स्वर्गदूत—हमारी ज़िंदगी पर उनका असर
भविष्यवक्ता दानिय्येल को एक दर्शन मिला जिसमें उसने परमेश्वर के स्वर्गदूतों से बने परिवार को देखा। उसने जो देखा वह इन शब्दों में बयान किया: “हजारों हजार [स्वर्गदूत, परमेश्वर की] सेवा टहल कर रहे थे, और लाखों लाख . . . उसके साम्हने हाज़िर थे।” (दानिय्येल 7:10) इस आयत से पता चलता है कि परमेश्वर ने किस मकसद से स्वर्गदूतों को बनाया है। परमेश्वर ने उन्हें इसलिए बनाया ताकि वे उसकी सेवा करें और उसके हुक्म की तामील करने के लिए हमेशा तैयार रहें।
कभी-कभी परमेश्वर ऐसे काम करने के लिए स्वर्गदूतों का इस्तेमाल करता है जिनका असर इंसानों पर होता है। हम देखेंगे कि परमेश्वर अपने लोगों की हिम्मत बढ़ाने, हिफाज़त करने, इंसानों तक अपना संदेश पहुँचाने और दुष्टों को सज़ा देने के लिए स्वर्गदूतों का कैसे इस्तेमाल करता है।
स्वर्गदूत हिम्मत बढ़ाते और हिफाज़त करते हैं
स्वर्गदूतों ने धरती की और पहले इंसानों की सृष्टि होते देखी थी। तभी से इन आत्मिक प्राणियों ने यह दिखाया कि उन्हें इंसानों में गहरी दिलचस्पी है। इन स्वर्गदूतों में से एक था, यीशु मसीह। धरती पर आने से पहले, बुद्धि के साक्षात् रूप में उसने कहा: “मेरा सुख मनुष्यों की संगति से होता था।” (नीतिवचन 8:31) बाइबल हमें यह भी बताती है कि परमेश्वर के नबियों को मसीह के बारे में और आनेवाले वक्त के बारे में जो बताया गया है, उसके बारे में “स्वर्गदूत” जानने “की लालसा रखते हैं।”—1 पतरस 1:11, 12.
इंसानों की सृष्टि के बाद जैसे-जैसे समय गुज़रता गया, स्वर्गदूतों ने देखा कि ज़्यादातर इंसान अपने प्यारे सिरजनहार की सेवा नहीं कर रहे थे। यह देखकर इन वफादार स्वर्गदूतों को कितना दुःख हुआ होगा! दूसरी तरफ, जब भी कोई पापी, मन फिराकर यहोवा के पास लौट आता है, तो “स्वर्गदूतों . . . में आनन्द मनाया जाता है।” (लूका 15:10, NHT) इन्हें यहोवा के सेवकों की बहुत परवाह है, और यहोवा ने धरती पर अपने वफादार सेवकों की हिम्मत बढ़ाने और उनकी रक्षा करने के लिए बार-बार इन स्वर्गदूतों का इस्तेमाल किया है। (इब्रानियों 1:14) आइए इसकी कुछ मिसालें देखें।
प्राचीन समय में जब परमेश्वर सदोम और अमोरा के दुष्ट नगरों का नाश करने जा रहा था, तब दो स्वर्गदूतों ने धर्मी लूत और उसकी बेटियों की जान बचायी। वे उनका हाथ पकड़कर उन्हें सही-सलामत उस इलाके से बाहर ले गए।a (उत्पत्ति 19:1, 15-26) इसके सदियों बाद, नबी दानिय्येल को शेरों की माँद में फेंका गया था, मगर शेरों ने उसके बदन पर एक खरोंच तक नहीं मारी। वजह क्या थी? दानिय्येल ने बताया: “मेरे परमेश्वर ने अपना दूत भेजकर सिंहों के मुंह को . . . बन्द कर रखा।” (दानिय्येल 6:22) जब यीशु ने धरती पर अपनी सेवा शुरू की, उस वक्त स्वर्गदूतों ने उसकी मदद की। (मरकुस 1:13) और जब यीशु की मौत की घड़ी करीब थी तब एक स्वर्गदूत उसके सामने प्रकट हुआ और उसको ‘सामर्थ दिया।’ (लूका 22:43) ज़िंदगी की उन नाज़ुक घड़ियों में जब स्वर्गदूतों ने यीशु को सहारा दिया, तो वह अंदर से कितना मज़बूत हुआ होगा! और प्रेरित पतरस जब कैद में था, तो एक स्वर्गदूत ने ही उसे रिहा किया था—प्रेरितों 12:6-11.
क्या आज स्वर्गदूत हमारी हिफाज़त करते हैं? हमें यकीन दिलाया गया है कि अगर हम यहोवा के वचन, बाइबल के मुताबिक उसकी उपासना करें तो उसके शक्तिशाली अनदेखे स्वर्गदूत हमारी रक्षा करेंगे। बाइबल में यह वादा किया गया है: “यहोवा के डरवैयों के चारों ओर उसका दूत छावनी किए हुए उनको बचाता है।”—भजन 34:7.
लेकिन, हमें एक बात याद रखनी चाहिए कि स्वर्गदूत खास तौर से परमेश्वर की सेवा करने के लिए हैं, इंसानों की नहीं। (भजन 103:20, 21) वे परमेश्वर के कहने पर कार्रवाई करते हैं, इंसान के हुक्म या गुज़ारिश पर नहीं। इसलिए हमें मदद के लिए स्वर्गदूतों को नहीं बल्कि यहोवा परमेश्वर को पुकारना चाहिए। (मत्ती 26:53) हम स्वर्गदूतों को देख नहीं सकते, इसलिए हम नहीं जानते कि परमेश्वर अलग-अलग हालात में इंसानों की मदद करने के लिए स्वर्गदूतों का कैसे इस्तेमाल करता है। मगर हम इतना जानते हैं कि यहोवा ‘उन लोगों की सहायता में अपना सामर्थ दिखाता है जिनका मन उसकी ओर निष्कपट रहता है।’ (2 इतिहास 16:9; भजन 91:11) और हमें इस बात का भरोसा दिलाया गया है कि “यदि हम [परमेश्वर] की इच्छा के अनुसार कुछ मांगते हैं, तो वह हमारी सुनता है।”—1 यूहन्ना 5:14.
बाइबल हमें यह भी बताती है कि हमें सिर्फ परमेश्वर से प्रार्थना करनी चाहिए और उसी की उपासना करनी चाहिए। (निर्गमन 20:3-5; भजन 5:1, 2; मत्ती 6:9) वफादार स्वर्गदूत भी हमें यही करने का बढ़ावा देते हैं। मिसाल के लिए, एक बार जब प्रेरित यूहन्ना ने एक स्वर्गदूत की उपासना करनी चाही, तो उस स्वर्गदूत ने उसे डाँटते हुए कहा: “देख, ऐसा मत कर, . . . परमेश्वर ही को दण्डवत कर।”—प्रकाशितवाक्य 19:10.
स्वर्गदूत परमेश्वर का संदेश पहुँचाते हैं
शब्द “स्वर्गदूत” का मतलब है, “संदेश पहुँचानेवाला।” तो एक और तरीका जिससे स्वर्गदूत परमेश्वर की सेवा करते हैं, वह है इंसानों तक परमेश्वर का संदेश पहुँचाना। उदाहरण के लिए, “जिब्राईल स्वर्गदूत गलील के नासरत नगर में एक कुंवारी के पास भेजा गया।” किस लिए? मरियम नाम की एक जवान स्त्री को यह खबर देने के लिए कि वह कुँवारी होते हुए भी गर्भवती होगी और यीशु नाम के एक बेटे को जन्म देगी। (लूका 1:26-31) एक स्वर्गदूत को मैदानों में चरवाहों के पास यह खबर पहुँचाने के लिए भी भेजा गया था कि “मसीह प्रभु” पैदा हुआ है। (लूका 2:8-11) इसी तरह, स्वर्गदूतों ने इब्राहीम, मूसा, यीशु और बाइबल में बताए बाकी लोगों तक परमेश्वर के संदेश पहुँचाए।—उत्पत्ति 18:1-5, 10; निर्गमन 3:1, 2; लूका 22:39-43.
आज स्वर्गदूत परमेश्वर की तरफ से संदेश पहुँचाने का काम कैसे करते हैं? ज़रा सोचिए कि यीशु की भविष्यवाणी के मुताबिक, अंत आने से पहले उसके चेले कौन-सा काम करेंगे। उसने कहा था: “राज्य का यह सुसमाचार सारे जगत में प्रचार किया जाएगा, कि सब जातियों पर गवाही हो, तब अन्त आ जाएगा।” (मत्ती 24:3, 14) यहोवा के साक्षी परमेश्वर के राज्य की खुशखबरी सुनाने में हर साल एक अरब से ज़्यादा घंटे बिताते हैं। मगर क्या आप जानते हैं कि स्वर्गदूत भी इस काम में शामिल हैं? प्रेरित यूहन्ना ने अपने एक दर्शन का ज़िक्र करते हुए कहा: “मैं ने एक और स्वर्गदूत को . . . देखा, जिस के पास पृथ्वी पर के रहनेवालों की हर एक जाति, और कुल, और भाषा, और लोगों को सुनाने के लिये सनातन सुसमाचार था।” (प्रकाशितवाक्य 14:6, 7) यह वचन उस अहम काम के बारे में बताता है जो स्वर्गदूत आज इंसानों की खातिर कर रहे हैं।
यहोवा के साक्षी जब घर-घर का प्रचार करते हैं, तो इस बात का सबूत देखते हैं कि स्वर्गदूत इस काम में उनकी अगुवाई कर रहे हैं। अकसर उनकी मुलाकात ऐसे लोगों से होती है जो कुछ ही देर पहले प्रार्थना कर रहे थे कि कोई उन्हें परमेश्वर के उद्देश्यों के बारे में समझने में मदद दे। स्वर्गदूतों की अगुवाई और प्रचार करने में साक्षियों की पहल का नतीजा यह है कि हर साल लाखों लोग यहोवा को जान रहे हैं। ऐसा हो कि आप भी जीवन बचाने के इस काम से फायदा पाएँ जो स्वर्गदूतों की अगुवाई में किया जा रहा है।
स्वर्गदूत परमेश्वर की तरफ से सज़ा देते हैं
हालाँकि स्वर्गदूतों को इंसानों का न्याय करने का अधिकार नहीं दिया गया है, मगर वे दुनिया के हालात को चुपचाप देखनेवाले नहीं हैं। (यूहन्ना 5:22; इब्रानियों 12:22, 23) गुज़रे ज़माने में उन्होंने परमेश्वर की तरफ से दुष्टों को सज़ा दी थी। मिसाल के लिए, जब प्राचीन मिस्र के लोगों ने इस्राएलियों को अपना गुलाम बना रखा था, तो परमेश्वर ने उनके खिलाफ लड़ने के लिए स्वर्गदूतों का ही इस्तेमाल किया था। (भजन 78:49) और दूसरी घटना में, “यहोवा के दूत ने” एक ही रात के अंदर, परमेश्वर के दुश्मनों की एक छावनी में एक लाख पचासी हज़ार सैनिकों को मार डाला।—2 राजा 19:35.
आनेवाले वक्त में भी स्वर्गदूत परमेश्वर की तरफ से दुष्टों को दंड देने का काम करेंगे। यीशु ‘अपने सामर्थी दूतों के साथ, धधकती हुई आग में प्रगट होगा। और जो परमेश्वर को नहीं पहचानते, और सुसमाचार को नहीं मानते उन से पलटा लेगा।’ (2 थिस्सलुनीकियों 1:7, 8) लेकिन यह विनाश सिर्फ उन लोगों पर आएगा जो स्वर्गदूतों की मदद से सारी दुनिया में प्रचार किए जानेवाले संदेश को कबूल नहीं करते। मगर जो परमेश्वर की खोज करते हैं और बाइबल की शिक्षाओं पर चलते हैं, वे पूरी तरह सही-सलामत रहेंगे।—सपन्याह 2:3.
हम उन वफादार स्वर्गदूतों के कितने एहसानमंद हो सकते हैं जो हमेशा परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन करते हैं! यहोवा उनका इस्तेमाल करके धरती पर अपने वफादार सेवकों की मदद और हिफाज़त करता है। यह बात हमें खास तौर से दिलासा देती है, क्योंकि अच्छे स्वर्गदूतों के अलावा दूसरे खतरनाक आत्मिक प्राणी भी हैं जो दुष्टात्माएँ कहलाते हैं और ये हमें नुकसान पहुँचाना चाहते हैं।
दुष्टात्माएँ कौन हैं?
परमेश्वर के स्वर्गदूतों ने देखा कि अदन में हव्वा को बहकाने के बाद, अगले 1,500 सालों के दौरान शैतान इब्लीस करीब-करीब हर इंसान को परमेश्वर से दूर ले जाने में कामयाब हुआ है। मगर हाबिल, हनोक और नूह जैसे चंद वफादार लोग उसके बहकावे में नहीं आए। (उत्पत्ति 3:1-7; इब्रानियों 11:4, 5, 7) कुछ स्वर्गदूत भी शैतान की तरफ हो गए। बाइबल में उन्हें ऐसी आत्माएँ बताया गया है जिन्होंने “नूह के दिनों में” परमेश्वर की आज्ञा नहीं मानी थी। (1 पतरस 3:19, 20) उनकी बगावत कैसे सामने आयी?
नूह के दिनों में कुछ विद्रोही स्वर्गदूतों ने, जिसकी संख्या बतायी नहीं गयी है, परमेश्वर के स्वर्गीय परिवार में अपनी जगह छोड़ दी और वे इंसानी शरीर धारण करके इस धरती पर आ गए। क्यों? क्योंकि उन्होंने स्त्रियों के साथ लैंगिक संबंध रखने की इच्छा अपने अंदर बढ़ा ली थी। इस मिलन का नतीजा यह हुआ कि उनके बच्चे पैदा हुए जो नेफिलीम कहलाए। ये नेफिलीम खून-खराबा करनेवाले दानव साबित हुए। इसके अलावा, ‘मनुष्यों की बुराई पृथ्वी पर बढ़ गई, और उनके मन के विचार में जो कुछ उत्पन्न होता सो निरन्तर बुरा ही होता था।’ मगर यहोवा परमेश्वर ने दुनिया में बुराई को यूँ ही बढ़ने नहीं दिया। उसने एक महाजलप्रलय लाया जिसमें सभी दुष्ट इंसानों और नेफिलीम का भी सफाया हो गया। उस नाश में से सिर्फ वे लोग ज़िंदा बचे जो परमेश्वर के वफादार सेवक थे।—उत्पत्ति 6:1-7, 17; 7:23.
मगर विद्रोही स्वर्गदूत जलप्रलय के उस नाश से बच गए। वह कैसे? उन्होंने अपना इंसानी शरीर छोड़ दिया और वे अपनी आत्मिक देह में आत्मिक लोक लौट गए। तब से उन्हें दुष्टात्माएँ कहा जाता है। वे शैतान इब्लीस की तरफ हो गए हैं, जिसे ‘दुष्टात्माओं का सरदार’ कहा जाता है। (मत्ती 12:24-27) अपने सरदार शैतान की तरह दुष्टात्माएँ भी इंसानों की उपासना पाने की लालसा करती हैं।
दुष्टात्माएँ बहुत खतरनाक हैं, मगर हमें उनसे डरने की ज़रूरत नहीं। उनकी ताकत की एक सीमा है। परमेश्वर का हुक्म तोड़नेवाले ये स्वर्गदूत जब स्वर्ग लौटे, तो उन्हें परमेश्वर के वफादार स्वर्गदूतों के परिवार में शामिल होने नहीं दिया गया। इसके बजाय, उन्हें परमेश्वर से मिलनेवाले आध्यात्मिक ज्ञान से मरहूम रखा गया और उनका भविष्य बिलकुल अंधकार भरा है। अब वे आध्यात्मिक अंधकार की दशा में हैं, जिसे तारतरस कहा जाता है। (2 पतरस 2:4, NHT, फुटनोट) यहोवा ने उन्हें ‘सदा काल के बन्धनों’ में जकड़कर रखा है, इसलिए वे आध्यात्मिक अंधकार में पड़े हैं। इसके अलावा, अब वे इंसानी शरीर भी धारण नहीं कर सकते।—यहूदा 6.
आपको क्या करना चाहिए?
क्या दुष्टात्माएँ आज भी इंसानों पर असर करती हैं? बेशक करती हैं। अपने सरदार शैतान इब्लीस की तरह वे भी इंसानों को गुमराह करने के लिए “युक्तियों” या “धूर्त चालों” (NW, फुटनोट) का इस्तेमाल करती हैं। (इफिसियों 6:11, 12) लेकिन परमेश्वर के वचन की सलाह मानने से हम दुष्टात्माओं के खिलाफ डटे रह सकेंगे। इतना ही नहीं, जो परमेश्वर से प्यार करते हैं, उन्हें शक्तिशाली स्वर्गदूतों से हिफाज़त भी मिलती है।
यह कितना ज़रूरी है कि आप बाइबल में बतायी परमेश्वर की माँगों के बारे में सीखें और उसके मुताबिक काम करें! बाइबल जो सिखाती है, अगर आप इस बारे में ज़्यादा जानना चाहते हैं, तो अपने इलाके में रहनेवाले यहोवा के साक्षियों से संपर्क करें या इस पत्रिका के प्रकाशकों को लिखें। यहोवा के साक्षियों को आपके साथ बाइबल का अध्ययन करने में बड़ी खुशी होगी। इसके लिए वे आपसे पैसे नहीं लेंगे और ऐसे वक्त पर आपके साथ अध्ययन करेंगे जो आपके सहूलियत के मुताबिक हो।
[फुटनोट]
a बाइबल में स्वर्गदूतों को पुरुष दिखाया गया है। जब भी वे इंसानों के सामने प्रकट हुए तो पुरुषों के रूप में ही आए थे।
[पेज 6 पर बक्स]
स्वर्गदूत—उन्हें कैसे संगठित किया गया है
यहोवा के करोड़ों-करोड़ स्वर्गदूतों का परिवार इस तरह संगठित है:
स्वर्गदूतों में सबसे ऊँचा ओहदा और सबसे ज़्यादा ताकत, प्रधान स्वर्गदूत मीकाईल या यीशु मसीह की है। (1 थिस्सलुनीकियों 4:16; यहूदा 9) साराप, करूब और दूसरे स्वर्गदूत मीकाईल के अधीन रहकर सेवा करते हैं।
साराप परमेश्वर के इंतज़ाम में एक ऊँचे पद पर हैं। वे परमेश्वर के सिंहासन के पास उसकी सेवा के लिए तैयार खड़े रहते हैं। परमेश्वर की पवित्रता का ऐलान करना और उसके लोगों को आध्यात्मिक तरीके से शुद्ध बनाए रखना सारापों की ज़िम्मेदारी में शामिल है।—यशायाह 6:1-3, 6, 7.
करूबों का ज़िक्र, परमेश्वर के सिंहासन के साथ किया गया है। वे यहोवा के वैभव और उसकी महानता की पैरवी करते हैं।—भजन 80:1; 99:1; यहेजकेल 10:1, 2.
बाकी स्वर्गदूत यहोवा के कारिंदे हैं, और वे परमेश्वर की मरज़ी पूरी करते हैं।
[पेज 4 पर तसवीर]
स्वर्गदूतों ने लूत और उसकी बेटियों का हाथ पकड़कर उन्हें एक महफूज़ जगह पहुँचाया
[पेज 5 पर तसवीर]
जब प्रेरित यूहन्ना ने स्वर्गदूत की उपासना करनी चाही, तो स्वर्गदूत ने उससे कहा: “ऐसा मत कर”!
[पेज 6 पर तसवीर]
स्वर्गदूत परमेश्वर की तरफ से दुष्टों को सज़ा देते हैं
[पेज 7 पर तसवीर]
स्वर्गदूतों की अगुवाई में हो रहे प्रचार काम से क्या आप फायदा पा रहे हैं?