अध्ययन लेख 16
मौत से जुड़ी सच्चाई का समर्थन कीजिए
“हम पहचान पाते हैं कि कौन-सा संदेश ईश्वर-प्रेरणा से है और कौन-सा संदेश झूठा है।”—1 यूह. 4:6.
गीत 73 हमें निडरता का वरदान दे!
लेख की एक झलकa
1-2. (क) शैतान ने किस तरह लोगों को गुमराह किया है? (ख) इस लेख में हम क्या चर्चा करेंगे?
शैतान “झूठ का पिता” है। वह आदम और हव्वा के समय से लेकर आज तक लोगों को गुमराह करता आया है। (यूह. 8:44) उसने कई किस्म के झूठ फैलाए हैं, जैसे मौत और मौत के बाद क्या होता है, इस बारे में झूठी शिक्षाएँ। इनसे कई जाने-माने रीति-रिवाज़ और अंधविश्वास निकले हैं। जब हमारे कई भाई-बहनों के परिवार या समुदाय में किसी की मौत होती है, तो उन पर ये रीति-रिवाज़ मानने का दबाव आता है। ऐसे में उन्हें अपने ‘विश्वास की खातिर जी-जान से लड़ना’ पड़ता है।—यहू. 3.
2 अगर आप पर ऐसा दबाव आता है, तो आप क्या कर सकते हैं, ताकि बाइबल की शिक्षाओं से आप समझौता न करें? (इफि. 6:11) अगर किसी भाई-बहन पर यह दबाव आता है, तो आप उसे हिम्मत और दिलासा कैसे दे सकते हैं? इस लेख में समझाया जाएगा कि इस मामले में यहोवा ने हमें क्या मार्गदर्शन दिया है। लेकिन इससे पहले आइए देखें कि बाइबल मौत के बारे में क्या बताती है।
मरे हुओं की दशा के बारे में सच्चाई
3. पहले झूठ का क्या अंजाम हुआ?
3 परमेश्वर नहीं चाहता था कि इंसान की कभी मौत हो। आदम और हव्वा को इसी मकसद से बनाया गया था। लेकिन वे तभी हमेशा जी सकते थे, जब वे यहोवा की आज्ञा मानते। उसने बस यह आज्ञा दी थी, “अच्छे-बुरे के ज्ञान का जो पेड़ है उसका फल तू हरगिज़ न खाना, क्योंकि जिस दिन तू उसका फल खाएगा उस दिन ज़रूर मर जाएगा।” (उत्प. 2:16, 17) मगर फिर शैतान ने एक साँप के ज़रिए हव्वा से कहा, “तुम हरगिज़ नहीं मरोगे।” अफसोस, हव्वा ने शैतान के झूठ पर यकीन कर लिया और वह फल खा लिया। बाद में उसके पति ने भी वह फल खाया। (उत्प. 3:4, 6) इस तरह इंसानों में पाप और मौत की शुरूआत हुई।—रोमि. 5:12.
4-5. शैतान ने अब तक इंसानों को किस तरह गुमराह किया है?
4 जैसा परमेश्वर ने कहा था, आदम और हव्वा मर गए। लेकिन शैतान ने मौत के बारे में झूठ फैलाना बंद नहीं किया। आगे चलकर उसने और भी झूठ फैलाए। जैसे, यह कि मरने पर इंसान का सिर्फ शरीर खत्म होता है, आत्मा ज़िंदा रहती है। इसी से मिलती-जुलती कई झूठी शिक्षाओं ने अब तक अनगिनत लोगों को गुमराह किया है।—1 तीमु. 4:1.
5 लेकिन सवाल है कि इतने सारे लोग शैतान के झूठ पर यकीन क्यों कर लेते हैं? शैतान अच्छी तरह जानता है कि इंसानों को हमेशा तक जीने के लिए बनाया गया था, इसलिए वे कभी मरना नहीं चाहते। (सभो. 3:11) उसे यह भी पता है कि मौत इंसानों को हमेशा दुख देती है। (1 कुरिं. 15:26) इन्हीं बातों का गलत फायदा उठाकर वह लोगों को अपने जाल में फँसाता है।
6-7. (क) क्या शैतान मौत के बारे में सच्चाई छिपाने में कामयाब हुआ है? समझाइए। (ख) बाइबल में दी किस सच्चाई की वजह से हम मरे हुओं से खौफ नहीं खाते?
6 शैतान ने मौत के बारे में सच्चाई छिपाने की बहुत कोशिशें कीं, फिर भी वह नाकाम रहा। दरअसल आज पहले से कहीं ज़्यादा लोग जानते हैं कि बाइबल मरे हुओं की दशा के बारे में क्या बताती है और यह भी कि उनके लिए क्या आशा है। इतना ही नहीं, वे दूसरों को भी यह सच्चाई बताते हैं। (सभो. 9:5, 10; प्रेषि. 24:15) इस सच्चाई से हमें दिलासा मिलता है और हमें डर और चिंताएँ नहीं सतातीं। उदाहरण के लिए, जिनकी मौत हो गयी है, उनसे हम खौफ नहीं खाते और न ही हमें यह डर रहता है कि उन्हें कहीं तड़पाया जा रहा होगा। हम जानते हैं कि उनका कहीं भी अस्तित्व नहीं है और वे किसी को नुकसान नहीं पहुँचा सकते। उनकी दशा ऐसी है मानो वे गहरी नींद में सो रहे हों। (यूह. 11:11-14) हम यह भी जानते हैं कि मरे हुओं को वक्त की कोई खबर नहीं होती। इस वजह से जो लोग सैकड़ों सालों से मौत की नींद सो रहे हैं, उन्हें भी ज़िंदा होने पर लगेगा मानो वे अभी सोए थे।
7 वाकई बाइबल में मरे हुओं की दशा के बारे में कितने साफ और सरल तरीके से और बढ़िया दलीलों के साथ बताया गया है। यह सच्चाई शैतान के झूठ से कितनी अलग है! उसके झूठ न सिर्फ लोगों को उलझन में डालते हैं और उन्हें गुमराह करते हैं, बल्कि हमारे सृष्टिकर्ता को बदनाम भी करते हैं। शैतान ने जो नुकसान किया है, उसे अच्छी तरह समझने के लिए आइए इन सवालों पर ध्यान दें: शैतान के झूठ ने किस तरह यहोवा को बदनाम किया है? उसके झूठ से लोगों को क्यों लगा है कि फिरौती बलिदान पर विश्वास करने का कोई फायदा नहीं? उसके झूठ से इंसानों का गम और उनकी तकलीफें किस तरह बढ़ गयी हैं?
शैतान के झूठ से हमेशा नुकसान ही हुआ है
8. यिर्मयाह 19:5 में बतायी बात के मुताबिक मरे हुओं के बारे में शैतान के झूठ से कैसे यहोवा की बदनामी होती है?
8 मरे हुओं के बारे में शैतान के झूठ से यहोवा की बदनामी होती है। इनमें से एक झूठ यह है कि मरने के बाद लोगों को नरक की आग में तड़पाया जाता है। इस तरह की शिक्षाओं से परमेश्वर की कितनी बदनामी होती है। वह कैसे? इन शिक्षाओं की वजह से लोगों को लगता है कि परमेश्वर प्यार का परमेश्वर नहीं, बल्कि निर्दयी है, ठीक जैसे शैतान निर्दयी है। (1 यूह. 4:8) इस झूठ के बारे में आप कैसा महसूस करते हैं? सबसे बढ़कर, यहोवा कैसा महसूस करता होगा? उसे बहुत दुख होता होगा, क्योंकि वह हर किस्म की बेरहमी से नफरत करता है।—यिर्मयाह 19:5 पढ़िए।
9. शैतान के झूठ की वजह से लोगों को फिरौती बलिदान के बारे में कैसा लगता है, जिसका ज़िक्र यूहन्ना 3:16 और 15:13 में किया गया है?
9 शैतान के झूठ की वजह से लोगों को लगता है कि फिरौती बलिदान पर विश्वास करने का कोई फायदा नहीं। (मत्ती 20:28) शैतान का एक और झूठ है कि इंसानों में अमर आत्मा होती है। अगर यह सच होता, तो इसका मतलब है कि इंसान हमेशा ज़िंदा रहेंगे। फिर तो हमें हमेशा की ज़िंदगी दिलाने के लिए मसीह को अपनी जान देने की ज़रूरत ही नहीं होती। लेकिन मसीह का बलिदान इस बात का सबसे बड़ा सबूत है कि यहोवा और यीशु हम इंसानों से बेहद प्यार करते हैं। (यूहन्ना 3:16; 15:13 पढ़िए।) ज़रा सोचिए, उन्हें इन शिक्षाओं के बारे में कैसा लगता होगा, जिनकी वजह से लोग इस अनमोल तोहफे की कदर नहीं करते!
10. शैतान के झूठ से लोगों का गम और उनकी तकलीफें किस तरह और बढ़ी हैं?
10 शैतान के झूठ से लोगों का गम और उनकी तकलीफें और बढ़ गयी हैं। जब किसी बच्चे की मौत होती है, तो कई बार लोग माँ-बाप से कहते हैं, “भगवान को एक और फरिश्ते की ज़रूरत थी, तभी उसने उसे अपने पास बुला लिया है।” क्या शैतान के इस झूठ से माँ-बाप का दर्द कम होता है? एक और झूठ से होनेवाले नुकसान पर ध्यान दीजिए, वह है नरक की शिक्षा। बीते ज़माने में जो लोग चर्च की शिक्षाओं का विरोध करते थे, उन पर ज़ुल्म ढाए जाते थे, यहाँ तक कि उन्हें ज़िंदा जला दिया जाता था और इन ज़ुल्मों को सही ठहराने के लिए नरक की शिक्षा का हवाला दिया जाता था। स्पेन में कैथोलिक चर्च की अदालत पर लिखी एक किताब बताती है कि इस बेरहमी के लिए ज़िम्मेदार कुछ लोगों का क्या मानना था। उनका कहना था कि वे विधर्मियों को बस “इस बात का एहसास दिलाना चाहते हैं कि नरक की आग में हमेशा तड़पना कैसा होता है,” ताकि वे मरने से पहले पश्चाताप करें और उन्हें नरक में न जाना पड़े। कई देशों में देखा गया है कि लोगों को मजबूरन अपने पूर्वजों की पूजा करनी पड़ती है, उनके सम्मान में या उनसे आशीष पाने के लिए कुछ करना पड़ता है। कुछ लोग अपने पूर्वजों को खुश करने की कोशिश करते हैं, ताकि ये पूर्वज उन्हें कोई नुकसान न पहुँचाएँ। दुख की बात है कि शैतान की फैलायी झूठी शिक्षाओं से लोगों को कोई दिलासा नहीं मिलता, बल्कि उनकी चिंताएँ बढ़ जाती हैं, यहाँ तक कि वे डर-डरकर जीते हैं।
बाइबल में दी सच्चाई का समर्थन कैसे करें?
11. हमारे रिश्तेदार या दोस्त किस तरह हम पर परमेश्वर के स्तरों से समझौता करने का दबाव डाल सकते हैं?
11 परमेश्वर और उसके वचन के लिए प्यार होने से हम हर हाल में उसकी आज्ञा मानेंगे, उस वक्त भी, जब हमारे रिश्तेदार या दोस्त मरे हुओं से जुड़े रीति-रिवाज़ मानने का हम पर दबाव डालते हैं। शायद वे हमसे कहें कि हमारे दिल में मरे हुए अज़ीज़ के लिए प्यार और आदर नहीं है। या शायद वे कहें कि हमारे व्यवहार की वजह से वह अज़ीज़ किसी-न-किसी तरह ज़िंदा लोगों को नुकसान पहुँचाएगा। इस तरह हमें शर्मिंदा करके या डराकर वे हम पर दबाव डालने की कोशिश करते हैं। ऐसे में हम बाइबल में दी सच्चाई का समर्थन कैसे कर सकते हैं? आगे बताए बाइबल के सिद्धांत हमारे लिए काफी फायदेमंद हो सकते हैं।
12. मरे हुओं के बारे में कौन-सी शिक्षाएँ और रीति-रिवाज़ सीधे-सीधे बाइबल के खिलाफ हैं?
12 ठान लीजिए कि आप ऐसी हर शिक्षा और रीति-रिवाज़ से ‘खुद को अलग कर’ लेंगे, जो बाइबल की शिक्षाओं के खिलाफ है। (2 कुरिं. 6:17) एक कैरिबियन राष्ट्र में बहुत-से लोगों का मानना है कि एक व्यक्ति की मौत के बाद उसका “भूत” आस-पास ही भटकता रहता है और उन लोगों को सज़ा देता है, जिन्होंने उसे सताया था। एक लेख में बताया गया है कि वह “भूत पूरी बिरादरी पर मुसीबत ला सकता है।” अफ्रीका में एक रिवाज़ है कि जिस घर में मौत होती है, वहाँ सभी आईने ढक दिए जाते हैं और तसवीरें उलटकर दीवार की तरफ कर दी जाती हैं। कुछ लोगों का मानना है कि यह इसलिए किया जाता है, ताकि मरे हुए की आत्मा खुद को देख न पाए! लेकिन हम यहोवा के साक्षी इन शिक्षाओं पर यकीन नहीं करते और न ही ऐसे रीति-रिवाज़ों में कोई हिस्सा लेते हैं, जो शैतान के झूठ को बढ़ावा देते हैं।—1 कुरिं. 10:21, 22.
13. अगर आपको ठीक-ठीक पता नहीं कि कोई रिवाज़ बाइबल के खिलाफ है या नहीं, तो याकूब 1:5 के मुताबिक आप क्या कर सकते हैं?
13 वहीं दूसरी तरफ अगर आपको ठीक-ठीक नहीं पता कि कोई रिवाज़ बाइबल की शिक्षाओं के खिलाफ है या नहीं, तब आप क्या करेंगे? यहोवा से प्रार्थना कीजिए और उससे बुद्धि माँगिए। (याकूब 1:5 पढ़िए।) फिर इस बारे में हमारे प्रकाशनों में खोजबीन कीजिए। अगर आपको और मदद चाहिए, तो मंडली के प्राचीनों से सलाह लीजिए। वे आपके लिए फैसले तो नहीं करेंगे, लेकिन आपको बाइबल के कुछ सिद्धांत याद दिलाएँगे, जैसे इस लेख में बताए गए हैं। इस तरह आप अपनी “सोचने-समझने की शक्ति” को प्रशिक्षित कर पाएँगे और “सही-गलत में फर्क” करना सीखेंगे।—इब्रा. 5:14.
14. हम किस तरह लोगों को ठोकर खिलाने से दूर रह सकते हैं?
14 “सबकुछ परमेश्वर की महिमा के लिए करो” और किसी के लिए “विश्वास से गिरने की वजह मत बनो।” (1 कुरिं. 10:31, 32) आप कोई दस्तूर या रिवाज़ निभाएँगे या नहीं, यह तय करते वक्त यह भी सोचिए कि आपके फैसले का दूसरों पर क्या असर होगा, खासकर मसीही भाई-बहनों पर। हम ऐसा कुछ नहीं करना चाहते, जिससे किसी के ज़मीर को ठेस पहुँचे और वह ठोकर खाए! (मर. 9:42) वहीं हम अपने उन रिश्तेदारों की भावनाओं को भी बेवजह चोट नहीं पहुँचाएँगे, जो साक्षी नहीं हैं। हम कभी उनसे झगड़ा नहीं करेंगे और न ही उनके रीति-रिवाज़ का मज़ाक उड़ाएँगे। इसके बजाय हम उनसे प्यार और आदर से बात करेंगे, ताकि परमेश्वर की महिमा हो। याद रखिए, प्यार में बहुत ताकत होती है! अगर हम अपनी बातों और अपने व्यवहार से इसे ज़ाहिर करें, तो हमारा विरोध करनेवालों का भी दिल पिघल सकता है।
15-16. (क) अपने विश्वास के बारे में दूसरों को पहले से बताना क्यों समझदारी है? एक उदाहरण दीजिए। (ख) रोमियों 1:16 में लिखे पौलुस के शब्द हम पर कैसे लागू होते हैं?
15 अपने आस-पड़ोस के लोगों को बताइए कि आप यहोवा के साक्षी हैं। (यशा. 43:10) अगर आपके परिवार में किसी की मौत होती है और आप रीति-रिवाज़ों में हिस्सा नहीं लेते, तो आपके रिश्तेदार और पड़ोसी आपसे नाराज़ हो सकते हैं। लेकिन अगर आप उन्हें पहले से अपने विश्वास के बारे में बताएँ, तो ऐसे नाज़ुक हालात का सामना करना आसान होगा। मोज़ांबीक में रहनेवाला एक भाई फ्रांसिस्को बताता है, “जब मैंने और मेरी पत्नी कैरोलीना ने सच्चाई सीखी, तो हमने अपने परिवारवालों को बता दिया कि अब से हम मरे हुओं की पूजा नहीं करेंगे। हमारे लिए परीक्षा की घड़ी तब आयी जब कैरोलीना की बहन गुज़र गयी। यहाँ का दस्तूर है कि एक रस्म निभाकर शव को पानी से नहलाया जाता है। वह पानी जहाँ बहाया जाता है, उसी जगह तीन दिन तक सबसे करीबी रिश्तेदार को सोना होता है। यह रिवाज़ मरे हुए की आत्मा को खुश करने के लिए माना जाता है। कैरोलीना के परिवारवाले चाहते थे कि वह यह रिवाज़ निभाए।”
16 फ्रांसिस्को और उसकी पत्नी ने इन हालात का सामना कैसे किया? भाई बताता है, “हम यहोवा से प्यार करते हैं और उसे खुश करना चाहते हैं, इसलिए हमने वह रिवाज़ निभाने से इनकार कर दिया। कैरोलीना के परिवारवाले बहुत गुस्सा हुए। वे कहने लगे कि उसे अपनी बहन की ज़रा भी इज़्ज़त नहीं। फिर उन्होंने कहा कि अब वे हमारे घर कभी नहीं आएँगे और न हमारी कोई मदद करेंगे। हमने पहले से अपने विश्वास के बारे में उन्हें बता दिया था, इसलिए उस तनाव-भरे माहौल में हमने बात आगे नहीं बढ़ायी। कई रिश्तेदारों ने हमारे पक्ष में बात की। वे कहने लगे कि इन्होंने तो पहले से ही इस बारे में बता दिया था। वक्त के गुज़रते कैरोलीना के परिवारवालों का गुस्सा ठंडा हो गया और उनके साथ हमारा रिश्ता फिर से अच्छा हो गया। कई तो हमारे घर बाइबल पर आधारित किताबें-पत्रिकाएँ भी लेने आए।” इस पति-पत्नी की तरह आइए हम भी मौत के बारे में सच्चाई का समर्थन करने से कभी शर्म महसूस न करें।—रोमियों 1:16 पढ़िए।
गम सहनेवालों को दिलासा और मदद दीजिए
17. जो मसीही किसी अपने को खोने का गम सह रहा है, हम उसके सच्चे दोस्त कैसे बन सकते हैं?
17 जब कोई मसीही अपने किसी अज़ीज़ को खो देता है, तो हमें उसके ‘सच्चे दोस्त’ बनने की कोशिश करनी चाहिए, ऐसा दोस्त जो “मुसीबत की घड़ी में भाई बन जाता है।” (नीति. 17:17) ऐसा करना तब और भी ज़रूरी हो जाता है, जब किसी भाई या बहन पर झूठे धर्मों के रीति-रिवाज़ मानने का दबाव डाला जाता है। हम उनके ‘सच्चे दोस्त’ कैसे बन सकते हैं? बाइबल में दिए सिद्धांत इन लोगों को दिलासा देने में काफी फायदेमंद हो सकते हैं। आइए दो सिद्धांतों पर ध्यान दें।
18. यीशु क्यों रोया और उससे हम क्या सीख सकते हैं?
18 “रोनेवालों के साथ रोओ।” (रोमि. 12:15) शायद हमारी समझ में न आए कि किसी दुखी भाई-बहन से हम क्या कहेंगे। लेकिन कई बार उनके साथ रोना ही बहुत मायने रखता है। जब यीशु के दोस्त लाज़र की मौत हो गयी थी, तो मरियम, मारथा और दूसरे लोग अपने प्यारे भाई और दोस्त के लिए बहुत रो रहे थे। चार दिन बाद जब यीशु उनके पास आया, तो उन्हें देखकर उसके भी “आँसू बहने लगे,” जबकि वह जानता था कि थोड़ी ही देर में वह लाज़र को ज़िंदा करनेवाला है। (यूह. 11:17, 33-35) यीशु के आँसुओं से पता चलता है कि लाज़र की मौत से यहोवा कितना दुखी था। इससे यह भी पता चलता है कि यीशु को लाज़र और उसके परिवार से कितना प्यार था। यह देखकर मरियम और मारथा को सच में बहुत दिलासा मिला होगा। उसी तरह जब गम सह रहे भाई-बहनों को एहसास होता है कि हमें उनसे प्यार है, उनकी परवाह है, तो वे अकेला महसूस नहीं करते। वे जानते हैं कि उनकी मदद करने और उन्हें सहारा देने के लिए उनके दोस्त उनके साथ हैं।
19. किसी दुखी भाई या बहन को दिलासा देते वक्त हम सभोपदेशक 3:7 में दिया सिद्धांत कैसे लागू कर सकते हैं?
19 “चुप रहने का समय और बोलने का समय” है। (सभो. 3:7) किसी दुखी भाई या बहन को दिलासा देने का एक और तरीका है, ध्यान से उसकी सुनना। उसे अपने दिल का हाल कहने दीजिए और अगर उसके “मुँह से बेसिर-पैर की बातें” निकलें, तो बुरा मत मानिए। (अय्यू. 6:2, 3) उसने अपने अज़ीज़ को तो खोया ही है, ऊपर से हो सकता है कि वह काफी तनाव में हो, क्योंकि उसके रिश्तेदार, जो साक्षी नहीं हैं, उस पर दबाव डाल रहे हों। उसके साथ प्रार्थना कीजिए। “प्रार्थना के सुननेवाले” से मिन्नतें कीजिए कि वह उसे हिम्मत और ताकत दे और वह ठीक से सोच पाए। (भज. 65:2) अगर हालात ठीक लगें, तो उसके साथ बाइबल पढ़िए। या हमारे प्रकाशनों से हौसला बढ़ानेवाला कोई लेख पढ़िए, जैसे जीवन-कहानी।
20. अगले लेख में क्या चर्चा की जाएगी?
20 हम इस बात के लिए कितने एहसानमंद हैं कि हम मौत के बारे में सच्चाई जानते हैं और यह भी कि जो स्मारक कब्रों में हैं, उनके लिए एक सुनहरा भविष्य है! (यूह. 5:28, 29) इस वजह से आइए हम हिम्मत से बाइबल में दी सच्चाई का समर्थन करें और हर मौके पर दूसरों को इस बारे में बताते रहें। शैतान एक और तरीके से लोगों को अंधकार में रखने की कोशिश करता है। वह है, जादू-टोना। इस बारे में अगले लेख में चर्चा की जाएगी। हम सीखेंगे कि हमें क्यों जादू-टोने से जुड़े कामों और मनोरंजन से दूर रहना चाहिए।
गीत 24 यहोवा के पर्वत पर आओ
a शैतान और उसके दुष्ट स्वर्गदूतों ने मरे हुओं की दशा के बारे में झूठ फैलाकर लोगों को गुमराह किया है। इस वजह से लोग ऐसे बहुत-से रीति-रिवाज़ मानने लगे हैं, जो बाइबल के मुताबिक गलत हैं। जब आप पर इस तरह के रीति-रिवाज़ मानने का दबाव आता है, तो आप यहोवा के वफादार कैसे रह सकते हैं? इसका जवाब आपको इस लेख में मिलेगा।
b तसवीर के बारे में: एक औरत अपने अज़ीज़ के लिए मातम मना रही है और उसके परिवार के सदस्य, जो यहोवा के साक्षी हैं, उसे दिलासा दे रहे हैं।
c तसवीर के बारे में: एक साक्षी अंत्येष्टि से जुड़े रीति-रिवाज़ों के बारे में खोजबीन करने के बाद अपने उन रिश्तेदारों से बात कर रहा है, जो साक्षी नहीं हैं और प्यार से उन्हें अपने विश्वास के बारे में समझा रहा है।
d तसवीर के बारे में: मसीही मंडली के प्राचीन एक साक्षी को दिलासा और मदद दे रहे हैं, जो अपने अज़ीज़ की मौत से बहुत दुखी है।