राज्य उद्घोषक रिपोर्ट करते हैं
उसे एक “बहुमूल्य मोती” मिला
“स्वर्ग का राज्य एक ब्योपारी के समान है जो अच्छे मोतियों की खोज में था। जब उसे एक बहुमूल्य मोती मिला तो उस ने जाकर अपना सब कुछ बेच डाला और उसे मोल ले लिया।” इन शब्दों से, यीशु ने परमेश्वर के राज्य के अत्यधिक मूल्य को उदाहरण देकर समझाया। (मत्ती १३:४५, ४६) जो राज्य के मूल्य को समझते हैं वे अकसर उसे पाने के लिए बड़े-बड़े निजी त्याग करते हैं। यह बात पिंगडोंग काउंटी, ताइवान के इस अनुभव से सचित्रित होती है।
सन् १९९१ में, श्री. और श्रीमती लिन ने यहोवा के साक्षियों के साथ बाइबल का अध्ययन करना शुरू किया। जब एक स्थानीय पादरी को पता चला, तो उसने कोशिश की कि उन्हें अपने चर्च के सदस्य बनने के लिए प्रेरित करे। लिन परिवार का, स्थानीय बाज़ार में सूअरों और बत्तखों का लहू बेचने का व्यापार था, इसलिए उन्होंने इस मामले पर उस पादरी का दृष्टिकोण पूछने का निर्णय किया। “परमेश्वर ने जो कुछ बनाया है वह मनुष्य के खाने में काम आ सकता है,” उसने जवाब दिया। दूसरी ओर, साक्षियों ने उन्हें परमेश्वर का वचन क्या कहता है इस पर विचार करने का प्रोत्साहन दिया। उन्हें पता चला कि यहोवा परमेश्वर लहू को पवित्र समझता है, क्योंकि “एक प्राणी का जीवन लहू होता है।” (लैव्यव्यवस्था १७:१०, ११, द न्यू इंग्लिश बाइबल) सच्चे मसीहियों को इसलिए “लोहू से परे” रहना है। (प्रेरितों १५:२०) इस विषय पर शास्त्र की जाँच करने के परिणामस्वरूप, लिन परिवार ने लहू का व्यापार छोड़ देने का फ़ैसला किया, हालाँकि यह उनकी आमदनी का मुख्य ज़रिया था। लेकिन, कुछ ही समय में उन्होंने और भी बड़ी एक परीक्षा का सामना किया।
सच्चाई सीखने से पहले, लिन परिवार ने अपनी ज़मीन पर १,३०० सुपारी के पेड़ लगाए थे। हालाँकि इन पेड़ों से लाभ मिलने के लिए पाँच साल लगते हैं, एक बार जब ये भरपूर फल देने लगते, तो लिन परिवार हर साल $७७,००० कमाने की आशा कर सकता था। जब पहली कटनी का समय पास आया, तो लिन परिवार को एक महत्त्वपूर्ण निर्णय करना था। बाइबल के अपने अध्ययन से उन्होंने सीखा था कि मसीहियों को गंदी आदतें रखने, या उन्हें बढ़ावा देने से परे रहने के द्वारा “शरीर और आत्मा की सब मलिनता” से ख़ुद को शुद्ध रखना था। इन गंदी आदतों में तंबाकू पीना, नशीली दवाएँ लेना, और सुपारी चबाना शामिल है। (२ कुरिन्थियों ७:१) वे क्या करते?
परेशान करनेवाले अंतःकरण के दबाव में, श्री. लिन ने अपना अध्ययन छोड़ने का निर्णय लिया। इस दौरान, श्रीमती लिन ने उनके कुछ पुराने पेड़ों में से सुपारियाँ बेचीं और उससे $३,००० से ज़्यादा का लाभ हुआ। अगर वे अपने पेड़ों को सलामत रखते हैं तो उसका जो परिणाम होगा, यह उसका पहला स्वाद था। लेकिन, श्री. लिन का अंतःकरण उन्हें धिक्कारता रहा।
वे इस समस्या से जूझते रहे जब एक दिन उन्होंने स्थानीय साक्षियों से कहा कि वे उनके सुपारी के पेड़ों को काट डालें। साक्षियों ने समझाया कि यह निर्णय उन्हें करना है; इसलिए, उन्हें ‘अपना बोझ ख़ुद ही उठाना’ होगा और ख़ुद पेड़ों को काटना होगा। (गलतियों ६:४, ५) साक्षियों ने उन्हें १ कुरिन्थियों १०:१३ की प्रतिज्ञा याद रखने के लिए प्रोत्साहित किया, जो कहता है: “तुम किसी ऐसी परीक्षा में नहीं पड़े, जो मनुष्य के सहने से बाहर है: और परमेश्वर सच्चा है: वह तुम्हें सामर्थ से बाहर परीक्षा में न पड़ने देगा, बरन परीक्षा के साथ निकास भी करेगा; कि तुम सह सको।” साक्षियों ने उनसे यह कहते हुए भी तर्क किया: “अगर हम आपके पेड़ काट देते हैं, तो आपको शायद पछतावा हो और इस नुक़सान के लिए हमें दोष दें।” कुछ समय बाद, श्रीमती लिन आरा मशीन की आवाज़ सुन जागीं। उनके पति और बच्चे सुपारी के पेड़ काट रहे थे!
श्री. लिन ने पाया कि यहोवा अपनी प्रतिज्ञा में सच्चा है। उन्होंने ऐसा काम हासिल किया जिससे उनका अंतःकरण साफ़ रहा, और इससे वो यहोवा के उपासक बनने में समर्थ हुए। उन्होंने अप्रैल १९९६ में यहोवा के साक्षियों के एक सर्किट सम्मेलन में बपतिस्मा लिया।
जी हाँ, श्री. लिन ने वास्तव में “अपना सब कुछ बेच डाला” और एक “बहुमूल्य मोती” मोल लिया। अब उनके पास यहोवा परमेश्वर के साथ एक निजी संबंध होने का और उसके राज्य हितों के लिए काम करने का अनमोल विशेषाधिकार है।