मसीही ज़िंदगी और सेवा सभा पुस्तिका के लिए हवाले
1-7 अगस्त
पाएँ बाइबल का खज़ाना | भजन 87-91
“परमप्रधान के छाए हुए स्थान में रहिए”
(भजन 91:1, 2) जो परमप्रधान के छाए हुए स्थान में बैठा रहे, वह सर्वशक्त्तिमान की छाया में ठिकाना पाएगा। 2 मैं यहोवा के विषय कहूँगा, “वह मेरा शरणस्थान और गढ़ है; वह मेरा परमेश्वर है, मैं उस पर भरोसा रखूँगा।”
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जीवन की सबसे बेहतरीन राह पर आपका स्वागत है!
“परमप्रधान की शरण” में सुरक्षित
10 समर्पण और बपतिस्मा लेने से हमें एक और बढ़िया आशीष मिलती है। हमें “परमप्रधान की शरण” में रहने का सम्मान मिलता है। (भजन 91:1, NHT पढ़िए।) यह एक लाक्षणिक जगह है, जहाँ हमें सुरक्षा मिलती है। दूसरे शब्दों में कहें तो यह एक ऐसी हालत है जिसमें हम आध्यात्मिक नुकसान से बचे रहते हैं। मगर वे लोग इस जगह से अनजान हैं जो न तो मामलों को परमेश्वर की नज़र देखते हैं और न ही उस पर भरोसा करते हैं। अपने समर्पण के मुताबिक जीने और यहोवा पर अपना पूरा भरोसा ज़ाहिर करने के ज़रिए हम एक तरह से कहते हैं: “[यहोवा] मेरा शरणस्थान और गढ़ है; वह मेरा परमेश्वर है, मैं उस पर भरोसा रखूंगा।” (भज. 91:2) यहोवा परमेश्वर हमारा धाम या निवासस्थान बन जाता है। (भज. 91:9) इससे बढ़कर और क्या चाहिए हमें?
11 यहोवा के “शरण स्थान” में रहने का यह भी मतलब है कि हमें उसके साथ एक नज़दीकी रिश्ता बनाने का सम्मान मिला है। इस रिश्ते की शुरूआत समर्पण और बपतिस्मे के वक्त होती है। उसके बाद हम बाइबल का अध्ययन करने, दिल-से प्रार्थना करने और पूरी तरह से परमेश्वर की आज्ञा मानने के ज़रिए उसके साथ अपने रिश्ते को मज़बूत करते जाते हैं। (याकू. 4:8) यीशु जितना यहोवा के करीब है, उतना करीब दुनिया का कोई भी व्यक्ति नहीं है। सृष्टिकर्ता पर से उसका भरोसा कभी नहीं डगमगाया। (यूह. 8:29) इसलिए आइए हम भी यहोवा पर और इस बात पर कभी शक न करें कि यहोवा हमें हमारे समर्पण के मुताबिक जीने में मदद देना चाहता है और वह ऐसा करने के काबिल है। (सभो. 5:4) परमेश्वर ने जो आध्यात्मिक इंतज़ाम किए हैं, वे ऐसे सबूत हैं जिन्हें नकारा नहीं जा सकता और जिनसे ज़ाहिर होता है कि वह हमसे सचमुच प्यार करता है और चाहता है कि हम उसकी सेवा में कामयाब हों।
(भजन 91:3) वह तुझे बहेलिये के जाल से, और महामारी से बचाएगा।
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बहेलिये के जाल से बचाए जाना
आज सभी सच्चे मसीहियों को एक ऐसे दुश्मन का सामना करना पड़ता है, जो इंसानों से भी ज़्यादा तेज़ और चालाक है। उसे भजन 91:3 में “बहेलिया” कहा गया है। यह दुश्मन कौन है? यह पत्रिका जून 1, 1883 के (अँग्रेज़ी) अंक से बताती आयी है कि यह “बहेलिया” कोई और नहीं, बल्कि शैतान इब्लीस है। जिस तरह एक बहेलिया चिड़ियों को पकड़ने के लिए जाल बिछाता है, उसी तरह यह ताकतवर दुश्मन बड़ी चालाकी से यहोवा के लोगों को फुसलाकर उन्हें अपने जाल में फँसाने की कोशिश करता है।
2 प्राचीन समय में, लोग पक्षियों का सुरीला गीत सुनने, उनके रंग-बिरंगे पंखों को निहारने, उनका माँस खाने और बलि चढ़ाने के लिए उन्हें पकड़ते थे। मगर असल में देखा जाए तो पक्षियों को पकड़ना इतना आसान नहीं, क्योंकि वे बहुत ही होशियार होते हैं और खतरा भाँपते ही फुर्र से उड़ जाते हैं। इसलिए बाइबल के ज़माने में, एक बहेलिया सबसे पहले पक्षियों की हरकतों और उनकी आदतों को ध्यान से देखता था। फिर उन्हें पकड़ने के लिए वह बड़ी चतुराई से जाल बिछाता था। बाइबल, शैतान की तुलना एक बहेलिये से करके हमें यह समझने में मदद देती है कि शैतान के हथकंडे क्या हैं। बहेलिये की तरह, शैतान भी हमारी आदतों और शख्सियत को बड़े ध्यान से देखता है और हमें पकड़ने के लिए छिपे हुए फंदे बिछाता है। (2 तीमुथियुस 2:26) और अगर हम उन फंदों में फँस जाएँ, तो हम आध्यात्मिक मायनों में तबाह हो जाएँगे। यानी परमेश्वर के साथ हमारा रिश्ता टूट जाएगा और आखिर में हमारा हमेशा के लिए विनाश हो जाएगा। इसलिए अपने आपको बचाने के लिए हमें यह पता लगाना होगा कि वह कौन-कौन-से फंदे बिछाता है।
3 भजनहार, शैतान की तुलना सिर्फ एक बहेलिये से ही नहीं, बल्कि एक जवान सिंह और नाग से भी करता है। इस तरह, वह हमारे सामने शैतान की एक जीती-जागती तसवीर पेश करता है। (भजन 91:13) जैसे एक सिंह सामने से हमला करता है, वैसे ही शैतान सीधे-सीधे हमला करता है। कैसे? वह कई बार यहोवा के लोगों पर ज़ुल्म ढाता है या ऐसे कानून जारी करवाता है, जिससे वे मुसीबत में फँस सकते हैं। (भजन 94:20) इस तरह के हमले होने पर कुछ लोग, यहोवा को छोड़ सकते हैं। मगर अकसर, दुश्मनों के खुलकर विरोध करने का उलटा ही असर होता है। नतीजा, परमेश्वर के लोगों में एकता और भी बढ़ जाती है। लेकिन तब क्या, जब शैतान नाग की तरह हमला करता है?
4 एक नाग छिपकर अपने शिकार को डसता है। उसी तरह, इब्लीस अपने शातिर दिमाग से काम लेकर बड़ी मक्कारी और खतरनाक तरीके से हम पर हमला करता है। वह परमेश्वर के कुछ लोगों के दिमाग में ज़हर घोलने और धोखा देकर उनसे अपनी इच्छा पूरी करवाने में कामयाब रहा है। और इसके बहुत ही भयानक अंजाम निकले हैं। लेकिन खुशी की बात है कि हम शैतान की युक्तियों से अनजान नहीं हैं। (2 कुरिन्थियों 2:11) आइए हम ‘बहेलिये’ के चार खतरनाक फंदों पर गौर करें।
इंसान का डर
5 “बहेलिया” यह बखूबी जानता है कि हर इंसान में दूसरों की मंज़ूरी पाने की ख्वाहिश होती है। मसीही इतने पत्थरदिल नहीं कि लोग उनके बारे में जैसी सोच या भावनाएँ रखते हैं, उनका उन पर कोई असर नहीं होता। इसी बात का इब्लीस नाजायज़ फायदा उठाता है। मिसाल के लिए, वह यहोवा के कुछ लोगों को ‘मनुष्यों का भय खाने’ के फंदे में फँसाता है। (नीतिवचन 29:25) अगर परमेश्वर के सेवक, इंसान के डर की वजह से दूसरों के साथ मिलकर वही काम करते हैं जिसे यहोवा मना करता है, या फिर वह काम नहीं करते जिसकी परमेश्वर का वचन आज्ञा देता है, तो वे ‘बहेलिये’ के जाल में फँस जाते हैं।—यहेजकेल 33:8; याकूब 4:17.
6 मिसाल के लिए, हो सकता है कि एक जवान ने अपने स्कूल के साथियों के दबाव में आकर सिगरेट पी ली हो। उस दिन स्कूल जाते वक्त, उसने शायद ही सोचा होगा कि वह सिगरेट पीएगा। मगर जल्द ही वह ऐसा कर बैठता है। नतीजा, वह खुद की सेहत को नुकसान पहुँचाता है और परमेश्वर को भी नाराज़ करता है। (2 कुरिन्थियों 7:1) मगर वह इस जाल में फँसा कैसे? शायद वह बुरी सोहबत में पड़ गया हो और इस डर से सिगरेट पी ली हो कि अगर वह ऐसा नहीं करेगा, तो उसके दोस्त उसका मज़ाक उड़ाएँगे। इसलिए जवानो, ‘बहेलिये’ के बहकावे में मत आइए और उसके बिछाए फंदे से खबरदार रहिए! यहाँ तक कि छोटी-मोटी बातों में भी समझौता मत कीजिए! इसके अलावा, बाइबल बुरी संगति से दूर रहने की जो चेतावनी देती है, उसे मानिए।—1 कुरिन्थियों 15:33.
7 मसीही माता-पिता, बाइबल में दी अपनी इस ज़िम्मेदारी को बड़ी गंभीरता से लेते हैं कि वे अपने परिवार के लिए खाने-पीने और पहनने-ओढ़ने की ज़रूरतें पूरी करें। (1 तीमुथियुस 5:8) मगर शैतान का लक्ष्य है, उन्हें बस इसी काम में उलझाए रखना। इसलिए वह नौकरी की जगह पर, मालिकों के ज़रिए उन पर दबाव डाल सकता है कि वे ज़्यादा घंटे काम करें। और शायद इसी दबाव में आकर कुछ मसीहियों ने सभाओं में न आने की अपनी आदत बना ली है। जब ज़िला अधिवेशन के पूरे कार्यक्रम में हाज़िर होने और भाइयों के साथ मिलकर यहोवा की उपासना करने की बात आती है, तो वे शायद अपने मालिक से छुट्टी माँगने से भी डरें। लेकिन हम, शैतान के इस फंदे से कैसे बच सकते हैं? एक तरीका है, “यहोवा पर भरोसा रखना।” (नीतिवचन 3:5, 6) इसके अलावा, अगर हम याद रखें कि हम सब यहोवा के परिवार के सदस्य हैं और उसने हमारी देखभाल करने का ज़िम्मा उठाया है, तो हम नौकरी-पेशे के मामले में सही नज़रिया रख पाएँगे। माता-पिताओ, क्या आपको यहोवा पर विश्वास है कि जब आप उसकी मरज़ी पूरी करेंगे, तो वह किसी-न-किसी तरीके से आपकी और आपके परिवार की देखभाल करेगा? या क्या आप इंसान के डर के फंदे में फँसकर शैतान की इच्छा पूरी करने लगेंगे? हमारी आपसे गुज़ारिश है कि आप प्रार्थना करें और इन सवालों पर गहराई से सोचें।
धन-दौलत की चमक-दमक
8 शैतान, धन-दौलत की चमक-दमक दिखाकर भी हमें अपने जाल में फाँसने की कोशिश करता है। आज का व्यापार जगत, रातों-रात अमीर बनने की ढेरों तरकीबें निकालता है, जिसके झाँसे में परमेश्वर के कुछ लोग भी आ सकते हैं। कभी-कभी मसीहियों को यह बढ़ावा दिया जाता है: “पहले कुछ बन जाओ, धन-दौलत कमा लो। और जब सबकुछ हासिल कर लोगे, तो आराम से ज़िंदगी बसर करना। और फिर चाहो तो तुम पायनियर सेवा भी कर सकते हो।” कलीसिया के कुछ लोग ऐसे गलत किस्म के तर्क दे सकते हैं, जो अपने मुनाफे के लिए भाई-बहनों का नाजायज़ फायदा उठाना चाहते हैं। इसलिए ध्यान से सोचिए कि आप पैसा क्यों कमाना चाहते हैं। कहीं आपकी सोच यीशु के दृष्टांत में बताए उस “मूर्ख” धनवान की तरह तो नहीं है?—लूका 12:16-21.
9 शैतान अपने दुष्ट संसार के ज़रिए लोगों के दिल में वस्तुओं का लोभ पैदा करता है। अगर यह लोभ एक मसीही में पैदा हो जाए, तो इसका उसकी ज़िंदगी पर बुरा असर पड़ सकता है। यह उसमें परमेश्वर के वचन के बीज को दबाकर उसे “निष्फल” कर सकता है। (मरकुस 4:19) बाइबल उकसाती है कि अगर हमारे पास खाने-पहनने को हो, तो हमें उसी में संतोष करना चाहिए। (1 तीमुथियुस 6:8) लेकिन इस सलाह को न मानने की वजह से कई मसीही ‘बहेलिये’ के जाल में फँस गए हैं। आखिर उन्होंने बाइबल की इस सलाह को दरकिनार क्यों किया? उन्होंने शायद अपने गुरूर में आकर यह सोचा हो कि उनके रहन-सहन का स्तर ऊँचा होना चाहिए। हमारे बारे में क्या? क्या चीज़ें बटोरने की इच्छा हम पर इस कदर हावी हो चुकी है कि हम सच्ची उपासना को दूसरी जगह देने लगे हैं? (हाग्गै 1:2-8) बड़े अफसोस की बात है कि आर्थिक तंगी के समय, कुछ लोगों ने अपनी ज़िंदगी के ऊँचे स्तर को, जिसके वे आदी थे, बनाए रखने के चक्कर में अपनी आध्यात्मिकता कुरबान कर दी। जब मसीही इस तरह धन-दौलत और ऐशो-आराम की चीज़ों के पीछे भागते हैं, तो यह देखकर “बहेलिया” बड़ा खुश होता है!
गलत किस्म का मनोरंजन
10 शैतान एक और चाल चलता है और वह है, भले-बुरे के बारे में लोगों की समझ बिगाड़ना। सदोम और अमोरा के लोगों में जो रवैया था, वही रवैया आज के ज़्यादातर मनोरंजन में दिखायी देता है। यहाँ तक कि टी.वी. पर आनेवाले समाचारों और पत्रिकाओं में भी हिंसा की वारदातों को खुलकर बताया जाता है। साथ ही, इनमें सेक्स के बारे में ऐसी जानकारी दी जाती है जिससे लोगों की बुरी लालसाएँ पूरी होती हैं। इस तरह मीडिया, लोगों की “भले बुरे में भेद करने” की काबिलीयत बिगाड़ देता है। (इब्रानियों 5:14) मगर याद कीजिए कि यहोवा ने यशायाह के ज़रिए क्या कहा था। उसने कहा था: “हाय उन पर जो बुरे को भला और भले को बुरा कहते” हैं! (यशायाह 5:20) क्या “बहेलिया” गलत किस्म के मनोरंजन का इस्तेमाल करके बड़े धूर्त तरीके से आपके सोच-विचार को अपनी गिरफ्त में ले चुका है? इस बारे में खुद की जाँच करना निहायत ज़रूरी है।—2 कुरिन्थियों 13:5.
11 आज से करीब 25 साल पहले, प्रहरीदुर्ग ने परमेश्वर के सेवकों के लिए परवाह दिखाते हुए उन्हें धारावाहिकों से खबरदार किया था। उस समय के मशहूर धारावाहिकों का लोगों की ज़िंदगी पर बड़ा ज़बरदस्त असर हो रहा था, मगर उन्हें इस बात का ज़रा भी एहसास नहीं था। इस बारे में प्रहरीदुर्ग ने लिखा: “धारावाहिकों में दिखाया जाता है कि प्यार में सबकुछ जायज़ है। उदाहरण के लिए, एक धारावाहिक में एक बिन-ब्याही गर्भवती लड़की अपनी सहेली से कहती है: ‘मुझे कुछ नहीं पता, मैं बस इतना जानती हूँ कि मैं विक्टर से प्यार करती हूँ। . . . और उसके बच्चे की माँ बनना मेरे लिए सबसे बड़ी बात है!’ डायलॉग के साथ-साथ धीमे से एक ऐसी धुन बजती है, जिससे लोगों को यह मानना मुश्किल लगता है कि लड़की ने कोई गलत कदम उठाया है। उस लड़की की तरह आप सब दर्शक भी विक्टर को पसंद करते हैं। साथ ही, आपको उस लड़की से भी हमदर्दी है। इसलिए आपको ‘लगता’ है कि उन्होंने कोई गलत काम नहीं किया है। इसी धारावाहिक को देखनेवाली एक स्त्री, जिसे बाद में इसके बुरे असर का एहसास हुआ, कहती है: ‘यह कितनी हैरानी की बात है कि जो काम गलत है, हम उसे बड़ी आसानी से सही ठहरा देते हैं। हम जानते हैं कि नाजायज़ संबंध रखना पाप है। . . . मगर मुझे एहसास हुआ कि उन किरदारों के साथ हमदर्दी जताकर, मैं मन-ही-मन उनके पाप में शामिल थी।’”
12 जब ये लेख छपे थे, तब से लेकर आज तक मन को भ्रष्ट करनेवाले कार्यक्रमों की मानो बाढ़-सी आ गयी है। कई जगहों पर तो ये कार्यक्रम चौबीसों घंटे प्रसारित किए जाते हैं। स्त्री-पुरुष और नौजवान अकसर अपने दिलो-दिमाग को ऐसे ही मनोरंजन से भरते हैं। लेकिन हम मसीहियों को खबरदार रहना चाहिए कि हम इस मामले में खुद को धोखा न दें। हमारे लिए यह तर्क करना गलत होगा कि जब हमारे आस-पास हो रही बदचलनी का हम पर कोई असर नहीं होता, तो भला मनोरंजन का हम पर क्या असर होगा। अगर एक मसीही, बदचलन लोगों के अपने घर में कदम रखने की बात सपने में भी नहीं सोच सकता, तो क्या उसके लिए ऐसे लोगों के मनोरंजन देखने का चुनाव करना सही होगा?
13 “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास” से मिली उस चेतावनी पर ध्यान देने की वजह से कई मसीहियों को फायदा हुआ। (मत्ती 24:45-47) इनमें से कुछ ने प्रहरीदुर्ग के संपादकों को लिखकर बताया कि उन लेखों में दी बाइबल की साफ-साफ सलाह को पढ़ने के बाद, उन पर क्या असर हुआ। एक स्त्री ने कबूल किया: “13 साल तक मुझे एक धारावाहिक देखने की लत लगी हुई थी। मैं सोचती थी कि अगर मैं मसीही सभाओं में हाज़िर होती रहूँ और कभी-कभार प्रचार में जाऊँ, तो इस धारावाहिक से मेरी आध्यात्मिकता को कोई नुकसान नहीं होगा। मगर मैं धीरे-धीरे इसमें दिखाया जानेवाला रवैया अपनाने लगी कि अगर आपका पति आपके साथ बुरा सलूक करता है या आपको लगता है कि वह आपसे प्यार नहीं करता, तो ऐसे में किसी पराए मर्द के साथ लैंगिक संबंध रखने में कोई हर्ज़ नहीं। और इसके लिए आप नहीं, बल्कि आपका पति दोषी होगा। इसलिए जब मुझे लगा कि ‘व्यभिचार में कोई हर्ज़’ नहीं, तो मैंने यह गलत कदम उठा लिया और यहोवा और अपने पति के खिलाफ पाप कर बैठी।” इस स्त्री को कलीसिया से बहिष्कृत किया गया। बाद में उसे अपनी गलती का एहसास हुआ, उसने पश्चाताप किया और फिर उसे कलीसिया में वापस बहाल किया गया। प्रहरीदुर्ग के लेखों में धारावाहिकों के बारे में जो चेतावनी दी गयी थी, उससे उस स्त्री को ऐसे मनोरंजन ठुकराने की हिम्मत मिली जिससे यहोवा नफरत करता है।—आमोस 5:14, 15.
14 प्रहरीदुर्ग पढ़नेवाली एक और स्त्री ने, जिसकी ज़िंदगी में भी धारावाहिकों का बुरा असर हुआ था, कहा: “इन लेखों को पढ़कर मेरी आँखों में आँसू छलकने लगे। क्योंकि मुझे एहसास हुआ कि मैं पूरे दिल से यहोवा की भक्ति नहीं कर रही थी। इसलिए मैंने परमेश्वर से वादा किया कि मैं आइंदा कभी इन धारावाहिकों का गुलाम नहीं बनूँगी।” एक और मसीही स्त्री ने इन लेखों के लिए अपनी कदरदानी ज़ाहिर करने के बाद बताया कि उसे भी इन धारावाहिकों को देखने की बुरी लत थी। उसने आगे लिखा: “मैं . . . इस सोच में पड़ गयी कि कहीं इनका यहोवा के साथ मेरे रिश्ते पर असर तो नहीं हुआ? आखिर ये कैसे हो सकता है कि मैं ‘धारावाहिकों के किरदारों’ और यहोवा, दोनों के साथ दोस्ती रखूँ?” अगर 25 साल पहले इस तरह के टी.वी. कार्यक्रमों ने लोगों के दिलों पर इतना ज़बरदस्त असर किया था, तो ज़रा सोचिए आज इनका लोगों पर कितना असर होता होगा! (2 तीमुथियुस 3:13) हमें शैतान के इस फंदे यानी गलत किस्म के मनोरंजन से सावधान रहने की ज़रूरत है, फिर चाहे यह धारावाहिक हो, हिंसा से भरे वीडियो गेम्स हो या फिर अनैतिकता को बढ़ावा देनेवाले म्यूज़िक वीडियो हो।
आपसी झगड़े
15 शैतान, आपसी झगड़ों को भी एक फंदे की तरह इस्तेमाल करता है और परमेश्वर के लोगों में फूट डालने की कोशिश करता है। हमारे पास सेवा का चाहे जो भी सुअवसर हो, फिर भी हम इस फंदे में फँस सकते हैं। कुछ मसीही, शैतान के इस फंदे में फँसकर उसकी मरज़ी पूरी करते हैं। वह कैसे? वे अपने आपसी झगड़ों को सुलझाने के बजाय उन्हें इस कदर बढ़ने देते हैं, जिससे आध्यात्मिक फिरदौस की शांति और एकता भंग होती है। यह आध्यात्मिक फिरदौस एक ऐसा खुशनुमा माहौल है, जिसका इंतज़ाम यहोवा ने किया है।—भजन 133:1-3.
16 पहले विश्वयुद्ध के दौरान, शैतान ने धरती पर मौजूद यहोवा के संगठन पर सीधे हमला करके उसे मिटाने की कोशिश की। मगर वह नाकाम रहा। (प्रकाशितवाक्य 11:7-13) इसलिए तब से वह हमारी एकता तोड़ने के लिए बड़ी धूर्तता से काम कर रहा है। जब हम अपने आपसी झगड़ों को उस हद तक बढ़ने देते हैं जिससे हमारी एकता टूट जाती है, तो हम शैतान को और भी फायदा उठाने का मौका देते हैं। इस तरह, हम खुद के जीवन में और कलीसिया में पवित्र आत्मा के काम करने में रुकावट डाल सकते हैं। और अगर ऐसा होगा, तो इससे सबसे ज़्यादा खुशी शैतान को होगी। क्योंकि वह अच्छी तरह जानता है कि अगर कलीसिया की शांति और एकता भंग हो जाए, तो प्रचार काम रुक जाएगा।—इफिसियों 4:27, 30-32.
17 अगर आपकी किसी मसीही भाई या बहन से अनबन हो जाए, तो आप क्या कर सकते हैं? माना कि मसीहियों के बीच कई वजहों से समस्याएँ खड़ी हो सकती हैं। लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि हमें झगड़ों को सुलझाए बिना यूँ ही छोड़ देना चाहिए। (मत्ती 5:23, 24; 18:15-17) इसके बजाय, हमें परमेश्वर के वचन में दी सलाहों को अमल में लाना चाहिए। ये सलाहें परमेश्वर की प्रेरणा से लिखी गयी हैं और सबसे बेहतरीन हैं। इसलिए जब हम बाइबल के सिद्धांतों को लागू करते हैं, तो इसके हमेशा अच्छे नतीजे निकलते हैं!
18 यहोवा वाकई “क्षमा करने को तत्पर रहता है।” (भजन 86:5, NHT) जब हम यहोवा की मिसाल पर चलते हैं, तो हम दिखाते हैं कि हम उसके प्यारे बच्चे हैं। (इफिसियों 5:1) हम सब पापी हैं और हमें यहोवा से माफी पाने की सख्त ज़रूरत है। इसलिए जब हमारा मन कहता है कि हम किसी को माफ न करें, तो हमें खबरदार हो जाना चाहिए। वरना, हम यीशु की कहानी में बताए उस दास की तरह बन सकते हैं, जिसके मालिक ने उसका भारी कर्ज़ माफ किया था। जबकि उसी कर्ज़ में से उस दास ने जो छोटी-सी रकम अपने संगी दास को उधार दी थी, उसे माफ करने के लिए वह बिलकुल भी तैयार नहीं था। जब मालिक को इसकी खबर दी गयी, तो उसने पहले दास को जेल में बंद करवा दिया। यीशु ने अपनी इस कहानी के आखिर में कहा: “इसी प्रकार यदि तुम में से हर एक अपने भाई को मन से क्षमा न करेगा, तो मेरा पिता जो स्वर्ग में है, तुम से भी वैसा ही करेगा।” (मत्ती 18:21-35) अगर हम इस कहानी पर मनन करें, साथ ही इस बात पर गहराई से सोचें कि यहोवा ने कितनी बार हमें दिल खोलकर माफ किया है, तो हमें भाइयों के साथ अपने आपसी झगड़ों को सुलझाने में ज़रूर मदद मिलेगी।—भजन 19:14.
(भजन 91:9-14) हे यहोवा, तू मेरा शरणस्थान ठहरा है। तू ने जो परमप्रधान को अपना धाम मान लिया है, 10 इसलिये कोई विपत्ति तुझ पर न पड़ेगी, न कोई दुःख तेरे डेरे के निकट आएगा। 11 क्योंकि वह अपने दूतों को तेरे निमित्त आज्ञा देगा, कि जहाँ कहीं तू जाए वे तेरी रक्षा करें। 12 वे तुझ को हाथों हाथ उठा लेंगे, ऐसा न हो कि तेरे पाँवों में पत्थर से ठेस लगे। 13 तू सिंह और नाग को कुचलेगा, तू जवान सिंह और अजगर को लताड़ेगा।। 14 उस ने जो मुझ से स्नेह किया है, इसलिये मैं उसको छुड़ाऊँगा; मैं उसको ऊँचे स्थान पर रखूँगा, क्योंकि उस ने मेरे नाम को जान लिया है।
प्र10 1/15 पेज 10-11 पै 13-14
यहोवा की महा-कृपा की बदौलत उसके होना
13 यहोवा कैसे अपने लोगों को आध्यात्मिक खतरों से बचाता है? भजनहार ने कहा: “वह अपने दूतों को तेरे निमित्त आज्ञा देगा, कि जहां कहीं तू जाए वे तेरी रक्षा करें।” (भज. 91:11) स्वर्गदूत हमारा मार्गदर्शन और हमारी हिफाज़त करते हैं, ताकि हम खुशखबरी का प्रचार कर सकें। (प्रका. 14:6) स्वर्गदूतों के अलावा, मसीही प्राचीन भी हमारी हिफाज़त करते हैं। वह कैसे? वे परमेश्वर के वचन में दी शिक्षाओं को मज़बूती से थामे रहते हैं और इस तरह, हमें झूठी दलीलों के धोखे में आने से बचाते हैं। प्राचीन उन मसीहियों की भी मदद कर सकते हैं, जो दुनियावी रवैए पर काबू पाने के लिए जद्दोजेहद कर रहे हैं। (तीतु. 1:9; 1 पत. 5:2) और-तो-और, “विश्वासयोग्य और सूझ-बूझ से काम लेनेवाला दास” आध्यात्मिक भोजन मुहैया कराता है, ताकि हम विकासवाद की शिक्षा, अनैतिक इच्छा, दौलत और शोहरत पाने के लालच और ऐसी कई नुकसानदेह इच्छाओं और बुरे असर में आने से दूर रह सकें। (मत्ती 24:45) इनमें से कुछ खतरों से दूर रहने में किस बात ने आपकी मदद की है?
14 परमेश्वर के “छाए हुए स्थान” में रहने के लिए हमें क्या करना होगा? जिस तरह हम खुद को दुर्घटनाओं, अपराधियों या बीमारियों से बचाने की लगातार कोशिश करते हैं, ठीक उसी तरह आध्यात्मिक खतरों से अपनी हिफाज़त करने के लिए हमें लगातार कदम उठाने की ज़रूरत है। इसलिए यहोवा किताबों-पत्रिकाओं, मसीही सभाओं और सम्मेलनों के ज़रिए हमें जो मार्गदर्शन देता है, उसका हमें लगातार फायदा उठाना चाहिए। हमें प्राचीनों की सलाह भी माननी चाहिए। इसके अलावा, हमारे भाई-बहन जो अलग-अलग गुण दिखाते हैं, उनसे भी हमें फायदा होता है। वाकई, मंडली के साथ संगति करने से हमें बुद्धिमान बनने में मदद मिलती है।—नीति. 13:20; 1 पतरस 4:10 पढ़िए।
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यहोवा हमारा शरणस्थान है
‘हम पर कोई विपत्ति नहीं आएगी’
13 हालाँकि इस संसार की सुरक्षा की दीवारें ढहती जा रही हैं, मगर जहाँ तक हमारी बात है हम परमेश्वर को अपने जीवन में पहला स्थान देते हैं और भजनहार के इन शब्दों से हौसला पाते हैं: “तू ने कहा: ‘यहोवा मेरा शरणस्थान है,’ तू ने परमप्रधान को अपना निवासस्थान बनाया है; इसलिए कोई विपत्ति तुझ पर आ न पड़ेगी, और एक महामारी तक तुम्हारे डेरे के निकट न आएगी।” (भजन 91:9, 10, NW) जी हाँ, यहोवा हमारा शरणस्थान है। साथ ही हम परमप्रधान परमेश्वर को “अपना निवासस्थान” भी बनाते हैं, जिसमें हम महफूज़ रहते हैं। हम यहोवा का गुणगान करते हैं कि वही पूरे जहान का महाराजा और मालिक है। हम उसे अपना रक्षक मानकर उसमें ‘निवास’ करते हैं और उसके राज्य की खुशखबरी सुनाते हैं। (मत्ती 24:14) इसलिए ऐसी ‘कोई भी विपत्ति हम पर नहीं आएगी,’ जिसका ज़िक्र इस भजन की शुरूआत में किया गया है। यहाँ तक कि जब हम दूसरों की तरह भूकंप, तूफान, बाढ़, अकाल या युद्ध जैसी विपत्तियों का शिकार होते हैं, तब भी ये विपत्तियाँ हमारे विश्वास या हमारी आध्यात्मिक सुरक्षा को खतरा नहीं पहुँचा पातीं।
14 अभिषिक्त मसीही, परदेशियों की तरह इस दुनिया से अलग अपने आध्यात्मिक डेरों में रहते हैं। (1 पतरस 2:11) ‘एक महामारी तक उनके डेरे के निकट नहीं आती।’ लेकिन चाहे हमारी आशा स्वर्ग में जीने की हो या इस धरती पर, हम इस संसार के भाग नहीं हैं। और न तो हम अनैतिकता, धन-दौलत के लालच और झूठे धर्म जैसी जानलेवा बीमारियों के शिकार होते हैं और ना ही हम “पशु” और उसकी “मूरत” यानी संयुक्त राष्ट्र की उपासना करते हैं।—प्रकाशितवाक्य 9:20, 21; 13:1-18; यूहन्ना 17:16.
15 हमारी हिफाज़त के बारे में भजनहार आगे कहता है: “वह [यहोवा] अपने दूतों को तेरे निमित्त आज्ञा देगा, कि जहां कहीं तू जाए वे तेरी रक्षा करें। वे तुझ को हाथों हाथ उठा लेंगे, ऐसा न हो कि तेरे पांवों में पत्थर से ठेस लगे।” (भजन 91:11, 12) स्वर्गदूतों को हमारी हिफाज़त करने की ताकत दी गयी है। (2 राजा 6:17; भजन 34:7-9; 104:4; मत्ती 26:53; लूका 1:19) ‘हम जहां कहीं जाते हैं,’ वे हमारी रक्षा करते हैं। (मत्ती 18:10) जब हम, राज्य का ऐलान करते हैं तो हम पाते हैं कि स्वर्गदूत हमें मार्गदर्शन देते और हमारी रखवाली करते हैं और हम आध्यात्मिक तौर पर ठोकर नहीं खाते। (प्रकाशितवाक्य 14:6, 7) और ना ही प्रतिबंधों जैसे “पत्थर” हमें ठोकर खिलाकर परमेश्वर के अनुग्रह से दूर कर पाते हैं।
16 इसके बाद, भजनहार कहता है: “तू सिंह और नाग को कुचलेगा, तू जवान सिंह और अजगर को लताड़ेगा [“रौंदेगा,” NHT]।” (भजन 91:13) जिस तरह एक सिंह सामने से अपने शिकार पर हमला करता है, उसी तरह हमारे कुछ दुश्मन, प्रचार काम को रोकने के लिए कानूनी फरमान जारी करके खुलेआम हमारा विरोध करते हैं। लेकिन हम पर छिपकर या पीछे से भी हमले किए जाते हैं, जैसे एक नाग छिपकर अपने शिकार को डसता है। कई पादरी कानून बनानेवालों, जजों और दूसरों की आड़ में छिपकर हम पर हमला करते हैं। मगर यहोवा की मदद से, हम शांति से इन मुसीबतों को पार करने के लिए कानून का दरवाज़ा खटखटाते हैं और इस तरह ‘सुसमाचार की रक्षा और उसका पुष्टिकरण’ करते हैं।—फिलिप्पियों 1:7, NHT; भजन 94:14, 20-22.
17 भजनहार, “जवान सिंह और अजगर” को रौंदने की बात करता है। एक जवान सिंह काफी खूँखार और एक अजगर बहुत विशाल हो सकता है। (यशायाह 31:4) जवान सिंह जैसे लोग या संगठन, सामने से हमला करते वक्त चाहे कितने ही खूँखार क्यों न हों, मगर हम उनकी आज्ञा के बजाय परमेश्वर की आज्ञा मानते हैं और इस मायने में हम उन्हें अपने पैरों तले रौंद डालते हैं। (प्रेरितों 5:29) इसलिए खतरनाक “सिंह” भी हमें आध्यात्मिक तरीके से घायल नहीं कर सकता।
18 भजन में बताया गया “अजगर” हमें ‘बड़े अजगर’ की याद दिलाता है, “वही पुराना सांप, जो इब्लीस और शैतान कहलाता है।” (प्रकाशितवाक्य 12:7-9; उत्पत्ति 3:15) वह एक विशाल भयानक साँप की तरह है जो अपने शिकार को लपेटकर चकनाचूर कर देता और निगल जाता है। (यिर्मयाह 51:34) जब यह “अजगर” यानी शैतान दुनिया की ओर से दबाव डालकर हमें अपनी कुंडली में लपेटने और निगलने की कोशिश करे, तब आइए हम झटककर उसकी पकड़ से खुद को छुड़ा लें और उसे अपने पैरों तले रौंद डालें। (1 पतरस 5:8) आज अभिषिक्त मसीहियों को हर हाल में ऐसा करना होगा, तभी वे रोमियों 16:20 को पूरा करने में हिस्सा ले पाएँगे।
यहोवा—हमारे उद्धार का सोता
19 परमेश्वर की तरफ से भजनहार, सच्चे उपासक के बारे में कहता है: “उस ने जो मुझ से स्नेह किया है, इसलिये मैं उसको छुड़ाऊंगा; मैं उसको ऊंचे स्थान पर रखूंगा, क्योंकि उस ने मेरे नाम को जान लिया है।” (भजन 91:14) “मैं उसको ऊंचे स्थान पर रखूंगा” का मतलब है कि यहोवा अपने उपासकों को ऐसी जगह रखता है जहाँ तक दुश्मन का पहुँचना नामुमकिन है। हम यहोवा के उपासक, उसकी शरण में खासकर इसलिए जाते हैं क्योंकि ‘हम उससे स्नेह करते हैं।’ (मरकुस 12:29, 30; 1 यूहन्ना 4:19) बदले में, परमेश्वर हमें अपने दुश्मनों से ‘छुड़ाता’ है। हमें कभी-भी इस धरती से मिटाया नहीं जाएगा, बल्कि हमारा उद्धार होगा क्योंकि हमने परमेश्वर के नाम को जाना है और हम पूरे विश्वास के साथ उस नाम को पुकारते हैं। (रोमियों 10:11-13) और हमने यह फैसला कर लिया है कि हम “यहोवा का नाम लेकर सदा सर्वदा चलते रहेंगे।”—मीका 4:5; यशायाह 43:10-12.
ढूँढ़े अनमोल रत्न
(भजन 89:34-37) मैं अपनी वाचा न तोडूँगा, और जो मेरे मुँह से निकल चुका है, उसे न बदलूँगा। 35 एक बार मैं अपनी पवित्रता की शपथ खा चुका हूँ; मैं दाऊद को कभी धोखा न दूँगा। 36 उसका वंश सर्वदा रहेगा, और उसकी राजगद्दी सूर्य के समान मेरे सम्मुख ठहरी रहेगी। 37 वह चन्द्रमा के समान, और आकाशमण्डल के विश्वासयोग्य साक्षी के समान सदा बना रहेगा।” (सेला)
प्र14 10/15 पेज 10 पै 14
परमेश्वर के राज पर अटूट विश्वास रखिए
14 यहोवा ने इसराएल के राजा दाविद से एक वादा किया, जिसे दाविद से किया गया करार कहा जाता है। (2 शमूएल 7:12,16 पढ़िए।) यहोवा ने इस करार के ज़रिए साफ बताया कि वंश किस खानदान से आएगा। उसने वादा किया कि वह दाविद के ही खानदान से आएगा। (लूका 1:30-33) यहोवा ने कहा कि दाविद के इस वारिस के पास मसीहाई राज का राजा बनने का कानूनी अधिकार होगा। (यहे. 21:25-27) दाविद का शासन हमेशा तक कायम रहेगा, क्योंकि यीशु, जो दाविद के खानदान से है, “सर्वदा रहेगा, और उसकी राजगद्दी सूर्य की नाईं . . . ठहरी रहेगी।” (भज. 89:34-37) जी हाँ, दाविद से किया गया करार इस बात की गारंटी देता है कि मसीहा का राज कभी भ्रष्ट नहीं होगा और इस राज से इंसानों को हमेशा-हमेशा तक आशीषें मिलती रहेंगी!
प्र07 7/15 पेज 32 पै 3-4, अँग्रेज़ी
‘आकाशमण्डल का विश्वासयोग्य साक्षी’
करीब तीन हज़ार साल पहले यहोवा परमेश्वर ने पुराने ज़माने के इसराएल के राजा दाविद से राज का करार किया। (2 शमूएल 7:12-16) इस राज का मकसद यह था कि दाविद के वंश यीशु मसीह को हमेशा के लिए दाविद की राजगद्दी पर बैठने का कानूनी अधिकार मिले। (यशायाह 9:7; लूका 1:32, 33) दाविद के “वंश” की राजगद्दी के बारे में भजन को लिखनेवाले ने गाया, “वह चन्द्रमा के समान, और आकाशमण्डल के विश्वासयोग्य साक्षी के समान सदा बना रहेगा।”—भजन 89:36, 37.
चंद्रमा “रात पर प्रभुता” करनेवाली “छोटी ज्योति” है और इस बात की एक सही मिसाल है कि मसीह का शासन हमेशा रहेगा। (उत्पत्ति 1:16) उसके राज के बारे में दानिय्येल 7:14 में लिखा है, “उसकी प्रभुता सदा तक अटल, और उसका राज्य अविनाशी ठहरा।” चंद्रमा एक ऐसा साक्षी है जो हमें राज के बारे में याद दिलाता है और उन आशीषों के बारे में भी, जो यह राज इंसानों पर लाएगा।
(भजन 90:10) हमारी आयु के वर्ष सत्तर तो होते हैं, और चाहे बल के कारण अस्सी वर्ष भी हो जाएँ, तौभी उनका घमण्ड केवल कष्ट और शोक ही शोक है; वह जल्दी कट जाती है, और हम जाते रहते हैं।
(भजन 90:12) हम को अपने दिन गिनने की समझ दे कि हम बुद्धिमान हो जाएँ।
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भजन संहिता किताब के तीसरे और चौथे भाग की झलकियाँ
90:10, 12. ज़िंदगी बहुत छोटी है, इसलिए हमें “अपने दिन गिनने” चाहिए। कैसे? “बुद्धि से भरा मन” (NHT) पाने से, यानी हमें अपनी ज़िंदगी के बचे हुए दिनों को यूँ ही बरबाद नहीं करना चाहिए, बल्कि उन्हें इस तरह इस्तेमाल करना चाहिए जिससे यहोवा खुश हो। ऐसा करने के लिए हमें आध्यात्मिक बातों को पहली जगह देनी चाहिए और अपने समय का सोच-समझकर इस्तेमाल करना चाहिए।—इफिसियों 5:15, 16; फिलिप्पियों 1:10.
प्र01 11/15 पेज 13 पै 19
यहोवा हमको अपने दिन गिनना सिखाता है
19 भजनहार के ये शब्द असल में, यहोवा से की गयी एक प्रार्थना हैं कि वह अपने लोगों को बुद्धि का इस्तेमाल करना सिखाए ताकि वे अपनी ज़िंदगी के बचे हुए एक-एक दिन की कीमत जानें और उन्हें इस तरह बिताएँ जिससे वह खुश हो। सत्तर साल की ज़िंदगी का मतलब है करीब 25,500 दिन। चाहे हमारी उम्र कितनी ही क्यों न हो, ‘हम यह नहीं जानते कि कल क्या होगा, हम तो मानो भाप समान हैं, जो थोड़ी देर दिखाई देती है, फिर लोप हो जाती है।’ (याकूब 4:13-15) इसके अलावा, ‘हम सब समय और संयोग के वश में हैं,’ इसलिए कोई नहीं कह सकता कि वह कितने दिन जीएगा। तो आइए हम बुद्धि के लिए प्रार्थना करें ताकि हम परीक्षाओं का सामना कर पाएँ, दूसरों से अच्छी तरह पेश आएँ और आज, जी हाँ इसी वक्त से परमेश्वर की सेवा पूरे तन-मन से करने में लग जाएँ! (सभोपदेशक 9:11; याकूब 1:5-8) यहोवा अपने वचन, अपनी पवित्र आत्मा और संगठन के ज़रिए हमें मार्गदर्शन देता है। (मत्ती 24:45-47; 1 कुरिन्थियों 2:10; 2 तीमुथियुस 3:16, 17) परमेश्वर से मिली बुद्धि का इस्तेमाल करने से हम ‘पहिले परमेश्वर के राज्य की खोज करेंगे’ और अपने दिन इस तरह बिताएँगे जिससे यहोवा की महिमा हो और उसका मन आनन्दित हो। (मत्ती 6:25-33; नीतिवचन 27:11) यह सच है कि तन-मन से उसकी उपासना करने से हमारी हर समस्या दूर नहीं होगी, मगर हाँ, ऐसा करने से हमें बड़ी खुशी महसूस होगी।
8-14 अगस्त
पाएँ बाइबल का खज़ाना | भजन 92-101
“बुज़ुर्ग ढलती उम्र में भी फल-फूल सकते हैं”
(भजन 92:12) धर्मी लोग खजूर के समान फूले फलेंगे, और लबानोन के देवदार के समान बढ़ते रहेंगे।
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‘वृद्धावस्था में फलना’
भूमध्य सागर के आस-पास के देशों में, बहुत-से लोग अपने आँगनों में खजूर के पेड़ लगाते हैं। ये पेड़ अपनी खूबसूरती और स्वादिष्ट फलों के लिए मशहूर हैं। इतना ही नहीं, ये पेड़ सौ से भी ज़्यादा सालों तक फल देते हैं।
प्राचीन इस्राएल के राजा, सुलैमान ने अपनी एक कविता में खूबसूरत शूलेम्मिन लड़की के डील-डौल को खजूर के पेड़ की तरह बताया था। (श्रेष्ठगीत 7:7) बाइबल के ज़माने के पेड़-पौधे (अँग्रेज़ी) किताब कहती है: “खजूर के पेड़ के लिए जो इब्रानी शब्द इस्तेमाल किया जाता है, वह है तामार। . . . यह पेड़ यहूदियों में, खूबसूरती और मनोहरता का प्रतीक बन गया था। और अकसर लड़कियों के नाम तामार रखे जाते थे।” मिसाल के लिए, सुलैमान की सौतेली बहन का नाम तामार था। (2 शमूएल 13:1) आज भी, कुछ यहूदी लोग अपनी बेटियों का नाम तामार रखते हैं।
लेकिन सिर्फ खूबसूरत लड़कियों की ही नहीं, बल्कि परमेश्वर के बुज़ुर्ग सेवकों की तुलना भी खजूर के पेड़ के साथ की गयी है। भजनहार ने अपने गीत में गाया: “धार्मिक व्यक्ति खजूर वृक्ष के समान फलते-फूलते हैं; वे लबानोन प्रदेश के देवदार-जैसे बढ़ते हैं। वे प्रभु के गृह में रोपे गए हैं; वे हमारे परमेश्वर के आंगनों में फलते-फूलते हैं। वे वृद्धावस्था में भी फलते हैं; वे सदा रसमय और हरे-भरे रहते हैं।”—भजन 92:12-14, नयी हिन्दी बाइबिल।
लाक्षणिक तौर पर देखा जाए, तो जो लोग ढलती उम्र में भी पूरी वफादारी से परमेश्वर की सेवा करते हैं, वे कई मायनों में खजूर के खूबसूरत पेड़ की तरह होते हैं। बाइबल कहती है: “पक्के बाल शोभायमान मुकुट ठहरते हैं; वे धर्म के मार्ग पर चलने से प्राप्त होते हैं।” (नीतिवचन 16:31) हालाँकि उम्र बढ़ने के साथ-साथ इंसान का दमखम खत्म होता जाता है, फिर भी वे अपनी आध्यात्मिक ताकत बरकरार रख सकते हैं। वह कैसे? नियमित तौर पर परमेश्वर के वचन, बाइबल का अध्ययन करने के ज़रिए। (भजन 1:1-3; यिर्मयाह 17:7, 8) हम इन वफादार बुज़ुर्गों के कितने एहसानमंद हैं, क्योंकि उनके मनोहर शब्द सुनकर और उनकी बढ़िया मिसाल देखकर हमारा हौसला बढ़ता है। साथ ही, वे सालों-साल तक फलते रहते हैं। (तीतुस 2:2-5; इब्रानियों 13:15, 16) जी हाँ, खजूर के पेड़ की तरह बुज़ुर्ग मसीही भी अपनी ढलती उम्र में फलते-फूलते रह सकते हैं।
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भजन संहिता किताब के तीसरे और चौथे भाग की झलकियाँ
92:12—धर्मी लोग किस मायने में ‘खजूर की नाईं फूलते फलते’ हैं? खजूर के पेड़ की एक खासियत यह है कि उसमें बहुत सारे फल लगते हैं। एक धर्मी इंसान, खजूर के पेड़ के समान होता है, क्योंकि वह यहोवा की नज़रों में खरा होता है और लगातार ‘अच्छे फल’ लाता है। इन फलों में उसके अच्छे काम भी शामिल हैं।—मत्ती 7:17-20.
(भजन 92:13, 14) वे यहोवा के भवन में रोपे जाकर, हमारे परमेश्वर के आँगनों में फूले फलेंगे। 14 वे पुराने होने पर भी फलते रहेंगे, और रस भरे और लहलहाते रहेंगे,
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विपत्ति के दिन आने से पहले यहोवा की सेवा कीजिए
17 आज हमें बुज़ुर्ग या बीमार मसीहियों की मदद करने के लिए तैयार रहना चाहिए। इनमें से बहुत-से भाई-बहन सभाओं और सम्मेलनों में आने के लिए तरसते हैं, मगर नहीं आ पाते। कुछ जगहों पर मंडली इन बुज़ुर्ग मसीहियों के लिए इंतज़ाम करती है, ताकि वे टेलीफोन के ज़रिए सभाओं के कार्यक्रम सुन सकें। मगर कुछ जगहों पर ऐसा मुमकिन नहीं हो पाता। फिर भी, जो मसीही सभाओं में नहीं आ पाते, वे भी सच्ची उपासना का साथ देने में हिस्सा ले सकते हैं। मिसाल के लिए, वे मसीही मंडली की तरक्की के लिए प्रार्थना कर सकते हैं।—भजन 92:13,14 पढ़िए।
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बुज़ुर्ग जन—हमारी मसीही बिरादरी के अनमोल सदस्य
“वे सदा रसमय और हरे-भरे रहते हैं”
9 यहोवा के बुज़ुर्ग सेवक कितने फलदायी हैं, इस बात की तरफ ध्यान खींचते हुए भजनहार ने गाया: “धार्मिक व्यक्ति खजूर वृक्ष के समान फलते-फूलते हैं; वे लबानोन प्रदेश के देवदार-जैसे बढ़ते हैं। . . . वे वृद्धावस्था में भी फलते हैं; वे सदा रसमय और हरे-भरे रहते हैं।”—भजन 92:12-14, नयी हिन्दी बाइबिल।
10 उम्र के इस मोड़ पर भी आप अपनी आध्यात्मिक ताकत कैसे बनाए रख सकते हैं? खजूर के पेड़ के सदाबहार रहने का राज़ है, उसे लगातार मिलनेवाला ताज़ा पानी। उसी तरह, आप भी परमेश्वर के वचन का अध्ययन और उसके संगठन के साथ संगति करने के ज़रिए बाइबल की सच्चाई के जल से ताकत पा सकते हैं। (भजन 1:1-3; यिर्मयाह 17:7, 8) आध्यात्मिक बातों में मज़बूत होने की वजह से आप अपने मसीही भाई-बहनों के लिए एक अनमोल खज़ाना साबित होंगे। इस बात के सबूत के लिए बुज़ुर्ग महायाजक यहोयादा के किस्से पर गौर कीजिए।
(भजन 92:15) जिस से यह प्रगट हो कि यहोवा सच्चा है; वह मेरी चट्टान है, और उस में कुटिलता कुछ भी नहीं।
प्र04 5/15 पेज 12-14 पै 13-18
बुज़ुर्ग जन—हमारी मसीही बिरादरी के अनमोल सदस्य
13 बिगड़ती सेहत या दूसरी कुछ मजबूरियों की वजह से शायद आप सच्ची उपासना को बढ़ावा देने में ज़्यादा मेहनत न कर पाएँ। लेकिन ऐसे हालात में भी आप ‘परमेश्वर और उसके भवन के विषय में भला’ कर सकते हैं। जब भी मुमकिन हो, कलीसिया की सभाओं में हाज़िर होने, उनमें हिस्सा लेने और प्रचार करने के ज़रिए आप यहोवा के आध्यात्मिक भवन के लिए जोश दिखा सकते हैं। जब आप बाइबल की सलाह को खुशी-खुशी मानेंगे और पूरी वफादारी से “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास” और कलीसिया के इंतज़ामों के मुताबिक चलेंगे, तो यह देखकर दूसरे भाई-बहन काफी मज़बूत होंगे। (मत्ती 24:45-47) इसके अलावा, आप अपने साथी उपासकों को “प्रेम, और भले कामों में” भी उस्का सकते हैं। (इब्रानियों 10:24, 25; फिलेमोन 8, 9) और अगर आप प्रेरित पौलुस की इस सलाह को मानेंगे तो आप दूसरों के लिए एक आशीष ठहरेंगे: “बूढ़े पुरुष, सचेत और गम्भीर और संयमी हों, और उन का विश्वास और प्रेम और धीरज पक्का हो। इसी प्रकार बूढ़ी स्त्रियों का चाल चलन पवित्र लोगों सा हो, दोष लगानेवाली और पियक्कड़ नहीं; पर अच्छी बातें सिखानेवाली हों।”—तीतुस 2:2-4.
14 क्या आपने कई सालों से कलीसिया के प्राचीन की हैसियत से सेवा की है? लंबे समय से कलीसिया के प्राचीन रह चुके एक भाई ने यह सलाह दी: “आपने बीते कई सालों के दौरान जो बुद्धि हासिल की है, उसका निःस्वार्थ भाव से इस्तेमाल कीजिए। दूसरों को ज़िम्मेदारी सौंपिए और जो सीखने के लिए उत्सुक हैं उन्हें अपना तजुर्बा बताइए। . . . देखिए कि दूसरों में क्या-क्या करने की काबिलीयतें हैं। फिर उन काबिलीयतों को निखारने में उनकी मदद कीजिए। भविष्य के लिए नींव डालिए।” (व्यवस्थाविवरण 3:27, 28) दिनों-दिन बढ़ते प्रचार के काम में जब आप सच्ची दिलचस्पी दिखाएँगे तो इससे हमारी मसीही बिरादरी में दूसरे भाई-बहनों को ढेरों आशीषें मिलेंगी।
‘प्रगट करें कि यहोवा सीधा है’
15 “यहोवा सीधा है” यह बात ‘प्रगट करने’ की ज़िम्मेदारी, परमेश्वर के बुज़ुर्ग सेवक खुशी-खुशी निभाते हैं। अगर आप उम्रदराज़ मसीही हैं, तो आपकी बातों और आपके कामों से दूसरे देख सकेंगे कि ‘यहोवा आपकी चट्टान है, और उस में कुटिलता कुछ भी नहीं।’ (भजन 92:15) खजूर का पेड़ खामोश खड़ा रहकर अपने सिरजनहार के उम्दा गुणों का बयान करता है। लेकिन यहोवा ने आपको ऐसी अनोखी काबिलीयत दी है कि आप अपनी ज़बान से यहोवा की खराई के बारे में उन नए लोगों को सबूत दे सकते हैं जो आज सच्ची उपासना करने में शामिल हो रहे हैं। (व्यवस्थाविवरण 32:7; भजन 71:17, 18; योएल 1:2, 3) यहोवा के बारे में ऐसा सबूत देना क्यों ज़रूरी है?
16 इस्राएलियों का अगुवा यहोशू जब “बूढ़ा और बहुत आयु का हो गया” तो उसने ‘सब इस्राएलियों को अर्थात्पुरनियों, मुख्य पुरुषों, न्यायियों और सरदारों को बुलवाया’ और उन्हें यहोवा के सच्चे कामों के बारे में याद दिलाया। उसने कहा: “जितनी भलाई की बातें हमारे परमेश्वर यहोवा ने हमारे विषय में कहीं उन में से एक भी बिना पूरी हुए नहीं रही; वे सब की सब तुम पर घट गई हैं।” (यहोशू 23:1, 2, 14) यहोशू की इन बातों ने कुछ समय के लिए लोगों का यह इरादा मज़बूत किया कि वे यहोवा के वफादार रहेंगे। लेकिन यहोशू की मौत के बाद, “जो दूसरी पीढ़ी हुई उसके लोग न तो यहोवा को जानते थे और न उस काम को जो उस ने इस्राएल के लिये किया था। इसलिये इस्राएली वह करने लगे जो यहोवा की दृष्टि में बुरा है, और बाल नाम देवताओं की उपासना करने लगे।”—न्यायियों 2:8-11.
17 यह सच है कि आज मसीही कलीसिया की खराई, परमेश्वर के बुज़ुर्ग सेवकों के सबूतों पर निर्भर नहीं है। फिर भी इन अंतिम दिनों में यहोवा ने अपने लोगों की खातिर जितने “बड़े काम” किए हैं, उनके बारे में जब हम चश्मदीद गवाहों यानी बुज़ुर्ग मसीहियों से सुनते हैं, तो यहोवा और उसके वादों पर हमारा विश्वास मज़बूत होता है। (न्यायियों 2:7; 2 पतरस 1:16-19) अगर आप कई सालों से यहोवा के संगठन के साथ संगति कर रहे हैं, तो आपको वह समय याद होगा जब आपके इलाके या देश में राज्य के बहुत कम प्रचारक थे या जब प्रचार काम का कड़ा विरोध किया जाता था। लेकिन समय के गुज़रते आपने देखा कि कैसे यहोवा ने कुछेक रुकावटें दूर कीं और राज्य के काम को “शीघ्रता से” आगे बढ़ाया। (यशायाह 54:17; 60:22) आपने देखा कि कैसे बाइबल की सच्चाइयों के बारे में पहले से अच्छी समझ हासिल की गयी और धरती पर यहोवा के संगठन में एक-के-बाद एक सुधार किए गए। (नीतिवचन 4:18; यशायाह 60:17) यहोवा के सच्चे कामों के बारे में आपको जो तजुर्बा हासिल हुआ है, क्या आप उसे दूसरों को सुनाकर उनका हौसला बढ़ाते हैं? ऐसा करने से मसीही बिरादरी में क्या ही जोश पैदा होगा और वह कितनी मज़बूत होगी!
18 आपकी निजी ज़िंदगी की उन घटनाओं के बारे में क्या जब आपने यहोवा का प्यार महसूस किया और उसने आपको सही राह दिखायी? (भजन 37:25; मत्ती 6:33; 1 पतरस 5:7) मार्था नाम की एक बुज़ुर्ग बहन यह कहकर दूसरों की हिम्मत बढ़ाती थी: “चाहे कुछ भी हो जाए, यहोवा को कभी मत छोड़ना। वह आपको ज़रूर सँभालेगा।” मार्था की इस सलाह ने उसकी एक बाइबल विद्यार्थी, टोल्मीना पर गहरा असर किया। टोल्मीना का बपतिस्मा, सन् 1960 के दशक की शुरूआत में हुआ था। वह कहती है, “जब मेरे पति गुज़र गए तो मैं बहुत निराश हो गयी थी, मगर मार्था के वे शब्द मेरे दिल में बस गए थे इसलिए मैंने अटल फैसला किया कि मैं एक भी सभा में जाने से नहीं चूकूँगी। और यहोवा ने वाकई मुझे सच्चाई की राह पर बने रहने के लिए मज़बूत किया।” बीते कई सालों के दौरान टोल्मीना ने यही सलाह अपने कई बाइबल विद्यार्थियों को भी दी। जी हाँ, अपने मसीही भाई-बहनों का हौसला बढ़ाने और यहोवा के सच्चे कामों के बारे में उन्हें याद दिलाने के ज़रिए आप उनका विश्वास काफी मज़बूत कर सकते हैं।
ढूँढ़े अनमोल रत्न
(भजन 99:6, 7) उसके याजकों में मूसा और हारून, और उसके प्रार्थना करनेवालों में से शमूएल यहोवा को पुकारते थे, और वह उनकी सुन लेता था। 7 वह बादल के खम्भे में होकर उनसे बातें करता था; और वे उसकी चितौनियों और उसकी दी हुई विधियों पर चलते थे।
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शांति-भरे अनोखे माहौल को बेहतर बनाने में मेहनत कीजिए
5 जब हम यहोवा की महिमा करते हैं, तो हम उसके उन वफादार सेवकों की मिसाल पर चल रहे होते हैं, जिनका ज़िक्र भजन 99:1-3, 5-7 में किया गया है। (पढ़िए।) जैसे इस भजन से पता चलता है, बीते ज़माने में मूसा, हारून और शमूएल जैसे वफादार पुरुषों ने सच्ची उपासना को बढ़ावा देने में पूरा-पूरा साथ दिया। आज बचे हुए अभिषिक्त मसीही भी स्वर्ग जाकर यीशु के साथ याजकों के तौर पर सेवा करने से पहले, धरती पर परमेश्वर यहोवा के ठहराए गए इंतज़ाम के मुताबिक वफादारी से उसकी सेवा करते हैं। साथ ही, ‘दूसरी भेड़’ के लाखों लोग वफादारी से उनका साथ दे रहे हैं। (यूह. 10:16) हालाँकि इन दोनों समूह के लोगों की आशा अलग-अलग है, फिर भी वे एक होकर यहोवा के चरणों की चौकी पर उसकी उपासना करते हैं। लेकिन हममें से हर एक को खुद से पूछना चाहिए, ‘क्या मैं यहोवा की सच्ची उपासना के इंतज़ाम का पूरा-पूरा साथ दे रहा हूँ?’
(भजन 101:2) मैं बुद्धिमानी से खरे मार्ग में चलूँगा। तू मेरे पास कब आएगा? मैं अपने घर में मन की खराई के साथ अपनी चाल चलूँगा;
प्र05 11/1 पेज 24 पै 14
क्या आप परमेश्वर के साथ-साथ चलेंगे?
‘अनदेखे को मानो देखते’ हुए चलिए
14 यहोवा परमेश्वर के साथ-साथ चलने के लिए ज़रूरी है कि उसका वजूद हमारे लिए एक हकीकत हो। याद कीजिए कि यहोवा ने प्राचीन इस्राएल के वफादार लोगों को यकीन दिलाया था कि वह उनसे छिपा हुआ नहीं था। उसी तरह, हमारा महान उपदेशक आज अपने लोगों के सामने खुद को ज़ाहिर कर रहा है। क्या यहोवा की शख्सियत आपके लिए इस कदर एक हकीकत है, मानो वह आपके सामने खड़ा होकर आपको हिदायत दे रहा हो? आपमें ऐसा पक्का विश्वास होना ज़रूरी है, तभी आप परमेश्वर के साथ-साथ चल पाएँगे। मूसा में ऐसा विश्वास था, इसलिए “वह अनदेखे को मानो देखता हुआ दृढ़ रहा।” (इब्रानियों 11:27) अगर यहोवा हमारे लिए एक हकीकत है, तो हम ऐसा कोई भी फैसला नहीं करेंगे जिससे उसकी भावनाओं को ठेस पहुँचेगी। जैसे, हम कोई भी गलत काम करने की नहीं सोचेंगे, ना ही ऐसा करने के बाद उसे मसीही प्राचीनों या अपने घरवालों से छिपाए रखेंगे। इसके बजाय, चाहे हमें कोई न भी देखे, फिर भी हम परमेश्वर के साथ-साथ चलने की कोशिश करते रहेंगे। पुराने ज़माने के राजा दाऊद की तरह हम भी यह ठान चुके हैं: “मैं अपने घर में मन की खराई के साथ अपनी चाल चलूंगा।”—भजन 101:2.
15-21 अगस्त
पाएँ बाइबल का खज़ाना | भजन 102-105
“यहोवा को याद रहता है कि हम मिट्टी ही हैं”
(भजन 103:8-12) यहोवा दयालु और अनुग्रहकारी, विलम्ब से कोप करनेवाला और अति करुणामय है। 9 वह सर्वदा वादविवाद करता न रहेगा, न उसका क्रोध सदा के लिये भड़का रहेगा। 10 उसने हमारे पापों के अनुसार हम से व्यवहार नहीं किया, और न हमारे अधर्म के कामों के अनुसार हम को बदला दिया है। 11 जैसे आकाश पृथ्वी के ऊपर ऊँचा है, वैसे ही उसकी करुणा उसके डरवैयों के ऊपर प्रबल है। 12 उदयाचल अस्ताचल से जितनी दूर है, उसने हमारे अपराधों को हम से उतनी ही दूर कर दिया है।
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यहोवा की वफादारी और उसके माफ करने के गुण की कदर कीजिए
14 हम यहोवा के माफ करने के गुण पर मनन करने से दिलासा पा सकते हैं। एक उदाहरण पर गौर कीजिए। कुछ साल पहले, एक बहन का, जिसे हम इलेन कहेंगे, बहिष्कार किया गया। फिर कुछ साल बाद, उसे मंडली में बहाल कर दिया गया। वह बताती है, “हालाँकि मैं खुद से और दूसरों से भी कहती थी कि मैं मानती हूँ कि यहोवा ने मुझे माफ कर दिया है, लेकिन मुझे हमेशा ऐसा लगता था कि यहोवा मुझसे दूर है या फिर दूसरे यहोवा के ज़्यादा करीब हैं और यहोवा उनके लिए और असल है।” पर जब इलेन ने बाइबल की कुछ ऐसी आयतों पर मनन किया, जिनमें यहोवा की माफी के बारे में बताया गया है, तो उसे काफी दिलासा मिला। इलेन यह भी कहती है, “मैंने कभी इतने करीब से यहोवा के प्यार और उसकी कोमलता को महसूस नहीं किया था।” खासकर यह बात उसके दिल को छू गयी: “जब यहोवा हमारे पापों को माफ करता है, तो हमें कभी-भी यह महसूस नहीं करना चाहिए कि अब पापों के ये दाग ज़िंदगी भर नहीं मिटेंगे।” इलेन कहती है: “मुझे एहसास हुआ कि मुझे इस बात पर भरोसा नहीं था कि यहोवा मुझे पूरी तरह माफ कर सकता है। और मैं सोचती थी कि मुझे ज़िंदगी-भर यह बोझ उठाना पड़ेगा। धीरे-धीरे ही सही, पर अब मुझे महसूस होने लगा है कि मैं सच में यहोवा के करीब जा सकती हूँ। अब ऐसा लगता है मानो मुझ पर से एक भारी बोझ हट गया हो।” सच, जिस परमेश्वर की हम उपासना करते हैं, वह कितना प्यारा और माफ करनेवाला परमेश्वर है!—भज. 103:9.
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आज़ादी दिलानेवाले परमेश्वर की सेवा कीजिए
17 बेशक, कभी-न-कभी हम सभी गलतियाँ करते हैं। (सभो. 7:20) जब ऐसा होता है, तो निराश मत होइए, ना ही यह सोचिए कि अब आप यहोवा के प्यार के काबिल नहीं। इसके बजाय अपनी गलती सुधारने के लिए कदम उठाइए। अगर ज़रूरत पड़े तो प्राचीनों से मदद माँगने में हिचकिचाइए मत। याकूब ने लिखा कि प्राचीनों की ‘विश्वास से की गयी प्रार्थना बीमार को अच्छा कर देगी और यहोवा उसे उठाकर खड़ा कर देगा। और अगर उसने पाप भी किए हों, तो वे माफ किए जाएँगे।’ (याकू. 5:15) कभी मत भूलिए कि परमेश्वर दयालु है और आपमें कुछ अच्छा देखकर उसी ने आपको मसीही मंडली का हिस्सा बनाया है। (भजन 103:8, 9 पढ़िए।) अगर आप पूरे दिल से यहोवा की सेवा करते रहेंगे, तो वह आपको कभी नहीं छोड़ेगा।—1 इति. 28:9.
(भजन 103:13, 14) जैसे पिता अपने बालकों पर दया करता है, वैसे ही यहोवा अपने डरवैयों पर दया करता है। 14 क्योंकि वह हमारी सृष्टि जानता है; और उसको स्मरण रहता है कि मनुष्य मिट्टी ही है।
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हमेशा यहोवा पर भरोसा रखिए!
8 यह भी याद रखिए कि यहोवा जानता है कौन किस हद तक मुश्किलें सह सकता है। (भज. 103:14) इसलिए वह हमें मुश्किलों के दौरान धीरज धरने के लिए ज़रूरी ताकत देता है। यह सच है कि कभी-कभी हमें लगता है कि अब हम और नहीं सह सकते। लेकिन यहोवा वादा करता है कि अगर कोई मुश्किल हमारी बरदाश्त के बाहर हो जाए तो “वह उससे निकलने का रास्ता भी निकालेगा।” (1 कुरिंथियों 10:13 पढ़िए।) जी हाँ, हम पूरा भरोसा रख सकते हैं कि यहोवा जानता है, हम किस हद तक मुश्किलें सह सकते हैं। तो क्या यह जानकर हमें दिलासा नहीं मिलता?
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यहोवा की दरियादिली और लिहाज़ दिखाने के गुण की कदर कीजिए
16 कल्पना कीजिए कि आप एक बहुत ही गरीब इसराएली हैं। आप निवासस्थान में भेंट के लिए थोड़ा-सा मैदा लेकर पहुँचते हैं, कि तभी आपकी नज़र उन अमीर इसराएलियों पर पड़ती है, जो भेंट के लिए मवेशी ला रहे हैं। अपनी मामूली-सी भेंट देखकर आपको शर्म महसूस होती है। लेकिन फिर आपको याद आता है कि यहोवा की नज़र में आपकी भेंट भी अहमियत रखती है। क्यों? क्योंकि यहोवा जानता है कि आप भी अपना उत्तम-से-उत्तम दे रहे हैं। याद है, कानून में यहोवा ने यह माँग की थी कि इसराएली उत्तम-से-उत्तम किस्म का आटा, यानी “मैदा” चढ़ाएँ? तो एक तरह से यहोवा उन गरीब इसराएलियों से कह रहा था: ‘मैं जानता हूँ कि तुम दूसरों के जितना नहीं दे सकते, पर मैं यह भी जानता हूँ कि तुम मेरे लिए अपनी तरफ से सबसे अच्छी भेंट चढ़ा रहे हो।’ सच, यहोवा अपने सेवकों की सीमाओं और उनके हालात को बखूबी समझता है और उन्हें लिहाज़ दिखाता है। वह कभी उनसे हद-से-ज़्यादा की माँग नहीं करता।—भज. 103:14.
(भजन 103:19) यहोवा ने तो अपना सिंहासन स्वर्ग में स्थिर किया है, और उसका राज्य पूरी सृष्टि पर है।
(भजन 103:22) हे यहोवा की सारी सृष्टि, उसके राज्य के सब स्थानों में उसको धन्य कहो। हे मेरे मन, तू यहोवा को धन्य कह!
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यहोवा हमारा परमप्रधान है!
5 सृष्टिकर्ता होने के नाते यहोवा, न सिर्फ धरती का बल्कि पूरे विश्व का मालिक या प्रधान है। (प्रकाशितवाक्य 4:11 पढ़िए।) वह हमारा न्यायी, व्यवस्था देनेवाला और राजा है क्योंकि पूरे विश्व पर न्याय करने, नियम-कानून बनाने और व्यवस्था देनेवाला वही है। (यशा. 33:22) यहोवा की वजह से ही हम वजूद में हैं और उसी पर निर्भर हैं इसलिए हमें उसी को परमप्रधान मानना चाहिए। अगर हम यह याद रखें कि “यहोवा ने . . . अपना सिंहासन स्वर्ग में स्थिर किया है, और उसका राज्य पूरी सृष्टि पर है” तो हमारा दिल हमें उभारेगा कि हम उसकी हुकूमत का साथ दें।—भज. 103:19; प्रेषि. 4:24.
अध्ययन लेख ब्रोशर 07 पेज 3 पै 1
यहोवा की हुकूमत और परमेश्वर का राज्य
“यहोवा ने तो अपना सिंहासन स्वर्ग में स्थिर किया है, और उसका राज्य पूरी सृष्टि पर है।” (भजन 103:19) इन शब्दों के ज़रिए भजनहार ने हुकूमत के बारे में एक बुनियादी सच्चाई बयान की। वह यह कि सिरजनहार होने के नाते, सिर्फ यहोवा ही इस विश्व का महाराजाधिराज कहलाने का हकदार है।
ढूँढ़े अनमोल रत्न
(भजन 102:12) परन्तु हे यहोवा, तू सदैव विराजमान रहेगा; और जिस नाम से तेरा स्मरण होता है, वह पीढ़ी से पीढ़ी तक बना रहेगा।
(भजन 102:27) परन्तु तू वही है, और तेरे वर्षों का अन्त नहीं होने का।
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खुद के बारे में सही नज़रिया कैसे बनाए रखें
‘पीड़ित व्यक्ति की प्रार्थना’
19 भजन 102 का रचयिता बहुत परेशान था। वह “पीड़ित” था, यानी वह शारीरिक या भावनात्मक दर्द से गुज़र रहा था और उसमें अपनी परेशानियाँ सहने की ताकत नहीं थी। (भज. 102, उपरिलेख, हिंदी ईज़ी-टू-रीड वर्शन) वह अपने दर्द, अकेलेपन और अपनी भावनाओं के दलदल में धँसता ही जा रहा था। (भज. 102:3, 4, 6, 11) वह यह मानने लगा था कि यहोवा उसे ठुकरा देना चाहता है।—भज. 102:10.
20 भजन 102 दिखाता है कि जो ‘विश्वास में हैं,’ हो सकता है वे भी दर्द से गुज़रें और उन्हें भी और कुछ न सूझे। भजनहार को लगा जैसे वह एक ‘गौरे के समान है जो छत के ऊपर अकेला बैठता है।’ यानी उसे लगा जैसे वह बिलकुल अकेला है और चारों तरफ से परेशानियों से घिरा है। (भज. 102:7) फिर भी, भजन के इस रचयिता ने प्रार्थना के ज़रिए यहोवा की महिमा की। (भजन 102:19-21 पढ़िए।) अगर आप भी कभी ऐसा महसूस करते हैं, तो भजनहार की तरह दिल खोलकर यहोवा से बात कीजिए। आपकी प्रार्थनाएँ आपको खुद के बारे में गलत नज़रिए से लड़ने में मदद दे सकती हैं। यहोवा वादा करता है कि “वह लाचार की प्रार्थना की ओर मुंह करता है, और उनकी प्रार्थना को तुच्छ नहीं जानता।” (भज. 102:17) उसके इस वादे पर भरोसा रखिए।
21 भजन 102 यह भी दिखाता है कि आप अपने बारे में और भी ज़्यादा सही नज़रिया बनाए रख सकते हैं। वह कैसे? भजनहार ने खुद के बारे में सोचने के बजाय, यहोवा के साथ अपने रिश्ते पर ध्यान दिया। (भज. 102:12, 27) उसे यह जानकर दिलासा मिला कि यहोवा हमेशा अपने लोगों को परीक्षाओं का सामना करने में मदद देगा। इसलिए अगर आप निराश हो गए हैं और परमेश्वर की सेवा में उतना नहीं कर पा रहे, जितना आप करना चाहते हैं, तो इस बारे में प्रार्थना कीजिए। परमेश्वर से गुज़ारिश कीजिए कि वह आपकी प्रार्थना सुने, न सिर्फ इसलिए कि आपको अपनी तकलीफ से निजात मिले, बल्कि इसलिए भी कि “यहोवा के नाम का वर्णन किया जाए।”—भज. 102:20, 21.
(भजन 103:13) जैसे पिता अपने बालकों पर दया करता है, वैसे ही यहोवा अपने डरवैयों पर दया करता है।
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हमेशा यहोवा पर भरोसा रखिए!
7 यहोवा हमेशा हमारी प्रार्थनाओं का जवाब फौरन नहीं देता। ऐसा क्यों? बाइबल कहती है कि यहोवा एक पिता की तरह है। (भज. 103:13) एक पिता अपने बच्चे की हर माँग पूरी नहीं करता या जैसे ही बच्चा कुछ माँगता है, वह फौरन उसे वह चीज़ नहीं देता। वह जानता है कि कभी-कभी बच्चा अचानक किसी चीज़ के लिए ज़िद करने लगता है, लेकिन कुछ समय बाद ऐसा होता है कि वह चीज़ उसे नहीं चाहिए। पिता यह भी जानता है कि उसके बच्चे के लिए सबसे अच्छा क्या है और बच्चे की ज़रूरत पूरी करने का दूसरों पर क्या असर हो सकता है। उसे पता है कि बच्चे की ज़रूरतें क्या हैं और ये कब पूरी की जानी चाहिए। अगर पिता बच्चे की हर माँग फौरन पूरी कर दे, तब तो पिता बच्चे का नौकर बन जाएगा। स्वर्ग में रहनेवाला हमारा पिता यहोवा हमसे प्यार करता है। वह हमारा सृष्टिकर्ता है और बहुत बुद्धिमान है। इसलिए वह जानता है कि हमारी ज़रूरतें क्या हैं। और वह यह तय करता है कि हम जिस बात के लिए प्रार्थना करते हैं, उसका जवाब देना कब सबसे अच्छा होगा। तो फिर हमारी भलाई इसी में है कि हम यहोवा के वक्त का इंतज़ार करें और देखें कि वह कैसे हमारी प्रार्थनाओं का जवाब देता है।—यशायाह 29:16; 45:9 से तुलना कीजिए।
22-28 अगस्त
पाएँ बाइबल का खज़ाना | भजन 106-109
“यहोवा का धन्यवाद करो”
(भजन 106:1-3) याह की स्तुति करो! यहोवा का धन्यवाद करो, क्योंकि वह भला है; और उसकी करुणा सदा की है! 2 यहोवा के पराक्रम के कामों का वर्णन कौन कर सकता है, या उसका पूरा गुणानुवाद कौन सुना सकता? 3 क्या ही धन्य हैं वे जो न्याय पर चलते, और हर समय धर्म के काम करते हैं!
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यहोवा का धन्यवाद करो और आशीषें पाओ
यहोवा के शुक्रगुज़ार होने की हमारे पास ढेरों वजह हैं और वह इसका हकदार भी है। हमें “हरेक अच्छा तोहफा और हरेक उत्तम देन” देनेवाला वही है। (याकू. 1:17) एक प्यार करनेवाला चरवाहा होने के नाते वह हमारी सभी ज़रूरतें पूरी करता है। (भज. 23:1-3) और वह “हमारा शरणस्थान और बल” ठहरता है, खासकर तब, जब हम मुश्किलों का सामना करते हैं। (भज. 46:1) वाकई, भजनहार की कही इस बात से हम पूरी तरह सहमत हैं: “यहोवा का धन्यवाद करो, क्योंकि वह भला है; और उसकी करुणा सदा की है!”—भज. 106:1.
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यहोवा की धार्मिकता से प्रसन्न होइए
19 आज के इस खतरनाक दौर में जब इस बात का पता नहीं कि अगले पल क्या होगा, यहोवा की धार्मिकता से प्रसन्न होने से हमारी हिफाज़त और हमारा बचाव होगा। राजा दाऊद ने पूछा: “हे परमेश्वर तेरे तम्बू में कौन रहेगा? तेरे पवित्र पर्वत पर कौन बसने पाएगा?” फिर इन सवालों का उसने यह जवाब दिया: “वह जो खराई से चलता और धर्म [“धार्मिकता,” NHT] के काम करता है।” (भजन 15:1, 2) परमेश्वर की धार्मिकता के मार्ग पर चलने और उससे प्रसन्न होने से हम उसके साथ एक अच्छा रिश्ता बना पाएँगे जिससे उसका अनुग्रह और उसकी आशीष हमेशा हम पर रहेगी। तब हम संतुष्टि, आत्म-सम्मान और मन की शांति के साथ जी सकेंगे। परमेश्वर का वचन कहता है: “जो धार्मिकता, और निष्ठा की खोज में रहता है, वह जीवन, धार्मिकता और सम्मान प्राप्त करता है।” (नीतिवचन 21:21, NHT) इसके अलावा, जब हम ज़िंदगी के हर पहलू में सही काम करने की अपनी तरफ से पूरी कोशिश करेंगे, तो हम दूसरों के साथ अच्छा रिश्ता कायम कर पाएँगे और नैतिक और आध्यात्मिक मायनों में एक बेहतरीन ज़िंदगी जी सकेंगे। भजनहार ने कहा: “क्या ही धन्य हैं वे जो न्याय पर चलते, और हर समय धर्म [“धार्मिकता,” NHT] के काम करते हैं!”—भजन 106:3.
(भजन 106:7-14) मिस्र में हमारे पुरखाओं ने तेरे आश्चर्यकर्मों पर मन नहीं लगाया, न तेरी अपार करुणा को स्मरण रखा; उन्होंने समुद्र के किनारे अर्थात् लाल समुद्र के किनारे बलवा किया। 8 तौभी उसने अपने नाम के निमित्त उनका उद्धार किया, जिससे वह अपने पराक्रम को प्रगट करे। 9 तब उसने लाल समुद्र को घुड़का और वह सूख गया; और वह उन्हें गहिरे जल के बीच से मानो जंगल में से निकाल ले गया। 10 उसने उन्हें बैरी के हाथ से उबारा, और शत्रु के हाथ से छुड़ा लिया। 11 और उनके शत्रु जल में डूब गए; उनमें से एक भी न बचा। 12 तब उन्होंने उसके वचनों का विश्वास किया; और उसकी स्तुति गाने लगे। 13 परन्तु वे झट उसके कामों को भूल गए; और उसकी युक्त्ति के लिये न ठहरे। 14 उन्होंने जंगल में अति लालसा की, और निर्जल स्थान में परमेश्वर की परीक्षा की।
(भजन 106:19-25) उन्होंने होरेब में बछड़ा बनाया, और ढली हुई मूर्ति को दण्डवत् की। 20 यों उन्होंने अपनी महिमा अर्थात् परमेश्वर को घास खानेवाले बैल की प्रतिमा से बदल डाला। 21 वे अपने उद्धारकर्त्ता परमेश्वर को भूल गए, जिसने मिस्र में बड़े बड़े काम किए थे। 22 उसने तो हाम के देश में आश्चर्यकर्म और लाल समुद्र के तट पर भयंकर काम किए थे। 23 इसलिये उसने कहा कि मैं उनका सत्यानाश कर डालता यदि मेरा चुना हुआ मूसा जोखिम के स्थान में उनके लिये खड़ा न होता ताकि मेरी जलजलाहट को ठण्डा करे कहीं ऐसा न हो कि मैं उन्हें नष्ट कर डालूँ। 24 उन्होंने मनभावने देश को निकम्मा जाना, और उसके वचन की प्रतीति न की। 25 वे अपने तम्बुओं में कुड़कुड़ाए, और यहोवा का कहा न माना।
(भजन 106:35-39) वरन् उन्हीं जातियों से हिलमिल गए और उनके व्यवहारों को सीख लिया; 36 और उनकी मूर्तियों की पूजा करने लगे, और वे उनके लिये फन्दा बन गईं। 37 वरन् उन्होंने अपने बेटे-बेटियों को पिशाचों के लिये बलिदान किया; 38 और अपने निर्दोष बेटे-बेटियों का लहू बहाया जिन्हें उन्होंने कनान की मूर्त्तियों पर बलि किया, इसलिये देश खून से अपवित्र हो गया। 39 और वे आप अपने कामों के द्वारा अशुद्ध हो गए, और अपने कार्यों के द्वारा व्यभिचारी भी बन गए।
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यहोवा का धन्यवाद करो और आशीषें पाओ
2 आखिर, एहसानमंदी दिखाना क्यों इतना ज़रूरी है? क्योंकि जैसे भविष्यवाणी की गयी थी, इन आखिरी दिनों में हम एक एहसान-फरामोश दुनिया में जी रहे हैं। (2 तीमु. 3:2) आज ज़्यादातर लोगों को इस बात की ज़रा भी कदर नहीं कि यहोवा ने उनके लिए कितना कुछ किया है। लोग आज संतुष्ट नहीं हैं। और होंगे भी कैसे? इस दुनिया का विज्ञापन जगत उन्हें बढ़ावा जो देता रहता है कि वे और भी चीज़ें बटोरें और अपनी दुनिया को और भी खूबसूरत बनाएँ। नतीजा, आज लाखों लोग सब कुछ होते हुए भी संतुष्ट नहीं हैं। अगर हम सावधान न रहें, तो यह रवैया हममें भी आ सकता है। हो सकता है हम भी उनकी तरह उन चीज़ों के लिए एहसानमंदी दिखाना छोड़ दें, जो हमारे पास हैं। इसराएलियों की तरह, हो सकता है हम भी एहसान-फरामोश बन जाएँ और यहोवा से मिली आशीषों और उसके साथ अपने अनमोल रिश्ते के लिए अपनी कदरदानी ही खो बैठें।—भज. 106:7, 11-13.
3 इसके अलावा, जब हम पर तकलीफें आती हैं, तब भी हम एहसानमंदी दिखाने से चूक सकते हैं। वह कैसे? तकलीफें आने पर हमारा ध्यान बड़ी आसानी से हमें मिली आशीषों से हटकर हमारी तकलीफों पर जा सकता है। (भज. 116:3) तो फिर सवाल उठता है कि हम कैसे इस एहसान-फरामोश दुनिया में रहकर भी एहसानमंदी की भावना बनाए रख सकते हैं? और क्या बात हमें मुश्किल-से-मुश्किल हालात का भी सामना करने में मदद दे सकती है? आइए इन सवालों के जवाब जानें।
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सुनकर भूलनेवाले मत बनिए
“ज़िंदगी भर याद रहेगा!” इन शब्दों के ज़रिए प्राचीन मिस्र में किए गए यहोवा के चमत्कारों के लिए अपनी भावना ज़ाहिर करना बिलकुल सही होगा। दस विपत्तियों में हरेक विपत्ति वाकई बेजोड़ थी। एक-के-बाद-एक विपत्ति घटने के बाद, इस्राएलियों के लिए बड़े ही अद्भुत तरीके से लाल समुद्र के बीचों-बीच रास्ता निकाला गया और इस तरह उनका उद्धार किया गया। (व्यवस्थाविवरण 34:10-12) अगर आप उन घटनाओं के चश्मदीद गवाह होते तो बेशक आप भी उस महान हस्ती को कभी नहीं भूल पाते जिसने ये सारे चमत्कार किए थे। मगर जैसा भजनहार ने गीत में गाया, “वे [इस्राएली] अपने उद्धारकर्त्ता ईश्वर को भूल गए, जिस ने मिस्र में बड़े-बड़े काम किए थे। उस ने तो हाम के देश में आश्चर्यकर्म और लाल समुद्र के तीर पर भयंकर काम किए थे।”—भजन 106:21, 22.
2 लाल समुद्र पार करने के बाद, इस्राएलियों ने “यहोवा का भय माना और यहोवा की . . . प्रतीति की।” (निर्गमन 14:31) इस्राएली पुरुषों ने मूसा के साथ विजय गीत गाया, मरियम और दूसरी स्त्रियाँ भी डफ लिए नाचती हुईं उनके पीछे हो ली थीं। (निर्गमन 15:1, 20) जी हाँ, यहोवा के लोग परमेश्वर के इन शक्तिशाली कामों से बेहद प्रभावित हुए थे। मगर जिसने ये चमत्कार किए थे उसके लिए उनकी कदर ज़्यादा दिन नहीं रही। बहुत जल्द वे उन सभी बातों को भूल गए मानो उनकी याददाश्त खो गई हो। वे कुड़कुड़ाने और यहोवा के खिलाफ शिकायतें करने लगे। और कुछ लोग तो मूर्तिपूजा और लैंगिक अनैतिकता में फँस गए।—गिनती 14:27; 25:1-9.
किस वजह से हम भूल सकते हैं?
3 इस बात पर विश्वास करना कितना मुश्किल लगता है कि इस्राएली इतनी जल्दी एहसानफरामोश बन गए थे। मगर, आज हमारे साथ भी ऐसा हो सकता है। यह बात सच है कि हमने परमेश्वर के ऐसे चमत्कार नहीं देखे हैं। लेकिन हमारे जीवन में ऐसे कई अवसर आए होंगे जिन्हें हम कभी नहीं भुला सकते। हममें से कुछ लोग शायद उस समय को याद करें जब हमने बाइबल की सच्चाई अपनाई थी। ज़िंदगी के दूसरे सुनहरे पलों को भी हम याद कर सकते हैं जैसे कि प्रार्थना में अपने आपको परमेश्वर को समर्पित करना और सच्चे मसीही के तौर पर पानी में बपतिस्मा लेना। हममें से बहुत-से लोगों की ज़िंदगी में ऐसी कई घड़ियाँ आई होंगी जब यहोवा ने हमें अपने हाथों में थाम लिया था। (भजन 118:15) इन सबसे बढ़कर, परमेश्वर के अपने बेटे यीशु मसीह के बलिदान की वजह से हमें उद्धार की आशा मिली है। (यूहन्ना 3:16) मगर फिर भी, असिद्ध होने की वजह से, जब हम गलत इच्छाओं या जीवन की चिंताओं का सामना करते हैं, तो हम उन सब अच्छे कामों को आसानी से भूल सकते हैं जो यहोवा ने हमारे लिए किए हैं।
(भजन 106:4, 5) हे यहोवा, अपनी प्रजा पर की प्रसन्नता के अनुसार मुझे स्मरण कर, मेरे उद्धार के लिये मेरी सुधि ले, 5 कि मैं तेरे चुने हुओं का कल्याण देखूँ, और तेरी प्रजा के आनन्द में आनन्दित हो जाऊँ; और तेरे निज भाग के संग बड़ाई करने पाऊँ।
(भजन 106:48) इस्राएल का परमेश्वर यहोवा अनादिकाल से अनन्तकाल तक धन्य है! और सारी प्रजा कहे, “आमीन!” याह की स्तुति करो।
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आइए मिलकर खुशी मनाएँ!
लेकिन हमारे भाई-बहन बिलकुल अलग हैं। उनका रवैया और जज़्बा दुनियावी लोगों जैसा नहीं है। प्रेषित पौलुस ने लिखा: “हमेशा खुश रहो।” (1 थिस्स. 5:16) हमारे पास एक-दूसरे के साथ मिलकर खुशी मनाने और आनंदित रहने के बहुत-से कारण हैं। हम इस जहान के मालिक परमेश्वर यहोवा की उपासना करते हैं; हम बाइबल की सच्चाइयों को समझते हैं; हमें उद्धार और हमेशा का जीवन पाने की आशा है और हम दूसरों को भी ऐसी आशीषें पाने में मदद कर सकते हैं।—भज. 106:4, 5; यिर्म. 15:16; रोमि. 12:12.
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“तुम धन्यवादी बने रहो”
धन्यवादी बने रहने के कारण
3 हम पर सबसे बड़ा एहसान करनेवाला हमारा सिरजनहार और जीवनदाता, यहोवा परमेश्वर है। खासकर जब हम उन ढेरों तोहफों पर ध्यान देते हैं, जो उसने हमें दिल खोलकर दिए हैं, तो हम उसका और भी ज़्यादा एहसान मानने लगते हैं। (याकूब 1:17) हम ज़िंदा हैं, इसके लिए हर दिन हम यहोवा का धन्यवाद करते हैं। (भजन 36:9) हमारे चारों तरफ हर चीज़ में, यहोवा के हाथ की कारीगरी नज़र आती है जैसे सूरज, चाँद और सितारे। हमारी धरती ऐसा भंडार-घर है, जिसमें जीवन कायम रखनेवाले खनिज मौजूद हैं, वायुमंडल में जीवन के लिए ज़रूरी गैसों का बिलकुल सही मिश्रण है और कुदरत के जटिल-से-जटिल चक्र भी हैं। ये सब इस बात का सबूत हैं कि स्वर्ग में रहनेवाले, हमारे प्यारे पिता ने हमारे लिए कितना कुछ किया है जिसके लिए हमें उसका एहसानमंद होना चाहिए। दाऊद ने एक भजन में गाया: “हे मेरे परमेश्वर यहोवा, तू ने बहुत से काम किए हैं! जो आश्चर्यकर्म और कल्पनाएं तू हमारे लिये करता है वह बहुत सी हैं; तेरे तुल्य कोई नहीं! मैं तो चाहता हूं कि खोलकर उनकी चर्चा करूं, परन्तु उनकी गिनती नहीं हो सकती।”—भजन 40:5.
4 आज हम जिन हालात में जी रहे हैं, हालाँकि उन्हें फिरदौस हरगिज़ नहीं कहा जा सकता, फिर भी यहोवा के सेवक आध्यात्मिक फिरदौस का लुत्फ उठा रहे हैं। हमारे राज्यगृहों में, अधिवेशनों और सम्मेलनों में अपने मसीही भाई-बहनों से मिलते वक्त हम महसूस कर पाते हैं कि उनमें परमेश्वर की आत्मा के फल काम कर रहे हैं। इसके अलावा, कुछ साक्षी जब ऐसे लोगों को प्रचार करते हैं जिन्हें बाइबल का बहुत कम या ज़रा भी ज्ञान नहीं है, तब वे पौलुस की बातों का ज़िक्र करते हैं जो गलतियों की पत्री में दर्ज़ हैं। सबसे पहले, वे ‘शरीर के कामों’ के बारे में बताते हैं, और फिर अपने सुननेवालों से उनकी राय पूछते हैं। (गलतियों 5:19-23) ज़्यादातर लोग मानते हैं कि ये सारी बुराइयाँ आज के इंसानी समाज में साफ देखी जा सकती हैं। उसके बाद उन्हें परमेश्वर की आत्मा के फलों के बारे में समझाया जाता है और अपनी आँखों से इसका सबूत देखने के लिए उन्हें अपने इलाके के किंगडम हॉल में आने का न्यौता दिया जाता है। किंगडम हॉल आने पर बहुत-से लोगों को यह कबूल करने में देर नहीं लगती कि “सचमुच परमेश्वर तुम्हारे बीच में है।” (1 कुरिन्थियों 14:25) और यह सबूत आपको सिर्फ एक किंगडम हॉल में नहीं बल्कि दुनिया के किसी भी कोने में जाएँ, जब आपकी मुलाकात 60 लाख से भी ज़्यादा यहोवा के साक्षियों में से किसी एक से भी होगी, तब भी आपको उनमें वही खुशी की भावना नज़र आएगी। सचमुच इस तरह की संगति जिससे सबकी उन्नति होती है, एक वजह है कि हमें यहोवा का शुक्रिया अदा करना चाहिए, क्योंकि उसी ने अपनी आत्मा देकर यह मुमकिन किया है।—सपन्याह 3:9; इफिसियों 3:20, 21.
5 यहोवा का सबसे नायाब तोहफा, सबसे उत्तम दान है, उसका बेटा यीशु जिसके ज़रिए उसने छुड़ौती बलिदान दिया था। प्रेरित यूहन्ना ने लिखा: “जब परमेश्वर ने हम से ऐसा प्रेम किया, तो हम को भी आपस में प्रेम रखना चाहिए।” (1 यूहन्ना 4:11) जी हाँ, यहोवा ने हमारी खातिर छुड़ौती का जो इंतज़ाम किया है, उसका एहसान मानते हुए हम न सिर्फ उससे प्यार और उसका धन्यवाद करते हैं, बल्कि हम इस तरीके से ज़िंदगी बिताते हैं जिससे दूसरों के लिए अपना प्यार ज़ाहिर कर सकें।—मत्ती 22:37-39.
6 हम एहसानमंदी की भावना कैसे दिखा सकते हैं, इस बारे में हम प्राचीन इस्राएल के साथ यहोवा के व्यवहार से सीख सकते हैं। यहोवा ने मूसा के ज़रिए इस्राएल जाति को एक कानून-व्यवस्था दी थी और इसी व्यवस्था से उसने अपने लोगों को बहुत-से सबक सिखाए। “ज्ञान, और सत्य का नमूना, जो व्यवस्था में है,” उससे हम काफी कुछ सीख सकते हैं और इससे हमें पौलुस की यह सलाह मानने में मदद मिलेगी: “तुम धन्यवादी बने रहो।”—रोमियों 2:20; कुलुस्सियों 3:15.
ढूँढ़े अनमोल रत्न
(भजन 109:8) उसके दिन थोड़े हों, और उसके पद को दूसरा ले!
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सिद्ध होकर पूर्ण विश्वास के साथ स्थिर रहिए
20 लेकिन सभी लोग पूर्ण विश्वास के साथ स्थिर नहीं रहेंगे, इसलिए यह देखकर आपको निराश या विचलित नहीं होना चाहिए। हो सकता है कि कुछ लोग नाकामयाब हों, बहककर दूर चले जाएँ या यूँ ही हार मान लें। ऐसा तो यीशु के सबसे करीब रहनेवाले यानी उसके प्रेरितों के साथ भी हुआ था। लेकिन जब यहूदा विश्वासघाती हुआ तो क्या दूसरे प्रेरित भी धीमे पड़े गए या क्या उन्होंने यीशु को छोड़ दिया? हरगिज़ नहीं। पतरस ने भजन 109:8 की बात लागू करते हुए दिखाया कि कोई दूसरा यहूदा की जगह ले लेगा। और वैसा ही हुआ। उसकी जगह किसी और को चुना गया और परमेश्वर के जन अपने प्रचार काम में जोश के साथ हिस्सा लेकर आगे बढ़ते गए। (प्रेरितों 1:15-26) सिद्ध होकर पूर्ण विश्वास के साथ स्थिर रहने का उनका इरादा बिलकुल पक्का था।
इंसाइट-1 पेज 857-858
पहले से किसी बात का पता होना, पहले से किसी बात का तय होना
क्या परमेश्वर ने भविष्यवाणी पूरी करवाने के लिए पहले से ही तय किया था कि यहूदा यीशु को धोखा दे?
जब यहूदा इस्करियोती ने धोखा दिया, तब बाइबल की भविष्यवाणी पूरी हुई और इससे यह भी पता चलता है कि यहोवा और उसके बेटे को पहले से ही किसी बात का पता होता है। (भज 41:9; 55:12, 13; 109:8; प्रेष 1:16-20) इसके बावजूद हम परमेश्वर के बारे में यह नहीं कह सकते कि उसने पहले से ही यह यहूदा के लिए तय किया था कि वह ऐसा रास्ता अपनाए। भविष्यवाणियाँ बताती हैं कि यीशु का कोई दोस्त उसे धोखा देगा, लेकिन वे यह नहीं बतातीं कि वह कौन-सा दोस्त होगा। इसके अलावा बाइबल के सिद्धांत भी इस बात से मेल नहीं खाते कि परमेश्वर ने पहले से ही यहूदा को चुन लिया था कि वह ऐसे काम करे। परमेश्वर के स्तर के बारे में प्रेषित ने बताया, “किसी भी आदमी को ज़िम्मेदारी के पद पर ठहराने में कभी जल्दबाज़ी न कर। न ही दूसरों के पापों का हिस्सेदार बन, अपना चरित्र साफ बनाए रख।” (1ती 5:22; 3:6 से तुलना कीजिए।) जब यीशु अपने 12 प्रेषितों को चुन रहा था, तब उसे बहुत चिंता थी कि वह इस मामले में बुद्धिमानी से और सही फैसला कर सके। इस वजह से उसने पूरी रात अपने पिता से इस बारे में प्रार्थना की और उसके बाद फैसला लिया। (लूक 6:12-16) अगर परमेश्वर ने यहूदा को पहले से ही धोखा देने के लिए चुन रखा था, तो उसका यीशु को चेले चुनने के लिए मार्गदर्शन देने का कोई तुक नहीं बनता। इसके अलावा ऐसा करके तो ऊपर बताए नियम के मुताबिक यीशु यहूदा के पापों में हिस्सेदार बनता।
इससे यह साफ हो जाता है कि जब यहूदा को प्रेषित के तौर पर चुना जा रहा था, तब उसके दिल में कोई खोट नहीं था या उसका दिल इस किस्म का नहीं था कि वह धोखा दे। उसने अपने दिल में ‘ज़हरीली जड़ पैदा होने’ दी और खुद को दूषित होने दिया। इस वजह से उसने परमेश्वर के निर्देश मानने छोड़ दिए और वह परमेश्वर के मार्गदर्शन के मुताबिक नहीं चला, बल्कि शैतान के राह पर चला यानी चोरी की और धोखा दिया। (इब्र 12:14, 15; यूह 13:2; प्रेष 1:24, 25; याकू 1:14, 15; इंसाइट-2 में यहूदा क्रमांक 4 देखिए।) जब उसे ऐसा करते-करते कुछ वक्त बीत गया, तब यीशु उसके दिल को पढ़ सका और यह पहले से बता पाया कि यहूदा उसे धोखा देगा।—यूह 13:10, 11.
जब यीशु की कुछ शिक्षाओं की वजह से उसके कुछ चेलों को ठेस पहुँची, तो जैसे यूहन्ना 6:64 में लिखा है, “यीशु शुरूआत से जानता था कि वे कौन हैं जो यकीन नहीं करते और वह कौन है जो उसे धोखे से पकड़वाएगा।” इस आयत में शब्द ‘शुरूआत’ के लिए यूनानी भाषा में आरखे शब्द का इस्तेमाल किया गया है और यही शब्द 2 पतरस 3:4 में सृष्टि के बनाए जाने के वक्त के लिए इस्तेमाल किया गया है। लेकिन बाइबल में यह शब्द अलग-अलग वक्त के लिए भी इस्तेमाल किया गया है। (लूक 1:2; यूह 15:27) उदाहरण के लिए, जब पतरस गैर-यहूदियों पर पवित्र शक्ति के उँडेले जाने के बारे में बात कर रहा था, तो उसने कहा, “ठीक जैसे शुरूआत में हम पर उतरी थी।” यहाँ पर शब्द ‘शुरूआत’ से उसका मतलब वह वक्त नहीं था जब वह चेला बना या प्रेषित के तौर पर चुना गया, बल्कि वह अपनी सेवा के उस अहम वक्त की बात कर रहा था यानी ई.सन् 33 में पिन्तेकुस्त के दिन की, जब पवित्र शक्ति का उँडेला जाना किसी खास मकसद के लिए शुरू हुआ। (प्रेष 11:15; 2:1-4) लांग की कंमेटरी ऑन द स्क्रिप्चर्स (पेज 227) में यूहन्ना 6:64 पर लिखी एक बात बहुत गौर करने लायक है, इस आयत में ‘शुरूआत का मतलब यह नहीं कि जब सभी चीज़ें बनायी गयीं, न ही जब यीशु से हर एक की जान-पहचान हुई, न ही जब उसने चेलों को इकट्ठा करना शुरू किया और न वह वक्त जब यीशु ने मसीह के तौर पर अपनी सेवा शुरू की, लेकिन वह वक्त है जब लोगों के दिल में यीशु की शिक्षाओं को लेकर शक पैदा होने लगा [जिससे कुछ चेलों को ठेस पहुँची]। इस मायने में यीशु शुरूआत से अपने पकड़वाने के बारे में जानता था।’—पी. शाफ के ज़रिए अनुवाद और संपादित की गयी, 1976; 1यूह 3:8, 11, 12 से तुलना कीजिए।
(भजन 109:31) क्योंकि वह दरिद्र की दाहिनी ओर खड़ा रहेगा, कि उसको प्राण-दण्ड दिलानेवालों से बचाए।
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भजन संहिता किताब के पाँचवें भाग की झलकियाँ
109:30, 31; 110:5. आम तौर पर एक सैनिक दाएँ हाथ में तलवार पकड़ता था और बाएँ हाथ में ढाल, इसलिए उसके दाएँ हाथ के लिए कोई बचाव नहीं रहता था। आध्यात्मिक मायने में, यहोवा अपने सेवकों की “दहिनी ओर खड़ा” होकर उनके लिए लड़ता है। इस तरह वह उनकी हिफाज़त करता है और उन्हें मदद देता है। “यहोवा का बहुत धन्यवाद” करने की यह क्या ही बढ़िया वजह है!
29 अगस्त–4 सितंबर
पाएँ बाइबल का खज़ाना | भजन 110-118
“यहोवा के उपकारों का बदला मैं कैसे चुकाऊँ?”
(भजन 116:3, 4) मृत्यु की रस्सियाँ मेरे चारों ओर थीं; मैं अधोलोक की सकेती में पड़ा था; मुझे संकट और शोक भोगना पड़ा। 4 तब मैंने यहोवा से प्रार्थना की, “हे यहोवा, विनती सुनकर मेरे प्राण को बचा ले!”
(भजन 116:8) तू ने तो मेरे प्राण को मृत्यु से, मेरी आँख को आँसू बहाने से, और मेरे पाँव को ठोकर खाने से बचाया है।
प्र87 4/1 पेज 26 पै 5
धन्य परमेश्वर, धन्य लोग!
◆ 116:3—“मृत्यु की रस्सियाँ” क्या हैं?
ऐसा प्रतीत हुआ मानो कि मृत्यु ने भजनहार को अटूट रस्सियों से इतनी जोर से बान्ध दी थी कि बचाव असम्भव था। बाँहों में कसकर रस्सियाँ बान्धने से असहनीय दर्द, या क्लेश होता है, एवं यूनानी सेप्टूजीन्ट अनुवाद इब्रानी शब्द “रस्सियों” के लिए “भारी क्लेश” प्रस्तुत करता है। इसलिए, जब यीशु मसीह मरा तो वह मत्यु की शक्तिहीन पकड़, वा “बड़े क्लेश” में था। इसलिए, जब यहोवा ने यीशु को पुनरूथान किया, तो उसने “मत्यु के बड़े क्लेश के बन्धन को खोल दिया।”—प्रेरितों के काम 2:24.
(भजन 116:12) यहोवा ने मेरे जितने उपकार किए हैं, उनका बदला मैं उसको क्या दूँ?
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एहसान-भरे दिल से लीजिए दिल खोलकर दीजिए
भजनहार ने खुद से पूछा: “यहोवा ने मेरे लिए जितने उपकार किए हैं मैं उनके बदले में उसे क्या दूँ?” (भज. 116:12, NHT) यहोवा ने उस पर कौन-से उपकार किए थे? यहोवा ने “संकट और शोक” के समय उसे सँभाला, यहाँ तक कि उसके ‘प्राण को मृत्यु से बचाया।’ अब भजनहार, यहोवा को “बदले में” कुछ देना चाहता था। वह क्या दे सकता था? उसने कहा: “मैं यहोवा के लिये अपनी मन्नतें . . . पूरी करूंगा।” (भज. 116:3, 4, 8, 10-14) उसने ठान लिया कि वह यहोवा से किए अपने सारे वादे निभाएगा और अपनी जवाबदारी पूरी करेगा।
आप भी ऐसा कर सकते हैं। कैसे? परमेश्वर के नियमों और सिद्धांतों के मुताबिक ज़िंदगी जीकर। इसलिए यह ध्यान रखिए कि आपकी ज़िंदगी में यहोवा की उपासना हमेशा पहली जगह पर हो और आप हर काम में पवित्र शक्ति के मार्गदर्शन पर चलते रहें। (सभो. 12:13; गला. 5:16-18) हाँ, यह सच है कि आप यहोवा के एहसानों का बदला कभी नहीं चुका पाएँगे। फिर भी, जब आप दिलो-जान से उसकी सेवा करते हैं, तो उसका “मन आनन्दित” होता है। (नीति. 27:11) यहोवा को खुश करना, हमारे लिए कितने सम्मान की बात है!
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बड़े-बड़े कामों के द्वार पर खड़े
इसके बाद गिलियड के तीन शिक्षकों ने भाषण दिए। सबसे पहले कार्ल एडम्स का भाषण था जिसका विषय था, “आप यहोवा को बदले में क्या देंगे?” उनका भाषण भजन के 116वें अध्याय पर आधारित था। शायद इस गीत को यीशु ने अपनी मौत से पहले की रात को गाया हो। (मत्ती 26:30, NW, फुटनोट) गीत के ये बोल गाते वक्त यीशु के मन में क्या-क्या विचार उठे होंगे: “यहोवा ने मेरे जितने उपकार किए हैं, उनका बदला मैं उसको क्या दूं”? (भजन 116:12) शायद वह अपनी परिपूर्ण देह के बारे में सोच रहा हो जिसे यहोवा ने उसके लिए तैयार किया था। (इब्रानियों 10:5) अगले दिन वह इसी देह को बलिदान स्वरूप चढ़ानेवाला था जिसके द्वारा वह अपने प्यार की गहराई को साबित करेगा। 105वीं कक्षा के विद्यार्थियों ने पिछले पाँच महीनों से यहोवा की भलाई का अनुभव किया है। अब वे जिन-जिन देशों में मिशनरी बनकर जाएँगे, वहाँ कड़ी मेहनत करके परमेश्वर के लिए अपने प्यार का इज़हार करेंगे।
(भजन 116:13, 14) मैं उद्धार का कटोरा उठाकर, यहोवा से प्रार्थना करूँगा, 14 मैं यहोवा के लिये अपनी मन्नतें सभों की दृष्टि में प्रगट रूप में उसकी सारी प्रजा के सामने पूरी करूँगा।
(भजन 116:17, 18) मैं तुझ को धन्यवादबलि चढ़ाऊँगा, और यहोवा से प्रार्थना करूँगा। 18 मैं यहोवा के लिये अपनी मन्नतें, प्रगट में उसकी सारी प्रजा के सामने
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क्या आप मसीह के पीछे पूरी तरह चल रहे हैं?
मसीह के पीछे चलते रहने में कौन-सी बातें आपकी मदद करेंगी?
▪ रोज़ाना परमेश्वर का वचन पढ़िए और आप जो पढ़ते हैं उस पर मनन कीजिए।—भज. 1:1-3; 1 तीमु. 4:15.
▪ परमेश्वर की पवित्र शक्ति की मदद और उसके मार्गदर्शन के लिए प्रार्थना करते रहिए।—जक. 4:6; लूका 11:9, 13.
▪ ऐसे लोगों के साथ संगति कीजिए जो सच्चे दिल से और जोश के साथ प्रचार काम करते हैं।—नीति. 13:20; इब्रा. 10:24, 25.
▪ इस बात को हमेशा ध्यान में रखिए कि आज हम एक नाज़ुक दौर में जी रहे हैं।—इफि. 5:15, 16.
▪ याद रखिए कि ‘बहाने बनाकर’ ज़िम्मेदारी से दूर भागने के कितने बुरे अंजाम हो सकते हैं।—लूका 9:59-62.
▪ समय-समय पर मनन कीजिए कि आपने यहोवा को अपना जीवन समर्पित करते वक्त उससे क्या वादा किया था और तन-मन से यहोवा की सेवा करने और मसीह के पीछे चलते रहने से भरपूर आशीषें मिलती हैं।—भज. 116:12-14; 133:3; नीति. 10:22.
ढूँढ़े अनमोल रत्न
(भजन 110:4) यहोवा ने शपथ खाई और न पछताएगा: “तू मेल्कीसेदेक की रीति पर सर्वदा का याजक है।”
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परमेश्वर के राज पर अटूट विश्वास रखिए
एक याजक के लिए करार
15 अब्राहम से किया गया करार और दाविद से किया गया करार बेशक इस बात की गारंटी देते हैं कि स्त्री का वंश राजा के तौर पर शासन करेगा। लेकिन इस राज के ज़रिए सभी इंसानों को पूरा-पूरा फायदा पहुँचाने के लिए, वंश का सिर्फ राजा बनना काफी नहीं। उसे एक याजक बनने की भी ज़रूरत है। क्यों? क्योंकि अगर इंसानों को सारी आशीषों का लुत्फ उठाना है, तो उन्हें पाप की गिरफ्त से आज़ाद होकर पूरे विश्व में फैले यहोवा के सेवकों से बने परिवार का हिस्सा बनने की भी ज़रूरत है। और सिर्फ याजक ही बलिदान चढ़ाकर इंसानों को पापों से छुटकारा दिला सकता है और उन्हें यहोवा के सेवकों से बने परिवार का हिस्सा बनने में मदद दे सकता है। इसलिए इस बात को पक्का करने के लिए कि वह वंश एक याजक भी हो, बुद्धिमान सृष्टिकर्ता यहोवा ने एक और कानूनी इंतज़ाम किया, जिसे मेल्कीसेदेक जैसा याजक होने के लिए करार कहा जाता है।
16 परमेश्वर ने राजा दाविद के ज़रिए यह ज़ाहिर किया कि वह खुद यीशु के साथ एक करार करेगा। उस करार में दो बातें शामिल थीं। पहली यह कि यीशु तब तक ‘[परमेश्वर के] दहिने हाथ बैठेगा’ जब तक कि वह “अपने शत्रुओं के बीच में शासन” नहीं करता, और दूसरी यह कि यीशु “मेल्कीसेदेक की रीति पर सर्वदा का याजक” होगा। (भजन 110:1, 2, 4 पढ़िए।) लेकिन “मेल्कीसेदेक की रीति” पर ही क्यों? अब्राहम के वंशजों के वादा-ए-मुल्क पर कब्ज़ा करने से काफी पहले, मेल्कीसेदेक न सिर्फ शालेम शहर का राजा था, बल्कि “परमप्रधान परमेश्वर का याजक” भी था। (इब्रा. 7:1-3) उसे खुद यहोवा ने राजा और याजक, दोनों पद पर ठहराया था। यीशु से पहले सिर्फ मेल्कीसेदेक ही ऐसा शख्स था, जिसने राजा और याजक दोनों पद पर सेवा की थी। और क्योंकि कहीं पर भी इस बात का रिकॉर्ड मौजूद नहीं है कि मेल्कीसेदेक से पहले या बाद में किसी और को ये दोनों अधिकार मिले हों, इसलिए कहा जा सकता है कि मेल्कीसेदेक “सदा के लिए एक याजक बना रहता है।”
17 इस करार के ज़रिए, खुद यहोवा ने यीशु को याजक ठहराया है। यीशु “मेल्कीसेदेक की तरह हमेशा-हमेशा के लिए एक याजक” बना रहेगा। (इब्रा. 5:4-6) यह करार साफ दिखाता है कि यहोवा ने इस बात की गारंटी दी है कि वह मसीहाई राज के ज़रिए इंसानों और धरती के लिए अपना मकसद ज़रूर पूरा करेगा।
प्र06 9/1 पेज 18 पै 7
भजन संहिता किताब के पाँचवें भाग की झलकियाँ
110:4—यहोवा ने ‘बिना पछताए’ क्या “शपथ खाई”? यह शपथ दरअसल एक वाचा है जो यहोवा ने यीशु मसीह के साथ बाँधी कि यीशु, राजा और महायाजक के नाते सेवा करेगा।—लूका 22:29.
(भजन 116:15) यहोवा के भक्तों की मृत्यु, उसकी दृष्टि में अनमोल है।
प्र12 5/15 पेज 22 पै 2
आपने पूछा
जब एक मसीही की अंत्येष्टि पर भाषण दिया जाता है, तो भजन 116:15 को मरनेवाले पर लागू करना सही नहीं होगा, भले ही उसकी मौत एक वफादार सेवक के तौर पर हुई हो। क्यों? भजनहार के इस वाक्य का मतलब यह है कि एक समूह के तौर पर अपने सभी वफादार सेवकों की मौत होने देना, यहोवा की नज़र में एक भारी कीमत चुकाने जैसा है। इसलिए वह ऐसा हरगिज़ नहीं होने देगा।—भजन 72:14; 116:8 देखिए।