नुक़सान ही होगा यदि उसे क्रूरता, घमण्ड, या बिना सोच-विचार से कहा जाता है। हमारी बोल-चाल को सुरुचिपूर्ण, “सलोना” होना चाहिए। (कुलुस्सियों ४:६) जो परिवार शास्त्रीय सिद्धांतों को लागू करते और अच्छा संचार रखते हैं वे ईश्वरीय शांति का पीछा कर रहे हैं।
२०. आप ऐसा क्यों कहेंगे कि प्रेम पारिवारिक शांति के लिए अनिवार्य है?
२० चौथा सिद्धांत यह है: पारिवारिक शांति और सुख के लिए प्रेम अनिवार्य है। रोमानी प्रेम, विवाह में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है, और एक परिवार के सदस्यों के बीच गहरा स्नेह पैदा हो सकता है। लेकिन, इससे भी महत्त्वपूर्ण वह प्रेम है जो यूनानी शब्द अगापे द्वारा सूचित किया जाता है। यही वह प्रेम है जिसे हम यहोवा, यीशु, और अपने पड़ोसियों के लिए विकसित करते हैं। (मत्ती २२:३७-३९) परमेश्वर ने मनुष्यजाति को यह प्रेम “अपना एकलौता पुत्र” देने के द्वारा दिखाया “ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे, वह नाश न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए।” (यूहन्ना ३:१६) यह कितनी बढ़िया बात है कि हम इसी तरह का प्रेम अपने परिवार के सदस्यों को दिखा सकते हैं! ऐसा उच्च-कोटि का प्रेम “सिद्धता का कटिबन्ध है।” (कुलुस्सियों ३:१४) यह एक विवाहित जोड़े को एक-साथ बाँधता है और एक दूसरे के लिए और अपने बच्चों के लिए सर्वोत्तम करने को प्रेरित करता है। जब समस्याएँ पैदा होती हैं तो प्रेम उन्हें मिलकर मामले से निपटने में मदद देता है। हम इस बात के बारे में निश्चित हो सकते हैं क्योंकि “प्रेम . . . अपनी भलाई नहीं चाहता . . . वह सब बातें सह लेता है, सब बातों की प्रतीति करता है, सब बातों में आशा रखता है, सब बातों में धीरज धरता है। प्रेम कभी टलता नहीं।” (१ कुरिन्थियों १३:४-८) निश्चित ही वे परिवार सुखी हैं जहाँ एक दूसरे के लिए प्रेम, यहोवा के लिए प्रेम द्वारा मज़बूत होता है!
ईश्वरीय शांति का पीछा करते रहिए
२१. आपके परिवार की शांति और सुख को संभवतः क्या बढ़ाएगा?
२१ अभी बताए गए सिद्धांत और बाइबल से लिए गए अन्य सिद्धांत उन प्रकाशनों में दिए गए हैं जिन्हें यहोवा ने कृपापूर्वक “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास” के माध्यम से प्रदान किया है। (मत्ती २४:४५) उदाहरण के लिए, ऐसी जानकारी १९२-पृष्ठवाली पुस्तक पारिवारिक सुख का रहस्य में पायी जाती है, जिसे संसार-भर में यहोवा के साक्षियों के १९९६/९७ में आयोजित “ईश्वरीय शांति के सन्देशवाहक” ज़िला अधिवेशनों में रिलीज़ किया गया था। ऐसे प्रकाशन की सहायता से शास्त्र का व्यक्तिगत और पारिवारिक अध्ययन करने पर अनेक फ़ायदे हो सकते हैं। (यशायाह ४८:१७, १८) जी हाँ, शास्त्रीय सलाह को लागू करना संभवतः आपके परिवार की शांति और सुख को बढ़ाएगा।
२२. हमें अपने पारिवारिक जीवन को किस बात पर केंद्रित करना चाहिए?
२२ यहोवा के पास उन परिवारों के लिए भविष्य में शानदार आशिषें हैं जो उसकी इच्छा पूरी कर रहे हैं, और वह हमारी स्तुति और सेवा के योग्य है। (प्रकाशितवाक्य २१:१-४) ऐसा हो कि आपका परिवार अपने जीवन को सच्चे परमेश्वर की उपासना पर केंद्रित करे। और ऐसा हो कि जैसे-जैसे आप अपने पारिवारिक जीवन में ईश्वरीय शांति का पीछा करते हैं, हमारा प्रेममय स्वर्गीय पिता, यहोवा आपको सुख की आशिष दे!
आप कैसे जवाब देंगे?
◻ यदि परिवारों को ईश्वरीय भक्ति के साथ जीना है तो किस बात की ज़रूरत है?
◻ आज एक पारिवारिक संकट क्यों है?
◻ पारिवारिक सुख का रहस्य क्या है?
◻ ऐसे कौन-से कुछ सिद्धांत हैं जो हमें पारिवारिक जीवन में शांति और सुख को बढ़ावा देने में मदद करेंगे?
[पेज 24 पर तसवीर]
अच्छा संचार पारिवारिक जीवन में ईश्वरीय शांति का पीछा करने में हमारी मदद करता है