भाइचारे की प्रीति की कुंजी को ढूँढ़ना
“ईश्वरीय भक्ति को भाईचारे की प्रीति . . . प्रदान करते जाओ।”—२ पतरस १:५-७, NW.
१. एक मुख्य कारण क्या है जिससे यहोवा के लोगों के समूहन इतने ख़ुश अवसर होते हैं?
एक बार एक चिकित्सक, जो यहोवा का गवाह नहीं था, अपनी बेटी की वॉच टावर बाइबल स्कूल ऑफ गिलियड से स्नातकता के लिए उपस्थित हुआ, जहाँ उसने मिशनरी प्रशिक्षण प्राप्त किया था। वह ख़ुश भीड़ से इतना प्रभावित हुआ कि उसने यह राय कायम की कि इन लोगों के बीच बहुत थोड़ी बीमारी होगी। किस बात ने इस भीड़ को इतना ख़ुश किया? उस निमित्त, कलीसिया में, सर्किट सम्मेलनों में, और ज़िला अधिवेशनों में कौनसी बात यहोवा के लोगों के सभी समूहनों को ख़ुश अवसर बनाती हैं? क्या यह वही भाईचारे की प्रीति नहीं जो वे एक दूसरे के प्रति प्रदर्शित करते हैं? निःसंदेह, भाईचारे की प्रीति वह एक कारण है जिस कारण यह कहा गया है कि कोई और धार्मिक समूह धर्म से इतना आनन्द, ख़ुशी, और संतुष्टि नहीं प्राप्त करता है जितना कि यहोवा के गवाह करते हैं।
२, ३. हमें एक दूसरे के बारे में कैसा महसूस करना चाहिए से सम्बन्धित कौनसे दो यूनानी शब्द हैं और उनकी सुस्पष्ट विशेषताएँ क्या हैं?
२ पहला पतरस १:२२ में दिए गए प्रेरित पतरस के इन शब्दों को ध्यान में रखते हुए, हमें ऐसे भाईचारे की प्रीति देखने की अपेक्षा करनी चाहिए: “सो जब कि तुम ने भाईचारे की निष्कपट प्रीति के निमित्त सत्य के मानने से अपने मनों को पवित्र किया है, तो तन मन लगाकर एक दूसरे से अधिक प्रेम रखो।” जिस यूनानी शब्द को यहाँ ‘भाईचारे की प्रीति’ अनुवाद किया गया है, उसका एक मूल तत्त्व है फिलिया (प्रीति)। इसके अर्थ में और अगापे शब्द, जिस को अक्सर “प्रेम” अनुवाद किया जाता है, के अर्थ में नज़दीकी सम्बन्ध है। (१ यूहन्ना ४:८) जबकि भाईचारे की प्रीति और प्रेम को अक्सर अदला-बदली करके इस्तेमाल किया जाता है, उनकी ख़ास विशेषताएँ हैं। हमें उन्हें समानार्थक नहीं समझना चाहिए, जैसे कि बाइबल के अनेक अनुवादक समझते हैं। (इस लेख में और अगले लेख में, हम इन दोनों शब्दों पर विचार करेंगे।)
३ इन दो यूनानी शब्दों के बीच अंतर के विषय में, एक विद्वान ने कहा कि फिलिया “निश्चय ही सहृदयता और घनिष्ठता और प्रीति का एक शब्द है।” दूसरी ओर, अगापे का ज़्यादा सम्बन्ध मन के साथ है। इस प्रकार जबकि हमें अपने शत्रुओं से प्रेम (अगापे) करने के लिए कहा गया है, हम उनके लिए प्रीति नहीं रखते हैं। क्यों नहीं? क्योंकि “बुरी संगति अच्छे चरित्र को बिगाड़ देती है।” (१ कुरिन्थियों १५:३३) इनमें अंतर है इस बात को अतिरिक्त सूचित करने के लिए प्रेरित पतरस के ये शब्द हैं: “भाईचारे की प्रीति को प्रेम प्रदान करते जाओ।”—२ पतरस १:५-७, NW; साथ ही यूहन्ना २१:१५-१७ से तुलना कीजिए.a
अति विशिष्ट भाईचारे की प्रीति के उदाहरण
४. यीशु और यूहन्ना एक दूसरे के लिए विशिष्ट प्रीति क्यों रखते थे?
४ परमेश्वर का वचन हमें अति विशिष्ट भाईचारे की प्रीति के कई उत्तम उदाहरण देता है। यह विशिष्ट प्रीति किसी सनक के कारण नहीं है बल्कि यह उत्कृष्ट गुणों के मूल्यांकन पर आधारित है। निःसंदेह प्रेरित यूहन्ना के लिए यीशु मसीह की प्रीति सबसे जाना-माना उदाहरण है। निःसंदेह, यीशु अपने सभी वफ़ादार प्रेरितों के लिए भाईचारे की प्रीति रखता था, और इसका अच्छा कारण था। (लूका २२:२८) उनके पाँव धोने के द्वारा उसने एक तरीक़े से यह दिखाया, और इस प्रकार उन्हें नम्रता में एक सबक दिया। (यूहन्ना १३:३-१६) पर यूहन्ना के लिए यीशु एक विशिष्ट प्रीति रखता था, जिसके बारे यूहन्ना बार-बार ज़िक्र करता है। (यूहन्ना १३:२३; १९:२६; २०:२) जैसे यीशु के पास अपने चेलों और अपने प्रेरितों के लिए प्रीति प्रदर्शित करने का कारण था, अति सम्भव है कि यूहन्ना ने यीशु के लिए अपने ज़्यादा गहरे मूल्यांकन के कारण यीशु को कारण दिया कि वह उसके लिए विशिष्ट प्रीति रखे। यह हम यूहन्ना के लेखन, अर्थात् उसके सुसमाचार और उसके उत्प्रेरित पत्रों दोनों, से देख सकते हैं। कितनी बार वह इन लेखनों में प्रेम का ज़िक्र करता है! यीशु के आध्यात्मिक गुणों के लिए यूहन्ना का महत्तर मूल्यांकन उन बातों में देखा जाता है जो उसने यूहन्ना अध्याय १ और १३ से १७ में लिखीं, और साथ बार-बार किए गए उन ज़िक्रों के द्वारा जो वह यीशु के प्राक्-मानव अस्तित्व के बारे में करता है।—यूहन्ना १:१-३; ३:१३; ६:३८, ४२, ५८; १७:५; १८:३७.
५. पौलुस और तीमुथियुस एक दूसरे के लिए जो विशिष्ट प्रीति रखते थे, उसके बारे में क्या कहा जा सकता है?
५ इसी प्रकार, हम उस अति विशिष्ट भाईचारे की प्रीति को नज़र अंदाज़ नहीं करना चाहेंगे जो प्रेरित पौलुस और उसका मसीही साथी तीमुथियुस एक दूसरे के लिए रखते थे, जो निश्चय ही एक दूसरे के गुणों के मूल्यांकन करने पर आधारित थी। पौलुस के लेखनों में तीमुथियुस के बारे में उत्तम टिप्पणियाँ सम्मिलित हैं, जैसे कि: “मेरे पास ऐसे स्वभाव का कोई [अन्य व्यक्ति, NW] नहीं, जो शुद्ध मन से तुम्हारी चिन्ता करे। . . . उसको तो तुम ने परखा और जान भी लिया है, कि जैसे पुत्र पिता के साथ करता है, वैसा ही उस ने सुसमाचार के फैलाने में मेरे साथ परिश्रम किया।” (फिलिप्पियों २:२०-२२) तीमुथियुस के नाम उसकी पत्रियों में कई व्यक्तिगत ज़िक्र हैं जो तीमुथियुस के लिए पौलुस की हार्दिक प्रीति दिखाते हैं। उदाहरण के लिए, १ तीमुथियुस ६:२० को देखिए: “हे तीमुथियुस इस थाती की रखवाली कर।” (१ तीमुथियुस ४:१२-१६; ५:२३; २ तीमुथियुस १:५; ३:१४, १५ भी देखिए.) विशेष रूप से तीमुथियुस के नाम पौलुस की पत्रियों और तीतुस के नाम उसकी पत्री की तुलना से इस नौजवान के लिए पौलुस की विशिष्ट प्रीति सुनिश्चित होती है। उनकी मित्रता के विषय में तीमुथियुस ने उसी तरह महसूस किया होगा, जैसे कि २ तीमुथियुस १:३, ४ में पौलुस के शब्दों से देखा जा सकता है: “अपनी प्रार्थनाओं में तुझे लगातार स्मरण करता हू। और तेरे आंसुओं की सुधि कर करके . . . तुझ से भेंट करने की लालसा रखता हूं कि आनन्द से भर जाऊं।”
६, ७. दाऊद और योनातान एक दूसरे के लिए कौनसी भावना रखते थे, और क्यों?
६ इब्रानी शास्त्र भी उत्तम उदाहरणों को प्रदान करता है, जैसे कि दाऊद और योनातन का उदाहरण। हम पढ़ते हैं कि जब दाऊद ने गोलियात को मार डाला तब “योनातन का मन दाऊद पर ऐसा लग गया, कि योनातन उसे अपने प्राण के बराबर प्यार करने लगा।” (१ शमूएल १८:१) यहोवा के नाम के लिए दाऊद के जोश के उदाहरण के लिए और दानव गोलियात का सामना करने को आगे जाने में उसकी निडरता के लिए मूल्यांकन ने निःसंदेह दाऊद के लिए योनातन की विशिष्ट प्रीति उत्पन्न की।
७ दाऊद के लिए योनातन इतनी प्रीति रखता था कि उसने राजा शाऊल से दाऊद को बचाने में स्वयं अपनी जान खतरे में डाल दी। योनातन ने कभी भी दाऊद का यहोवा द्वारा इस्राएल का अगला राजा चुने जाने पर रोष प्रकट नहीं किया। (१ शमूएल २३:१७) योनातन के लिए दाऊद उतनी ही गहरी प्रीति रखता था, जो कि उन शब्दों से स्पष्ट होता है जो उसने योनातन की मृत्यु पर शोक मनाते हुए कहे थे: “हे मेरे भाई योनातन, मैं तेरे कारण दुःखित हूं; तू मुझे बहुत मनभाऊ जान पड़ता था; तेरा प्रेम मुझ पर अद्भुत, वरन स्त्रियों के प्रेम से भी बढ़कर था।” सचमुच, गहरे मूल्यांकन ने उनके सम्बन्ध को चिन्हित किया।—२ शमूएल १:२६.
८. कौनसी दो स्त्रियों ने एक दूसरे के लिए विशिष्ट प्रीति दिखाई, और क्यों?
८ इब्रानी शास्त्र में हमारे पास दो स्त्रियों, नाओमी और उसकी विधवा बहू रूत, की विशिष्ट प्रीति का भी एक उत्तम उदाहरण है। नाओमी से कहे रूत के ये शब्द याद कीजिए: “तू मुझ से यह बिनती न कर, कि मुझे त्याग वा छोड़कर लौट जा; क्योंकि जिधर तू जाए उधर मैं भी जाऊंगी; जहां तू टिके वहां मैं भी टिकूंगी; तेरे लोग मेरे लोग होंगे, और तेरा परमेश्वर मेरा परमेश्वर होगा।” (रूत १:१६) क्या हमें यह निष्कर्ष नहीं निकालना चाहिए कि नाओमी ने, अपने आचरण और यहोवा के बारे में बोलने के द्वारा, रूत में ऐसी क़दरदान प्रतिक्रिया उत्पन्न करने में मदद की?—लूका ६:४० से तुलना कीजिए.
प्रेरित पौलुस का उदाहरण
९. कौनसी बात दिखाती है कि पौलुस भाईचारे की प्रीति के सम्बन्ध में अनुकरणीय था?
९ जैसे हम ने देखा है, तीमुथियुस के लिए प्रेरित पौलुस अति विशिष्ट भाईचारे की प्रीति रखता था। लेकिन उसने सामान्यतः अपने भाइयों के लिए हार्दिक भाईचारे की प्रीति व्यक्त करने का भी एक अद्भुत उदाहरण रखा। उसने इफिसुस से आए प्राचीनों से कहा कि “[उस] ने तीन वर्ष तक रात दिन आंसू बहा बहाकर, हर एक को चितौनी देना न छोड़ा।” हार्दिक भाईचारे की प्रीति? इसमें कोई शंका नहीं! और वे भी पौलुस के बारे में वैसा ही महसूस करते थे। यह सुनने पर कि वे उसे फिर कभी नहीं देखेंगे, “वे सब बहुत रोए और पौलुस के गले में लिपट कर उसे चूमने लगे।” (प्रेरितों २०:३१, ३७) मूल्यांकन पर आधारित भाईचारे की प्रीति? जी हाँ! उसके भाईचारे की प्रीति २ कुरिन्थियों ६:११-१३ में उसके शब्दों से भी देखी जाती है: “हे कुरिन्थियों, हम ने खुलकर तुम से बातें की हैं, हमारा हृदय तुम्हारी ओर खुला हुआ है। तुम्हारे लिये हमारे मन में कुछ सकेती नहीं, पर तुम्हारे ही मनों में सकेती है। पर अपने लड़के-बाले जानकर तुम से कहता हूं, कि तुम भी उसके बदले में अपना हृदय खोल दो।”
१०. भाईचारे की प्रीति की किस कमी के कारण पौलुस ने २ कुरिन्थियों अध्याय ११ में अपने संकटों के बारे में वर्णन दिया है?
१० स्पष्टतः, प्रेरित पौलुस के लिए क़दरदान भाईचारे की प्रीति की अनेक कुरिन्थियों में कमी थी। इसलिए, उन में से कुछ लोगों ने शिकायत की: “उस की पत्रियां तो गम्भीर और प्रभावशाली हैं; परन्तु जब देखते हैं, तो वह देह का निर्बल और वक्तव्य में हल्का जान पड़ता है।” (२ कुरिन्थियों १०:१०) इसी कारण पौलुस ने उनके “बड़े से बड़े प्रेरितों” का ज़िक्र किया और उन संकटों के बारे में बताने के लिए अभिप्रेरित हुआ जो उसने सहे थे, जैसे कि २ कुरिन्थियों ११:५, २२-३३ में लिपिबद्ध है।
११. थिस्सलुनीके के मसीहियों के लिए पौलुस की प्रीति के विषय में क्या प्रमाण है?
११ पौलुस ने जिन लोगों की सेवा की, उनके लिए उसकी हार्दिक प्रीति ख़ास तौर पर १ थिस्सलुनीकियों २:८ में दिए गए उसके शब्दों से स्पष्ट होती है: “हम तुम्हारी लालसा करते हुए, न केवल परमेश्वर का सुसमाचार, पर अपना अपना प्राण भी तुम्हें देने को तैयार थे, इसलिये कि तुम हमारे प्यारे हो गए थे।” वास्तव में, वह इन नए भाइयों के लिए इतनी प्रीति रखता था कि जब उससे और रहा नहीं गया—इतना उत्सुक था वह यह जानने के लिए कि वे सताहटों को कैसे सह रहे हैं—उसने तीमुथियुस को भेजा, जिसने एक अच्छी रिपोर्ट दी जिससे पौलुस को बहुत ताज़गी मिली। (१ थिस्सलुनीकियों ३:१, २, ६, ७) इन्साइट ऑन द स्क्रिपचर्स् (Insight on the Scriptures) उचित रूप से कहती है: “पौलुस और उन लोगों के बीच, जिनकी उसने सेवा की, में भाईचारे की प्रीति का एक घनिष्ठ बँधन था।”
मूल्यांकन—भाईचारे की प्रीति की कुंजी
१२. अपने भाइयों के लिए हार्दिक प्रीति दिखाने के हमारे पास कौनसे कारण हैं?
१२ निश्चय ही, भाईचारे की प्रीति की कुंजी मूल्यांकन है। क्या यहोवा के सभी समर्पित सेवकों में ऐसे गुण नहीं हैं जिनका हम मूल्यांकन करते हैं, जो हमारी प्रीति को उत्पन्न करते हैं, और उन्हें हमारे लिए प्रिय बनाते हैं? हम सब पहले परमेश्वर के राज्य और उसकी धार्मिकता को ढूँढ़ रहे हैं। हम सब अपने तीन सामान्य शत्रुओं के विरुद्ध डटकर लड़ रहे हैं: शैतान और उसके पिशाच, शैतान के नियंत्रण में यह दुष्ट संसार, और पापी शरीर की वंशागत स्वार्थी प्रवृत्तियाँ। क्या हमें हमेशा ऐसी स्थिति नहीं अपनानी चाहिए कि परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए हमारे भाई जितना उनसे हो सकता है उतना कर रहे हैं? संसार में सभी लोग या तो यहोवा के पक्ष में हैं या शैतान के पक्ष में हैं। हमारे समर्पित भाई-बहन यहोवा के पक्ष में हैं, जी हाँ, हमारे पक्ष में, और इसलिए हमारे भाईचारे की प्रीति के योग्य हैं।
१३. हमें प्राचीनों के लिए हार्दिक प्रीति क्यों रखनी चाहिए?
१३ अपने प्राचीनों का मूल्यांकन करने के बारे में क्या? जिस तरीक़े से वे कलीसिया के हित में सख़्त मेहनत करते हैं, इसको ध्यान में रखते हुए क्या हमें उनके प्रति ख़ास तौर से स्नेहशील नहीं होना चाहिए? हम सब की तरह, उन्हें अपने लिए और अपने परिवार के लिए प्रबन्ध करना पड़ता है। हम सब की तरह उनकी भी व्यक्तिगत अध्ययन करने, कलीसिया सभाओं में उपस्थित होने, और क्षेत्र सेवकाई में भाग लेने की समान बाध्यताएँ हैं। इसके अतिरिक्त, सभाओं के लिए कार्यक्रम के भाग तैयार करने, जन भाषण देने, और कलीसिया में उठनेवाली समस्याओं की देख-रेख करने की भी उनकी बाध्यता है, जिसमें कभी-कभी घंटों न्यायिक सुनवाई सम्मिलित होती हैं। सचमुच, हम ‘ऐसों का आदर करते रहना’ चाहते हैं।—फिलिप्पियों २:२९.
भाईचारे की प्रीति को अभिव्यक्त करना
१४. कौनसे शास्त्रवचन हमें भाईचारे की प्रीति दिखाने का आदेश देते हैं?
१४ यहोवा को प्रसन्न करने के लिए, हमें अपने संगी विश्वासियों के प्रति भाईचारे की प्रीति की हार्दिक भावना अभिव्यक्त करनी है, जैसे कि यीशु मसीह और पौलुस ने की थी। हम पढ़ते हैं: “[भाईचारे की प्रीति] में एक दूसरे के लिए कोमल प्रीति रखो।” (रोमियों १२:१०, किङ्गडम इंटरलीनियर) “भाईचारे की प्रीति के विषय में यह अवश्य नहीं, कि मैं तुम्हारे पास कुछ लिखूं; क्योंकि आपस में प्रेम रखना तुम ने आप ही परमेश्वर से सीखा है।” (१ थिस्सलुनीकियों ४:९) “[तुम में] भाईचारे की प्रीति बनी रहे।” (इब्रानियों १३:१) निश्चय ही हमारा स्वर्गीय पिता प्रसन्न होता है जब हम उसके पार्थिव बच्चों के लिए भाईचारे की प्रीति दिखाते हैं!
१५. भाईचारे की प्रीति अभिव्यक्त करने के कुछ तरीक़े क्या हैं?
१५ प्रेरितों के समय में मसीही एक दूसरे को “पवित्र चुम्बन” या ‘प्रेम के चुम्बन’ के साथ अभिवादन करने के आदी थे। (रोमियों १६:१६; १ पतरस ५:१४) सचमुच भाईचारे की प्रीति की एक अभिव्यक्ति! आज, पृथ्वी के अधिकांश भागों में, सत्हृदयता से एक मित्रतापूर्ण मुसकान और ज़ोर से हाथ मिलाना एक ज़्यादा उचित अभिव्यक्ति होगी। मैक्सिको जैसे लातिनी देशों में अभिवादन एक आलिंगन के रूप में है, सचमुच प्रीति की एक अभिव्यक्ति। उनके देशों में हो रही महान वृद्धि का एक कारण शायद इन भाइयों की ऐसी हार्दिक प्रीति हो।
१६. हमारे पास अपने राज्यगृहों में भाईचारे की प्रीति दिखाने के कौनसे अवसर हैं?
१६ जब हम राज्यगृह में प्रवेश करते हैं, तब क्या हम भाईचारे की प्रीति व्यक्त करने के लिए विशेष प्रयास करते हैं? यह हमें प्रोत्साहक शब्द बोलने के लिए प्रेरित करेगी, ख़ास तौर से उन लोगों के साथ जो हताश प्रतीत होते हैं। हमें ‘हताश प्राणियों से सांत्वनापूर्वक बात करने’ के लिए कहा गया है। (१ थिस्सलुनीकियों ५:१४, NW) यह निश्चय ही एक तरीक़ा है जिससे हम भाईचारे की प्रीति की सहृदयता व्यक्त कर सकते हैं। एक उत्तम जन भाषण, एक सुसंचालित कार्यक्रम भाग, थियोक्रैटिक मिनिस्ट्री स्कूल में एक विद्यार्थी वक्ता द्वारा किया गया अच्छा प्रयास, इत्यादि के लिए मूल्यांकन व्यक्त करना एक और बढ़िया तरीक़ा है।
१७. एक प्राचीन ने कलीसिया की प्रीति को किस प्रकार प्राप्त किया?
१७ यदि ज़्यादा रात नहीं हुई है, तो विभिन्न व्यक्तियों को सभा के बाद अपने घर भोजन या शायद अल्पाहार के लिए निमंत्रित करने के बारे में क्या? क्या हमें लूका १४:१२-१४ में दी गई यीशु की सलाह को नियंत्रित करने नहीं देना चाहिए? एक बार एक भूतपूर्व मिशनरी को एक ऐसी कलीसिया में प्रिसाइडिंग ओवरसियर नियुक्त किया गया जहाँ सभी अन्य लोग एक भिन्न प्रजाति के थे। उसने भाईचारे की प्रीति की कमी महसूस की, इसलिए उसने स्थिति को सुधारना शुरू किया। कैसे? रविवार के रविवार, उसने एक भिन्न परिवार को भोजन के लिए निमंत्रित किया। एक साल के अन्त तक, सभी उसके प्रति हार्दिक भाईचारे की प्रीति दिखा रहे थे।
१८. हम अपने बीमार भाई-बहनों के लिए भाईचारे की प्रीति कैसे दिखा सकते हैं?
१८ जब एक भाई या एक बहन, घर में या अस्पताल में बीमार हो, तब भाईचारे की प्रीति हमें उस व्यक्ति को बताने के लिए प्रेरित करेगी कि हम परवाह करते हैं। या उन व्यक्तियों के बारे में क्या जो उपचार-गृहों में रहते हैं? क्यों न एक व्यक्तिगत भेंट करें, एक फोन करें, या हार्दिक भावनाएँ अभिव्यक्त करनेवाला एक कार्ड भेजें?
१९, २०. हम कैसे दिखा सकते हैं कि हम ने अपनी भाईचारे की प्रीति में अपना हृदय और खोला है?
१९ भाईचारे की प्रीति की ऐसी अभिव्यक्तियाँ करते समय, हम अपने आप से पूछ सकते हैं, ‘क्या मेरे भाईचारे की प्रीति पक्षपाती है? क्या त्वचा का रंग, शिक्षा, या भौतिक सम्पत्ति जैसे तत्त्व मेरे भाईचारे की प्रीति की अभिव्यक्तियों को प्रभावित करते हैं? क्या मुझे अपने भाईचारे की प्रीति में अपना हृदय और खोलने की ज़रूरत है, जिस प्रकार प्रेरित पौलुस ने कुरिन्थुस के मसीहियों को होने के लिए आग्रह किया था?’ भाईचारे की प्रीति हमें अपने भाइयों को सकारात्मक दृष्टि से देखने, और उनके अच्छे गुणों के लिए उनका मूल्यांकन करने के लिए प्रेरित करेगी। भाईचारे की प्रीति हमें अपने भाइयों की प्रगति पर ईर्ष्या करने के बजाय आनन्दित होने के लिए भी मदद करेगी।
२० हमें भाईचारे की प्रीति द्वारा सेवकाई में अपने भाइयों की मदद करने के लिए भी सतर्क बनना चाहिए। इसे ऐसा होना चाहिए जैसा हमारा एक गीत (क्रमांक ९२) व्यक्त करता है:
“उत्साह दो सब बलहीनों को,
ताकि उनका बोल भी दिलेर हो।
भूलें न उन्हें जो उम्र में बाल,
बनें दृढ़ और रहे भयभीत न हाल।”
२१. जब हम भाईचारे की प्रीति दिखाते हैं तब हम कौनसी प्रतिक्रिया की अपेक्षा कर सकते हैं?
२१ इसलिए आइए हम यह न भूलें कि भाईचारे की प्रीति अभिव्यक्त करने में वह सिद्धांत लागू होता है, जिसे यीशु ने अपने पहाड़ी उपदेश में कहा था: “दिया करो, तो तुम्हें भी दिया जाएगा: लोग पूरा नाप दबा दबाकर और हिला हिलाकर और उभरता हुआ तुम्हारी गोद में डालेंगे, क्योंकि जिस नाप से तुम नापते हो, उसी से तुम्हारे लिये भी नापा जाएगा।” (लूका ६:३८) जब हम भाईचारे की प्रीति दिखाते हैं, उन लोगों के प्रति आदर अभिव्यक्त करते हैं जो हमारी तरह यहोवा के सेवक हैं, तब हम अपने आपको लाभ पहुँचाते हैं। सचमुच ख़ुश हैं वे जो भाईचारे की प्रीति दिखाने में आनन्द लेते हैं!
[फुटनोट]
a परवर्ती लेख देखिए: “प्रेम (अगापे)—क्या नहीं है और क्या है।”
आप कैसे उत्तर देंगे?
▫ कौनसे यूनानी शब्द हमारी भावनाओं के साथ सम्बन्धित हैं, और वे कैसे सुस्पष्ट हैं?
▫ भाईचारे की प्रीति की कुंजी क्या है?
▫ हमारे पास विशिष्ट भाईचारे की प्रीति के कौनसे शास्त्रवचनीय उदाहरण हैं?
▫ हमें अपने भाइयों और प्राचीनों के लिए क्यों हार्दिक प्रीति रखनी चाहिए?
[पेज 21 पर तसवीरें]
अपने विश्वास और अन्य मसीही गुणों को भाईचारे की प्रीति प्रदान करने के लिए प्रेरित पतरस ने अपने भाइयों से आग्रह किया