वापस परादीस की ओर का मार्ग खोलना
“[यीशु] ने उस से कहा: ‘मैं तुझ से आज सच कहता हूँ, तू मेरे साथ परादीस में होगा।’”—लूका २३:४३, न्यू.व.
१, २. (अ) “परादीस” का मतलब क्या है, और अदन की बाटिका किस के जैसे रही होगी? (ब) मसीही यूनानी शास्त्रों में “बग़ीचे” के लिए इब्रानी शब्द का अनुवाद कैसे किया गया है?
मानव परिवार का आरंभ परादीस में हुआ। मनुष्य की सृष्टि से संबंधित, हम पवित्र शास्त्र की पहली किताब में पढ़ते हैं: “यहोवा परमेश्वर ने मनुष्य को भूमि की मिट्टी से रचा और उसके नथनों में जीवन का श्वास फूँक दिया; और मनुष्य जीवता प्राणी बन गया। और यहोवा परमेश्वर ने पूर्व की ओर अदन देश में एक बाटिका लगाई; और वहाँ मनुष्य को जिसे उस ने रचा था, रख दिया।” (उत्पत्ति २:७, ८) “अदन,” इस नाम का मतलब है “सुख,” और इस प्रकार अदन की बाटिका सुख का एक विस्तृत उपवन था, जिस में अनेक तथा विविध सुन्दर विशेषताएँ थीं।
२ “परादीस,” यह शब्द, यूनानी भाषा से लिया गया है, और उस भाषा में यह एक उपवन-जैसे बग़ीचे का अर्थ रखता है। इब्रानी संज्ञा गान, यानी बग़ीचा, का अनुवाद करने के लिए इस्तेमाल किया गया यूनानी शब्द पॅ·रेʹडाइसोस है। मत्ती से प्रकाशितवाक्य तक के शास्त्र यूनानी भाषा में लिखे गए थे, और इस यूनानी शब्द को, सामान्य युग सन् ३३ के निसान १४ के रोज़, कल्वरी पर, यातना खूँटे पर मृत्युदण्ड भुगत रहे प्रभु यीशु मसीह की उक्तियाँ लिपिबद्ध करने में इस्तेमाल किया गया।
यीशु का कुकर्मी को दिया परादीस का वादा
३. (अ) सहानुभूतिशील कुकर्मी ने यीशु से क्या माँगा? (ब) कुकर्मी के निवेदन से यीशु से संबंधित उसके विश्वास के बारे में क्या स्पष्ट हुआ?
३ उस समय, यीशु के पास दो कुकर्मी खूँटों पर चढ़ाए गए थे। एक ने यीशु से उस अपमनजनक ढंग से बातें करना बंद किया था, जिस ढंग से यीशु की दूसरी ओर चढ़ाया गया चोर करता रहा। सहानुभूतिशील कुकर्मी ने मुड़कर कहा: “हे यीशु, जब तू अपने राज्य में आए, तो मेरी सुधि लेना,” इस प्रकार विश्वास व्यक्त करते हुए कि, हालाँकि यीशु उसके बाज़ू में चढ़ाया जा चुका था, फिर भी उसे भविष्य में एक राज्य मिलना नियत था। (लूका २३:४२; मरकुस १५:३२) उस बात ने प्रभु यीशु के हृदय को किस तरह छू लिया होगा! उस मैत्रीपूर्ण कुकर्मी को विश्वास था कि यीशु मसीह निर्दोष था और कि वह ऐसी कड़ी सज़ा के योग्य न था, जैसे कि सरेआम बदनाम होकर खूँटे पर चढ़ाया जाना। (लूका २३:४१) अपने निवेदन से उसने दिखाया कि वह विश्वास करता था कि यीशु को मृतावस्था से जिलाया जाता और उसे एक राज्य प्राप्त होता। कुकर्मी ने यह विश्वास भी दिखाया कि खुद उसे पुनरुत्थान मिल सकता था और कि यीशु ही उसे मृतावस्था से बुलाता और पृथ्वी पर नवीकृत जीवन देकर उस पर उपकार करता।
४. यीशु ने कुकर्मी के निवेदन का जवाब किस तरह दिया, जिस से क्या सूचित हुआ?
४ जब यीशु ने उस से कहा: “मैं तुझ से आज सच कहता हूँ; तू मेरे साथ परादीस में होगा,” उसका इशारा उस सहानुभूतिशील कुकर्मी के पुनरुत्थान की ओर था। विश्वास प्रकट करनेवाले अपराधी के लिए वह एक वास्तविक दिलासा रहा होगा। उस मनुष्य का पुनरुत्थान होने के लिए, पहले यीशु का जिलाया जाना आवश्यक था। फिर, अपनी ईश्वर-प्रदत्त पुनरुत्थान शक्ति प्रयुक्त करते हुए, यीशु मनुष्यजाति के पुनरुत्थान के दिन पर इस कुकर्मी को मृतावस्था से वापस बुला लेता।—लूका २३:४३, न्यू.व.; यूहन्ना ५:२८, २९; १ कुरिन्थियों १५:२०, २३; इब्रानियों ९:१५.
५, ६. (अ) खूँटे पर चढ़ाए हुए यीशु के सिर के ऊपर राज्यपाल पुन्तियुस पीलातुस ने क्या लिखवा लिया? (ब) संभवतः, यीशु ने कुकर्मी से कौनसी भाषा में बातें की?
५ यीशु ने वह वादा कौनसी भाषा में किया? उस वक्त वहाँ कई भाषाएँ प्रचलित थीं। यह उन शब्दों से प्रकट है जो राज्यपाल पुन्तियुस पीलातुस ने खूँटे पर चढ़ाए हुए यीशु मसीह के सिर के ऊपर लिखवाए, जिस से सभी राहगीर पढ़कर उसे पहचान सकते थे। यूहन्ना १९:१९, २० में का वृत्तांत बताता है: “और पीलातुस ने एक दोष-पत्र लिखकर खूँटे पर लगा दिया और उस में यह लिखा हुआ था, ‘यीशु नासरी यहूदियों का राजा।’ यह दोष-पत्र बहुत यहूदियों ने पढ़ा क्योंकि वह स्थान जहाँ यीशु खूँटे पर चढ़ाया गया था नगर के पास था और पत्र इब्रानी और लतीनी और यूनानी में लिखा हुआ था।” (न्यू.व.)
६ बैतलहम में अपनी कुँआरी माँ, मरियम से जन्म लेने के नाते, यीशु एक यहूदी, या एक इब्रानी, के रूप में जन्मा। तदनुसार, अपनी जन्म-भूमि में साढ़े तीन वर्ष तक अपने प्रचार कार्य में, उसने प्रत्यक्षतः प्रचलित यहूदी भाषा, या इब्रानी, में प्रचार किया। इसलिए, जब उसने उस सहानुभूतिशील कुकर्मी से आश्वासन के शब्द कहे, संभवतः वह इब्रानी भाषा में बोला। तो परादीस का उल्लेख करने में उसने इब्रानी शब्द गान का प्रयोग किया होगा—जो शब्द उत्पत्ति २:८ में पाया जाता है। वहाँ, पवित्र शास्त्र का यूनानी सेप्टुआजिंट वर्शन, मूल शब्द गान का अनुवाद करने में पॅ·रेʹडाइसोस शब्द का प्रयोग करता है।
७. यीशु के पुनरुत्थित होने पर उसे किस तरह महिमान्वित किया गया?
७ यीशु के खूँटे पर चढ़ाए जाने के तीन दिन बाद, या इब्रानी तिथिपत्र के निसान १६ के रोज़, उसे मृतावस्था से जिलाया गया। चालीस दिन बाद वह स्वर्ग, अपने मौलिक निवास में लौट गया, केवल अब एक ज़्यादा उन्नत अवस्था में। (प्रेरितों के काम ५:३०, ३१; फिलिप्पियों २:९) उसे अब अमरता दी गयी, एक ऐसी विशेषता जो अपने स्वर्ग के पिता की भी थी। उस इतवार, निसान १६ के रोज़, यीशु का मृतावस्था से पुनरुत्थित होने के समय तक, सिर्फ़ यहोवा परमेश्वर ही अमरता के स्वामी रह चुके थे।—रोमियों ६:९; १ तीमुथियुस ६:१५, १६.
छुड़ाई मार्ग खोलता है
८. पृथ्वी के संबंध में यहोवा का मूल उद्देश्य क्या था, और किस बात से स्पष्ट होता है कि वह उस उद्देश्य पर डटा रहता है?
८ ये सब सारी पृथ्वी को परादीसीय सुन्दरता से ढकने के लिए परमेश्वर के उद्देश्य में क़दम थे, हाँ, ताकि यह एक सार्वभौमिक परादीस बन जाए। (उत्पत्ति १:२८; यशायाह ५५:१०, ११) १ कुरिन्थियों १५:४५ में, प्रेरित पौलुस यीशु का ज़िक्र “अन्तिम आदम” के तौर से करता है। इस से यह सूचित होता है कि परमेश्वर पृथ्वी के संबंध में अपने मूल उद्देश्य पर डटा है, और कि कोई व्यक्ति उस उद्देश्य को पूरा करेगा जो पहले आदम पूरा करने से रह गया था।
९. वापस परादीस की ओर का मार्ग खोलने के लिए यीशु ने क्या दिया?
९ पौलुस के अनुसार, यीशु ने एक “अनुरूप छुटकारा” दिया। (१ तीमुथियुस २:६, न्यू.व.) यीशु मसीह ने स्वयं कहा था: “जैसे मनुष्य का पुत्र, वह इसलिए नहीं आया कि उस की सेवा टहल की जाए, परन्तु इसलिए आया कि आप सेवा टहल करे: और बहुतों की छुड़ौती के लिए अपने प्राण दे।” इस से यीशु मसीह पर विश्वास रखनेवालों को अनन्त जीवन प्राप्त करना संभव हुआ।—मत्ती २०:२८; यूहन्ना ३:१६.
१०. (अ) कृपापात्र मनुष्यों की एक सीमित संख्या के संबंध में परमेश्वर ने क्या निर्धारित किया? (ब) “छोटे झुंड” का चुनाव कब, और किस से शुरु हुआ?
१० मृतावस्था से अपने पुनरुत्थान के बाद जब यीशु ने स्वर्गारोहण किया, वह मानवी परिवार की तरफ़ से परमेश्वर को अपने छुडौती बलिदान का मूल्य पेश कर सका। परन्तु, यह उसके स्वर्ग के पिता, यहोवा परमेश्वर, का उद्देश्य था कि वह पृथ्वी की सब जातियों में से “अपने नाम के लिए एक लोग बना ले।” (प्रेरितों के काम १५:१४) प्रकाशितवाक्य ७:४ और १४:१-४ के अनुसार, इनकी संख्या केवल १,४४,००० होनी है, वह “छोटा झुंड,” जो परमेश्वर के स्वर्गीय राज्य में बुलाया गया है। (लूका १२:३२) यहोवा परमेश्वर के इन खास तौर से कृपापात्र व्यक्तियों का चुनाव यीशु मसीह के १२ प्रेरितों से शुरू हुआ। (मत्ती १०:२-४; प्रेरितों के काम १:२३-२६) यीशु ने अपनी कलीसिया के बुनियादी सदस्यों से कहा: “तुम ने मुझे नहीं चुना परन्तु मैं ने तुम्हें चुना है।” (यूहन्ना १५:१६) ये लोग राज्य शासन के अधीन आनेवाले सार्वभौमिक परादीस की घोषणा करने के कार्य में नेतृत्व करते।
राज्य की अपेक्षितता
११. मसीही राज्य का स्थापित होना कब अपेक्षित था?
११ प्रभु यीशु मसीह के नाम से, आज हम उसका राज्य आने के लिए यहोवा से प्रार्थना करते रहते हैं। (मत्ती ६:९, १०; यूहन्ना १४:१३, १४) मसीही राज्य “अन्य जातियों के समय” की समाप्ति पर स्थापित होने को नियत था। (लूका २१:२४) वे अन्यजातीय समय सन् १९१४ तक पूरे हुए।a
१२. यीशु की अदृश्य उपस्थिति का संकेत देनेवाली विशिष्ट बातों की भविष्यद्वाणी के अनुसार, १९१४ में क्या घटित हुआ?
१२ वह साल मानव इतिहास के पहले विश्व युद्ध से चिह्नित था। यह यीशु की भविष्यद्वाणी के अनुरूप था, उन विशिष्ट बातों के बारे में, जो पृथ्वी पर राज्य सत्ता में उसकी अदृश्य उपस्थिति की ओर ध्यान आकर्षित करते। उसके शिष्यों ने उस से यह सवाल किया था: “हम से कह कि ये बातें कब होंगी? और तेरी उपस्थिति का, और जगत के अन्त का क्या चिह्न होगा?” जवाब में यीशु ने कहा: “क्योंकि जाति पर जाति, और राज्य पर राज्य चढ़ाई करेगा, और जगह जगह अकाल पड़ेंगे, और भुईंडोल होंगे। ये सब बातें पीड़ाओं का आरंभ होंगी। और राज्य का यह सुसमाचार सारे जगत में प्रचार किया जाएगा, कि सब जातियों पर गवाही हो, तब अन्त आ जाएगा।”—मत्ती २४:३, ७, ८, १४, न्यू.व.; मरकुस १३:१०.
१३. (अ) परमेश्वर के राज्य का प्रचार किस संबंध में सुसमाचार है? (ब) परमेश्वर के राज्य के लिए प्रार्थनाएँ कितनी देर तक की जा रही हैं, और क्या पृथ्वी पर उसके गवाह कभी ये प्रार्थनाएँ करके थक न गए?
१३ यहोवा के राज्य का यह सुसमाचार अब २०० से अधिक देशों में प्रचार हो रहा है और इसे अतिरिक्त क्षेत्रों में बढ़ाने की कोशिशें की जा रही हैं। यह ख़बर, अभी आनेवाले विश्व सरकार के विषय नहीं, बल्कि एक ऐसे राज्य के विषय है, जो अब सत्ता में है, ऐसा राज्य जो अभी शासन कर रहा है। वह राज्य १९१४ में स्थापित हुआ। १,९०० से ज़्यादा साल पहले, यीशु ने जिस प्रार्थना की रूपरेखा दी थी, उसके जवाब के लिए इसने अवस्थान तैयार किया। उस राज्य के संस्थापक से वह प्रार्थना तब से की जा रही है, जब से उस सरकार के होनेवाले राजा ने अपने शिष्यों को उसके लिए प्रार्थना करने को सिखाया। तो उस राज्य का रचयिता उसके लिए किया गया निवेदन बहुत देर तक सुनता आया है। वह उस सारे समय में पृथ्वी पर अपने गवाहों द्वारा उससे की गयी प्रार्थना सुनकर प्रसन्न हुआ है, इसलिए कि इस से प्रदर्शित हुआ कि वे उस राज्य के आगमन में अपने विश्वास पर दृढ़ थे। वे “पिता, जो स्वर्ग में है,” से वह प्रार्थना करके थक नहीं गए, मानो वह उनके लिए घिसा-पिटा हुआ हो।—मत्ती ६:९, १०.
१४. यहोवा के गवाह परमेश्वर के राज्य का सुसमाचार प्रचार करने में क्यों डटे रहते हैं?
१४ हालाँकि यहोवा के गवाह मानते हैं और घोषित करते हैं कि १९१४ में राज्य स्वर्ग में स्थापित हुआ, वे राज्य का यह सुसमाचार प्राचार करने में डटे रहते हैं। वे ऐसा इसलिए करते हैं कि उस स्थापित राज्य ने पृथ्वी का अनन्य नियंत्रण अभी अधिकार में नहीं लिया, बल्कि इस दुनिया के राज्यों को मनुष्यजाति की सारी जनजातियों और प्रजातियों पर अपनी सत्ता और अधिकार का प्रयोग करते रहने दिया है। (रोमियों १३:१) इसलिए इसे एक पूर्ण रीति से आना है, यानी, इस हद तक कि यह पूरी पृथ्वी पर सत्ता करनेवाली एकमात्र सरकार हो।—दानिय्येल २:४४.
१५. सा.यु. ३३ के पिन्तेकुस्त के दिन से क्या होता रहा है, जो कि इस्राएल के राजाओं का अभिषेक होने से एक ज़्यादा शानदार पैमाने पर है?
१५ हालाँकि यीशु को उस राज्य के राजा के तौर से नामित किया गया है, वह अकेले राज्य नहीं करता। यहोवा परमेश्वर ने अपने शाही बेटे के १,४४,००० शिष्यों को परमेश्वर के मसीही राज्य में सह-वारिस बनने के लिए नियुक्त किया है। (दानिय्येल ७:२७) जिस तरह महायाजक प्राचीन इस्राएल के राजाओं को पवित्र अभिषेक के तेल से अभिषिक्त करते थे, उसी तरह सामान्य युग ३३ के पिन्तेकुस्त के दिन से, यहोवा ने यीशु मसीह के १,४४,००० सह-वारिसों को अपने पवित्र आत्मा से अभिषिक्त करवाया है, और इस तरह उन्हें स्वर्ग में “राजाओं का राजा और प्रभुओं का प्रभु” के साथ आत्मिक जीवन के लिए उत्पन्न किया है।—प्रकाशितवाक्य १९:१६; १ राजा १:३९ से तुलना करें।
परादीस “अन्तिम आदम” द्वारा पुनःस्थापित किया जाएगा
१६. यीशु के खूँटे पर चढ़ाए जाने पर राज्य के लिए संभावना कैसी थी, लेकिन वह एक ग़लत सुसमाचार का प्रचारक क्यों न रह चुका था?
१६ सा.यु. ३३ में यीशु के खूँटे पर की मृत्यु के समय, यह बिल्कुल ही संभव नहीं लगा कि उसका कोई राज्य भी हो सकता था। लेकिन उसके परमेश्वर के राज्य के प्रचार करने में, वह कोई ग़लत सुसमाचार का प्रचारक न रह चुका था। उसके खूँटे पर की मृत्यु के पश्चात् तीसरे दिन पर, राज्य के संस्थापक ने यह निश्चित किया कि यीशु के शिष्य एक ऐसे राज्य के लिए प्रार्थना नहीं कर रहे थे जो नामुमकिन हो। यहोवा ने उस व्यक्ति का पुनरुत्थान किया जो उस प्रार्थित राज्य में उसका प्रतिनिधित्व करता, और उसने उसे अमरता दे दी।
१७, १८. (अ) यीशु का “अन्तिम आदम” कहलाने का अर्थ क्या है? (ब) १९१४ से हो रहीं विश्व घटनाओं से क्या सूचित होता है?
१७ यीशु जानता था कि पृथ्वी पर पहले परादीस का सृजनहार उस पर परादीस दोबारा स्थापित करने और सार्वभौमिक बग़ीचे को आबाद करवाने के प्रबंध का उत्तरदायित्व डालता। १ कुरिन्थियों १५:४५, ४७ में हम पढ़ते हैं: “ऐसा ही लिखा भी है, कि ‘प्रथम मनुष्य, अर्थात् आदम, जीवित प्राणी बना’ और अन्तिम आदम, जीवनदायक आत्मा बना। प्रथम मनुष्य धरती से, अर्थात् मिट्टी का था; दूसरा मनुष्य स्वर्गीय है।” दूसरा आदम स्वर्ग से उतर आया और यह वही है जिसे यहोवा यहाँ पृथ्वी पर परादीस पुनःस्थापित करने के लिए काम में लाता है। इसी आधार पर प्रभु यीशु ने सहानुभूतिशील कुकर्मी से कहा: “तू मेरे साथ परादीस में होगा।” (लूका २३:४३, न्यू.व.) इस बातचीत से यह एक बार फिर प्रकट है कि परादीस “अन्तिम आदम,” महिमान्वित यीशु मसीह, के नियंत्रण में स्वर्ग के राज्य के अधीन, पृथ्वी पर स्थापित किया जाएगा।
१८ १९१४ से विश्व घटनाएँ यीशु मसीह द्वारा बतायी भविष्यद्वाणियों से मेल खाती हैं और इस प्रकार साबित करती हैं कि यीशु तब से सत्तारूढ़ रहा है। अब सात दशकों से अधिक समय से, इस २०वीं सदी की पीढ़ी के लोगों ने, जो १९१४ से जीवित हैं, मत्ती अध्याय २४ में पायी यीशु की भविष्यद्वाणी में सूचीबद्ध घटनाओं की पूर्ति अनुभव की है। इसलिए यह कालावधि अपनी समाप्ति के नज़दीक है, और साथ साथ पृथ्वी परादीस का पुनःस्थापन भी निकट है।—मत्ती २४:३२-३५; भजन ९०:१० से तुलना करें।
एक उत्तेजक नयी-दुनिया का युग बिल्कुल आगे है
१९, २०. (अ) आरमागेडोन के बाद, यहोवा अपने प्रमियों को किस में लाएगा? (ब) आरमागेडोन के थोड़ी देर बाद क्या करना आवश्यक होगा?
१९ आरमागेडोन के रणक्षेत्र में अपनी विश्व प्रभुसत्ता को बिना कोई संदेह के सत्य सिद्ध करने के बाद, यहोवा अपने प्रेमियों को कोई ऊबा देनेवाली, नीरस रीति-व्यवस्था में नहीं लाएगा। मसीही राजा, परमेश्वर का पुत्र, यीशु, के हितकर शासन के अधीन मानवी परिवार के लिए आनेवाला युग सचमुच ही सबसे उत्तेजक होगा। ओह, कितनी सारी हितकर किस्म की बातें पूरा करनी आवश्यक होंगी! यहोवा के स्वर्गीय सेनाओं और बुराई की व्यवस्थित शक्तियों के बीच सार्वभौमिक संघर्ष की वजह से पृथ्वी की फलक पर छोड़े गए सभी धब्बे दूर किए जाएँगे। कोई नाम निशान न बचेगा।
२० लेकिन उस सारी युद्ध सामग्री का क्या, जो जातियाँ पीछे छोड़ जाएँगी? उसके ज्वलनशील अंगों को ख़त्म करने के लिए जो समय लगेगा, उसके प्रतीकात्मक संकेत का विचार करते हुए, इनकी मात्रा बहुत ज़्यादा होगी। (यहेजकेल ३९:८-१०) आरमागेडोन उत्तरजीवी जातियों की कोई बची युद्ध अवशेषों की सामग्री उपयोगी प्रयोजनों के लिए शायद रूपान्तरित कर सकेंगे।—यशायाह २:२-४.
२१. जलप्रलय के उत्तरजीवियों के अनुभव के समान, आरमागेडोन के उत्तरजीवियों के सम्मुख कैसी स्थिति होगी, लेकिन इस में कौनसा मुख्य फ़रक होगा?
२१ सार्वभौमिक जलप्रलय के उत्तरजीवी के रूप में नूह और उसके परिवार के धन्य आधुनिक प्रतिरूप एक ऐसी पार्थीव स्थिति का सामना करेंगे जो नूह और उसके परिवार द्वारा पायी स्थिति के समान होगी। परन्तु, शैतान इब्लीस और उसकी दुष्टात्मा सेनाएँ अब और पृथ्वी के इर्द-गिर्द अदृश्य आसमानों में परेशान नहीं करेंगे बल्कि वे दस शतकों के लिए पूर्ण रूप से निष्क्रिय किए जा चुके होंगे। (प्रकाशितवाक्य २०:१-३) आरमागेडोन के उत्तरजीवियों को “सर्वशक्तिमान परमेश्वर के उस बड़े दिन” से गुज़रनेवाली पृथ्वी को वश में करने का चुनौती-भरा कार्य होगा, जिस में उन्हें इस ग्रह पर इस से हुए परिणामों का सामना करना पड़ेगा।—प्रकाशितवाक्य १६:१४.
२२. आरमागेडोन के उत्तरजीवी परादीस को विश्व भर फैलाने की चुनौती की ओर कैसी प्रतिक्रिया दिखाएँगे?
२२ अपेक्षाकृत कम संख्या के होने की वजह से, आरमागेडोन युद्ध के इन उत्तरजीवियों से साधारणतया यों अपेक्षा की जा सकती है कि वे परादीस को विश्व भर फैलाने का बड़ा काम सौंपे जाने पर बहुत ही भयभीत होंगे। लेकिन उलटा, आत्यंतिक रूप से हर्षित होकर, वे उसे पूरा करने की एक साहसी और आज्ञाकारी शुरुआत करेंगे। वे पूर्ण रूप से समझते हैं कि यह पृथ्वी परमेश्वर की प्रतीकात्मक चरणों की चौकी है, और वे सच्चे दिल से चाहते हैं कि इस नीरस गोले को मनोहरता और सुन्दरता की उस अवस्था तक लाया जाए, जिस से यह उसके पैरों को यहाँ टिकाने के लायक हो।
२३. आरमागेडोन के उत्तरजीवियों को एक आश्वासन के रूप में कैसा समर्थन मिलेगा, कि परादीस पुनःस्थापित करने का उनका कार्य सफल होगा?
२३ यह जानना आनन्दप्रद और प्रोत्साहक है कि पृथ्वी से संबंधित ईश्वरीय उत्तरदायित्व की पूर्ति में इस हर्षित सेवा का भार उठाने के बाद, उन्हें अकेला और बे-मदद नहीं छोड़ा जाएगा। (यशायाह ६५:१७, २१-२४ से तुलना करें।) उनके पास पुनःस्थापित परादीस का वादा करनेवाले व्यक्ति का पूरा, असीमित समर्थन होगा, जिसने अपने स्वर्गारोहण के दिन कहा: “स्वर्ग और पृथ्वी का सारा अधिकार मुझे दिया गया है।” (मत्ती २८:१८) वह उस अधिकार का स्वामी अब भी है, और, जैसे कि हम अगले लेख से देखेंगे, वह सहानुभूतिशील कुकर्मी को दिया अपना उत्कृष्ट वादा पूरा कर सकता है।
[फुटनोट]
a तफ़सील के लिए, वॉच टावर बाइबल ॲन्ड ट्रॅक्ट सोसाइटी द्वारा प्रकाशित “तेरा राज्य आए” नामक पुस्तक, पृष्ठ १३६-४० देखें। यहेजकेल २१:२७ भी देखें।
पुनर्विचार के प्रश्न
◻ कल्वरी पर दिया यीशु का वादा मनुष्यजाति और एक अपराधी के लिए क्या आश्वस्त करता है?
◻ वापस परादीस की ओर का मार्ग खोलने के लिए कौनसी बात मूलभूत है?
◻ पहले आदम क्या करने से रह गया, लेकिन “अन्तिम आदम” क्या पूरा करेगा?
◻ आरमागेडोन के बाद, यहोवा अपने प्रेमियों को किस तरह की रीति-व्यवस्था में लाएगा?
[पेज 13 पर तसवीरें]
“१९१४ में सभी राज्यों का अन्त,” यह लेख, अगस्त ३०, १९१४ के “द वर्ल्ड मॅगाज़ीन” में प्रकाशित हुआ