अध्याय 24
कोई भी चीज़ ‘हमें परमेश्वर के प्रेम से अलग न कर सकेगी’
1. बहुत-से लोगों को, यहाँ तक कि कुछ सच्चे मसीहियों को भी, निराश करनेवाली कौन-सी भावनाएँ आ घेरती हैं?
क्या यहोवा परमेश्वर आपसे प्रेम करता है? कुछ लोग यह मानते हैं कि परमेश्वर सब इंसानों से प्यार करता है, जैसा यूहन्ना 3:16 में लिखा है। मगर, असल में उनका मन कहता है: ‘परमेश्वर मुझसे कभी प्यार नहीं कर सकता।’ सच्चे मसीहियों को भी कई बार यह शक होने लगता है कि क्या परमेश्वर सचमुच उनसे प्रेम करता है। निराशा में डूबे एक आदमी ने कहा: “मुझे यह मानना बहुत मुश्किल लगता है कि परमेश्वर को मेरी भी कोई परवाह हो सकती है।” क्या इस तरह की शंकाएँ, कभी-कभी आपको भी आ घेरती हैं?
2, 3. कौन हमें यह यकीन दिलाना चाहता है कि हमारी कोई कीमत नहीं या हम यहोवा की नज़र में प्यार के लायक नहीं, और हम इस भावना से कैसे लड़ सकते हैं?
2 शैतान हमें यह यकीन दिलाने पर तुला हुआ है कि यहोवा परमेश्वर न तो हमसे प्यार करता है, ना ही उसकी नज़र में हमारी कोई कीमत है। सच है कि शैतान अकसर लोगों के अहंकार और घमंड को जगाकर उन्हें अपने जाल में फँसाता है। (2 कुरिन्थियों 11:3) मगर टूटे मन के लोगों के आत्म-सम्मान को कुचलने से भी उसे बहुत खुशी मिलती है। (यूहन्ना 7:47-49; 8:13, 44) वह खासकर इन कठिन “अन्तिम दिनों” में ऐसा कर रहा है। आज बहुत-से लोग ऐसे परिवारों में पले-बढ़े हैं, जो “दिली मुहब्बत से ख़ाली” (हिन्दुस्तानी बाइबल) हैं। कुछ और हैं जिन्हें दिन-रात खूँखार, स्वार्थी और ज़िद्दी लोगों का सामना करना पड़ता है। (2 तीमुथियुस 3:1-5) सालों से बुरा सलूक, जाति-भेद या लोगों की घृणा सहने की वजह से, इनके मन में यह बात बैठ चुकी है कि उनका कोई मोल नहीं और वे किसी के प्यार के लायक नहीं।
3 अगर आपके मन में भी ऐसी निराश करनेवाली भावनाएँ आती हैं, तो हिम्मत मत हारिए। कभी-कभी हममें से कई लोग इस मामले में अपने साथ बहुत ज़्यादती करते हैं। मगर याद रखिए, परमेश्वर का वचन “सुधारने,” और गहरायी तक समायी बातों को “ढा देने” की काबिलीयत रखता है। (2 तीमुथियुस 3:16; 2 कुरिन्थियों 10:4) बाइबल कहती है: “जिस बात में हमारा मन हमें दोष देगा, उसके विषय में हम उसके साम्हने अपने अपने मन को ढाढ़स दे सकेंगे। क्योंकि परमेश्वर हमारे मन से बड़ा है; और सब कुछ जानता है।” (1 यूहन्ना 3:19, 20) आइए अब हम ऐसे चार तरीकों पर गौर करें, जिनके ज़रिए बाइबल हमारे “मन को ढाढ़स” देती है कि यहोवा हमसे प्यार करता है।
आप यहोवा के लिए अनमोल हैं
4, 5. गौरैयों के बारे में यीशु के दृष्टांत से कैसे पता चलता है कि यहोवा की नज़र में हम अनमोल हैं?
4 पहला, बाइबल में सीधे-सीधे यह सिखाया गया है कि परमेश्वर की नज़र में उसका हर सेवक अनमोल है। मिसाल के लिए, यीशु ने कहा: “क्या एक पैसे में दो गौरैएं नहीं बिकतीं? फिर भी तुम्हारे पिता की इच्छा के बिना उनमें से एक भी भूमि पर नहीं गिर सकती। तुम्हारे सिर के बाल तक भी गिने हुए हैं। इसलिए डरो मत। तुम बहुत-सी गौरैयों से भी कहीं अधिक मूल्यवान हो।” (मत्ती 10:29-31) सोचिए कि पहली सदी में यीशु की बात सुननेवालों के लिए ये शब्द क्या मायने रखते थे।
5 हम शायद सोचें कि भला कोई गौरैया क्यों खरीदेगा। यीशु के ज़माने में, गौरैया भोजन के लिए सबसे सस्ती चिड़िया थी। गौर कीजिए कि एक पैसे में दो गौरैयां खरीदी जा सकती थीं। मगर यीशु ने बाद में कहा कि अगर एक आदमी दो पैसे खर्च करने को तैयार होता, तो उसे चार की जगह पाँच गौरैयां मिलती थीं। पाँचवीं गौरैया यूँ ही दे दी जाती थी, मानो उसका कोई मोल ही न हो। इंसानों की नज़र में इन पक्षियों की शायद कोई कीमत न हो, मगर सिरजनहार इन्हें किस नज़र से देखता है? यीशु ने बताया: “परमेश्वर उन में से एक को भी [उस पाँचवीं को भी] नहीं भूलता।” (लूका 12:6, 7) अब शायद हम यीशु की बात समझने लगे हों। अगर यहोवा एक गौरैया की इतनी कदर करता है, तो सोचिए एक इंसान की उसकी नज़र में क्या कीमत होगी! जैसे यीशु ने समझाया, यहोवा हमारे बारे में एक-एक बारीकी जानता है। यहाँ तक कि हमारे सिर के सब बाल भी गिने हुए हैं!
6. जब यीशु हमारे सिर के बालों के गिने होने की बात कर रहा था, तो हम पक्के तौर पर क्यों कह सकते हैं कि वह बढ़ा-चढ़ाकर नहीं बोल रहा था?
6 हमारे बाल तक गिने हुए हैं? कुछ लोग शायद सोचें कि यीशु कुछ ज़्यादा ही बढ़ा-चढ़ाकर बात कह रहा था। लेकिन ज़रा पुनरुत्थान की आशा के बारे में सोचिए। दोबारा से हमारी सृष्टि करने के लिए यहोवा को हमारे बारे में कितनी गहरायी तक पता होना चाहिए! वह हमारी इतनी कदर करता है कि हमारे बारे में वह हर छोटी-छोटी बात याद रखता है, इसमें हमारा जेनेटिक कोड और उम्रभर की यादें और अनुभव भी शामिल हैं।a इसके मुकाबले हमारे बालों को गिनना, जो आमतौर पर 1,00,000 के करीब होते हैं, कहीं ज़्यादा आसान काम है।
यहोवा हममें क्या देखता है?
7, 8. (क) जब यहोवा इंसानों के मन को जाँचता है, तो कौन-से कुछ गुण देखकर उसे खुशी होती है? (ख) हमारे कौन-से कुछ कामों की यहोवा कदर करता है?
7 दूसरा, यहोवा अपने सेवकों में क्या चीज़ देखकर उसकी कदर करता है इसके बारे में बाइबल हमें सिखाती है। सीधे तौर पर कहें, तो वह हमारे अच्छे गुणों और हमारी कोशिशों को देखकर खुश होता है। राजा दाऊद ने अपने बेटे सुलैमान से कहा था: “यहोवा मन को जांचता और विचार में जो कुछ उत्पन्न होता है उसे समझता है।” (1 इतिहास 28:9) जब यहोवा खून-खराबे और नफरत से भरे इस संसार में अरबों इंसानों के मनों को जाँचता है, तब वह ऐसा मन देखकर क्या ही खुश होता होगा जो शांति, सच्चाई और धार्मिकता से प्रेम करता हो! तब क्या होता है जब परमेश्वर को एक ऐसा मन मिलता है, जो उसके लिए प्रेम से उमड़ रहा है, उसके बारे में सीखना चाहता है और सीखी हुई बातें दूसरों को बताना चाहता है? यहोवा हमसे कहता है कि उसकी नज़र उन लोगों पर है, जो दूसरों को उसके बारे में बताते हैं। उसके पास उन सभी के लिए ‘स्मरण के निमित्त एक पुस्तक’ भी है, “जो यहोवा का भय मानते और उसके नाम का सम्मान करते” हैं। (मलाकी 3:16) ऐसे सभी गुण उसके लिए अनमोल हैं।
8 ऐसे कुछ भले काम क्या हैं जिनकी यहोवा कदर करता है? बेशक उसके बेटे यीशु मसीह के जैसा बनने की कोशिश करना उनमें से एक है। (1 पतरस 2:21) एक अहम काम जिसकी परमेश्वर कदर करता है, वह है उसके राज्य के सुसमाचार का प्रचार करना। रोमियों 10:15 में, हम पढ़ते हैं: “उन के पांव क्या ही सोहावने हैं, जो अच्छी बातों का सुसमाचार सुनाते हैं!” आम तौर पर हम शायद अपने पैरों को देखकर यह न सोचें कि ये “सोहावने” या खूबसूरत हैं। मगर ये पांव उस मेहनत की निशानी हैं, जो यहोवा के सेवक सुसमाचार के प्रचार में करते हैं। ये सारी कोशिशें, यहोवा की नज़र में खूबसूरत और अनमोल हैं।—मत्ती 24:14; 28:19, 20.
9, 10. (क) हम क्यों यकीन रख सकते हैं कि तरह-तरह की तकलीफों में हमारे धीरज धरने को यहोवा कीमती समझता है? (ख) यहोवा अपने वफादार सेवकों के बारे में कभी-भी कैसा बुरा नज़रिया नहीं रखता?
9 यहोवा हमारे धीरज को भी कीमती समझता है। (मत्ती 24:13) याद रखिए, शैतान चाहता है कि आप यहोवा से मुँह मोड़ लें। हर दिन जब आप धीरज धरते हुए यहोवा के वफादार रहते हैं, तो वह शैतान के तानों का एक दिन और जवाब दे पाता है। (नीतिवचन 27:11) कभी-कभी धीरज धरना आसान नहीं होता। खराब सेहत, पैसे की तंगी, मन की वेदना और दूसरी ऐसी अड़चनों की वजह से एक-एक दिन पहाड़ जैसा लगता है। जब हमारी उम्मीदें पूरी नहीं होतीं तब भी हम निराश हो जाते हैं। (नीतिवचन 13:12) ऐसी मुश्किलों का सामना करते वक्त हम जो धीरज दिखाते हैं, यहोवा की नज़र में वह और भी ज़्यादा अनमोल होता है। इसलिए राजा दाऊद ने यहोवा से बिनती की कि वह उसके आँसुओं को एक “कुप्पी” में रख ले, और उसने अपना यह विश्वास ज़ाहिर किया: “क्या उनकी चर्चा तेरी पुस्तक में नहीं है?” (भजन 56:8) जी हाँ, यहोवा के वफादार बने रहने में हमने जितने भी आँसू बहाए हैं और जितने भी दुःख-दर्द सहे हैं, उन सबको वह याद रखता है। ये भी उसकी नज़र में अनमोल हैं।
परीक्षाओं में हमारे धीरज को यहोवा अनमोल समझता है
10 लेकिन, हमें दोषी ठहरानेवाला हमारा मन शायद इन तमाम सबूतों को नकारकर कहे कि फिर भी परमेश्वर की नज़र में हमारा कोई मोल नहीं। हमारे मन की आवाज़ शायद हमसे बार-बार यही कहे: ‘मगर ऐसे कितने और लोग हैं जो मुझसे लाख गुना अच्छे हैं। यहोवा जब उन पर नज़र डालने के बाद मेरी तरफ देखता होगा, तब वह कितना निराश होता होगा!’ मगर, सच तो यह है कि यहोवा किसी को भी दूसरों के साथ नहीं तोलता; न ही वह अपने सोच-विचार में कठोर या निर्दयी है। (गलतियों 6:4) वह बड़ी बारीकी से हमारे दिलों की छानबीन करता है, और जो अच्छा है उसकी कदर करता है—फिर वह चाहे कितना ही कम क्यों न हो।
यहोवा छानकर अच्छे को बुरे से अलग करता है
11. अबिय्याह के मामले में यहोवा ने जो किया उससे हम उसके बारे में क्या सीखते हैं?
11 तीसरा, यहोवा जब हमारी जाँच करता है, तो वह बड़े ध्यान से मानो छान-छानकर हमारी अच्छाइयाँ ढूँढ़ता है। मिसाल के लिए, जब यहोवा ने आदेश दिया था कि राजा यारोबाम का सारा विधर्मी वंश मार डाला जाए, तब उसने राजा के एक बेटे अबिय्याह को इज़्ज़त के साथ दफन किए जाने की आज्ञा दी। क्यों? क्योंकि “उसी में कुछ पाया जाता है जो यहोवा इस्राएल के प्रभु की दृष्टि में भला है।” (1 राजा 14:1, 10-13) इसका मतलब है कि यहोवा ने उस नौजवान के दिल की छान-बीन की और वहाँ ‘कुछ भला’ पाया। चाहे वह भलाई कितनी ही छोटी या मामूली थी, यहोवा ने इसे अपने वचन में दर्ज़ कराने के लायक समझा। इस भलाई का उसने इनाम भी दिया, और विधर्मी घराने के उस एक सदस्य को कुछ हद तक दया दिखायी।
12, 13. (क) राजा यहोशापात का मामला कैसे दिखाता है कि हमारे पाप करने पर भी यहोवा हमारे अंदर अच्छाई ही देखता है? (ख) जब हमारे अच्छे काम और गुणों की बात आती है, तो यहोवा बच्चों से लगाव रखनेवाले पिता की तरह क्या करता है?
12 एक और बढ़िया मिसाल, भले राजा यहोशापात की है। जब उसने मूर्खता का काम किया, तो यहोवा के भविष्यवक्ता ने उसे बताया: “इस काम के कारण यहोवा की ओर से तुझ पर क्रोध भड़का है।” यह कितनी गंभीर बात थी! मगर यहोवा का संदेश वहीं खत्म नहीं हुआ। उसने आगे कहा: “तौभी तुझ में कुछ अच्छी बातें पाई जाती हैं।” (2 इतिहास 19:1-3) तो फिर, यहोवा धार्मिकता की खातिर क्रोध से इस कदर अंधा नहीं हुआ कि यहोशापात की अच्छाई को न देख सके। असिद्ध इंसानों से यहोवा कितना अलग है! जब हम दूसरों से नाराज़ होते हैं, तो अकसर हम उनकी सारी अच्छाइयों को भूल जाते हैं। और जब हम खुद पाप करते हैं, तो निराशा, शर्म और दोष की भावनाएँ हमें इस कदर अंधा कर देती हैं कि हम अपने अंदर कोई भी अच्छाई नहीं देख पाते। लेकिन, याद रखिए कि अगर हम अपने पापों का प्रायश्चित्त करें और पूरी कोशिश करें कि उन्हें दोबारा न दोहराएँ तो यहोवा हमें माफ करता है।
13 जब यहोवा हमारी छान-बीन करता है, तो वह हमारे पिछले पापों को निकाल बाहर फेंकता है, वैसे ही जैसे सोना निकालनेवाला कंकड़-पत्थर जैसी बेकार चीज़ों को छानकर अलग फेंक देता है। आपके अच्छे गुणों और कामों के बारे में क्या? हाँ, यही तो हैं “सोने के वे डले” जिन्हें वह सँभालकर अपने पास रखता है! क्या आपने कभी देखा है कि कैसे माता-पिता, बड़े प्यार से अपने बच्चे के हाथ की बनी तसवीर या स्कूल में बनाए प्रोजेक्ट संभालकर रखते हैं, कभी-कभी तो वे बरसों तक इन्हें संभाल के रखते हैं जबकि बच्चे इनके बारे में भूल चुके होते हैं? यहोवा को दुनिया के हर माँ-बाप से बढ़कर अपने बच्चों से लगाव है। जब तक हम उसके वफादार रहते हैं, वह हमारे अच्छे कामों और गुणों को कभी नहीं भूलता। दरअसल, इन्हें भूलना उसकी नज़र में अन्याय है और वह कभी-भी अन्यायी नहीं हो सकता। (इब्रानियों 6:10) वह एक और तरीके से हमें छानता है।
14, 15. (क) क्यों हमारी असिद्धताओं की वजह से यहोवा हमारी अच्छाई को नज़रअंदाज़ नहीं करता? उदाहरण देकर समझाइए। (ख) यहोवा हममें जो अच्छे गुण पाता है उनके बारे में क्या करता है, और वह अपने वफादार लोगों को किस नज़र से देखता है?
14 यहोवा हमारी असिद्धताओं से हटकर यह देखता है कि हमारे अंदर भविष्य में कैसा इंसान बनने की क्षमता है। इसे समझने के लिए एक उदाहरण लें: कला के प्रेमी, किसी पेंटिंग या दूसरी कलाकृतियों के बिगड़ जाने पर उन्हें पहले का सा रूप देने के लिए जाने क्या-क्या जतन करते हैं। मिसाल के लिए, इंग्लैंड के लंदन शहर की नैशनल गैलरी में किसी ने लेनार्दो दा विन्ची की चित्रकारी पर गोलियाँ दागकर उसे बिगाड़ दिया। इस चित्र की कीमत लगभग 3 करोड़ अमरीकी डॉलर थी, लेकिन किसी ने यह राय नहीं दी कि यह चित्र इतना बिगड़ चुका है, तो इसे फेंक देना ही ठीक रहेगा। इसके बजाय, करीब पाँच सौ साल पुरानी इस श्रेष्ठ कलाकृति को पहले का सा रूप देने का काम फौरन शुरू कर दिया गया। क्यों? क्योंकि कलाप्रेमियों की नज़र में यह अनमोल थी। पेंसिल और मोम के रंगों से बने इस चित्र से क्या आपका मोल कहीं बढ़कर नहीं? यहोवा की नज़रों में आप वाकई बेशकीमती हैं, फिर चाहे विरासत में मिले पाप ने आपको कितना ही क्यों न बिगाड़ दिया हो। (भजन 72:12-14) यहोवा परमेश्वर, जो इंसानों का निपुण रचयिता है, उन सभी को फिर से सिद्धता तक लाने के लिए हर ज़रूरी कदम उठाएगा जो उसकी प्यार भरी परवाह की कदर करते हैं।—प्रेरितों 3:21; रोमियों 8:20-22.
15 जी हाँ, यहोवा हममें वह अच्छाई देखता है जो शायद हम खुद न देख पाएँ। और जैसे-जैसे हम उसकी सेवा करते हैं, वह हमारी अच्छाई को उस हद तक बढ़ाएगा जब तक हम आखिरकार सिद्ध न हो जाएँ। तो फिर, चाहे शैतान के संसार ने हमारे साथ कितना ही बुरा सलूक क्यों न किया हो, यहोवा अपने वफादार सेवकों को मनभावने और अनमोल समझता है।—हाग्गै 2:7.
यहोवा कामों से अपना प्रेम दिखाता है
16. हमारे लिए यहोवा के प्यार का सबसे बड़ा सबूत क्या है और हम कैसे जानते हैं कि यह तोहफा खुद हमारे लिए है?
16 चौथा, यहोवा ने अपने प्रेम का सबूत देने के लिए बहुत कुछ किया है। बेशक, मसीह का छुड़ौती बलिदान इस शैतानी झूठ के मुँह पर सबसे बड़ा तमाचा है कि हमारी कोई कीमत नहीं और हम प्यार के लायक नहीं। हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि यातना स्तंभ पर यीशु ने जो दर्दनाक मौत सही और उससे बढ़कर अपने बेटे को मौत के मुँह में जाता देख यहोवा को जो और भी बड़ी तकलीफ से गुज़रना पड़ा, ये सब इस बात का सबूत है कि वे हमसे कितना प्यार करते हैं। अफसोस कि बहुत-से लोगों को यह मानना मुश्किल लगता है कि यह तोहफा खुद उनके लिए है। वे खुद को इसके लायक नहीं समझते। मगर, याद कीजिए कि प्रेरित पौलुस खुद पहले मसीह के चेलों का सतानेवाला रह चुका था। फिर भी उसने लिखा: “परमेश्वर के पुत्र . . . ने मुझ से प्रेम किया, और मेरे लिये अपने आप को दे दिया।”—तिरछे टाइप हमारे; गलतियों 1:13; 2:20.
17. यहोवा किन तरीकों से हमें अपनी और अपने बेटे की तरफ खींचता है?
17 यहोवा, हममें से हरेक की मदद करता है कि हम मसीह के बलिदान का फायदा उठाएँ। हमारे लिए यह उसके प्यार का सबूत है। यीशु ने कहा: “कोई मेरे पास नहीं आ सकता, जब तक पिता, जिस ने मुझे भेजा है, उसे खींच न ले।” (यूहन्ना 6:44) जी हाँ, यहोवा खुद हमें अपने बेटे की तरफ और अनंत जीवन की आशा की तरफ खींचता है। कैसे? उस प्रचार काम के ज़रिए, जो हम सब तक पहुँचता है और अपनी पवित्र आत्मा के ज़रिए। इस पवित्र आत्मा का इस्तेमाल करते हुए वह हमारी कमियों और असिद्धता के बावजूद हमें आध्यात्मिक सच्चाइयाँ समझाता है और उन पर अमल करने में हमारी मदद करता है। इसलिए यहोवा हमारे बारे में वह कह सकता है, जो उसने इस्राएल के बारे में कहा था: “सनातन प्रेम से मैंने तुझ से प्रेम किया है; अतः करुणा करके मैं तुझे अपने पास ले आया हूं।”—यिर्मयाह 31:3, NHT.
18, 19. (क) ऐसा कौन-सा तरीका है जिससे सबसे निजी और नज़दीकी तौर पर यहोवा ने हम पर अपना प्रेम ज़ाहिर किया है, और क्या दिखाता है कि यह अधिकार उसने सिर्फ अपने तक रखा है? (ख) परमेश्वर का वचन हमें कैसे यकीन दिलाता है कि यहोवा हमारा हमदर्द बनकर हमारी बात सुनता है?
18 प्रार्थना एक ऐसी आशीष है जिसके ज़रिए हम यहोवा के प्रेम को सबसे निजी और नज़दीकी तौर पर महसूस कर सकते हैं। बाइबल हरेक को न्यौता देती है कि परमेश्वर से “निरन्तर प्रार्थना” करें। (1 थिस्सलुनीकियों 5:17) वह हमारी सुनता है। उसे ‘प्रार्थना का सुननेवाला’ भी कहा गया है। (भजन 65:2) उसने यह अधिकार किसी और को नहीं दिया, अपने बेटे को भी नहीं। ज़रा सोचिए: सारे विश्व का सिरजनहार हमसे अनुरोध करता है कि हम प्रार्थना में उसके पास आएँ और बेझिझक होकर उससे बात करें। वह किस तरह का सुननेवाला है? ऐसा जिसमें कोई भावनाएँ न हों, जिसे हमारी कोई परवाह न हो और जो हमारी बात को एक कान से सुनकर दूसरे कान से निकाल देता हो? वह ऐसा हरगिज़ नहीं है।
19 यहोवा हमारा हमदर्द है। हमदर्दी क्या होती है? एक वफादार बुज़ुर्ग मसीही ने कहा: “हमदर्दी का मतलब है, तुम्हारा दर्द जिसे मैं अपने सीने में महसूस करता हूँ।” क्या यहोवा को सचमुच हमारे दर्द से दर्द होता है? हम उसके लोगों, इस्राएल की तकलीफों के बारे में यूँ पढ़ते हैं: “उनके सारे संकट में उस ने भी कष्ट उठाया।” (यशायाह 63:9) यहोवा न सिर्फ उनकी मुसीबतों को देख रहा था, बल्कि उसे अपने लोगों से हमदर्दी थी। वह कितनी गहराई तक यह दर्द महसूस करता है, यह यहोवा के अपने सेवकों से कहे शब्दों से पता लगता है: “जो तुम को छूता है, वह मेरी आंख की पुतली ही को छूता है।”b (जकर्याह 2:8) आँख की पुतली को छूने से कितना दर्द होता है! जी हाँ, यहोवा हमारा दर्द महसूस करता है। जब हमें चोट पहुँचती है, तो उसे भी चोट पहुँचती है।
20. अगर हमें रोमियों 12:3 की सलाह को मानना है, तो हमें किस तरह की गलत सोच से दूर रहना चाहिए?
20 कोई भी समझदार मसीही, परमेश्वर के ऐसे प्यार का सबूत देखकर और उससे ऐसी इज़्ज़त पाकर, घमंड से फूल नहीं जाएगा और ना ही खुद को बड़ा समझेगा। प्रेरित पौलुस ने लिखा: “मैं उस अनुग्रह के कारण जो मुझ को मिला है, तुम में से हर एक से कहता हूं, कि जैसा समझना चाहिए, उस से बढ़कर कोई भी अपने आप को न समझे पर जैसा परमेश्वर ने हर एक को परिमाण के अनुसार बांट दिया है, वैसा ही सुबुद्धि के साथ अपने को समझे।” (रोमियों 12:3) एक और अनुवाद कहता है: “तुम में से कोई भी व्यक्ति अपने आपको आवश्यकता से अधिक महत्वपूर्ण न समझे, परन्तु . . . अपना सन्तुलित मूल्यांकन करे।” (नयी हिन्दी बाइबिल) तो जहाँ हम एक तरफ अपने स्वर्गीय पिता के प्यार से सराबोर हैं, वहीं हमें दुरुस्त मन से काम लेना है और यह याद रखना है कि परमेश्वर का प्यार हम किसी तरह अर्जित नहीं कर सकते, ना ही हक के साथ इसकी माँग कर सकते हैं।—लूका 17:10.
21. शैतान के किस झूठ का हमें लगातार विरोध करना चाहिए, और बाइबल की किस सच्चाई से हम अपने दिलों को यकीन दिलाते रह सकते हैं?
21 आइए हममें से हरेक शैतान के झूठ का, खासकर इस झूठ का अपनी पूरी ताकत से विरोध करे कि परमेश्वर की नज़र में हमारी कोई कीमत नहीं और हम उसके प्यार के काबिल नहीं। अगर ज़िंदगी में आपके तजुर्बे ने आपको यह सिखाया है कि आप इतनी बड़ी बाधा हैं जिसे परमेश्वर का अथाह प्रेम भी पार नहीं कर सकता, या आपके अच्छे काम इतने तुच्छ हैं कि उसकी सब कुछ देखनेवाली निगाहें भी उन्हें नहीं देख पाएँगी, या आपके पाप इतने गंभीर हैं कि उसके अनमोल बेटे की मौत भी इन्हें ढांप नहीं पाएगी, तो आपको झूठ सिखाया गया है। इस झूठ को अपने दिल से उखाड़ फेंकिए! पौलुस के प्रेरित शब्दों में बतायी सच्चाई से आइए हम अपने दिलों को यकीन दिलाते रहें: “मैं निश्चय जानता हूं, कि न मृत्यु, न जीवन, न स्वर्गदूत, न प्रधानताएं, न वर्तमान, न भविष्य, न सामर्थ, न ऊंचाई, न गहिराई और न कोई और सृष्टि, हमें परमेश्वर के प्रेम से, जो हमारे प्रभु मसीह यीशु में है, अलग कर सकेगी।”—रोमियों 8:38, 39.
a बाइबल बार-बार पुनरुत्थान की आशा को यहोवा की याददाश्त के साथ जोड़ती है। वफादार अय्यूब ने यहोवा से कहा था: “काश! . . . फिर कोई समय मेरे लिये नियुक्त करके तू मुझे याद करता।” (तिरछे टाइप हमारे; अय्यूब 14:13, ईज़ी-टू-रीड वर्शन) यीशु ने “जितने स्मारक कब्रों में हैं” उनके पुनरुत्थान की बात कही। यह बिलकुल सही था, क्योंकि यहोवा जिन मरे हुओं का पुनरुत्थान करना चाहता है, उनकी एक-एक बात याद रखता है।—यूहन्ना 5:28, 29, NW.
b कुछ अनुवादों में यहाँ कहा गया है कि जो परमेश्वर के लोगों को छूता है वह उसकी ही यानी इस्राएल की आँख को, न कि परमेश्वर की आँख को छूता है। यह गलती कुछ शास्त्रियों ने की थी, जिन्हें लगता था कि ये शब्द परमेश्वर के लिए श्रद्धा की कमी दिखाते हैं और इसलिए उन्होंने इसमें फेरबदल की। उनकी इस गलत सोच से यह बात छिप गयी कि हमारे लिए यहोवा की हमदर्दी कितनी गहरी है।