मरे हुए ज़रूर जी उठेंगे!
‘मैं परमेश्वर से आशा रखता हूं कि मरे हुओं का जी उठना होगा।’ —प्रेरितों 24:15.
1. हम क्यों विश्वास रख सकते हैं कि परमेश्वर मरे हुओं को फिर से ज़िंदा करेगा?
यहोवा परमेश्वर मरे हुओं को दोबारा ज़िंदा करेगा। यह उसका वादा है और हम पूरा यकीन रख सकते हैं कि उसका वादा ज़रूर पूरा होगा। (यशायाह 55:11; लूका 18:27) उसने बीते समय में साबित किया है कि उसके पास मरे हुए लोगों को फिर से जिलाने की ताकत है।
2. फिर से जिलाए जाने की आशा से हमें क्या फायदा होगा?
2 यह विश्वास हमें बुरे-से-बुरे हालात में टिके रहने और यहोवा के वफादार रहने के लिए अगर ज़रूरत पड़े, तो मौत को भी गले लगाने की ताकत दे सकता है। सो आइए हम पुराने समय की उन घटनाओं पर गौर करें जिनमें परमेश्वर ने अपनी ताकत से मरे हुए लोगों को ज़िंदा किया। इससे हमारा यह विश्वास और भी पक्का होगा कि मरे हुओं का जी उठना ज़रूर होगा।
वे लोग फिर से ज़िंदा हुए
3. जब सारपत नगर की गरीब विधवा का बेटा गुज़र गया, तब एलिय्याह ने परमेश्वर की मदद से क्या किया?
3 पुराने ज़माने में भी यहोवा के सेवकों को फिर से जीने की आशा थी। उनकी मिसाल देते हुए प्रेरित पौलुस ने लिखा: “स्त्रियों ने अपने मरे हुओं को फिर जीवते पाया।” (इब्रानियों 11:35; 12:1) ये कौन स्त्रियाँ थीं? एक थी गरीब विधवा जो फीनीके के सारपत नगर में रहती थी और जिसके एक बेटा था। उसने परमेश्वर के नबी एलिय्याह का आदर-सत्कार किया था। इसलिये जब उस नगर में अकाल पड़ा, तो परमेश्वर ने चमत्कार किया जिससे उनके घर में खाने की कोई कमी नहीं हुई। लेकिन कुछ समय बाद उस विधवा का बेटा गुज़र गया। तब एलिय्याह नबी आया और उसने लड़के को खाट पर लिटाकर यहोवा से प्रार्थना की: “हे मेरे परमेश्वर यहोवा! इस बालक का प्राण इस में फिर डाल दे।” यहोवा ने उसकी प्रार्थना सुनी और उसने उसमें उसका प्राण या जीवन-शक्ति डाल दी और वह फिर से ज़िंदा हो गया। (1 राजा 17:8-24) ज़रा सोचिए, अपने बेटे को फिर से ज़िंदा देखकर उस विधवा को कितनी खुशी हुई होगी और फिर से जिलाए जाने का उसका विश्वास कितना मज़बूत हुआ होगा!
4. एलीशा ने शूनेम में कौन-सा चमत्कार किया?
4 दूसरी स्त्री थी शूनेम नगर में रहनेवाली, एक बुज़ुर्ग आदमी की पत्नी, जिसने नबी एलीशा और उसके सेवक की खातिरदारी और मदद की थी। इसके लिए परमेश्वर ने खुश होकर उसे एक बेटा दिया। लेकिन कुछ साल बाद उसका बेटा गुज़र गया। इसलिए उसने एलीशा को बुलवा भेजा। जब एलीशा ने आकर प्रार्थना करके कुछ कार्य किए, “तब लड़के की देह गर्म होने लगी।” फिर “लड़के ने सात बार छींका, और अपनी आंखें खोलीं।” सोचिए, अपने बेटे को फिर से अपनी बाँहों में लेकर उस माँ के कलेजे को कितनी ठंडक पहुँची होगी! (2 राजा 4:8-37; 8:1-6) और जब नई दुनिया में इन सभी का “उत्तम पुनरुत्थान” होगा, तब उन्हें और भी कितनी खुशी होगी! तब तो वे फिर कभी नहीं मरेंगे! मरे हुओं को फिर से जिलानेवाले परमेश्वर यहोवा का यह कितना बड़ा एहसान होगा!—इब्रानियों 11:35.
5. एलीशा के मरने के बाद भी कौन-सा चमत्कार हुआ?
5 एलीशा की मौत के बाद भी एक चमत्कार हुआ। आइए देखते हैं कैसे। कुछ इस्राएली “लोग किसी मनुष्य को मिट्टी दे रहे थे, कि [लूट-पाट मचानेवाला] एक दल उन्हें देख पड़ा तब उन्हों ने उस लोथ को एलीशा की कबर में डाल दिया, और एलीशा की हड्डियों के छूते ही वह [मरा हुआ आदमी] जी उठा, और अपने पावों के बल खड़ा हो गया।” (2 राजा 13:20, 21) फिर से ज़िंदा होकर तो उस आदमी की खुशी का ठिकाना नहीं रहा होगा! जब परमेश्वर अपना वादा पूरा करेगा और हमारे अज़ीज़ फिर से ज़िंदा होंगे, तब हम भी खुशी से फूले नहीं समाएँगे!
यीशु ने उन्हें फिर से जिलाया
6. यीशु ने नाईन नगर के पास कौन-सा चमत्कार किया और यह हमें क्या यकीन दिलाता है?
6 यीशु ने भी कुछ मरे हुओं को फिर से जिलाया था। एक बार जब वो नाईन नगर से होते हुए जा रहा था, तभी उसने देखा कि कुछ लोग रोते हुए, एक लाश को दफनाने ले जा रहे हैं। वह एक विधवा का एकलौता बेटा था। यीशु ने उस विधवा से कहा: “मत रो।” फिर उस ने अर्थी को छूकर कहा: “हे जवान, मैं तुझ से कहता हूं, उठ।” तब वह लड़का ज़िंदा हो गया और बोलने लगा। (लूका 7:11-15) यीशु का यह चमत्कार हमें पक्का यकीन दिलाता है कि परमेश्वर मरे हुओं को ज़रूर ज़िंदा करेगा।
7. याईर की बेटी के साथ क्या हुआ?
7 यीशु ने कफरनहूम के आराधनालय के सरदार, याईर की बेटी को भी ज़िंदा किया था। हुआ यूँ कि याईर की 12 साल की बेटी जब अपनी आखिरी साँसें गिन रही थी, तब याईर ने यीशु को मदद के लिए बुलाया। लेकिन इससे पहले कि यीशु उसके पास पहुँचता, उसे खबर मिली कि वह गुज़र चुकी है। यह सुनकर याईर का दिल बैठ गया। मगर यीशु ने याईर का ढ़ाढस बँधाते हुए उसे विश्वास रखने के लिए कहा और उसके साथ उसके घर गया। वहाँ भीड़ की भीड़ उमड़ रही थी और सब लोग शोक मना रहे थे। तब यीशु ने कहा “लड़की मरी नहीं, परन्तु सो रही है।” यह सुनकर सभी लोग उसका मज़ाक उड़ाने लगे। हालाँकि वह मर चुकी थी, मगर यीशु लोगों को दिखाना चाहता था कि जैसे लोगों को नींद से उठाया जा सकता है, वैसे ही उन्हें फिर से ज़िंदा भी किया जा सकता है। उसने उस लड़की का हाथ पकड़कर कहा: “हे लड़की उठ!” तब वह लड़की तुरन्त उठ गयी, और उसके माता-पिता यह देखकर “बहुत चकित हो गए।” (मरकुस 5:35-43; लूका 8:49-56) सोचिए, जब हमारे भाई-बहन, माता-पिता नई दुनिया में फिर से जी उठेंगे, तब हम भी कितने “चकित” होंगे!
8. यीशु ने लाजर की कब्र पर क्या किया?
8 यीशु ने लाजर को भी जिलाया था, जिसे मरे चार दिन हो चुके थे। यीशु ने आकर कब्र के दरवाज़े पर रखे पत्थर को हटवाया। कब्र के पास लाजर की बहनें, मरियम और मरथा खड़ी थीं और कुछ लोग उन्हें तसल्ली देने आए थे। तब यीशु ने सब लोगों के सामने प्रार्थना की, ताकि सभी लोग जानें कि अब वह जो चमत्कार करने जा रहा है, वह परमेश्वर की ताकत से करेगा। इसके बाद उसने आवाज़ लगायी: “हे लाजर, निकल आ।” और लाजर सचमुच बाहर निकल आया! उसके हाथ-पाँव अब भी कफन के कपड़े से बंधे थे और उसका मुँह अंगोछे से लिपटा हुआ था। तब यीशु ने कहा: “उसे खोलकर जाने दो।” लाजर को फिर से ज़िंदा देखकर वहाँ खड़े कई लोगों ने यीशु पर विश्वास किया। (यूहन्ना 11:1-45) क्या यह जानकर आपको भी आशा नहीं मिलती कि आपके अपनों को भी नई दुनिया में फिर से जिलाया जाएगा?
9. हम क्यों यकीन रख सकते हैं कि यीशु अब भी मरे हुओं को जिला सकता है?
9 यीशु ने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले को यह संदेश भेजा: “अन्धे देखते हैं . . . मुर्दे जिलाए जाते हैं।” (मत्ती 11:4-6) जब यीशु इस पृथ्वी पर इंसान के रूप में था तब उसने मरे हुए लोगों को फिर से जिलाया। ज़रा सोचिए, आज तो वह स्वर्ग में परमेश्वर के साथ है, शक्तिशाली राजा बन चुका है। तो क्या आज वह मरे हुए लोगों को ज़िंदा करने की ताकत नहीं रखता? जी हाँ, यीशु ही हमारे लिए “पुनरुत्थान और जीवन” है। (यूहन्ना 11:25) यह जानकर हमें कितनी तसल्ली मिलती है कि वह समय करीब आ रहा है जब “जितने कब्रों में हैं, उसका शब्द सुनकर निकलेंगे।”—यूहन्ना 5:28, 29.
प्रेरितों ने भी मरे हुए को जिलाया
10. पतरस ने दोरकास को कैसे जिलाया?
10 जब यीशु ने अपने प्रेरितों को राज्य का प्रचार करने के लिए भेजा, तो उसने उनसे कहा: “मरे हुओं को जिलाओ।” (मत्ती 10:5-8) मगर इसके लिए उन्हें परमेश्वर की शक्ति की ज़रूरत थी। और परमेश्वर ने उन्हें यह शक्ति ज़रूर दी। याफा की रहनेवाली दोरकास (तबीता) नाम की एक धर्मी स्त्री इसका सबूत है। उसने गरीब विधवाओं के लिए कपड़े बनाए थे, और ऐसे ही कई भले काम किए थे। सो, जब सा.यु. 36 में वह चल बसी, तो बहुत से लोग दुःखी हुए। मसीही उसे दफनाने की तैयारी कर रहे थे। उन्होंने पतरस को भी बुलवाया ताकि वह उन्हें तसल्ली दे। (प्रेरितों 9:32-38) पतरस ने सब लोगों को उस कमरे में से बाहर जाने के लिए कहा और अकेले में प्रार्थना की और कहा: “हे तबीता उठ।” इस पर तबीता ने अपनी आँखें खोलीं और उठकर बैठ गयी। फिर पतरस ने उसे हाथ पकड़कर उठाया। पहली बार यीशु के प्रेरित ने किसी मरे हुए को जिलाया था। यह देखकर काफी लोग मसीही बन गए। (प्रेरितों 9:39-42) इस घटना से भी हमारा विश्वास मज़बूत होता है कि मरे हुए यकीनन ज़िंदा होंगे।
11. त्रोआस नगर में कौन-सी घटना हुई?
11 किसी मरे हुए को जिलाए जाने की आखिरी घटना त्रोआस नगर में हुई थी। पौलुस यहाँ अपनी तीसरी मिशनरी यात्रा के दौरान आया था। वह वहाँ एक इमारत की तीसरी मंज़िल पर भाषण दे रहा था, जो आधी रात के बाद भी चल रहा था। वहाँ यूतुखुस नाम का एक जवान भी खिड़की पर बैठकर सुन रहा था। लेकिन शायद थकावट की वज़ह से और कई दीयों की गर्मी और काफी भीड़ की वज़ह से वह सो गया और तीसरी मंज़िल की खिड़की से नीचे गिर गया। उसे “मरा हुआ उठाया गया।” इस पर पौलुस फौरन उससे लिपट गया और भीड़ से कहा कि “घबराओ नहीं; क्योंकि उसका प्राण उसी में है,” यानी उसे फिर से ज़िंदा कर दिया गया है। यूतुखुस को फिर से जीवित देखकर वहाँ मौजूद सभी लोगों ने “बहुत शान्ति पाई।” (प्रेरितों 20:7-12) आज हमें भी यह जानकर बहुत ही तसल्ली मिलती है कि हमारे जो भाई-बहन वफादारी से यहोवा की सेवा करते-करते मर गए हैं, वे यकीनन दोबारा जी उठेंगे।
उनके पास भी यह आशा थी!
12. पौलुस ने रोमी हाकिम फेलिक्स को क्या गवाही दी?
12 जब पौलुस को मुकद्दमे के लिए रोमी हाकिम फेलिक्स के सामने लाया गया, तब पौलुस ने मरे हुओं के जी उठने की गवाही देते हुए कहा: “मैं हर उस बात में विश्वास करता हूँ जिसे व्यवस्था बताती है और जो नबियों के ग्रन्थों में लिखी है। और मैं परमेश्वर में . . . भरोसा रखता हूँ . . . कि धर्मियों और अधर्मियों दोनों का ही पुनरुत्थान होगा।” (प्रेरितों 24:14, 15, ईज़ी टू रीड वर्शन) क्या बाइबल की दूसरी किताबों में और मूसा की “व्यवस्था” में मरे हुओं के दोबारा ज़िंदा होने के बारे में बताया गया था?
13. हम कैसे कह सकते हैं कि पहली भविष्यवाणी में परमेश्वर ने कहा था कि मरे हुओं को जिलाया जाएगा?
13 अदन के बगीचे में की गई पहली भविष्यवाणी में खुद परमेश्वर ने कहा था कि मरे हुओं को जिलाया जाएगा। ‘पुराने सांप,’ यानी शैतान को सज़ा सुनाते हुए परमेश्वर ने कहा: “मैं तेरे और इस स्त्री के बीच में और तेरे वंश और इसके वंश के बीच में बैर उत्पन्न करुंगा, वह तेरे सिर को कुचल डालेगा, और तू उसकी एड़ी को डसेगा।” (प्रकाशितवाक्य 12:9; उत्पत्ति 3:14, 15) स्त्री के वंश की एड़ी को डसे जाने का मतलब था, यीशु का मारा जाना। लेकिन अगर स्त्री के वंश, यानी यीशु को सांप का सिर कुचलना था, तो लाज़िमी है कि यीशु को मरे हुओं में से उठाया जाना ज़रूरी था।
14. इसका मतलब क्या है कि यहोवा “मुरदों का नहीं परन्तु जीवतों का परमेश्वर है”?
14 यीशु ने कहा: “इस बात को कि मरे हुए जी उठते हैं, मूसा ने भी झाड़ी की कथा में प्रगट की है, कि वह प्रभु को इब्राहीम का परमेश्वर, और इसहाक का परमेश्वर, और याकूब का परमेश्वर कहता है। परमेश्वर तो मुरदों का नहीं परन्तु जीवतों का परमेश्वर है: क्योंकि उसके निकट सब जीवित हैं।” (लूका 20:27, 37, 38; निर्गमन 3:6) जी हाँ, यहोवा मुरदों का नहीं, जीवितों का परमेश्वर है। इसका मतलब है कि उसके वफादार सेवक इब्राहीम, इसहाक और याकूब उसकी नज़रों में अब भी ज़िंदा हैं और वह उन्हें ज़रूर जी उठाएगा।
15. इब्राहीम को क्यों विश्वास था कि मरे हुए फिर से ज़िंदा हो सकते हैं?
15 इब्राहीम को भी विश्वास था कि मरे हुए लोग फिर से ज़िंदा हो सकते हैं। क्यों? वह और उसकी पत्नी, सारा बहुत बूढ़े हो चुके थे और बच्चा पैदा करने की उनकी शक्ति मर चुकी थी। मगर परमेश्वर ने चमत्कार करके उन्हें वह शक्ति लौटायी और उन्हें एक बेटा पैदा हुआ, इसहाक। उनके लिए यह किसी मरे हुए के फिर से जी उठने से कम नहीं था! (उत्पत्ति 18:9-11; 21:1-3; इब्रानियों 11:11, 12) साथ ही, जब इसहाक 25 साल का हुआ, तब परमेश्वर ने इब्राहीम से उसे कुर्बान करने के लिए कहा। लेकिन जब इब्राहीम इसहाक पर छुरी चलाने ही वाला था, तब यहोवा के एक स्वर्गदूत ने उसका हाथ रोक लिया। जी हाँ, इब्राहीम ‘जानता था कि परमेश्वर मरे हुओं को जीवित कर सकता है, और इसी अर्थ में इसहाक उन्हें फिर से प्राप्त हो गया।’—इब्रानियों 11:17-19, नयी हिन्दी बाइबिल; उत्पत्ति 22:1-18.
16. इब्राहीम को किस बात में विश्वास था?
16 इब्राहीम को यह भी विश्वास था कि स्त्री के वंश, यानी मसीह के आनेवाले राज्य में उसे फिर से ज़िंदा किया जाएगा। यीशु ने स्वर्ग से इब्राहीम का यह विश्वास देखा था। इसलिए जब यीशु धरती पर था तब उसने यहूदियों से कहा: “तुम्हारा पिता इब्राहीम मेरा दिन देखने की आशा से बहुत मगन था।” (यूहन्ना 8:56-58; नीतिवचन 8:30, 31) हालाँकि आज इब्राहीम मौत की नींद सो रहा है, मगर नयी दुनिया में उसे यकीनन जी उठाया जाएगा।—इब्रानियों 11:8-10, 13.
व्यवस्था और भजन संहिता में जी उठने के सबूत
17. “व्यवस्था” में यीशु के मरे हुओं में से जी उठने के बारे में कैसे बताया गया है?
17 जी उठने के बारे में “व्यवस्था” में भी बताया गया था, और पौलुस उन्हीं बातों पर विश्वास करता था। व्यवस्था में परमेश्वर ने इस्राएलियों से कहा था: “अपने अपने पक्के खेत की पहिली उपज का पूला [या “पहला फल”] याजक के पास ले आया करना; और [निसान 16 के दिन] वह उस पूले को यहोवा के साम्हने हिलाये, कि वह तुम्हारे निमित्त ग्रहण किया जाए।” (लैव्यव्यवस्था 23:9-14) शायद इस नियम को ध्यान में रखते हुए पौलुस ने लिखा: “मसीह मुर्दों में से जी उठा है, और जो सो गए हैं, उन में पहिला फल हुआ।” इस ‘पहिले फल’ का, यानी यीशु का पुनरुत्थान सा.यु. 33 के निसान 16 को हुआ। सो, जैसे पहिले फल के बाद बाकी की फसल की कटनी होती है, उसी तरह जब यीशु की उपस्थिति होगी तब उसके आत्मा से अभिषिक्त शिष्य, या ‘बाकी की फसल’ का भी पुनरुत्थान होगा।—1 कुरिन्थियों 15:20-23; 2 कुरिन्थियों 1:21; 1 यूहन्ना 2:20, 27.
18. पतरस ने कैसे दिखाया कि यीशु के जी उठने के बारे में भजन संहिता में पहले से ही बताया गया था?
18 भजन संहिता में भी मरे हुओं के जी उठने के बारे में बताया गया है। सा.यु. 33 के पिन्तकुस्त के दिन भाषण देते समय प्रेरित पतरस ने भजन 16:8-11 की बात दोहराते हुए कहा: “दाऊद उसके [यीशु के] विषय में कहता है, कि मैं प्रभु को सर्वदा अपने साम्हने देखता रहा क्योंकि वह मेरी दहिनी ओर है, ताकि मैं डिग न जाऊं। इसी कारण मेरा मन आनन्द हुआ, और मेरी जीभ मगन हुई; बरन मेरा शरीर भी आशा में बसा रहेगा। क्योंकि तू मेरे प्राणों को अधोलोक में न छोड़ेगा; और न अपने पवित्र जन को सड़ने ही देगा!” उसने आगे कहा: ‘दाऊद ने मसीह को पहिले ही से देखकर यीशु के जी उठने के विषय में भविष्यद्वाणी की कि न तो उसका प्राण अधोलोक में छोड़ा गया, और न उस की देह सड़ने पाई। इसी यीशु को परमेश्वर ने जिलाया।’—प्रेरितों 2:25-32.
19, 20. पतरस ने किस अवसर पर भजन 118:22 की बात दोहरायी और इस भजन का यीशु से क्या ताल्लुक है?
19 कुछ दिनों बाद पतरस को यहूदी महासभा के सामने पूछताछ करने के लिए बुलाया गया कि उसने लंगड़े भिखारी को किस अधिकार से चंगा किया। इस अवसर पर भी उसने भजन से इसका जवाब दिया: “तुम सब और सारे इस्राएली लोग जान लें कि यीशु मसीह नासरी के नाम से जिसे तुम ने क्रूस पर चढ़ाया, और परमेश्वर ने मरे हुओं में से जिलाया, यह मनुष्य तुम्हारे साम्हने भला चंगा खड़ा है। यह [यीशु] वही पत्थर है जिसे तुम राजमिस्त्रियों ने तुच्छ जाना और वह कोने के सिरे का पत्थर हो गया। और किसी दूसरे के द्वारा उद्धार नहीं; क्योंकि स्वर्ग के नीचे मनुष्यों में और कोई दूसरा नाम नहीं दिया गया, जिस के द्वारा हम उद्धार पा सकें।”—प्रेरितों 4:10-12.
20 पतरस की यह बात भजन 118:22 में लिखी है और यह यीशु में पूरी होती है। कैसे? जैसे ‘राजमिस्त्रियों ने उस पत्थर को निकम्मा ठहराया,’ उसी तरह यहूदियों ने अपने धर्मगुरुओं के बहकावे में आकर यीशु को निकम्मा जाना और उसे ठुकरा दिया, यानी मार डाला। (यूहन्ना 19:14-18; प्रेरितों 3:14, 15) लेकिन वही पत्थर “कोने का सिरा हो” गया, यानी यीशु मरे हुओं में से जी उठा और उसने स्वर्ग में पिता से महिमा पायी और परमेश्वर के राज्य का राजा ठहराया गया। (इफिसियों 1:19, 20) भजनहार कहता है कि “यह [सब] तो यहोवा की ओर से हुआ है।”—भजन 118:23.
यह आशा हमारी हिम्मत बँधाती है
21, 22. अय्यूब 14:13-15 में अय्यूब ने क्या कहा और इससे आज हमें कैसे तसल्ली मिलती है?
21 हालाँकि हमने अपनी आँखों से किसी को दोबारा जीवित होते हुए नहीं देखा है, मगर यहाँ हमने जिन घटनाओं पर गौर किया उससे हमें पूरा यकीन हो गया है कि मरे हुओं का जी उठना ज़रूर होगा। अय्यूब को भी इसका पूरा यकीन था। इसलिये जब उस पर तकलीफें आईं तो उसने यहोवा से प्रार्थना की: “हे प्रभु [यहोवा], काश! तू मुझे अधोलोक में छिपा लेता . . . भला होता कि तू मेरे लिए निश्चित् समय निर्धारित करता, और मेरी सुधि लेता! ‘यदि कोई मनुष्य मर जाए तो क्या वह फिर जीवित होगा? . . . तू मुझे बुलाता और मैं तुझे उत्तर देता; क्योंकि तू अपनी रचना देखने को इच्छुक रहता है!’” (अय्यूब 14:13-15, नयी हिन्दी बाइबिल) यहोवा ‘अपनी रचना देखने के लिए इच्छुक रहता है।’ इसलिये वह अय्यूब को ज़रूर दोबारा ज़िंदा करेगा। इस बात से हमें कितना हौसला मिलता है!
22 शायद हमारे परिवार के किसी सदस्य को धर्मी अय्यूब की तरह तकलीफों या बीमारी का सामना करना पड़े, या हो सकता है उसकी मौत भी हो जाए। ऐसे में हमारे दिल को कितना गहरा सदमा पहुँचता है। जैसे यीशु लाजर की मौत पर रोया था, वैसे ही उनके गम में शायद हमारे भी आँसू रोके न रुकें। (यूहन्ना 11:35) लेकिन हौसला रखिए, परमेश्वर ज़रूर उन्हें दोबारा ज़िंदा करेगा। और उनके लिये ऐसा होगा मानो वे एक लंबे सफर के बाद घर लौटकर आ रहें है। मगर कमज़ोर या बीमार नहीं, बल्कि पूरी तरह तंदुरुस्त।
23. कुछ लोगों ने मरे हुओं के जी उठने में कैसे विश्वास जताया है?
23 जब एक बुज़ुर्ग और वफादार मसीही बहन की मौत हुई, तो कुछ भाई-बहनों ने उसके बेटे की हिम्मत बँधाते हुए लिखा: “आपकी माँ के गुज़र जाने से हमें भी बहुत दुःख हुआ। मगर यकीन मानिए, थोड़े ही समय में हम उन्हें फिर से देखेंगे! तब वे और भी सुंदर होंगी, और पहले से भी तंदुरुस्त होंगी! उस पल का हम सबको कितना इंतज़ार है!” एक माता-पिता, जिनका बेटा गुज़र गया था, वे कहते हैं: “हमें उस दिन का बड़ी बेसब्री से इंतज़ार है जब हमारा बेटा जेसन फिर से जी उठेगा! और उठने के बाद जब वह अपनी चारों ओर नज़र डालेगा, तो उसे वही नई दुनिया दिखेगी जिसका उसे इंतज़ार था। . . . यह बात हमारा भी हौसला बढ़ाती है कि जब जेसन उस नई दुनिया में आएगा, तब उसे बाँहों में भरने के लिए हम भी वहाँ हों।” जी हाँ, हम यहोवा के कितने एहसानमंद हैं कि उसने मरे हुओं को फिर से जी उठाने का पक्का वादा किया है!
आप क्या जवाब देंगे?
• फिर से जिलाए जाने की आशा से हमें क्या फायदा होगा?
• बाइबल में ऐसी कौन-सी घटनाएँ बतायी गयी हैं जिनसे हमें पूरा यकीन हो जाता है कि मरे हुए जिलाए जाएँगे?
• यह क्यों कहा जा सकता है कि शुरुआत से इंसान को यकीन था कि मरे हुए फिर से ज़िंदा होंगे?
• मरे हुओं के लिए हमारे पास कौन-सी आशा है जो हमें बहुत ही हौसला देती है?
[पेज 10 पर तसवीर]
यहोवा की शक्ति से एलिय्याह ने विधवा के बेटे को फिर से जिलाया
[पेज 12 पर तसवीर]
जब यीशु ने याईर की बेटी को ज़िंदा किया, तब उसके माता-पिता खुशी से फूले नहीं समाए
[पेज 15 पर तसवीर]
सा.यु. 33 के पिन्तकुस्त के दिन प्रेरित पतरस ने पूरे विश्वास के साथ गवाही दी कि यीशु को मरे हुओं में से जिलाया गया है