परमेश्वर के करीब आइए
वह न्याय से प्रेम करता है
क्या कभी किसी ने आपके साथ अन्याय किया है या आप पर ज़ुल्म ढाया है? क्या ऐसा हुआ है कि वह सज़ा से बच गया और उसे अपने किए पर ज़रा-भी पछतावा नहीं? इस तरह के घोर अन्याय का सामना करना तब और भी मुश्किल हो जाता है जब अन्याय करनेवाला कोई पराया नहीं, आपका अपना होता है। ऐसे में आप शायद पूछें: ‘परमेश्वर अन्याय को रोकने के लिए क्यों कुछ नहीं करता?’a सच तो यह है कि यहोवा परमेश्वर हर तरह के अन्याय से नफरत करता है। उसका वचन बाइबल हमें भरोसा दिलाती है कि जो अपने बुरे कामों से बाज़ नहीं आते, उन्हें वह ज़रूर सज़ा देगा। आइए इब्रानियों 10:26-31 में दर्ज़ प्रेरित पौलुस के शब्दों को करीबी से जाँचें।
पौलुस ने लिखा: “सत्य का ज्ञान प्राप्त करने के बाद भी यदि हम जान-बूझ कर पाप करते रहते हैं, तो पापों के लिए कोई बलिदान नहीं रह जाता।” (आयत 26, बुल्के बाइबिल) जानबूझकर पाप करनेवाले क्यों सबसे ज़्यादा दोषी ठहरते हैं? क्योंकि ऐसा नहीं है कि कुछ पल के लिए उनकी कमज़ोरी उन पर हावी हो जाती है और वे गलती कर बैठते हैं। ऐसी गलती तो हम सब से कभी-न-कभी हो ही जाती है, क्योंकि हम असिद्ध हैं। लेकिन ये लोग पाप करने की आदत बना लेते हैं। यह है पहली वजह। दूसरी वजह यह है कि वे सोच-विचार कर पाप करते हैं। बुराई उनके दिलों में जड़ पकड़े हुए है। तीसरी वजह, वे पाप अनजाने में नहीं करते, क्योंकि उन्हें “सत्य का ज्ञान प्राप्त” हुआ है। दूसरे शब्दों में कहें तो, उन्हें अच्छी तरह मालूम है कि परमेश्वर की मरज़ी क्या है और वह इंसानों से क्या चाहता है।
परमेश्वर ऐसे लोगों को किस नज़र से देखता है, जो जानबूझकर पाप करते हैं और पश्चाताप नहीं दिखाते? पौलुस ने बताया: “पापों के लिए कोई बलिदान नहीं रह जाता।” परमेश्वर ने अपने बेटे का बलिदान दिया है ताकि असिद्धता की वजह से हम जो पाप करते हैं, उनकी माफी मिल सके। (1 यूहन्ना 2:1, 2) लेकिन जो लोग जानबूझकर पाप करते रहते हैं, वे दिखाते हैं कि उन्हें परमेश्वर के इस बेशकीमती तोहफे की कोई कदर नहीं। परमेश्वर की नज़र में ये लोग ‘पुत्र को पांवों से रौंदते और उसके लोहू को अपवित्र जानते हैं।’ (आयत 29) वे अपने कामों से दिखाते हैं कि वे यीशु और उसके लहू को ‘तुच्छ समझते हैं,’ मानो उसके लहू का मोल असिद्ध इंसान के लहू जितना हो। (बुल्के बाइबिल) ऐसे एहसानफरामोशों को यीशु के बलिदान से कोई फायदा नहीं मिलेगा।
दुष्टों का क्या अंजाम होगा? न्याय के परमेश्वर ने वादा किया है: “पलटा लेना मेरा काम है, मैं ही बदला दूंगा।” (आयत 30) जो लोग दूसरों को दुःख पहुँचाने से बाज़ नहीं आते, उन्हें खबरदार रहना चाहिए। परमेश्वर के नियमों का उल्लंघन करनेवाले सज़ा से बच नहीं सकते। अकसर उन्हें अपने कामों का बुरा अंजाम भुगतना पड़ता है। (गलतियों 6:7) अगर ऐसा नहीं भी होता, तो भी वे उस वक्त सज़ा से बच नहीं पाएँगे, जब परमेश्वर धरती पर से अन्याय का सफाया करेगा। (नीतिवचन 2:21, 22) इस बारे में पौलुस चेतावनी देता है: “जीवते परमेश्वर के हाथों में पड़ना भयानक बात है।”—आयत 31.
इस लेख में हमने सीखा कि यहोवा जानबूझकर किए पापों को देखकर चुप नहीं बैठता। इस बात से हमें और खासकर उन लोगों को कितनी तसल्ली मिलती है जिनके साथ घोर अन्याय हुआ है। हम भरोसा रख सकते हैं कि परमेश्वर अन्याय करनेवालों से पूरा-पूरा बदला लेगा। (w08 11/1)
[फुटनोट]
a परमेश्वर ने दुख-तकलीफें क्यों रहने दी हैं? इस बारे में जानने के लिए बाइबल असल में क्या सिखाती है? किताब के पेज 106-114 देखिए। इसे यहोवा के साक्षियों ने प्रकाशित किया है।