मसीही ज़िंदगी और सेवा सभा पुस्तिका के लिए हवाले
2-8 दिसंबर
पाएँ बाइबल का खज़ाना | प्रकाशितवाक्य 7-9
“यहोवा बड़ी भीड़ को आशीष देता है”
इंसाइट-1 पेज 997 पै 1
बड़ी भीड़
इससे यह सवाल खड़ा होता है कि अगर “बड़ी भीड़” ऐसे लोग हैं, जो उद्धार पाएँगे और धरती पर जीएँगे तो फिर ऐसा क्यों कहा गया है कि वे ‘राजगद्दी के सामने और उस मेम्ने के सामने खड़े हैं’? (प्रक 7:9) बाइबल जब किसी के सामने ‘खड़े होने’ की बात करती है, तो उसका अकसर मतलब होता है कि उस व्यक्ति या उस समूह पर सामनेवाले की मंज़ूरी है। (भज 1:5; 5:5; नीत 22:29; लूक 1:19) प्रकाशितवाक्य के पिछले अध्याय में बताया गया है कि “पृथ्वी के राजा, बड़े-बड़े अधिकारी, सेनापति, दौलतमंद और ताकतवर लोग, हर दास और आज़ाद इंसान” खुद को “राजगद्दी पर बैठे परमेश्वर और मेम्ने” से छिपाने की कोशिश करते हैं, “क्योंकि उनके क्रोध का भयानक दिन आ गया है और कौन उनके सामने खड़ा हो सकता है?” (प्रक 6:15-17; लूक 21:36 से तुलना करें।) इसलिए हम कह सकते हैं कि “बड़ी भीड़” ऐसे लोगों का एक समूह है, जो परमेश्वर के क्रोध के दिन से बच निकलेंगे और वे परमेश्वर और मेम्ने के सामने ‘खड़े’ रह पाएँगे, क्योंकि उन पर दोनों की मंज़ूरी है।
इंसाइट-2 पेज 1127 पै 4
संकट
यरूशलेम के नाश के करीब 30 साल बाद, प्रेषित यूहन्ना को बड़ी भीड़ के बारे में बताया गया कि “ये वे हैं जो उस महा-संकट से निकलकर आए हैं।” ये बड़ी भीड़ हर राष्ट्र, जाति और भाषा से निकली है। (प्रक 7:13, 14) बड़ी भीड़ का ‘महा-संकट से निकलना’ इस बात का सबूत है कि उन्हें इससे बचाया गया है। इससे मिलती-जुलती एक बात प्रेषितों 7:9, 10 में लिखी है, “परमेश्वर यूसुफ के साथ था। परमेश्वर ने उसे सारी मुसीबतों से छुड़ाया।” यूसुफ का इन तमाम मुसीबतों से छुड़ाए जाने का मतलब सिर्फ यह नहीं था कि वह इन सब मुसीबतों को सह पाया, बल्कि यह भी था कि वह इन सब में बच पाया।
इंसाइट-1 पेज 996-997
बड़ी भीड़
उनकी पहचान। प्रकाशितवाक्य अध्याय 7 में और उससे मिलते-जुलते ब्यौरों में “बड़ी भीड़” की पहचान दी गयी है। प्रकाशितवाक्य 7:15-17 में लिखा है कि “परमेश्वर इन पर अपना तंबू तानेगा,” उन्हें “जीवन के पानी के सोतों” तक ले जाएगा और उनकी “आँखों से हर आँसू पोंछ डालेगा।” प्रकाशितवाक्य 21:2-4 में हमें कुछ इसी तरह के शब्द मिलते हैं। वहाँ लिखा है, “परमेश्वर का डेरा इंसानों के बीच है,” वह “उनकी आँखों से हर आँसू पोंछ देगा,” और “न मौत रहेगी।” इस दर्शन में ऐसे इंसानों की बात नहीं की गयी जो स्वर्ग जाएँगे, जहाँ से नयी यरूशलेम उतरेगी, बल्कि यहाँ इसी धरती पर रहनेवाले इंसानों की बात की गयी है।
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रेवलेशन पेज 115 पै 4
परमेश्वर के इसराएल पर मुहर लगायी जाती है
4 इसमें कोई शक नहीं कि ये चार स्वर्गदूत दरअसल स्वर्गदूतों के चार समूह हैं। यहोवा एक तय वक्त तक इन स्वर्गदूतों के ज़रिए अपने न्याय को रोके हुए है। जब ये स्वर्गदूत इन हवाओं को यानी परमेश्वर के क्रोध को चारों दिशाओं से एक साथ छोड़ेंगे, तब ज़बरदस्त तबाही मचेगी। जैसे, इन चार हवाओं के ज़रिए यहोवा ने एलामी लोगों को बिखरा दिया और उनका सफाया कर दिया था, वैसा ही अब बड़े पैमाने पर होगा। (यिर्मयाह 49:36-38) यहोवा ने अम्मोनियों को जिस “तेज़ आँधी” से नाश किया था, यह तूफान उससे भी कहीं भयंकर होगा। (आमोस 1:13-15) यहोवा की जलजलाहट के दिन, शैतान की व्यवस्था का कोई भी हिस्सा धरती पर नहीं बच पाएगा। उस वक्त यहोवा हमेशा-हमेशा के लिए अपनी हुकूमत बुलंद करेगा।—भजन 83:15, 18; यशायाह 29:5, 6.
इंसाइट-1 पेज 12
अबद्दोन
अथाह-कुंड का स्वर्गदूत या अबद्दोन कौन है?
प्रकाशितवाक्य 9:11 में ‘अथाह-कुंड के स्वर्गदूत’ के लिए “अबद्दोन” नाम इस्तेमाल किया गया है। इसी नाम के लिए यूनानी में अपुल्लयोन नाम इस्तेमाल हुआ है जिसका मतलब है, “नाश करनेवाला।” 19वीं सदी में यह बताने की बहुत कोशिशें की गयीं कि इस आयत में दी भविष्यवाणी सम्राट वैस्पेसियन, मुहम्मद यहाँ तक कि नेपोलियन पर पूरी होती है। अथाह-कुंड के इस स्वर्गदूत को आम तौर पर “दुष्ट” समझा गया है। लेकिन गौर कीजिए कि प्रकाशितवाक्य 20:1-3 में बताया गया है कि जिस स्वर्गदूत के पास “अथाह-कुंड की चाबी” है, वह स्वर्ग से परमेश्वर का प्रतिनिधि बनकर काम करता है। वह “दुष्ट” नहीं है, बल्कि वह शैतान को बाँधकर अथाह-कुंड में फेंक देता है। प्रकाशितवाक्य 9:11 पर दि इंटरप्रेटर्स बाइबल टिप्पणी करती है कि “अबद्दोन शैतान का स्वर्गदूत नहीं, बल्कि परमेश्वर का स्वर्गदूत है और वह उसकी मरज़ी के मुताबिक नाश करने का काम करता है।”
जिन इब्रानी आयतों पर हमने गौर किया, उनसे साफ पता चलता है कि ऐवडौन शीओल और हेडिज़ से मिलता-जुलता है। प्रकाशितवाक्य 1:18 मसीह यीशु ने कहा, “मैं हमेशा-हमेशा के लिए जीता हूँ और मेरे पास मौत और कब्र की चाबियाँ हैं।” लूका 8:31 के मुताबिक वह अथाह-कुंड का मालिक है। इब्रानियों 2:14 से हमें पता चलता है कि यीशु के पास शैतान को भी नाश करने की ताकत है, क्योंकि वचन में लिखा है कि वह इंसान बना ताकि “अपनी मौत के ज़रिए उसे यानी शैतान को मिटा दे, जिसके पास मार डालने की ताकत है।” प्रकाशितवाक्य 19:11-16 में साफ बताया गया है कि यीशु को परमेश्वर की ओर से नाश करनेवाला या सज़ा देनेवाला नियुक्त किया गया है।
9-15 दिसंबर
पाएँ बाइबल का खज़ाना | प्रकाशितवाक्य 10-12
“दो गवाहों को मार डाला गया, फिर दोबारा ज़िंदा किया गया”
आपने पूछा
प्रकाशितवाक्य अध्याय 11 में बताए दो गवाह कौन हैं?
◼ प्रकाशितवाक्य 11:3 में ऐसे दो गवाहों के बारे में बताया गया है, जो 1,260 दिनों तक भविष्यवाणी करेंगे। फिर ब्यौरा बताता है कि एक जंगली जानवर “उन पर जीत हासिल करेगा और उन्हें मार डालेगा।” लेकिन “साढ़े तीन दिन” बाद इन दो गवाहों को दोबारा जीवन दिया जाएगा, जिससे देखनेवाले हैरान रह जाएँगे।—प्रका. 11:7, 11.
ये दो गवाह कौन हैं? इस ब्यौरे में ऐसी दो बातें बतायी गयी हैं जो हमें इन गवाहों को पहचानने में मदद देती हैं। पहली, ब्यौरे में इन दो गवाहों को ‘जैतून के दो पेड़ों और दो दीपदानों’ के तौर पर दर्शाया गया है। (प्रका. 11:4) यह बात हमें उस दीवट, या दीपदान, की और जैतून के उन दो पेड़ों की याद दिलाती है, जिनका ज़िक्र जकर्याह की भविष्यवाणी में किया गया है। जैतून के उन दो पेड़ों के बारे में कहा गया है कि वे “दो अभिषिक्त” (अ न्यू हिंदी ट्रांस्लेशन) जनों को, यानी गवर्नर ज़रुब्बाबेल और महायाजक यहोशू को दर्शाते हैं, “जो सारी पृथ्वी के परमेश्वर के पास हाज़िर रहते हैं।” (जक. 4:1-3, 14) और दूसरी, इस ब्यौरे में दो गवाहों के बारे में कहा गया है कि वे कुछ वैसे ही चिन्ह दिखा रहे हैं, जैसे मूसा और एलिय्याह ने दिखाए थे।—प्रकाशितवाक्य 11:5, 6 की तुलना गिनती 16:1-7, 28-35 और 1 राजा 17:1; 18:41-45 से कीजिए।
ऐसी कौन-सी खास बात है, जो प्रकाशितवाक्य और जकर्याह दोनों ब्यौरों में देखी जा सकती है? ये दोनों ब्यौरे परमेश्वर के उन अभिषिक्त जनों की तरफ इशारा करते हैं, जिन्होंने परमेश्वर के लोगों की अगुवाई की थी, और वह भी तब जब वे परीक्षाओं से गुज़र रहे थे। इसका मतलब है कि प्रकाशितवाक्य अध्याय 11 की पूर्ति में, जब 1914 में स्वर्ग में परमेश्वर का राज शुरू हुआ, तब परमेश्वर के लोगों की अगुवाई करनेवाले अभिषिक्त भाइयों ने साढ़े तीन साल तक “टाट ओढ़कर” गवाही देने का काम किया।
जब ये अभिषिक्त जन टाट ओढ़कर अपना गवाही का काम पूरा कर चुके, तब उन्हें लाक्षणिक तौर पर मार डाला गया। यह तब हुआ जब उन्हें साढ़े तीन साल की तुलना में बहुत थोड़े दिनों के लिए, यानी लाक्षणिक रूप से साढ़े तीन दिन के लिए जेल में डाला गया। परमेश्वर के लोगों के दुश्मनों की नज़रों में, उनके काम को ‘मार डाला गया,’ या रोक दिया गया, जिस पर इन दुश्मनों ने खुशियाँ मनायीं।—प्रका. 11:8-10.
लेकिन जैसे भविष्यवाणी में बताया गया था, साढ़े तीन दिन बाद, उन दो गवाहों को दोबारा जीवन दिया गया। इन अभिषिक्त जनों को न सिर्फ जेल से रिहा किया गया, लेकिन जो वफादार बने रहे, उन्हें प्रभु यीशु मसीह के ज़रिए परमेश्वर से एक खास ज़िम्मेदारी भी मिली। सन् 1919 में वे भी उन लोगों में शामिल थे, जिन्हें “विश्वासयोग्य और सूझ-बूझ से काम लेनेवाला दास” ठहराया गया, ताकि यह दास आखिरी दिनों में परमेश्वर के सेवकों की आध्यात्मिक ज़रूरतें पूरी कर सके।—मत्ती 24:45-47; प्रका. 11:11, 12.
गौर करने लायक बात है कि प्रकाशितवाक्य 11:1, 2 बताता है कि इन घटनाओं का ताल्लुक उस समय से है जब आत्मिक मंदिर को नापा जाता। कुछ इसी तरह, मलाकी अध्याय 3 में भी आत्मिक मंदिर के मुआयने का ज़िक्र किया गया है, जिसके बाद शुद्ध करने का समय होगा। (मला. 3:1-4) आत्मिक मंदिर का मुआयना करने और शुद्ध करने का यह काम कब तक चला? यह काम 1914 से लेकर 1919 की शुरूआत तक चला। इस दौर में प्रकाशितवाक्य अध्याय 11 में बताए 1,260 दिन (42 महीने) और लाक्षणिक मायने में साढ़े तीन दिन दोनों शामिल हैं।
हम कितने शुक्रगुज़ार हैं कि यहोवा ने आध्यात्मिक तौर पर शुद्ध करने के इस काम का इंतज़ाम किया, ताकि वह खास लोगों को बढ़िया कामों के लिए शुद्ध कर सके। (तीतु. 2:14) साथ ही, हम वफादार अभिषिक्त जनों की मिसाल की भी कदर करते हैं, जिन्होंने उस परीक्षा के दौर में अगुवाई ली और इस तरह लाक्षणिक रूप में दो गवाहों के तौर पर सेवा की।
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इंसाइट-2 पेज 880-881
खर्रा
लाक्षणिक मतलब। लाक्षणिक तौर पर शब्द “खर्रा” बाइबल में कई बार इस्तेमाल हुआ है। यहेजकेल और जकरयाह दोनों ने ऐसा खर्रा देखा जिसके दोनों तरफ लिखा हुआ था। आम तौर पर खर्रे के एक ही तरफ लिखा जाता था, लेकिन आगे और पीछे लिखे जाने का मतलब शायद यह था कि इन खर्रों में लिखा न्याय का संदेश बहुत ही गंभीर और ज़रूरी था। (यहे 2:9–3:3; जक 5:1-4) प्रकाशितवाक्य के दर्शन में जो राजगद्दी पर बैठा है, उसके दाएँ हाथ में एक खर्रा है और उसे सात मुहरों से मुहरबंद किया गया है। ऐसा इसलिए, ताकि कोई यह समझ न पाए कि खर्रे में क्या लिखा है, जब तक कि खुद परमेश्वर का मेम्ना इसे न खोले। (प्रक 5:1, 12; 6:1, 12-14) दर्शन के मुताबिक फिर यूहन्ना को एक खर्रा दिया जाता है और उसे आज्ञा दी जाती है कि वह खर्रे को खाए। यूहन्ना जब इसे खाता है तो उसे मीठा लगता है मगर बाद में उसका पेट कड़वा हो जाता है। वह खर्रा खुला हुआ था और उस पर मुहर नहीं लगी थी, इसलिए उसे खर्रे में लिखा संदेश समझना था। वह यूहन्ना के लिए “मीठा” इस मायने में था कि वह उसे आसानी से समझ गया, मगर उससे कहा गया था कि वह इस बारे में भविष्यवाणी करे। ऐसा करना मानो उसके लिए “कड़वा” था यानी मुश्किल था। (प्रक 10:1-11) यहेजकेल के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। उसे भी एक खर्रा दिया गया, जिसमें “शोकगीत और दुख और मातम” के शब्द लिखे हुए थे।—यहे 2:10.
इंसाइट-2 पेज 187 पै 7-9
प्रसव-पीड़ा
प्रेषित यूहन्ना ने दर्शन में देखा कि स्वर्ग में एक औरत “दर्द से चिल्ला रही थी और बच्चा जनने की पीड़ा से तड़प रही थी।” उस औरत ने “एक बेटे यानी एक लड़के को जन्म दिया, जो चरवाहे की तरह सब राष्ट्रों को लोहे के छड़ से हाँकेगा।” हालाँकि अजगर ने उस बच्चे को निगलने की कोशिश की, लेकिन “उस औरत के बच्चे को छीनकर परमेश्वर और उसकी राजगद्दी के पास ले जाया गया।” (प्रक 12:1, 2, 4-6) उस बच्चे को परमेश्वर के पास ले जाने का मतलब था कि परमेश्वर ने इस बात को स्वीकार किया है कि वह बच्चा उसका है। प्राचीन समय में एक नए जन्मे बच्चे को अपने पिता के पास इसलिए ले जाया जाता था, ताकि वह इस बात को कबूल करे कि वह उसका बच्चा है। इससे हम समझ सकते हैं कि यह “औरत” परमेश्वर की “पत्नी,” “ऊपर की यरूशलेम” है और मसीह के साथ-साथ अभिषिक्त भाइयों की “माँ” है।—गल 4:26; इब्र 2:11, 12, 17.
परमेश्वर की स्वर्गीय “औरत” परिपूर्ण होगी और बच्चा जनने की उसकी पीड़ा लाक्षणिक होगी। बच्चा जनने की पीड़ा लाक्षणिक तौर पर यह दर्शाती है कि बच्चे का जन्म बस होने ही वाला है।—प्रक 12:2.
यह ‘बेटा’ कौन हो सकता है? उसके बारे में कहा गया है कि वह “चरवाहे की तरह सब राष्ट्रों को लोहे के छड़ से हाँकेगा।” दरअसल यही बात परमेश्वर के राजा और मसीहा के बारे में भजन 2:6-9 में दर्ज़ भविष्यवाणी में कही गयी थी। लेकिन यूहन्ना ने यह दर्शन मसीह के जन्म, उसकी मौत और उसे ज़िंदा किए जाने के काफी समय बाद देखा था। इसलिए यह कहा जा सकता है कि यहाँ मसीही राज के जन्म की बात की गयी है, जिसकी बागडोर परमेश्वर के बेटे यीशु मसीह के हाथ में होगी। उसे मरे हुओं में से ज़िंदा किया गया और फिर वह परमेश्वर के ‘दाएँ हाथ बैठ गया, जब तक कि परमेश्वर उसके दुश्मनों को उसकी पाँवों की चौकी न बना दे।’— इब्र 10:12, 13; भज 110:1; प्रक 12:10.
16-22 दिसंबर
पाएँ बाइबल का खज़ाना | प्रकाशितवाक्य 13-16
“भयानक जानवरों से मत डरिए”
6 ईसवी सन् 96 के करीब, जी उठाए गए यीशु ने प्रेषित यूहन्ना को कई हैरतअंगेज़ दर्शन दिखाए। (प्रका. 1:1) इनमें से एक दर्शन में यूहन्ना ने एक अजगर को विशाल समुद्र के तट पर खड़े देखा। यह अजगर, शैतान को दर्शाता है। (प्रकाशितवाक्य 13:1, 2 पढ़िए।) इसके बाद, उसने एक अजीब से जंगली जानवर को समुद्र में से ऊपर आते देखा, जिसके सात सिर थे और उसे शैतान ने बड़ा अधिकार दिया। आगे चलकर यूहन्ना ने सुर्ख लाल रंग का एक जंगली जानवर देखा और उसके भी सात सिर थे। सुर्ख लाल रंग का यह जानवर, प्रकाशितवाक्य 13:1 में बताए जंगली जानवर की मूरत था। और उसके सात सिर, “सात राजा” या सरकारों को दर्शाते हैं। (प्रका. 13:14, 15; 17:3, 9, 10) जब यूहन्ना ये बातें लिख रहा था, तब उन सात सरकारों में से पाँच गिर चुकी थीं, एक मौजूद थी और ‘एक अभी आयी नहीं थी।’ ये सरकारें या विश्व शक्तियाँ कौन थीं? आइए प्रकाशितवाक्य की किताब में बताए सात सिरवाले इस जंगली जानवर के बारे में चर्चा करें और देखें कि ये सिर किन्हें दर्शाते हैं। हम यह भी देखेंगे कि इन सरकारों के बारे में दानिय्येल की किताब क्या बताती है। क्योंकि इनमें से कुछ सरकारों के वजूद में आने के सैकड़ों साल पहले ही दानिय्येल की भविष्यवाणी में उनके बारे में ब्यौरेदार जानकारी दी गयी थी।
रेवलेशन पेज 194 पै 26
दो खूँखार जानवरों से लड़ना
26 वह कौन हो सकता है? ब्रिटेन-अमरीकी विश्व शक्ति। यह पहले जंगली जानवर के सातवें सिर जैसा है, मगर उसकी खास भूमिका है। अगर हम दर्शन में दिखाए गए सिर्फ इस जंगली जानवर पर गौर करें, तो हम समझ पाएँगे कि वह एक अकेला विश्व शक्ति के तौर पर क्या-क्या काम करता है। यह दो सींग वाला लाक्षणिक जंगली जानवर दो राजनैतिक शक्तियों से मिलकर बना है। ये दोनों अलग-अलग राजनैतिक शक्तियाँ हैं जो एक ही समय पर हुकूमत कर रही हैं, लेकिन कंधे-से-कंधा मिलाकर काम करती हैं। इसके “मेम्ने” जैसे दो सींगों से यह पता चलता है कि वह शांत और नम्र होने का दिखावा करता है। साथ ही, वह एक अच्छी सरकार होने का ढोंग करता है, जिस पर लोग पूरा भरोसा कर सकते हैं। उसका बोलना “अजगर की तरह” है यानी जब कोई उसके बनाए कायदे-कानून नहीं मानता, तो यह लोगों पर ज़ोर-ज़बरदस्ती करता है, धमकी देता है, यहाँ तक कि मार-काट करता है। वह परमेश्वर के राज के अधीन रहने यानी परमेश्वर के मेम्ने का निर्देश मानने का बढ़ावा नहीं देता, बल्कि शैतान यानी बड़े भयानक अजगर की इच्छा पूरी करता है। वह देश-भक्ति की भावना और नफरत को बढ़ावा देता है। दरअसल इन कामों से, पहले जंगली जानवर की उपासना होती है।
रेवलेशन पेज 195 पै 30-31
दो खूँखार जानवरों से लड़ना
30 इतिहास में हुई घटनाओं से पता चलता है कि यह मूरत एक ऐसा संगठन है जिसे शुरू करने का प्रस्ताव अमरीका और ब्रिटेन ने रखा और फिर उस संगठन को अपना समर्थन दिया। यह संगठन पहले राष्ट्र संघ के नाम से जाना जाता था। प्रकाशितवाक्य के अध्याय 17 में इस मूरत को एक जीता-जागता सुर्ख लाल रंग का जंगली जानवर बताया गया है। यह अंतराष्ट्रीय संगठन डींगे मारता है कि सिर्फ वही पूरी मानवजाति के लिए शांति और सुरक्षा ला सकता है और इस मायने में वह “बोलने” लगता है। मगर हकीकत में यह संगठन बस एक ऐसा मंच बनकर रह गया है जहाँ इस संगठन से जुड़े देश एक-दूसरे पर तीखे शब्दों से वार करते हैं और बेइज़्ज़ती करते हैं। साथ ही, अगर एक देश या लोग इसके अधिकार को मानने से इनकार कर देते हैं, तो वह उन पर पाबंदी लगाने की धमकी देता है या उनका जीना दुश्वार कर देता है। असल में राष्ट्र संघ ने उन देशों को निकाल दिया था जो उसकी सोच के मुताबिक काम करने से चूक गए। महा-संकट की शुरूआत में इस जंगली जानवर की मूरत के “सींग” यानी उसकी फौजी ताकत तबाही मचाने का काम करेगी।—प्रकाशितवाक्य 7:14; 17:8, 16.
31 जंगली जानवर की मूरत ने, जो अब संयुक्त राष्ट्र संघ को दर्शाती है, दूसरे विश्व युद्ध के समय से अब तक कई लोगों की जानें ली हैं। उदाहरण के लिए, 1950 में संयुक्त राष्ट्र की सेना ने उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया के बीच हो रही लड़ाई में दखल दिया और उसने दक्षिण कोरिया के साथ मिलकर उत्तर कोरिया और चीन के करीब 14,20,000 लोगों को मौत के घाट उतार दिया। उसी तरह संयुक्त राष्ट्र की सेनाएँ 1960 से 1964 के बीच कांगो (किन्शासा) में तबाही मचाती रहीं। और-तो-और दुनिया के कई नेता और पोप, जैसे पॉल छठवें और जॉन पॉल द्वितीय पूरे यकीन के साथ कहते रहे कि धरती पर शांति लाने के लिए यह मूरत इंसानों की आखिरी और सबसे अच्छी उम्मीद है। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि अगर इंसान इस मूरत के अधीन नहीं रहेगा, तो वह खुद पर विनाश लाएगा। उन्होंने एक मायने में उन सभी इंसानों को मार डाला है, जो इस मूरत के अधीन नहीं रहते और उसकी उपासना नहीं करते।—व्यवस्थाविवरण 5:8, 9.
13:16, 17. हमें “लेन देन” जैसे रोज़मर्रा के कामों में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। लेकिन इस वजह से हमें उस पशु को हमारी ज़िंदगी पर हुक्म चलाने नहीं देना चाहिए। ‘अपने हाथ या माथे पर पशु का छाप’ लेने का मतलब है कि जैसा पशु चाहता है, हम वैसा ही सोचते या करते हैं।
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16:13-16. ‘अशुद्ध प्रेरित वचन’ (NW) का मतलब है दुष्ट स्वर्गदूतों की वे झूठी बातें, जिनसे उन्होंने धरती के राजाओं को भरमा रखा है। वे ऐसा इसलिए करते हैं, ताकि परमेश्वर के क्रोध के सात कटोरे उँडेले जाने पर ये राजा यहोवा की तरफ होने के बजाय उसके खिलाफ हो जाएँ।—मत्ती 24:42, 44.
“तुम्हारे छुटकारे का वक्त पास आ रहा होगा”!
9 महा-संकट का समय ‘राज की खुशखबरी’ का ऐलान करने का समय होगा। इस काम का समय पहले ही बीत चुका होगा। यह दरअसल “अंत” का समय होगा! (मत्ती 24:14) उस समय परमेश्वर के लोग निडर होकर न्याय का ज़बरदस्त संदेश सुनाएँगे जिसका सभी लोगों पर असर पड़ेगा। उनका संदेश शायद यह होगा कि दुष्टता से भरी शैतान की दुनिया बस खत्म होनेवाली है। बाइबल में इस संदेश की तुलना ओलों से की गयी है। उसमें लिखा है, “लोगों पर आकाश से बड़े-बड़े ओले गिरे और हर ओले का वज़न करीब बीस किलो था। और लोगों ने ओलों के कहर की वजह से परमेश्वर की निंदा की क्योंकि इस कहर ने बहुत ज़्यादा तबाही मचायी।”—प्रका. 16:21.
23-29 दिसंबर
पाएँ बाइबल का खज़ाना | प्रकाशितवाक्य 17-19
“परमेश्वर का आखिरी युद्ध”
प्र08 4/1 पेज 8 पै 3-4, अँग्रेज़ी
परमेश्वर का आखिरी युद्ध—हर-मगिदोन
जब तक धरती पर दुष्ट लोग हुकूमत करेंगे, तब तक नेक इंसान शांति से नहीं जी पाएँगे और न ही सुरक्षित रहेंगे। (नीतिवचन 29:2; सभोपदेशक 8:9) देखा जाए तो, हम भ्रष्ट और दुष्ट लोगों को सुधार नहीं सकते। इस वजह से धरती पर हमेशा के लिए शांति और न्याय तभी मुमकिन होगा, जब दुष्ट लोगों को खत्म कर दिया जाएगा। सुलैमान ने लिखा “नेक जन के लिए दुष्ट को फिरौती में दिया जाता है।”—नीतिवचन 21:18.
न्याय करनेवाला कोई और नहीं, बल्कि खुद परमेश्वर है, इसलिए हम भरोसा रख सकते हैं कि दुष्ट लोगों के खिलाफ परमेश्वर का न्याय बिलकुल सही होगा। अब्राहम ने पूछा “क्या सारी दुनिया का न्याय करनेवाला कभी अन्याय कर सकता है?” अब्राहम को जवाब मिला कि यहोवा हमेशा न्याय करता है! (उत्पत्ति 18:25) इसके अलावा बाइबल हमें इस बात का भी यकीन दिलाती है कि बुरे लोगों को नाश करने से यहोवा खुश नहीं होता, बल्कि यह उसका आखिरी कदम होता है।—यहेजकेल 18:32; 2 पतरस 3:9.
इंसाइट-1 पेज 1146 पै 1
घोड़ा
प्रेषित यूहन्ना ने लाक्षणिक दर्शन में महिमा से भरपूर यीशु मसीह को सफेद घोड़े पर सवार देखा और उसके साथ उसकी स्वर्ग की सेना भी सफेद घोड़ों पर सवार थी। इस दर्शन का मतलब है कि यीशु अपने परमेश्वर और पिता यहोवा की तरफ से नेकी और न्याय के स्तरों के मुताबिक दुश्मनों से युद्ध करेगा। (प्रक 19:11, 14) मसीह जब राजा की हैसियत से कार्रवाई करेगा और उसके बाद जो मुसीबतें आएँगी, उसे अलग-अलग घोड़ों और उनके घुड़सवारों से दर्शाया गया है।—प्रक 6:2-8.
रेवलेशन पेज 286 पै 24
वीर योद्धा और राजा हर-मगिदोन में जीत हासिल करता है
24 दस सींग और सात सिरोंवाला जंगली जानवर जो समुंदर से ऊपर आता है वह शैतान के राजनैतिक संगठनों को दर्शाता है। यह जंगली जानवर और इसके साथ झूठा भविष्यवक्ता, जो सातवीं विश्व शक्ति को दर्शाता है, बेजान से हो जाते हैं। (प्रकाशितवाक्य 13:1, 11-13; 16:13) इस जंगली जानवार और झूठे भविष्यवक्ता को “जीते-जी” यानी जब वे साथ मिलकर परमेश्वर के लोगों का विरोध कर ही रहे होते हैं, तब उन्हें ‘आग की झील’ में फेंक दिया जाता है। क्या यह सचमुच आग की झील है? नहीं, क्योंकि यह जंगली जानवर और झूठा भविष्यवक्ता भी सचमुच के नहीं हैं। दरअसल यह आग की झील पूरी तरह होनेवाले विनाश को दर्शाती है, जिससे दोबारा ज़िंदा होने की कोई गुंजाइश नहीं है। बाद में इसी आग की झील में शैतान, मौत और हेडीज़ को फेंक दिया जाएगा। (प्रकाशितवाक्य 20:10, 14) यह कोई ऐसी जगह नहीं, जहाँ दुष्टों को हमेशा के लिए तड़पाया जाए। यह हम इसलिए कह सकते हैं, क्योंकि यहोवा को ऐसे खयाल से ही घृणा आती है।—यिर्मयाह 19:5; 32:35; 1 यूहन्ना 4:8, 16.
रेवलेशन पेज 286 पै 25
वीर योद्धा और राजा हर-मगिदोन में जीत हासिल करता है
25 जो लोग सीधे-सीधे सरकार का हिस्सा नहीं हैं, मगर इस भ्रष्ट समाज में मानो गहराई तक समाए हुए हैं, उन्हें ‘घुड़सवार के मुँह से निकलनेवाली लंबी तलवार से मार डाला जाएगा।’ यीशु ऐसे लोगों को मौत की सज़ा पाने के लायक समझेगा। इन लोगों के मामले में ऐसा नहीं बताया गया है कि इन्हें आग की झील में फेंका जाएगा। क्या इसका मतलब यह है कि उन्हें दोबारा ज़िंदा किया जाएगा? ऐसा कहीं नहीं लिखा है कि उस वक्त यहोवा का नियुक्त न्यायी जिन्हें सज़ा देगा, वे दोबारा ज़िंदा होंगे। यीशु ने खुद कहा था कि जो लोग ‘भेड़’ नहीं हैं, वे “हमेशा जलनेवाली उस आग में चले जाएँगे, जो शैतान और उसके दूतों के लिए तैयार की गयी है” यानी वे “हमेशा के लिए नाश हो जाएँगे।” (मत्ती 25:33, 41, 46) इस तरह ‘न्याय के दिन भक्तिहीन लोगों का नाश हो जाएगा।’—2 पतरस 3:7; नहूम 1:2, 7-9; मलाकी 4:1.
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रेवलेशन पेज 247-248 पै 5-6
एक अद्भुत रहस्य का खुलासा
5 “जंगली जानवर . . . था।” यह जंगली जानवर राष्ट्र संघ के नाम से 10 जनवरी, 1920 से वजूद में आया और फिर कुछ सालों के दौरान 63 अलग-अलग देश इसका हिस्सा बने। लेकिन जापान, जर्मनी और इटली ने इस संघ से नाता तोड़ लिया और सोवियत संघ को राष्ट्र संघ से हटा दिया गया। सितंबर 1939 में नात्ज़ी के तानाशाह ने दूसरे विश्व युद्ध की शुरूआत की। राष्ट्र संघ दुनिया में शांति लाने में नाकाम रहा, जिससे वह निष्क्रिय हो गया और इस तरह मानो वह अथाह-कुंड में चला गया। फिर 1942 के आते-आते राष्ट्र संघ का वजूद मिट गया। यहोवा ने दर्शन का मतलब बिलकुल सही समय पर ज़ाहिर किया, न तो वक्त से पहले न ही वक्त के बाद! नया संसार ईश्वरशासित सम्मेलन में भाई एन. एच नॉर ने भविष्यवाणी के इस पहलू का ऐलान किया कि “जंगली जानवर . . . अब नहीं है।” फिर भाई नॉर ने यह सवाल किया, ‘क्या राष्ट्र संघ अथाह-कुंड में ही रहेगा?’ प्रकाशितवाक्य 17:8 का ज़िक्र करते हुए उन्होंने जवाब दिया कि “राष्ट्रों का समूह फिर से उभरेगा” और ऐसा ही हुआ। वाकई, यहोवा की भविष्यवाणी सच साबित हुई!
अथाह-कुंड से बाहर आना
6 सुर्ख लाल रंग का जंगली जानवर अथाह-कुंड से बाहर आया। सन् 1945 में 26 जून को अमरीका के सैन फ्रांसिस्को में 50 देशों ने ‘संयुक्त राष्ट्र संघ’ के प्रस्ताव को खुशी से स्वीकार किया। इस संघ की ज़िम्मेदारी थी, “विश्व शांति और सुरक्षा बनाए रखना।” ‘राष्ट्र संघ’ और ‘संयुक्त राष्ट्र’ के बीच कई सामानताएँ थीं। द वर्ल्ड बुक इनसाइक्लोपीडिया कहती है, “‘संयुक्त राष्ट्र’ कुछ मामलों में ‘राष्ट्र संघ’ के जैसा था, जिसकी स्थापना पहले विश्व युद्ध के बाद हुई थी। . . . जिन देशों से मिलकर ‘संयुक्त राष्ट्र’ बना, उनमें से कई देश, पहले ‘राष्ट्र संघ’ का हिस्सा थे। ‘राष्ट्र संघ’ की तरह ‘संयुक्त राष्ट्र’ की स्थापना भी देशों के बीच शांति कायम करने के लिए की गयी थी। ‘संयुक्त राष्ट्र’ के मुख्य भाग वही थे, जो पहले ‘राष्ट्र संघ’ के भाग थे।” असल में संयुक्त राष्ट्र, सुर्ख लाल रंग के जंगली जानवर के तौर पर दोबारा आया। राष्ट्र संघ के सदस्य सिर्फ 63 देश थे, जबकि संयुक्त राष्ट्र में 190 देश शामिल थे और फिर ‘संयुक्त राष्ट्र’ ने ‘राष्ट्र संघ’ से कहीं ज़्यादा ज़िम्मेदारीयाँ उठायीं।
यहोवा हम पर ज़ाहिर करता है, “बहुत जल्द क्या-क्या होना है”
17 झूठा धर्म यूँ ही धीरे-धीरे खत्म नहीं हो जाएगा। यह वेश्या तब तक लगातार अपना सिक्का जमाए रखेगी और राजाओं को अपने इशारों पर नचाएगी, जब तक कि परमेश्वर अधिकार रखनेवालों के दिल में अपनी सोच नहीं डाल देता। (प्रकाशितवाक्य 17:16, 17 पढ़िए।) जल्द ही, यहोवा दुनिया की राजनैतिक शक्तियों को, जिसे संयुक्त राष्ट्र के तौर पर दर्शाया गया है, उभारेगा कि वे वेश्या यानी झूठे धर्म पर हमला करें। वे उसकी शानो-शौकत को खत्म कर देंगे और उसकी बेशुमार दौलत को तबाह-बरबाद कर देंगे। कुछ दशकों पहले लगता था कि धर्म का ऐसा हश्र नहीं हो सकता। मगर आज, सुर्ख लाल रंग के जानवर पर बैठी यह वेश्या डगमगाती नज़र आ रही है। यह अपनी जगह से धीरे-धीरे फिसलकर नहीं गिरेगी, बल्कि अचानक गिरेगी और उस पर कहर टूट पड़ेगा।—प्रका. 18:7, 8, 15-19.
30 दिसंबर–5 जनवरी
पाएँ बाइबल का खज़ाना | प्रकाशितवाक्य 20-22
“देख! मैं सबकुछ नया बना रहा हूँ”
रेवलेशन पेज 301 पै 2
नया आकाश और नयी पृथ्वी
2 यूहन्ना के पैदा होने के सैकड़ों साल पहले, यहोवा ने यशायाह से कहा था, “देखो! मैं नए आकाश और नयी पृथ्वी की सृष्टि कर रहा हूँ, फिर पुरानी बातें याद न आएँगी, न ही उनका खयाल कभी तुम्हारे दिल में आएगा।” (यशायाह 65:17; 66:22) जब वफादार यहूदी 70 साल बाद, ई.पू. 537 में बैबिलोन की बँधुआई से वापस यरूशलेम लौटे, तब यह भविष्यवाणी पहली बार पूरी हुई। बँधुआई से लौटे वफादार यहूदियों से यह नया समाज बना जो एक मायने में “नयी पृथ्वी” था और यह एक नयी सरकार यानी “नए आकाश” के अधीन था। लेकिन प्रेषित पतरस ने इस भविष्यवाणी की दूसरी पूर्ति के बारे में कहा, “मगर हम परमेश्वर के वादे के मुताबिक एक नए आकाश और नयी पृथ्वी का इंतज़ार कर रहे हैं, जहाँ नेकी का बसेरा होगा।” (2 पतरस 3:13) यूहन्ना बताता है कि यह भविष्यवाणी प्रभु के दिन में पूरी होगी। “पुराना आकाश और पुरानी पृथ्वी” का मतलब है, शैतान की व्यवस्था और उसकी सरकारें, जो शैतान और उसके दुष्ट स्वर्गदूतों के हाथ में हैं। ये सब मिट जाएँगे। दुष्ट और बागी इंसानों का यह “समुंदर” भी नाश कर दिया जाएगा, इसके बदले ‘नया आकाश’ और “नयी पृथ्वी” होगी। “नए आकाश” का मतलब है, एक नयी सरकार यानी परमेश्वर का राज और “नयी पृथ्वी” का मतलब है, परमेश्वर के राज के अधीन रहनेवाले लोग।—प्रकाशितवाक्य 20:11 से तुलना करें।
“देख! मैं सबकुछ नया बना रहा हूँ”
“[परमेश्वर] उनकी आँखों से हर आँसू पोंछ देगा।” (प्रकाशितवाक्य 21:4) परमेश्वर किस तरह के आँसुओं को पोंछ देगा? परमेश्वर खुशी के आँसू और उन आँसुओं को नहीं पोंछेगा जो हमारी आँखों की हिफाज़त करते हैं, बल्कि उन आँसुओं को पोंछ देगा जो हमें तकलीफ पहुँचाते हैं। परमेश्वर आँसुओं को सुखाएगा नहीं, इसके बजाय वह आँसू आने की हर वजह मिटा देगा। इस तरह हम कह सकते हैं कि परमेश्वर आँसुओं को पूरी तरह पोंछ डालेगा।
‘मौत नहीं रहेगी।’ (प्रकाशितवाक्य 21:4) मौत हमारी दुश्मन है, क्योंकि इसने हमें बेइंतिहा रुलाया है। यहोवा आज्ञा माननेवाले इंसानों को मौत की गिरफ्त से आज़ाद करेगा। कैसे? वह मौत की असल वजह, यानी आदम से विरासत में मिले पाप को पूरी तरह मिटा देगा। (रोमियों 5:12) यहोवा, यीशु के छुड़ौती बलिदान की बिनाह पर आज्ञा माननेवाले इंसानों को सिद्धता देगा। इसके बाद, आखिरी दुश्मन मौत को “मिटा दिया जाएगा।” (1 कुरिंथियों 15:26) वफादार इंसान, परमेश्वर के मकसद के मुताबिक हमेशा के लिए अच्छी सेहत के साथ जी पाएँगे।
‘दर्द नहीं रहेगा।’ (प्रकाशितवाक्य 21:4) किस तरह का दर्द नहीं रहेगा? हर तरह का दर्द, चाहे वह मानसिक हो, जज़बाती या शारीरिक। बेशक यह दर्द हमें पाप और असिद्धता की वजह से मिला है और उसने लाखों लोगों की ज़िंदगी लाचार बना दी है। लेकिन परमेश्वर ऐसे हर दर्द को मिटा देगा।
यहोवा, सत्य का परमेश्वर
14 यहोवा अपने वचन में हमसे जो कहता है, उस पर हमें विश्वास करना चाहिए। वह बिलकुल वैसा ही है जैसा उसने अपने बारे में कहा है, और उसने जो वचन दिया है, उसे वह हर हाल में पूरा करेगा। हम बिना किसी संदेह के उस पर भरोसा रख सकते हैं। हम यहोवा की इस बात पर यकीन रख सकते हैं कि ‘जो परमेश्वर को नहीं पहचानते, और हमारे प्रभु यीशु के सुसमाचार को नहीं मानते उन से वह पलटा लेगा।’ (2 थिस्सलुनीकियों 1:8) हम यहोवा की इस बात पर भी भरोसा रख सकते हैं कि वह धार्मिकता के मार्ग पर चलनेवालों से प्यार करता है, साथ ही यह कि अपना विश्वास ज़ाहिर करनेवालों को वह अनंत जीवन देगा और दुःख-दर्द, आँसू और यहाँ तक कि मौत को मिटा देगा। इस आखिरी वादे की सच्चाई को पुख्ता करने के लिए, यहोवा ने प्रेरित यूहन्ना को यह हिदायत दी: “लिख ले, क्योंकि ये वचन विश्वास के योग्य और सत्य हैं।”—प्रकाशितवाक्य 21:4, 5; नीतिवचन 15:9; यूहन्ना 3:36.
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इंसाइट-2 पेज 249 पै 2
जीवन
यहोवा ने उत्पत्ति 2:17 में आदम को एक आज्ञा दी थी। अगर आदम वह आज्ञा मानता, तो वह कभी नहीं मरता। मौत इंसान का आखिरी दुश्मन है। जब इसे हमेशा के लिए मिटा दिया जाएगा, उसके बाद यहोवा की आज्ञा माननेवाले किसी भी इंसान की मौत नहीं होगी। (1कुर 15:26) प्रकाशितवाक्य की किताब में बताया गया है कि मौत को मसीह के हज़ार साल के शासन के आखिर में खत्म कर दिया जाएगा। इसके अलावा, जो मसीह के साथ राजा और याजक के तौर पर सेवा करेंगे, उनके बारे में लिखा है कि “वे ज़िंदा हो गए और उन्होंने राजा बनकर मसीह के साथ 1,000 साल तक राज किया।” प्रकाशितवाक्य की किताब में यह भी लिखा है कि “बाकी मरे हुए 1,000 साल के खत्म होने तक ज़िंदा नहीं हुए।” ये दरअसल वे लोग होंगे जो मसीही राज के हज़ार साल के आखिर में और शैतान को अथाह-कुंड से छोड़े जाने के पहले जी रहे होंगे। लेकिन हज़ार साल के खत्म होने तक धरती पर रहनेवाले सभी इंसान पूरी तरह परिपूर्ण हो जाएँगे, ठीक जैसे आदम और हव्वा पाप करने से पहले थे। इसके बाद शैतान को कुछ समय के लिए कैद से छोड़ा जाएगा और जो उस आखिरी परीक्षा के दौरान वफादार रहेंगे, वे हमेशा की ज़िंदगी का लुत्फ उठाएँगे।
रेवलेशन पेज 290 पै 15
साँप के सिर को कुचलना
पुराने ज़माने के यहोवा के लोगों को भी नेक कहा गया, क्योंकि वे परमेश्वर के दोस्त थे। अब्राहम, इसहाक और याकूब की मौत हो गयी थी, फिर भी परमेश्वर ने उनके बारे में इस तरह कहा, मानो वे ‘जीवित’ हैं। (मत्ती 22:31, 32; याकूब 2: 21, 23) पुराने ज़माने के इन लोगों के साथ-साथ ज़िंदा किए गए दूसरे लोगों को, हर-मगिदोन के युद्ध से बच निकलनेवाली बड़ी भीड़ को, साथ ही नयी दुनिया में जन्म लेनेवाले बच्चों को परिपूर्ण किया जाएगा। यह काम यीशु के फिरौती बलिदान के आधार पर मसीह और उसके साथ राज करनेवाले राजा और याजक हज़ार साल के न्याय के दिन करेंगे। हज़ार साल के आखिर में ‘बाकी मरे हुए ज़िंदा किए’ जाएँगे यानी वे परिपूर्ण हो जाएँगे। फिर इन सभी परिपूर्ण इंसानों को आखिरी परीक्षा से गुज़रना होगा। जो इस आखिरी परीक्षा में वफादार रहेंगे वे पूरी तरह नेक साबित होंगे और परमेश्वर उन्हें हमेशा जीने के लायक समझेगा। वे भजन 37:29 में लिखी बात पूरी होते हुए देखेंगे, जहाँ लिखा है, “नेक लोग धरती के वारिस होंगे और उस पर हमेशा की ज़िंदगी जीएँगे।” वाकई यहोवा की आज्ञा माननेवालों का भविष्य कितना अच्छा होगा!
इंसाइट-2 पेज 189-190
आग की झील
“आग की झील” ये शब्द सिर्फ प्रकाशितवाक्य की किताब में पाएँ जाते हैं और इनका मतलब लाक्षणिक है। बाइबल में समझाया गया है कि “इस आग की झील का मतलब है, दूसरी मौत।”—प्रक 20:14; 21:8.
आग की झील का लाक्षणिक मतलब है, यह बात हमें प्रकाशितवाक्य की दूसरी संबंधित आयतों से भी पता चलती है। कैसे? प्रकाशितवाक्य 20:14 में लिखा है कि मौत को आग की झील में फेंक दिया जाएगा। (प्रक 19:20) ज़ाहिर-सी बात है कि मौत कोई ऐसी चीज़ नहीं जिसे जलाया जा सके। साथ ही, प्रकाशितवाक्य 20:10 में लिखा है कि शैतान को, जो अदृश्य प्राणी है, इसी झील में फेंक दिया जाएगा। एक अदृश्य प्राणी होने के नाते शैतान को सचमुच की आग से कोई नुकसान नहीं हो सकता।—निर्ग 3:2 और न्या 13:20 से तुलना करें।
आग की झील “दूसरी मौत” को दर्शाती है। प्रकाशितवाक्य 20:14 में बताया गया है कि “मौत और कब्र” दोनों को इस झील में फेंक दिया जाएगा, इसलिए यह आग की झील उस मौत को नहीं दर्शा सकती जो आदम के ज़रिए इंसानों को मिली है (रोम 5:12) और न ही यह हेडीज़ (शीओल) यानी कब्र को दर्शाती है। इसलिए यह कहना सही होगा कि इस झील का लाक्षणिक मतलब है, दूसरे तरह की मौत। यह एक ऐसी मौत है जिसमें दोबारा ज़िंदा होने की कोई गुंजाइश नहीं है, क्योंकि बाइबल में ऐसा कहीं भी नहीं लिखा है कि “झील” ने उन मरे हुओं को जो उसमें थे, दे दिया जबकि आदम से मिली मौत और कब्र से लोगों का ज़िंदा होना तय है। (प्रक 20:13) इसलिए जिस किसी का नाम “जीवन की किताब” में नहीं पाया जाता, जैसे वे लोग जो परमेश्वर की हुकूमत के खिलाफ बगावत करते हैं, उन्हें इस आग की झील में फेंक दिया जाएगा। इसका मतलब है कि उनका हमेशा के लिए विनाश हो जाएगा यानी उन्हें दूसरी मौत मिलेगी।—प्रक 20:15.