दसवाँ अध्याय
वह राज्य “जो अनन्तकाल तक न टूटेगा”
1. इंसान की शुरूआत से लेकर आज तक दुनिया में हो रही घटनाओं ने किस सच्चाई को पुख्ता किया है?
दुनिया में हर रोज़ होनेवाली घटनाओं से यह सच्चाई खुलकर सामने आती है कि यहोवा की हुकूमत को ठुकराने और खुद शासन करने से इंसान खुशी हासिल नहीं कर पाया है। इंसान की बनायी किसी भी तरह की सरकार ने सभी को बराबर फायदा नहीं पहुँचाया है। उसने विज्ञान के क्षेत्र में तरक्की की बुलंदियाँ तो छू ली है, मगर वह एक इंसान को भी बीमारी या मौत से छुटकारा नहीं दिला पाया है। उसका शासन युद्ध, हिंसा, अपराध, भ्रष्टता या गरीबी को मिटा नहीं सका है। आज भी कई देशों में तानाशाही सरकारें लोगों पर ज़ुल्म ढाती हैं। (सभोपदेशक 8:9) टेकनॉलजी, इंसान के लालची स्वभाव और उसकी अज्ञानता की वजह से ज़मीन, पानी और हवा दिन-ब-दिन प्रदूषित होती जा रही है। संसार के अधिकारी, आर्थिक मामलों की बागडोर सही तरह से नहीं सँभाल पा रहे हैं, इस वजह से बहुतों के लिए ज़िंदगी की बुनियादी ज़रूरतें भी जुटाना मुश्किल हो गया है। इसलिए हज़ारों सालों से चले आ रहे इंसान के शासन ने इस सच्चाई को पुख्ता किया है: “मनुष्य का मार्ग उसके वश में नहीं है, मनुष्य चलता तो है, परन्तु उसके डग उसके अधीन नहीं हैं।”—यिर्मयाह 10:23.
2. इंसान की समस्याओं का हल सिर्फ कैसे होगा?
2 तो फिर इन समस्याओं का हल कैसे होगा? परमेश्वर के राज्य से, जिसके बारे में यीशु ने अपने चेलों को यह प्रार्थना करना सिखाया: “तेरा राज्य आए; तेरी इच्छा जैसी स्वर्ग में पूरी होती है, वैसे पृथ्वी पर भी हो।” (मत्ती 6:9,10) परमेश्वर के स्वर्गीय राज्य को 2 पतरस 3:13 में ‘नया आकाश’ कहा गया है। यह राज्य “नई पृथ्वी” यानी धर्मी इंसानों से बने समाज पर शासन करेगा। परमेश्वर का स्वर्गीय राज्य इतनी अहमियत रखता है कि यीशु ने इसी को अपने प्रचार का मुख्य विषय बनाया। (मत्ती 4:17) उसने बताया कि हमें अपनी ज़िंदगी में उस राज्य को कौन-सा स्थान देना चाहिए: “इसलिये पहिले तुम उसके राज्य और धर्म की खोज करो।”—मत्ती 6:33.
3. परमेश्वर के राज्य के बारे में आज जल्द-से-जल्द सीखने की ज़रूरत क्यों है?
3 परमेश्वर के राज्य के बारे में आज हमें जल्द-से-जल्द सीखने की ज़रूरत है क्योंकि वह समय करीब आ रहा है जब राज्य, इस धरती पर चलनेवाली हुकूमत को हमेशा के लिए बदल डालेगा। दानिय्येल 2:44 में यह भविष्यवाणी की गयी है: “उन राजाओं [आज की सरकारों] के दिनों में स्वर्ग का परमेश्वर, [स्वर्ग में] एक ऐसा राज्य उदय करेगा जो अनन्तकाल तक न टूटेगा, और न वह किसी दूसरी जाति के हाथ में किया जाएगा [इंसान फिर कभी धरती पर शासन नहीं करेंगे]। वरन वह उन सब [मौजूदा] राज्यों को चूर चूर करेगा, और उनका अन्त कर डालेगा; और वह सदा स्थिर रहेगा।” इस तरह परमेश्वर का राज्य, इस दुष्ट संसार का अंत करके इन अंतिम दिनों के दौर को खत्म करेगा। इसके बाद, स्वर्ग से पृथ्वी पर होनेवाले उस शासन को फिर कभी चुनौती नहीं दी जाएगी। हम कितने एहसानमंद हो सकते हैं कि यह राहत हमें बहुत जल्द मिलनेवाली है!
4. सन् 1914 में स्वर्ग में, राज्य से जुड़ी कौन-सी घटना घटी और यह क्यों हमारे लिए खास अर्थ रखती है?
4 सन् 1914 में यीशु मसीह को राजा ठहराया गया और उसे “अपने शत्रुओं के बीच में शासन” करने का अधिकार दिया गया। (भजन 110:1,2) उसी साल, इस दुष्ट संसार के ‘अन्तिम दिन’ भी शुरू हुए। (2 तीमुथियुस 3:1-5,13) उसी वक्त स्वर्ग में वे घटनाएँ भी होने लगीं जिनके बारे में दानिय्येल ने एक दर्शन में देखा था। वह दर्शन दरअसल एक भविष्यवाणी था। उसने देखा कि “अति प्राचीन” यानी यहोवा परमेश्वर ने मनुष्य के पुत्र, यीशु मसीह को ‘प्रभुता, महिमा और राज्य दिया कि देश-देश और जाति-जाति के लोग और भिन्न-भिन्न भाषा बोलनेवाले सब उसके अधीन हों।’ उस दर्शन का ब्यौरा देते हुए दानिय्येल ने लिखा: “उसकी प्रभुता सदा तक अटल, और उसका राज्य अविनाशी ठहरा।” (दानिय्येल 7:13,14) मसीह यीशु के ज़रिए होनेवाले इस स्वर्गीय राज्य के ज़रिए ही परमेश्वर, धार्मिकता से प्रेम करनेवाले सभी लोगों को वह बेहिसाब आशीषें देगा जो उसने हमारे पहले माता-पिता को फिरदौस में देने का मकसद रखा था।
5. राज्य के बारे में क्या जानने में हमें गहरी दिलचस्पी है और क्यों?
5 क्या आप चाहते हैं कि आप उस राज्य की प्रजा में से एक होकर उसके वफादार रहें? अगर हाँ, तो आपको यह जानने में गहरी दिलचस्पी होगी कि यह स्वर्गीय सरकार किनसे बनी है और वह कैसे शासन करेगी। आप यह भी जानना चाहेंगे कि यह राज्य आज क्या कर रहा है, भविष्य में कौन-सी उपलब्धियाँ हासिल करेगा और इसकी प्रजा बनने के लिए आपको कौन-सी माँगें पूरी करनी हैं। इस राज्य के बारे में जैसे-जैसे आप ज़्यादा जानकारी पाएँगे, उसके लिए आपकी एहसानमंदी और भी बढ़नी चाहिए। अगर आप इस राज्य की माँगें पूरी करेंगे, तो आप दूसरों को अच्छी तरह समझा पाएँगे कि यह राज्य आज्ञा माननेवाले इंसानों की खातिर कौन-से अद्भुत काम करेगा।—भजन 48:12,13.
परमेश्वर के राज्य के शासक
6. (क) बाइबल में यह कैसे बताया गया कि मसीहाई राज्य, किसका प्रतिनिधित्व करता है? (ख) राज्य के बारे में हम जो सीखते हैं, उसका हम पर कैसा असर पड़ना चाहिए?
6 राज्य के बारे में खोजबीन करने पर सबसे पहले जो बातें ज़ाहिर होती हैं, उनमें से एक यह है कि मसीहाई राज्य, यहोवा की हुकूमत का प्रतिनिधित्व करता है। यहोवा ने ही अपने बेटे को “प्रभुता, महिमा और राज्य” सौंपा था। जब परमेश्वर के बेटे को राजा की हैसियत से अपना शासन शुरू करने का अधिकार दिया गया, तब स्वर्ग में यह ऐलान सुनायी पड़ा, जिसमें बिलकुल सही बात कही गयी: “जगत का राज्य हमारे प्रभु [यहोवा परमेश्वर] का, और उसके मसीह का हो गया और वह [यहोवा] युगानुयुग राज्य करेगा।” (प्रकाशितवाक्य 11:15,16) इसलिए हम इस राज्य और इसकी उपलब्धियों के बारे में जितनी भी बातें सीखते हैं, उनसे हम यहोवा के करीब आते हैं। हम इस बारे में जो सीखेंगे, उससे हमारे अंदर, हमेशा यहोवा की हुकूमत के अधीन रहने की इच्छा पैदा होनी चाहिए।
7. हमें इस बात में खास दिलचस्पी क्यों है कि यीशु मसीह, यहोवा का प्रतिनिधि राजा है?
7 इस सच्चाई पर भी गौर कीजिए कि यहोवा ने यीशु मसीह को अपना प्रतिनिधि राजा ठहराकर सिंहासन पर विराजमान किया है। परमेश्वर ने पृथ्वी और इंसानों की सृष्टि करते वक्त यीशु को एक कुशल कारीगर के तौर पर इस्तेमाल किया था, इसलिए हमारी ज़रूरतों के बारे में यीशु जितनी अच्छी तरह जानता है उतना हममें से कोई नहीं जानता। इसके अलावा, इंसान की शुरूआत से ही यीशु ने ‘मनुष्यों के लिए प्रेम’ (NW) दिखाया। (नीतिवचन 8:30,31; कुलुस्सियों 1:15-17) इंसानों के लिए उसका प्यार इतना गहरा है कि वह खुद ज़मीन पर आया और उसने अपनी ज़िंदगी हमारे लिए छुड़ौती के तौर पर दे दी। (यूहन्ना 3:16) इस तरह उसने हमारे लिए पाप और मौत से छुटकारा और हमेशा की ज़िंदगी पाने का रास्ता खोल दिया।—मत्ती 20:28.
8. (क) परमेश्वर की सरकार, इंसान की सरकारों की तरह न होते हुए हमेशा तक क्यों कायम रहेगी? (ख) “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास” का उस स्वर्गीय सरकार से क्या नाता है?
8 परमेश्वर का राज्य एक टिकाऊ सरकार है जो हमेशा कायम रहेगी। इसकी गारंटी हमें इस बात से मिलती है कि यहोवा परमेश्वर कभी मर नहीं सकता। (हबक्कूक 1:12, ईज़ी-टू-रीड वर्शन) साथ ही यीशु मसीह, जिसे परमेश्वर ने राज्य करने का अधिकार सौंपा है, वह इंसानों की तरह नहीं है बल्कि अमर है। (रोमियों 6:9; 1 तीमुथियुस 6:15,16) मसीह के साथ शासन करने के लिए स्वर्ग में 1,44,000 जन भी सिंहासनों पर विराजमान होंगे। वे “हर एक कुल, और भाषा, और लोग, और जाति में से” निकले परमेश्वर के वफादार सेवक हैं। उन्हें भी अमर जीवन दिया जाता है। (प्रकाशितवाक्य 5:9,10; 14:1-4; 1 कुरिन्थियों 15:42-44,53) उनमें से ज़्यादातर जन स्वर्ग जा चुके हैं और जो आज धरती पर ज़िंदा हैं, वे “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास” की हैसियत से सेवा कर रहे हैं। वे धरती पर राज्य से जुड़ी ज़िम्मेदारियों को वफादारी से निभा रहे हैं।—मत्ती 24:45-47.
9, 10. (क) संसार को भ्रष्ट करनेवाली और उसमें फूट पैदा करनेवाली किन चीज़ों को परमेश्वर का राज्य हटा देगा? (ख) अगर हम परमेश्वर के राज्य के दुश्मन नहीं बनना चाहते, तो हमें किन बातों में नहीं उलझना चाहिए?
9 बहुत जल्द यहोवा अपने ठहराए हुए समय पर, धरती को साफ करने के लिए अपनी स्वर्गीय सेना को भेजेगा। वह सेना उन इंसानों को हमेशा के लिए नाश कर देगी जो जानबूझकर यहोवा की हुकूमत को ठुकराते हैं और यीशु मसीह के ज़रिए किए उसके प्यार-भरे इंतज़ामों को तुच्छ जानते हैं। (2 थिस्सलुनीकियों 1:6-9) वह यहोवा का दिन होगा जिसके आने का एक लंबे अरसे से इंतज़ार किया जा रहा है और तब यहोवा की हुकूमत पर लगा कलंक मिटा दिया जाएगा। “देखो, यहोवा का वह दिन रोष और क्रोध और निर्दयता के साथ आता है कि वह . . . पापियों को [पृथ्वी] में से नाश करे।” (यशायाह 13:9) “वह रोष का दिन होगा, वह संकट और सकेती का दिन, वह उजाड़ और उधेड़ का दिन, वह अन्धेर और घोर अन्धकार का दिन, वह बादल और काली घटा का दिन होगा।”—सपन्याह 1:15.
10 उस वक्त सभी झूठे धर्म और इंसान की बनायी तमाम सरकारें और उनकी सेनाएँ, जिन्हें इस संसार का अदृश्य और दुष्ट शासक अपने इशारों पर चला रहा है, हमेशा के लिए मिटा दी जाएँगी। जो लोग इस संसार से नाता रखते और अपना स्वार्थ पूरा करने, बेईमानी के काम करने और अनैतिक किस्म की ज़िंदगी जीने में उलझे हुए हैं, उन सभी को खाक में मिला दिया जाएगा। शैतान और उसके पिशाचों को एक हज़ार साल के लिए अथाह कुंड में डाल दिया जाएगा, इसलिए वे पृथ्वी के निवासियों का कुछ नहीं बिगाड़ सकेंगे। इसके बाद से पृथ्वी की पूरी बागडोर परमेश्वर का राज्य संभालेगी। तब वे सभी कितनी राहत महसूस करेंगे जो धार्मिकता से प्रेम करते हैं!—प्रकाशितवाक्य 18:21,24; 19:11-16,19-21; 20:1,2.
राज्य के मकसद—कैसे हासिल होंगे
11. (क) मसीहाई राज्य, पृथ्वी के संबंध में यहोवा का मकसद कैसे पूरा करेगा? (ख) उस वक्त धरती पर फिरदौस में जीनेवालों के लिए राज्य क्या करेगा?
11 परमेश्वर ने पृथ्वी के लिए शुरू में जो मकसद ठहराया था, उसे मसीहाई राज्य पूरी तरह अंजाम देगा। (उत्पत्ति 1:28; 2:8,9,15) परमेश्वर के उस मकसद के मुताबिक काम करने में इंसान आज तक कामयाब नहीं हुआ है। लेकिन “उस आनेवाले जगत को” मनुष्य के पुत्र, यीशु मसीह के अधीन किया जाएगा। इस पुराने संसार को परमेश्वर से मिलनेवाले दंड से जो लोग ज़िंदा बचेंगे, वे सभी एकता में रहकर काम करेंगे और राजा मसीह उन्हें जो भी हिदायत देगा उसे खुशी-खुशी मानेंगे। इसलिए, पूरी पृथ्वी एक फिरदौस में बदल दी जाएगी। (इब्रानियों 2:5-9) सभी लोग अपने हाथों से मेहनत करके उसका फल खाएँगे और पृथ्वी पर बहुतायत में होनेवाली उपज का पूरा-पूरा फायदा उठाएँगे।—भजन 72:1,7,8, 16-19; यशायाह 65:21,22.
12. राज्य की प्रजा को शरीर और मन से कैसे सिद्ध किया जाएगा?
12 जब आदम और हव्वा की सृष्टि की गयी थी, तब वे सिद्ध थे और परमेश्वर का यह मकसद था कि धरती उनकी संतान से आबाद हो और सभी लोग सिद्ध शरीर और सिद्ध मन से जीवन का आनंद उठाएँ। यह मकसद परमेश्वर के राज्य में शानदार तरीके से पूरा होगा। इसके लिए ज़रूरी है कि पाप के सभी अंजाम दूर किए जाएँ इसलिए मसीह न सिर्फ राजा बल्कि महायाजक की हैसियत से भी काम करेगा। वह अपनी आज्ञा माननेवाली प्रजा के साथ धीरज से पेश आते हुए उनकी मदद करेगा कि वे उसके छुड़ौती की कीमत से फायदा पाकर पाप से छुड़ाए जा सकें।
13. परमेश्वर के राज्य में शारीरिक तौर पर कौन-सी आशीषें मिलेंगी?
13 परमेश्वर के राज्य में पृथ्वी के निवासियों को शारीरिक तौर पर बढ़िया आशीषें मिलेंगी। “तब अन्धों की आंखें खोली जाएंगी और बहिरों के कान भी खोले जाएंगे; तब लंगड़ा हरिण की सी चौकड़िया भरेगा और गूंगे अपनी जीभ से जयजयकार करेंगे।” (यशायाह 35:5,6) बुढ़ापे या बीमारी की वजह से जिन लोगों की त्वचा खराब हो गयी है, उनकी त्वचा बच्चों की त्वचा से भी मुलायम हो जाएगी। लंबी बीमारियाँ उन्हें नहीं सताएँगी बल्कि वे चुस्त-दुरुस्त होंगे। “तब उस मनुष्य की देह बालक की देह से अधिक स्वस्थ और कोमल हो जाएगी; उसकी जवानी के दिन फिर लौट आएंगे।” (अय्यूब 33:25) वह दिन भी आएगा जब किसी को यह नहीं कहना पड़ेगा कि “मैं रोगी हूं।” क्यों? क्योंकि परमेश्वर का भय माननेवाले इंसानों को पाप के बोझ और उसके घातक अंजामों से राहत दिलायी जाएगी। (यशायाह 33:24; लूका 13:11-13) जी हाँ, परमेश्वर “उन की आंखों से सब आंसू पोंछ डालेगा; और इस के बाद मृत्यु न रहेगी, और न शोक, न विलाप, न पीड़ा रहेगी; पहिली बातें जाती रहीं।”—प्रकाशितवाक्य 21:4.
14. इंसानों के सिद्ध होने में और क्या बात शामिल है?
14 लेकिन सिद्ध बनने का मतलब सिर्फ स्वस्थ शरीर और दुरुस्त मन होना नहीं है। सिद्ध होने में यहोवा के गुण सही तरह से दिखाना भी शामिल है, क्योंकि हमें ‘परमेश्वर के स्वरूप के अनुसार और उसकी समानता में’ बनाया गया था। (उत्पत्ति 1:26) परमेश्वर के गुण दिखाने के लिए हमें बहुत कुछ सीखने की ज़रूरत होगी। नयी दुनिया में “धार्मिकता बास करेगी।” इसलिए जैसे यशायाह ने भविष्यवाणी की थी, ‘जगत के रहनेवाले धर्म को सीखेंगे।’ (2 पतरस 3:13; यशायाह 26:9) धार्मिकता का यह गुण शांति कायम करेगा। यह शांति सभी जातियों के बीच, करीबी दोस्तों के बीच, परिवार में और सबसे बढ़कर परमेश्वर और इंसानों के बीच कायम होगी। (भजन 85:10-13; यशायाह 32:17) धार्मिकता सीखनेवालों को सिलसिलेवार ढंग से समझाया जाएगा कि परमेश्वर उनसे क्या चाहता है। जैसे-जैसे यहोवा के लिए उनके दिल में प्यार गहरा होता जाएगा, वे ज़िंदगी के हर दायरे में यहोवा के मार्गों और स्तरों पर चलेंगे। वे भी यीशु की तरह कह सकेंगे, ‘मैं सर्वदा वही काम करता हूं, जिस से पिता प्रसन्न होता है।’ (यूहन्ना 8:29) जब दुनिया का हर इंसान यहोवा की मरज़ी पर चलेगा, तो ज़िंदगी कितनी खुशनुमा होगी!
राज्य को अब तक हासिल हुई उपलब्धियाँ
15. इस पैराग्राफ में दिए सवालों की मदद से बताइए कि राज्य ने कौन-सी उपलब्धियाँ हासिल की हैं और आज हमें क्या करना चाहिए।
15 परमेश्वर के राज्य और उसकी प्रजा ने जो शानदार उपलब्धियाँ हासिल की हैं, वह साफ नज़र आती हैं। नीचे दिए सवालों और आयतों से आपके ध्यान में लाया जाएगा कि उनमें से कुछ उपलब्धियाँ क्या हैं, और उस राज्य की प्रजा बननेवाले सभी आज क्या कर सकते हैं और उन्हें करना भी चाहिए।
राज्य ने सबसे पहले किसके खिलाफ कार्यवाही की और उसका नतीजा क्या हुआ? (प्रकाशितवाक्य 12:7-10,12)
जब से मसीह सिंहासन पर विराजमान हुआ है, तब से किस समूह के बचे हुए सदस्यों को इकट्ठा करने पर ध्यान दिया जा रहा है? (प्रकाशितवाक्य 14:1-3)
मत्ती 25:31-33 में दर्ज़ यीशु की भविष्यवाणी के मुताबिक बड़े क्लेश के शुरू होने के बाद वह क्या काम करेगा?
उस काम की तैयारी में आज कौन-सा काम किया जा रहा है? उसमें कौन हिस्सा ले रहे हैं? (भजन 110:3; मत्ती 24:14; प्रकाशितवाक्य 14:6,7)
हमारा विरोध करनेवाले राजनीति और धर्म के लोग प्रचार के काम को रोकने में नाकाम क्यों रहे हैं? (जकर्याह 4:6; प्रेरितों 5:38,39)
जो लोग राज्य के शासन के अधीन रहते हैं, उनकी ज़िंदगी में कौन-से बदलाव हुए हैं? (यशायाह 2:4; 1 कुरिन्थियों 6:9-11)
हज़ार साल का राज्य
16. (क) मसीह कितने समय तक हुकूमत करेगा? (ख) उस शासन के दौरान और उसके बाद कौन-से अद्भुत काम होंगे?
16 शैतान और उसके पिशाचों के अथाह कुंड में डाल दिए जाने के बाद, यीशु मसीह और उसके 144,000 संगी वारिस, हज़ार साल तक राजाओं और याजकों की हैसियत से सेवा करेंगे। (प्रकाशितवाक्य 20:6) उस दौरान सभी इंसानों को सिद्ध किया जाएगा और पाप और आदम से आयी मौत हमेशा के लिए मिटा दी जाएगी। हज़ार साल के शासन के आखिर तक यीशु, मसीहाई राजा और याजक की हैसियत से अपनी ज़िम्मेदारी को पूरा कर चुका होगा इसलिए वह अपने पिता ‘के हाथ में राज्य सौंप देगा’ ताकि “सब में परमेश्वर ही सब कुछ हो।” (1 कुरिन्थियों 15:24-28) उस वक्त शैतान को कुछ देर के लिए छोड़ा जाएगा ताकि उद्धार पाए हुए इंसानों की परीक्षा हो कि क्या वे यहोवा की हुकूमत के पक्ष में हैं या नहीं। उस आखिरी परीक्षा के पूरा होने के बाद, शैतान और उसका पक्ष लेनेवाले सभी बागियों को यहोवा नाश कर देगा। (प्रकाशितवाक्य 20:7-10) जिन्होंने यहोवा की हुकूमत का पक्ष लिया था यानी इस बात का समर्थन किया कि विश्व पर राज करने का हक सिर्फ यहोवा को है, वे अपनी सच्ची वफादारी साबित कर चुके होंगे। इसलिए तब यहोवा के साथ उनका एक सही रिश्ता कायम होगा, यहोवा उन्हें अपने बेटे-बेटियों की तरह कबूल करेगा और उन्हें हमेशा की ज़िंदगी पाने के योग्य ठहराएगा।—रोमियों 8:21.
17. (क) हज़ार साल के आखिर में, राज्य का क्या होगा? (ख) किस अर्थ में कहा जा सकता है कि राज्य “अनन्तकाल तक न टूटेगा?”
17 इसलिए पृथ्वी से जुड़ी यीशु की और 1,44,000 जनों की ज़िम्मेदारियों में बदलाव आएगा। बाद में उन्हें क्या ज़िम्मेदारी दी जाएगी? इस बारे में बाइबल कुछ नहीं कहती। लेकिन अगर हम यहोवा की हुकूमत के वफादार बने रहेंगे, तो हम हज़ार साल के शासन के आखिर तक ज़िंदा होंगे और तब हम जान सकेंगे कि यहोवा ने उनके लिए और अपने अद्भुत विश्व-मंडल के लिए क्या मकसद रखा है। मगर यह बात तय है कि मसीह का हज़ार साल का शासन “सदा तक अटल” रहेगा और उसका राज्य “अविनाशी” होगा। (दानिय्येल 7:14) वह कैसे? ऐसा कहने का एक कारण यह है कि यहोवा खुद शासक होगा, इसलिए शासन करने का अधिकार ऐसे लोगों को नहीं मिलेगा जिनका मकसद यहोवा के मकसद से हटकर है। और राज्य “अनन्तकाल तक न टूटेगा” क्योंकि इस राज्य को मिलनेवाली उपलब्धियाँ सदा तक कायम रहेंगी। (दानिय्येल 2:44) एक और कारण यह है कि मसीहाई राजा-याजक और उसके साथी राजा-याजकों का, यहोवा की सेवा वफादारी से करने की वजह से हमेशा सम्मान किया जाएगा।
आइए याद करें
• इंसान की समस्याओं का हल सिर्फ परमेश्वर का राज्य ही क्यों कर सकता है? परमेश्वर के राज्य के राजा ने कब शासन करना शुरू किया?
• परमेश्वर के राज्य के बारे में कौन-सी बात आपको खासकर पसंद है और यह राज्य कौन-सी उपलब्धियाँ हासिल करेगा?
• राज्य की किन उपलब्धियों को हम आज भी देख सकते हैं और उनमें हम कैसे हिस्सा लेते हैं?
[पेज 93 पर तसवीर]
परमेश्वर के राज्य में सभी लोग धार्मिकता सीखेंगे