बाइबल का दृष्टिकोण
बहिष्करण क्यों एक प्रेममय प्रबन्ध है
निष्कासन—अनेक धार्मिक लोगों में इसका विचार ही मिश्रित भावनाएँ जगाता है।a अधिकांश लोग सहमत होते हैं कि धर्मों को किसी क़िस्म के अनुशासन की ज़रूरत है। लेकिन अनेक लोग निष्कासन को अतीत का एक स्मृतिशेष समझते हैं—एक कठोर क़िस्म का अनुशासन जो उन्हें डाइनों की खोज और धर्माधिकरणों की याद दिलाता है।
समस्या को बढ़ानेवाली बात है धर्म-निरपेक्ष संसार का व्यापक प्रभाव। अतः, मसीहीजगत के अधिकांश धर्मों ने पाप का एक ज़्यादा सहनशील दृष्टिकोण अपनाया है। तब, इसमें आश्चर्य की बात नहीं है कि एक एपिस्कोपेलियन पुरोहित ने कहा: “निष्कासन हमारी परम्परा का भाग है, लेकिन मुझे नहीं लगता कि इसे इस शताब्दी में लागू किया गया है।”
लेकिन, अनेक लोग यह जानकर शायद ताज्जुब करें कि यहोवा के साक्षियों के बीच, बहिष्करण (निष्कासन का समानार्थक) को गम्भीरता से लिया जाता है। माना कि यह कोई आसान कार्य नहीं है, लेकिन यह एक प्रेममय प्रबन्ध है। यह कैसे?
यह परमेश्वर के नाम को उन्नत करता है
यहोवा एक पवित्र परमेश्वर है। वह उसकी उपासना करने का दावा करनेवाले लोगों द्वारा जानबूझकर किए गए पाप को बरदाश्त नहीं करता है। प्रेरित पतरस ने मसीहियों को लिखा: “अपने सारे चालचलन में पवित्र बनो। क्योंकि लिखा है, कि पवित्र बनो, क्योंकि मैं पवित्र हूं।” (१ पतरस १:१५, १६) सो अपश्चातापी पापियों को बहिष्कृत करने से परमेश्वर का पवित्र नाम उन्नत होता है; यह उस नाम के लिए प्रेम दिखाता है।—इब्रानियों ६:१० से तुलना कीजिए।
क्या इसका यह अर्थ है कि यदि एक मसीही कमज़ोरी के सामने झुक जाता है या गम्भीर पाप में पड़ जाता है, तो उसे कलीसिया से अपने आप निकाल दिया जाता है? बिलकुल नहीं! यहोवा एक संगदिल तानाशाह नहीं है। वह दयालु और विचारशील है। वह स्मरण रखता है कि हम अपरिपूर्ण हैं। (भजन १०३:१४) यहोवा मानता है कि “सब ने पाप किया है और परमेश्वर की महिमा से रहित हैं।” (रोमियों ३:२३) परमेश्वर ने कलीसिया के अन्दर आध्यात्मिक मदद का प्रबन्ध किया है ताकि यदि एक मसीही “ग़लत क़दम” उठाता है या गम्भीर पाप भी कर बैठता है, तो उसे नम्रता की भावना से प्रेमपूर्वक ‘सम्भाला’ जा सकता है। (गलतियों ६:१, NW) परमेश्वर के वचन से सलाह स्वीकारने और हार्दिक दुःख और वास्तविक पश्चाताप प्रदर्शित करने के द्वारा, व्यक्ति जो धार्मिकता के मार्ग से भटक गया है, वह आध्यात्मिक रूप से ‘चंगा’ हो सकता है।—याकूब ५:१३-१६.
लेकिन, यदि एक बपतिस्मा-प्राप्त मसीही गम्भीर रूप से ग़लती करता है और उसे पुनःस्थापित करने के सारे प्रयास नाक़ामयाब होते हैं, तब क्या? दूसरे शब्दों में, तब क्या जब वह हठपूर्वक अपने पापमय मार्ग को सुधारने से इनकार करता है?
यह कलीसिया को सुरक्षित रखता है
बाइबल मसीहियों को आदेश देती है: “यदि कोई भाई कहलाकर, व्यभिचारी, या लोभी, या मूर्त्तिपूजक, या गाली देनेवाला, या पियक्कड़, या अन्धेर करनेवाला हो, तो उस की संगति मत करना; बरन ऐसे मनुष्य के साथ खाना भी न खाना।”—१ कुरिन्थियों ५:११.
क्या यह बाइबल नियम कठोर और नीचा दिखानेवाला है? इस पर विचार कीजिए: जब एक निष्ठुर अपराधी को नियम का उल्लंघन करने के लिए जेल भेज दिया जाता है, तो क्या इसे कठोर या संगदिल माना जाता है? जी नहीं, क्योंकि जनता के पास समुदाय की शान्ति और सुरक्षा की रक्षा करने का अधिकार है। वास्तव में, वह अपराधी अपने जेल की अवधि के दौरान विधिपालक समाज से बहिष्कृत किया जाता है।
उसी तरह से, मसीही कलीसिया अपने बीच में से अपश्चातापी ग़लती करनेवालों को निकालने में न्यायसंगत ठहरती है। क्यों? क्योंकि कलीसिया को अनैतिक लोगों और अन्य स्वैच्छिक पाप करनेवालों से मुक्त एक आशियाना होना है।
यह समझते हुए कि ‘एक पापी बहुत भलाई नाश कर सकता है,’ प्रेरित पौलुस ने संगी विश्वासियों को आदेश दिया: “उस कुकर्मी को अपने बीच में से निकाल दो।” (सभोपदेशक ९:१८; १ कुरिन्थियों ५:१३) यह कृत्य पापी को कलीसिया में भ्रष्टाचार फैलाने से रोकता है, और यह कलीसिया के सुनाम की रक्षा करता है।—१ तीमुथियुस ३:१५ से तुलना कीजिए।
व्यक्तियों के लिए सुरक्षा
बहिष्करण कलीसिया के वैयक्तिक सदस्यों की भी सुरक्षा करता है। आइए हम सचित्रित करें: किसी कार के हॉर्न या ख़तरे की घंटी की शोरवाली आवाज़ द्वारा नींद से जगाए जाने की कल्पना कीजिए। कर्णभेदी आवाज़ को नज़रअंदाज़ करना मुश्किल है; वाक़ई, यह आपको चौंका देती है! उसी तरह, जब कलीसिया के किसी व्यक्ति को निकाल दिया जाता है, तो आशा की जाती है कि यह कार्य झुण्ड के सभी सदस्य का ध्यान खींचता है। यह उनकी चेतना को व्याकुल करता है। इसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। यह एक सुरक्षा कैसे हो सकता है?
“जब मैंने पहली बार राज्यगृह में सुना कि किसी को बहिष्कृत किया गया था, तो मेरी प्रारम्भिक प्रतिक्रिया थी स्तब्धता,” एक साक्षी कहती है। “फिर इसने मुझे दीन किया। इससे मुझे एहसास हुआ कि मैं भी गिर सकती हूँ।” जैसे उसके शब्द सूचित करते हैं, बहिष्करण दूसरों को अपने आचरण को जाँचने के लिए प्रेरित कर सकता है।—१ कुरिन्थियों १०:१२.
अपने आप से इस प्रकार के सवाल पूछने के द्वारा जैसे ‘क्या मेरी ज़िन्दगी के ऐसे कोई क्षेत्र हैं जिनमें मैं आध्यात्मिक रूप से कमज़ोर हूँ?’ हमें परमेश्वर के साथ अपनी स्थिति की जाँच करने में मदद दी जा सकती है। इस तरह से हम “डरते और कांपते हुए अपने अपने उद्धार का कार्य्य पूरा करते” रहना जारी रख सकते हैं।—फिलिप्पियों २:१२.
परमेश्वर की ओर वापसी
“जितना भी वह कठिन था,” एक मसीही ने कहा जिसे कुछ समय के लिए निकाल दिया गया था, “वह अनुशासन आवश्यक था और इसकी काफ़ी ज़रूरत थी, और यह जीवन-रक्षक साबित हुआ।” यह बहिष्करण के एक और महत्त्वपूर्ण पहलू को विशिष्ट करता है। यह पहले के अपश्चातापी पापियों को परमेश्वर की ओर वापस आने के अपने पहले क़दम लेने के लिए प्रेरित कर सकता है।
प्रेरित पौलुस ने कहा: “प्रभु, [“यहोवा,” NW] जिस से प्रेम करता है, उस की ताड़ना भी करता है।” (इब्रानियों १२:६) और जबकि यह सच है कि “वर्तमान में हर प्रकार की ताड़ना आनन्द की नहीं, पर शोक ही की बात दिखाई पड़ती है, तौभी जो उस को सहते सहते पक्के हो गए हैं, पीछे उन्हें चैन के साथ धर्म का प्रतिफल मिलता है।”—इब्रानियों १२:११.
रिचर्ड को यही हुआ। लगभग दो साल के लिए बहिष्कृत होने के बाद, उसने पश्चाताप किया, अपने परमेश्वर-का-अनादर करनेवाले आचरण को सुधारा, और मसीही कलीसिया में वापस स्वीकारा गया। पीछे देखते हुए, वह उस अनुभव के बारे में कहता है: “मैं समझता हूँ कि मुझे बहिष्कृत किया जाना ज़रूरी था और कि जो मुझे मिला मैं उसके पूरे-पूरे क़ाबिल था। वह वास्तव में आवश्यक था और मुझे यह देखने में मदद की कि मेरा मार्ग और यहोवा की क्षमा माँगने की ज़रूरत कितनी गम्भीर थी।”
अनुशासन को सहना शायद आसान न हो। इसे स्वीकारने के लिए नम्रता की ज़रूरत है, लेकिन जो लोग इसे सीखते हैं, वे भरपूर फल पाते हैं।
इसीलिए, बहिष्करण एक प्रेममय प्रबन्ध है क्योंकि यह परमेश्वर के पवित्र नाम को उन्नत करता है और यह पाप के भ्रष्ट करनेवाले प्रभाव से कलीसिया की सुरक्षा करता है। साथ ही, यह ग़लती करनेवाले को पश्चाताप करने और ‘लौट आने’ के लिए प्रोत्साहित करने के द्वारा उसके लिए प्रेम प्रदर्शित करता है “कि [उसके] पाप मिटाए जाएं, जिस से प्रभु के सन्मुख से विश्रान्ति के दिन आएं।”—प्रेरितों ३:१९.
[फुटनोट]
a निष्कासन एक अनुशासनिक कार्य है जो एक धर्म की सदस्यता से बहिष्करण में परिणित होता है।
[पेज 25 पर चित्र का श्रेय]
The New Testament: A Pictorial Archive from Nineteenth-Century Sources, by Don Rice/Dover Publications, Inc.