मसीही ज़िंदगी और सेवा सभा पुस्तिका के लिए हवाले
1-7 जुलाई
पाएँ बाइबल का खज़ाना | कुलुस्सियों 1-4
“पुरानी शख्सियत उतार फेंकिए, नयी शख्सियत पहन लीजिए“
परमेश्वर की पवित्र शक्ति पाइए, न कि दुनिया की फितरत
12 मेरी शख्सियत पर किसका असर हो रहा है, पवित्र शक्ति का या दुनिया की फितरत का? (कुलुस्सियों 3:8-10, 13 पढ़िए।) दुनिया की फितरत शरीर के कामों को बढ़ावा देती है। (गला. 5:19-21) हम पर किस शक्ति का असर हो रहा है यह तब नहीं पता चलता जब सब कुछ ठीक चल रहा हो बल्कि तब, जब हालात खराब होते हैं, जैसे जब कोई भाई-बहन हमें नज़रअंदाज़ करता है, हमें गुस्सा दिलाता है या हमारे खिलाफ कोई पाप करता है। इसके अलावा जब हम घर पर अकेले होते हैं, तब यह ज़ाहिर होता है कि हम पर परमेश्वर की पवित्र शक्ति काम कर रही है या दुनिया की फितरत। अच्छा होगा कि हम खुद की जाँच करें। खुद से पूछिए कि ‘पिछले छः महीनों में क्या मेरी शख्सियत मसीह के जैसी बनी है या मैंने बोली और चालचलन के मामले में बुरी आदतें फिर से अपना ली हैं?’
13 परमेश्वर की पवित्र शक्ति हमारी मदद करेगी कि हम “पुरानी शख्सियत को उसकी आदतों समेत उतार” फेंकें और “नयी शख्सियत” को पहन लें। यह हमें लोगों से और भी प्यार और दया से पेश आने में मदद करेगी। हम दिल खोलकर दूसरों को माफ कर पाएँगे फिर चाहे हमारे पास शिकायत करने का वाजिब कारण ही क्यों न हो। अगर हमें लगता है कि हमारे साथ नाइंसाफी हो रही है, तब भी हम ‘जलन-कुढ़न, गुस्से, क्रोध, चीखने-चिल्लाने और गाली-गलौज’ से काम नहीं लेंगे। इसके बजाय हम “कोमल-करुणा” दिखाने की पूरी कोशिश करेंगे।—इफि. 4:31, 32.
क्या आपकी कायापलट हुई है?
18 अगर हम चाहते हैं कि परमेश्वर का वचन हमारी कायापलट करे, तो उसे सिर्फ पढ़ना या उससे सीखना काफी नहीं है। दुनिया में कई लोग बाइबल पढ़ते हैं और उसमें लिखी बातों के बारे में बहुत कुछ जानते भी हैं। शायद आप भी प्रचार में ऐसे कुछ लोगों से मिले हों। कुछ को तो बाइबल की आयतें मुँह-ज़बानी याद होती हैं। मगर इससे उनकी सोच और उनकी ज़िंदगी नहीं बदलती। क्यों? क्योंकि परमेश्वर का वचन तभी हमारी कायापलट करता है, जब हम इसे अपने दिल की गहराइयों तक उतरने देते हैं। (गला. 6:6) इसलिए हम बाइबल से जो सीखते हैं, उस पर हमें वक्त निकालकर मनन करने की भी ज़रूरत है। हमें खुद से पूछना चाहिए: “क्या मैं इस बात पर विश्वास करता हूँ कि मैं जो सीख रहा हूँ वह बस एक धार्मिक शिक्षा नहीं, बल्कि उससे कहीं बढ़कर है? क्या मैंने अपनी ज़िंदगी में इस बात के सबूत देखे हैं कि यही सच्चाई है? मैं जो सीखता हूँ, उसे दूसरों को सिखाने के अलावा, क्या मैं खुद भी उस पर अमल करने की कोशिश करता हूँ? क्या मैं मानता हूँ कि जो मैं सीख रहा हूँ, वह ऐसा है मानो यहोवा खुद मुझसे बात कर रहा है?” इन सवालों पर सोचने और मनन करने से हम यहोवा के और भी करीब महसूस कर पाएँगे। उसके लिए हमारा प्यार बढ़ेगा। हम जो सीखते हैं, वे बातें जब हमारे दिल को छू जाती हैं, तो उससे हमें बढ़ावा मिलता है कि हम अपनी ज़िंदगी में ज़रूरी बदलाव करें, जिससे यहोवा खुश होता है।—नीति. 4:23; लूका 6:45.
19 अगर हम लगातार बाइबल पढ़ें और उस पर मनन करें, तो हमें बढ़ावा मिलेगा कि हम उस काम को करने में लगे रहें, जो शायद हम कुछ हद तक कर चुके हैं, यानी ‘पुरानी शख्सियत को उसकी आदतों समेत उतार फेंकें और सही ज्ञान के ज़रिए वह नयी शख्सियत पहन लें जिसकी रचना परमेश्वर करता है। और इसे लगातार नया बनाते जाएँ।’ (कुलु. 3:9, 10) अगर हम असल में समझें कि बाइबल क्या सिखाती है और सीखी हुई बातों को लागू करें, तो हमें यह बढ़ावा मिलेगा कि हम नयी मसीही शख्सियत पहनें, जो हमें शैतान के फँदों से बचा सकेगी।
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इंसाइट-2 पेज 169 पै 3-5
परमेश्वर का राज
‘अपने प्यारे बेटे का राज।’ यीशु ने स्वर्ग लौटने के 10 दिन बाद यानी ईसवी सन् 33 के पिन्तेकुस्त के दिन जब अपने चेलों पर पवित्र शक्ति उँडेली, तो उन्हें इस बात का सबूत मिल गया कि उसे “परमेश्वर के दायीं तरफ ऊँचा पद” दिया जा चुका है। (प्रेष 1:8, 9; 2:1-4, 29-33) तब से ‘नया करार’ उन पर लागू होना शुरू हुआ और वे एक नए “पवित्र राष्ट्र” यानी परमेश्वर के इसराएल के पहले सदस्य बने।—इब्र 12:22-24; 1पत 2:9, 10; गल 6:16.
मसीह अब अपने पिता के दायीं तरफ बैठा था और इस नयी मंडली का मुखिया था। (इफ 5:23; इब्र 1:3; फिल 2:9-11) शास्त्र से पता चलता है कि ईसवी सन् 33 के पिन्तेकुस्त से यीशु ने अपने चेलों पर राज करना शुरू कर दिया था। प्रेषित पौलुस ने पहली सदी में कुलुस्से के मसीहियों के नाम खत में इस बात का ज़िक्र किया कि यीशु मसीह का राज शुरू हो चुका है। उसने लिखा, “[परमेश्वर ने] हमें अंधकार के अधिकार से छुड़ाया और अपने प्यारे बेटे के राज में ले आया।”—कुल 1:13; कृपया प्रेष 17:6, 7 से तुलना करें।
ईसवी सन् 33 के पिन्तेकुस्त से मसीह परमेश्वर के इसराएल पर राज कर रहा है, यानी उन मसीहियों पर जिन्हें पवित्र शक्ति से चुना गया ताकि वे परमेश्वर के बच्चे बनें। (यूह 3:3, 5, 6) जब ये मसीही स्वर्ग जाएँगे, तो वे धरती पर मसीह के इस राज की प्रजा नहीं होंगे बल्कि उसके साथ स्वर्ग में राज करेंगे।—प्रक 5:9, 10.
गलतियों, इफिसियों, फिलिप्पियों और कुलुस्सियों को लिखी पत्रियों की झलकियाँ
2:8 (हिन्दुस्तानी बाइबिल)—‘दुनिया की शुरू की बातें’ क्या हैं जिनके बारे में पौलुस ने खबरदार किया? ये ऐसी चीज़ें या सिद्धांत हैं जो शैतान की दुनिया का हिस्सा हैं और जिनके मार्गदर्शन पर दुनिया के लोग चलते हैं। (1 यूह. 2:16) इनमें कई दूसरी बातों के अलावा, तत्त्वज्ञान, धन-दौलत का लालच और दुनिया के झूठे धर्म भी शामिल हैं।
8-14 जुलाई
पाएँ बाइबल का खज़ाना | 1 थिस्सलुनीकियों 1-5
“एक-दूसरे का हौसला बढ़ाते रहो और एक-दूसरे को मज़बूत करते रहो”
“तुम्हारे बीच जो कड़ी मेहनत करते हैं . . . उनकी कदर करो”
12 मंडली की ‘अगुवाई करने’ में सीखाने के अलावा और भी कुछ शामिल है। पहला तीमुथियुस 3:4 में भी इन्हीं शब्दों का इस्तेमाल हुआ है, जहाँ पौलुस कहता है कि एक निगरान, “अपने घरबार की अगुवाई करते हुए अच्छी देखरेख करता हो, जिसके बच्चे पूरी गंभीरता के साथ उसके अधीन रहते हों।” इस आयत में ‘अगुवाई करने’ का मतलब न सिर्फ अपने बच्चों को सिखाना बल्कि परिवार में अगुवाई लेना और ‘बच्चों को अधीन रखना’ भी शामिल है। जी हाँ, प्राचीन मंडली में अगुवाई लेते हैं ताकि सभी यहोवा के अधीन रह सकें।—1 तीमु. 3:5.
“तुम्हारे बीच जो कड़ी मेहनत करते हैं . . . उनकी कदर करो”
19 अगर आपको कोई ऐसा तोहफा मिलता है जो खास तौर पर आपके लिए बनाया गया हो, तो आप क्या करेंगे? क्या आप उस तोहफे का इस्तेमाल करके उसके लिए कदरदानी दिखाएँगे? यहोवा परमेश्वर ने यीशु के ज़रिए हमें “आदमियों के रूप में तोहफे” दिए हैं। हम कैसे इन तोहफों के लिए कदरदानी दिखा सकते हैं? एक तरीका है, जब प्राचीन मंडली में भाषण देते हैं, तो ध्यान से उसे सुनना और वे जो भी बातें बताते हैं उसे लागू करना। यहीं नहीं, आप सभाओं के दौरान बढ़िया जवाब देकर भी अपनी कदरदानी दिखा सकते हैं। और प्राचीन जिन कामों में अगुवाई लेते हैं जैसे प्रचार काम में, उसमें सहयोग देकर भी आप अपनी कदरदानी दिखा सकते हैं। अगर किसी प्राचीन की सलाह से आपको फायदा हुआ है तो क्या आप उसे शुक्रिया कह सकते हैं? इसके अलावा, क्या आप प्राचीनों के परिवार के लिए भी कदरदानी दिखा सकते हैं? याद रखिए कि जब एक प्राचीन मंडली के लिए कड़ी मेहनत करता है तो इसमें उसके परिवार का त्याग भी शामिल है क्योंकि वह अपने परिवार का समय मंडली के कामों में लगाता है।
अपने कामों से दिखाइए कि आपका प्यार सच्चा है
13 कमज़ोरों की मदद कीजिए। बाइबल हमें आज्ञा देती है, “कमज़ोरों को सहारा दो और सबके साथ सब्र से पेश आओ।” (1 थिस्स. 5:14) लेकिन अगर हममें सच्चा प्यार नहीं होगा, तो हम यह आज्ञा नहीं मान पाएँगे। कई भाई जो पहले विश्वास में कमज़ोर थे आगे चलकर मज़बूत बन गए। लेकिन कुछ ऐसे हैं जिनके साथ हमें और भी सब्र रखना पड़ सकता है और प्यार से मदद करनी पड़ सकती है। हम यह कैसे कर सकते हैं? हम बाइबल से उनकी हिम्मत बढ़ा सकते हैं, उनके साथ प्रचार में जा सकते हैं या उनकी बात ध्यान से सुन सकते हैं। यह सोचने के बजाय कि फलाँ भाई “कमज़ोर” है या “मज़बूत,” हमें कबूल करना चाहिए कि हम सबमें खूबियाँ और खामियाँ दोनों हैं। प्रेषित पौलुस ने भी यह कबूल किया कि उसमें कुछ कमज़ोरियाँ थीं। (2 कुरिं. 12:9, 10) सच, हम सबको एक-दूसरे की मदद और हौसले की ज़रूरत है।
यीशु की तरह नम्रता और कोमलता दिखाइए
16 हमारे कोमल शब्द। हमारी कोमल भावनाएँ हमें उभारती हैं कि “जो मायूस हैं, उन्हें [हम] अपनी बातों से तसल्ली” दें। (1 थिस्स. 5:14) हम उनका हौसला बढ़ाने के लिए क्या कह सकते हैं? हम उन्हें बता सकते हैं कि हमें उनकी कितनी परवाह है। हम उनकी सच्चे दिल से तारीफ कर सकते हैं और इस तरह उन्हें यह देखने में मदद दे सकते हैं कि उनमें क्या-क्या गुण और खूबियाँ हैं। हम उन्हें याद दिला सकते हैं कि अगर यहोवा ने उन्हें सच्चाई ढूँढ़ने में मदद दी है, तो बेशक वे उसकी नज़र में बहुत अनमोल होंगे। (यूह. 6:44) हम उन्हें इस बात का यकीन दिला सकते हैं कि यहोवा अपने उन सेवकों की बहुत परवाह करता है, जो ‘टूटे मनवाले’ या ‘पिसे हुए’ हैं। (भज. 34:18) हमारे कोमल शब्द उन लोगों को ताज़गी पहुँचा सकते हैं, जिन्हें दिलासे की ज़रूरत है।—नीति. 16:24.
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इंसाइट-1 पेज 863-864
नाजायज़ यौन-संबंध
नाजायज़ यौन-संबंध एक ऐसा अपराध है जिसकी वजह से एक व्यक्ति को मसीही मंडली से बहिष्कृत किया जा सकता है। (1कुर 5:9-13; इब्र 12:15, 16) प्रेषित पौलुस ने कहा कि जो मसीही नाजायज़ यौन-संबंध रखता है, वह अपने शरीर के खिलाफ पाप करता है क्योंकि वह अपने प्रजनक अंगों का गलत इस्तेमाल करता है। इस वजह से परमेश्वर के साथ उसका रिश्ता टूट जाता है, वह परमेश्वर की मंडली को दूषित कर देता है और उसे लैंगिक संबंधों से होनेवाली बीमारियों का खतरा रहता है। (1कुर 6:18, 19) वह अपने मसीही भाई-बहनों का हक भी मारता है (1थि 4:3-7) क्योंकि (1) वह मंडली को अशुद्ध और बदनाम कर देता है (इब्र 12:15, 16), (2) उसने जिसके साथ नाजायज़ यौन-संबंध रखे हैं, उसके शुद्ध चरित्र को खराब करता है। अगर उसने किसी अविवाहित व्यक्ति के साथ संबंध रखे हैं, तो अब वह अविवाहित व्यक्ति भ्रष्ट हो जाता है जिस वजह से वह शादी के बंधन में जुड़ते वक्त शुद्ध नहीं रहता, (3) अपने ही परिवार का नाम खराब करता है साथ ही (4) जिसके साथ उसने संबंध रखे हैं, उसके माता-पिता, जीवन-साथी या मंगेतर के खिलाफ पाप करता है। वह किसी इंसान के नहीं बल्कि परमेश्वर के नियम का उल्लंघन करता है क्योंकि इंसान के कानून में शायद यह गलत न हो लेकिन परमेश्वर की नज़र में यह पाप सज़ा के लायक है।—1थि 4:8.
“तुम्हारे छुटकारे का वक्त पास आ रहा होगा”!
14 जब मागोग का गोग परमेश्वर के लोगों पर हमला करना शुरू करेगा, उसके बाद क्या होगा? बाइबल बताती है कि इंसान का बेटा “स्वर्गदूतों को भेजेगा और पृथ्वी के इस छोर से लेकर आकाश के उस छोर तक चारों दिशाओं से अपने चुने हुओं को इकट्ठा करेगा।” (मर. 13:27; मत्ती 24:31) इस आयत में इकट्ठा करने की जो बात की गयी है, उसका ताल्लुक अभिषिक्त मसीहियों के पहली बार चुने जाने से नहीं है। और न ही इसका ताल्लुक उन अभिषिक्त मसीहियों पर आखिरी मुहर लगने से है जो अब भी धरती पर हैं। (मत्ती 13:37, 38) उन पर आखिरी मुहर महा-संकट शुरू होने से ठीक पहले लग चुकी होगी। (प्रका. 7:1-4) तो फिर यहाँ इकट्ठा किया जाना किस बात को दर्शाता है? यह धरती पर बचे अभिषिक्त मसीहियों के इनाम पाने और उनके स्वर्ग जाने को दर्शाता है। (1 थिस्स. 4:15-17; प्रका. 14:1) यह घटना गोग का हमला शुरू होने के बाद किसी समय होगी। (यहे. 38:11) फिर यीशु की कही यह बात पूरी होगी, “जो परमेश्वर की नज़र में नेक हैं, वे उस वक्त अपने पिता के राज में सूरज की तरह तेज़ चमकेंगे।”—मत्ती 13:43.
15 क्या इसका मतलब अभिषिक्त मसीहियों को इंसानी शरीर में ही धरती से स्वर्ग में उठा लिया जाएगा? ईसाईजगत के बहुत-से लोग मानते हैं कि मसीहियों को इंसानी शरीर में ही स्वर्ग में उठा लिया जाएगा। वे यह भी सोचते हैं कि जब यीशु धरती पर शासन करने आएगा तो वे उसे देख सकेंगे। लेकिन बाइबल साफ-साफ कहती है कि “इंसान के बेटे की निशानी आकाश में दिखायी देगी” और यीशु “आकाश के बादलों पर” आएगा। (मत्ती 24:30) ये दोनों बातें असल में ज़ाहिर करती हैं कि उसका आना अदृश्य होगा। बाइबल यह भी कहती है कि “माँस और लहू परमेश्वर के राज के वारिस नहीं हो सकते।” तो इसका मतलब जिन्हें स्वर्ग में उठा लिया जाएगा उन्हें पहले ‘बदले जाने’ की ज़रूरत है, जो “पल-भर में पलक झपकते ही, आखिरी तुरही फूँके जाने के दौरान” होगा। (1 कुरिंथियों 15:50-53 पढ़िए।) इसलिए हम यह नहीं कह सकते कि उन्हें इंसानी शरीर में स्वर्ग में उठा लिया जाएगा क्योंकि यह झूठी शिक्षा है। लेकिन इतना ज़रूर है कि धरती पर बचे वफादार अभिषिक्त मसीही पल-भर में ही स्वर्ग में इकट्ठा किए जाएँगे।
15-21 जुलाई
पाएँ बाइबल का खज़ाना | 2 थिस्सलुनीकियों 1-3
“पापी सामने आ जाएगा”
इंसाइट-1 पेज 972-973
ईश्वरीय भक्ति
पाप की बुराई एक ऐसा रहस्य है जो परमेश्वर के “पवित्र रहस्य” के बिलकुल खिलाफ है। प्रेषित पौलुस के दिनों में सच्चे मसीहियों के लिए यह एक रहस्य इसलिए था क्योंकि तब तक यह साफ ज़ाहिर नहीं हुआ था कि पौलुस ने जिस “पापी” का ज़िक्र किया वह एक समूह को दर्शाता है। बाद में जब उस पापी की पहचान साफ हो गयी तब भी कई लोगों के लिए यह एक रहस्य था क्योंकि वह पापी ईश्वरीय भक्ति का दिखावा करते हुए उसकी आड़ में बुरे काम करता था। वह सच्ची ईश्वरीय भक्ति करना छोड़कर उसके खिलाफ काम करता था। पौलुस ने बताया कि उसके दिनों में यह बुराई शुरू हो चुकी थी क्योंकि मसीही मंडली पर उसका बुरा असर होने लगा था और आगे चलकर सच्ची उपासना से बगावत करनेवालों का एक समूह उभर आता। लेकिन जब यीशु मसीह अपनी मौजूदगी ज़ाहिर करेगा, तो वह उस पापी को मिटा देगा। यह बागी शैतान के इशारों पर काम करता है। वह “ईश्वर कहलानेवाले हर किसी से और उपासना की जानेवाली हर चीज़ से खुद को ऊँचा उठाता है।“ (यूनानी, सेबासमा) शैतान की तरफ से काम करनेवाला यह बागी परमेश्वर का बहुत बड़ा विरोधी है और धोखेबाज़ है। जो लोग उसके बहकावे में आ जाते हैं उनका विनाश तय है। यह “पापी” अपने दुष्ट कामों में इसलिए कामयाब होता है क्योंकि वह ईश्वरीय भक्ति का ढोंग करते हुए ऐसे काम करता है।—2थि 2:3-12; कृपया मत 7:15, 21-23 से तुलना करें।
इंसाइट-2 पेज 245 पै 7
झूठ
जो लोग झूठी बातें पसंद करते हैं उन्हें परमेश्वर “झूठी शिक्षाओं से बहकने देता है ताकि वे झूठ पर यकीन करें,” न कि यीशु मसीह के बारे में खुशखबरी पर। (2थि 2:9-12) सदियों पहले इसराएली राजा अहाब के साथ कुछ ऐसा ही हुआ था। झूठे भविष्यवक्ताओं ने उसे कायल कर दिया कि वह रामोत-गिलाद को हरा देगा जबकि यहोवा के भविष्यवक्ता मीकायाह ने कहा था कि अगर वह युद्ध में जाएगा, तो उसके साथ बुरा होगा। जैसे मीकायाह ने दर्शन में देखा यहोवा की इजाज़त से एक स्वर्गदूत ने अहाब के भविष्यवक्ताओं के मुँह से “झूठ बुलवाया।” इसका मतलब यह है कि उस स्वर्गदूत ने भविष्यवक्ताओं पर ऐसा असर किया कि उन्होंने अहाब को सच बताने के बजाय वही बात बतायी जो वे बताना चाहते थे और जो अहाब सुनना चाहता था। हालाँकि अहाब को बताया गया था कि वह उन भविष्यवक्ताओं की झूठी बातों पर यकीन न करे, फिर भी उसने यकीन किया, इसलिए वह अपनी जान से हाथ धो बैठा।—1रा 22:1-38; 2इत 18.
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इंसाइट-1 पेज 834 पै 5
आग
पतरस ने लिखा कि “आज के आकाश और पृथ्वी को आग से भस्म करने के लिए रखा गया है।” पतरस की चिट्ठी से और दूसरी आयतों से पता चलता है कि वह सचमुच की आग की बात नहीं कर रहा था बल्कि हमेशा के लिए होनेवाले नाश की बात कर रहा था। नूह के दिनों में आए जलप्रलय से सचमुच के आकाश और धरती का नाश नहीं हुआ था बल्कि सिर्फ बुरे लोगों का नाश हुआ था। उसी तरह जब यीशु मसीह अपने शक्तिशाली दूतों के साथ धधकती आग में प्रकट होगा तब सिर्फ बुरे लोगों का और इस दुष्ट व्यवस्था का नाश होगा जिसका वे हिस्सा हैं।—2 पत 3:5-7, 10-13; 2 थि 1:6-10; कृपया यश 66:15, 16, 22, 24 से तुलना करें।
इंसाइट-1 पेज 1206 पै 4
प्रेरणा
प्रेरणा से कही गयीं बातें—सच्ची और झूठी। प्रेषितों की लिखी कुछ किताबों में यूनानी शब्द नफ्मा का एक खास तरीके से इस्तेमाल हुआ है। मिसाल के लिए, 2 थिस्सलुनीकियों 2:2 में पौलुस ने थिस्सलुनीके के भाइयों से बिनती की कि “अगर कोई कहे कि यहोवा का दिन आ गया है” तो वे उतावली में आकर अपनी समझ-बूझ न खो बैठें न ही घबरा जाएँ “फिर चाहे कोई दावा करे कि यह बात ईश्वर-प्रेरणा से पता चली है, चाहे यह कोई ज़बानी संदेश हो या ऐसी चिट्ठी में लिखी बात हो जो हमारी तरफ से लगे।” इस आयत से साफ पता चलता है कि पौलुस ने नफ्मा शब्द का इस्तेमाल “ज़बानी संदेश” या “चिट्ठी” के ज़रिए दिए गए संदेश के लिए किया। इसीलिए 2 थिस्सलुनीकियों 2:2 के बारे में पवित्र शास्त्र पर टिप्पणी नाम की किताब कहती है कि “प्रेषित पौलुस ऐसे संदेश की बात कर रहा था जो सुनने में ईश्वर प्रेरित संदेश लगता है, झूठा है या भविष्यवक्ताओं का वचन लगता है मगर असल में नहीं है।” नए नियम के शब्दों का अध्ययन (अँग्रेज़ी) किताब में एम. आर. विन्सेंट ने शब्द नफ्मा के बारे में लिखा, “मसीही सभाओं में कुछ लोग भविष्यवाणियाँ करते थे और दावा करते थे कि ईश्वर ने उन पर ये बातें प्रकट की हैं।” इसलिए हालाँकि कुछ बाइबलों में 2 थिस्सलुनीकियों 2:2 और इस तरह की कुछ आयतों में नफ्मा का अनुवाद “आत्मा” (अ न्यू हिंदी ट्रांस्लेशन) किया गया है, मगर कुछ बाइबलों में इसका अनुवाद “आत्मिक प्रकाशन” (हिंदी—कॉमन लैंग्वेज) या “भविष्यवाणी” (वाल्द-बुल्के अनुवाद) किया गया है।
22-28 जुलाई
पाएँ बाइबल का खज़ाना | 1 तीमुथियुस 1-3
“बढ़िया काम करने के लिए आगे बढ़िए“
आपको सच्चाई में तरक्की क्यों करते रहना चाहिए?
3 पहला तीमुथियुस 3:1 पढ़िए। प्रेषित पौलुस ने उन भाइयों की तारीफ की जो निगरान बनने की ‘कोशिश में आगे बढ़’ रहे थे। अगर हमें कोई ऐसी चीज़ चाहिए जो हमारी पहुँच से बाहर है, तो हमें उसे पाने के लिए अपना हाथ आगे बढ़ाना होगा और मेहनत करनी होगी। कल्पना कीजिए कि एक भाई मंडली में सहायक सेवक बनने के बारे में सोच रहा है। उसे एहसास होता है कि उसे अपने अंदर मसीह के जैसे गुण बढ़ाने चाहिए। सहायक सेवक बनने के बाद वह मेहनत करना जारी रखता है ताकि वह आगे चलकर एक निगरान बन सके।
राज-सेवा 9/78 पेज 4 पै 7, अँग्रेज़ी
‘जो अच्छा नाम कमाते हैं’
7 पौलुस ने ऐसे भाइयों की बात की जो “अच्छी तरह सेवा करते हैं” और “अच्छा नाम कमाते हैं।” कुछ लोगों का कहना है कि वह उन लोगों की बात कर रहा था जो अच्छी तरक्की करके चर्च में ऊँचा ओहदा पाते हैं। लेकिन यह सही नहीं है। दरअसल वह सहायक सेवकों की बात कर रहा था जो “अच्छी तरह सेवा करते हैं।” ऐसे भाई यकीन रख सकते हैं कि उन्हें यहोवा और यीशु से आशीष मिलेगी। मंडली के भाई-बहन उनका आदर करते हैं और उन्हें सहयोग देते हैं। इसलिए इन भाइयों के बारे में बताया गया है कि ‘वे उस विश्वास के बारे में जो मसीह यीशु में है, बेझिझक बोलने की हिम्मत पाते हैं।’ वे अपनी ज़िम्मेदारी अच्छी तरह निभाते हैं, इसलिए दूसरे लोग उनका आदर करते हैं। उनका विश्वास बहुत मज़बूत होता है और वे बेझिझक अपने विश्वास के बारे में बात कर पाते हैं, क्योंकि उन्हें इस बात का डर नहीं रहता कि कोई उन पर उँगली उठाएगा।
ढूँढ़ें अनमोल रत्न
इंसाइट-1 पेज 914-915
वंशावली
वंशावलियों के बारे में अध्ययन करना और चर्चा करना व्यर्थ था। खासकर उस ज़माने में यह बिलकुल बेमाने था जब पौलुस ने तीमुथियुस को चिट्ठी लिखी थी। एक व्यक्ति किस खानदान से आया है, यह साबित करने के लिए वंशावलियों का रेकॉर्ड रखना बेकार था, क्योंकि अब परमेश्वर की नज़र में मसीही मंडली में यहूदियों और गैर-यहूदियों में कोई फर्क नहीं रहा। (गल 3:28) इसके अलावा वंशावलियों से यह साबित हो चुका था कि मसीह दाविद के वंश से था। यही नहीं, जब पौलुस ने तीमुथियुस को लिखी चिट्ठी में सलाह दी, तो कुछ ही समय बाद यरूशलेम का नाश होनेवाला था। उस वक्त परमेश्वर ने यहूदियों की वंशावलियों के दस्तावेज़ों को नाश से नहीं बचाया था। पौलुस को फिक्र थी कि तीमुथियुस और दूसरे भाई-बहन अपनी वंशावलियों की खोजबीन करने और उस बारे में बहस करने में वक्त ज़ाया न करें, क्योंकि अपना विश्वास मज़बूत करने के लिए ऐसी बातें ज़रूरी नहीं थीं। बाइबल में मसीहा की वंशावली साबित करने के लिए जो लिखा था, वह काफी था और मसीहियों के लिए वही जानकारी ज़रूरी थी। जहाँ तक बाइबल में दर्ज़ दूसरी वंशावलियों की बात है, उनसे सबूत मिलता है कि शास्त्र में जो लिखा है वह सच्चा इतिहास है।
“देखो, हमारा परमेश्वर यही है”
15 “सनातन राजा” एक और उपाधि है जो सिर्फ यहोवा के लिए इस्तेमाल होती है। (1 तीमुथियुस 1:17; प्रकाशितवाक्य 15:3) इसका मतलब क्या है? अपनी सीमाओं की वजह से हमारे दिमाग के लिए यह बात समझना मुश्किल है। मगर सच्चाई यह है कि यहोवा सनातन है, यानी भूतकाल और भविष्यकाल दोनों ही दिशाओं में वह युग-युग से है और युग-युग तक रहेगा। भजन 90:2 कहता है: “अनादिकाल से अनन्तकाल तक तू ही ईश्वर है।” इसलिए यहोवा की कोई शुरूआत नहीं है; वह हमेशा ही वजूद में रहा है। तभी उसे “अति प्राचीन” कहा गया है और यह सही भी है। इस दुनिया में किसी भी चीज़ या किसी भी शख्स के पैदा होने से बहुत पहले से वह अस्तित्त्व में है! (दानिय्येल 7:9, 13, 22) तो फिर, कौन है जो यहोवा के महाराजाधिराज होने के हक पर सवाल उठाने की जुर्रत कर सकता है?
29 जुलाई–4 अगस्त
पाएँ बाइबल का खज़ाना | 1 तीमुथियुस 4-6
“परमेश्वर की भक्ति या धन-दौलत“
संतोष पाने का राज़ जानना
पौलुस की खुशी का राज़ था, उसकी संतोष की भावना। लेकिन संतोष की भावना का अर्थ क्या है? साधारण शब्दों में कहा जाए तो इसका मतलब है, बुनियादी चीज़ों में खुश रहना। इसके बारे में पौलुस ने अपने प्रचार के साथी, तीमुथियुस से कहा: “पर सन्तोष सहित भक्ति बड़ी कमाई है। क्योंकि न हम जगत में कुछ लाए हैं और न कुछ ले जा सकते हैं। और यदि हमारे पास खाने और पहिनने को हो, तो इन्हीं पर सन्तोष करना चाहिए।”—1 तीमुथियुस 6:6-8.
ध्यान दीजिए कि पौलुस ने संतोष को ईश्वरीय भक्ति से जोड़ा। उसने पहचाना कि सच्ची खुशी ईश्वरीय भक्ति से मिलती है। इसका मतलब है, हमें भौतिक चीज़ों या धन-दौलत के बजाय परमेश्वर की सेवा को पहला स्थान देना चाहिए। पौलुस के पास सिर्फ “खाने और पहिनने” की बुनियादी चीज़ें थीं जिससे वह अपना लक्ष्य हासिल कर सका यानी परमेश्वर की भक्ति करता रह सका। इसलिए पौलुस के लिए संतोष पाने का राज़ था, चाहे परिस्थिति कैसी भी क्यों न हो यहोवा पर भरोसा रखना।
सज 6/07 पेज 6 पै 2, अँग्रेज़ी
हर हाल में अमीर बनने की चाहत होने से क्या हो सकता है?
यह सच है कि धन-दौलत के पीछे भागने से ज़्यादातर लोगों की मौत नहीं होती। फिर भी जो लोग ऐसा करते हैं उनकी ज़िंदगी इसी भाग-दौड़ में बीत जाती है। उनकी खुशी छिन जाती है क्योंकि काम की जगह तनाव रहता है या पैसे को लेकर होनेवाली चिंताओं की वजह से अचानक घबराहट होने लगती है, नींद नहीं आती, हमेशा सिरदर्द रहता है या अल्सर हो जाता है। इन बीमारियों की वजह से उनकी वक्त से पहले मौत भी हो जाती है। जब तक एक इंसान को होश आता है कि उसे ज़िंदगी में दूसरी बातों को अहमियत देनी है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। वह अपने साथी का भरोसा खो बैठता है, बच्चों को उससे लगाव नहीं रहता और उसकी सेहत भी खराब रहती है। हालाँकि इनमें से कुछ समस्याओं को सुलझाया जा सकता है, लेकिन इसमें बहुत मेहनत लगती है। ऐसे लोग ‘खुद को कई दुख-तकलीफों से छलनी कर लेते हैं।’—1 तीमुथियुस 6:10.
सच्ची कामयाबी पाने के छः गुर
जैसा कि हमने पहले लेख में देखा, कई लोग सोचते हैं कि खूब सारा पैसा होना ही कामयाबी की निशानी है, मगर असल में धन-दौलत एक धोखा है। इसके पीछे भागने से लोगों को कामयाबी के बजाय नाकामी हाथ लगती है और उन्हें दुख के आँसू बहाने पड़ते हैं। मिसाल के लिए, लोग अकसर धन के देवता की वेदी पर अपने सारे रिश्ते और दोस्ती को बलि चढ़ा देते हैं। दूसरे ऐसे हैं, जिनका काम या चिंता की वजह से रातों की नींद उड़ जाती है। बाइबल की एक किताब, सभोपदेशक 5:12 कहता है: “परिश्रम करनेवाला चाहे थोड़ा खाए, या बहुत, तौभी उसकी नींद सुखदाई होती है; परन्तु धनी के धन के बढ़ने के कारण उसको नींद नहीं आती।”
सिर्फ एक बेरहम मालिक ही नहीं, बल्कि बड़ा धोखेबाज़ भी होता है। यीशु मसीह ने भी ‘धन के धोखे’ की बात कही थी। (मरकुस 4:19) यानी, हमें लगता है कि धन से हमें खुशी मिलेगी, लेकिन ऐसा होता नहीं। उलटा वह पैसे की भूख बढ़ाता है। सभोपदेशक 5:10 (NHT) कहता है: “जो रुपये-पैसे से प्रेम करता है वह रुपये-पैसे से संतुष्ट नहीं होगा।”
चंद शब्दों में कहें तो पैसे का लोभ करना अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारना है। इससे निराशा और नाकामी के सिवा कुछ नहीं मिलता। यहाँ तक कि एक इंसान जुर्म की अंधी गली में भी जा सकता है। (नीतिवचन 28:20) लेकिन सच्ची कामयाबी और खुशी का दारोमदार प्यार, दरियादिली, दूसरों को माफ करने के रवैए, शुद्ध चरित्र और परमेश्वर के साथ एक अच्छे रिश्ते पर है।
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परमेश्वर की नज़र में साफ ज़मीर
17 प्रेषित पतरस ने लिखा, “अपना ज़मीर साफ बनाए रखो।” (1 पतरस 3:16) दुख की बात है कि जब कोई बार-बार परमेश्वर के सिद्धांतों के खिलाफ काम करता है, तो कुछ समय बाद उसका ज़मीर उसे बताना छोड़ देता है कि वह जो कर रहा है, वह गलत है। पौलुस ने कहा कि ऐसे लोगों का “ज़मीर सुन्न हो गया है मानो गरम लोहे से दागा गया हो।” (1 तीमुथियुस 4:2) अगर किसी के शरीर का कोई हिस्सा बुरी तरह जल जाए, तो कुछ समय बाद वहाँ दाग पड़ जाता है और वह हिस्सा सुन्न हो जाता है। उसी तरह जब एक इंसान गलत काम करता रहता है, तो उसका ज़मीर भी “सुन्न” हो जाता है और काम करना बंद कर देता है।
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लोगों के सामने पढ़कर सुनाना
मसीही मंडली में। पहली सदी में बहुत कम लोगों के पास बाइबल के खर्रे हुआ करते थे। इसलिए लोगों के सामने खर्रे पढ़कर सुनाना ज़रूरी होता था। प्रेषित पौलुस ने कहा कि उसने मंडलियों को जो चिट्ठियाँ लिखी थीं, उन्हें सभाओं में सबके सामने पढ़कर सुनाया जाए। उसने यह भी कहा कि एक मंडली को जो चिट्ठी भेजी जाती है, उसे वे दूसरी मंडलियों को भी दें ताकि वे भी उसे पढ़ सकें। (कुल 4:16; 1थि 5:27) पौलुस ने मसीही निगरान तीमुथियुस को सलाह दी कि वह ‘लोगों के सामने पढ़कर सुनाने, उन्हें बढ़ावा देने और सिखाने में जी-जान से लगा रहे।’—1ती 4:13.
जब एक व्यक्ति लोगों के सामने कुछ पढ़कर सुनाता है, तो उसे अच्छी तरह पढ़ना चाहिए। (हब 2:2) उसे इस तरह पढ़ना चाहिए कि लोग कुछ सीख सकें, इसलिए उसे अच्छी तरह पता होना चाहिए कि वह क्या पढ़ रहा है और वे बातें किस मकसद से लिखी गयी हैं। उसे ध्यान से पढ़ना चाहिए ताकि लोग गलत मतलब न समझ बैठें। प्रकाशितवाक्य 1:3 के मुताबिक जो लोग प्रकाशितवाक्य किताब में दर्ज़ भविष्यवाणियाँ पढ़कर सुनाते हैं, साथ ही जो इन्हें सुनते और इनके मुताबिक चलते हैं, वे सुखी होते हैं।