शैतान की साज़िशों के विरुद्ध दृढ़ खड़ा रहो
“परमेश्वर के सारे हथियार बान्ध लो; कि तुम शैतान की युक्तियों [युनानी, “चालाक कार्यों”] के साम्हने खड़े रह सको।”—इफिसियों ६:११.
१. शैतान के अस्तित्व को स्थापित करने के लिए यीशु के प्रलोभनों द्वारा कौन-सा प्रमाण दिया गया है?
क्या सचमुच शैतान है? कुछ लोग दावा करते हैं कि बाइबल में “शैतान” केवल मनुष्य के भीतर की दुष्टता की ओर संकेत करता है। एक सृष्टि के रूप में वे उसके अस्तित्व को मानते नहीं। लेकिन शास्त्र हम से क्या कहते हैं? मत्ती और लूका के सुसमाचार वृत्तान्त दिखाते हैं कि शैतान ने प्रत्यक्ष रीति से तीन बार मसीह यीशु को प्रलोभन दिया ,और हर बार यीशु ने शास्त्र का उपयोग करके उसे अस्वीकार किया। यीशु ने उसे इब्रानी शास्त्रों से उत्तर क्यों दिया? क्योंकि शैतान उसके पास ठीक उन्हीं शास्त्रपदों का दुष्प्रयोग करते आया था ताकि वह पाप करे और परमेश्वर के पुत्र, प्रतिज्ञात बीज के रूप में असफल हो जाए।—मत्ती ४:१-११; लूका ४:१-१३.
२. हम यह कैसे जान सकते हैं कि यीशु ने शैतान के साथ की भेंटों की कल्पना नहीं की?
२ प्रत्यक्षतः, यीशु ने, जो एक सम्पूर्ण मानव था, इन भेंटो की कल्पना नहीं की। (इब्रानियों ४:१५; ७:२६) उसके सामने वही व्यक्ति था जो अदन के सर्प के पीछे की शक्ति थी, उसका अपना पहले का दिव्य भाई जिसने युगों पहले विद्रोह किया था और अब उत्पत्ति ३:१५ की पूर्ति को निष्फल करने पर तुला हुआ था। शैतान उस प्रतिज्ञात बीज की खराई को तोड़ना चाहता था। उसके चालाक कार्यों से अवगत होने के कारण, यीशु ने उस प्रलोभक का दृढ़ रीति से विरोध किया। शैतान की प्रतिक्रिया क्या थी? “जब शैतान सब परीक्षा कर चुका, तब कुछ समय के लिए उसके पास से चला गया।” स्पष्टतः, यीशु अपने आप ही से तो नहीं चला गया! शैतान हतोत्साहित होकर उसे छोड़ दिया, “और देखो, स्वर्गदूत आकर [यीशु की] सेवा करने लगे।”—लूका ४:१३; मत्ती ४:११.
३. ईसाइयत के लिए इब्लीस के अस्तित्व के महत्त्व के बारे में एक इतिहासकार क्या कहता है?
३ एक इतिहासकार सयुक्तिक रीति से कहता है: “ईसाइयत में शैतान का अस्तित्व और केंद्रिय महत्त्व को नहीं मानने का अर्थ प्रेरितिक शिक्षा और मसीही सिद्धान्त के ऐतिहासिक विकास के विरुद्ध जाना है। इसलिए कि ईसाइयत की परिभाषा इन पदों के अतिरिक्त में करना अक्षरशः निरर्थक है, ऐसी एक ईसाइयत के पक्ष में कहना जो शैतान को निकाल देता है, बौद्धिक रीति से असंगत है। अगर शैतान नहीं है, तो फिर ईसाइयत शुरुआत ही से एक प्रमुख बात पर पूर्ण रूप से गलत होती आयी है।”a वह निष्कर्ष आज इस पृथ्वी पर के हर व्यक्ति के सामने एक चुनौती प्रस्तुत करता है। क्या आप एक ऐसे अदृश्य शत्रु के अस्तित्व को मानते हैं जो परमेश्वर की सर्वसत्ता और मनुष्य की निष्ठा समाप्त करने पर तुला हुआ है?
शैतान का सच्चा परिचय
४. एक सम्पुर्ण आत्मिक सृष्टि कैसे शैतान बन गया?
४ शैतान एक शक्तिशाली आत्मिक सृष्टि है, जिसे आदि में परमेश्वर ने एक स्वर्गदूत के रूप में सृष्टि की थी, एक आत्मिक पुत्र जिसे यहोवा के स्वर्गीय राजदरबार में प्रवेश था। (अय्यूब १:६) किन्तु, शैतान ने उसकी स्वेच्छा को परमेश्वर के विराध में उपयोग किया; चालाकी से उस ने हव्वा को और, उसके द्वारा अदम को आज्ञोल्लंघन और मृत्यु की ओर ले गया। (२ कुरिन्थियों ११:३) इस तरह, वह शैतान बन गया, जिसका अर्थ है “विरोधी”—एक बाग़ी, एक अपदूत, एक खूनी और एक झूठ बोलनेवाला। (यूहन्ना ८:४४) पौलुस की यह अभिव्यक्ति कि “शैतान आप भी ज्योतिर्मय स्वर्गदूत का रूप धारण करता है” कितना उचित है, जब कि वह वास्तव में ‘इस संसार के अंधकार का शासक है’! (२ कुरिन्थियों ६:१४; ११:१४; इफिसियों ६:१२) अन्य स्वर्गदूतों को विरोध करने के लिए फुसलाने के द्वारा, उस ने उन्हें परमेंश्वर के प्रकाश से उसके अपने अँधकार में ले गया। वह “दुष्ट आत्माओं का सरदार” बन गया। यीशु ने उसका परिचय इस “संसार का सरदार” के रूप करता है। स्पष्टतः एक सरदार होने के लिए, उसे एक सृष्टि किया गया आत्मिक व्यक्ति के रूप में अस्तित्व रखना चाहिए।—मत्ती ९:३४; १२:२४-२८; यूहन्ना १६:११.
५. मसीही युनानी शास्त्रों में शैतान का परिचय कितनी स्पष्टता से की गयी है?
५ जब कि शैतान का उल्लेख इब्रानी शास्त्रों में बिरले ही किया गया है, मसीही यूनानी शास्त्रों में पूर्ण रूप से उसका भण्डाफोड़ किया गया है—इतना तक कि वहाँ हमारी भेंट शैतान नाम से ३६ बार और इब्लीस शब्द से ३३ बार होती है। (कॉम्प्रिहेन्सिव कनकॉड़ेन्स ऑफ द न्यू वल्ड ट्रान्स्लेशन ऑफ द होली स्कृपचर्स देखें।) वह अन्य नामें और उपाधियों में भी परिचित है। इन में से दो युहन्ना द्वारा प्रकाशितवाक्य १२:९ में उपयोग किया गया: “और बड़ा अजगर अर्थात् वही पुराना सांप, जो इब्लीस और शैतान कहलाता है, और सारे संसार का भरमानेवाला है, पृथ्वी पर गिरा दिया गया।”—मत्ती १२:२४-२७ और २ कुरिन्थियों ६:१४,१५ भी देखें।
६. “इब्लीस” शब्द का अर्थ क्या है?
६ यहाँ प्रकाशितवाक्य में युनानी शब्द ‘डायबोलोस’ दिखाई देता है, जिसका अनुवाद “इब्लीस” किया गया है। युनानी विद्वान जे. एच. थेयर के अनुसार, वास्तव में उसका अर्थ “एक निन्दक, झूठा अभियोक्ता, मिथ्यवादी” है। (१ तीमुथियुस ३:११ और २ तीमुथियुस ३:३ से तुलना करें, किंगडम इन्टरलीनियर।) डब्ल्यू. ई. वाईन इब्लीस का वर्णन “परमेश्वर और मनुष्य का प्रद्वेषी शत्रु” के रूप में करता है।b
७. शैतान क्यों यहोवा के लोगों पर अपना ध्यान केंद्रित कर सकता है?
७ वह महान विरोधी कार्यहीन नहीं बैठा है। (१ पतरस ५:८) शायद इसलिए ऐसी एक कहावत है कि, “शैतान आलसी हाथों को व्यस्त रखता है”। वह सभी सच्चे मसीहियों का विश्वास समाप्त करने पर तुला हुआ है। (२ तीमुथियुस ३:१२) यहोवा के लोगों पर वह अपना ध्यान यह एक सरल कारण के आधार पर केंद्रित कर सकता है कि—बाकी सारा संसार तो उसके आधीन में है ही! (१ यूहन्ना ५:१९) आज का संसार शैतान का संसार है। वही उसका शासक और ईश्वर है, चाहे लोग उसे माने या ना माने। (यूहन्ना १२:३१; २ कुरिन्थियों ४:४) परिणामस्वरूप, वह यहोवा के लोगों को वैयक्तिक या सामूहिक रूप से निष्ठाहीन बनाने के लिए हर चालाक या धूर्त क्रिया या सुझाव का प्रयोग करेगा। चलो हम उन कुछ मार्गों की जाँच करते हैं जिससे वह काम करता है।—मरकुस ४:१४,१५; लूका ८:१२.
शैतान के धूर्त और चालाक कार्य
८. हमारे विरुद्ध शैतान किस सुविधा के साथ कार्य कर सकता है?
८ शैतान ने मानवीय मनोविज्ञान को सीखने, उसके सभी जन्मसिद्ध और उपर्जित कमियों का मानवीय स्वभाव का विश्लेषण करने के लिए काफी समय पाया है। वह जानता है कि कैसे हमारी कमजोरियाँ और हमारे खोकलेपन से लाभ पाया जा सकता था। अब सोचो, आपका शत्रु आपकी निर्बलताएँ जानता है और आप स्वयं उन्हें पहचानने में असफल होते तब स्थिति क्या होगी? तो फिर आप अपने आप को बचाने में असमर्थ होंगे क्योंकि आप आपके आध्यात्मिक कवच की दरारों से अवगत नहीं हैं। (१ कुरिन्थियों १०:१२; इब्रानियों १२:१२, १३) स्कॉटलैन्ड के कवि के ये शब्द कितने उचित हैं: ‘कितना अच्छा होता अगर कोई शक्ति हमें वह योग्यता देती ताकि हम अपने आप को, जैसे दूसरे हमें देखते हैं, देख सकें! वह हमें हमारी कई गलतियों से मुक्त कर देती।’
९. अगर हम अपने आप का विश्लेषण करने और बदलने में असमर्थ होंगे तब कौन-सा दुखःद परिणाम हो सकता है?
९ क्या हम अपने आप को वैसे देखना चाहते हैं जैसे दूसरे हमें देखते हैं—विशेष रूप से जैसे परमेश्वर या शैतान हमें देखते हैं? उसके लिए सच्चा आत्मा-विश्लेषण और निर्धारण और एक परिवर्तन करने की इच्छा आवश्यक है। आत्मप्रवंचना कितना आसान है। (याकूब १:२३,२४) कभी-कभी हमारे कार्यों को उचित सिद्ध करने के लिए हम कैसी बुद्धिसंगत व्याख्या प्रस्तुत करते हैं! (१ शमूएल १५:१३-१५, २०, २१, २४ से तुलना करें।) और ऐसा कहना कितना आसान है कि, “खैर कोई भी तो सम्पूर्ण नहीं!” ठीक यही बात शैतान जानता है और वह हमारी असम्पूर्णता का फायदा उठाता है। (२ शमूएल ११:२-२७) कितनी दुःख की बात होगी अगर कोई मध्यवय पहुँचता है और यह जान लेता है कि बीते वर्षों में दूसरों के साथ निरंकुश, अवयक्तिक, या निर्दय रीति से व्यवहार करने के कारण वह मित्रहीन बन गया है; या यह जानना कि हम ने दूसरे लोगों को खुश करने के लिए बहुत कम या प्रायः कुछ भी नहीं किया है। चालाकी से शैतान ने शायद, हमारे जन्मसिद्ध स्वार्थ को हमें अन्धा बना देते हुए ले चला होगा। हम मसीह के सच्चे मन का सार लेने में असमर्थ हुए हैं अर्थात्—प्रेम, सहानुभूति, और दया।—१ यूहन्ना ४:८,११,२०.
१०. हम अपने आप से कौन-से प्रश्न पूछ सकते हैं और क्यों?
१० इसलिए, शैतान का सामना करने के लिए, हमें अपने आप की जाँच करना आवश्यक है। क्या आप में कोई कमी है जिसका लाभ शैतान उठा सकता है या ठीक अभी उठा रहा है? क्या आपको एक अहंमन्यता की समस्या है? क्या आप हमेशा प्रथम रहना चाहते हैं? क्या गर्व आपकी गुप्त प्रेरक शक्ति है? क्या ईर्ष्या, जलन, या पैसों का प्रेम आपके व्यक्तित्व को विकृत कर रहे हैं? क्या आप में एक लड़ाकु मनोवृत्ति है? क्या आप भावशून्य और दोषदर्शी है? सुझाव या आलोचना दिए जाने पर क्या आप अतिसंवेदनशील हैं? क्या आप सलाह से अप्रसन्न होते हैं या उसे अस्वीकृत करते हैं? अगर हम अपने आप को जानते हैं, हम ऐसी समस्याओं को सुधार सकते हैं, बशर्ते हम नम्र हैं। अन्यथा हम अपने आप को शैतान के सामने अरक्षित छोड़ते हैं।—१ तीमुथियुस ३:६, ७; इब्रानियों १२:७, ११; १ पतरस ५:६-८.
११. कौन-से चालाक तरीके से शैतान हमारी आध्यात्मिकता को कमज़ोर करने की कोशिश कर सकता है?
११ शैतान हमारी आध्यत्मिकता को भी एक धूर्त, कपटपूर्ण रीति से दुर्बल बना सकता है। शायद हम मण्डली या संस्था में कार्यों को सम्पादित करने के तरीकों से परेशान हैं। बहुधा हम सत्य नहीं जानते, लेकिन आसानी से निष्कर्ष निकाल लेते हैं। अगर यहोवा के साथ का हमारा सम्बन्घ दुर्बल है, तो फिर नकारात्मक चिन्तन की ओर और सच्चाई पर संदेह आने में बहुत आसान बन जाता है। उन ज़िम्मेदारियों से दूर रहने के लिए जिन्हें सच्चाई आवश्यक समझती हैं, कुछ स्वयं को निर्दोष ठहराने के लिए एक मार्ग की खोज करेंगे। शैतान फिर उनके दिलों में बेवफाई और विश्वासघात डालता है। जल्द ही वे धर्मत्याग के बलि बन जाते हैं और शैतान खुश हो जाता है।—लूका २२:३-६; यूहन्ना १३:२, २७; २ यूहन्ना ९-११.
१२. (अ) शैतान द्वारा कैसे कुछों को प्रोत्साहित किया गया है? (ब) शैतान कैसे बहुतों को अनैतिकता में फँसा देता है?
१२ दूसरे, शैतान के द्वारा न केवल बहिष्कार के योग्य घोर पाप करने के लिए बल्कि मण्डली के प्राचीनों को धोखा देने के लिए झूठ और छल का सहारा लेने के लिए भी प्रोत्साहित किए जाते हैं। हनन्याह और सफीरा के समान वे सोचते हैं कि वे स्वर्गदूतों और परमेश्वर की पवित्र आत्मा को धोखा दे सकते हैं। (प्रेरित ५:१-१०) हाल के वर्षों में कई हज़ारों ने अपने आप को शैतान की अनैतिकता के जाल में फँसा लिए। इब्लीस जानता है कि मानव जाति का लैंगिक आवेग शक्तिशाली है और उसकी सांसारिक व्यवस्था के द्वारा, वह लैंगिकता की भूमिका पर विशेष बल देता है, उसका दुरुपयोग करता है और उसे विकृत करता है। (गिनती २५:१-३) अविवाहित मसीही व्यभिचार या अन्य लैंगिक कुप्रयोगों में भाग लेने के लिए प्रलोभित किए जा सकते हैं। (नीतिवचन ७:६-२३) अगर शादीशुदा मसीही अपने मन और दिलों को भटक जाने देंगे, वे आसानी से विश्वासघाती आचरण में गिर सकते हैं और उसी पत्नी या पति को धाखा देते हैं जिन से उन्होंने वफादारी का व्रत लिया था।—१ कुरिन्थियों ६:१८; ७:१-५; इब्रानियों १३:४.
१३. (अ) दूरदर्शन हमारे चिन्तन पर कैसे प्रभाव ड़ाल सकता है? (ब) हम ऐसे प्रभाव का कैसे विरोध कर सकते हैं?
१३ हम एक ऐसे संसार में जी रहे हैं, जहाँ झूठ, धोखा और हिंसात्मक क्रोध सामान्य बातें हैं। शैतान इस अप्रतिष्ठित मनोवृत्ति को फैलाने के लिए समाचार और चित्रपट माध्यमों का पूरा लाभ उठाता है। दूरदर्शन के धारावाहिक सुन्दर लोगों को एक आपसी छल-कपट के जाल में जीवन बिताते हुए दिखाते हैं। अगर हम उस चिन्तन को हम पर असर करने देंगे, हम जल्द ही “छोटे” पाप करने लगेंगे जो फिर “बड़े” पापों का कारण बनेगा। शैतान के चालाक सुझाव धीरे धीरे हमारे चिन्तन में स्थान बना ले सकते हैं। हम ऐसे प्रभावों का विरोध कैसे करेंगे? पौलुस के सलाह के अनुसार कभी भी “शैतान को अवसर न दो”। इसका अर्थ यह भी है कि हम इस पर ध्यन रखे कि हम किन किन को दूरदर्शन द्वारा घर में आने देते हैं। क्या हमें हिंसात्मक, अनैतिक, गंदी भाषा बोलनेवाले लोगों जो हमारी बैठक में प्रदूषण लाते हैं, उनकी घृणा नहीं करना चाहिए?—इफिसियों ४:२३-३२.
हम कैसे शैतान का विरोध करते हुए परमेश्वर की ओर वफादार रह सकेंगे?
१४. शैतान का विरोध करने के लिए कौन-सा दोतरफा निर्णय की आवश्यकता है और इस के लिए क्या ज़रूरी है?
१४ एक ऐसा शक्तिशाली, अलौकिक शत्रु हम असम्पूर्ण मानव सृष्टि के विरुद्ध उपस्थित रहते हुए, हम अपनी खराई कैसे बनाए रख सकते हैं? इसकी कुंजी याकूब के शब्दों में पायी जाती है: “इसलिए परमेश्वर के आधीन हो जाओ; और शैतान का साम्हना करो, तो वह तुम्हारे पास से भाग निकलेगा।” (यकूब ४:७) ध्यान दें कि याकूब का सलाह दो अर्थों का है। जब हम इब्लीस और उसकी इच्छा का विरोध करते हैं, तब हमें अपने आप को परमेश्वर की इच्छा के आधीन बनाना चाहिए। इस में परमेश्वर की इच्छा से प्रेम करना और शैतान की इच्छा से नफरत करना शामिल है। (रोमियों १२:९) इस तरह याकूब कहता है: “परमेश्वर के निकट आओ, तो वह भी तुम्हारे निकट आएगा: हे पापियों, अपने हाथ शुद्ध करो; और हे दुचित्ते लोगों अपने हृदय को पवित्र करो।” (याकूब ४:८) जी हाँ, शैतान की ओर हमारे विरोध में, बेमन और हिचकिचाहट के लिए जगह नहीं। यह देखने के लिए कि हम दुष्टता की सीमा-रेखा के कितने निकट जा सकते हैं, हम हमारी खराई को दाँव पर नहीं रख सकते। हमें पूरी तरह “बुराई से घृणा” करना है।—भजन ९७:१०.
१५. “परमेश्वर के सारे हथियार” क्यों आवश्यक हैं? उदाहरण दें.
१५ इफीसियों के अध्याय ६ में शैतान का विरोध करने के बारे में उत्कृष्ट सलाह पाया गया है। पौलुस कैसे कहता है कि हम शैतान की “चालाकी”, “षड्यन्त्र” या “युक्ति” का विरोध कर सकते हैं? (इफिसियों ६:११, फिलिप्स, न्यू इन्टरनैशनल वर्शन, द जेरूसलेम बाइबल) वह सलाह देता है कि “परमेश्वर के सारे हथियार बान्ध लो”। यह अभिव्यक्ति “सारे हथियार” ईसाइयत की ओर एक बेढंगा मनोवृत्ति के लिए कोई जगह नहीं रखती, ठीक वैसे जैसे एक रोमी सैनिक युद्ध की तैयारी करते समय बेढंगा नहीं होने दे सकता। वह सैनिक कैसे युद्ध कर सकता है अगर उसने उस सम्पूर्ण हथियार से, सिवाय ढाल और टोप के, अपने आप को तैयार कर लिया है? वह सोच सकता है, ‘वह तो सचमुच एक बड़ी ढाल है और वह टोपी तो कितना भारी है। वे बहुत भारी हैं, और मुझे वास्तव में उनकी आवश्यकता नहीं।’ इस स्थिति की कल्पना करें—एक रोमी सैनिक युद्ध करने के लिए उसके बचाव की मुख्य चीज़ों के बिना तैयार है।—इफिसियों ६:१६, १७.
१६. (अ) हमारे “तलवार” का उपयोग करने में हम यीशु के उदाहरण का पालन कैसे करना है? (ब) हम कैसे शैतान के “जलते हुए अस्त्रों” से सचेत रह सकेंगे और कौन-से परिणाम के साथ?
१६ एक ऐसे सैनिक की भी कल्पना करें, जिसके पास तलवार नहीं। “आत्मा का तलवार” एक अच्छा बचाव है, क्योंकि उसे उन युद्ध-सामग्रियों का नाश करने के लिए उपयोग किया जाता है जिन्हें शैतान मसीही के विरुद्ध लाता है। हमारा “तलवार” हमेशा तैयार रहना चाहिए। यह ऐसे ही होगा अगर हम हमारा वैयक्तिक और पारिवारिक अध्ययन की उपेक्षा नहीं करेंगे। लेकिन उत्कृष्ट रूप से, यह “तलवार . . . परमेश्वर का वचन” आक्रमण के लिए हमारा साधन है। यीशु ने उसे दोनों तरफ से इस्तेमाल किया। (मत्ती ४:६, ७, १०; २२:४१-४६) हमें भी वैसे ही करना है। सच्चाई के लिए हमारी कदर को हमें बढ़ाते ही रहना चाहिए। सच्चाई में हम ने हमारे पहले कुछ महिनों में या वर्षों में जो सीखा उस आधार पर हम हमारी आध्यात्मिकता को बनाए नहीं रख सकते। अगर हम हमारे मन के आध्यात्मिक परिपथों को नवीन करने में असमर्थ होंगे, तो हमारी आध्यात्मिक दृष्टि धुँधला हो जाएगा। यहोवा की सच्ची उपासना के लिए हमारा उत्साह कम हो जाएगा। हम आध्यात्मिक रूप से कमजोर बन जाएंगे। हम रिश्तेदारों, मित्रों, साथियों, और धर्मत्यगियों से आक्रमण का विरोध करने के योग्य नहीं रहेंगे जो हमारे विश्वासों पर तिरस्कार बरसा सकते हैं। लेकिन परमेश्वर हमें इब्लीस और उसके “जलते हुए अस्त्रों” से बचाएगा अगर हम “परमेश्वर के सारे हथियार” बाँध लेंगे।—यशायाह ३५:३,४.
१७, १८. हमारा युद्ध किसके विरुद्ध है, और हम कैसे जीत सकते हैं?
१७ जी हाँ, पौलुस ने मसीही युद्ध में शामिल खतरे पर विशेष बल दिया जब उस ने लिखा: “क्योंकि हमारा यह मल्लयुद्ध, मानवीय शत्रुओं से नहीं, परन्तु अंतरिक्षीय शक्तियों से, इस अन्धकारपूर्ण संसार के अधिकारियों और अधिपतियों से, और स्वर्ग के अमानवीय शक्तियों से है।” (इफिसियों ६:१२, द न्यू इंग्लिश बाइबल) हम अदने मानव कैसे विरोध करके एक ऐसा असम युद्ध लड़कर जीत सकेंगे? पौलुस अपनी बात दोहराता है: “इसलिए परमेश्वर के सारे हथियार बान्ध लो, कि तुम बुरे दिन में साम्हना कर सको, और सब कुछ पूरा करके स्थिर रह सको।” (इफिसियों ६:१३) मूल-अभिव्यक्ति यह है: “सब कुछ पूरा करके”। यह दोबारा बेमन या अन्यमनस्क ईसाइयत के लिए जगह नहीं छोड़ती।—१ यूहन्ना २:१५-१७.
१८ इसलिए, चलो हम, यहोवा की धार्मिकता से प्रेम करते हुए, शांति के सुसमाचार का प्रचार करते हुए, मसीह यीशु के द्वारा जो उद्धार यहोवा देता है उसमें एक मजबूत विश्वास के साथ बने रहते हुए और हमारे एक मुख्य आधार के रूप में परमेश्वर के वचन पर भरोसा रखते हूए सच्चाई में दृढ़ खड़े रहे। (इफिसियों ६:१४-१७) याद रखिए, परमेश्वर हमारी चिन्ता करता है और हमारे मार्ग में शैतान की व्यवस्था से जो परीक्षाएं और चिन्ताएँ आती हैं उस से जीत पाने में मदद देगा। हम सब यह चेतावनी की ओर ध्यन दें: “सचेत हो, और जागते रहो, क्योंकि तुम्हारा विरोधी शैतान गर्जनेवाले सिंह की नाईं अस खोज में रहता है, कि किस को फाड़ खाए।” जी हाँ, “विश्वास में दृढ़ होकर उसका साम्हना करो।”—१ पतरस ५:६-९.
१९. (अ) हम शैतान का विरोध करने के लिए कौन-सा अतिरिक्त प्रबन्ध का इस्तेमाल करना चाहिए? (ब) अन्ततः शैतान को क्या होगा?
१९ “सारे हथियार” में पौलुस का एक आवश्यक संयोजन को हम न भूलें। वह कहता है: “और हर समय और हर प्रकार से आत्मा में प्रार्थना, और बिनती करते रहो, और इसी लिये जागते रहो कि सब पवित्र लोगों के लिए लगातार बिनती किया करो।” (इफिसियों ६:१८) हमारा अदृश्य शत्रु इतना शक्तिशाली है कि हमें “हर समय और हर प्रकार से आत्मा में प्रार्थना” की आवश्यकता है। हमारी प्रार्थनाएँ कितनी विभिन्न और परिवर्तित होनी चाहिए! यहोवा पर हमारा पूर्ण भरोसा अत्यावश्यक है अगर हमें युद्ध में जीत पाना है और हमारी खराई बनाए रखना है। केवल वह ही हमें यह “असीम समर्थ” दे सकता है जो हमें हमारे कठोर शत्रु का विरोध करने में हमें योग्य बनाएगा। यह जानना कितनी सांतवना की बात है कि हमारा महान विरोधी को जल्द ही अगाध गर्त्त में ड़ाला जाएगा और फिर हमेशा के लिए नाश किया जाएगा!—२ कुरिन्थियों ४:७; प्रकाशितवाक्य २०:१-३, १०.
[फुटनोट]
a जेफ्री बर्टन रस्सल द्वारा लिखित सेटन—द अर्ली क्रिस्टियन ट्रेडिशन, पृष्ठ २५.
b ॲन एक्स्पॉसिटरी डिक्शनरी ऑफ न्यू टेस्टामेन्ट वर्ड्स।
क्या आप जवाब दे सकते हैं?
◻ हम कैसे जान सकते हैं कि शैतान एक वास्तविक व्यक्ति है?
◻ शैतान के दूसरे नाम और उपाधि क्यों उपयुक्त हैं?
◻ कौन-सा आत्म-विश्लेषण हमें शैतान के आक्रमणों का विरोध करने के लिए मदद देगा?
◻ शैतान पर विजय पाने के लिए कौन-सी सलाह हमें सहायता देगी और क्यों?
[पेज 10 पर तसवीरें]
शैतान के प्रभाव का विरोध करने का एक तरीका बहिर्गामी, सहायक, और प्रेमी बनना है
[पेज 11 पर तसवीरें]
हमें हननियाह और सफीरा के समान बनने से सतर्क रहना चाहिए, जिन्होंने शैतान के सामने झुक गए
[पेज 12 पर तसवीरें]
शैतान के अस्त्रों का विरोध करने के लिए, हम हमारे आध्यात्मिक कवच का कोई भी भाग छोड़ नहीं सकते