जागते रहने का समय
“अवश्य है कि पहिले सुसमाचार सब जातियों में प्रचार किया जाए। . . . पर जो अन्त तक धीरज धरे रहेगा, उसी का उद्धार होगा।”—मरकुस १३:१०, १३.
१. हमें क्यों धीरज धरना और हिम्मत बाँधनी चाहिए?
अविश्वासी और हठीली पीढ़ी के बीच—हमें धीरज धरना होगा! यीशु के दिनों की तरह, १९१४ से लोगों की एक पीढ़ी भ्रष्ट हो गई है। और आज भ्रष्टाचार विश्वव्यापी पैमाने पर है। इन “अन्तिम दिनों” में प्रेरित पौलुस द्वारा वर्णित “कठिन समय” मनुष्यजाति को पीड़ित कर रहे हैं। ‘दुष्ट, और बहकानेवाले बिगड़ते चले जाते हैं।’ स्पष्टतः, “सारा संसार उस दुष्ट,” शैतान अर्थात् इब्लीस “के वश में पड़ा है,” जो अब पृथ्वी को बिगाड़ने की अपनी आख़िरी कोशिश कर रहा है। लेकिन हिम्मत बाँधिए! ‘बड़ा क्लेश’ निकट आ रहा है जो धार्मिकता के सभी प्रेमियों के लिए स्थायी राहत लाएगा।—२ तीमुथियुस ३:१-५, १३; १ यूहन्ना ५:१९; प्रकाशितवाक्य ७:१४.
२. वर्ष १९१४ में भविष्यवाणी कैसे पूरी हुई?
२ ख़ुशी की बात है कि यहोवा ने मनुष्यजाति के दमनकारी शत्रुओं को हटाने की तैयारी में प्रभु यीशु मसीह को अब स्वर्ग में सिंहासनारूढ़ किया है। (प्रकाशितवाक्य ११:१५) जैसे मसीहा के पहले आगमन के समय हुआ, वैसे ही इस शताब्दी में भी दानिय्येल द्वारा लिखी एक उल्लेखनीय भविष्यवाणी पूरी हो चुकी है। दानिय्येल ४:१६, १७, ३२ में “सात काल” की अवधि के लिए पृथ्वी पर वैध शासन के रोकने के बारे में हमें बताया गया है। उनकी मुख्य पूर्ति में, यह सात काल सात बाइबलीय वर्षों के बराबर हैं और प्रत्येक वर्ष में ३६० ‘दिन’ हैं, या कुल २,५२० वर्ष।a वे सा.यु.पू. ६०७ से, जब बाबुल इस्राएल के राज्य को पैरों तले रौंदने लगा, सा.यु. १९१४ तक थे, वह वर्ष जब यीशु मनुष्यजाति के वैध राजा के तौर पर स्वर्ग में सिंहासनारूढ़ हुआ। तब ‘अन्यजातियों के समय’ का अन्त हुआ। (लूका २१:२४) लेकिन राष्ट्रों ने आ रहे मसीहाई राज्य के अधीन होने से इनकार किया है।—भजन २:१-६, १०-१२; ११०:१, २.
३, ४. (क) पहली शताब्दी की घटनाओं की तुलना हमारे समय की घटनाओं से कैसे की जा सकती है? (ख) कौन-से उपयुक्त सवाल पूछे जा सकते हैं?
३ जब वर्षों का ७०वां सप्ताह (सा.यु. २९-३६) निकट आया, और फिर जब वर्ष १९१४ निकट आया, परमेश्वर का भय माननेवाले लोग मसीहा के आगमन की अपेक्षा कर रहे थे। और वह ज़रूर आया! परन्तु हर अवसर पर उसके आगमन का तरीक़ा अपेक्षित तरीक़े से भिन्न था। हर अवसर पर तुलनात्मक रूप से एक छोटी समयावधि के बाद, एक दुष्ट “पीढ़ी” का अंततः ईश्वरीय आज्ञानुसार विनाश होता है।—मत्ती २४:३४.
४ हमारे पिछले लेख में, हम ने देखा कि कैसे दुष्ट यहूदी पीढ़ी जिसने यीशु के खून की माँग की, नाश हुई। तो फिर, मनुष्यजाति की अनर्थकारी पीढ़ी का क्या जो अब भी उसका विरोध करती है या उसकी उपेक्षा करती है? इस अविश्वासी पीढ़ी पर न्याय कब कार्यान्वित किया जाएगा?
“जागते रहो”!
५. (क) किस वैध कारण से हमें यहोवा के ‘दिन और घड़ी’ को जानने की ज़रूरत नहीं है? (ख) मरकुस के अनुसार, किस ठोस सलाह से यीशु ने अपनी भविष्यवाणी समाप्त की?
५ “भारी क्लेश” के समय की ओर ले जानेवाली घटनाओं की भविष्यवाणी करने के बाद यीशु ने कहा: “उस दिन और उस घड़ी के विषय में कोई नहीं जानता; न स्वर्ग के दूत, और न पुत्र, परन्तु केवल पिता।” (मत्ती २४:३-३६; मरकुस १३:३-३२) हमें घटनाओं के सही समय को जानने की ज़रूरत नहीं है। इसके बजाय, हमारा ध्यान जागते रहने, दृढ़ विश्वास विकसित करने, और यहोवा की सेवा में व्यस्त रहने पर केंद्रित होना चाहिए—एक तिथि का पता लगाने पर नहीं। यीशु ने अपनी महान भविष्यवाणी को यह कहते हुए समाप्त किया: “देखो, जागते और प्रार्थना करते रहो; क्योंकि तुम नहीं जानते कि वह समय कब आएगा। . . . जागते रहो . . . जो मैं तुम से कहता हूं, वही सब से कहता हूं, जागते रहो।” (मरकुस १३:३३-३७) आज संसार के अंधकार में ख़तरा मंडराता है। हमें जागते रहना है!—रोमियों १३:११-१३.
६. (क) हमारा विश्वास किस पर दृढ़ होना चाहिए? (ख) हम कैसे ‘अपने दिन गिन’ सकते हैं? (ग) “पीढ़ी” कहने में मूलतः यीशु का क्या अर्थ है?
६ हमें न केवल एक दुष्ट व्यवस्था के इन अंतिम दिनों के संबंध में उत्प्रेरित भविष्यवाणियों पर ध्यान देना चाहिए परन्तु हमें अपना विश्वास मुख्यतः मसीह यीशु के अमूल्य बलिदान पर और उस पर आधारित परमेश्वर की अद्भुत प्रतिज्ञाओं पर दृढ़ करना चाहिए। (इब्रानियों ६:१७-१९; ९:१४; १ पतरस १:१८, १९; २ पतरस १:१६-१९) इस दुष्ट व्यवस्था के अन्त को देखने के लिए उत्सुक, यहोवा के लोगों ने “भारी क्लेश” के शुरू होने के समय के बारे में कभी-कभी अनुमान लगाया है, यहाँ तक कि इसे १९१४ से एक पीढ़ी के अनुमानित जीवनकाल के साथ जोड़ा है। लेकिन, इस बात का अनुमान लगाने से नहीं कि एक पीढ़ी कितने सालों या दिनों की होती है, परन्तु इस बात पर विचार करने से कि यहोवा को आनन्दपूर्ण स्तुति लाने में हम कैसे ‘अपने दिन गिनते’ हैं, हम ‘बुद्धिमान होते’ हैं। (भजन ९०:१२) समय को मापने के लिए एक मापदंड देने के बजाय, यीशु ने जैसे पद “पीढ़ी” का इस्तेमाल किया, वह मुख्यतः उनकी ख़ास विशेषताओं के साथ किसी निश्चित ऐतिहासिक समयावधि के समकालीन लोगों को सूचित करता है।b
७. इतिहास के एक प्रोफ़ॆसर “१९१४ की पीढ़ी” के बारे में क्या लिखते हैं, और यह यीशु की भविष्यवाणी से कैसे संबंधित है?
७ ऊपरयुक्त बात के सामंजस्य में, इतिहास के प्रोफ़ॆसर रोबर्ट वॉह्ल ने अपनी पुस्तक १९१४ की पीढ़ी (अंग्रेज़ी) में लिखा: “इतिहास की एक पीढ़ी अपनी तिथि से निश्चित नहीं की जाती है . . . यह तिथि-क्षेत्र नहीं है।” लेकिन उन्होंने बताया कि प्रथम विश्व युद्ध ने “अतीत से टूटने का एक तीव्र बोध” उत्पन्न किया, और उन्होंने आगे जोड़ा: “जो युद्ध से बच निकले वे कभी अपने मन से यह बात निकाल नहीं सकते कि अगस्त १९१४ को एक संसार का अन्त हुआ और दूसरे की शुरूआत हुई।” यह कितना सच है! यह इस मामले के मूल विषय पर ध्यान केंद्रित करता है। मनुष्यजाति की “इस पीढ़ी” ने १९१४ से भयानक बदलाहटों का अनुभव किया है। इसने पृथ्वी को करोड़ों लोगों के खून से तराबोर देखा है। युद्ध, जाति-संहार, आतंकवाद, अपराध, और अराजकता संसार-भर में फूट पड़ी है। हमारी पृथ्वी पर अनेक लोग अकाल, बीमारी और अनैतिकता के शिकार हुए हैं। यीशु ने भविष्यवाणी की: “जब तुम [उसके शिष्य] ये बातें होते देखो, तब जान लो कि परमेश्वर का राज्य निकट है। मैं तुम से सच कहता हूं, कि जब तक ये सब बातें न हो लें, तब तक इस पीढ़ी का कदापि अन्त न होगा।”—लूका २१:३१, ३२.
८. जागते रहने की ज़रूरत पर यहोवा के भविष्यवक्ता कैसे ज़ोर देते हैं?
८ जी हाँ, मसीहाई राज्य की पूर्ण विजय निकट है! तो फिर, तिथियों का पता लगाने से या एक “पीढ़ी” के शाब्दिक जीवनकाल के बारे में अनुमान लगाने से क्या कुछ फ़ायदा है? बिलकुल नहीं! हबक्कूक २:३ स्पष्टतः बताती है: “इस दर्शन की बात नियत समय में पूरी होनेवाली है, वरन इसके पूरे होने का समय वेग से आता है; इस में धोखा न होगा। चाहे इस में विलम्ब भी हो, तौभी उसकी बाट जोहते रहना; क्योंकि वह निश्चय पूरी होगी और उस में देर न होगी।” यहोवा का लेखा लेने का दिन तेज़ी से निकट आता जाता है।—यिर्मयाह २५:३१-३३; मलाकी ४:१.
९. वर्ष १९१४ से कौन-सी घटनाएँ दिखाती हैं कि समय थोड़ा ही रह गया है?
९ जब मसीह का राज्य शासन १९१४ में शुरू हुआ, तब शैतान पृथ्वी पर फेंक दिया गया। इसका अर्थ “पृथ्वी . . . पर हाय” रहा है “क्योंकि शैतान बड़े क्रोध के साथ तुम्हारे पास उतर आया है; क्योंकि जानता है, कि उसका थोड़ा ही समय और बाकी है।” (तिरछे टाइप हमारे।) (प्रकाशितवाक्य १२:१२) शैतान के शासन के उन हज़ारों वर्षों की तुलना में वह समय वास्तव में थोड़ा ही है। राज्य निकट है, और इस दुष्ट पीढ़ी पर न्याय कार्यान्वित करने का यहोवा का दिन और घड़ी भी निकट है!—नीतिवचन ३:२५; १०:२४, २५.
वह “पीढ़ी” जो जाती रहेगी
१०. “यह पीढ़ी” नूह के दिनों की तरह कैसे है?
१० आइए हम मत्ती २४:३४, ३५ में यीशु के कथन को और नज़दीकी से जाँचें: “मैं तुम से सच कहता हूं, कि जब तक ये सब बातें पूरी न हो लें, तब तक यह पीढ़ी जाती न रहेगी। आकाश और पृथ्वी टल जाएंगे, परन्तु मेरी बातें कभी न टलेंगी।” (तिरछे टाइप हमारे।) यीशु के आगे के शब्द बताते हैं कि “उस दिन और उस घड़ी के विषय में कोई नहीं जानता।” इससे कहीं अधिक महत्त्वपूर्ण, वह बताता है कि हमें उन फंदों से बचना है जो इस पीढ़ी में हमारे चारों ओर फैले हुए हैं। अतः, यीशु आगे बताता है: “जैसे नूह के दिन थे; वैसा ही मुनष्य के पुत्र का आना भी होगा। क्योंकि जैसे जल-प्रलय से पहिले के दिनों में, जिस दिन तक कि नूह जहाज पर न चढ़ा, उस दिन तक लोग खाते-पीते थे, और उन में ब्याह शादी होती थी। और जब तक जल-प्रलय आकर उन सब को बहा न ले गया, तब तक उन को कुछ भी मालूम न पड़ा; वैसे ही मनुष्य के पुत्र का आना भी होगा।” (मत्ती २४:३६-३९) यीशु ने यहाँ अपने समय की पीढ़ी की तुलना नूह के समय की पीढ़ी से की।—उत्पत्ति ६:५, ९; NW फुटनोट।
११. यीशु ने ‘पीढ़ियों’ की क्या तुलना की, जैसे मत्ती और लूका बताते हैं?
११ यह पहली बार नहीं था जब प्रेरितों ने यीशु को ‘पीढ़ियों’ की यह तुलना करते हुए सुना, क्योंकि कुछ ही दिनों पहले उसने अपने बारे में कहा था: “मनुष्य का पुत्र . . . आवश्यक है कि वह बहुत दुख उठाए और इस पीढ़ी के लोगों द्वारा त्यागा जाए। जैसा नूह के दिनों में हुआ था, वैसा ही मनुष्य के पुत्र के दिनों में भी होगा।” (तिरछे टाइप हमारे।) (लूका १७:२४-२६, NHT) अतः, मत्ती अध्याय २४ और लूका अध्याय १७ एक जैसी तुलना करते हैं। नूह के दिनों में वे ‘सब प्राणी [जिन्होंने] पृथ्वी पर अपनी अपनी चाल चलन बिगाड़ ली थी,’ और जो जल-प्रलय में नाश हो गए थे, “यह पीढ़ी” थे। यीशु के दिनों में धर्मत्यागी यहूदी लोग जो यीशु को त्याग रहे थे वे “यह पीढ़ी” थे।—उत्पत्ति ६:११, १२; ७:१.
१२, १३. (क) आज “यह पीढ़ी” क्या है जो जाती रहेगी? (ख) यहोवा के लोग अब इस “कुटिल और भ्रष्ट पीढ़ी” का कैसे सामना कर रहे हैं?
१२ इसलिए, आज यीशु की भविष्यवाणी की अंतिम पूर्ति में “यह पीढ़ी” प्रतीयमानतः पृथ्वी के उन लोगों को सूचित करती है जो मसीह की उपस्थिति का चिन्ह देखते हैं परन्तु अपने तौर-तरीक़ों को नहीं सुधारते। इसके विपरीत, यीशु के चेले होने के नाते हम इस “पीढ़ी” की जीवन-रीति के अनुरूप होने से इनकार करते हैं। संसार में रहने के बावजूद, हमें उसका भाग नहीं होना चाहिए, “क्योंकि [“नियुक्त,” NW] समय निकट आया है।” (प्रकाशितवाक्य १:३; यूहन्ना १७:१६) प्रेरित पौलुस हमें सलाह देता है: “सब काम बिना कुड़कुड़ाए और निर्विवाद किया करो, जिस से तुम निर्दोष और भोले बनो तथा इस कुटिल और भ्रष्ट पीढ़ी के बीच परमेश्वर के निष्कलंक सन्तान बनकर संसार में ज्योति बनकर चमको।”—फिलिप्पियों २:१४, १५, NHT; कुलुस्सियों ३:५-१०; १ यूहन्ना २:१५-१७.
१३ हमारे ‘ज्योति बनकर चमकने’ में केवल एक साफ़ मसीही व्यक्तित्व प्रदर्शित करना ही नहीं, परन्तु सबसे महत्त्वपूर्ण, यीशु की भविष्यसूचक नियुक्ति को पूरा करना भी शामिल है: “राज्य का यह सुसमाचार सारे जगत में प्रचार किया जाएगा, कि सब जातियों पर गवाही हो, तब अन्त आ जाएगा।” (मत्ती २४:१४) कोई मनुष्य नहीं बता सकता कि वह अन्त कब होगा, लेकिन हम जानते हैं कि जब “पृथ्वी की छोर तक” परमेश्वर के संतुष्टि-योग्य गवाही दी जा चुकी होगी, तब दुष्ट लोगों की इस “पीढ़ी” का अन्त आएगा।—प्रेरितों १:८.
‘वह दिन और घड़ी’
१४. “समयों या कालों” के बारे में यीशु और पौलुस, दोनों ने क्या सलाह दी, और हमें कैसी प्रतिक्रिया दिखानी चाहिए?
१४ जब विश्वव्यापी गवाही कार्य उस हद तक किया जा चुका होगा जिस हद तक यहोवा का उद्देश्य है, तब वह इस संसार की व्यवस्था को मिटाने का उसका ‘दिन और घड़ी’ होगा। हमें उस तिथि को पहले से जानने की ज़रूरत नहीं है। अतः, यीशु के उदाहरण का अनुकरण करते हुए, प्रेरित पौलुस ने सलाह दी: “अब हे भाइयो, इस बात की आवश्यकता नहीं कि समयों या कालों के विषय में तुम्हें कुछ लिखा जाए। क्योंकि तुम स्वयं भली-भांति जानते हो कि जैसे रात्रि में चोर आता है, वैसे ही प्रभु का दिन भी आएगा। जब लोग कह रहे होंगे, ‘शान्ति और सुरक्षा है,’ तब जैसे गर्भवती स्त्री पर सहसा प्रसव पीड़ा आ पड़ती है, वैसे ही उन पर भी विनाश आ पड़ेगा, और वे बच न सकेंगे।” पौलुस की मुख्य बात पर ध्यान दीजिए: “जब लोग कह रहे होंगे।” (तिरछे टाइप हमारे) जी हाँ, जब “शान्ति और सुरक्षा” के बारे में बात होगी, जब उसकी बिलकुल अपेक्षा नहीं की जाएगी, तब परमेश्वर का न्याय अचानक कार्यान्वित किया जाएगा। पौलुस की सलाह कितनी उपयुक्त है: “अतः हम दूसरों के समान सोते न रहें, परन्तु सजग और सतर्क रहें”!—१ थिस्सलुनीकियों ५:१-३, ६, NHT. आयत ७-११; प्रेरितों १:७ भी देखिए।
१५, १६. (क) हमें यह क्यों नहीं सोचना चाहिए कि अरमगदोन जितना हम ने विश्वास किया था उससे अधिक दूर है? (ख) यहोवा की सर्वसत्ता को नज़दीकी भविष्य में कैसे महिमान्वित किया जाना है?
१५ क्या “इस पीढ़ी” के इस अधिक सुस्पष्ट दृष्टिकोण का यह अर्थ है कि अरमगिदोन जितना हम ने सोचा था उससे अधिक दूर है? बिलकुल नहीं! हालाँकि हम ने कभी “उस दिन और उस घड़ी” को नहीं जाना था, यहोवा परमेश्वर ने हमेशा से उसे जाना है, और वह बदलता नहीं। (मलाकी ३:६) स्पष्टतः, संसार पूर्ण विनाश की ओर बढ़ता जा रहा है। जागते रहने की ज़रूरत अभी सबसे ज़्यादा है। यहोवा ने “वे बातें, जिन का शीघ्र होना अवश्य है” हम पर प्रकट की हैं, और हमें अत्यावश्यकता के पूर्ण बोध के साथ प्रतिक्रिया दिखानी चाहिए।—प्रकाशितवाक्य १:१; ११:१८; १६:१४, १६.
१६ जैसे-जैसे समय निकट आता है, जागते रहिए, क्योंकि यहोवा शैतान की पूरी व्यवस्था पर विपत्ति लानेवाला है! (यिर्मयाह २५:२९-३१) यहोवा कहता है: “मैं अपने को महान और पवित्र ठहराऊंगा और बहुत सी जातियों के साम्हने अपने को प्रगट करूंगा। तब वे जान लेंगी कि मैं यहोवा हूं।” (यहेजकेल ३८:२३) वह निर्णायक “यहोवा का दिन” निकट आता है!—योएल १:१५; २:१, २; आमोस ५:१८-२०; सपन्याह २:२, ३.
धर्मी “नए आकाश और नई पृथ्वी”
१७, १८. (क) यीशु और पतरस के अनुसार “यह पीढ़ी” कैसे जाती रहेगी? (ख) आचरण और ईश्वरीय भक्ति के कार्यों के संबंध में हमें क्यों जागते रहना चाहिए?
१७ ‘पूरी होने वाली इन सब बातों’ के बारे में यीशु ने कहा: “आकाश और पृथ्वी टल जाएंगे, परन्तु मेरी बातें कभी न टलेंगी।” (मत्ती २४:३४, ३५) संभवतः यीशु के मन में “इस पीढ़ी” के “आकाश और पृथ्वी”—शासक और शासित लोग थे। प्रेरित पतरस ने “वर्तमान काल के आकाश और पृथ्वी” का ज़िक्र करते समय समान शब्दों का इस्तेमाल किया जो “इसलिये रखे हैं, कि जलाए जाएं; और वह भक्तिहीन मनुष्यों के न्याय और नाश होने के दिन तक ऐसे ही रखे रहेंगे।” वह आगे वर्णन करता है कि कैसे “प्रभु का दिन चोर की नाईं आ जाएगा, उस दिन [सरकारी] आकाश” के साथ-साथ भ्रष्ट मानव समाज या “पृथ्वी” और उसके पापपूर्ण कार्य ‘जाते रहेंगे।’ प्रेरित फिर हमें “आचरण के पवित्र कार्यों और ईश्वरीय भक्ति के कार्यों” (NW) को करने के लिए उकसाता है जब हम “परमेश्वर के उस दिन की बाट” जोहते हैं “जिस के कारण आकाश आग से पिघल जाएंगे, और आकाश के गण बहुत ही तप्त होकर गल जाएंगे!” इसके बाद क्या? पतरस हमारा ध्यान “नए आकाश और नई पृथ्वी” की ओर आकर्षित करता है “जिन में धार्मिकता बास करेगी।”—२ पतरस ३:७, १०-१३.c
१८ ये “नए आकाश,” मसीह यीशु और उसके संगी राजाओं द्वारा राज्य शासन, मनुष्यजाति के धर्मी “नई पृथ्वी” समाज पर आशीषें बरसाएगा। क्या आप उस समाज के भावी सदस्य हैं? यदि हाँ, तो आगे रखे महान भविष्य पर आनन्द करने का आपके पास कारण है!—यशायाह ६५:१७-१९; प्रकाशितवाक्य २१:१-५.
१९. कौन-से बड़े विशेषाधिकार का हम अभी आनन्द ले सकते हैं?
१९ जी हाँ, मनुष्यजाति की एक धर्मी “पीढ़ी” अब भी इकट्ठी की जा रही है। आज अभिषिक्त “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास” भजन ७८:१, ४ (NHT) के शब्दों के सामंजस्य में ईश्वरीय शिक्षा प्रदान कर रहा है: “हे मेरे लोगो, मेरी शिक्षा को सुनो, मेरे मुंह के वचनों पर कान लगाओ। . . . भावी पीढ़ी से यहोवा की स्तुति, उसके सामर्थ्य और उसके अद्भुत कार्यों का वर्णन करेंगे।” (मत्ती २४:४५-४७) इस वर्ष के अप्रैल १४ को, पृथ्वीभर में ७५,५०० से अधिक कलीसियाओं और कुछ २३० देशों में १,२०,००,००० से अधिक लोग मसीह की मृत्यु के स्मारक में उपस्थित हुए। क्या आप उनमें थे? ऐसा हो कि आप मसीह यीशु पर अपना विश्वास रखें और ‘उद्धार के लिए यहोवा का नाम लें।’—रोमियों १०:१०-१३.
२०. चूँकि “समय कम किया गया है,” हमें कैसे जागते रहना है, और किस प्रत्याशा को ध्यान में रखते हुए?
२० “समय कम किया गया है,” प्रेरित पौलुस ने कहा। इसलिए, जब हम मनुष्यजाति की एक दुष्ट पीढ़ी द्वारा थोपी गई परीक्षाओं और अत्याचार में धीरज धरते हैं, यह सदा जागते रहने और यहोवा के कार्य में व्यस्त रहने का समय है। (१ कुरिन्थियों ७:२९; मत्ती १०:२२; २४:१३, १४) आइए हम जागते रहें, “इस पीढ़ी” पर आनेवाली सभी बातों के प्रति ध्यान देते रहें जिन्हें बाइबल में पूर्वबताया गया है। (लूका २१:३१-३३) इन बातों से बचने के द्वारा और मनुष्य के पुत्र के सामने ईश्वरीय स्वीकृति के साथ खड़े रहने के द्वारा, अंततः हम अनन्त जीवन का प्रतिफल शायद प्राप्त कर सकेंगे।
[फुटनोट]
a “सात काल” पर विस्तृत जानकारी के लिए वॉचटावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी द्वारा प्रकाशित पुस्तक “तेरा राज्य आए” के पृष्ठ १२८-४०, १८७-९२ देखिए।
b वॉचटावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी द्वारा प्रकाशित शास्त्रवचनों पर अंतर्दृष्टि (अंग्रेज़ी) का खण्ड १, पृष्ठ ९१८ देखिए।
c वॉचटावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी द्वारा प्रकाशित हमारी आ रही विश्व सरकार—परमेश्वर का राज्य (अंग्रेज़ी) के पृष्ठ १५२-६ और १८०-१ भी देखिए।
पुनर्विचार में प्रश्न:
◻ दानिय्येल ४:३२ की पूर्ति पर ध्यान देने के बाद, हमें अब कैसे ‘जागते रहना’ चाहिए?
◻ मत्ती और लूका की सुसमाचार पुस्तकें “इस पीढ़ी” की कैसे पहचान कराती हैं?
◻ जब हम “उस दिन और उस घड़ी” का इंतज़ार करते हैं, हम क्या देखते हैं, और हमें कैसी प्रतिक्रिया दिखानी चाहिए?
◻ धर्मी “नए आकाश और नई पृथ्वी” की प्रत्याशा से हमें क्या करने के लिए प्रोत्साहित होना चाहिए?
[पेज 17 पर तसवीरें]
पीड़ित मनुष्यजाति को राहत प्राप्त होगी जब यह हिंसक और दुष्ट पीढ़ी जाती रहेगी
[चित्र का श्रेय]
Alexandra Boulat/Sipa Press
[चित्र का श्रेय]
Left and below: Luc Delahaye/Sipa Press
[पेज 18 पर तसवीरें]
मनुष्यजाति की सभी जातियों के लिए शानदार “नए आकाश और नई पृथ्वी” नज़दीकी भविष्य में हैं