शैतान की उपासना हमारे समय में
इस बात का कोई सन्देह नहीं कि शैतान चाहता है कि उसकी उपासना की जाये। यीशु का परिक्षण लेते समय उसने एक शर्त पर उसके सामने एक बहुत बड़ा इनाम रखा: “यदि तू गिरकर मेरी उपासना करे।” (मत्ती ४:६) ज़ाहिर है यीशु ने तो उसे मना कर दिया पर सब उनके इस आदर्श पर नहीं चलते हैं। शैतान की उपासना हमारे आधुनिक संसार में काफी फैली हुई है।
उदाहरण के लिए, केनेडा से द कैलगरी हेरेल्ड ने “इब्लीस के शिष्यों” नामक लेखों की एक सीरीज़ छापी है। समाचार पत्र ने एक पुलिस कार्यकर्ता की रिपोर्ट में से यह बात कही: “कई इन्टरव्यू द्वारा मैं जान चूका हूँ कि शैतानवाद समाज के किसी एक भाग तक सीमित नहीं है। कैलगरी पुलिस और रॉयल कनेडियन माउन्टेड पुलिस द्वारा इकट्टी की हुई सूचना यह बताती है कि मात्र कैलगरी में ही माना जाता है कि ५,००० लोग शैतान की सक्रिय उपासना करते है।”
दूसरे प्रेस रिपोर्ट बताते है कि भिन्न रूपों से शैतानवाद यूनाइटेड स्टेट्स और यूरोप में उभर रहा है। पुलिस भी शैतानवाद में दिलचस्पी दिखा रही है। क्यों? क्योंकि कई मामलों में वे अपराध और शैतानवाद के बीच सम्बन्ध पाते है। अभी हाल में एक पुलिस जासूस ने कहा: “जिससे हमारा वास्ता पड़ रहा है वह एक धर्म है और लोग जो उसको मानते है उनका मानना वैसा ही है जैसे के अन्य लोग मसीही धर्म, यहूदी धर्म और इस्लाम धर्म को मानते है। जो आप देख रहे है वह अपराध के लिये अपराध नहीं परन्तु एक धर्म के लिये किये गये अपराध है।”
१९६९ में कैलिफोरनिया के मैनसन कबीले द्वारा किये गये कत्ल इसका खास उदाहरण है। इतिहास के प्रोफेसर जेफरी रसल कहते हैं: “मैनसन मसीह और शैतान दोनों होने का दावा करता था . . . जब मैनसन का शिष्य टेक्स वॉटसन शैरन टेट का कत्ल करने आया तब उसने कहा: ‘मैं इब्लीस हूँ, मैं इब्लीस का काम करने आया हूँ।’” परन्तु शैतानवाद हमेशा इतना पत्यक्ष नहीं है।
जादू, प्रेतात्मावाद और टोना
वास्तव में शैतान की उपासना, शैतान का नाम लेकर उसका सीधे रूप से उपासना करने तक सीमित नहीं है। प्रेरित पौलुस ने चेतावनी दी: “अन्यजाति जो बलिदान करते है वे दुष्टात्माओं के लिये बलिदान करते है।” (१ कुरिन्थियों १०:२०) दुष्टात्माओं की उपासना और शैतान की उपासना एक ही है क्योंकि शैतान को “दुष्टात्माओं का सदार” कहलाया गया है। (मरकुस ३:२२) “अन्य जातियों” के कौनसे कार्यों को दुष्टात्माओं की उपासना अथवा शैतान की उपासना बताया जा सकता है? इस्राएल को दिये हुए परमेश्वर के कुछ वचन हमें उदाहरण देते हैं: “तुझ में कोई ऐसा न हो जो . . . भावी कहलानेवाला, वा शुभ-अशुभ मुहूर्त्तो का माननेवाला, वा टोना वा तान्त्रिक, वा बाजीगर, वा ओझों से पूछनेवाला वा भूत साधनेवाला, वा भूतों का जगानेवाला हो। क्योंकि जो ऐसे काम करते है वे सब यहोवा के सम्मुख घृणित है।”—व्यवस्थाविवरण १८:१०-१२.
अतः ब्राज़ील में वूडू याजको द्वारा और हेती के हौनगान और मामबोस द्वारा किये गये लहू के बलिदानों और प्रेतात्मावाद के खिलाफ हमें चेतावनी दी जाती है। और इसी प्रकार के कार्यों जिन्हें सेन्तेरिया कहा जाता है जो क्यूबा से देश निकाला दिये हुए कुछ लोग यूनाईटेड स्टेस में करते है उसके खिलाफ भी हमें चेतावनी दी जाती है। और हमें ओझाओं के खिलाफ भी चेतावनी दी जाती है जो जीवतों में भय उत्पन्न करने के लिये मरे हुए प्राणियों के साथ बातें करने का दावा करते है।—१ शमूएल २८:३-२० से तुलना करें।
अफ्रीका के भिन्न भागों में जादू टोना प्रचलित है। उदाहरण के लिये साउथ अफ्रीका में जादू करनेवाले वैध बहुत शक्ति रखते है और गंभीरता से उनकी बातों को सुनते है। हाल में समाचार पत्रों ने ऐसे मालों के बारे में बताया है जहाँ उपद्रवी भीड़ों ने ऐसे लोगों को जिन्दा जला दिया थे जिन पर अपने गाँववालों पर बिजली गिराकर मारने का आरोप था! स्थानीय जादू वेधों ने निर्दीष लोगों पर ऐसे “असामान्य” कार्यों का आरोप लगाया है और उन्हें जलाने के लिये पेड़ों पर बाँध दिया। जादू अथवा टोना में ऐसी मान्यता, भी दुष्टात्माओं की उपासना है।
परन्तु जादू-ओना अफ्रीका तक सीमित नहीं है। १९८५ में हर्बट डी. डेटमेर को जो वर्जिन्या, यू.एस.ए. के सुधारक शिविर में सज़ा काट रहा था, उसे वर्जिन्या के इर्स्टन डिस्ट्रिक्ट के डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने कुछ कपडे और अन्य सामान प्राप्त करने की अनुमति दी जिस से कि वह जेल में अपने धर्म का पालन कर सके। उसका धर्म क्या था? कोर्ट रिकॉड के मुताबिक वह “चर्च ऑफ वीका” का सदस्य था “(जिसे सामान्य रूप से जादू टोना कहा जाता है)”। अतः डेटमेर को यह कानूनन हक दिया गया कि वह अपनी उपासना में गन्धक, समुद्री नमक, अथवा कच्चा नमक; मोमबत्ती; धूप; अलार्म सहित घड़ी और सफेद लबादे का प्रयोग कर सके।
हाँ, सूचनानूसार पश्चिम में जादू टोना काफी पैला हुआ है। ब्रिटिश समाचार पत्र मैनचेस्टर गारडियन वीकली ने कहा: “पाँच वर्ष पहिले यह माना जाता था कि ब्रिटिन में ६०,००० जादूगर थे: आज (१९८५) कुछ जादूगर मानते है कि यह संख्या ८०,००० तक बढ़ गयी है। प्रिडिक्शन, जो ज्योतिष और जादू की मासिक पत्रिंका है, का वितरण ३२,००० है।”
शैतानवाद और संगीत
प्रोफेसर रसल अपनी पुस्तक मेफिस्तोफलीस—द डेविल इन द मार्डन वर्ल्ड में हमारा ध्यान एक और तरीके की ओर आकर्षित है जिससे शैतान के लक्ष्यों को आगे बढाया जा रहा है। वे लिखते है: “प्रकट शैतानवाद १९७० की दशाब्दी के बाद तेजी से कम होता गया परन्तु १९८० की दशाब्दी के सालों में सांस्कृतिक शैतानवाद के कुछ पहलू ‘हैवी मेटल’ रॉक संगीत द्वारा जारी रहे जिसमें कभी-कभी शैतान का नाम लिया जाता है और जो शैतान की मान्यताएँ जैसे कि क्रूरता, नशीली दवाएँ, कुरुपता, उदासी, स्वयं-सेवन, हिंसा, आवाज और गड़बड़ी और आनन्दहीनता, के लिए बहुत आदर बताती है।”—तिरछे अक्षर हमारे।
शायद वे संगीतकार, जो शैतानवाद के पहलूओं को अपने संगीत में लगाते है, गंभीरता से सोचकर ऐसा नहीं करते हैं। शायद वे सिर्फ आघात पहुँचाने या अशिष्ट सुनाई देना चाहते हो। फिर भी कुछ प्रभावनीय व्यक्तियों पर भारी प्रभाव हुआ है। प्रोफेसर रसल कहते हैं कि “दुष्टता के लिये नियमित अर्ध-गंभीर प्रचार अनाड़ी और निर्बल दिमाग के लोगों पर सड़न का असर उत्पन्न करता है। इसका नतीजा भयंकर पतीत अपराध हैं जिनमे बच्चों का बलात्कार और जानवरों का अंगभंग करना शमिल है।”
एक हाल की घटना ने न्यू यॉर्क के लोगों को चौंका दिया। समाचार पत्र की एक रिपोर्ट ने कहा कि एक १४ वर्षीय लड़के ने, “जिसका शैतानवाद से गहरा लगाव था”; अपनी माँ को छुरे से मार डाला और फिर आत्महत्या कर ली। मक्लिन्स पत्रिका में यह रिपोर्ट दी गयी थी कि केनेडा के एक परिवार सलाहकार ने कहा है कि व्याकुल युवकों की एक बढ़ती हुई संख्या स्वीकार करती है कि वे “शैतानवाद में भाग लेते है और कभी-कभी साथ में नशीली दवाओं का प्रयोग करते है और कठोर हैवी मेटल रॉक संगीत सुनते है।”
मात्र एक अस्थायी दिलचस्पी नहीं
इस समय यूनाइटेड स्टेट्स में एक अस्थायी दिलचस्पी प्रचलित है जिसे चैनलिंग कहते है। कई बार लोग ऐसी सभाओं में भाग लेने के लिये जहाँ एक “चैनल” जो माध्यम है, अपने आप को (चैनल, साधारणतय स्त्रीयाँ होती हैं) बहुत समय पहिले मरे हुए किसी व्यक्ति की आत्मा से बातचीत करने का दावा करती है, सैकड़ो डॉलर देते हैं। एक चैनल के सम्बन्ध में समाचार पत्रों ने कहा है कि उसके अधिवेशन “नियमित रीति से टेलिविज़न सेटलाईट द्वारा एक साथ पाँच-छः शहरों में हजारों व्यक्तियों तक पहुँचाये जाते हैं।” यह बाइबल की सलाह के, कि आत्मा-माध्यमों और व्यावासिक भावी कहनेवालों से दूर रहा जाय, ख़िलाफ, प्रत्यक्ष अनाज्ञाकारिता है। अतः यह ऐसी उपासना है जिसे दुष्ट आत्माओं की उपासना कही जा सकती है। और सब प्रेतात्मावाद के समान शैतान के उस झूठ पर आधारित है कि मनुष्य प्राणी अमर है।—सभोपदेशक ९:५; यहेजकेल १८:४, २०.
घृणा भरे संसार में इब्लीस का प्रभाव
इस बीसवीं शताब्दी की मानवजाति की भयंकर स्थिति को देखकर हमें आश्चर्य होता है कि क्या शैतान के प्रभाव की पहुँच कुछ ज्यादा आगे बढ़ गई है? प्रोफ़ेसर रसल इस बारे में कहते हैं: “वर्तमान में चूँकि हमारे पास पृथ्वी के हर एक प्राणी को मारने के लिए जो आवश्यक परमाणु हथियार हैं, उनसे सत्तर गुणा अधिक होने के बावजूद हम फिर भी हठी रीति से एक ऐसे युद्ध की तैयारी में लगे हुए हैं जिससे किसी व्यक्ति, राष्ट्र अथवा विचारधारा को किसी प्रकार का लाभ नहीं पहुँच सकता है, बल्कि वह हज़ारों करोड़ों व्यक्तियों को भयानक मृत्यु का शिकार बना सकता है। कौनसी शक्ति है जो हमें उस मार्ग पर ले जा रही है जो हर रोज़ ज्यादा ख़तरनाक होता जा रहा है? इस ग्रह का परमाणु द्वारा विनाश किसको फ़ायदा पहुँचा सकता है? केवल वही एकमात्र शक्ति जिसने शुरु से असीम क्रूरता और दुर्भावना से संसार का विनाश चाहा है।”
वह शक्ति कौन अथवा क्या है? प्रोफ़ेसर इन शब्दों में स्वयं जवाब देता है: “इब्लीस की परिभाषा यह दी गई है कि वह एक आत्मा है जो परमेश्वर के विश्व को अपनी समस्त शक्ति से तोड़ने और विनाश करने में लगा हुआ है। क्या ऐसा नहीं हो सकता है कि जो शक्ति हमें परमाणु हथियार बनाने के लिए उकसाती है, वही शक्ति अपने अस्तित्व को व्यर्थ साबित करने पर तुली हुई है? हमारे ग्रह के इस परम संकट में हम इस बात की सम्भावना की अपेक्षा नहीं कर सकते।” मसीही निश्चय ही इस सम्भावना की अपेक्षा नहीं कर सकते हैं! यीशु ने स्वयं इस संसार पर शैतान के भारी प्रभाव के बारे में बताया जब उन्होंने उसको “इस जगत का सरदार” बताया। (यूहन्ना १२:३१) शैतान की आज की मनोवृत्ति का वर्णन करते हुए प्रकाशितवाक्य की पुस्तक बताती है कि वह “बड़े क्रोध के साथ तुम्हारे पास उतर आया है क्योंकि वह जानता है कि उसका थोड़ा ही समय बाकी रह गया है।” ( (प्रकाशितवाक्य १२:१२) हमारे समय में शैतान क्या करने की कोशिश कर रहा है इस विषय में वही पुस्तक कहती है कि संसार के नेताओं को “सर्वशक्तिमान परमेश्वर के उस बड़े दिन की लड़ाई के लिए इकट्ठा” करने के लिए वह प्रेतात्मिक प्रचार का उपयोग कर रहा है। (प्रकाशितवाक्य १६:१४) जब हमारी कोशिश मनुष्यजाति के पागल तथा विनाशकारक मार्ग को समझने की होती हैं तब हम शैतान अर्थात इब्लीस के प्रभाव को विर्जित नहीं कर सकते हैं।
प्रेरित पौलूस ने शैतान को “आकाश के अधिकार का हाकिम . . . वह आत्मा जो अब भी अनाज्ञाकारिता के पुत्रों में कार्य करता है,” और “इस संसार का ईश्वर” बताया है। (इफिसियों २:२; २ कुरिन्थियों ४:४) फिर कोई आश्चर्य नहीं कि कई लोग पूछते हैं कि क्या इस “प्रबुद्ध” वैज्ञानिक युग के सारे अत्याचारों—दो विश्व युद्ध, यूरोप और कम्पूचिया में जातिसंहार, अफ्ररीका में राजनैतिक कारणों से बनाया गया अकाल, गंभीर संसार व्यापी धार्मिक और जातीय विभाजन, घृणा, हत्या, यथाक्रय वेदना, नशीली दवाओं से मनुष्य जाति का अनुचित विनाश, जो ये कुछेक बाते हैं— किसी एक सामर्थ्यपूर्ण दुष्ट शक्ति की महान योजना है जो मनुष्यजाति को परमेश्वर से दूर करने और शायद उसे संसार व्यापी आत्महत्या करने के लिए संकल्पित है।
तब फिर शैतान कौन है? वह वास्तविक रीति से क्या करने की कोशिश में है? हम व्यक्तिगत रीति से इस विषय में क्या कर सकते हैं? हम आपको आमंत्रित करते हैं कि अगले दो लेखों में दिए इन प्रश्नों पर किए हुए विवाद पर आप विचार करें।
[पेज 7 पर तसवीरें]
शैतानवादी संगीत से दूर रहकर परमेश्वर के लोग अच्छे मनोरंजन ढूँढ़ते हैं