यीशु—वह शासक ‘जिसका निकलना प्राचीनकाल से है’
बहुत समय बाद आपका रिश्तेदार आपसे मिलने आ रहा है। इंतज़ार की घड़ियाँ बड़ी लंबी जान पड़ती हैं। आखिरकार आप उससे मिलते हैं और बड़े प्यार से गले लगाते हैं। वह आपको बताता है कि उसके पिता ने उसे आपके पास क्यों भेजा है और आप उसकी बात ध्यान से सुनते हैं। और फिर जल्द ही वह घड़ी आती है जब वह अपने घर के लिए रवाना होता है। भारी मन से आप उसे अलविदा कहते हैं। उसके चले जाने पर आप जो सूनापन महसूस करते हैं वह उसके सकुशल घर पहुँचने की खबर पाकर कम हो जाता है।
कुछ समय बाद, पुराने कागज़ात में कुछ ढूँढ़ते वक्त, आपको कुछ ऐसी चिट्ठियाँ मिलती हैं जिनमें चंद शब्दों में लिखा है कि आपसे मिलने के लिए आने से बहुत पहले आपके रिश्तेदार ने कैसे-कैसे वीरों जैसे काम किए थे। उन चिट्ठियों से मिली जानकारी से आपको उसके अतीत के बारे में बढ़िया समझ मिलती है और उसके आपके पास आने और उसके अभी के काम के लिए आपकी कदरदानी बढ़ जाती है।
“प्राचीनकाल से”
पहली सदी के यहूदियों के पास जो पुराने कागज़ात थे उनमें परमेश्वर के भविष्यवक्ता मीका के लेखन भी थे, जिन्हें उस समय से लगभग सात सौ साल पहले लिखा गया था। इनमें मसीहा के जन्मस्थान के बारे में बताया गया था। “हे बेतलेहेम एप्राता, यदि तू ऐसा छोटा है कि यहूदा के हजारों में गिना नहीं जाता, तौभी तुझ में से मेरे लिये एक पुरुष निकलेगा, जो इस्राएलियों में प्रभुता करनेवाला होगा; और उसका निकलना प्राचीनकाल से, वरन अनादि काल से होता आया है।” (मीका ५:२) ये शब्द पूरे हुए और यीशु यहूदा के गाँव बेतलेहेम में उस साल पैदा हुआ जिसे अब सा.यु.पू. २ कहा जाता है। लेकिन ऐसा कैसे हो सकता था कि उसकी शुरूआत या उसका निकलना “प्राचीनकाल से” था?
यीशु मानव रूप में आने से पहले जीवित रहा था। कुलुस्से के मसीहियों को लिखी अपनी पत्री में प्रेरित पौलुस ने बताया कि यीशु “अदृश्य परमेश्वर का प्रतिरूप और सारी सृष्टि में पहिलौठा है।” (तिरछे टाइप हमारे।)—कुलुस्सियों १:१५.
यहोवा जो बुद्धि देनेवाला है, उसने अपने ‘प्राचीनकाल के काम,’ यानी अपने पहले पुत्र की रचना की। नीतिवचन की किताब में राजा सुलैमान ने इस प्रेरित पद का इस्तेमाल किया। पृथ्वी पर यीशु के पड़ाव और स्वर्ग में उसकी वापसी के बाद, उसने गवाही दी कि वह असल में “परमेश्वर की सृष्टि का मूल . . . है।” मनुष्य बनने से पहले यीशु का वर्णन बुद्धि के रूप में किया गया, जो कहती है: “जब [यहोवा] ने आकाश को स्थिर किया, तब मैं वहां थी।”—नीतिवचन ८:२२, २३, २७; प्रकाशितवाक्य ३:१४.
शुरू से ही, परमेश्वर के पुत्र को एक खास काम मिला, वह था “कुशल कारीगर” (NHT) बनकर अपने पिता के साथ काम करना। इससे यहोवा को कितनी खुशी मिली! “प्रति दिन मैं उसकी [यहोवा की] प्रसन्नता थी, और हर समय उसके साम्हने आनन्दित रहती थी,” नीतिवचन ८:३० कहता है।
यहोवा ने बाद में अपने पहिलौठे पुत्र को मनुष्यजाति की सृष्टि में हाथ बँटाने के लिए कहा। उसने कहा: “हम मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार अपनी समानता में बनाएं।” (उत्पत्ति १:२६) इसका नतीजा यह हुआ कि प्रसन्नता या सुख का एक और कारण पैदा हुआ। “मेरा सुख मनुष्यों की संगति से होता था,” मानव बनने से पहले यीशु ने कहा। (नीतिवचन ८:३१) अपनी सुसमाचार-पुस्तक की शुरूआत में प्रेरित यूहन्ना ने सृष्टि के काम में यीशु की मानव-पूर्व भूमिका को स्वीकार किया: “सब कुछ उसी के द्वारा उत्पन्न हुआ और . . . उस में से कोई भी वस्तु उसके बिना उत्पन्न न हुई।”—यूहन्ना १:३.
यहोवा की ओर से बोलनेवाला
यूहन्ना के शब्द एक और विशेषाधिकार के बारे में बताते हैं जो परमेश्वर के पुत्र के पास था, वह था परमेश्वर की ओर से बोलना। शुरू से ही उसने वचन के रूप में सेवा की। इसलिए जब यहोवा ने आदम से बात की और बाद में जब उसने आदम के साथ हव्वा से भी बात की, तब उसने ऐसा शायद वचन के ज़रिए किया। और फिर मनुष्य की संगति से सुख पानेवाले व्यक्ति से अच्छा और कौन हो सकता था जो उनकी भलाई के लिए परमेश्वर के आदेश उन तक पहुँचाए?—यूहन्ना १:१, २.
पहले हव्वा और फिर आदम को अपने सृष्टिकर्ता की आज्ञा तोड़ता हुआ देखकर वचन को कितनी तकलीफ हुई होगी! और उनके आज्ञा तोड़ने से उनकी संतान पर जो मुसीबतें आयीं उनसे उन्हें छुड़ाने के लिए वह कितना लालायित हुआ होगा! (उत्पत्ति २:१५-१७; ३:६, ८; रोमियों ५:१२) शैतान की ओर मुखातिब होकर, जिसने हव्वा को विद्रोह करने के लिए उकसाया था, यहोवा ने कहा: “मैं तेरे और इस स्त्री के बीच में और तेरे वंश और इसके वंश के बीच में बैर उत्पन्न करूंगा।” (उत्पत्ति ३:१५) अदन में जो हुआ उसे देखकर, वचन को एहसास हुआ कि उस स्त्री के “वंश” के मुख्य भाग के नाते, वह द्वेष भरी घृणा का शिकार होगा। वह जानता था कि शैतान हत्यारा है।—यूहन्ना ८:४४.
जब बाद में शैतान ने वफादार अय्यूब की खराई पर सवाल उठाया, तब अपने पिता पर लगाए गए झूठे इलज़ाम सुनकर वचन अवश्य ही क्रोध से भर गया होगा। (अय्यूब १:६-१०; २:१-४) असल में, प्रधान स्वर्गदूत की अपनी भूमिका में, वचन मीकाएल नाम से जाना जाता है, जिसका अर्थ है “परमेश्वर जैसा कौन है?” यह नाम दिखाता है कि वह परमेश्वर की सर्वसत्ता को हथियाने की मनसा करनेवाले सभी व्यक्तियों के विरुद्ध, यहोवा के लिए लड़ता है।—दानिय्येल १२:१; प्रकाशितवाक्य १२:७-१०.
जैसे-जैसे समय गुज़रता गया, वचन ने देखा कि कैसे शैतान ने इस्राएल में मनुष्यों को शुद्ध उपासना से दूर ले जाने की कोशिश की। मिस्र देश से निकाल लाने के बाद, परमेश्वर ने मूसा के ज़रिए इस्राएल से कहा: “सुन, मैं एक दूत तेरे आगे आगे भेजता हूं जो मार्ग में तेरी रक्षा करेगा, और जिस स्थान को मैं ने तैयार किया है उस में तुझे पहुंचाएगा। उसके साम्हने सावधान रहना, और उसकी मानना, उसका विरोध न करना, क्योंकि वह तुम्हारा अपराध क्षमा न करेगा; इसलिये कि उस में मेरा नाम रहता है।” (निर्गमन २३:२०, २१) यह स्वर्गदूत कौन था? संभव है मानव-पूर्व यीशु था।
वफादार अधीनता
मूसा की मृत्यु सा.यु.पू. १४७३ में हुई, और उसके शव को “मोआब के देश में बेतपोर के साम्हने एक तराई में” दफनाया गया। (व्यवस्थाविवरण ३४:५, ६) ज़ाहिर है कि शैतान शायद मूर्तिपूजा को बढ़ावा देने के लिए उस शव का इस्तेमाल करना चाहता था। मीकाईल ने इसका विरोध किया, लेकिन नम्रता से अपने पिता यहोवा के अधिकार में यह मामला रख दिया। ‘उस को बुरा भला कहके दोष लगाने का साहस न करके,’ मीकाईल ने शैतान को चिताया: “प्रभु तुझे डांटे।”—यहूदा ९.
इसके बाद इस्राएल ने कनान के प्रतिज्ञात देश पर विजय पाना शुरू किया। यरीहो नगर के पास, यहोशू को फिर से आश्वासन मिला कि वह जाति हर समय वचन की निगरानी में है। वहाँ वह एक पुरुष से मिला जो एक नंगी तलवार लिए हुए था। यहोशू ने उस अजनबी के पास जाकर पूछा: “क्या तू हमारी ओर का है, वा हमारे बैरियों की ओर का?” यहोशू के आश्चर्य की कल्पना कीजिए जब उस अजनबी ने अपनी पहचान यह बताकर दी: “नहीं; मैं यहोवा की सेना का प्रधान होकर अभी आया हूं।” आश्चर्य नहीं कि यहोशू ने यहोवा के इस महिमावान प्रतिनिधि के सामने मुँह के बल गिरकर दंडवत् किया, जो निश्चय ही मानव-पूर्व यीशु था और जो बाद में “अभिषिक्त प्रधान” बनता।—यहोशू ५:१३-१५; दानिय्येल ९:२५.
परमेश्वर के भविष्यवक्ता दानिय्येल के दिनों में शैतान के साथ उसका एक और सामना हुआ। इस अवसर पर मीकाएल ने अपने साथी स्वर्गदूत की मदद की जब फारस का दुष्ट प्रधान तीन सप्ताह तक ‘उसका साम्हना किए रहा।’ उस स्वर्गदूत ने बताया: “मीकाएल जो मुख्य प्रधानों में से है, वह मेरी सहायता के लिये आया, इसलिये मैं फारस के राजाओं के पास रहा।”—दानिय्येल १०:१३, २१.
मानव-पूर्व और मानव रूप में महिमा
सामान्य युग पूर्व ७७८ में, जिस साल में यहूदा के राजा उज्जिय्याह की मृत्यु हुई, परमेश्वर के भविष्यवक्ता यशायाह ने एक दर्शन देखा जिसमें यहोवा अपने वैभवशाली सिंहासन पर विराजमान था। यहोवा ने पूछा: “मैं किस को भेजूं, और हमारी ओर से कौन जाएगा?” (तिरछे टाइप हमारे।) यशायाह आगे आया, परंतु यहोवा ने उसे चिताया कि संगी इस्राएली उसकी घोषणाओं की ओर प्रतिक्रिया नहीं दिखाएँगे। प्रेरित यूहन्ना ने पहली सदी के अविश्वासी यहूदियों की तुलना यशायाह के समय के लोगों से की और कहा: “यशायाह ने ये बातें इसलिये कहीं, कि उस ने उस की महिमा देखी।” किसकी महिमा देखी? यहोवा की और उसके साथ स्वर्गीय दरबार में मानव-पूर्व यीशु की।—यशायाह ६:१, ८-१०; यूहन्ना १२:३७-४१.
कुछ सदियों बाद यीशु को अपने जीवन का सबसे बड़ा काम मिला। यहोवा ने अपने प्रिय पुत्र का जीवन स्वर्ग से मरियम के गर्भ में स्थानांतरित किया। नौ महीने बाद उसने बालक यीशु को जन्म दिया। (लूका २:१-७, २१) प्रेरित पौलुस के शब्दों में: “जब समय पूरा हुआ, तो परमेश्वर ने अपने पुत्र को भेजा, जो स्त्री से जन्मा।” (गलतियों ४:४) उसी तरह, प्रेरित यूहन्ना ने स्वीकार किया: “वचन देहधारी हुआ; और अनुग्रह और सच्चाई से परिपूर्ण होकर हमारे बीच में डेरा किया, और हम ने उस की ऐसी महिमा देखी, जैसी पिता के एकलौते की महिमा।”—यूहन्ना १:१४.
मसीहा प्रकट होता है
कम-से-कम १२ साल की उम्र तक, युवा यीशु इस बात को समझ चुका था कि उसे अपने स्वर्गीय पिता के काम में व्यस्त होना चाहिए। (लूका २:४८, ४९) लगभग १८ साल बाद, यीशु यरदन नदी के पास यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले के पास आया और बपतिस्मा लिया। जब यीशु प्रार्थना कर रहा था तब स्वर्ग खुल गया और पवित्र आत्मा उस पर उतरी। यादों के उस सैलाब के बारे में सोचिए। उसे वे अनगिनत सहस्राब्दियाँ याद आयीं जिनमें उसने अपने पिता के साथ रहकर एक कुशल कारीगर, उसकी ओर से बोलनेवाले, परमेश्वर की सेना के प्रधान और प्रधान स्वर्गदूत मीकाएल के रूप में सेवा की थी। उसके बाद उसे अपने पिता की आवाज़ सुनने का रोमांच हुआ जो यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले से कह रही थी: “यह मेरा प्रिय पुत्र है, जिस से मैं अत्यन्त प्रसन्न हूं।”—मत्ती ३:१६, १७; लूका ३:२१, २२.
यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले को यीशु के मानव-पूर्व जीवन के बारे में कोई शक नहीं था। जब यीशु उसकी ओर आ रहा था, यूहन्ना ने कहा: “देखो, यह परमेश्वर का मेम्ना है, जो जगत का पाप उठा ले जाता है।” और फिर उसने कहा: “यह वही है, जिस के विषय में मैं ने कहा था, कि एक पुरुष मेरे पीछे आता है, जो मुझ से श्रेष्ठ है, क्योंकि वह मुझ से पहिले था।” (तिरछे टाइप हमारे।) (यूहन्ना १:१५, २९, ३०) प्रेरित यूहन्ना भी यीशु के पिछले जीवन के बारे में जानता था। उसने लिखा: “जो ऊपर से आता है, वह सर्वोत्तम है, . . . जो स्वर्ग से आता है, वह सब के ऊपर है। जो कुछ उस ने देखा, और सुना है, उसी की गवाही देता है।” (तिरछे टाइप हमारे।)—यूहन्ना ३:३१, ३२.
सामान्य युग ६१ साल के आस-पास, प्रेरित पौलुस ने इब्रानी मसीहियों से आग्रह किया कि पृथ्वी पर मसीहा के आने और महायाजक के नाते उसके काम के महत्त्व को अच्छी तरह से समझें। परमेश्वर की ओर से बोलनेवाले के रूप में यीशु की भूमिका की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए, पौलुस ने लिखा: “परमेश्वर ने . . . इन दिनों के अन्त में हम से पुत्र के द्वारा बातें कीं, . . . उसी के द्वारा उस ने सारी सृष्टि रची है।” चाहे यह सृष्टि के वक्त “कुशल कारीगर” के रूप में यीशु की भूमिका की ओर इशारा हो या मनुष्य के साथ मेल-मिलाप के लिए परमेश्वर के निरंतर बढ़ते प्रबंधों में उसका भाग लेना हो, यहाँ पौलुस भी यीशु के मानव-पूर्व जीवन के बारे में गवाही देता है।—इब्रानियों १:१-६; २:९.
“प्राचीनकाल” से निष्ठा
फिलिप्पी के पहली सदी के मसीहियों को पौलुस ने यह प्रोत्साहन दिया: “जैसा मसीह यीशु का स्वभाव था वैसा ही तुम्हारा भी स्वभाव हो। जिस ने परमेश्वर के स्वरूप में होकर भी परमेश्वर के तुल्य होने को अपने वश में रखने की वस्तु न समझा। बरन अपने आप को ऐसा शून्य कर दिया, और दास का स्वरूप धारण किया, और मनुष्य की समानता में हो गया। और मनुष्य के रूप में प्रगट होकर अपने आप को दीन किया, और यहां तक आज्ञाकारी रहा, कि मृत्यु, हां, क्रूस की मृत्यु भी सह ली।” (फिलिप्पियों २:५-८) यहोवा ने यीशु का पुनरुत्थान करके और फिर स्वर्गीय घर में दोबारा उसका स्वागत करके, यीशु के निष्ठावान जीवन का उसे प्रेमपूर्वक इनाम दिया। युगों-युगों तक खराई बनाए रखने का क्या ही बढ़िया उदाहरण यीशु ने हमारे लिए छोड़ा है!—१ पतरस २:२१.
हम कितने शुक्रगुज़ार हैं कि बाइबल हमें मानव-पूर्व यीशु के जीवन की झलकियाँ दिखाती है! निष्ठा से सेवा करने के उसके उदाहरण का अनुकरण करने के लिए वे निश्चय ही हमारे संकल्प को मज़बूत करती हैं, खासकर अब जबकि वह परमेश्वर के मसीहाई राज्य के राजा के नाते शासन कर रहा है। आइए हम ‘शान्ति के राजकुमार,’ मसीह यीशु का, हमारे शासक और राजा का स्वागत करें, ‘जिसका निकलना प्राचीनकाल से है’!—यशायाह ९:६; मीका ५:२.
[पेज 24 पर बक्स]
मानव-पूर्व जीवन का सबूत
खुद यीशु के शब्द, जो नीचे दिए गए हैं, उसके मानव-पूर्व जीवन का बहुत बड़ा सबूत देते हैं:
◻ ‘कोई स्वर्ग पर नहीं चढ़ा, केवल वही जो स्वर्ग से उतरा, अर्थात् मनुष्य का पुत्र।’—यूहन्ना ३:१३.
◻ ‘मूसा ने तुम्हें वह रोटी स्वर्ग से न दी, परन्तु मेरा पिता तुम्हें सच्ची रोटी स्वर्ग से देता है। क्योंकि परमेश्वर की रोटी वही है, जो स्वर्ग से उतरकर जगत को जीवन देती है। मैं अपनी इच्छा नहीं, बरन अपने भेजनेवाले की इच्छा पूरी करने के लिये स्वर्ग से उतरा हूं।’—यूहन्ना ६:३२, ३३, ३८.
◻ ‘यह वह रोटी है जो स्वर्ग से उतरती है ताकि मनुष्य उस में से खाए और न मरे। जीवन की रोटी जो स्वर्ग से उतरी मैं हूं। यदि कोई इस रोटी में से खाए, तो सर्वदा जीवित रहेगा।’—यूहन्ना ६:५०, ५१.
◻ ‘यदि तुम मनुष्य के पुत्र को जहां वह पहिले था, वहां ऊपर जाते देखोगे, तो क्या होगा?’—यूहन्ना ६:६२.
◻ ‘मेरी साक्षी सत्य है, क्योंकि मैं जानता हूँ कि मैं कहां से आया हूँ और कहाँ जा रहा हूँ। तुम नीचे के हो, मैं ऊपर का हूँ। तुम इस संसार के हो, मैं इस संसार का नहीं हूँ।’—यूहन्ना ८:१४, २३, NHT.
◻ ‘यदि परमेश्वर तुम्हारा पिता होता, तो तुम मुझ से प्रेम रखते; क्योंकि मैं परमेश्वर में से निकल कर आया हूं; मैं आप से नहीं आया, परन्तु उसी ने मुझे भेजा।’—यूहन्ना ८:४२.
◻ ‘मैं तुम से सच सच कहता हूं; कि पहिले इसके कि इब्राहीम उत्पन्न हुआ मैं हूं।’—यूहन्ना ८:५८.
◻ ‘हे पिता, तू अपने साथ मेरी महिमा उस महिमा से कर जो जगत के होने से पहिले, मेरी तेरे साथ थी। हे पिता, मैं चाहता हूं कि जिन्हें तू ने मुझे दिया है, जहां मैं हूं, वहां वे भी मेरे साथ हों कि वे मेरी उस महिमा को देखें जो तू ने मुझे दी है, क्योंकि तू ने जगत की उत्पत्ति से पहिले मुझ से प्रेम रखा।’—यूहन्ना १७:५, २४.
[पेज 23 पर तसवीर]
यहोशू यहोवा की सेना के प्रधान से मिलता है