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परमेश्वर हमसे क्या माँग करता है?प्रहरीदुर्ग—1997 | जनवरी 15
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“उस की आज्ञाएं कठिन नहीं”
४-६. (क) “कठिन” अनुवादित यूनानी शब्द का आक्षरिक अर्थ क्या है? (ख) हम क्यों कह सकते हैं कि परमेश्वर की आज्ञाएँ कठिन नहीं हैं?
४ “उसकी आज्ञाओं का पालन कर।” मूलतः, परमेश्वर हमसे यही अपेक्षा करता है। क्या यह माँग कर वह ज़्यादती कर रहा है? बिलकुल नहीं। प्रेरित यूहन्ना हमें परमेश्वर की आज्ञाओं, या माँगों के बारे में बहुत ही आश्वासन देनेवाली कुछ बात बताता है। उसने लिखा: “परमेश्वर का प्रेम यह है, कि हम उस की आज्ञाओं को मानें; और उस की आज्ञाएं कठिन नहीं।” (तिरछे टाइप हमारे।)—१ यूहन्ना ५:३.
५ “कठिन” अनुवादित यूनानी शब्द का आक्षरिक अर्थ है “भारी।” यह ऐसी बात को सूचित कर सकता है जिसके अनुसार चलना या जिसे पूरा करना मुश्किल हो। मत्ती २३:४ में, इसे “भारी बोझ,” (तिरछे टाइप हमारे।) मनुष्य के बनाए हुए नियमों और परम्पराओं का वर्णन करने के लिए प्रयोग किया गया है, जो शास्त्रियों और फरीसियों ने लोगों पर लादे थे। क्या आपको वृद्ध प्रेरित यूहन्ना के निष्कर्ष का अर्थ समझ आ रहा है? परमेश्वर की आज्ञाएँ एक भारी बोझ नहीं हैं, न ही वे इतनी कठिन हैं कि हम उनका पालन नहीं कर सकते। (व्यवस्थाविवरण ३०:११, NHT से तुलना कीजिए।) इसके विपरीत, जब हम परमेश्वर से प्रेम करते हैं, तब उसकी माँगों को पूरा करना हमें ख़ुशी देता है। यह हमें यहोवा के लिए अपना प्रेम प्रदर्शित करने का एक अनमोल अवसर देता है।
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परमेश्वर हमसे क्या माँग करता है?प्रहरीदुर्ग—1997 | जनवरी 15
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१२. आप कैसे समझाएँगे कि परमेश्वर और उसके उद्देश्यों का ज्ञान लेना क्यों एक भार नहीं है?
१२ परमेश्वर और उसके उद्देश्यों के बारे में ऐसा ज्ञान लेना क्या एक भार है? निश्चित ही नहीं! क्या आपको याद है कि जब पहली बार आपने सीखा था कि परमेश्वर का नाम यहोवा है, कि उसका राज्य इस पृथ्वी पर परादीस पुनःस्थापित करेगा, कि उसने अपने प्रिय पुत्र को हमारे पापों के लिए छुड़ौती के रूप में दिया, साथ ही दूसरी अनमोल सच्चाइयाँ सीखीं, तब आपको कैसा लगा था? क्या यह ऐसा नहीं था मानो अज्ञानता का पट हटाकर पहली बार बातों को स्पष्ट रूप से देखा हो? परमेश्वर का ज्ञान लेना एक भार नहीं है। यह तो प्रसन्नता की बात है!—भजन १:१-३; ११९:९७.
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परमेश्वर हमसे क्या माँग करता है?प्रहरीदुर्ग—1997 | जनवरी 15
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१६. समझाइए कि सही आचरण के बारे में परमेश्वर के स्तरों पर पूरा उतरना और उसके सत्य को स्वीकार करना क्यों एक भार नहीं है।
१६ क्या सही आचरण के बारे में परमेश्वर के स्तरों पर पूरा उतरना और उसके सत्य को स्वीकार करना हमारे लिए एक भार है? तब नहीं, जब हम लाभों पर विचार करते हैं—वह विवाह जिसमें पति-पत्नी एक दूसरे से प्रेम करते और एक दूसरे पर भरोसा रखते हैं उस विवाह के बजाय जो विश्वासघात के कारण टूट जाता है; वह घर जहाँ बच्चों को लगता है कि उनके माता-पिता उनसे प्रेम करते और उन्हें चाहते हैं उस परिवार के बजाय जहाँ बच्चों को लगता है कि उनसे प्रेम नहीं किया जाता, उनकी परवाह नहीं की जाती, और उनकी ज़रूरत नहीं है; एक शुद्ध अंतःकरण और अच्छा स्वास्थ्य, दोष भावनाओं और एक ऐसे शरीर के बजाय जो एडस् या किसी दूसरी लैंगिक रूप से फैलनेवाली बीमारी से ग्रस्त हो। निश्चित ही, यहोवा की माँगें हमें किसी ऐसी बात से वंचित नहीं करतीं जिनकी हमें जीवन का आनन्द लेने के लिए ज़रूरत है!—व्यवस्थाविवरण १०:१२, १३.
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परमेश्वर हमसे क्या माँग करता है?प्रहरीदुर्ग—1997 | जनवरी 15
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१९. समझाइए कि जीवन और लहू के लिए आदर दिखाने से हम कैसे लाभ उठाते हैं।
१९ क्या जीवन और लहू को पवित्र समझना हमारे लिए एक भार है? निश्चित ही नहीं! इसके बारे में सोचिए। क्या तम्बाकू पीने के कारण होनेवाले फेफड़ों के कैंसर से बचना एक भार है? क्या हानिकर दवाओं के मानसिक और शारीरिक व्यसन से बचना एक भार है? क्या रक्ताधान के कारण एडस्, यकृत-शोथ, या कोई और बीमारी लगने से बचना एक भार है? स्पष्टतया, हमारा हानिकर आदतों और अभ्यासों से दूर रहना हमारे हित में है।—यशायाह ४८:१७.
२०. जीवन के बारे में परमेश्वर का दृष्टिकोण रखने से एक परिवार को कैसे लाभ हुआ?
२० इस अनुभव पर विचार कीजिए। कुछ साल पहले, एक साक्षी स्त्री को, जिसे क़रीब साढ़े तीन महीने का गर्भ था, एक शाम रक्तस्राव होने लगा और उसे जल्दी से अस्पताल ले जाया गया। एक डॉक्टर द्वारा उसकी जाँच किए जाने के बाद, उसने डॉक्टर को एक नर्स से यह कहते सुना कि उन्हें गर्भ गिराना पड़ेगा। यह जानते हुए कि यहोवा अजन्मे बच्चे के जीवन को किस दृष्टि से देखता है, उसने गर्भपात कराने के लिए दृढ़ता से मना कर दिया, और डॉक्टर से कहा: “यदि वह जीवित है, तो उसे वहीं रहने दीजिए!” उसे कभी-कभी कुछ रक्तस्राव होता रहा, लेकिन कई महीने बाद उसने समयपूर्व एक स्वस्थ लड़के को जन्म दिया जो अब १७ साल का है। उसने समझाया: “हमारे पुत्र को यह सब बताया गया, और उसने कहा कि वह ख़ुश है कि उसे कचरे में नहीं फेंक दिया गया। वह जानता है कि हमारा यहोवा की सेवा करना वह एकमात्र कारण है कि वह जीवित भी है।” निश्चित ही, जीवन के प्रति परमेश्वर का दृष्टिकोण रखना इस परिवार के लिए कोई भार नहीं था!
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परमेश्वर हमसे क्या माँग करता है?प्रहरीदुर्ग—1997 | जनवरी 15
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२३, २४. हम कैसे सचित्रित कर सकते हैं कि यहोवा के संगठित लोगों के साथ मिलकर उसकी सेवा करना एक भार नहीं है?
२३ क्या यहोवा के संगठित लोगों के साथ मिलकर उसकी सेवा करना एक भार है? जी नहीं, बिलकुल नहीं! इसके विपरीत, मसीही भाई-बहनों के एक विश्वव्यापी परिवार का प्रेम और सहारा पाना एक अनमोल विशेषाधिकार है। (१ पतरस २:१७) कल्पना कीजिए कि एक जहाज़ के डूबने पर आप बच गए हैं, और अब डूबने से बचने के लिए अपने आपको पानी में हाथ-पैर मारते हुए पाते हैं। जब आपको लगता है कि अब आपके बस की नहीं, तभी एक रक्षानौका में से एक हाथ आपकी ओर बढ़ता है। जी हाँ, दूसरे लोग भी बचे हैं! रक्षानौका में, आप और दूसरे बारी-बारी से चप्पू चलाते हुए, रास्ते में दूसरे उत्तरजीवियों को साथ लेते हुए, किनारे की ओर बढ़ते हैं।
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