ईश्वरीय शान्ति के सन्देशवाहक एकत्रित होते हैं
‘हम हर ज़िला अधिवेशन से प्रोत्साहित हुए हैं,’ अमरीका से एक मसीही प्राचीन कहता है। “लेकिन, यह साल तो एकदम लाजवाब था। हम हर दिन यह सोचते हुए लौटे कि कैसे अगला दिन हमारी अपेक्षाओं से बढ़कर होगा, और हम निराश नहीं हुए!”
अगर आप किसी “ईश्वरीय शान्ति के सन्देशवाहक” ज़िला अधिवेशन में उपस्थित हुए थे, तो बेशक आप इस उत्साही प्रतिनिधि के साथ सहमत होंगे। अधिवेशन के प्रत्येक दिन ने उस आज्ञा के एक अलग पहलू पर ध्यान केंद्रित किया जिसे यहोवा के साक्षी परमेश्वर के सन्देशवाहकों के रूप में पूरा करते हैं। आइए हम इस तीन-दिवसीय कार्यक्रम पर पुनर्विचार करें।
‘क्या ही सुहावना है जो शुभ समाचार लाता है’
यह अधिवेशन के पहले दिन का शीर्षक था। यह यशायाह ५२:७ पर आधारित था। इन कठिन समयों में, अनेक लोग यहोवा की सेवा चुनौती-भरी स्थितियों में कर रहे हैं। भाषण “शान्ति के उत्साही उद्घोषकों से सुनना” में इनमें से कुछ वफ़ादार जनों के साक्षात्कार शामिल थे। उनकी व्यक्तिगत अभिव्यक्तियों को सुनना वाक़ई प्रोत्साहक था, और इस प्रकार अधिवेशनकर्ताओं को आश्वस्त किया गया कि यहोवा उन्हें भी मज़बूत कर सकता है, और धीरज धरने में उनकी मदद करने के लिए “असीम सामर्थ” दे सकता है।—२ कुरिन्थियों ४:७.
यहोवा की माँगें बोझिल नहीं हैं। (१ यूहन्ना ५:३) यह सुबह के कार्यक्रम के आख़िरी भाषण में स्पष्ट किया गया, जो ३२-पृष्ठवाले ब्रोशर के रिलीज़ के साथ शिखर पर पहुँचा जिसका शीर्षक था परमेश्वर हमसे क्या माँग करता है? बेशक यह सुंदर सचित्रित नया अध्ययन सहायक और अनेक लोगों को परमेश्वर के उद्देश्यों के बारे में सीखने में मदद करने में एक अहम भूमिका निभाएगा। इस नए प्रकाशन के इस्तेमाल पर टिप्पणियाँ इस पत्रिका के आख़िरी अध्ययन लेख में और पृष्ठ १६ और १७ पर पायी जाती हैं।
भाषण “भले कार्यों में धीरज धरना” ने ज़ोर दिया कि यहोवा हमारी परीक्षाओं को बख़ूबी जानता है। धीरज धरने का मतलब है कि हम डटे रहें और उम्मीद न खोएँ। यहोवा ने हमारी सहायता करने के लिए हमें अपना वचन, अपनी आत्मा, और अपना संगठन दिया है। प्रचार करने में धीरज धरना पड़ता है, फिर भी प्रचार करना हमें धीरज धरने के लिए मदद करता है, क्योंकि यह हमारे विश्वास को ज़िन्दा रखता है। अन्तिम रेखा के इतने पास पहुँचकर, हमें अपनी समस्याओं को हमारा उत्साह कम नहीं करने देना चाहिए, क्योंकि केवल उन लोगों का उद्धार होगा जो अन्त तक धीरज धरते हैं।—मत्ती २४:१३.
मूलविचार भाषण, “ईश्वरीय शान्ति के सन्देशवाहकों के तौर पर हमारी भूमिका” ने बाबुल से यहूदी बन्धुओं की मुक्ति और सा.यु.पू. ५३७ में यरूशलेम में शुद्ध उपासना की पुनःस्थापना पर ध्यान केन्द्रित किया। वक्ता ने समझाया कि यह घटना उस बात की केवल एक पूर्व-झलक थी कि जल्द ही परमेश्वर का राज्य विश्वव्यापी पैमाने पर क्या निष्पन्न करेगा। (भजन ७२:७; यशायाह ९:७) हमारी वर्तमान कार्यनियुक्ति है इस राज्य के बारे में सुसमाचार का प्रचार करना और उस सन्देश के सामंजस्य में जीना। परमेश्वर और पड़ोसी के लिए प्रेम को हमें इस कार्य को बिना रुके करते रहने के लिए विवश करना चाहिए।—प्रेरितों ५:४२.
शुक्रवार के कार्यक्रम की विशेषता “मनोरंजन के छिपे हुए फंदों से चौकस रहिए” यह परिचर्चा थी। आज के संगीत, फ़िल्में, वीडियो, टीवी कार्यक्रम, वीडियो खेल, पुस्तकें, पत्रिकाएँ और कॉमिक्स अकसर पैशाचिक सोच-विचार को प्रतिबिम्बित करते हैं। इसलिए, हमें “बुराई से घृणा” करने और “भलाई में लगे” रहने की ज़रूरत है। (रोमियों १२:९) जी हाँ, हमें भ्रष्ट मनोरंजन को घिनौना समझना चाहिए और उससे दूर रहना चाहिए, जबकि हमें उन बातों पर गंभीरतापूर्वक विचार करना चाहिए जो सुहावनी, सद्गुण और प्रशंसा की हैं। (फिलिप्पियों ४:८) यहोवा के संगठन द्वारा प्रदान किए गए प्रकाशन और अनुसंधान साधन हमारे मनों को प्रोत्साहक विचारों से प्रेरित करते हैं और हमें भले और बुरे में फ़र्क करने के लिए प्रशिक्षित करते हैं। (इब्रानियों ५:१४) हमें इन प्रबन्धों से उस तरह चिपके रहना चाहिए जिस तरह हम एक अशान्त समुद्र में एक बेड़े से चिपके रहते।
उसके बाद भाषण “शैतान का विरोध कीजिए—कोई प्रतिद्वन्द्विता बर्दाश्त मत कीजिए” हुआ। प्रतिज्ञात देश में उनके प्रवेश करने के बस कुछ ही समय पहले, हज़ारों इस्राएली अनैतिकता में फँस गए थे। पीनहास ने सच्ची उपासना के प्रति कोई प्रतिद्वन्द्विता बर्दाश्त नहीं की। उसने कुकर्मियों के विरुद्ध निर्णायक क़दम उठाया, और उसकी अनन्य भक्ति ने यहोवा को प्रसन्न किया। (गिनती २५:१-१३) शैतान का लक्ष्य है कि हम में से प्रत्येक को परमेश्वर के नए संसार में प्रवेश करने के लिए अयोग्य ठहराए। इसीलिए पीनहास की तरह हमें दूषित करने के इब्लीस के प्रयासों का विरोध करना चाहिए। चाहे विवाहित हों या अविवाहित, हमें “व्यभिचार से बचे” रहना चाहिए।—१ कुरिन्थियों ६:१८.
“निष्ठापूर्वक परमेश्वर के वचन की अखंडता का समर्थन करना” यह अधिवेशन के पहले दिन का समाप्ति भाषण था। अनेक अनुवादक शास्त्र के भागों को बदलते हैं या उन्हें छोड़ देते हैं। मिसाल के तौर पर, स्त्रियों के अधिकारों के समर्थकों को शान्त करने के लिए, द न्यू टॆस्टामॆन्ट एण्ड साम्स्: एन इन्क्लूज़िव वर्शन के अनुवादक परमेश्वर को एक पिता के रूप में नहीं, लेकिन माता-पिता के रूप में सूचित करते हैं और यीशु को “मनुष्य के पुत्र” के बजाय “वह मानव व्यक्ति” के रूप में। इसके विपरीत, नया संसार अनुवाद मूल-भाषा पाठ से इतनी ईमानदारी से लगा रहता है कि इसने अनेक शास्त्रीय बातों पर हमारे सोच-विचार को स्पष्ट करने में मदद की है। उदाहरण के लिए, वक्ता ने कहा: “नया संसार अनुवाद के यथार्थ अनुवाद ने ही प्रथम-शताब्दी मसीही कलीसिया में रखे गए नमूने की निकट अनुरूपता में हमारे द्वारा कलीसियाओं को पुनःगठित करने, और प्राचीनों के निकाय नियुक्त करने का आधार प्रदान किया।” हम परमेश्वर के वचन के प्रति अपनी निष्ठा उसे हर रोज़ पढ़ने और उसकी सलाह को लागू करने के द्वारा दिखाते हैं। वक्ता ने यह भी कहा: “जोश के साथ दूसरों को परमेश्वर के वचन का प्रचार करने के द्वारा, और जब हम दूसरों को सिखाते हैं तब ध्यानपूर्वक इसका प्रयोग करने और यह जो कहती है उसे कभी-भी हमारे विचारों के साथ सहमत होने के लिए तोड़ने-मरोड़ने या खींचने की कोशिश न करने के द्वारा, हम दिखाते हैं कि हम परमेश्वर के वचन के निष्ठावान समर्थक हैं।”
‘परमेश्वर की शान्ति समझ से बिलकुल परे है’
इस शीर्षक ने, जो फिलिप्पियों ४:७ पर आधारित है, अधिवेशन के दूसरे दिन के लिए समाँ बान्धा। प्रस्तुत की गयी अधिकांश जानकारी व्यक्ति की सेवकाई, परिवार, समर्पण, और दैनिक जीवन के अन्य पहलुओं के उचित दृष्टिकोण से सम्बन्धित थी।
दिन के पाठ की चर्चा के बाद एक परिचर्चा पेश की गयी जिसका शीर्षक था “शान्ति का सुसमाचार लानेवाले सन्देशवाहक।” हमारा सन्देश शान्ति का है, और इसे एक शान्तिपूर्ण तरीक़े से दिया जाना चाहिए। (इफिसियों ६:१५) हमारा उद्देश्य है दिल जीतना, बहस करना नहीं। यहोवा के संगठन से जो प्रशिक्षण और प्रकाशन हम प्राप्त करते हैं, वे हमें यही करने के लिए मदद करते हैं। हमें बेपरवाही या उदासीनता से निरुत्साहित नहीं होना चाहिए। इसके बजाय, हमें ‘अपना भरसक’ करते रहना जारी रखना चाहिए, और व्यक्तिगत अध्ययन, सभा उपस्थिति, और प्रचार कार्य में सहभागिता का एक स्वास्थ्यकर नित्यक्रम रखना चाहिए। (२ तीमुथियुस २:१५) दूसरों के प्रति, ख़ासकर जो हमसे विश्वास में सम्बन्धित हैं उनके प्रति भलाई करने को नज़रअंदाज़ नहीं किया जाना है। (गलतियों ६:१०) बेशक, हमारा भरसक करने का अर्थ पस्त होने तक काम करना नहीं है। प्रत्येक व्यक्ति अपनी क्षमता और स्थितियों के अनुसार जो कर पाए वह यहोवा के लिए स्वीकारयोग्य है।
परमेश्वर के लोग राज्य हितों को बढ़ाने के लिए अपना समय, उर्जा, और संसाधन देते हैं। भाषण “यहोवा के संगठन में ख़ुशी-ख़ुशी देना” ने दिखाया कि जैसे-जैसे अधिक भेड़-समान लोग राज्य संदेश के प्रति प्रतिक्रिया दिखाते हैं, अतिरिक्त यंत्र, सभा स्थानों, और शाखा सुविधाओं की ज़रूरत है। हमारे अंशदान संगठन को वह सब उपलब्ध कराते हैं जिसकी विश्व-व्यापी प्रचार कार्य को पूरा करने के लिए ज़रूरत है। उदारता से देना यहोवा का आदर भी करता है और देनेवाले को ख़ुशी भी लाता है। इसलिए, मसीही होने के नाते, हमें अपनी उपासना के इस महत्त्वपूर्ण पहलू को नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए।—२ कुरिन्थियों ८:१-७.
सुबह का सत्र बपतिस्मा भाषण से समाप्त हुआ—जो यहोवा के साक्षियों के बड़े समूहनों की हमेशा एक विशेषता होती है। नव समर्पित जनों को पानी का बपतिस्मा लेने के द्वारा यीशु के पदचिन्हों पर चलते देखना क्या ही आनन्द की बात है! (मत्ती ३:१३-१७) वे सभी जो यह क़दम उठाते हैं उन्हें सबसे बड़ी बुद्धि के स्रोत—बाइबल—से शिक्षित किया गया है। इसके अतिरिक्त, उन्हें जीवन में वास्तविक उद्देश्य मिला है, और उन्हें उस शान्ति की आशिष मिली है जो यह जानने से आती है कि वे वही कर रहे हैं जो सही है।—सभोपदेशक १२:१३.
भाषण “समझ को अपनी रक्षा करने दीजिए” में सुस्पष्ट सलाह दी गयी थी। व्यावसायिक व्यवहारों के सम्बन्ध में समझदारी बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। हमें राज्यगृह में व्यक्तिगत व्यावसायिक गतिविधियाँ नहीं चलानी चाहिए, ना ही हमें आर्थिक लाभ के लिए संगी मसीहियों का शोषण करना चाहिए। (यूहन्ना २:१५, १६ से तुलना कीजिए।) समझदारी की तब भी ज़रूरत है जब एक व्यवसाय में पैसे लगाते हैं या पैसे उधार लिए या दिए जाते हैं। “कुछ लोग जिन्होंने उतावली में आकर पैसा बनाने की जोखिमवाली योजनाओं में हिस्सा लिया उनके लिए मसीहियों के बीच जोखिम-भरे व्यापार में असफलताएँ, निराशा और यहाँ तक कि आध्यात्मिकता खो बैठने की ओर ले गयी हैं,” वक्ता ने कहा। हालाँकि मसीहियों के लिए एक-दूसरे के साथ व्यवसाय करना ग़लत नहीं है, लेकिन सावधानी बरतना निश्चय ही अक़्लमंदी की बात है। और जब दो पक्षों में एक व्यावसायिक सौदा किया जाता है, तो शर्तों को हमेशा लिख लिया जाना चाहिए।
पुरुषों और स्त्रियों के लिए परमेश्वर के स्तर की चर्चा भाषण “नर और नारी करके उसने उनकी सृष्टि की” में की गयी। इतिहास-भर में लिंगों की भूमिकाएँ विकृत की गयी हैं। “अनेक लोग भूल से पुरुषत्व की समानता कठोर प्रभुत्व, बेरहमी, या पौरुष-दंभ से करते हैं,” वक्ता ने कहा। “कुछ संस्कृतियों में एक पुरुष का चार लोगों के सामने या अकेले में भी रोना विरल होगा, यहाँ तक कि वह शर्मिंदगी की बात होगी। लेकिन, यूहन्ना ११:३५ कहता है कि लाजर की क़ब्र के बाहर भीड़ में ‘यीशु के आंसू बहने लगे।’” स्त्रियों के बारे में क्या? अकसर नारीत्व की बराबरी शारीरिक सुंदरता से की जाती है। लेकिन वक्ता ने पूछा: “यदि एक स्त्री सुंदर है लेकिन उसमें समझदारी की कमी है और बहस करनेवाली, तानेबाज़, या अक्खड़ है, तो क्या वह सचमुच सुंदर, सचमुच स्त्रैण समझी जा सकती है?” (नीतिवचन ११:२२; ३१:२६ से तुलना कीजिए।) मसीही पुरुष और स्त्रियाँ अपनी बोली, आचरण, और बनाव-श्रंगार में बाइबल स्तरों का पालन करने की कोशिश करते हैं। वक्ता ने कहा: “आत्मा के फल प्रदर्शित करनेवाले पुरुष का आदर करना, और ऐसा करनेवाली स्त्री से प्यार करना आसान होता है।”—गलतियों ५:२२, २३.
उसके बाद परिचर्चा “शान्ति का परमेश्वर आपकी परवाह करता है” हुई। अनेक मसीहियों को आर्थिक चिन्ताएँ हैं। अलबत्ता, यहोवा वचन देता है: “मैं तुझे कभी न छोड़ूंगा, और न कभी तुझे त्यागूंगा।” (इब्रानियों १३:५) आर्थिक कठिनाइयों के बावजूद, कुछ लोगों ने इस प्रतिज्ञा में सहयोगी या नियमित पायनियर सेवा शुरू करने के द्वारा भरोसा दिखाया है। अन्य लोग जो अब पायनियर कार्य नहीं कर सकते वे साक्षी देने के लिए हर मौक़े का लाभ उठाने के द्वारा राज्य हितों को प्रथम रखते हैं। (मत्ती ६:३३) ऐसे सभी प्रयासों की सराहना की जानी चाहिए! यहोवा के संगठन ने हमारी सेवकाई में हमें सहायता करने और हमारी समस्याओं का सामना करने में हमारी मदद करने के लिए कई प्रकाशन दिए हैं। अगर हम यहोवा के आध्यात्मिक प्रबन्धों के लिए क़दर दिखाते हैं, तो वह हमें इन आर्थिक रूप से कठिन समयों में शान्ति की आशिष देगा।—भजन २९:११.
दिन के आख़िरी भाषण, “पारिवारिक जीवन में ईश्वरीय शान्ति की खोज कीजिए” की समाप्ति पर, अधिवेशन में उपस्थित लोग नई पुस्तक पारिवारिक सुख का रहस्य पाकर हर्षित हुए। “इस पुस्तक का व्यक्तिगत और पारिवारिक समूहों के रूप में अध्यवसायी तरीक़े से अध्ययन कीजिए” वक्ता ने आग्रह किया। “इसकी बाइबल आधारित सलाह को लागू करने का निष्कपटता से प्रयास कीजिए, और यक़ीनन आपके परिवार की शान्ति और सुख बढ़ेगा।”
‘शान्ति के एक करनेवाले बन्धन में एकता का पालन कीजिए’
इफिसियों ४:३ (NW) पर आधारित, यह अधिवेशन के आख़िरी दिन के लिए एक उपयुक्त शीर्षक था। यहोवा के साक्षी, जो संसार के सभी राष्ट्रों से आकर्षित किए जाते हैं, यहोवा द्वारा सिखाए गए हैं। इसीलिए, वे शान्ति से प्रेम करते हैं। वे यीशु के उदाहरण पर चलते हैं और ‘शान्ति के एक करनेवाले बन्धन में एकता का पालन’ करने का यत्न करते हैं।
उस शान्ति को जो परमेश्वर के संगठन में व्याप्त है, परिचर्चा “सही प्रकार के सन्देशवाहकों की पहचान कराना” में विशिष्ट किया गया। झूठे भविष्यवक्ता प्राचीन इस्राएल में मौजूद थे। लेकिन, परमेश्वर के सच्चे सन्देशवाहकों ने—जैसे कि भविष्यवक्ता यशायाह, यहेजकेल, और यिर्मयाह ने—यरुशलेम के पतन, बन्धुवाई की अवधि, और परमेश्वर के लोगों के सम्भाव्य छुटकारे को ठीक-ठीक पूर्वबताया। आज भी एक ऐसी ही स्थिति अस्तित्त्व में है। राजनीति और झूठे धर्म के राज्यों में झूठे सन्देशवाहकों की भरमार है। फिर भी, यहोवा ने अपने साक्षियों को इस रीति-व्यवस्था के सम्बन्ध में उसके उद्देश्य की उद्घोषणा करने के लिए उठाया है। ख़ासकर १९१९ से, परमेश्वर के सन्देश की उद्घोषणा करने के लिए यहोवा के सेवकों को इस्तेमाल किया गया है। वे लोग मसीहीजगत के झूठे सन्देशवाहकों से कितने अलग हैं! ऐसा हो कि हम इस कार्य में परिश्रम के साथ अपनी भूमिका निभाएँ जब तक यहोवा नहीं कह देता कि यह पूरा हो गया।
भाषण “परमेश्वर का वचन सुनिए और उसका पालन कीजिए” ने ज़ोर दिया कि शास्त्र मार्गदर्शन, सांत्वना, और आशा का सबसे बड़ा स्रोत है। (यशायाह ३०:२०, २१; रोमियों १५:४) आज का संसार अनुज्ञात्मक होता चला जा रहा है। इसलिए, पहले से कहीं ज़्यादा, हमें उस सलाह को सुनने की ज़रूरत है जो परमेश्वर के वचन और संगठन से आती है। यहोवा हमारी कमज़ोरियों को जानता है, और अपने वचन में उसने उस मार्ग को स्पष्ट रूप से लिख रखा है जो हमारे लिए लाभदायक होगा। यह जानना कि यहोवा हमें समर्थन दे रहा है, हमें वह भरोसा देता है कि हम हर उस काम को करने में आगे बढ़ें जिसकी यह हमसे माँग करता है।
इस बात ने पूर्ण-पोशाक नाटक के लिए समाँ बान्धा जो उसके बाद हुआ। इसका शीर्षक था “ईश्वरशासित प्रबन्धों का आदर क्यों करें?” आधार के तौर पर गिदोन के बाइबल वृत्तान्त का इस्तेमाल करते हुए, इस प्रस्तुति ने एक शक्तिशाली सबक़ पर बलपूर्वक ज़ोर दिया—हमें परमेश्वर के निर्देशन का पालन करना चाहिए और इनकी जगह अपने सोच-विचार नहीं रखने चाहिए या ईश्वरशासित सलाह को टालने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।
जन भाषण “आख़िरकार सच्ची शान्ति!—किस स्रोत से?” इस विषय पर था। परमेश्वर जिस शान्ति की प्रतिज्ञा करता है वह उससे परे जाती है जिसकी संसार कल्पना भी नहीं कर सकता। “सच्ची शान्ति का मतलब है हर रोज़ शान्ति,” वक्ता ने कहा। “परमेश्वर की शान्ति का मतलब है बीमारी, दर्द, शोक, और मृत्यु के बग़ैर एक संसार।” बाइबल हमें कहती है कि यहोवा “पृथ्वी की छोर तक लड़ाइयों को मिटाता है।” (भजन ४६:९) वह ऐसा कैसे करेगा? युद्ध के भड़कानेवाले, शैतान अर्थात् इब्लीस को निकालने के द्वारा। (प्रकाशितवाक्य २०:१-३) यह नम्र लोगों के लिए मार्ग खोलेगा कि वे ‘पृथ्वी के अधिकारी हों, और बड़ी शान्ति के कारण आनन्द मनाएं।’—भजन ३७:११.
सप्ताह के लिए प्रहरीदुर्ग अध्ययन लेख के सारांश के बाद, अधिवेशन का आख़िरी भाषण दिया गया। इसका शीर्षक था “ईश्वरीय शान्ति के सन्देशवाहकों के तौर पर आगे बढ़ना,” और इस प्रेरक भाषण ने यह ज़ोर दिया कि हमारा प्रचार कार्य, अनोखा और अत्यावश्यक दोनों है। अब आराम करने, घूमने-फिरने, या ग़लत विचारों की ओर फिर से मुड़ने का समय नहीं है। हम उससे सज्जित हैं जिसकी हमें ज़रूरत है—परमेश्वर का सन्देश, उसकी पवित्र आत्मा, और अनेक प्रबन्ध जो उसके प्रेमपूर्ण ईश्वरशासित संगठन से आते हैं। इस प्रकार, यहोवा के सेवकों के तौर पर ऐसा हो कि हम ईश्वरीय शान्ति के सन्देशवाहकों के रूप में आगे बढ़ते जाएँ!
[पेज 9 पर बक्स/तसवीरें]
परिवारों के लिए एक प्रेममय प्रबन्ध
“ईश्वरीय शान्ति के सन्देशवाहक” ज़िला अधिवेशन के दूसरे दिन के लिए उपस्थित लोग पारिवारिक सुख का रहस्य नामक नया प्रकाशन पाकर रोमांचित हुए। इस पुस्तक में ऐसी शास्त्रीय जानकारी है जो उन सभी परिवारों के लिए लाभदायक होगी जो परमेश्वर से प्रेम करते हैं।
कनॆटिकट, अमरीका से एक प्राचीन कहता है: “जून १५ को हमें अपनी पारिवारिक सुख पुस्तक प्राप्त हुई। जून १६ तक, मैं इसे आधा पढ़ चुका था। १७ तारीख़ को हमने इससे अपना पहला पारिवारिक अध्ययन शुरू किया, और हम कितने प्रोत्साहित हुए! उसी दिन, मैंने पुस्तक को पढ़कर समाप्त कर दिया। बेशक यह उत्तम प्रकाशन उन सभी लोगों के लिए क़ीमती साबित होगा जो इसे लेते हैं। पुस्तक की निष्कपट और दिनाप्त जानकारी अतिरिक्त सबूत देती है कि ‘विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास’ ‘समय पर भोजन’ दे रहा है और इन कठिन समयों में हमारी ज़रूरतों को बखूबी जानता है।”—मत्ती २४:४५-४७.
[पेज 7 पर तसवीर]
युवा और वृद्ध, दोनों ही जानना चाहते हैं कि परमेश्वर क्या माँग करता है