यीशु का जीवन और सेवकाई
वे उसे गिरफ़्तार करने से रह जाते हैं
जब मण्डपों का पर्ब्ब अभी चल ही रहा है, धार्मिक अगुवा पुलिस सिपाहियों को यीशु को गिरफ़्तार करने के लिए भेज देते हैं। वह छिप जाने की कोशिश नहीं करता। यीशु सब के सामने सिखाता रहता है, यह कहते हुए: “मैं थोड़ी देर तक और तुम्हारे साथ हूँ; तब अपने भेजनेवाले के पास चला जाऊँगा। तुम मुझे ढूँढ़ोगे, परन्तु नहीं पाओगे और जहाँ मैं हूँ, वहाँ तुम नहीं आ सकते।”
यहूदियों की समझ में यह बात नहीं आती, इसलिए वे आपस में पूछ-ताछ करते हैं: “यह कहाँ जाएगा, कि हम इसे न पाएँगे: क्या वह उन के पास जाएगा, जो यूनानियों में तित्तर बित्तर होकर रहते हैं, और यूनानियों को भी उपदेश देगा? यह क्या बात है जो उस ने कही, कि तुम मुझे ढूँढ़ोगे, परन्तु न पाओगे: और जहाँ मैं हूँ, वहाँ तुम नहीं आ सकते?” यीशु तो अपनी आनेवाली मौत और पुनरुत्थान के बारे में बोल रहा है, जहाँ उसके दुश्मन उसका पीछा नहीं कर सकते।
पर्ब्ब का सातवाँ और आख़री दिन आता है। पर्ब्ब के हर सुबह, महायाजक ने उस पानी को जो उसने शीलोह के कुण्ड से लिया, इस तरह बहा दिया है कि यह वेदी के निचले हिस्से की ओर बहता है। संभवतः इस दैनिक अनुष्ठान के बारे में लोगों को याद दिलाकर, यीशु कह उठता है: “यदि कोई प्यासा हो तो मेरे पास आए और पीए। जो मुझ पर विश्वास करता है, जैसा कि पवित्र शास्त्र में कहा गया है, ‘उसके हृदय में से जीवन के जल की नदियाँ बह निकलेंगी।’”
दरअसल, यीशु यहाँ उन शानदार परिणामों के बारे में बात कर रहा है जो पवित्र आत्मा के उँडेले जाने पर आएँगे। अगले साल पवित्र आत्मा का इस तरह ऊँडेला जाना पिन्तेकुस्त के अवसर पर घटित होता है। वहाँ, जीवन के जल की धाराएँ बहने लगती हैं, जब १२० शिष्य लोगों की सेवा करने लगते हैं। लेकिन उस समय तक, इस अर्थ से कोई आत्मा नहीं कि मसीह का कोई भी शिष्य पवित्र आत्मा से अभिषिक्त होकर स्वर्गीय जीवन के लिए बुलाया नहीं गया है।
यीशु की शिक्षा की ओर अनुक्रिया दिखाकर, कुछ लोग कहने लगते हैं: “सचमुच यही वह भविष्यद्वक्ता है,” प्रत्यक्षतः उस भविष्यद्वक्ता का ज़िक्र करते हुए, जो मूसा से बड़ा है, और जिसके आने का वादा किया गया था। कोई और कहते हैं: “यह मसीह है।” लेकिन दूसरे आपत्ति उठाते हैं: “क्या मसीह गलील से आएगा? क्या पवित्र शास्त्र में यह नहीं आया, कि मसीह दाऊद के वंश से और बैतलहम गाँव से आएगा जहाँ दाऊद रहता था?”
इसलिए भीड़ में विभाजन होता है। कुछ लोग यीशु को गिरफ़्तार करवाना चाहते हैं, लेकिन कोई उस पर हाथ नहीं डालता। जब सिपाही यीशु के बग़ैर लौटते हैं, प्रधान याजक और फ़रीसी पूछते हैं: “तुम उसे क्यों नहीं लाए?”
“किसी मनुष्य ने कभी ऐसी बातें नहीं की,” सिपाही उत्तर देते हैं।
ग़ुस्से से भरकर, धार्मिक अगुवा उपहास, ग़लत विवरण, और गाली-गलौज पर उतर आते हैं। वे ताना मारते हैं: “क्या तुम भी भरमाए गए हो? क्या सरदारों या फरीसियों में से किसी ने भी उस पर विश्वास किया है? परन्तु ये लोग जो व्यवस्था नहीं जानते, स्रापित हैं।”
इस पर, नीकुदेमुस, जो एक फ़रीसी है और यहूदियों का एक शासक (यानी, महासभा का एक सदस्य), यीशु के पक्ष में बोलने की हिम्मत करता है। आपको शायद याद होगा कि ढाई साल पहले, नीकुदेमुस ने रात के वक़्त यीशु के पास आकर उस में अपना विश्वास व्यक्त किया था। अब नीकुदेमुस कहता है: “क्या हमारी व्यवस्था किसी व्यक्ति को जब तक पहले उस की सुनकर जान न ले, कि वह क्या करता है; दोषी ठहराती है?”
फ़रीसियों को और भी ज़्यादा ग़ुस्सा आ जाता है कि उन में से कोई यीशु के पक्ष में बोले। “क्या तू भी गलील का है?” वे कटुता से कहते हैं। “ढूँढ़ और देख, कि गलील से कोई भविष्यद्वक्ता प्रगट नहीं होने का।”
हालाँकि धर्मशास्त्र में सीधे रूप से यह नहीं कहा गया है कि कोई भविष्यद्वक्ता गलील में से निकलने वाला था, फिर भी इन में से संकेत ज़रूर मिल जाता है कि मसीह वहाँ से आनेवाला था, यह कहते हुए कि इस इलाके में एक “बड़ा उजियाला” दिखायी देनेवाला था। और ग़लत धारणाओं के विपरीत, यीशु का जन्म बैतलहम में ही हुआ, और वह दाऊद का ही वंशज था। जबकि यह संभव है कि फ़रीसी इसके बारे में अवगत हैं, संभवतः वे ही लोगों के मन में यीशु के बारे में ग़लत धारणाएँ फैलाने के ज़िम्मेवार हैं। यूहन्ना ७:३२-५२, N.W.; यशायाह ९:१, २; मत्ती ४:१३-१७.
◆ पर्ब्ब के हर सुबह को क्या होता है, और यीशु शायद इसकी ओर किस तरह ध्यान आकर्षित कर रहा है?
◆ सिपाही यीशु को गिरफ़्तार करने से क्यों रह जाते हैं, और धार्मिक अगुवा किस तरह अनुक्रिया दिखाते हैं?
◆ नीकुदेमुस कौन है, यीशु के प्रति उसकी मनोवृत्ति क्या है, और संगी फ़रीसी उस से कैसा सुलूक करते हैं?
◆ क्या सबूत है कि मसीह गलील में से निकलता?