गीत 43
जागते रहो, शक्तिशाली बनते जाओ
1. है ह-में रह-ना चौ-कन्-ना
र-खें आँख मन की खु-ली।
हैं सि-पा-ही हम यी-शु के
जीत ह-मा-री है पक्-की।
हर हु-कुम उस-का सर आँ-खों पे
उस-का दें-गे साथ हर की-मत पे।
(कोरस)
अब ह-में रह-ना है चौ-कन्-ना
शक्-ति-शा-ली है बन-ना।
2. है ह-में रह-ना चौ-कन्-ना
सुन-नी हैं दास की बा-तें।
फिर र-हें-गे हर-दम तै-यार
हम मु-काब्-ले के लि-ए।
जो बु-ज़ु-र्गों से मिल-ती स-लाह
मा-नें तो हो-गा अप-ना भ-ला।
(कोरस)
अब ह-में रह-ना है चौ-कन्-ना
शक्-ति-शा-ली है बन-ना।
3. है ह-में रह-ना चौ-कन्-ना
दाँव अ-नेक हैं शै-ताँ के।
है प-हन-ना हम-को बक़-तर
सच की तल-वार साथ लि-ए।
चा-हे वार जित-ने दुश्-मन क-रे
बिन ड-रे राज का ऐ-लाँ क-रें।
(कोरस)
अब ह-में रह-ना है चौ-कन्-ना
शक्-ति-शा-ली है बन-ना।
(मत्ती 24:13; इब्रा. 13:7, 17; 1 पत. 5:8 भी देखिए।)