अध्याय 88
अमीर आदमी और लाज़र
अमीर आदमी और लाज़र की मिसाल
यीशु ने अभी-अभी चेलों को सलाह दी कि वे अपनी दौलत सही काम में लगाएँ। यह सब फरीसी भी सुन रहे हैं। उन्हें भी यह सलाह माननी चाहिए, क्योंकि उन्हें पैसों से बहुत प्यार है। लेकिन वे यीशु की सलाह सुनकर “उसकी खिल्ली उड़ाने” लगते हैं।—लूका 15:2; 16:13, 14.
यीशु उनसे कहता है, “तुम इंसानों के सामने खुद को बड़ा नेक दिखाते हो, मगर परमेश्वर तुम्हारे दिलों को जानता है। क्योंकि जिस बात को इंसान बहुत बड़ा समझता है, वह परमेश्वर की नज़र में घिनौनी है।”—लूका 16:15.
फरीसियों को लोग हमेशा से ही “बहुत बड़ा” समझते आए हैं। मगर अब सबकुछ बदल जाएगा। फरीसी दौलतमंद हैं और राजनीति और धर्म में भी उन्हीं की चलती है। मगर अब उन्हें नीचा किया जाएगा। लेकिन आम लोगों को ऊँचा किया जाएगा, क्योंकि वे परमेश्वर से मार्गदर्शन पाना चाहते हैं। यीशु साफ बताता है कि बहुत बड़ा बदलाव हो रहा है:
“दरअसल कानून और भविष्यवक्ताओं की लिखी बातें, यूहन्ना के समय तक के लिए थीं। तब से परमेश्वर के राज की खुशखबरी सुनायी जा रही है और हर किस्म का इंसान उसमें दाखिल होने के लिए ज़ोर लगा रहा है। आकाश और पृथ्वी का मिट जाना आसान है, लेकिन कानून में लिखा एक भी अक्षर या बिंदु बिना पूरा हुए नहीं मिटेगा।” (लूका 3:18; 16:16, 17) यह कैसा बदलाव है?
यहूदी धर्म गुरुओं का कहना है कि वे मूसा के कानून की एक-एक बात मानते हैं। आपको याद होगा कि जब यीशु ने यरूशलेम में एक अंधे आदमी को चंगा किया, तो फरीसियों ने कहा था, “हम तो मूसा के चेले हैं। हम जानते हैं कि परमेश्वर ने मूसा से बात की थी।” (यूहन्ना 9:13, 28, 29) मूसा के कानून का एक मकसद था, मसीहा को पहचानने में नम्र लोगों की मदद करना। यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले ने लोगों को बताया था कि यीशु परमेश्वर का मेम्ना है। (यूहन्ना 1:29-34) जब से यूहन्ना प्रचार करने लगा तब से नम्र लोग “परमेश्वर के राज” के बारे में सुन रहे हैं, खासकर गरीब लोग। तो जो लोग परमेश्वर के राज की प्रजा बनना चाहते हैं और आशीषें पाना चाहते हैं, उनके लिए एक “खुशखबरी” है।
मूसा के कानून का मकसद पूरा हो रहा है, क्योंकि इस कानून ने मसीहा को पहचानने में लोगों की मदद की है। एक बार जब इस कानून का मकसद पूरा हो जाएगा, तो परमेश्वर के लोगों को इसे मानने की ज़रूरत नहीं होगी। मिसाल के लिए, कानून में बताया गया था कि कई कारणों से तलाक लिया जा सकता है। मगर अब यीशु बता रहा है कि “हर वह आदमी जो अपनी पत्नी को तलाक देता है और दूसरी से शादी करता है, वह व्यभिचार करने का दोषी है। और जो कोई एक तलाकशुदा औरत से शादी करता है, वह भी व्यभिचार करने का दोषी है।” (लूका 16:18) इस तरह की बातें सुनने पर फरीसियों का खून खौल उठता है जो हर बात के लिए कानून बनाते रहते हैं।
यीशु अब एक मिसाल देकर समझाता है कि फरीसियों और आम लोगों के मामले में कितना बड़ा बदलाव होगा। यह मिसाल दो आदमियों के बारे में है जिनकी ज़िंदगी अचानक बदल जाती है। याद रखिए कि जब यीशु यह मिसाल बता रहा है, तो फरीसी भी सुन रहे होते हैं।
“एक अमीर आदमी था जो बैंजनी और रेशमी कपड़े पहनता था और बड़े ठाट-बाट से रहता और हर दिन ऐश करता था। मगर लाज़र नाम का एक भिखारी था जिसका शरीर फोड़ों से भरा हुआ था। उसे अमीर आदमी के फाटक के पास छोड़ दिया जाता था और वह उसकी मेज़ से गिरनेवाले टुकड़े खाने के लिए तरसता था। यहाँ तक कि कुत्ते आकर उसके फोड़े चाटते थे।”—लूका 16:19-21.
फरीसियों को पैसों से बहुत प्यार है, इसलिए मिसाल में बताया गया “अमीर आदमी” ज़रूर उन्हीं को दर्शाता होगा। वे महँगे-महँगे कपड़े पहनकर बड़े ठाठ-बाट से रहते हैं और ऐसा लगता है कि परमेश्वर की आशीषें भी बाकी लोगों से ज़्यादा उन्हीं को मिलेंगी। अमीर आदमी बैंजनी और रेशमी कपड़े पहनता था। यह इस बात को दर्शाता है कि फरीसियों के पास किसी चीज़ की कमी नहीं है और वे खुद को बहुत धर्मी समझते हैं।—दानियेल 5:7.
ये घमंडी और अमीर धर्म गुरु आम लोगों से घिन करते हैं और उन्हें अमहारेट कहते हैं जिसका मतलब है ज़मीन के लोग। वे सोचते हैं कि आम लोग कानून के बारे में कुछ नहीं जानते और इस लायक भी नहीं हैं कि उन्हें कानून सिखाया जाए। (यूहन्ना 7:49) तो उनकी हालत मिसाल में बताए गए उस भिखारी की तरह है जिसका नाम लाज़र है। वह ‘अमीर आदमी की मेज़ से गिरनेवाले टुकड़ों के लिए भी तरसता है।’ धर्म गुरुओं की नज़र में आम लोग लाज़र की तरह हैं जिसका शरीर फोड़ों से भरा हुआ है। वे आम लोगों को नीची नज़रों से देखते हैं मानो परमेश्वर भी उनसे खुश नहीं है।
काफी समय से ऐसा चल रहा है। मगर जो लोग अमीर आदमी की तरह हैं और जो लाज़र की तरह हैं, दोनों की स्थिति बिलकुल बदल जाएगी।
अमीर आदमी और लाज़र की स्थिति बदल जाती है
यीशु बताता है कि अचानक कैसे सबकुछ बदल जाएगा: “कुछ वक्त बाद वह भिखारी मर गया और स्वर्गदूत उसे अब्राहम के पास ले गए। फिर वह अमीर आदमी भी मर गया और उसे गाड़ा गया। वह अमीर आदमी कब्र में तड़प रहा था। वहाँ से उसने नज़रें उठाकर देखा, तो उसे बहुत दूर अब्राहम दिखायी दिया, उसके पास लाज़र भी था।”—लूका 16:22, 23.
यीशु की बातें सुननेवाले जानते हैं कि यीशु सचमुच के अब्राहम की बात नहीं कर रहा है। उसकी तो सदियों पहले मौत हो चुकी थी और उसे कब्र में दफना दिया गया था। जो कब्र में हैं वे न देख सकते हैं न बोल सकते हैं। (सभोपदेशक 9:5, 10) तो फिर यीशु धर्म गुरुओं से क्या कहना चाह रहा है? वह आम लोगों और दौलत के भूखे धर्म गुरुओं के बारे में क्या बता रहा है?
यीशु ने अभी-अभी बताया था कि कैसा बदलाव होगा। उसने कहा था कि “कानून और भविष्यवक्ताओं की लिखी बातें, यूहन्ना के समय तक के लिए थीं। तब से परमेश्वर के राज की खुशखबरी सुनायी जा रही है।” जब यूहन्ना और यीशु ने प्रचार करना शुरू किया, तो लाज़र और अमीर आदमी की मौत हुई यानी वे जिन लोगों को दर्शाते हैं, उनकी स्थिति बदल गयी।
आम लोग और जो गरीब हैं, उन्हें काफी समय से कुछ सिखाया नहीं गया। वे मानो भूखे थे। लेकिन जब यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले और यीशु ने राज के बारे में प्रचार किया, तो लोगों को काफी कुछ सीखने को मिला और उन्होंने उनका संदेश स्वीकार किया। पहले धर्म गुरु शास्त्र से जो थोड़ा-बहुत सिखाते थे, वही उन्हें मिलता था। वे एक तरह से उनकी मेज़ से गिरनेवाले टुकड़ों पर पलते थे। मगर अब उन्हें सच्चाई की अच्छी खुराक मिल रही है। यीशु उन्हें बहुत बढ़िया-बढ़िया बातें सिखा रहा है, इसलिए वे परमेश्वर से आशीष पाएँगे।
लेकिन धर्म गुरुओं ने यूहन्ना और यीशु का संदेश स्वीकार नहीं किया। (मत्ती 3:1, 2; 4:17) उलटा वे उनका संदेश सुनकर भड़क गए। जब उन्हें बताया गया कि परमेश्वर उन्हें दंड देगा, तो उन्हें मानो आग-सी लग गयी। (मत्ती 3:7-12) अगर यीशु और उसके चेले परमेश्वर का संदेश सुनाना बंद कर देंगे, तो धर्म गुरुओं को थोड़ी राहत मिलेगी। वे उस अमीर आदमी की तरह हैं जो कहता है, “पिता अब्राहम, मुझ पर दया कर। लाज़र को मेरे पास भेज कि वह अपनी उँगली का छोर पानी में डुबाकर मेरी जीभ को ठंडा करे क्योंकि मैं यहाँ इस धधकती आग में तड़प रहा हूँ।”—लूका 16:24.
मगर धर्म गुरुओं का यह तड़पना बंद नहीं होगा। क्यों? पहला कारण यह है कि वे बदलनेवाले नहीं हैं। वे मूसा और भविष्यवक्ताओं की बातें नहीं सुनते। अगर वे उनकी लिखी किताबों पर यकीन करते, तो वे यीशु को परमेश्वर का भेजा हुआ मसीहा और राजा मान लेते। (लूका 16:29, 31; गलातियों 3:24) वे नम्र बनने के लिए तैयार भी नहीं हैं। और वे उन गरीबों यानी जो यीशु को मानते हैं, उनका संदेश स्वीकार करने के लिए भी तैयार नहीं हैं। दूसरा कारण यह है कि यीशु के चेले धर्म गुरुओं को खुश करने या उन्हें थोड़ी राहत पहुँचाने के लिए अपने संदेश की गंभीरता कम नहीं करनेवाले। यीशु बताता है कि “पिता अब्राहम” अमीर आदमी से क्या कहता है:
“बच्चे, याद कर कि तूने अपनी सारी ज़िंदगी बढ़िया-बढ़िया चीज़ों का खूब मज़ा लिया, मगर लाज़र ने दुख-ही-दुख झेला। लेकिन अब वह यहाँ आराम से है जबकि तू तड़प रहा है। इसके अलावा हमारे और तुम लोगों के बीच एक बड़ी खाई बनायी गयी है ताकि कोई चाहते हुए भी यहाँ से तुम्हारे पास न जा सके और न कोई वहाँ से इस पार हमारे यहाँ आ सके।”—लूका 16:25, 26.
कितना बड़ा बदलाव होनेवाला है! और यह होना भी चाहिए। जो घमंडी धर्म गुरु सबसे ऊपर हैं उन्हें नीचा किया जाएगा। जो नम्र लोग नीचे हैं और यीशु का जुआ उठाते हैं, उन्हें ऊपर उठाया जाएगा। उनमें नया जोश भर आएगा और उन्हें परमेश्वर के बारे में भरपूर ज्ञान मिलेगा। (मत्ती 11:28-30) कुछ महीनों बाद यह बदलाव और साफ नज़र आएगा, क्योंकि कानून के करार की जगह नया करार आ जाएगा। (यिर्मयाह 31:31-33; कुलुस्सियों 2:14; इब्रानियों 8:7-13) ईसवी सन् 33 के पिन्तेकुस्त के दिन जब यीशु के चेलों पर पवित्र शक्ति आएगी, तो यह साफ दिखेगा कि अब परमेश्वर की आशीष उन चेलों पर है, न कि धर्म गुरुओं पर।