“ऐसों का आदर किया करना”
“ऐसों को मानो।”—१ कुरिन्थियों १६:१८.
१. प्रेरित पौलुस ने किस तरह के आदमियों को विशेष रूप से प्रिय जाना, और एक ऐसे मसीही के बारे में उसने क्या लिखा?
प्रेरित पौलुस ने जिस तरह के आदमियों को खास तौर से प्रिय जाना वे वही लोग थे जो यहोवा और अपने भाइयों के लिए जी खोलकर अपनी ताक़त इस्तेमाल करने के लिए तैयार थे। ऐसे ही एक सह-कर्मी के विषय पौलुस ने लिखा: “इसलिए तुम प्रभु में उस से बहुत आनन्द के साथ भेंट करना, और ऐसों का आदर किया करना। क्योंकि वह मसीह के काम के लिए अपने प्राणों पर जोख़िम उठाकर मरने के निकट हो गया था।”—फिलिप्पियों २:२९, ३०.
२. हमें किस को खास ध्यान देना चाहिए, और क्यों?
२ आज, यहोवा के गवाहों के ६०,००० से भी ज़्यादा मण्डलियों में, कई उत्तम मसीही पुरुष मौजूद हैं, जिनकी, उनके अपने भाइयों के बीच परिश्रम की वजह से, हमें विशेष रूप से क़दर करनी चाहिए। यह दिखाकर कि हमें ऐसे आदमियों को प्रिय जानना चाहिए, पौलुस ने कहा: “हे भाइयों, हम तुम से बिनती करते हैं, कि जो तुम में परिश्रम करते हैं, और प्रभु में तुम्हारे अगुवे हैं, और तुम्हें शिक्षा देते हैं, उन्हें मानो। और उन के काम के कारण प्रेम के साथ उन को बहुत ही आदर के योग्य समझो: आपस में मेल-मिलाप से रहो।”—१ थिस्सलुनीकियों ५:१२, १३.
३. (अ) हमें एक दूसरे के साथ शान्तिमय रहने में क्या मदद करेगा? (ब) प्राचीनों को किस संबंध में आदर्श पेश करना चाहिए?
३ अपने सभी भाई-बहनों के लिए, और खास कर परिश्रमी प्राचीनों के लिए, उचित क़दर हमारी मण्डलियों में शान्तिमय जीवन-यापन के लिए एक महत्त्वपूर्ण तत्त्व है। इस में, जैसा कि मसीही जीवन के हर क्षेत्र में, प्राचीनों को “झुण्ड के लिए आदर्श” होना चाहिए। (१ पतरस ५:२, ३) फिर भी, जबकि प्राचीन उचित रूप से अपेक्षा कर सकते हैं कि भाई उनके परिश्रम के लिए उनकी क़दर करें, उन्हें भी एक दूसरे के लिए उचित क़दर दिखाने में आदर्श पेश करना चाहिए।
“एक दूसरे का आदर करना”
४, ५. (अ) क्या दिखाता है कि प्रेरित पौलुस ने परिश्रमी प्राचीनों की क़दर की? (ब) रोम के मसीहियों को उसने क्या लिखा, और उसके शब्द विशेष रूप से प्राचीनों पर क्यों लागू होते हैं?
४ इस संबंध में प्रेरित पौलुस ने एक बढ़िया आदर्श पेश किया। जैसा कि हमने पूर्ववर्ती लेख में देखा, उसने अपने भाई-बहनों में अच्छी बातें ढूँढ़ीं। और उसने न केवल मसीहियों को परिश्रमी प्राचीनों से प्रेम और आदर करने के लिए प्रोत्साहित किया लेकिन इन के लिए खुद उसने भी उचित क़दर दिखायी। प्रत्यक्ष रूप से उसने ऐसों का आदर किया।—फिलिप्पियों २:१९-२५, २९; कुलुस्सियों ४:१२, १३; तीतुस १:४, ५ से तुलना करें।
५ रोम के मसीहियों को अपनी चिट्ठी में, पौलुस ने लिखा: “भाइयों जैसे प्रेम से एक दूसरे पर माया रखो; एक दूसरे का आदर करने में पहल करो। प्रयत्न करने में आलसी न हो; आत्मिक उन्माद में भरे रहो; यहोवा के लिए सेवा करते रहो।” (रोमियों १२:१०, ११, न्यू.व.) निश्चय ही, ये शब्द मूल रूप से मसीही प्रचीनों पर लागू होते हैं। सभी मसीहियों से बढ़कर, उन्हें एक दूसरे को आदर दिखाने में पहल करनी चाहिए।
६. (अ) प्राचीनों को क्या करने से बचे रहना चाहिए, और क्यों? (ब) प्राचीन प्राचीनों की पूरी समिति पर मण्डली का विश्वास कैसे बढ़ा सकते हैं?
६ प्राचीनों को संगी अध्यक्षों के विषय अपमानजनक बातें न करने में खास तौर से सतर्क रहना चाहिए। किसी एक प्राचीन में सर्वोच्च कोटि तक सभी मसीही गुण उपस्थित नहीं, इसलिए कि सभी अपूर्ण हैं। कुछ लोग कुछेक गुणों में श्रेष्ठ हैं, लेकिन वे अन्य गुणों में कमज़ोर हैं। अगर प्राचीनों को एक दूसरे के लिए उचित भाइयों जैसा प्रेम और कोमल स्नेह है, तो वे एक दूसरे की कमज़ोरियों को कम महत्त्व देंगे। भाइयों से बातचीत करते वक्त, वे अपने संगी प्राचीनों के सद्गुणों को विशिष्ट करेंगे। इस प्रकार एक दूसरे को आदर दिखाने में पहल करने से, वे प्राचीनों की पूरी समिति में मण्डली के विश्वास को बढ़ाएँगे।
एक देह के तौर से एक साथ काम करना
७. प्राचीनों को एकता में इकट्ठा काम करने के लिए क्या मदद करेगा, और वे यह किस तरह दिखाएँगे?
७ भाइयों के सिद्ध करने के उद्देश्य से और सेवा के काम के लिए मसीह ने पृथ्वी पर अपनी मण्डली को जो ‘मनुष्य दान दिए,’ उन के बारे में बोलने के बाद, प्रेरित पौलुस ने लिखा: “प्रेम से . . . सब बातों में उस में जो सिर है, अर्थात् मसीह में बढ़ते जाएँ।” (इफिसियों ४:७-१५) यह मानना कि मसीह कलीसिया का सक्रीय प्रमुख है, और कि प्राचीनों को उसके अधिकार के दाएँ हाथ के अधीन होना चाहिए, प्राचीनों की प्रत्येक समिति में एक एकतावर्धक तत्त्व है। (इफिसियों १:२२; कुलुस्सियों १:१८; प्रकाशितवाक्य १:१६, २०; २:१) वे पवित्र आत्मा, बाइबल सिद्धांत, और “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास” के शासी वर्ग द्वारा दी अगुआई के ज़रिए उसका मार्गदर्शन खोजेंगे।—मत्ती २४:४५-४७; प्रेरितों के काम १५:२, २८; १६:४, ५.
८. सभी प्राचीनों को क्या याद रखना चाहिए, और वे एक दूसरे को किस तरह आदर दिखाएँगे?
८ प्राचीन जान जाएँगे कि मसीह, पवित्र आत्मा के ज़रिए, प्राचीनों की समिति में किसी भी प्राचीन के दिमाग़ को निर्देशित कर सकता है ताकि वह वही बाइबल सिद्धांत बताएगा जो किसी भी परिस्थिति से निपटने या कोई महत्त्वपूर्ण निर्णय लेने में ज़रूरी है। (प्रेरितों के काम १५:६-१५) समिति में किसी एक प्राचीन को ही आत्मा पर एकाधिकार नहीं। उन में से जो प्राचीन विचाराधीन विषय पर एक बाइबल सिद्धांत या शासी वर्ग से कोई उपदेश बताता है, उस की बात ध्यानपूर्वक सुनकर, प्राचीन एक दूसरे को आदर दिखाएँगे।
९. (अ) एक अध्यक्ष को अपने संगी प्राचीनों के साथ उद्धत होने से बचे रहने के लिए कौनसे आत्मिक गुण मदद करेंगे? (ब) कोई प्राचीन खुद को “समझदार” किस तरह दिखाएगा, और पहले-शतक के शासी वर्ग ने इस संबंध में आदर्श किस तरह पेश किया?
९ मसीही शालीनता, विनम्रता, और दीनता किसी भी प्राचीन को अपने भाइयों पर अधिकार जताने और अपनी राय दूसरों पर थोपने से रोकेंगी। (नीतिवचन ११:२; कुलुस्सियों ३:१२) किसी विषय पर एक मसीही अध्यक्ष को बहुत ही सुस्पष्ट और निष्कपट विचार होंगे। लेकिन अगर वह देखेगा कि उस से अलग मत के होने के लिए उसके संगी प्राचीनों के पास धर्मशास्त्रीय और ईशतंत्रिक कारण हैं, तो वह अधिकांश की राय के सामने झुककर ‘छोटे व्यक्ति के तौर से बर्ताव करेगा’ और खुद को “समझदार” दिखाएगा।a (लूका ९:४८; १ तीमुथियुस ३:३) वह पहले शतक के शासी वर्ग के दिए आदर्श का अनुसरण करेगा, जिस ने कि, एक धर्मशास्त्रीय विचार-विमर्श के बाद, और पवित्र आत्मा के ज़रिए मसीह द्वारा दी अगुआई के अधीन, “एक चित्त होकर” किसी बात को “ठीक समझा।”—प्रेरितों के काम १५:२५.
१०. (अ) क्या साबित करता है कि प्रत्येक मण्डली में प्राचीनों की समिति की नियुक्ति एक बाइबल-आधारित व्यवस्था है? (ब) ऑर्गनाइज़्ड टू अकंप्लिश आवर मिनिस्ट्री नामक किताब इस व्यवस्था के फ़ायदों पर किस तरह व्याख्या करती है?
१० प्रत्येक मण्डली में अगुआई करने के लिए प्राचीनों की एक समिति की नियुक्ति प्रारंभिक मसीही मण्डली द्वारा पेश किए गए आदर्श पर आधारित है। (फिलिप्पियों १:१; १ तीमुथियुस ४:१४; तीतुस १:५; फुटनोट की तुलना द जेरूसलेम बाइबल में तीतुस १:५ में “प्राचीन” शब्द से करें।) इस व्यवस्था की बुद्धिमानी को संक्षेप में दोहराते हुए, ऑर्गनाइज़्ड टू अकंप्लिश आवर मिनिस्ट्री नामक किताब (पृष्ठ ३७) में बताया गया है: “कुछ प्राचीन दूसरे किसी गुण से ज़्यादा अमुक विशेष गुण में विशिष्ट होंगे, जबकि समिति के अन्य प्राचीन उन गुणों में विशिष्ट होंगे जो दूसरों में कमज़ोर हैं। तो फिर, आम तौर पर, परिणाम ऐसा है कि संपूर्ण रूप में, समिति में वे सभी उत्तम गुण होंगे जो परमेश्वर की कलीसिया की उचित अध्यक्षता करने के लिए ज़रूरी हैं।”
प्राचीनों की समितियों में परस्पर आदर
११, १२. (अ) प्राचीनों की समिति व्यक्तिगत रूप से कार्य करनेवाले सदस्यों की तुलना में क्यों ज़्यादा निष्पादित कर सकती है? (ब) यीशु मसीह और प्रेरित पौलुस ने प्राचीनों की समितियों से किस तरह व्यवहार किया, और कौनसा उपदेश दिया गया?
११ इस प्राकार प्राचीन की समिति एक ऐसी धर्मशास्त्रीय हस्ती है जो अपने अंगों के योग की तुलना में पूर्ण रूप में ज़्यादा चित्रित करती है। जब वे मिलते हैं और मसीह तथा पवित्र आत्मा द्वारा यहोवा के मार्गदर्शन के लिए प्रार्थना करते हैं, वे ऐसे निर्णय ले सकते हैं जो आम तौर पर नहीं लिए जाते अगर उन से व्यक्तिगत रूप से सलाह-मशविरा लिया गया होता। जब प्राचीन इकट्ठा होते हैं, उनके विविध गुण प्रयोग में लाए जाते हैं और उनसे ऐसे परिणाम उत्पन्न होते हैं जो मामलों में मसीह का मार्गदर्शन प्रतिबिंबित करते हैं।—मत्ती १८:१९, २० से तुलना करें।
१२ यह बात कि मसीह इस तरह प्राचीनों की पूरी समितियों से व्यवहार करता था उन संदेशों से सूचित है जो उसने “सात तारों,” या एशिया माइनर में “सातों कलीसियाओं के दूतों” को भेजा। (प्रकाशितवाक्य १:११, २०) पहला संदेश इफिसुस की कलीसिया को उसके ‘दूत,’ या अभिषिक्त अध्यक्षों की समिति के ज़रिए भेजा गया। लगभग ४० साल पहले, प्रेरित पौलुस ने इफिसुस के प्राचीनों की समिति को उस से एक खास भेंट करने के लिए मीलेतुस बुलवाया। उसने उन्हें अपनी चौकसी रखने और झुण्ड की रखवाली करने के लिए याद दिलाया।—प्रेरितों के काम २०:१७, २८.
१३. प्राचीनों की अपनी स्थानीय समिति के भीतर प्राचीनों द्वारा दिखायी जानेवाली मनोवृत्ति की ओर और प्राचीनों की अन्य समितियों के साथ उनके सामूहिक संबंध की ओर ध्यान क्यों देना चाहिए?
१३ प्राचीनों की समितियों को अपने बीच और मण्डली के भीतर एक उत्तम सकारात्मक मनोवृत्ति कायम रखने के लिए खास ध्यान देना चाहिए। (प्रेरितों के काम २०:३०) जिस तरह व्यक्तिगत मसीही अमुक मनोवृत्ति प्रकट करता है, उसी तरह प्राचीनों की समितियाँ और पूरी मण्डलियाँ कोई विशेष मनोवृत्ति विकसित कर सकते हैं। (फिलिप्पियों ४:२३; २ तीमुथियुस ४:२२; फिलेमोन २५) कभी-कभी ऐसा होता है कि प्राचीन जो अपनी मण्डली में एक दूसरे का आदर करते हैं, वे प्राचीनों की कोई दूसरी समिति से असम्मति दिखाते हैं। ऐसे शहरों में जहाँ कई मण्डलियाँ एक ही सभागृह में जमा होते हैं, वहाँ प्राचीनों की समितियों के बीच सभा की समय-सारिणी, क्षेत्र की सीमाएँ, किंग्डम हॉल में क्या-क्या लगाया जाएगा, इत्यादि, पर कभी-कभी विवाद विकसित हो सकता है। हर समिति के भीतर प्राचीनों को नियंत्रित करनेवाले शालीनता, दीनता, विनम्रता, और तर्कसंगति के सिद्धांतों को ही प्राचीनों की समितियों के बीच के संबंध को नियंत्रित करने चाहिए। प्रेरित पौलुस ने सलाह दी: “सब कुछ आत्मिक उन्नति के लिए होना चाहिए।”—१ कुरिन्थियों १४:२६.
यात्रा करनेवाले अध्यक्षों के लिए उचित आदर
१४. प्राचीनों का और कौनसा वर्ग प्रिय माने जाने के योग्य है, और क्यों?
१४ एक और बाइबल-आधारित व्यवस्था जो यहोवा के गवाहों की मण्डलियों में चालू है, वह नियमित रूप से यात्राशील प्राचीन, जो सरकिट या ज़िला अध्यक्ष कहलाए जाते हैं, उनके द्वारा भेंट की जानी है। (प्रेरितों के काम १५:३६; १६:४, ५) विशेष रूप से, ये वे “प्राचीन हैं जो अच्छा प्रबंध करते हैं।” चूँकि वे अन्य प्राचीनों से कुछ कम नहीं, उन्हें “जो वचन सुनाने और सिखाने में परिश्रम करते हैं, दो गुने आदर के योग्य समझा” जाना चाहिए।—१ तीमुथियुस ५:१७.
१५. प्रेरित यूहन्ना ने यात्रा करनेवाले सुसमाचारकों के संबंध में कौनसा उपदेश दिया?
१५ अपनी तीसरी चिट्ठी में प्रेरित यूहन्ना ने दियुत्रिफेस की निंदा इसलिए की कि उसने ‘भाइयों को आदर से ग्रहण करना’ अस्वीकार किया (आयत १०, न्यू.व.) ये भाई यात्रा करनेवाले मसीही थे जो “[यहोवा के] नाम के लिए” निकल पड़े थे। (आयत ७) प्रत्यक्ष रूप से उन्हें सुसमाचार प्रचार करने और जिन शहरों की मण्डलियों से उन्होंने भेंट की थी उन्हें उत्तेजित करने के लिए सुसमाचारकों की हैसियत से भेजा गया था। यूहन्ना ने आदेश दिया कि इन परिश्रमी, यात्राशील प्रचारकों को ‘उस प्रकार विदा किया जाना चाहिए जिस प्रकार परमेश्वर के लोगों के लिए उचित हो।’ (आयत ६) प्रेरित ने आगे कहा: “इसलिए ऐसों का स्वागत करना चाहिए, जिस से हम भी सत्य के पक्ष में उन के सहकर्मी हों।” (आयत ८) उनका स्वागत आदर से किया जाना था।
१६. पहले-शतक के सुसमाचारकों के लिए “विश्वासयोग्य कार्य” में गयुस के आदर्श पर आज सभी मसीही किस तरह चल सकते हैं, और यह उचित क्यों है?
१६ उसी तरह आज, शासी वर्ग द्वारा सुसमाचार प्रचार करने और मण्डलियों को मदद करने के लिए भेजे गए यात्रा करनेवाले अध्यक्षों का स्वागत मेहमानदारी और आदर से किया जाना चाहिए। ये भाई और (अगर वे शादी-शुदा हों, जैसा कि उन में के बहुत हैं) उनकी पत्नियाँ एक स्थायी घर में रहना त्यागने के लिए तैयार हैं। सोने को एक बिस्तर और अपने भोजन के लिए अपने भाइयों की मेहमानदारी पर अक़्सर निर्भर रहकर, वे एक जगह से दूसरी जगह सफर करते हैं। गयुस को, जो सामान्य युग पहली सदी में यात्रा करनेवाले सुसमाचारकों को प्रेम से अपने घर में लेता था, यूहन्ना ने लिखा: “हे प्रिय, जो कुछ तू उन भाइयों के साथ करता है, जो परदेशी भी हैं, उसे विश्वासी की नाईं करता है।” (३ यूहन्ना ५) उसी तरह आज, जो लोग ‘यहोवा के नाम के लिए’ यात्रा करते हैं, उन्हें उचित रूप से प्रिय मानना और प्रेम तथा आदर दिखाया जाना चाहिए।
१७. मण्डली के प्राचीनों को शासी वर्ग के भेंट करनेवाले प्रतिनिधियों के लिए उचित आदर किस तरह दिखाना चाहिए?
१७ प्राचीनों को, विशेषकर, शासी वर्ग के इन भेंट करनेवाले प्रतिनिधियों को उचित आदर दिखाना चाहिए। वे उनके आत्मिक गुणों और उनके अनुभव की वजह से, जो आम तौर से अनेक स्थानीय प्राचीनों से ज़्यादा है, मण्डलियों में भेजे जाते हैं। इन में के कुछ यात्रा करनेवाले अध्यक्ष शायद उम्र में भेंट होनेवाली मण्डलियों के कुछ प्राचीनों से जवान होंगे। लेकिन वह उन्हें उचित आदर न देने के लिए एक तर्कसंगत कारण नहीं। तीमुथियुस को दी पौलुस की चेतावनी याद करके, वे शायद स्थानीय प्राचीनों की सहायक सेवक या प्राचीन के तौर से किसी भाई की सिफ़ारिश करने में जल्दबाज़ी कम कराने की ज़रूरत महसूस करेंगे। (१ तीमुथियुस ५:२२) यद्यपि भेंट करनेवाले अध्यक्ष को स्थानीय प्राचीनों द्वारा बताए तर्क की ओर उचित ध्यान देना चाहिए, उन्हें भी उसकी बातें सुनने और उसके विस्तृत अनुभव से लाभ प्राप्त करने के लिए तैयार रहना चाहिए। जी हाँ, उन्हें “ऐसों का आदर” करते रहना चाहिए।—फिलिप्पियों २:२९.
“ऐसों को मानों”
१८, १९. (अ) पौलसु अपने सहकर्मियों के लिए अपनी क़दर किस तरह व्यक्त करता है? (ब) कौनसा उदाहरण दिखाता है कि पौलुस ने अपने मन में अपने भाइयों के विरुद्ध नाराज़गी नहीं रखी?
१८ कुरिन्थियों को लिखी अपनी पहली चिट्ठी में, पौलुस ने लिखा: “हे भाइयों, तुम स्तिफनास के घराने को जानते हो, कि वे अखया के पहले फल हैं, और पवित्र लोगों की सेवा के लिए तैयार रहते हैं। सो मैं तुम से बिनती करता हूँ कि ऐसों के अधीन रहो, बरन हर एक के जो इस काम में परिश्रमी और सहकर्मी हैं। और मैं स्तिफनास और फूरतूनातुस और अखइकुस के आने से आनन्दित हूँ, क्योंकि उन्होंने तुम्हारी घटी को पूरी की है। और उन्होंने मेरी और तुम्हारी आत्मा को चैन दिया है इसलिए ऐसों को मानो।”—१ कुरिन्थियों १६:१५-१८.
१९ पौलुस की अपने भाइयों के प्रति, जिन में कुछेक इतने सुप्रसिद्ध न थे, कितनी उत्तम, उदार मनोवृत्ति थी। लेकिन पौलुस उनसे प्रेम करता था इसलिए कि वे पवित्र जनों की सेवा करने की उनकी कोशिशों में “परिश्रमी” और “सहकर्मी” थे। जो बीत चुकी सो बीत चुकी रहने देने में पौलुस ने एक महान् आदर्श पेश किया। हालाँकि यूहन्ना मरकुस ने उसे उसकी पहली मिशनरी यात्रा के दौरान निराश कर दिया था, पौलुस ने बाद में कुलुस्से की मण्डली को उसकी सिफ़ारिश हार्दिक रूप से की। (प्रेरितों के काम १३:१३; १५:३७, ३८; कुलुस्सियों ४:१०) जब रोम में क़ैद किया गया, पौलसु ने वहाँ मरकुस की मौजूदगी चाही, इसलिए कि, जैसा कि उसने कहा, “सेवा के लिए [मरकुस] मेरे बहुत काम का है।” (२ तीमुथियुस ४:११) वहाँ तो नाराज़गी को संकीर्ण रूप से मन में रखने का कोई निशान नहीं!
२०. सभी मसीहियों को, और खास कर प्राचीनों को किस तरह दिखाना चाहिए कि वे विश्वसनीय अध्यक्षों की क़दर करते हैं और कि वे “ऐसों का आदर किया करते” हैं?
२० आज परमेश्वर के लोगों में, ऐसे कई समर्पित अध्यक्ष हैं जो, स्तिफनास के जैसे, अपने भाइयों की सेवा कर रहे हैं। निश्चय ही, उनके भी दोष और कमियाँ हैं। फिर भी, वे “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास” और उसके शासी वर्ग को ‘सहकार्य’ दे रहे हैं और प्रचार कार्य में और अपनी भाइयों को मदद करने में वे कड़ा “परिश्रम” कर रहे हैं। हमें ‘ऐसों के अधीन होते रहना चाहिए,’ उनकी कमियाँ न निकालकर, बल्कि उनके गुणों के लिए उनकी क़दर करनी चाहिए। प्राचीनों को अपने संगी प्राचीनों के लिए उचित क़दर और आदर दिखाने में अगुआई लेनी चाहिए। प्राचीनों को प्रेम भाव और एकता से एक दूसरे से सहयोग करना चाहिए। सभी ऐसे विश्वसनीय भाइयों का मूल्य समझेंगे और “ऐसों का आदर किया” करेंगे।—फिलिप्पियों २:२९.
[फुटनोट]
a न्यू वर्ल्ड ट्रांस्लेशन रेफ़रेंस बाइबल में एक फुटनोट सूचित करता है कि १ तीमुथियुस ३:३ में “समझदार” शब्द एक ऐसे यूनानी शब्द का अनुवाद है जिसका मतलब अक्षरशः “झुकनेवाला” है।
पुनर्विचार के लिए प्रश्न
◻ पौलसु ने किस तरह के आदमियों को विशेष रूप से प्रिय माना, और आज कौन हमारे खास सोच-विचार के योग्य हैं?
◻ प्राचीनों को कैसे दिखाना चाहिए कि वे एक दूसरे का आदर करते हैं?
◻ प्राचीनों की समिति व्यक्तिगत रूप से कार्य करनेवाले सदस्यों की तुलना में क्यों ज़्यादा निष्पादित कर सकती है?
◻ प्राचीनों की समिति कौनसे क्षेत्रों में दिखाएगी कि वे प्राचीनों की दूसरी समिति का आदर करते हैं?
◻ अध्यक्षों का कौनसा वर्ग विशेष रूप से प्रिय माने जाने के योग्य है, और यह उचित आदर किस तरह दिखाया जा सकता है?
[पेज 19 पर तसवीरें]
प्राचीनों को एक दूसरे के लिए उचित क़दर दिखानी चाहिए
[पेज 22 पर तसवीरें]
यात्रा करनेवाले अध्यक्षों के लिए प्रेम और आदर दिखाएँ