सूची
पाठ
7 1 “देखो, हमारा परमेश्वर यही है”
16 2 क्या आप सचमुच “परमेश्वर के करीब” आ सकते हैं?
26 3 “यहोवा पवित्र, पवित्र, पवित्र है”
37 4 “यहोवा . . . बड़ा शक्तिमान है”
47 5 सृजने की शक्ति—‘आकाश और पृथ्वी का कर्त्ता’
57 6 विनाशकारी शक्ति—“यहोवा योद्धा है”
67 7 रक्षा करने की शक्ति—‘परमेश्वर हमारा शरणस्थान है’
77 8 बहाल करने की शक्ति—यहोवा “सब कुछ नया कर” रहा है
87 9 ‘मसीह, परमेश्वर की शक्ति’
97 10 अपनी शक्ति इस्तेमाल करने में “परमेश्वर के समान बनो”
108 11 “उसके सब मार्ग तो न्यायपूर्ण हैं”
118 12 “क्या परमेश्वर के यहां अन्याय है?”
128 13 “यहोवा की व्यवस्था सिद्ध है”
138 14 यहोवा “बहुतों की छुड़ौती” का इंतज़ाम करता है
148 15 यीशु ‘न्याय को पृथ्वी पर स्थिर करता है’
158 16 परमेश्वर के साथ चलते हुए ‘न्याय से काम कर’
169 17 ‘आहा! परमेश्वर की बुद्धि क्या ही गहरी है!’
179 18 ‘परमेश्वर के वचन’ में बुद्धि
189 19 ‘एक पवित्र भेद में परमेश्वर की बुद्धि’
199 20 “हृदय में बुद्धिमान्”—फिर भी नम्र
209 21 यीशु, ‘परमेश्वर की ओर से बुद्धि’ ज़ाहिर करता है
219 22 ‘बुद्धि जो ऊपर से आती है,’ क्या यह आपकी ज़िंदगी में काम कर रही है?
231 23 “पहिले उस ने हम से प्रेम किया”
240 24 कोई भी चीज़ ‘हमें परमेश्वर के प्रेम से अलग न कर सकेगी’
250 25 “हमारे परमेश्वर की कोमल करुणा”
260 26 परमेश्वर जो “क्षमा करने को तत्पर” रहता है
270 27 “अहा, उसकी भलाई कितनी अपार है!”