ईशतन्त्र में रखवाले और भेड़ें
“यहोवा हमारा न्यायी, यहोवा हमारा हाकिम, यहोवा हमारा राजा है; वही हमारा उद्धार करेगा।”—यशायाह ३३:२२.
१. यह कैसे कहा जा सकता है कि पहली-शताब्दी के मसीही और आज के मसीही एक ईशतन्त्र हैं?
ईशतन्त्र का अर्थ है परमेश्वर द्वारा शासन। इसमें यहोवा के अधिकार को स्वीकार करना और हम अपने जीवन में जो बड़े और छोटे निर्णय लेते हैं उन सभी में उसके मार्गदर्शन और निर्देशनों का अनुकरण करना सम्मिलित है। पहली-शताब्दी की कलीसिया एक असली ईशतन्त्र थी। तब मसीही ईमानदारी से कह सकते थे: “यहोवा हमारा न्यायी, यहोवा हमारा हाकिम, यहोवा हमारा राजा है।” (यशायाह ३३:२२) आज यहोवा परमेश्वर का संगठन, जिसमें अभिषिक्त शेष जन केंद्र के रूप में हैं, उसी प्रकार एक वास्तविक ईशतन्त्र है।
किन तरीक़ों से आज हम ईश्वरशासित हैं?
२. यहोवा के गवाह किस एक तरीक़े से यहोवा के शासन के प्रति अधीनता दिखाते हैं?
२ हम कैसे कह सकते हैं कि यहोवा का पार्थिव संगठन एक ईशतन्त्र है? क्योंकि जो उसका भाग हैं वे सचमुच यहोवा के शासन के प्रति अधीनता दिखाते हैं। और वे यीशु मसीह के नेतृत्व में चलते हैं, जिसे यहोवा ने राजा के रूप में सिंहासन पर बैठाया है। उदाहरण के लिए, अन्त के समय में, महान् ईशतन्त्र शासक की ओर से यह सीधी आज्ञा यीशु को बताई गई है: “अपना हंसुआ लगाकर लवनी कर, क्योंकि लवने का समय आ पहुंचा है, इसलिये कि पृथ्वी की खेती पक चुकी है।” (प्रकाशितवाक्य १४:१५) यीशु आज्ञा मानता है और पृथ्वी की कटनी शुरू करता है। मसीही उत्साहपूर्वक सुसमाचार प्रचार करने और शिष्य बनाने के द्वारा इस महान् कार्य में अपने राजा को समर्थन देते हैं। (मत्ती २८:१९; मरकुस १३:१०; प्रेरितों १:८) ऐसा करने से, वे महान् ईशतन्त्र शासक, यहोवा के सहकर्मी भी हैं।—१ कुरिन्थियों ३:९.
३. नैतिकता के मामलों में मसीही कैसे ईशतन्त्र के प्रति अधीनता दिखाते हैं?
३ आचरण में भी, मसीही लोग परमेश्वर के शासन के प्रति अधीनता दिखाते हैं। यीशु ने कहा: “जो सच्चाई पर चलता है, वह ज्योति के निकट आता है, ताकि उसके काम प्रगट हों, कि वह परमेश्वर की ओर से किए गए हैं।” (यूहन्ना ३:२१) आज, नैतिक स्तरों को लेकर अन्तहीन वाद-विवाद हैं, लेकिन मसीहियों के बीच इन झगड़ों की कोई जगह नहीं है। जिस काम को यहोवा अनैतिक कहता है उसे वे अनैतिक समझते हैं और वे अनैतिकता से ऐसे दूर रहते हैं मानो वह महामारी है! वे अपने परिवारों की भी देखरेख करते हैं, अपने माता-पिता की आज्ञा मानते हैं, और प्रधान अधिकारियों की अधीनता में रहते हैं। (इफिसियों ५:३-५, २२-३३; ६:१-४; १ तीमुथियुस ५:८; तीतुस ३:१) अतः, परमेश्वर के सामंजस्य में, वे ईश्वरशासित रूप से कार्य करते हैं।
४. आदम और हव्वा तथा शाऊल ने क्या ग़लत मनोवृत्तियाँ दिखाईं, और कैसे मसीही एक भिन्न मनोवृत्ति दिखाते हैं?
४ आदम और हव्वा ने परादीस खो दिया क्योंकि वे भले और बुरे के बारे में अपने निर्णय स्वयं करना चाहते थे। यीशु उसका ठीक विपरीत चाहता था। उसने कहा: “मैं अपनी इच्छा नहीं, परन्तु अपने भेजनेवाले की इच्छा चाहता हूं।” मसीही भी ऐसा ही चाहते हैं। (यूहन्ना ५:३०; लूका २२:४२; रोमियों १२:२; इब्रानियों १०:७) इस्राएल के पहले राजा, शाऊल ने यहोवा की आज्ञा मानी—लेकिन केवल अंशतः। इस कारण उसे अस्वीकार किया गया। शमूएल से उससे कहा: “मानना तो बलि चढ़ाने से, और कान लगाना मेढ़ों की चर्बी से उत्तम है।” (१ शमूएल १५:२२) क्या यह ईश्वरशासित है कि कुछ हद तक यहोवा की इच्छा पर चलें, शायद प्रचार कार्य या सभा उपस्थिति में नियमित होने के द्वारा, और फिर नैतिकता के मामलों में या किसी दूसरी बात में समझौता कर लें? निश्चय ही नहीं! हम पूरे ‘मन से परमेश्वर की इच्छा पर चलने’ की कोशिश करते हैं। (इफिसियों ६:६; १ पतरस ४:१, २) शाऊल से विपरीत, हम परमेश्वर के शासन के प्रति पूर्ण अधीनता दिखाते हैं।
एक आधुनिक ईशतन्त्र
५, ६. यहोवा आज मानवजाति के साथ कैसे व्यवहार करता है, और इस प्रबन्ध को सहयोग देने से क्या परिणित होता है?
५ बीते समय में, यहोवा व्यक्तियों, जैसे कि भविष्यवक्ताओं, राजाओं और प्रेरितों के द्वारा शासन करता था और सत्य प्रकट करता था। आज, बात वैसी नहीं है; अब कोई उत्प्रेरित भविष्यवक्ता और प्रेरित नहीं हैं। उसके बजाय, यीशु ने कहा कि उसकी शाही उपस्थिति के दौरान, वह अनुयायियों के एक विश्वासयोग्य निकाय, एक “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास” की पहचान कराएगा, और उसे अपनी सारी सम्पत्ति पर नियुक्त करेगा। (मत्ती २४:४५-४७; यशायाह ४३:१०) वर्ष १९१९ में वह दास अभिषिक्त मसीहियों के शेष जनों के रूप में पहचाना गया। तब से, जैसा कि यहोवा के गवाहों के शासी निकाय द्वारा उसका प्रतिनिधित्व होता है, वह पृथ्वी पर ईशतन्त्र का केंद्र रहा है। संसार भर में, शासी निकाय का प्रतिनिधित्व शाखा कमेटियों, सफ़री ओवरसियरों, और कलीसिया प्राचीनों द्वारा होता है।
६ ईश्वरशासित संगठन के साथ सहयोग ईशतन्त्र के प्रति अधीनता दिखाने का एक अनिवार्य भाग है। ऐसे सहयोग से संसार भर में “भाइयों के सम्पूर्ण संघ” में एकता और व्यवस्था बढ़ती है। (१ पतरस २:१७, NW) क्रमश:, इससे यहोवा प्रसन्न होता है, जो “गड़बड़ी का नहीं, परन्तु शान्ति का कर्त्ता [परमेश्वर, NW] है।”—१ कुरिन्थियों १४:३३.
ईशतन्त्र में प्राचीन
७. यह क्यों कहा जा सकता है कि मसीही प्राचीन ईश्वरशासित रूप से नियुक्त किए जाते हैं?
७ सभी नियुक्त प्राचीन, चाहे उनके अधिकार का पद कुछ भी हो, ओवरसियर, या प्राचीन के पद के लिए बाइबल में दी गई योग्यताओं को पूरा करते हैं। (१ तीमुथियुस ३:१-७; तीतुस १:५-९) इसके अतिरिक्त, इफिसियों के प्राचीनों को कहे पौलुस के शब्द सभी प्राचीनों पर लागू होते हैं: “अपनी और पूरे झुंड की चौकसी करो; जिस में पवित्र आत्मा ने तुम्हें अध्यक्ष ठहराया है; कि तुम परमेश्वर की कलीसिया की रखवाली करो।” (प्रेरितों २०:२८) जी हाँ, प्राचीन पवित्र आत्मा द्वारा नियुक्त किए जाते हैं, जो यहोवा परमेश्वर की ओर से आती है। (यूहन्ना १४:२६) उनकी नियुक्ति ईश्वरशासित है। इसके अतिरिक्त, वे परमेश्वर के झुंड की रखवाली करते हैं। झुंड यहोवा का है, न कि प्राचीनों का। परमेश्वर का संगठन एक ईशतन्त्र है।
८. आज प्राचीनों की सामान्य ज़िम्मेदारियाँ क्या हैं?
८ इफिसियों को लिखी अपनी पत्री में प्रेरित पौलुस ने प्राचीनों की सामान्य ज़िम्मेदारियों को यह कहते हुए बताया: “उस ने कितनों को प्रेरित नियुक्त करके, और कितनों को भविष्यद्वक्ता नियुक्त करके, और कितनों को सुसमाचार सुनानेवाले नियुक्त करके, और कितनों को रखवाले और उपदेशक नियुक्त करके दे दिया। जिस से पवित्र लोग सिद्ध हो जाएं, और सेवा का काम किया जाए, और मसीह की देह उन्नति पाए।” (इफिसियों ४:११, १२) “मसीह की देह” के बालकपन के बाद कोई प्रेरित और भविष्यवक्ता नहीं थे। (१ कुरिन्थियों १३:८ से तुलना कीजिए.) लेकिन प्राचीन अभी भी सुसमाचार सुनाने, रखवाली करने, और सिखाने में बहुत व्यस्त हैं।—२ तीमुथियुस ४:२; तीतुस १:९.
९. कलीसिया में परमेश्वर की इच्छा समझाने के लिए प्राचीनों को अपने आपको कैसे तैयार करना चाहिए?
९ क्योंकि ईशतन्त्र परमेश्वर का शासन है, प्रभावकारी प्राचीन परमेश्वर की इच्छा से पूर्णतया परिचित हैं। यहोशू को आज्ञा दी गई थी कि प्रतिदिन व्यवस्था पढ़े। प्राचीनों को भी नियमित रूप से शास्त्रवचनों का अध्ययन करने और उनसे परामर्श लेने की ज़रूरत है। और उन्हें विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास द्वारा प्रकाशित बाइबल साहित्य से पूर्णतया परिचित होने की ज़रूरत है। (२ तीमुथियुस ३:१४, १५) इसमें सम्मिलित हैं प्रहरीदुर्ग और अवेक! पत्रिकाएँ और अन्य प्रकाशन जो दिखाते हैं कि किस प्रकार बाइबल सिद्धान्त ख़ास स्थितियों में लागू होते हैं।a लेकिन, जबकि एक प्राचीन के लिए वॉच टावर संस्था के साहित्य में प्रकाशित मार्गदर्शन को जानना और उस पर चलना महत्त्वपूर्ण है, उसे उन शास्त्रीय सिद्धान्तों से भी पूर्णतया परिचित होना चाहिए जो मार्गदर्शन का आधार हैं। तब वह समझ और करुणा के साथ शास्त्रीय मार्गदर्शन को लागू करने की स्थिति में होगा।—मीका ६:८ से तुलना कीजिए.
मसीही आत्मा के साथ सेवा करना
१०. प्राचीनों को किस बुरी मनोवृत्ति से बचकर रहना चाहिए, और कैसे?
१० वर्ष सा.यु. ५५ में, प्रेरित पौलुस ने कुरिन्थुस में कलीसिया को अपनी पहली पत्री लिखी। एक समस्या जिसे उसने निपटाया वह इससे सम्बन्धित थी कि कुछ लोग कलीसिया में प्रमुख होना चाहते थे। पौलुस ने लिखा: “तुम तो तृप्त ही चुके; तुम धनी हो चुके, तुम ने हमारे बिना राज्य किया; परन्तु भला होता कि तुम राज्य करते कि हम भी तुम्हारे साथ राज्य करते।” (१ कुरिन्थियों ४:८) सामान्य युग पहली शताब्दी में, सभी मसीहियों को यीशु के साथ राजाओं और याजकों के रूप में राज्य करने की आशा थी। (प्रकाशितवाक्य २०:४, ६) लेकिन, स्पष्टतया, कुछ लोग यह भूल गए कि पृथ्वी पर मसीही ईशतन्त्र में कोई राजा नहीं हैं। इस संसार के राजाओं के समान व्यवहार करने के बजाय, मसीही रखवाले नम्रता विकसित करते हैं, एक ऐसा गुण जो यहोवा को प्रसन्न करता है।—भजन १३८:६; लूका २२:२५-२७.
११. (क) नम्रता के कुछ उल्लेखनीय उदाहरण क्या हैं? (ख) प्राचीनों को और सभी अन्य मसीहियों को अपने बारे में क्या दृष्टिकोण रखना चाहिए?
११ क्या नम्रता एक कमज़ोरी है? बिलकुल नहीं! स्वयं यहोवा का वर्णन नम्र व्यक्ति के रूप में किया गया है। (भजन १८:३५) इस्राएल के राजाओं ने यहोवा के अधीन युद्धों में सेनाओं का नेतृत्व किया और राष्ट्र पर शासन किया। फिर भी, हरेक को ध्यान रखना था कि “वह अपने मन में घमण्ड करके अपने भाइयों को तुच्छ न जाने।” (व्यवस्थाविवरण १७:२०) पुनरुत्थित यीशु एक स्वर्गीय राजा है। लेकिन, जब वह पृथ्वी पर था, तब उसने अपने शिष्यों के पाँव धोए। कितनी नम्रता! और यह दिखाते हुए कि वह चाहता था कि उसके प्रेरित भी वैसे ही नम्र हों, उसने कहा: “यदि मैं ने प्रभु और गुरु होकर तुम्हारे पांव धोए; तो तुम्हें भी एक दूसरे के पांव धोना चाहिए।” (यूहन्ना १३:१४; फिलिप्पियों २:५-८) सारी महिमा और स्तुति यहोवा को जानी चाहिए, किसी मनुष्य को नहीं। (प्रकाशितवाक्य ४:११) चाहे वे प्राचीन हैं या नहीं, सभी मसीहियों को अपने आपको यीशु के शब्दों के प्रकाश में देखना चाहिए: “हम निकम्मे दास हैं; कि जो हमें करना चाहिए था वही किया है।” (लूका १७:१०) कोई और दृष्टिकोण ग़ैर-ईश्वरशासित है।
१२. प्रेम विकसित करना मसीही प्राचीनों के लिए एक अत्यावश्यक गुण क्यों है?
१२ नम्रता के साथ-साथ, मसीही प्राचीन प्रेम विकसित करते हैं। प्रेरित यूहन्ना ने प्रेम का महत्त्व दिखाया जब उसने कहा: “जो प्रेम नहीं रखता, वह परमेश्वर को नहीं जानता, क्योंकि परमेश्वर प्रेम है।” (१ यूहन्ना ४:८) प्रेमरहित लोग ईश्वरशासित नहीं होते। वे यहोवा को नहीं जानते। परमेश्वर के पुत्र के बारे में बाइबल कहती है: “अपने लोगों से, जो जगत में थे, जैसा प्रेम [यीशु] रखता था, अन्त तक वैसा ही प्रेम रखता रहा।” (यूहन्ना १३:१) उन ग्यारह पुरुषों से बात करते हुए जो मसीही कलीसिया में शासी निकाय का भाग होंगे, यीशु ने कहा: “मेरी आज्ञा यह है, कि जैसा मैं ने तुम से प्रेम रखा, वैसा ही तुम भी एक दूसरे से प्रेम रखो।” (यूहन्ना १५:१२) प्रेम सच्ची मसीहियत का पहचान चिह्न है। यह मन के मारे हुए, शोकित, और स्वतंत्रता के लिए तरसते हुए आध्यात्मिक बन्धुओं को आकर्षित करता है। (यशायाह ६१:१, २; यूहन्ना १३:३५) प्राचीनों को प्रेम दिखाने में अनुकरणीय होना चाहिए।
१३. हाँलाकि आज समस्याएँ कठिन हो सकती हैं, किस प्रकार एक प्राचीन सभी परिस्थितियों में एक लाभदायक प्रभाव हो सकता है?
१३ आज, जटिल समस्याओं से निपटने के लिए अकसर प्राचीनों से मदद माँगी जाती है। वैवाहिक परेशानियाँ गहरी और चिरस्थायी हो सकती हैं। युवाओं की समस्याएँ होती हैं जिनको समझने में शायद बड़ों को कठिनाई हो। भावात्मक बीमारियों को समझना अकसर कठिन होता है। ऐसी बातों को संभालने के लिए एक प्राचीन शायद अनिश्चित हो। लेकिन वह विश्वस्त हो सकता है कि यदि वह प्रार्थनापूर्वक यहोवा की बुद्धि पर निर्भर करता है, यदि वह बाइबल में और विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास द्वारा प्रकाशित जानकारी में अनुसंधान करता है, और यदि वह भेड़ के साथ नम्रता और प्रेम से व्यवहार करता है, तो अति कठिन परिस्थिति में भी वह एक लाभदायक प्रभाव होगा।
१४, १५. कुछ अभिव्यक्तियाँ क्या हैं जो दिखाती हैं कि यहोवा ने अपने लोगों को अनेक उत्तम प्राचीनों की आशिष दी है?
१४ यहोवा ने अपने संगठन को “मनुष्यों [में] भेंट” देकर प्रचुर मात्रा में आशिष दी है। (इफिसियों ४:८, NW) समय-समय पर, वॉच टावर संस्था को आनन्ददायक पत्र मिलते हैं जो उन नम्र प्राचीनों द्वारा दिखाए प्रेम का प्रमाण देते हैं, जो करुणा के साथ परमेश्वर की भेड़ों की रखवाली करते हैं। उदाहरण के लिए, एक कलीसिया प्राचीन लिखता है: “मुझे ऐसी कोई सर्किट ओवरसियर की भेंट नहीं याद जिसने मुझ पर इससे ज़्यादा प्रभाव डाला हो या जिस पर कलीसिया में लोग अभी भी टिप्पणी कर रहे हों। सर्किट ओवरसियर ने मुझे भाइयों के साथ व्यवहार करते समय एक सकारात्मक मनोवृत्ति के महत्त्व को देखने की मदद की, और सराहना पर ज़ोर दिया।”
१५ एक बहन जिसे इलाज के लिए दूर के एक अस्पताल जाना पड़ा, लिखती है: “घर से इतनी दूर अस्पताल में उस पहली चिंता-भरी रात को एक प्राचीन से मिल पाना कितना प्रोत्साहक था! उसने और दूसरे भाइयों ने मेरे साथ काफ़ी समय बिताया। यहाँ तक कि संसार के लोगों ने भी, जो इस बात से परिचित थे कि मुझ पर क्या बीत रही थी, यह महसूस किया कि मैं उन प्रेममय और समर्पित भाइयों की सांत्वना, देखरेख, और प्रार्थनाओं के बिना किसी हालत नहीं बच सकती थी।” एक और बहन लिखती है: “मैं आज जीवित हूँ इसलिए कि प्राचीनों के निकाय ने मुझे गहरी हताशा के विरुद्ध मेरे संघर्ष में धीरज से मार्गदर्शन दिया। . . . एक भाई और उसकी पत्नी को नहीं मालूम था कि मुझ से क्या कहें। . . . लेकिन जो बात मेरे हृदय को छू गई वह यह थी कि हालाँकि उन्हें पूरी तरह नहीं मालूम था कि मुझ पर क्या बीत रही थी, उन्होंने प्रेम से मेरी परवाह की।”
१६. पतरस प्राचीनों को क्या सलाह देता है?
१६ जी हाँ, अनेक प्राचीन प्रेरित पतरस की सलाह पर अमल कर रहे हैं: “परमेश्वर के उस झुंड की, जो तुम्हारे बीच में हैं रखवाली करो; और यह दबाव से नहीं, परन्तु परमेश्वर की इच्छा के अनुसार आनन्द सें, और नीच-कमाई के लिये नहीं, पर मन लगा कर। और जो लोग तुम्हें सौंपे गए हैं, उन पर अधिकार न जताओ, बरन झुंड के लिए आदर्श बनो।” (१ पतरस ५:१-३) ऐसे ईश्वरशासित प्राचीन क्या ही आशिष हैं!
ईशतन्त्र में भेड़ें
१७. कुछ गुणों के नाम बताइए जिन्हें कलीसिया के सभी सदस्यों को विकसित करना चाहिए।
१७ लेकिन, एक ईशतन्त्र मात्र प्राचीनों से ही नहीं बना होता है। यदि रखवालों को ईश्वरशासित होना है, तो भेड़ों को भी वैसा ही होना है। किन तरीक़ों से? ख़ैर, जिन सिद्धान्तों से रखवालों का मार्गदर्शन होता है उन्हीं से भेड़ों का भी होना चाहिए। केवल प्राचीनों को ही नहीं, सभी मसीहियों को नम्र होना चाहिए यदि वे यहोवा की आशिष चाहते हैं। (याकूब ४:६) सभी को प्रेम विकसित करने की ज़रूरत है क्योंकि इसके बिना यहोवा के प्रति हमारे बलिदान उसे प्रसन्न नहीं करते। (१ कुरिन्थियों १३:१-३) और हम सभी को, मात्र प्राचीनों को ही नहीं, “सारी बुद्धि और आध्यात्मिक समझ में [यहोवा की] इच्छा के यथार्थ ज्ञान से भर” जाना चाहिए।—कुलुस्सियों १:९, NW.
१८. (क) सच्चाई का मात्र सतही ज्ञान क्यों काफ़ी नहीं है? (ख) किस प्रकार हम सब अपने को यथार्थ ज्ञान से भर सकते हैं?
१८ युवाओं और बूढ़ों दोनों को ही निरन्तर कठिन निर्णयों का सामना करना पड़ता है जब वे शैतान के संसार में जीने के बावजूद वफ़ादार रहने की कोशिश करते हैं। पहनावे, संगीत, फ़िल्मों, और साहित्य में संसार की प्रवृत्तियाँ कुछ लोगों की आध्यात्मिकता के लिए चुनौती हैं। सच्चाई का सतही ज्ञान हमें अपना संतुलन बनाए रखने में मदद करने के लिए काफ़ी नहीं है। यह निश्चित करने के लिए कि हम वफ़ादार बने रहेंगे, हमें यथार्थ ज्ञान से भर जाने की ज़रूरत है। हमें उस समझ और बुद्धि की ज़रूरत है जो केवल परमेश्वर का वचन हमें दे सकता है। (नीतिवचन २:१-५) इसका अर्थ है अच्छी अध्ययन आदतें विकसित करना, जो हम सीखते हैं उस पर मनन करना, और उसे अमल में लाना। (भजन १:१-३; प्रकाशितवाक्य १:३) पौलुस सभी मसीहियों को लिख रहा था, मात्र प्राचीनों को ही नहीं, जब उसने कहा: “अन्न सयानों के लिये है, जिन के ज्ञानेन्द्रिय अभ्यास करते करते, भले बुरे में भेद करने के लिए पक्के हो गए हैं।”—इब्रानियों ५:१४.
रखवाले और भेड़ साथ काम करते हैं
१९, २०. प्राचीनों को सहयोग देने के लिए सभी को क्या सलाहें दी गई हैं, और क्यों?
१९ अन्त में, यह कहा जाना चाहिए कि वे असल में एक ईश्वरशासित आत्मा दिखाते हैं जो प्राचीनों को सहयोग देते हैं। पौलुस ने तीमुथियुस को लिखा: “जो प्राचीन अच्छा प्रबन्ध करते हैं, विशेष करके वे जो वचन सुनाने और सिखाने में परिश्रम करते हैं, दो गुने आदर के योग्य समझे जाएं।” (१ तीमुथियुस ५:१७; १ पतरस ५:५, ६) प्राचीनत्व एक बढ़िया विशेषाधिकार है, लेकिन अधिकांश प्राचीन परिवार वाले हैं जो हर दिन अपनी नौकरियों पर जाते हैं और जिन्हें अपनी पत्नियों और बच्चों को सम्भालना होता है। हाँलाकि वे सेवा करने के लिए ख़ुश हैं, उनकी सेवा ज़्यादा आसान और ज़्यादा फलदायक होती है जब कलीसिया सहयोग देती है, और ज़रूरत से ज़्यादा आलोचनात्मक और माँग करनेवाली नहीं होती।—इब्रानियों १३:१७.
२० प्रेरित पौलुस ने कहा: “जो तुम्हारे अगुवे थे, और जिन्हों ने तुम्हें परमेश्वर का वचन सुनाया है, उन्हें स्मरण रखो; और ध्यान से उन के चाल-चलन का अन्त देखकर उन के विश्वास का अनुकरण करो।” (इब्रानियों १३:७) नहीं, पौलुस ने भाइयों को प्राचीनों के पीछे चलने के लिए प्रोत्साहित नहीं किया। (१ कुरिन्थियों १:१२) किसी मनुष्य के पीछे चलना ईश्वरशासित नहीं है। लेकिन एक ईश्वरशासित प्राचीन के प्रमाणित विश्वास का अनुकरण करना, जो सुसमाचार सुनाने के कार्य में सक्रिय है, जो सभाओं में नियमित है, और जो कलीसिया के साथ नम्रता से और प्रेम से व्यवहार करता है, निश्चय ही बुद्धिमानी की बात है।
विश्वास का प्रमाण
२१. किस प्रकार मसीही लोग मूसा के विश्वास की तरह मज़बूत विश्वास दिखाते हैं?
२१ सचमुच, मानव इतिहास के इस सबसे विकृत समय में एक ईश्वरशासित संगठन का अस्तित्व में होना महान् ईशतन्त्र शासक की शक्ति का प्रमाण है। (यशायाह २:२-५) यह लगभग ५० लाख मसीही पुरुषों, स्त्रियों, और बच्चों के विश्वास का भी प्रमाण है, जो दैनिक जीवन की समस्याओं से जूझते हैं लेकिन कभी नहीं भूलते कि यहोवा उनका शासक है। ठीक जिस तरह मूसा “अनदेखे को मानो देखता हुआ दृढ़ रहा,” उसी तरह मसीहियों का आज समान मज़बूत विश्वास है। (इब्रानियों ११:२७) उनके पास एक ईशतन्त्र में रहने का सुअवसर है, और वे प्रतिदिन इसके लिए यहोवा का धन्यवाद करते हैं। (भजन १००:४, ५) ज्यों-ज्यों वे यहोवा की उद्धारक शक्ति का अनुभव करते हैं, वे यह घोषित करने में ख़ुश होते हैं: “यहोवा हमारा न्यायी, यहोवा हमारा हाकिम, यहोवा हमारा राजा है; वही हमारा उद्धार करेगा।”—यशायाह ३३:२२.
[फुटनोट]
a ऐसे प्रकाशनों में से एक है “अपनी और पूरे झुंड की चौकसी करें” पुस्तक, जिसमें शास्त्रीय मार्गदर्शन हैं और यह नियुक्त कलीसिया ओवरसियरों, या प्राचीनों के लिए प्रदान की गई है।
बाइबल क्या दिखाती है?
▫ किस तरीक़े से मसीही ईशतन्त्र के प्रति अधीनता दिखाते हैं?
▫ आज ईशतन्त्र किस प्रकार संगठित है?
▫ अपनी ज़िम्मेदारियों को पूरा करने के लिए प्राचीनों को अपने आपको किन तरीक़ों से तैयार करना चाहिए?
▫ कौनसे मसीही गुण विकसित और प्रदर्शित करना प्राचीनों के लिए अत्यावश्यक हैं?
▫ ईशतन्त्र में, भेड़ों और रखवालों के बीच क्या सम्बन्ध होना चाहिए?
[पेज 28 पर तसवीरें]
आदम और हव्वा ने परादीस खो दिया क्योंकि वे भले और बुरे के बारे में अपने निर्णय स्वयं करना चाहते थे
[पेज 30 पर तसवीरें]
यदि एक प्राचीन भेड़ के साथ नम्रता और प्रेम से व्यवहार करता है, तो वह हमेशा एक लाभदायक प्रभाव होगा