अध्याय 28
“केवल तू ही वफादार है”
1, 2. हम यह क्यों कह सकते हैं कि राजा दाऊद विश्वासघात के बारे में बहुत अच्छी तरह जानता था?
राजा दाऊद बहुत अच्छी तरह जानता था कि विश्वासघात क्या होता है। उसके राज में मुसीबतों से भरा एक वक्त ऐसा आया जब उसके अपने ही देश के लोगों ने उसके खिलाफ साज़िश रची। इसके अलावा, दाऊद के साथ कुछ ऐसे लोगों ने विश्वासघात किया जिनसे हम उसके सबसे अज़ीज़ साथी होने की उम्मीद करते हैं। दाऊद की पहली पत्नी, मीकल को ही लीजिए। पहले, वह “दाऊद से प्रीति” करती थी, ज़ाहिर है कि वह राजकाज के काम में उसका साथ देती होगी। मगर बाद में, वह “उसे मन ही मन तुच्छ” समझने लगी, यहाँ तक कि वह दाऊद को ऐसा समझने लगी “जैसा कोई निकम्मा” हो।—1 शमूएल 18:20; 2 शमूएल 6:16, 20.
2 एक और था, दाऊद का निजी सलाहकार, अहीतोपेल। उसकी सलाह की इतनी इज़्ज़त की जाती थी मानो वह वचन सीधे यहोवा की ओर से हो। (2 शमूएल 16:23) दाऊद उसे अपना भरोसेमंद हमराज़ समझता था, मगर उसी ने आखिर में गद्दारी की और उसके खिलाफ बगावत करनेवालों के साथ जा मिला। और दाऊद के खिलाफ साज़िश रचनेवालों का सरदार कौन था? दाऊद का अपना बेटा, अबशलोम! उस चालाक और मौकापरस्त बेटे ने “इस्राएली मनुष्यों के मन को हर लिया,” और दाऊद के खिलाफ खुद राजा होने का ऐलान किया। अबशलोम की बगावत ने इतनी तेज़ी पकड़ ली कि राजा दाऊद को मजबूरन अपनी जान बचाने के लिए भागना पड़ा।—2 शमूएल 15:1-6, 12-17.
3. दाऊद को किस बात का भरोसा था?
3 क्या ऐसा कोई भी नहीं था जो दाऊद का वफादार रहा हो? मुसीबतों के इस दौर में, हर घड़ी दाऊद को एहसास था कि कोई है जो सचमुच अब तक पूरी वफादारी से उसका साथ दे रहा है। कौन? कोई और नहीं बल्कि खुद यहोवा परमेश्वर। दाऊद ने यहोवा के बारे में कहा: “किसी वफादार के साथ तू वफादारी से पेश आएगा।” (2 शमूएल 22:26, NW) वफादारी क्या है, और इस गुण की सबसे उम्दा मिसाल हमें यहोवा में कैसे मिलती है?
वफादारी क्या है?
4, 5. (क) “वफादारी” क्या है? (ख) बेजान चीज़ों के विश्वासयोग्य होने में, और एक इंसान की वफादारी में क्या फर्क है?
4 इब्रानी शास्त्र में, “वफादारी” शब्द का मतलब ऐसी कृपा है जो बड़े प्यार से किसी के साथ जुड़ जाती है और तब तक उसका साथ नहीं छोड़ती, जब तक उसके बारे में उसका मकसद पूरा न हो जाए। वफादार इंसान प्यार करता है।a गौर करने लायक बात है कि भजनहार ने चंद्रमा को ‘आकाशमण्डल का विश्वासयोग्य साक्षी’ कहा, क्योंकि वह हर रात बिना नागा आसमान में दिखायी देता है। (भजन 89:37) इस मायने में, चाँद विश्वासयोग्य या भरोसे के लायक है। मगर चंद्रमा, किसी इंसान जैसी वफादारी नहीं दिखा सकता। वह क्यों? क्योंकि एक इंसान की वफादारी उसके प्रेम का सबूत होती है—और बेजान चीज़ें प्रेम नहीं कर सकतीं।
चंद्रमा को विश्वासयोग्य साक्षी कहा गया है, मगर सही मायनों में सिर्फ बुद्धिमान प्राणी यहोवा की तरह वफादारी दिखा सकते हैं
5 बाइबल में वफादारी के गुण में प्यार, स्नेह और लगाव भी शामिल है। वफादारी का होना ही इस बात का सबूत है कि यह जिसे दिखायी जाती है और जो वफादारी दिखाता है, वे एक रिश्ते में बंधे हुए हैं। यह वफादारी चार दिन की नहीं होती। यह सागर की उन लहरों की तरह नहीं, जो हवाओं के रुख के मुताबिक अपना रुख बदल देती हैं। इसके बजाय, वफादारी या सच्चे प्यार में वह स्थिरता, और वह मज़बूती होती है जो मुश्किल-से-मुश्किल बाधाओं से पार लगा सकती है।
6. (क) इंसानों में वफादारी की किस हद तक कमी है, और यह बाइबल में कैसे दिखाया गया है? (ख) वफादारी में क्या-क्या शामिल है, इसे जानने का सबसे बेहतरीन तरीका क्या है, और क्यों?
6 यह सच है कि ऐसी वफादारी आज बहुत कम देखने को मिलती है। आम तौर पर, संगी साथी ही एक-दूसरे को ‘बरबाद’ करने पर तुले होते हैं। और ऐसे वाकये बढ़ते जा रहे हैं जहाँ पति या पत्नी एक-दूसरे को छोड़ देते हैं। (नीतिवचन 18:24, किताब-ए-मुकद्दस; मलाकी 2:14-16) विश्वासघात इतना आम हो गया है कि हम भी भविष्यवक्ता मीका की तरह बोल पड़ते हैं: “भक्त [“वफादार,” NW] लोग पृथ्वी पर से नाश हो गए हैं।” (मीका 7:2) हालाँकि इंसान अकसर निरंतर प्रेम-कृपा या वफादारी दिखाने में नाकाम हो जाते हैं, मगर यहोवा यह गुण दिखाने में बेहतरीन मिसाल कायम करता है। दरअसल, अगर आप यह जानना चाहते हैं कि वफादारी दिखाने में क्या-क्या शामिल है, तो इसका सबसे बेहतरीन तरीका है यह जाँचना कि अपने प्रेम के इस लाजवाब पहलू को यहोवा कैसे ज़ाहिर करता है।
यहोवा की बेजोड़ वफादारी
7, 8. यह कैसे कहा जा सकता है कि केवल यहोवा ही वफादार है?
7 यहोवा के बारे में बाइबल कहती है: “केवल तू ही वफादार है।” (प्रकाशितवाक्य 15:4, NW) लेकिन यह कैसे हो सकता है? क्या कई बार इंसानों और स्वर्गदूतों ने भी बढ़िया तरीके से अपनी वफादारी का सबूत नहीं दिया है? (अय्यूब 1:1; प्रकाशितवाक्य 4:8) और यीशु मसीह के बारे में क्या? क्या वह परमेश्वर का सबसे बड़ा “वफादार जन” नहीं? (भजन 16:10, NW) तो फिर, यह कैसे कहा जा सकता है कि केवल यहोवा ही वफादार है?
8 सबसे पहले, हम यह न भूलें कि वफादारी, प्रेम का ही एक पहलू है। क्योंकि “परमेश्वर प्रेम है,” यानी इसका साक्षात् रूप, तो फिर उससे ज़्यादा और कौन है जो इस गुण को पूरी तरह से ज़ाहिर कर सकता है? (तिरछे टाइप हमारे; 1 यूहन्ना 4:8) सच है कि स्वर्गदूत और इंसान परमेश्वर के गुण ज़ाहिर कर सकते हैं, मगर सिर्फ यहोवा सर्वोत्तम तरीके से, परम सीमा तक वफादार है। “अति प्राचीन” होने के नाते, वह धरती पर या स्वर्ग में जीनेवाले किसी और प्राणी से ज़्यादा अरसे से निरंतर प्रेम-कृपा ज़ाहिर करता आया है। (दानिय्येल 7:9) यहोवा वफादारी का आदर्श है। वह जिस तरीके से यह गुण ज़ाहिर करता है, उसकी बराबरी और कोई प्राणी नहीं कर सकता। आइए कुछ मिसालों पर गौर करें।
9. कैसे यहोवा ‘अपने सब कामों में वफादार है’?
9 यहोवा “अपने सब कामों में वफादार है।” (भजन 145:17, NW) किस तरह? भजन 136 में इसका जवाब दिया गया है। वहाँ, यहोवा के कई उद्धार के कामों का ज़िक्र है, जिसमें लाल सागर से इस्राएलियों का हैरतअंगेज़ छुटकारा भी शामिल है। गौर करने लायक बात है, इस भजन की हर आयत में इन शब्दों पर ज़ोर दिया गया है: “उसकी निरंतर प्रेम-कृपा [या, वफादारी] सदा की है।” (NW) पेज 289 पर दिए मनन के लिए सवालों में यह भजन भी शामिल किया गया है। जब आप उन आयतों को पढ़ेंगे, तो आप उन अनगिनत तरीकों को देखकर हैरत में पड़ जाएँगे जिनके ज़रिए यहोवा ने अपने लोगों के लिए निरंतर प्रेम-कृपा ज़ाहिर की। जी हाँ, यहोवा अपने वफादार सेवकों की मदद की पुकार सुनकर और अपने ठहराए हुए वक्त पर कार्यवाही करके दिखाता है कि वह वफादार है। (भजन 34:6) जब तक यहोवा के सेवक उसके वफादार रहते हैं, तब तक उसका सच्चा प्यार या उनके लिए वफादारी कम नहीं होती।
10. यहोवा अपने स्तरों के मामले में वफादारी कैसे निभाता है?
10 इतना ही नहीं, यहोवा अपने स्तरों का पालन करने में भी अपने सेवकों से वफादारी निभाता है। यहोवा उन सनकी इंसानों की तरह नहीं है, जो जैसा मन किया वैसा करते हैं। सही क्या है और गलत क्या, इसके बारे में यहोवा अपने स्तरों को बदलता नहीं रहता। हज़ारों सालों से, भूतविद्या, मूर्तिपूजा और हत्या के बारे में उसका नज़रिया एक ही रहा है। उसने अपने भविष्यवक्ता यशायाह के ज़रिए कहा: “तुम्हारे बुढ़ापे में भी मैं वैसा ही बना रहूंगा।” (यशायाह 46:4) इसलिए, हम भरोसा कर सकते हैं कि जब हम चालचलन के मामले में परमेश्वर के वचन में पाए जानेवाले स्पष्ट निर्देशों को मानेंगे, तो इससे हमें लाभ होगा।—यशायाह 48:17-19.
11. मिसालें दीजिए कि कैसे यहोवा अपने वादों का पक्का है और वफादार है।
11 यहोवा अपने वादों को पूरा करके भी वफादारी निभाता है। जब वह कोई भविष्यवाणी करता है, तो वह हर हाल में पूरी होती है। इसलिए यहोवा ने कहा: “मेरा वचन . . . जो मेरे मुख से निकलता है; वह व्यर्थ ठहरकर मेरे पास न लौटेगा, परन्तु, जो मेरी इच्छा है उसे वह पूरा करेगा, और जिस काम के लिये मैं ने उसको भेजा है उसे वह सुफल करेगा।” (यशायाह 55:11) यहोवा अपने वचन को पूरा करके अपने लोगों से वफादारी निभाता है। वह उनसे किसी ऐसी बात का इंतज़ार नहीं करवाता जिसे पूरा करने का उसका कोई इरादा नहीं। इस मामले में यहोवा का रिकॉर्ड ऐसा बेदाग है कि उसका सेवक यहोशू यह कह सका: “जितनी भलाई की बातें यहोवा ने इस्राएल के घराने से कही थीं उस में से कोई बात भी न छूटी; सब की सब पूरी हुई।” (यहोशू 21:45) तो फिर, हम भरोसा रख सकते हैं कि हमें इस बात को लेकर कभी निराश नहीं होना पड़ेगा कि यहोवा अपना वादा पूरा करने में नाकाम रहा।—यशायाह 49:23; रोमियों 5:5.
12, 13. किन तरीकों से यहोवा की निरंतर प्रेम-कृपा “सदा की है”?
12 जैसे पहले बताया गया था, बाइबल कहती है कि यहोवा की निरंतर प्रेम-कृपा “सदा की है।” (भजन 136:1) वह कैसे? पहले तो इस तरह कि यहोवा जब पापों को माफ करता है तो सदा के लिए करता है। जैसा अध्याय 26 में बताया गया है, जिन पिछली गलतियों के लिए एक इंसान को माफ किया गया है, यहोवा उन्हें दोबारा नहीं उठाता। हम “सब ने पाप किया है और परमेश्वर की महिमा से रहित हैं,” इसलिए हममें से हरेक को एहसान मानना चाहिए कि यहोवा की निरंतर प्रेम-कृपा सदा की है।—रोमियों 3:23.
13 मगर, एक और मायने में यहोवा की निरंतर प्रेम-कृपा सदा की है। उसका वचन कहता है कि धर्मी जन “उस वृक्ष के समान है, जो बहती नालियों के किनारे लगाया गया है। और अपनी ऋतु में फलता है, और जिसके पत्ते कभी मुरझाते नहीं। इसलिये जो कुछ वह पुरुष करे वह सफल होता है।” (भजन 1:3) ऐसे हरे-भरे पेड़ की कल्पना कीजिए जिसके पत्ते कभी नहीं मुरझाते! उसी तरह, अगर हम सही मायनों में परमेश्वर के वचन से प्रसन्नता पाते हैं, तो हमारी ज़िंदगी लंबी, शांतिमय और फलदायी होगी। यहोवा अपने विश्वासयोग्य सेवकों को वफादारी निभाते हुए जो आशीषें देता है, वे सदा तक रहती हैं। सचमुच, यहोवा जो धर्मी नया संसार लाएगा उसमें आज्ञाकारी इंसान सदा तक उसकी निरंतर प्रेम-कृपा का आनंद ले सकेंगे।—प्रकाशितवाक्य 21:3, 4.
यहोवा ‘अपने वफादार जनों को न तजेगा’
14. यहोवा अपने सेवकों की वफादारी के लिए कदरदानी कैसे दिखाता है?
14 यहोवा ने कई बार अपनी वफादारी का सबूत दिया है। और क्योंकि यहोवा ज़रा भी बदलता नहीं, इसलिए अपने वफादार सेवकों के लिए उसकी वफादारी कभी कम नहीं होती। भजनहार ने लिखा: “मैं लड़कपन से लेकर बुढ़ापे तक देखता आया हूं; परन्तु न तो कभी धर्मी को त्यागा हुआ, और न उसके वंश को टुकड़े मांगते देखा है। क्योंकि यहोवा न्याय से प्रीति रखता; और अपने भक्तों [“वफादार जनों,” NW] को न तजेगा।” (भजन 37:25, 28) यह सच है कि सिरजनहार होने के नाते, यहोवा हमारी उपासना पाने का हकदार है। (प्रकाशितवाक्य 4:11) फिर भी, अपनी वफादारी की वजह से, यहोवा हमारे विश्वास के कामों को याद रखता है।—मलाकी 3:16, 17.
15. समझाइए कि कैसे इस्राएल के साथ यहोवा का व्यवहार उसकी वफादारी को ज़ाहिर करता है।
15 यहोवा अपनी निरंतर प्रेम-कृपा की वजह से, मुसीबत में पड़े अपने लोगों की मदद के लिए बार-बार आगे आता है। भजनहार हमें बताता है: “वह अपने भक्तों [“वफादार जनों,” NW] के प्राणों की रक्षा करता, और उन्हें दुष्टों के हाथ से बचाता है।” (भजन 97:10) इस्राएल जाति के साथ उसके व्यवहार पर गौर कीजिए। चमत्कार करके उसने उन्हें लाल सागर पार कराया और छुटकारा दिलाया। इस छुटकारे के बाद, इस्राएलियों ने यहोवा के लिए गीत में यह कहा: “अपनी करूणा [“निरंतर प्रेम-कृपा,” या “सच्चे प्यार,” NW, फुटनोट] से तू ने अपनी छुड़ाई हुई प्रजा की अगुवाई की है।” (निर्गमन 15:13) लाल सागर पर मिला छुटकारा, वाकई यहोवा के सच्चे प्यार या वफादारी का सबूत था। इसलिए मूसा ने इस्राएलियों से कहा: “यहोवा ने जो तुम से स्नेह करके तुम को चुन लिया, इसका कारण यह नहीं था कि तुम गिनती में और सब देशों के लोगों से अधिक थे, किन्तु तुम तो सब देशों के लोगों से गिनती में थोड़े थे; यहोवा ने जो तुम को बलवन्त हाथ के द्वारा दासत्व के घर में से, और मिस्र के राजा फ़िरौन के हाथ से छुड़ाकर निकाल लिया, इसका यही कारण है कि वह तुम से प्रेम रखता है, और उस शपथ को भी पूरी करना चाहता है जो उस ने तुम्हारे पूर्वजों से खाई थी।”—व्यवस्थाविवरण 7:7, 8.
16, 17. (क) इस्राएलियों की कैसी एहसानफरामोशी देखकर हम दंग रह जाते हैं, फिर भी यहोवा ने उन्हें करुणा कैसे दिखायी? (ख) ज़्यादातर इस्राएलियों ने कैसे दिखाया कि उनके लिए “बचने का कोई उपाय न रहा,” और इससे हमें क्या सबक सीखने को मिलता है?
16 बेशक, एक जाति के तौर पर इस्राएलियों ने यहोवा की निरंतर प्रेम-कृपा के लिए उसका एहसान नहीं माना, क्योंकि अपने छुटकारे के बाद वे यहोवा के “विरुद्ध अधिक पाप करते गए, और निर्जल देश में परमप्रधान के विरुद्ध उठते रहे।” (भजन 78:17) सदियों के दौरान, वे बार-बार बगावत करते रहे, यहोवा से मुँह मोड़कर झूठे देवी-देवताओं को और विधर्मी रस्मो-रिवाज़ों को मानते रहे, जिनकी वजह से वे और ज़्यादा भ्रष्ट होते गए। फिर भी, यहोवा ने उनके साथ अपनी वाचा नहीं तोड़ी। इसके बजाय, उसने अपने भविष्यवक्ता यिर्मयाह के ज़रिए अपने लोगों से गुज़ारिश की: “हे भटकनेवाली इस्राएल लौट आ, मैं तुझ पर क्रोध की दृष्टि न करूंगा; क्योंकि . . . मैं करुणामय [“वफादार,” NW] हूं।” (यिर्मयाह 3:12) लेकिन, जैसा हमने अध्याय 25 में कहा था, ज़्यादातर इस्राएलियों पर इसका कोई असर नहीं हुआ और उन्होंने अपने तौर-तरीकों को बदलने की ज़रूरत नहीं समझी। दरअसल, “वे परमेश्वर के दूतों को ठट्ठों में उड़ाते, उसके वचनों को तुच्छ जानते, और उसके नबियों की हंसी करते थे।” और इसका अंजाम क्या हुआ? आखिरकार, “यहोवा अपनी प्रजा पर ऐसा झुंझला उठा, कि बचने का कोई उपाय न रहा।”—2 इतिहास 36:15, 16.
17 हम इससे क्या सीखते हैं? यही कि यहोवा की वफादारी अंधी नहीं है, न ही कोई उसे धोखा दे सकता है। यह सच है कि यहोवा “निरंतर प्रेम-कृपा से भरपूर” (NW) है और जहाँ कहीं इसका आधार होता है, वहाँ दया दिखाने में उसे खुशी होती है। लेकिन, तब क्या जब पाप करनेवाला इस कदर दुष्ट हो चुका हो कि वह सुधर नहीं सकता? ऐसे मामले में, यहोवा अपने धर्मी स्तरों का पालन करता है और उसे दंड देता है। जैसे मूसा को बताया गया था, “दोषी को [यहोवा] किसी प्रकार निर्दोष न ठहराएगा।”—निर्गमन 34:6, 7.
18, 19. (क) यहोवा का दुष्टों को सज़ा देना भी कैसे अपने आप में वफादारी का काम है? (ख) यहोवा किस तरह अपने उन सेवकों की तरफ वफादारी दिखाता है, जिन्हें सता-सताकर मार डाला गया?
18 परमेश्वर जब दुष्टों को सज़ा देता है, तो यह भी अपने आप में वफादारी का एक काम है। कैसे? एक संकेत प्रकाशितवाक्य की किताब में उन आज्ञाओं में पाया जाता है जिन्हें यहोवा सात स्वर्गदूतों को देता है: “जाओ, परमेश्वर के प्रकोप के सातों कटोरों को पृथ्वी पर उंडेल दो।” जब तीसरा स्वर्गदूत अपना कटोरा “नदियों और पानी के सोतों पर” उंडेलता है, तो वे लहू बन जाते हैं। तब वह स्वर्गदूत यहोवा से कहता है: “हे पवित्र [“वफादार जन,” NW], जो है, और जो था, तू न्यायी है और तू ने यह न्याय किया। क्योंकि उन्हों ने पवित्र लोगों, और भविष्यद्वक्ताओं का लोहू बहाया था, और तू ने उन्हें लोहू पिलाया; क्योंकि वे इसी योग्य हैं।”—तिरछे टाइप हमारे; प्रकाशितवाक्य 16:1-6.
यहोवा वफादारी दिखाते हुए उन लोगों को याद करेगा और उनका पुनरुत्थान करेगा जो मौत तक उसके वफादार रहे
19 गौर कीजिए कि दंड के इस संदेश को सुनाते वक्त, बीच में वह स्वर्गदूत यहोवा को “वफादार जन” कहता है। क्यों? क्योंकि दुष्टों का विनाश करके, यहोवा अपने सेवकों से वफादारी निभा रहा है, जिनमें से बहुतों पर इतने ज़ुल्म ढाए गए कि उन्होंने दम तोड़ दिया। वफादारी का सबूत देते हुए, यहोवा ऐसों को अपनी याददाश्त में ज़िंदा रखता है। यहोवा की अभिलाषा है कि मरकर बिछड़ चुके इन वफादार जनों को एक बार फिर देखे, और बाइबल स्पष्ट कहती है कि उसका मकसद है कि ऐसों को पुनरुत्थान का प्रतिफल दे। (अय्यूब 14:14, 15) यहोवा के वफादार सेवक अगर मर भी जाएँ तौभी वह उन्हें नहीं भूलता। इसके बजाय, वे “उसके निकट सब जीवित हैं।” (लूका 20:37, 38) यहोवा का यह मकसद कि अपनी याद में बसे लोगों को फिर से ज़िंदा करे, उसकी वफादारी का एक ज़बरदस्त सबूत है।
यहोवा की वफादारी उद्धार का रास्ता खोल देती है
20. ‘दया के बरतन’ कौन हैं, और यहोवा उनकी तरफ वफादारी कैसे दिखाता है?
20 पूरे इतिहास में, यहोवा लाजवाब ढंग से वफादार इंसानों का वफादार रहा है। दरअसल, यहोवा ने ‘क्रोध के बरतनों को, जो विनाश के लिये तैयार किए गए थे बड़े धीरज से सहा’ है। क्यों? ताकि “दया के बरतनों पर जिन्हें उस ने महिमा के लिये पहिले से तैयार किया, अपने महिमा के धन को प्रगट” करे। (रोमियों 9:22, 23) ये ‘दया के बरतन,’ सही मन के वे लोग हैं जिन्हें पवित्र आत्मा से अभिषिक्त किया जाता है ताकि वे मसीह के साथ उसके राज्य में संगी वारिस हों। (मत्ती 19:28) दया के इन बरतनों के लिए उद्धार पाने का रास्ता खोलकर, यहोवा ने इब्राहीम के साथ वफादारी निभायी, जिससे उसने यह वाचा बाँधी थी: “पृथ्वी की सारी जातियां अपने को तेरे वंश के कारण धन्य मानेंगी: क्योंकि तू ने मेरी बात मानी है।”—उत्पत्ति 22:18.
21. (क) यहोवा “बड़ी भीड़” के लिए वफादारी कैसे दिखाता है जिसे “बड़े क्लेश” से बचने की आशा है? (ख) यहोवा की वफादारी आपको क्या करने के लिए उभारती है?
21 यहोवा ऐसी ही वफादारी “बड़ी भीड़” के लोगों के लिए दिखाता है, जिन्हें “बड़े क्लेश” से पार निकलकर फिरदौस में सदा तक जीने की आशा है। (प्रकाशितवाक्य 7:9, 10, 14) हालाँकि यहोवा के सेवक असिद्ध हैं, फिर भी वह उन्हें फिरदौस में सदा तक जीने का मौका देकर उनकी तरफ वफादारी दिखाता है। वह ऐसा कैसे करता है? छुड़ौती के ज़रिए—जो यहोवा की वफादारी का सबसे महान सबूत है। (यूहन्ना 3:16; रोमियों 5:8) यहोवा की वफादारी उन लोगों को अपनी तरफ खींचती है, जिनके दिल धार्मिकता के भूखे-प्यासे हैं। (यिर्मयाह 31:3) यहोवा ने जो गहरी वफादारी दिखायी है और आगे भी जिस तरह दिखाएगा, उससे क्या आप उसके और भी करीब महसूस नहीं करते? हम परमेश्वर के करीब आना चाहते हैं, इसलिए आइए हम उसके प्यार का बदला प्यार से देने के लिए पूरी वफादारी के साथ उसकी सेवा करने का पक्का इरादा कर लें।
a दिलचस्पी की बात है कि 2 शमूएल 22:26 (NW) में जिस शब्द का अनुवाद “वफादारी” किया गया है, उसी शब्द का दूसरी जगहों पर “निरंतर प्रेम-कृपा” या “सच्चा प्यार” अनुवाद किया गया है।